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कविता
दुल्हन बनूँ
सपने अधूरे बचपन के
"आ अब लौट चलें "
"तुम लौट आओ"
मास्टरजी
"नारी नहीं जहान हूँ हिन्द की मैं शान हूँ"
भुलक्कड़ नहीं है वो
विधुर पुरुष
विधुर पुरुष 2
जिंदगी के पन्ने
माँ की पीड़ा
हाँ वही इश्क करना है मुझे
"इस बार जो बरसा सावन"
ले आना
दुख - सुख
नन्ही चींटी
क्या हाल बनाया तुम्हारा वसुंधरा
क्रोशिया का धागा
प्रेम की परिभाषा
औरत का सफर
कमियां और खूबियां
"हाँ... ज़िद है"
होने को साकार, फिर एक बार ...
८४ जूनी बाद मिला है जीवन
"तेरी-मेरी दोस्ती
पहल्यां ही बता देंदी
तुम कह कर तो देखते
मिलाते तो सही
दुःख होता है
माँ
हाँ, यही तो जीवन है
याद है तुम्हें
सुनो एक बात कहता हूं (भाग - 1)
सुनो एक बात कहता हूं (भाग - 2)
काश कुछ ऐसा हो जाए
भींगे-भींगे बारिश वाले प्यार
तारों को आंचल तक आना होगा
बारिश वाला प्यार
पत्नी हूँ तुम्हारी मैं भी प्रेम चाहती हूँ
बारिश वाला प्यार
"इश्क वाला लव"
मां ने मुझको जन्म दिया,पर पिता ने मुझको पाला है ।
रूह में मेरी समाओगे कब
बीते वक्त का एक घाव ज़हन में रह गया है
"चाँद की चाँदनी "
कोई दिल में जब उतरता है
बूंदों की सिफारिश
बारिश वाला प्यार
बारिश वाला प्यार
बारीश वाला प्यार
बारिश वाला प्यार
बारिश वाला प्यार
मोहब्बत का मकां
खुद में खुद के लिए अभि ज़िदा हूँ मैं (स्वाभिमान)
बारिश वाला प्यार
यथार्थ रूप
2020 तू क्यूं रुठा है रे?
वृद्ध की वेदना
#उस शाम हुई बरसात बहुत
उस रात हुई बरसात बहुत
आज दिवस है काकोरी का
कवि हो जाना
पहिया
"फुर्सत के दो पल"
वो जो रह गई उन बातों का क्या?
सफर जारी रखो
टिप्पणी
#सावन_है_आया
अकेली बेंच
Story mirror competition
ईश वंदना
वो रिमझिम बरसात
यथार्थ रूप भाग-२
मेरे घर भी आ जाना
काश! युँ ही
#पुराने धागे (रिश्ते)
मेरी बेटी मेरी माँ हो गयी
करवा चौथ पर पति की व्यथा
सम्मान आज़ादी का (आज़ादी विशेषांक)
ये कैसी आज़ादी
अपने सपने
तभी तो पिता
मेरा प्यारा देश
है खोफ मंजर फैला हुआ
"अपना इंडिया अब भारत बनने लगा"
प्यार मोहब्बत जिंदाबाद by कुमार आशू
हे भारत माँ!
परंपरा और आस्था
यह तिरंगा कैनवास
बुरा क्यूँ मानूँ
व्याकुल मन
मेरा अपनापन
हँसो तो कुछ इस तरह
लमहा-लमहा, बूँद-बूँद
मुंबई शहर अलबेला है
आँसू कलम ने भी बेइंतहा बहाए है
सफर जारी रखो
तुम होते तो बात ओर होती
लाॅकडाउन में पति की दशा
मैं और बनारस के पथरीले घाट
सैनिक है नमन आपको
अरमान सजा रखा हैं
किताब लिखना
कहाँ से लाओगे
अबकी जनम माेहे बेटी काे ना दीन्हा
मैं आज भी वहीं खड़ा हूँ।
मै वेदनाओं में ही जलता रहा
मगर मै न था
हाँ माँ तुम ही तो हो
हाँ इश्क़ में तेरी मेरी एक ही राशि है
अब आया है पन्द्रह अगस्त
इतना हँसो कि रोने का वक्त ना मिलो
चल खुसरो, घर आपने
पराया धन
एक सुहाना सा अहसास
प्यार
लघुकथा:- पारस पत्थर
बस अच्छा लगता है।
उम्र के दायँरे
बलम (पंजाबी)
क्या फर्क पढ़ता है
तुम्हारे घर में एक छोटा सा कोना चाहती हूँ
मदारी कौन (लघुकथा)
दहलीज। (लघुकथा )
हैरत नहीं कि अब जान बेहतर है
अनकहा दर्द
मौसम का मिजाज
इसलिए दुःखी हूँ
क्या जानती हो
मेरी आज़ादी
अहम
शाक्य की तलाश
स्त्री कमज़ोर नहीं होती है
किसकी आज़ादी...
कविता-ख़्वाब देखा करो
तुम्हारे आंगन की तुलसी हो जाना चाहती हूँ
पहले के जैसे
बला का जूता
मैं आ रहा हूँ ।
उठो तुम
सबके दिल में
गिरकर ही संभलता है इंसान
चित्र पर आधारित प्रतियोगिता
आना मेरी गली
चित्र आधारित प्रतियोगिता
बिना स्वार्थ के सारथी बनो
मैं मजदूर हूँ
यथार्थ रूप भाग-३
महल और झोपड़ी ( मरीचिका)
मैं खुश हूँ मेरी झोपड़ी मे
जीवन के रंग अनेक
महल और झोपड़ी
"तेरे महलों को छूकर आती धूप"
महल और झोपडी
माँ ...जो मैंने तुम्हें कभी न बताया
इंसानियत की परिभाषा
साहित्य बने मेरी पहचान
#जिन्दगी से जंग
दादी माँ का प्यार
दादी आयी ।।
किरदार
हीरोज
कोविड आया है....
कन्यादान क्यों
चीटिंगखोर ज़िंदगी
हूँँ मैं नारी
जन्म और मृत्यु
एक बात मैं और कहूं क्या?
कुछ तो लोग कहेंगे
मौत के शिकंजे में जिंदगी
खुद्दार जिंदगानी
छुप कर वार न कर
ये कलयुग का इंसान है
अक्सर भूल जाते है लोग
साज़िशें बहुत की उसने मुझे ढाने की
आशावादी मन
गुलाम की हसरते चाहत
मासूम की गुहार
क्या कर रहे हो तुम?
मासूम परिंदे
मैं तुमसे प्यार नही करता
ठुकराई गई
कभी मेरे श्रृंगार से वाक़िफ होते
ऐ! मेरे साए
विधवा व्यथा
स्त्री की अभिलाषा
छोटे आका
जल की बूंदें
दरबदर खुदा खुद के दर से
माँ से कुछ प्रश्न
बादल
मन में कुछ जिज्ञासा है
मन में कुछ जिज्ञासा है
माँ आपकी पहली रोटी कैसी थी
बताओ ना
"कॉमिक्स की दुनिया" (बाल-रचना)
मिली कलम पतवार सी
कलम-मिल गई मुझे शादमानी
सोचता हूं कि क्या लिखूं
जब कलम चलती है
मैं क़लम हूँ
असंभव कार्य संभव करती हैं बेटियाँ
ईश्वर,अल्लाह सब माँ !
मैंने पूछा चाँद से
तर्पण
वियोगिनी का प्रेम
क्या खोया क्या पाया
पाप और पुण्य
पाप और पुण्य से परे
थमी-थमी सी जिंदगी
बिटिया ना कीजे
सोचो न!
बेटे बहादुर होते हैं
कभी गौर से देखा नहीं
कभी नहीं आते
"ज़िन्दगी के पल"
हाँ, वो प्यार करती है
हिंदी की कविता उर्दू का तराना बन जाता हूँ
बदलता आपकी तरह रहा मेरा किरदार नहीं
गुरु की महिमा कोई क्या गाए
असली शिक्षक कौन
प्रपोजल
धुंधलापन ------------------------ इस रात के घने अंधेरे में मैं देखना चाहता हूँ चारों ओर इस दुनियाँ का रंग रूप पर कुछ दिखता नहीं पर मन में एक रोशनी सी दिखती है | बस हर तरफ से नजरें हारकर बस उसकी तरफ मुड़ जाती है दिखती है वह दूर से आती हुई पर उस
कलयुग है ये
आँखों की भाषा
यादों के साथ सफर
बूढ़ी मां....
हास्य की तीन चुटकियां
सच छूट गया कहीं
मैं वीर पुरुष बलशाली
सोशल मीडिया का बुखार है छाया
प्रपोजल
ललायित हूं मैं
तुम्हें कब मना किया है
ये परमेश्वर
किताबे - इश्क़
वो चली गई
झरोखे से
यादें तो यादें हैं
प्रेम पथ
मातृ भाषा हूँ मैं
दोस्ती क्या है
क्यों लगता है मैं बहू से बेटी ना बन पाई
दिल कुतरने का हुनर न सीख पाया मैं
कौन है जो सही है?
ए मेरे दिल.....
तुम्हारा ज़िक्र
अभिलाषा
बाबा कबीर
गुरु के नाम
एक नारी हूँ
स्त्री झील सी
काश! तुम भी समझते
बिन बोले
यही सच है
शमा तू फिर भी जल
प्रेम विश्वास के बिना
एक हसरत दिल की
गहरी नींद
निरंतर
कहीं आदत वो कभी आफत हो
पर हमें भी लिखना है
जिंदगी
मुश्किल हो गया
क्या ? वो भी हमारी तरह बिखर जाते होंगे
सौदागरी बढ़ जाएगी
अदृश्य बेड़ियाँ
एजाज लिख दूं
जैसे ग़ज़ल
हमारा अभिमान हो हिन्दी
समंदर तो नहीं
मेरी भाषा
बारिश की बूंदें
अपना क्या है
आत्महत्या
हम उस देश के वासी हैं
मेरे बाबू जी
हिंदी हूँ में
मैं और वह
वक्त करवटें बदलता है
हिंदी दिवस विशेष - विश्व में पहचान हिंदी
कव्वाली,,बच्चों में नैतिक मूल्य
एक खत इच्छा के नाम
कव्वाली-बच्चों के नैतिक मूल्यों पर
हिंदी राष्ट्र धरोहर है
तुम छोड़ गये पद का निशान
हिंदी से हम हिंदुस्तानी
हिंदी क्या है??
चैतन्य महाप्रभु और विष्णुप्रिया
यही है रत्नागर
कविता - दो अनाथ.
दो कप चाय और हम
हिंद देश हिंदी दिवस - सार्थकता
हिंदी है अभिमान
माँ की आँखों के तारों
दिले अहसास हमारे
मातृ-पिता ही प्रथम गुरु
मैं हिन्द की भाषा हिन्दी हूँ
मैं हिन्दी हूं
अपनी उड़ान को....
मेरी प्यारी हिंदी
रूठे सजन
यह जिंदगी है
माँ सीता
एक नज़रबंद कैदी
तुम्ही बताओ
हिंदी है पहचान हमारी
हमारा अभिमान है हिंदी
हिंदी महज भाषा नहीं है
हिंदी है हिन्द की शान
द महत्व एंड द वैल्यू ऑफ़ राष्ट्रभाषा हिंदी
हिन्दी
हिंदी और शिक्षा
अश्रुधार
मैं हूँ हिन्दी सज रही माथे पर मेरे बिंदी
कुछ सुस्त कदम, कुछ तेज कदम
हिंदी हमारी पहचान
हिंदी हैं हम
कुछ बात तुम्हें सुनाते हैं
हिंदी भाषा
सम्भल जा ज़रा
सच बताना - कुमार आशू की ग़ज़ल
इंसान आज जमी पर आया है।
हिन्द के वासी हम , हिंदी है अभिमान ...
मैं हिंदुस्तान हूँ
प्रवासी मजदूर
देश प्रेम की भाषा
दिल के सांचे में अश्क ढलता है
यूँ हाथ थामकर हर पल का
हिन्दी को दो मान
सूरज का यह सुनहरा खत
बस मुझेअच्छा लगता है
हिंदी से हिंदुस्तान है
हिंदी से हिंदुस्तान है
हिंदी से हिंदुस्तान है
अन्तः परिचय
चालीस की देहरी पर
क्रांति
अबोली आँखें
शायद एक दिन मैं बन पाऊँगा कवि
शायद एक दिन बन पाउँगा कवि
नोंक झोंक
मोदी नामा
क्या है आज के अखबार में
सुनहरा बचपन
काँटों के बीहड़ में खिले गुलाब
क्यों पढ़ूँ अखबार
दिल से दोस्ती तक
बदलाव की बयार
तुम
एक नया निर्माण दो
एक नया निर्माण दो
ब्रजमंडल में ग्रीष्म
मेरी ख्वाहिशें
क्या लिखू क्या ना लिखू
माँ से जब भी मिला हूँ खुदको बिसरा हूँ
नये दौर के बच्चों में नादानियाँ कहाँ रही
शरद पूर्णिमा में रास
जोगन की यात्रा
खुद में खूबसूरत है हम
चाय सिर्फ चाय नहीं.....
शून्य से शिखर तक
मित्रता मेरी दृष्टि में
दर्पण की भी सीमा है
अपनों से दूर
जब हम किसी के प्यार में होते हैं तो
मौला.....! तू करम करना
सवाल करेंगे
हां मै एक औरत हूँ
उदास राहें
विश्व शांति दिवस
हम भी कभी इंसान थे
सजाएं हर दिवसवार
"जीवन की सीख"
जब भी छुओगे मिलेगी नमी मुझमे
लड़कियों को कमजोर समझने की भूल
सर्दी
सर्दी
शांति दिवस
Kya neend aati hai tumhe
ख्याल से हकीकत की कलम
बिगड़े हुए लड़के।
इतना हँसें कि रोने का वक्त ना मिले
मेरे मन मे डर नाम का शैतान
मायूसी
अतिथि, तुम कब जाओगे
बाबा की मलिका
सब याद रखा जाएगा
काश ! मुड़कर देख लेते
जिज्ञासा पुष्प की
मत करो जीवन नष्ट ये अद्भुत वरदान है
सन्नाटे में तैरता सा कोलाहल
सब उत्तर छोटे पडे़
दिल चाहता है
तब मैं लिखता हूँ
यथार्थ रूप भाग-४( एक पुकार उस मनस्वी को)
एक औरत की दहलीज़
भारतीय मीडिया
"चाँद से हुई बातचीत"
क्या है भारत
बेटी हूं मैं : पराया धन ना कहना
रिश्तों के नाम
आई चिडि़या
बोल मेरी मछली, कितना पानी
बेटियां नूर है
जीवन अपना है...
देस विदेस की सैर
स्वयं को जानो
दिल चाहता है
अधूरी दास्तान
बेटी बनाना छोड़ दे
दिल में
"कोरोना का कहर"
हाल ए दिल
मेरे देश में
मूक -निमंत्रण
कविता
यह धड़कन
वह जो मेरे हो न सके
जिंदगी तुम इतनी दूर क्यों हो
अंतर मिट गया
जाने ये कैसी है मीडिया
भूख,लाचारी और खुदा
माँ भारती शर्मसार हो गई
मैं जिंदगो हूँ
कब तक??
मैं सिमटकर रहूंगा कब तक
उसने कहा
मेरे गले में
काश ! मृत्यु से पहले जाग जाते
सिसकता बचपन
मन की पीड़ा
नेता
जोगन की यात्रा
ये मजदूर नही है, सुनहरे भारत का अभिमान है
भारत के लाल
हम भारत की बेटी
इंसानियत को सम्मान
#मर्द या #नामर्द.....
दुख के दिन
इंसानियत के नायक
स्वच्छ भारत अभियान
कौआ मामा
निःशब्द
हादसों कि मोमबत्तियां
हाइकु तथा वर्ण पिरामिड
तुझमे हुनर है
#एतबार कर लिया होता
पेड़ हमारे दोस्त
हे माधव, तेरा यह मानव
तुम्हारा प्यार
क्या तुम्हें याद है?
ना जाने क्यूँ
हर पुरुष पैदा स्त्री ही होता है
मुझे तू अपना सा लगता है
चुनावी मुद्दा (हास्य व्यंग)
"अपना सा"
बहुत कुछ है हमारे बीच
तू मुझे अपना सा लगता है
बलिदानी का सर
मुझे तू अपना सा लगता है
बेटी को पराया धन न कहना
जब कोई धोखा देता है
बदलना होगा बंदरों को
मुझसे पूछो
पीड़ा का विभाजन
बिन धोखा लागे चोखा
बचपन हमें जीने दो
शुक्रिया,शुक्रिया, शुक्रिया
मेरा मन
प्यार
हाथों में आ जाती है कलम
नारी स्वतंत्रता...
कौन बनेगा करोड़पति
मन की वे खेल खिलौने
वो सतरंगी पल
मैं छाँव तेरे आँगन की
तेरी आँखें
मुरझाए जिस्म
अरसा हो गया
कल और आज
करुण अन्त
प्यार की बातें
हम पास तो हैं पर साथ नहीं
मैं गंगा मां हूं
गीत कहूं या ग़ज़ल कहूं
आशिकी मत करना
कहाँ कठिन है ज़िंदगी
ऐ बचपन...
पूर्व और पश्चिम
मुस्काती है ज़िन्दगी
ये फूफा भी कमाल करते है
मैं इसे इशारे समझूं या क्या समझूं?
कैसे कहूँ क्या दफन है मेरे ज़हन में
वक्त नहीं
बेटी के नाम
बिहार चुनाव
उलझन
प्रकृति की गोद मे....
तीन राही
मेरे जज्बात
अब बात नही होती
मासूम कलियां
नवरात्रि में नौ देवियां
प्यार की ख़ातिर
क्यों खुद को पढ़ना भूल जाते हो
सड़क का दर्द
वो पागल लड़का
मेरे जज्बात-2
मैंने जीवन जीना सीखा है
बेबसी
एक अदद जिंदगी
एक अदबी लड़की
एक अदबी लड़की
कोरा कागज
आज फिर.....
तब तुम मेरे पास आना प्रिय
मौन हूं, अनभिज्ञ नहीं
जो असलियत है.......
जाते जाते दे गई वो मेरी आंखों में पानी
ये बेटियाँ हमारी
झूठ का साम्राज्य
हुआ जा रहा गड़बड़झाला
मुझे हारकर जीत जाने दो
शुभ दिपावली
कौन कहता खामोशी में बात नही होती
निराले निराला
राजा-रंक सभी फल ढ़ोते
ना जाने किस वेश में
दीप जलाये
नवरात्रि
खामोशी बातों में
मुझे तू अपना सा लगता है
मां के नव - रूप
खामोशी बातों में
आँसुओं को पनाह नहीं मिलती
मेरे जज़्बात
मुझे आसमां छूने दो
माँ अंबे
म्हारा आंगणिया में
बदल लिया है
नवरात्रि
तुम क्यों शोक मनाते हो?
मेरे बालों की सफेदी
माँ त्रिपुर सुंदरी
ना जाने नारी कब किस रूप में ढल जाती है
हक दुश्मन से मांग रहा है
तू नहीं प्यार के काबिल
पत्ते डाली से
!! नवरात्रि में नवदुर्गा माँ !!
हे माँ!
एक टुकड़ा धूप
बँटे आज हम जाने क्यूँ
नशा है
जिन्दगी की राह
वो चली आ रही थी
माँ देवी पर हाइकु
शक्ति दो माँ !
श्रम साधक को विश्राम नही
नवरात्रि और श्रद्धा
क्यों न मिलकर सुख दुःख बाटें
कभी बैठो पास तसल्ली से
धरा की पुकार
यह आदि है या अंत
बिना सीढ़ियों के
अच्छा होगा संवाद करो
दो मिनट
एक नन्हीं परी
वो सब किया
अच्छा लगता है
राधा मोहन
देखकर मुझको थोड़ा सा जो मुस्कराने लगे
कुछ अच्छे में, कुछ अजीब भी था
मनवा रे
काश..एक बार तुम मेरी खामोशी सुन लेते
अन्याय की जयजयकार
दिखा दे शक्ति का अवतार है तू
मेरी नन्हीं परी
बच्चे मन के सच्चे
हीन हो संवेदना से चल रहा है आदमी
साठ गाँठ
सचमुच फिसलन बहुत है
आओ माँ मन मंदिर में
फिनिक्स
बाहुबलि कौन
सत्ता के नशे मे चूर हो
ज़िंदगी का मजा
मेरे जीवन की चाह
आह!
एक और रामधुन
रावण की व्यथा
मां (प्रार्थना)
तब गांव हमें अपनाता है
अपनी शक्ति पहचानो
अपनी शक्ति पहचानो
खुली किताब
हाइकु
आज कि रावण
मैं आश्चर्य करता हूँ
मुमकिन हो सफर हो आसां
हँसो कुछ इस तरह
बच्चे मन के सच्चे
मैं क्या चाहता हूँ
धरा की पुकार
वृद्ध जीवन
जनप्रतिनिधि इंसान करो
जोगन की यात्रा
ज़िंदगी तो बस एक खुली किताब हैं
हां मै एक औरत हूँ
अतीत की ओर
कान्हा संग प्रेम
कैसे तूफां होगा शांत
शरारत
सिमटते परिवार
गुरूर तुम पर.....
घायल परिंदा
तुम भी कर सकते हो
अधूरी दुनिया
खामोश लफ्ज
वो बाते
बिखरते चंद्रबिंदु
ये जो मोहब्बत है
जिऊं तो सुहागन मरु तो सुहागन।
शरद पूर्णिमा
नादान परिंदे
नवल वधु
शरद पूर्णिमा की रात
लाड़ो...ओ लाड़ो...
मेरी दो कविताएं
चिड़िया पिंजड़े में कैद हो गई
राज के दोहे "पाखंड "
आलू का तो हाल न पूछो
कहाँ खो गया मेरा प्यार
सघंर्ष
घनी छैया
पूनम का चाँद
सोचते रहना
नवंबर तेरा आना
दो चाँद उतर आए
दिल का दर्द
वो अदीब इकबाल कहीं रह गया
दौरे जिंदगी
चालो धीरे धीरे
मै हंसती खेलती चहचहाया करती थी
ये नयन
लिखो तुम
वो तो जान है मेरी ...
वो बाते
अब कोई नही है
प्यार का त्रिकोण
प्यार का त्रिकोण
अवधान
वो कौन है
ज्या रे ज्या
आंखों की पोर
पढ़ पाऊँ
संवेद से संवेदनाएँ
पापा से प्रश्न
प्रतीक्षा
नारी का अस्तित्व
अल्हड़ ग्राम बाला
दो चंदा मेरे अँगना
करवाचौथ
करवा चौथ
ऐ वीरांगना
जिंदगी मुट्ठी में बंद रेत सी
ऐ चाँद तेरी क्या बात है....
जीना पड़ता है
मनभावन चांद
गणपति बप्पा मोरया
लिख दो न
लिख दो न
वो चांद आज आना
जब जन्म लेती है "बेटी"
एक नया जीवन
गुड़िया की चाह
"चेहरे पर चेहरा"
स्त्री
आंखो का तारा
मिले खुदसे हुए ज़माना सा लगता है
तुमने मुझे
छोड़ो झूठी बात बनाना
माँ- बेटी
नायिका के मन की बात
राख के ढेर
रूठी कलम
वो जगह बता मुझे
मध्यम मार्ग
सुरभित मुखरित पर्यावरण
नादान हथेली
मिलकर देश उठाओ ना
कार्तिक मास की धूप
गुमनाम जिंदगी
कफस में कनेरी
अहोई मां की वंदना
आँखों का तारा
इन सबका रंग लाल है
कफ़न में लिपटकर आना है
कव्वाली-त्यौहारों की
तुलसी मेरी
यथार्थ रूप भाग-५
धुँधलाई सी, भरमाई सी....
उम्मीद के दीप
तारे जमीन पर
मैं महालक्ष्मी धन की शक्ति
जय माँ गंगे
माँ तेरी साड़ी लाऊँगा
दिवाली प्रतिपदा
दीप वह फिर से जलेगा
बचपन दो
एहसास को समझूँ
चाँद का दीदार
बदलती दुनियाँ
भैया दूज
और ये सब तुडे़-मुडे़ से, सिकुडे़ से अखबार
नारी ही नारी की सूत्रधार है!
उपवन फूल खिलाना होगा
ढोल की थाप पर
गीत है संगीत है
आओ मिल कर दीप जलाएँ
सुन लो ना
माँ
वो और मैं
दीप हैं हम (गीत)
एक जमाना बीत गया
ग़ज़ल
राम तुम्हें फिर आना होगा
धरती, अंबर और समंदर
बारिश की बूंदें
ये ज़िन्दगी
शिक्षक महान है।
छठ महापर्व
होता समय बड़ा बलवान
झांसी की रानी
तो आखिरी बार
बैरंग सी मैं,कभी धूप तो कभी छाँव की तरह
जब राम नही बन सकते
मुर्दे की चाह
इश्क़ जताऊं कैसे
पानी पर चलता है क्यों
ज्यों-ज्यों बड़ी होती है बेटी
झूठ देख इंकार न कर
मन रे क्यों
नया ख़्वाब
दिल दर्द से भर जाता है
तुम मिले
भर-भर लोटा पिए जा रहे
माँ भारती--गीत
पाली थी अब तक जो खुशफहमियाँ
असां नहीं एक स्त्री को समझ पाना
"हर महिला एक सशक्त-योद्धा"
मेरी अभिलाषा
आवाहन करती है ये वसुंधरा
मालवी लोरी
क्या कहें
मन की बात
बचपन दो
आओ मेरे जीवन साथी
अतीत की ओर
मेरे पापा
क्या लिखूं
इक इक लम्हां
हे! देशभक्त जाँबाज वतन के रखवालों
हम आगे बढ़ते जाएँगे
मां की ममता
कुछ बातें
ज्ञान और रोशनी
कहाँ खो गया मेरा प्यार
बटुआ की याद
मैंने सबका कहा माना
तेरी गोदी में,,,,सो जावाँ
छुअन,,,,,,तेरे रूप अनेक
बहरी क्यों सरकार आज है
मन रे क्यों
मीत -मेरे
बदला-बदला शहर हो गया
कोरोना से डरो ना
हम लड़के हैं।
इक उजाले का नयन में आस होना चाहिए
किसान दुर्दशा
" चलते चलते "
अपनी शक्ति पहचानो
डर रहा हूं मैं
ख्वाबों का दरख़्त
ख़ुद पर विश्वास
" अस्मिता "
बजादो बिगुल
हमको फ़र्ज निभाना होगा
ना अधूरा एक भी श्वास रहे।
धरा की पुकार
घर
ज़िन्दगी सबकी बदलती जा रही है
कितनी जल्दी भूल जाते हैं
जहां तक उम्मीद है
शब्द
नवल वधु
सीखी ग़ज़ल,,, नीलिमा जी से
भोपाल गैस त्रासदी पट
प्रेम पथिक
दिप जैसे चमकते रहो तुम ...
मैं समय हूँ ...
मुझे उनके आने का पैगाम देना
घनी छैया
वो खेत में खड़ी
सबकुछ तो तय हैं ..
जयहिंद की सेना
ज्ञान प्रकाश
मुझे वो नज़रें बदलनी हैं
बहुत हुआ कि अब कुछ कहा नहीं जाता
ज्ञान का प्रकाश
बेवजह की बाते
बचपन दो
पिया मिलन
मन क्यों बहके रे बहके
ये कैसा श्रम ?
मेरी डायरी
वक्त से तकरार
मुस्काती है ज़िन्दगी
यूँ ही बस बैठे ठाले
मुझे याद है
आँखों का तारा
वापसी
गुड़िया की चाह
तितली और ज़िन्दगी
हम तुम
बारिश का मौसम
सात फेरे सात वचन
सात फ़ेरे सात वचन
मुझे तू अपना सा लगता है
आँसू
आँसू
कुछ एहसास हैं भिन्न
एक चेहरा नजर आया
बिखर गए एहसास
अधकचरे से ये रिश्ते
मैंने सबका कहना माना
अपनी एक अलग दुनिया
कलम से लगन लगी
बिन धोखा लागे चोखा
काँटो की चुभन,फूलों की महक
हैवान की हैवानियत
हैवान की हैवानियत
सैर देस परदेस की
मुझे तू अपना सा लगता है
ये तज़ुर्बा कुछ और है
आखिरी मोड की तरफ
नित अधर लाली लगाना छोड़ दो
प्रभु मन में उम्मीद जगा दो
सिसकता बचपन
शहर में बसा गँवार मन
रिश्तों का अन्तर्द्वन्द
प्रमाण पत्र
क्यों चुप बैठो हो परमपिता ?
तेरी गोदी में,,,,,,नदियाँ
मैं किसान हूँ
ये वो शाम है
इन प्रश्नों की शरशय्या पर
लौह पुरुष
मिल गई मुझे शादमानी
गुलाबी ठंड मेरे द्वार
लौटता बचपन
कुछ पल बैठिए उनके पास
शत शत नमन
कैसी यें शिकायतें
फिर से आँखें हुई सजल शायद
प्रेम एक अहसास
मोल फूलों का
शब्दों का संसार
उनसे जो हमारी ये मुलाकात हो गई
अच्छी आदतें
अधूरे ख्वाब
मैं तो हूं ही बेवकूफ
जिंदगी ऐसे ही चलती है
#अभिलाषाएं जाग रहीहैं
कुमकुम बिंदी
लॉक डाउन में क्या खोया क्या पाया
एक आग सुलगने भर
शायद दूर तक सफर कर रहा हूं
मैं बाहर निकलूंगा तो
वो अनजान है।
मेरे अन्दर मैं कैद हूं
हाँ मैं थोड़ी बदल गईं हूँ
आज भी पीछा करती हैं
मैं नारी, नहीं हारी
आखिर मेरा क्या कसूर था
अब्बू का ख़याल व नमक की मिठास
चलो हार मानी, मैं हारा खिलाड़ी
खत जो भेजा नहीं
मेरे सवाल पास में उनके पड़े हुए
जीत जाएंगे हम....
मै शून्य हूं
जाड़े की धूप
किसान (हाइकु)
नदी की अभिलाषा
चलो आज फिर.....
प्रसाद का महाप्रसाद
प्रसाद का महाप्रसाद
उन्मुक्त
सांता क्लॉज आया है
हमसफर.....
तुम्हारी मुस्कान.....
तुम्हारा अहसास.....
अंतिम प्यार.....
माँ आओ
ये आग
तुलसी की चाय
आज का दिन
पढ़े चलो, पढ़े चलो.....
कुछ भी हमारा नही होता
माँ की ममता
कुछ लड़के
ऐसा एक ख़्याल है
मृत्यु और सभ्यता
नन्ही कली
पूछता बचपन
बेरुखी का आलम
तस्वीर....
खुशफहमी.....
तुम्हारा प्यार.....
स्त्री का अस्तित्व
मेरा बावरा मन
कुछ तीर तुक्के
राह में कुछ लोग अब भी मुस्कराते चल रहे
अपनी शक्ति को पहचानो
बचपन की सखियाँ
बेटी की पाँती पापा को
इश्क मोहब्बत
अलविदा 2020
अलविदा 2020
अलविदा 2020
स्वागत नव वर्ष
यह साल कैसा रहा #2020
अलविदा बीस
#अलविदा 2020
कोरोना का दर्द
लॉकडाउन
धोका
कहिये 2020 को अलविदा
नववर्ष
#अलविदा 2020
दिल से दिल तक
तुझको भूल न पाएं....
कहिए 2020 को अलविदा
यथार्थ रूप भाग-६
२०२० तुमसे कोई शिकायत नहीं
नव वर्ष
अलविदा 2020
अलविदा 2020
दिल से दिल तक
अपनों को अपना हाल बताना मुश्किल हो जाता है
अलविदा 2020
नवल वर्ष
अलविदा 2020
2020 तुमने सिखलाया भी है बहुत कुछ
अलविदा ऐ जाने वाले
देखो देखो नया वर्ष है आया
नया वर्ष
#अलविदा २०२०
ध्रुवतारा बन जाएंगे
अलविदा, दो हजार बीस
जीवन का एक दिन सा भी
दिन सामान्य हो या विशेष
भूल ना जाना
नूतन वर्ष का अभिनंदन
नवल वर्ष तेरा।अभिनन्दन
2021
साथी हाथ बढ़ाना
खुद ही देखिए,
हुक्मरान आए हैं,
मखमली आँचल
पिता तब बहुत रोता है
मैं तुमसे प्रेम करता हूँ
आती रहती हैं
इसी में तो भला है
एकाकी युवा
सब कुछ पाकर भी....
क्या हो गई हालात
अच्छा हुआ
कविता
मेरा शहर
पृथ्वी (हाइकु)
मेरे चांद
दर्द छुपाता रहा.....
मेरा शहर बनारस
सूरज नहीं बुझने दूंगा
मैं बेवफा तो नहीं
एक पुरानी खिड़की
चाँद सा मुखड़ा
हाँ हम आम लोग हैं।
सर्वे भवन्तु सुखिनः
आहट साजन की
जग के उर्वर आँगन में
अपनो के सपने
भय
आंदोलन
मेरी छत
कारवाँ गुज़र गया
सर्वे भवन्तु सुखिनः
मेरे देश में पौष मास
जो अपने है उनको पराया ना कर
जर्रानवाजी बनाम मेहमाननवाजी
सब कुछ ये सरकार खा गई
निर्धन पिता
मौन प्रार्थना
आती रहती है
बाक़ी हो आज भी मुझमें
आदमी की मौत मरा कुत्ता
तारे
हिंदी से हम हिंदुस्तानी
तिल का महत्व
कर्म करो
जान बैठे हैं
मैं अक्सर खुदबखुद.....
स्वयं छाया स्वयं आधार हूँ मैं
मौन
अधरों पर मुस्कान
सबसे बड़ी मां....
पेड़ से बात.....
नई सुबह
हम तुम
मेरा प्यारा मीशु
मेरा प्यारा मीशु
मेरा प्यारा मीशु
मेरा प्यारा मीशु
पर्पल कविता
वो अजनबी
शत शत नमन
मासूम गांव.....
# इकरार
मेरा इकरारनामा
इकरार
कब तख
जात आदमी के
ख़्वाबों की दुनिया
इंतज़ार की घड़िया
हम और तुम
मेरा गांव
दो अजनबी
मैंने माँ से पूछा
मन तितली सा
जनवरी की ठंड
अधूरी ख्वाहिश
तुम्ही बताओ
आँसू, खून, पसीना
तुम याद आते
मां की ममता
तीन राही
सुन..बापू तेरे देश में
उम्र का सौदा
दशम मास
शीत ऋतु
शीत ऋतु
जाड़े की धूप
मेरे देश में पोषक का स्वागत
मैं डोर नहीं
मैं नीलिमा
मेरे बेटे
वीरों को समर्पित
सफेद
पराक्रम दिवस
कुछ बहके हुए ख्याल
चेहरा
नारी को प्रणाम है
जनवरी की ठंड
एक नन्हीं परी
उठो बेटियों शस्त्र उठाओ
बालिका दिवस स्पेशल
मुझे इंसाफ चाहिए
(राष्ट्रीय बालिका दिवस) गर मैं गर्भ में न मारी जाती...
क्या कहूँ
तुम याद लाते
बेटी हूँ मैं भी..
तुम याद आते
जनवरी का महीना
जनवरी की रात
शीत के दोहे
जनवरी की सर्दी
तुझसे प्यार करने लगी हूँ मै
जब कोई बात दिल में घर कर जाती है
जनवरी की ठंड
ईश्वर का प्रमाण
जनवरी की ठंड
ओ प्यारे पपी
बहारें आ गई
ऐसा हिंदुस्तान कर दे.....
वीर जवान
शहीदो के नाम दिया जलाते है
यह तिरंगा कैनवास
आओ हम माँ के तिरंगे आँचल को सँवार दें
एक दीया शहिदों के नाम
सैनिक संभालते हैं ख़ुद को
जन गण मन
"हमारा हिन्दुस्तान"
शहीद सैनिक का शव
सीमा प्रहरी
खूंटी पर टंगी वर्दियां
शत शत नमन
शत शत नमन
खूंटी पर टंगी वर्दियां
सौगात तिरंगे की
ससुराल लौटती बेटियां
एक दीया शहीदों के नाम जलाएँ
मैं दिल्ली हूँ दिल्ली
भारत का बेटा हूँ मैं
देश मेरा महान है
अमर शहीद
शहीदों की याद
एक दीया सेना के नाम
एक दीया शहीदों के नाम
देख ये कौन चलें हैं
जनवरी 26 सन् 21
भारत माता की संतान
# शहीदों की याद में एक दिया जलाये
एक दीया शहीदों के नाम करते हैं।
प्रेम का मोल
"आख़िर कौन हो तुम"
मैं प्रकृति हूँ
तेरे इश्क में डूबे डूबे से हम हैं
देश का मंत्र गणतंत्र
याद बहुत आते
आम सी ज़िन्दगी
#चित्र प्रतियोगिता
जीवनसाथी
ए-माँ तुम खुदा की भी खुदा लगी हमको
सपने में पापा आए
तुम और मैं
सौगात तिरंगे की
फ़र्ज़ की पुकार
मंजिल का अवसान नहीं
मैं चांद नहीं आफताब हूं
तड़पती हूँ
वसंत का आगमन
माँ/ बेटी
मुझे कुछ कहना है
बस छोटी सी दरकार
मुझे कुछ कहना है
#तुम पुरूष हो....
चेहरा
माँ का स्पर्श
एक दूसरे के पूरक है हम
रोशनी की किरण
प्यार का पंचनामा
प्रेम का मतलब
महामंत्र गणतंत्र
#चित्र प्रतियोगिता (बचपन के वो दिन)
सियासत जरूरी है।
महामंत्र गणतंत्र,,,कव्वाली
बचपन -एक जमाना
मुझे कुछ कहना है
कहाँ गए वो बचपन के दिन
लो आ गया बसंत
बचपन की एक बात
पहली मोहब्बत की पहली बारिश
राहत हो जाए
बचपन -एक जमाना
#बचपन के पल...
साल भर अपना रिश्ता रहा
बचपन में
प्रेम पेड़ के मानिंद है
पुरूष की वेदना
ना कर इतना गुमां अपनी कलम पर ऐ शायर
वो बचपन के दिन
गाड़ी धीरे हाँको
नस नस से गुजरती संवेदनाएँ
हे माँ तू मेरी जन्नत है,
मोहब्बत की कुछ बूंदें।
निःस्वार्थ प्रेम
आयो बसंत
हिसाब *
मन की आवाज़
रो पड़ता हूं ये सोच-सोच...
हर वक्त बस है धोखा...
खुश है वो देखो कितना..
कल मिलोगी जब तुम मुझसे...
क्युं आँख तेरी भर आयी है ...
दिल खोल के लुटा देती है..
आज मिलेगी वो मुझसे...
वो पल मैं कैसे बतलाऊं..
ऋतुराज आया
राहत हो जाए,
ना जाने क्यूँ आज अधूरा
संवेदना *
पिया ❣️
संवेदना
एक संवेदना
पनपी मन में एक अभिलाषा
देव भूमि में प्रकृति का कहर
लौट आइए पापा
आंदोलन जीवी
तेरी यादें।
जनता की लाचारी
अन्तर्मन की पुकार
बसंती छोले
संवेदना
प्रेम इश्क मोहब्बत
एक चॉकलेट उनके लिए
ढलती धूप
मन ख्वाहिशों का जंगल
संवेदना
मरती जा रही संवेदना
आनलाईन इश्क़ आफलाईन इश्क़
सवालों के बेहतरीन जवाब
"आनलाइन इश्क"
निंदक नियरे राखिए
भारतीय वेलेंटाइन डे
बच्चों डरो मत मुश्किलों से
वैलेंटाइन तड़का (हास्य)
ऋतुराज आया
बसंती चोले
बहारें आ गई
बसंत का आगमन
संवेदनाएं जागृत कर...
काश तुम Hug कर पाते"
कलाकार बनूं , या ना भी बनूं..
आदमी का आदमी होना बड़ा दुश्वार है
प्रेम समर्पण
ऑनलाइन इश्क *
"लव आजकल"
वैलेंटाइन याद रह गया उनको याद करेगा कौन
वीणावादिनी
बसंत
इनबॉक्स वाला इश्क़
ऑनलाइन इश्क का खुमार
भारत के वीर सपूतों को नमन
"पहला चुम्बन"
आखरी मोहबत..
बलिदान (तांका)
आशिक़ की अभिलाषा
कोई शहर बाकी है
आज प्रेम दिवस है
बसंती चोले
ऑनलाइन इश्क
कलम शहीदों की जय बोल
बहुत उम्मीद है
तेरे ना होने से
तेरे ना होने से
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
सौगात तिरंगे की
हम सिर्फ तेरे हैं
लागे ना मोरा जिया
तुम हो तो
ज़जबात
सावन गीत
आया बसंत झूम के
सावन सी भिंगादो ना
ऋतुराज आया
बस बच्चा ही बना रहे
ऋतुराज बसंत
माँ सरस्वती को माल्यार्पण
मीठी मीठी बातें
मां भारती
अंखियों के झरोखों से
आह्वान
मां शारदे वंदना
सावन गीत
तन ही कमजोर था
आया बसन्त झूम के
ऋतुराज बसंत है आया
ना जाने कौन
औकात
ज़माने की नज़र में
आया बंसत झूम के
'मधुमास'-ऋतुराज बसंत
मैं नारी हूं
मोहब्बत
प्रकृति की सुंदरता
तेरा आना
तेरी आंखों के पैमाने
बारिश हो रही है
मधुर मिलन
मनमीत
मेरी जिंदगी में चली आना
फोन ऐ मोहब्बत
लुका छिपी
दूर है
प्रणय मिलन की आकांक्षा
मेरी जिंदगी में चली आना
सावन की सौगात
अस्तित्व की आवाज
अस्तित्व की आवाज
वो लड़की*
प्यार का मर्म
प्यार का मर्म
सावन की सौगात
गीत "जिंदगी की कहानी"
एक घने पेड़ की छांव
उस घने पेड़ की छांव
मेरी कविताएं
अदब की निशानी
याद बहुत आए
अपना वह घर पुराना...
दरमियान तेरे मेरे
क्या तेरा भी है नाम कोई?
अनार
मन के आईने में
ओ सनम मेरे सनम
कामदेव राज
एक करवट की दूरी
जिंदगी ! तुझे पढ़ न पाया
जिंदगी ! तुझे पढ़ न पाया
ज़िन्दगी है उड़ती चिड़िया
बरसात में तेरा दीदार
फूल या कांटा
सपने
रिमझिम बरसता पानी
सावन की बूंदे
सरसों के फ़ूल
अन्तर्मन की पुकार
गाँव ! तुम्हारी बहुत याद आती है
टूटना मत रुकना मत
कुछ उल्टा सीधा
मेरी तमन्नाओं का
कैसे कहूँ सच्चाई
बदलते शक्ल
गाँव ! तुम्हारी बहुत याद आती है
कौन हो तुम
मेरा गांव मेरा आंगन
शायद ज़िन्दगी होना था...!
क्या वो मुझको रोक पायेगा
अंकुरण
एक साया सा
कहर कुदरत का
अंजान पथ
इंतजार
सावन की सौगात
सावन की सौगात
याद बहुत आए
बहुत याद आए
जीवन गाथा
मुस्कुरा कर वह कह के चले गए।।
"रिमझिम सावन की बूंदे..."
लागे ना मेरा जिया
नदी की वेदना
यह घर मेरा नहीं
गरीबी की मार
गरीबी और परायापन
विरहिन
प्रणय मिलन
ग़ज़ल-इश्क़ की हद जानता है
कशिश
*कसक*
गुँजन
*कसक*
दिलबर साथ निभाना रे
मेरे बाद
खुशियाँ
प्यार का इजहार
प्यारा घर
श्रद्धेय निराला जी
Ajnabi Si Dastak
मन के भाव
हर महफिल दिल की
रचनाकार की रचना
प्रकृति की रक्षा
बच्चा एक अकेला
मन से बचपन
दुष्कर ही श्रेयस्कर
अंधेरे का आकर्षण
रात की दीवार
गुलाब की टहनी
हो जाओ तैयार साथियों
वृद्ध
पति पत्नी और वो
तेरे जाने के बाद।
थम गई ताल
हिंदी से हम हिंदुस्तानी
मिल गई मुझे शामदानी
घर एक मंदिर
मन दर्पण
"अतीत की यादें"।
भूल गए
नया vs पुराना
मन के भाव
Mera bharam
Khud se Rubru
मै आज भी वही हूं
जीने की ललक
कल्पनातीत प्रणय मनुहार
"मुझे मेरा वो गाँव याद आता है"
अंतिम यात्री
स्वरुचि भोज
वाह वाह क्या बात है
इसी का नाम ज़िन्दगी है
जीने का चाव
मन में आता ताव
मृगनैयनी सी तेरी नयन
अपना अपना दर्द
जीने की कला
अन्नदाता
मेरी आह की आवाज
तेरा साथ है
आखों में चमकता प्यार तेरा
सुनो मेरी कहानी
चाय के बहाने
चाय के बहाने
सुनो मेरी कहानी
कहाँ खो गए तुम
भोर में विभोर
प्यार इस जन्म का
दो कदम तुम भी चलो
"मेरा प्रेम नयन नीर निश्छल सा है"
मौन स्वीकृति
आरम्भ का अंत
काजल
छलकते जज्बात *❤
दिल टूट गया।
"काली नैयना मदहोश शाम लगती है"
वह आदमी
बहुत बोलती हैं ये आंखे तुम्हारी
आँखों का पानी
किरकिरा हुआ काजल
येदिलकर रहा है तुम से ही बातें
दूर ना जाना
पेड़ बनकर नहीं तलवार बनकर
काजल*
काजरारे नैन
भूला मुझको दिया..
काजल
शादी एक व्यापार
कहती है आज की नारी
दहेज़ की भेंट
बया के घोंसले सी
हलचल
मैं खूंटे से नहीं बंधूगीं
मैं खूँटे से नहीं बंधूगीं
हमसफ़र/दोस्त
मैं खूँटे से नहीं बंधूगीं
आज कुछ नया लिखूंगी
Kajal Ka Badal
करुण अन्त
मन के जज्बात
काजल
वक्त की तलवार की धार
प्रतिक्षा
मैंने तो मांगा है बन्धन पिया
भ्रमर मन
फागुन दोहे
प्यार के रंग
तुम मेरे हो
मेरा मन सुमन की तरह खिला दिया
तुझे मजबूत बनना होगा
मौन अभिव्यक्ति
इज़हार-ए-मोहब्बत
दरिया नहीं सूखेगा
"राख मेरी कौन ढोयेगा "
"हकीकत'"
कुण्डलियाँ "बसंत और पलाश"
दीवानगी
इजहारे_मुहब्बत
मुझसे प्यार है और नहीं भी
बिटिया कहे
मधुर मधुर तेरी ये बोली
प्रियवर हो
तुमसे है प्यार
बिटिया कहे
मन फगुआ
कचरे के डिब्बे में भरा कचरा
शुक्रिया माँ
मन तन के पार
मन तन के पार
माँ की ममता
आधुनिक नारी
मैं और मेरे अच्छे दिन
मोहब्बत करते रहो
आजकल जब भी
मां
आप मेरी जिंदगी हो
कोई तो खास है
आपके ढेरों उपकार हैं माँ
माँ का पल्लू
नारी तू नारायणी
साहस पर मुक्तक
"अब हमें प्रखर रहने दो "
अपनी धारा ,अपना वेग
खेल खेल में
मां तू है ममतामयी
"काश मिले फिर तेरे आँचल का कोना"
"नारी"
नारी की महत्ता
रूह आसमान में रहती है
नारी तू ही शक्ति है
माँ और ममता *
नारी नहीं बेचारी
नारी कोमल है, कमज़ोर नहीं
मां की ममता
"नारी तुझे क्या उपहार दूँ"
नारी पूर्ण है
काश यह मेरा घर होता
माँ की एक अलग दुनिया हुआ करती है।
कारवाँ गुज़र गया
रंग बिखेरे हज़ार
अपंग कौन
माँ
धागे पहले उलझते हैं
साड़ी का पल्लू
दो फूल
माँ बेटी संवाद
सफेद गुलाब के फूलों का दीदार
मन बन वनवासी राम सा
भूले-बिसरे चंद लम्हों के हवाले
पचपन में मन खोजे बचपन
मेरे दिल का फूल
बहुत याद आती
भूली बिसरी यादें
भूली बिसरी हसीन यादें
मै भी मौन तू भी मौन, लफ्जो की खामोशी समझे कौन
आव्हान
चाँद छुट्टी परहै
घर का द्वार खुला है
मिलन की बेला आई
"पुरानी डायरी के बंद पन्ने"
बचपन..
बीते हुए लम्हों में
घर की याद...
उसकी हर सौगात को सम्मान दें
तेरे बिना धड़कन भी कहाँ धड़कती है
तेरे बिना धड़कन भी अब कहाँ धड़कती है
नदिया के पार
सार छंद आधारित गीत "शिव बिन कौन"
दिल की आशा
एक अविकसित सा फूल
चाँद आज छुट्टी पर है
उड़ान क्षणिका
दिल्ली मेरी दिल्ली
मेरे दिल की मंजिल
प्रेम की गाड़ी चल पड़ी
साड़ी का पल्लू
प्राण वायू श्याम है
कचरे वाला बच्चा
आजकल पल पल रंग बदल रहे हैं लोग
यूँ हाथ थामकर हर पल का
तेरे मेरे दरमियां
सूरज मुझे जगाता
धूप के आर पार
असमंजस में
"प्रणय मिलन की वर्षा"
बवाल....
"अंतरात्मा की आवाज "
विरह वेदना
प्रेम की गाड़ी चल पड़ी
मैं पुकारुँ तुझे
जुदाई*
"प्रेम में तेरे"
जातिये जजाति हो गइल बा
छलिया
#छलिया
संग की मूरत
ऐ फूल
अंतर्द्वन्द्व
"एक कविता"
दिल ही तो जाने है
*अधूरी कहानी"
✍️अनजान चेहरा सा हैं, मुस्कुहाट सी निजदिकिया हैं,
गीत
बदलते मौसम
इश्क़..फिर हार जाएगा
दे दे मिलाई।
बिछडो न तुम (गीत)
रात के आकाश में जागता एक चांद
कविता का दरबार
तुम जो मिले
हाय ये कैसी मजबूरियाँ
आहत मन....
ख़ता
आ भी जाओ गौरैया
जुदाई
बाँसुरी
कविताएं और कविताएं
"क्यो प्यासा रह जाता है"?
जिंदगी मिली मुझे
कैसे गुल खिलेंगे ?
गौरैया के बच्चे
बादल और किसान
मिट्टी के आँगन
बन्द दरवाजे
बूढ़ा भगत
रिश्ता प्यार का
सफ़र यादों का ❤
कविता जन्म लेती है तब,जब
निर्मला और उज्ज्वला
मौसम का मिजाज
गूढ़ रहस्य
सपनों को उड़ान मिले
मेरा परिवार
मैं कविता हूँ...!
कांच के गिलास में
धुँधलाई सी, भरमाई सी....
एक झिलमिलाती सुबह
आज़ादी के दीवाने
वंदना,,, माँ शारदे
शब्दों की महिमा
मेरे घर का सामान
राधा किसी गुहार
राधा की गुहार
सड़क का दर्द
सूखते हुए दो पत्ते हम
होली आई
न्याय इतनी दूर क्यों ?
न्याय इतनी दूर क्यों ?
अदृश्य सी कोई आस
आलसी
जीवित श्मशान
सूर्पनखा की नाककटाई !
यह प्रकृति एक सुंदर पुस्तिका
होली मन से कभी बेमन से
केवाड़ी डोम काटत !
होली विरह गीत
जिंदगी ही तो है।
"एक रंग प्रीत का रंग दे मुझे"
यूँ तो मेरा क़त्ल हुआ है।
हरि की धुन
उत्सव
होली खेले
मतवाले होली के *
कभी जिये होते आकाश में
मैं हिरण्यकश्यपु हूँ।
असली फूलों के दीदार को
जिन्दगी का सफर
ज़िन्दगी के रंग
व्यंग्य
कोरोना वायरस और प्रकृति
रेशम से एक ख्वाब
हास्य रस
वसंत ऋतु और हम
पराली हूँ मैं।
ब्याह के लड्डू*
चिंटू की खुशी
चल उठ चल अब
चुनावी पोस्टर
प्रेम की सुगबुगाहट
विरह का अंत, अमित प्रारंभ
बेवफा हम नहीं
इक बेचारा
मैं आसमान तक जाकर
मेहरबां है रब जो उसने हमें मिलाया
कुछ कुछ होता है
कतरा-कतरा, बूँद-बूँद
एक नारंगी रंग के फूल सा
उगता सूरज
रिश्ता प्यार का
अजब गजब शादी
थम गए
बुढ़ौती में हमरा के लव होइ गवा..!
अल्फाबेट
"गीत मिलन के"
मिलन रूत ❤
प्रेम और गलतफहमी
सात समंदर पार कहीं
रूह से रूह का मिलन
लो आज पूरी होगई हमारी अधूरी कहानी...
बेला मिलन की.....
मुरादों वाली रात
पृकृति
पृकृति
फूल के चेहरे पर
शृंगार रस
मैं कुड़ी हरिद्वार की
"खेले खेल हवा से डाली"
चॉकलेट का घर 🍬🍭
डिजिटल जनरेशन
धुंध *
मैं मरूँगा
स्टेटस
ये बच्चे अच्छे होते हैं...
हाशिए पर सैनिक
तेरा वज़ूद
बंदर मामा
ज़िन्दगी भी क्या है
आऊँ भरूँ तुझे अंक में
आ भरूँ तुझे अंक में
"प्रहरी"
पिंकू बतख
बीते लम्हें
गज़ल
मैं कवि हूँ।
मेरी माँ ख़ुश रहे
माँ भारती के गहने
तुम, यानी मैं
बृक्ष बचाओ
मां त्रिपुर सुंदरी
शक्तियों की प्रतीक देवियाँ
मां से गुहार
नवरात्रे
मां की महिमा
आई चिडि़या
कर लो विनती मेरी अब स्वीकार मेरी माँ "
अतिथि, तुम कब जाओगे
खुले आसमानों से जिंदगी को देखना, बहुत ही खूबसूरत सा दिखाई देता है।।
मां कालरात्रि महिमा
इस मोड़ से जाते हैं
गांव की अनुभूति
चार दिन की ज़िंदगी
इसी का नाम है ज़िन्दगी
बच्चों से बतियां
"मैं एक चिड़िया प्यारी "
इन्साफ़ बानो की चीख़
नवदुर्गा माँ जगदंबा 🌺
हे माँ दुर्गा
शौर्य गीत
एक सुहाना सा अहसास
चतुर्थ देवी मां कुष्मांडा
जिंदगी की आखिरी शाम
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-1
कौन हूं मैं?
जीतेगा इंदौर
कहाँ गए वे दिन
आपदा में अवसर
चल खुसरो घर आपने
सन्नाटे में तैरता सा कोलाहल
मोहब्बत सी हो गई है, तेरे एक इंतजार में...
मजा बहुत आता है।
बिंदु छंद "राम कृपा"
पुण्डरीक छंद "राम-वंदन"
पुट छंद "रामनवमी"
शालिनी छन्द "राम स्तवन"
वीर सिपाही
सीता बेनां नारी
चमक चाँदनी।
कृष्ण ही कृष्ण है
यह युद्ध जीतें
सबसे पीछे
धरती कहे पुकार के
जय श्रीराम
टूटे वादे
अमानुषिक प्रवृत्ति
हम भी कभी इंसान थे
ग़म ना कर
दुर्योधन कब मिट पाया: भाग-2
रात की बात
भारत देश और इंसान
है ऐसा कोई
हनुमान भगवान
अब जाग ए इन्सान।
"चहु ओर खुशियां फैल जाएंगे"
कोरोना बोलो तुम्हे कब है जाना
कोरोना का प्रतिकार
स्वस्थ रहें, सुरक्षित रहें
ठानी है हमनें
एक अहसास कोवैक्सीन भरा
आम और सच
जरा दिल को थाम के
आज शिक्षकों की व्यथा
सड़कों पर बिखरी हुई यह विवशता
कोरोना को हराना है
मिलकर भगायेंगे कोरोनावायरस
बेचो डिग्रियाँ
एक सत्य
भय की शिला
कोरोना से हार चुके क्या ईश्वर से ये कहे बेचारे?
चेहरे पर मुस्कान आएगा
स्त्री हूँ मैं अबला नहीं ...
सन्नाटा
काश
तुम
प्रार्थना
मेरे मनवा अब मत रोओ
नया सवेरा
काँटों के बीहड़ में खिले गुलाब
आशा दीप जलाए रखना
हाथ चल उठे
माँ तू बहोत याद आती
ओ माँ
माँ ऐसी ही होती है
माँ का चेहरा देखा है
जीवन का वो सतरंगी सा इंद्रधनुष
माँ की रोटी
जीवन - गीत
बचपन की सखियाँ
मैं एक फूल सी कोमल सुकन्या
फूल सदा मुस्काता है।
जीवन के सपनों को
चंद लम्हों के हवाले
जय हिंद
गीतिका छंद "चातक पक्षी"
चौपइया छंद *राखी*
कोई मजहब नहीं होता
मैं फूल हूँ
एक नन्ही परी
एक लहराते पंछी सी
चेहरे छुपाने पड़ रहे हैं
परिवार
मील के पत्थर
देखा जो एक फूल को फूल बेचते हुए
प्रकृति से पंगा (भोजपुरी गीत)
फूल, तितली और पत्तियां
बीते दिन वापस नहींं आते
फूल 🌸
मन की रफ्तार
सपना सपना ना रह जाये (कविता)
हर दिन, हर सुबह
मैं तन्हा हूं
आज प्रेम दिवस है
फूल
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-3
कह मुकरी-गर्मी
कभी नही मरुँगी। मैं
कभी नही मरूँगी मैं
सम्पूर्ण सृष्टि का प्यार
क्या धरती बस इंसान की है ?
वह फूल कांटा ही चुभाता है
जी चाहता है।
दिल एक तिजोरी है
तन्हा मैं नही
बँटे आज हम जाने क्यूँ
Kon hun main....??
कठपुतली
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-4
एक कड़वे सच के आईने में
मिट्टी का बर्तन
पहली बारिश की बूंदों सी
दिल में एक लहर सी
ये ज़िन्दगी
प्यार के भंडार से
फिर मन करता है
संवेद से संवेदनाएं
बुद्ध पूर्णिमा
पूर्णिमा का चांद
बुद्ध प्रबुद्ध का ध्यान धरें।
हे कृष्ण! कितना आसान है
ये शव
मेरे मन का मधुबन
मैं एक तितली अंजानी सी
वह गुलाब के फूलों का बाग
कोइ
महकता सा ख्वाब है
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-5
एकलव्य का अंगूठा
धूप के कारण
उम्मीद से सजे ज़िन्दगी
ऐ सूरजमुखी के फूल
# बहुत घुटन है
यादों के धागे में
यादों के धागे में
फुर्सत तो मिली
न दर्पण न अर्पण
उम्मीद की लौ
मंज़िल
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-6
मन की आंख से
नव - प्राण हुआ
जो कुछ नहीं करते बहुत कुछ करते हैं
फिर तू मुस्कुराएगा
यह खुदा का फैसला
पेड़ बचाओ
घर किसी का तोड़कर
अब तो मेघ करो बौछार।
मैं वायोर्विद मैं ही चार्वाक
एक मृतक के समान
अभिव्यक्ति भावों की
अकेले हम
दिल जो टूटेगा
पर्यावरण सप्ताह विशेष हाईकू
क्या यही जिंदगी है?
मैं अकेली
नयी हिन्दी ग़ज़ल
आशाएं
भूली-बिसरी कोई याद
आशा एक किरण *
उसकी बाजी उसके मोहरे
यादों की किताब का हर पन्ना
सावन की सौगात
एक खुले आसमान की हवाओं की तलाश में
बूँदें
यह सृष्टि मेरी ही तो है
#तेरे मेरे सपने(प्रतियोगिता हेतु)
# तेरे मेरे सपने (प्रतियोगिता)
मेरे घर की खिड़की से
तेरे मेरे सपने ❤
बरखा बरसी पर कलश खाली
सपने मनु शतरूपा के
पाप के कलश
गुमानी एहसास
प्रेम करना
झाँसी की रानी
सौगात तिरंगे की
बिना पूछे सबकुछ बता देते हैं
बिना पूछे सबकुछ बता देते हैं
#सृष्टि का क्रम
ज्ञानी हर एक है
तुम सुनो न सुनो
न जाने कहाँ ले जाती ये नइया
न जाने कहाँ ले जाती ये नइया
न जाने कहाँ ले जाती ये नइया
पितृ दिवस विशेष
गुजरा ज़माना
मैं खुद में तुमसे ज्यादा नहीं था कभी
धरतीपुत्र 💐💐
यूँ तकरार बनी मनुहार
बीते लम्हें
पिता पर वर्ण पिरामिड
मेरे पापा
बचपन की डायरी
"खुशनुमा लम्हे "
"पूनम की रात "
💐💐"लड़कियों के बचपन से पचपन तक का सफर💐💐 "
" हुनर" 💐💐
जिंदगी से कोई शिक़वा नहीं...
खो गये दिन मुहब्बत के
आशा की एक किरण ..
दवा देनेवाले ने दर्द और बढ़ा दिया
वो बंद आखिरी मकान
" बयार फागुन की "
" दीदी की क्लास"
दीवार
बदलते मौसम
मैं फिर आऊँगा
उसका होना
मेरे घर आई एक नन्ही परी
मेरा स्वाभिमान
अब शौक नहीं है।
मैं सामान नहीं
पंछी निराले रंगीले।
कुंडलिया छंद
कुंडलिया छंद
कुंडलिया छंद
क्यूंकि तू ग़म है...
छोटे-छोटे कायनात कई
कामदा छंद
कण्ठी छंद "सवेरा"
जाग-जाग री ।
क्या कहती अल्फाबेट
सहेजे बूंदों को
धुँधलाई सी, भरमाई सी....
परछाईयाँ अगर बोल सकती
" वो लड़की " 💐💐
हाँ, हँसो कुछ इस तरह
तीन राही
एक अंधाधुंध दौड़ में
अधूरा सा प्यार था।।
सड़क का दर्द
सिले होंठ
मुझे उड़ान भरने दो
मुझे उड़ान भरने दो
" क्षणिका "
कठपुतली
कारवां गुजर गया
आंसू
यथार्थ रूप भाग 7
✍️बेहिसाब है,यह खुशियां तेरे एक मुस्कुराहट में।।
" अलग-माएने " 💐💐
कलाम को सलाम
छपाक छप छप
बचपन की सखियाँ
मित्रता दिवस (Freindship Day)
" क्या अब भी वो खुशबू " 💐💐
सावन,,,हाइकु
धागे प्रेम के
मौसम है सुहाना
प्लवंगम छंद "सरिता"
बरवै छंद "शिव स्तुति"
विरह गीत
" चाय पर " 💐💐
" तुम-बिन " 💐💐
ये उदास-उदास सी आँखे
मेरे घर आना जिंदगी
✍️इंसान को भी जीना सिखा देता है।
"हरियाली तीज "💐💐
अखण्ड भारत का संकल्प
तुम खो मत देना ये आज़ादी
हरी हिना लाल रंग
हरी हिना लाल रंग
शत शत नमन
इस मोड़ से जाते हैं
" हम थे नादान " 💐💐,
मैं आज की व्यवस्था हूँ
मौन प्रार्थना
दरवाजे बन्द मिलते हैं
" राखी स्पेशल., सुनो भाई " 💐💐
✍️गम भी जिंदगी को कितना कुछ सिखा देता है।।
मैं तो तो अकेला ही चला था
एक अंधाधुंध दौड़ में
राधा की पायल बोल उठी
रास छंद "कृष्णावतार"
" चन्द्रमा " 💐💐
हिंदी से हम हिंदुस्तानी
वे साँसे हैं हमारी
हाँ, यही तो जीवन है
सचमुच फिसलन बहुत है
मैं कौन हूँ
चतुष्पदी मुक्तक ,,,,शिक्षक पर
हैवानियत की हार।
कौन जाने कब कहाँ ......
मैं आज हूँ
मैंने पूछा चाँद से
मेरे बाबू जी
नारी के जीवन में इतवार नहीं आता
तुम्हारा बदलना
हिंदी हूं मैं
लहज़ा
✍️किसी को किसी से भी प्यार हो जाता है।
यह जिंदगी है
बप्पा, तुम जल्दी चले गये
प्रेम की परिभाषा
" आहट प्यार भरी " 💐💐
बस इसी का नाम तो है जिंदगी
आज दिल बदला बदला सा
तुम मिले ऐसे...
बेटियों का महत्व
बेटियां
चंदा
जिंदगी ऐसी ही है
सामंजस्य, सह-अस्तित्व और समन्वय
गीली मिट्टी सी
नीलाम्बरी काया
रे मन,
न्यारे...
जूगनू बनू या कि जोगन
ओ कान्हा
कहाँ गये वो दिन कान्हा...
तुझको देखू तुझको पाऊ
गोकुल बुला
ओ री सखी
ओ हरी
राधे ...राह दे
मन मयूरा
दरस को प्यासी
बन के परिंदा
प्रीत की चूनर
कान्हा
क्या खोया क्या पाया?
तेरी बातो में
एक दिशा
आते होंगे रवि अभी...
हे माँ शारदे
संगीत साधना है
झरने प्रीत के
ये बातें
जिंदगी सी खास
मन की बेड़िया
बेबस माँ
तितली और भवरा
सूखे पत्ते
टूटी मचान
माटी हूँ मै,
बन फकीरा
रूह की आँच…
देख दरस
सखा संग संगिनी
स्वप्न लहरिया
दिल की किताब
बस तू ही तू
माँ शारदे वरदान दे |
देखो घड़ी क्या बोल रही...
" हे संतति तुम्हे प्रणाम " 💐💐
दो कदम तुम भी चलो
गीत प्रेम के गाऊँ
आशाओ के दीप जलाऊँ
"बापू तेरे बंदर तीन " 💐💐
मैंने आज बस इतना किया
संबल
ममता की छाँव
मेरा मनमीत
मुक्तक ..........
सत्य अहिंसा के पूजारी....
उर्मिला की विरह वेदना
"सपना " 💐💐
अरे ओ रे कान्हा
चकमक पत्थर
कारी बदरी
कुछ ऐसा हो जाए
जो तुम रूठ गए
मैं मेरी हाँ मेरी...
श्याम थाम कलाई
प्रेम मधुरसम मस्ती है
एक धनक
पिया अलबेली हूँ
होए स्वीकृति
ये हुनर दिखाने का
प्रीत में कुछ ना शेष
नई थिरक
मन था रीता
ले कान्हा मैं आय गयी रे
घनी है रात
तेरी यादो के अंजुमन में
ये शून्य ही सम्पूर्ण है
आफ़्ताब-ए-ज़ीस्त
तुम ही बतलाओ कान्हा...
अगन जलाये हैं...
रंग रही मैं नवरंग रे
फिर देख !!!
आसमान के पार
बिगुल
ये स्पर्श
कोई राह दिखला दो
मैं दीन तू दानी
रे मन
हर जुबां पे मैं रहूंगी......
माँ अंबे, माँ जगदंबे
मैं जीवन हूँ
हे सहचरी क्षमा करना
परिवर्तन कहीं आस-पास है
अपनी शक्ति पहचानो
सच्ची दोस्त
इस तरह मैं जीना सीख गया
ठोकर से ठाकुर
अब में ही सिमटा है
मेरे घर में माँ आयी है
नारी तू नारायणी
माँ जाने क्या कहती है
कहो श्याम कैसे आये?
एक और रामधुन
Saat gun
मुस्कुराइये कि आप आज......
मेरा अपना आप
मैं पानी हूँ
" ऋतु-प्रभाव " 💐💐
चाँद का टुकड़ा
*प्यार अपने आप से कर.....*
"हमसफर "💐💐
मैंने क्या बिगाड़ा था
जिंदगी कुछ इस तरह....
ज़रा सी रोशनी भी
हिंदीवासी हिंदी बोलो
खुशी के आँसू बहा के देखो
एक जरूरी बात
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-27
"धनतेरस की रात " 💐💐
बहुत कोशिश की मैंने
सार्थक करे ये दीपावली
अनोखा बरगद
मैं महालक्ष्मी धन की शक्ति
आओ ऐसे दीप जलाओ
सच्चाई आज तो
मेरी प्यारी मां
अपना अपना रावण
अवतारो पुनः राम
हम हो जाएं
ख्वाब या हक़ीक़त
आईना
एक हद तक
लौ का अंत
वक्त का मारा हुआ
चलों लम्हें चुराते हैं
शब्द जानते हैं
तुम्हारे प्यार की बारिश
जरुरी तो नहीं
जय छठी माता
मंजिलें मिल जाएगी
शब्द अर्थ
तुम और मैं जैसे
दिल पर ज़रा हाथ रख दो
गणेश देते संदेश
खुशनुमा शाम हैं
बचपन
कहीं खो जाना है
दोस्त
बचपन की बातें
तुम हमसे मिलें ऐसे
क्या करूँ, बीच में नेहरू आ गया
दिये तले अँधेरे
चल उस पर
वाओ क्लासेस
छल कपट धोखा
दुर्लभ प्रसादी
चाय
तमाम दिनों की तरह
जीवन संघर्ष है
जिंदगी की डायरी
गणेश के स्वरूप
पुराने दोस्त याद आएं
ज़िन्दगी दौड़ हैं
एक दौर था जब मां जिंदा थी
प्रिय क़लम
उससे मिलने की खुशी मत पूछो
थोड़ी दूर तो साथ चलों
विरुपाक्ष
मैंने तो नहीं कहा था
तुम हो ही नही
क्योंकि मैं खास हूं
✍️You were the only one, my father
लक्ष्य कैसा भी हो
मायका मेरा मायका हां हां मेरा मायका
जीना ही जिंदगी है
यात्री गण अपने सामान का खुद ध्यान रखें
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-29
वर्ण पीरामिड ठंड
शबनमी प्रकृति
शुभ कर्मों में देरी क्यूँ
ये अलाव, ये आँसू
मैं व्यवस्था हूँ
मेरा ओर तुम्हारा रिश्ता मां
मैं व्यवस्था हूँ
नज़दीक होकर भी
" वाकई " 🍁🍁
" अभी-अभी "🍁🍁
चलना सीखा
कौन यहाँ पर...
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-30
होता लज्जा का रहा
दूध पिलाना साँप को
हैं कोई बात
कोहरा
तुम्हारी साँस बन जाऊ
मेरे नयना बरस रहे हैं
सुचिता का संदेश हो
मैं तो तो अकेला ही चला था
आ, जिंदगी, पास आ
कठघरा
कुछ लिखे
अहसास
मैं एक सोयी चेतना हूँ
" ओ मित्रों " बनाम " ओमिक्रोन "
Again toward you
मैं लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ
भूली-बिसरी कोई याद
चुनावी पोस्टर
ऐ चांद ठहर जा
ऐसा था, मौसम...
समय के हस्ताक्षर
विगत साल
नहीं दे सके साथ
वक्त के इस काफिले में
वक्त के इस काफिले में
मेरे घर आना जिंदगी
कल फिर हो ना हो
विवाह के बाद
कैकयी तुम क्यूँ बदनाम हुई?
एक बच्चे को हँसा दिया
***ओजसपूर्ण हिन्दी ***
मिट्टी की तरह
" महकती कली "
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-31
खो गया है मेरा प्यार
अनमोल धागे
तुम और तुम्हारी बातें
तुम्हारे सीने में मेरा दिल
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-32
आखिर कब तक
ज़हरीला इन्सान
आसान नहीं हैं, किसी के साथ जीना
जाड़े की रात
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-33
कवि तुम नहीं
परिशुद्ध प्रेम
तुम्हें कैसे समझाऊं...
वीर सैनिक।
अभिलाषा
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
कान्हा
आज अचानक
डेमोक्रेटिक बग
बचपन
अपने सपनो के लिए
औरत हूँ, मैं नारी हूँ
भ्रम स्त्री का
होली के ये रंग
होली का त्योहार
बाल कविता होली में मची है धूम
फागुन आया
कविता की आहट
मैं ख़ुद को बेकार समझता हूँ,
जीवन का सच!
तुम्हारे बिन
चाय
अफसोस शहीदों का
मौन की भाषा
हर लमहे को इतिहास बनाओ
क्या क्या काम बताओगे तुम
जिदंगी, मुझको तुझसे प्यार है
चांद का खिलौना
अर्द्धनारीश्वर सा सच
सांप की हंसी कैसी होती
क्यों सत अंतस दृश्य नहीं?
मैं आज हूँ
आज मैंने एक रोते हुए बच्चे को हँसा दिया
वक्त के इस काफिले में
किस राह के हो अनुरागी
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग:35
पहला पहला कदम
मेरे ये पंख
लोग बदल जाते हैं
याद आती हो तुम .....
आस में हूं
तुम्हारी सादगी
मंजूर न था
अखबार ए खास
" पत्ता " 🍁🌺
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग:36
यात्री गण अपने सामान का खुद ध्यान रखें
शहर और देहात
पता ही नहीं
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग:37
सपना
थोड़ा और शहर
कविता का आकार
एकता कपूर का फोन आया
हे माँं करुणामयी शारदा
गीत... हो रहे हैं लोग
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग:38
सलीक़े से हवाओं में जो ख़ुशबू घोल सकते हैं
बचपन की बातें
गीत.. मुरझाने से क्यों घबराना
क्या रखा है वक्त गवाने [प्रथम भाग]
गीत.. हाथ में खंजर लिए
समय...
वर्तमान से वक्त बचा लो तुम निज के निर्माण में द्वितीय भाग
टूटी पलक
बालक का हठ
वर्तमान से वक्त बचा लो पंचम भाग
मैं क्या लिख रहा हूं
यादों का जख्म़
जुदा तन्हा रात
ममता का आंचल
जिद मेरी इतनी सी
तेरा असर
सत्ता एक नशा
बहार की वो यादें
आत्म ज्ञान
यादों का कहर
खोने का दर्द
आखिरी मुलाकात
खोमोशी कुछ कहती है
सपनों की राह
मेरी उल्फ़त, मेरी चाहत
ये बात आख़िरी है।
मोड़
ए अजनबी
मैं ज़िन्दा हूं, बेजान हूं।
जाग-जाग री सुप्त भाग्य की रेखा।
क्षुधा प्यास
करवा चौथ
ये पूजा ये गायन क्या है?
पल पल तुम्हें पुकारा
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-39
यहां उनका भी दिल जोड़ दो
उठो युवा तुम उठो ऐसे
दुयोधन कब मिट पाया :भाग:40
आओ और सराहा जाये
हालात बदल देंगे
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-41
दोपहर की धूप
अकड़
रेत और ज़िंदगी
हवा
खबर हादसे की
प्रश्नचिह्न
किवाड़ खा गई
वो छुईमुई
चाँद
फिर से सतयुग भू पर लाओ
धरती और आसमां की तरह
महक
ठंडी क्या आफत है भाई
लोगों के चेहरे
प्रियतम
फूलों की विदाई
पीर किसान की
मेरे बचपन की होली
मेरी प्यारी भाभी मां
मैं पुल होना चाहता हूँ
प्रकृति का तांडव
मेरा हौसला
नन्हीं सी परी
"मैं अभी और पढ़ना चाहती हूं"
ये अहसास
चाहता हूं
इन्तजार
धारणा
माँ का आंचल
भारत रत्न
जुबां खामोश कहती है !
हम तन्हा हो जाते हैं -कविता
Ghazal
कुदरत कुछ कहती है
कुदरत कुछ कहती है
प्रतीक्षा
गुनगुनाती धूप
ठाकुर का दुर्भाग्य
हमारा बचपन 🥰🥰
गुनगुनी धूप
मेरे अल्फ़ाज
बैशाख की संध्या
गुनगुनाती धूप
मैं
चांद
ईद मुबारक
"बेटी का विसर्जन"
मेरा अल्प परिचय
वो दिन याद करो
कविता -नजर
Khud ki talash
Apnapaan
सच्चा प्यार
ऐसी रित जगत में
ऐसी रित जगत में
फूड इंस्पेक्टर की दावत (व्यंग्य )
हिंदी गीत
अंग-प्रदर्शन
अंग-प्रदर्शन
मेरी संघर्षमय जीवनी
दास्तां ए दिल
मुंह जितनी बात
आम आदमी बेजार-कृष्णाजाधव
फकीरा
मेरी माँ
मन्नत
हम नारी
मुहब्बत बेजुबा होती
आपकी इक आँख को तलवार होना चाहिए
मेरे ही घर में पूछ के लाया गया मुझे
किसी को ये ज़मी दे दो किसी को आसमाँ दे दो
कोई लैला बुलाता है
मत छेड़ मुझे
What does a rose say?
मां
Encouraging poem
जीवन का सत्य
जीवन क्या सत्य
श्रीमती जी
यदि उसे नजरों से गिराया नहीं होता
वक्त
तुम क्या जानो तुम मेरे लिए क्या हो।
Blooming
आजकल मेरे महबूब सर पर पूरा आलम उठाए हुए हैं
बड़ी बहन का प्यार
Samaaj
हर किसी के हाथ में अब आंच है।
धर्म के प्रति उदासीनता
मेरे शहर की बस
अब भी समय है "इंदर" सुधर क्यूँ नहीं जाते
श्रीमती जी
कुछ लोग यूँ ही परेशान हैं
Journey to In law's house
हम बस देखते रहे
मरते किसान नहीं, मर रही हमारी आत्मा है।
स्थायित्व (Stability)
पुस्तक समीक्षा
वक्त
दूर दृष्टि
जब मैं सोचू
क्या कर रही हूं मैं?
क्या अच्छा है?
क्या अच्छा है?
“दायरे–इश्क़ में हुस्न”
नाख़ुदा का कसूर देखा!
सब जायज़ दिखाई देता है
ग़रीब के घर सपने नहीं होते
शीशा सच ही बोलेगा
सुकून मग़र बशर भरपूर है
मैं हो गया फ़कीर बशर
कामयाबी हमारी राहे-हयात का इक ख़ूबसूरत मरहला है
साथ तिरे सारा ज़माना है
रचेंगे बिल्कुल अलग हिंदुस्तान
वक़्त से बशर बना कर चल
प्यास दरिया की बुझती है समंदर में आकर
शामो-सहर रोजो-शब आज और कल बदलते हैं
क़रीबी का एहसास बनाए रख
कुछ भी नहीं है बशर बात नई जिंदगी में
घर की बात बशर रखा कर घर मेंअपने
खून नस्ल-ए-आदम का बहा है
मत पूछ मुझ से हबीब मेरे
New relation
धूप कभी ठंड सूखा कभी बारिश
नैया आज आदमी की
हे आशुतोष !
तू है अनमोल रतन
तू है अनमोल रतन
आईना मग़र सच बताएगा
चाल बशर उक़ज़ा की मतवाली है
माना कि मश्ग़ूल हो तुम
यादों का आभास हुआ मुझ में
किसी काम के न रहे
भरोसा हौसले पे रखो
तू ही सही है
दिल्ली दूर है
मतलब की बातें करते हैं
शेर-ओ-सुख़न से दूर रहते हैं
किसीको पता कहाँ है
ख़ुद को मना लेना बेहतर है
साहिल से अनजान रहा
किसीको जीना आ जाता है बशर
तेरी यहाँ पर याद किसे रहती है
जुदा सबकी फ़नकारी है
ना दुआ काम आएगी ना दवा काम आएगी
हद-ए-बर्दाश्त का बांध टूट कर सैलाब बन सकता है
हद-ए-बर्दाश्त का बांध टूट कर सैलाब बन सकता है
सावन के महीने में कोई बड़ी शिद्दत से याद आता है
कम बोला कर
हयाते-मुस्त'आर बशर कमाल की हो
वक़्त मिलता ही कहाँ है बशर जिंदगी को संवरने के लिए
अंधे रेवड़ी बांटने में लगे
तन्हा होकर रह गई जिंदगी
ख़त्म करो बशर येह तलाश अपनी गैरों की हयात में
बारिशों की झड़ी लगी है
रहगुज़र से दूर ही रहा घर-बार मिरा
कच्चे घरों को कौन बचाने वाला है
तुम्हारे साथ गुजारा हुआ वक्त
पल-पल तिल-तिल मरता है आदमी
दश्त हरा पानी छू-कर होता है
कृपा करें श्रीराम
और बशर इस जहां में क्या रखा है
दश्त -ओ -शजर के साए क्या काम आए
संतुलित रहें सदा जज्बात
सपनो के वास्ते
सब्र कर
न्याय के लिए,,,
जीकर तो देख आज अपना
ऊंची हो जाती है दीवार कभी कभी
सुकूँ से बशर हम सैर करें
तू ख़ुद यहाँ पर बशर जबतक किसीके काम का नहीं
जाती उसकी मग़र यादें नहीं
येह तेरा अहसास मेरे साथ मौजूद क्यूं रहता है
ख़ुदा का अपना कोई मज़हब नहीं है
प्रेत की बोली
सुबह का खास महत्व
अनेक सैय्याद एक परिंदा
कुर्सी
दिल-ए-नाशाद तक़दीर बनाना चाहता है
सुलझाए अव्वल हालात घर के
बशर मग़र कभी रोया नहीं
शाम ए हयात होने को आई
बशर सब -कुछ जान लेता है
मोहता है सबका मन
मुफलिसी ने बेनक़ाब कर रखा है
सुकून वोह बशर मिल गया इक फ़क़ीरी से
सियासत में
दोज़ख भी तिरा क़ुबूल अता फ़रमाकर देख
मानाके मौसम तेरे शहर का दिलकश और सुहाना है
तिश्नालबी बुझती नहीं
बशर ज़ेरे-ए-असर आकर दामने-कोह के सहन में बस गया
**रात बाकी है**
दर्द किसानों के वो क्या जाने
सुब्ह का इतजार करके देख
सियासत से ही सियासत की काबू में रखना माया मुमकिन है
बशर तुझको जीना अभी आया ही नहीं
ख़ामोश रहकर बशर वो अश्आर हज़ार कह देते हैं
सूर्यदेव
मकाँ के भीतर हरसू घुप्प काला अंधेरा था
शिद्दत और बढ जाती है उनके याद आने की
इन्सानियत के लिए फ़रियाद करें
ऐ जिंदगी ख़्वाब तिरे तमाम सदा मुकम्मल नहीं होते हैं
सुकूँ महफ़ूज़ घर-भर का
निकालने को जाए कहाँ ख़ुद का ग़ुबार आदमी
जिंदगी का सबूत
बंदे तेरा अंदर कहाँ है
जिंदगी मिली है जीने के लिए
हिज्र-ओ-फ़ुर्क़त में हबीब के कभी बसर करने का इरादा भी नहीं है
किस्तों में अदा होती है
ख़त में उसके आज भी वही ख़ुश्बू आती है
ज़रूरी नहीं के हर मुफ़लिस बिकने वाला हो
कौम गूंगी, बहरी, अंधी हो जाती है
इक उम्र गुजरी है बशर यहाँ तक आने में
महब्बत महब्बत होती है
खुशबुएं नदारद बशर
दीपक जगता बुझता रहता है
यायावर फकीरों के मुकद्दर में कभी कहीं घर नहीं आता
अपने आज की हिफ़ाज़त कर
जिसदिन इन्सान सुधर जाएगा
किसका बशर इंतज़ार करें
तसव्वुर में हबीब हमारा देखा
शख़्स जो बे-हद खास होते हैं
खुद्दारी
जीने के लिए सारा जग भागे
खाली हाथ जाना है
इशारों में बता
सुबह से शाम
क्यूं करे कोई नफ़रत उनसे
आजमाइश
इमदाद ए किरदार लोगोंको याद जुबानी होगी
इमदाद ए किरदार लोगोंको याद जुबानी होगी
अज़ीज़ मुझे समझ न सके अजनबी मग़र समझ गए
जिस की सोच जैसी है
गुजारिश की बरसात की आसमान देखकर
थोड़ी-सी हसरत होती है
हमारा ही हाथ है
किसी सयाने को ना इश्क़ करना आया
जो कभी नहीं रोते बशर उन्हे क्या ग़म नहीं होते
काश लूटने कोई हमारे रंजो -मलाल आ जाता
अमन का रास्ता बातचीत के द्वार से होकर गुजरता है
है गुफ़्तगू भी लाज़िम राब्तों के वास्ते!
घर में ख़ान-ए-ख़ानाँ हो गए
परियों की शहजादी
आगाज़े-सफ़र कर रहा है तू
हिफ़ाज़त वालदैन की
ग़ुरूर ओ नख़रे नाज़ उनका
कुछ तो बेहतर है
सु पंथ पर चले जो
छुपाकर अपने ग़म रखिए
ख़त्म रक़ाबत हो
भक्ति की राह
अच्छा-खासा वक़्त हमारा बशर जहाँ से गुज़र गया
ईश्वर की कृपा
मुकाम भी अपना बिना बताए हुए चला गया
तुमअपने सपने बशर जिस ज़बान में देखो
हयात-ए-मुस्त'आर खुदमें इक छोटासा सफ़र है
अदू समझा जिसे मेरी हबीब निकली
योग का एक विधान
सालती है बशर हमको येह ख़ामोशी औलाद की
कौन सका है बखान
किस क़दर है बशर जरा देखिए दिलका विश्वास उनका
हरि दर्शन।
कुछ कम अपने अहबाब रख
साथ जिस शख़्स के हमेशा तुमने शराफ़त की होती है बशर
धन्य होता हर व्यक्ति
ऑंसू
दिल का बुरा नहीं बशर आदमी वक़्त का मारा है
Darvesh
अनल, जल धूल, सलिल जज़्ब है सब तुझमें
कीमतों ने छुआ आसमान
औलाद की ख़ातिर सबकुछ कर जाता है आदमी
दुआएं उम्र ए दराज़ होने की न मांग
अबतो जीना शुरू कर बशर
फासले राब्तोंकी असलियत बता देते हैं
तादाद-ए-अहबाब तेरे भले ही कम हों
औरत,स्त्री... !
प्रभु के प्रति रहें कृतज्ञ
आदमी परेशान-सा रहता है
तैयार हैं छोड़नेको घरबार हमतो
उत्साह का नव प्रवाह
उसी की रहगुज़र हो गए
Aina
राब्तों का रास्ता नहीं मिलता
किस तवील-ओ-कद का है इन्सान
अहबाब का अहसान हो जाता
विसाले-हबीब की बशर सदा हमको रहती आस है
इंद्रदेव की बेरुखी
क्यूं उतावले होते हो
मसरूफ़ ओ मश्ग़ूल तो रहने दो
ज़ख़्मों का ईलाज तेरे तबीब के पास नहीं
काश जन चेतना भरे कुलांचें
कुछ शब्द
बीते हुए दिन बशर अब अक्सर बेहतर लगने लगते हैं
नब्ज़ क्या खाक देखेगा तबीब मेरा
वो हमसे पूछे कितना है क़रीब मेरा
दिलों के रस्ते नहीं मिलते
सिर्फ अपना उत्थान
यौमे-आजादी से बड़ादिन हो नहीं सकता
... सच्चे मीत
माँ
माँ
गुड़िया है मोमकी या बनी फौलाद की
हवाले किसी के ना अपनी औक़ात कर
सुधार आगे के लिए परिवेश
हम कितने चैतन्य
कोई येह तो बताए के हिंदुस्तान और भी है
बेनाम शहीदों को क्याक्या हुए थे हासिल ईनाम याद हैं
सुकून-ए-ज़ीस्त मयस्सर ही नहीं कहीं आदमजात में
बेरोज़गारी का प्रच्छन्न दैत्य
फुलवारी
सबा से गुज़र जाओ
सितम हमने बशर क्या क्या न क़ल्ब बेचारे पे किए
किसी को चाहने से पहले ख़ुदको आजमा लेना
जी भरकर ख़्वाब देखो आपही की रात है
लेखक की कलम
असल जिंदगी बशर हर तर्ज़ ओ तक़रीर से परे होती है
कामिल कोई शय नहीं है इधर बशर जमाने की
हर इंसान लगाता दांव
जख़्म-ए-जिगर को बशर मेरे हरा अभी कुछ रोज रहने दे
अश्आर तेरा काम लिखना है
हारने को कुछ बचा ही नहीं
धरातल की दशा से मुंह मोड़
गैरों से दोस्ताना अहबाब से रक़ाबत रखते हैं
तालीम-ए-हयात कभी मुक़म्मल नहीं होती
मुझको मिरा अंदर नहीं दिखाई देता
मुझको मिरा अंदर नहीं दिखाई देता
हयात में मग़र बशर हयात से मात खाता है आदमी
किरदार इन्सान का ज़ीस्त में असली सरमाया होता है
जान है तो जहान है
बेसबब बोलने का नुकसान मग़र बशर ज़रूर हो जाएगा
बेसबब बोलने का नुकसान मग़र बशर ज़रूर हो जाएगा
नेकदिल इन्सान भी बशर यहाँ गुनहगार हो जाते हैं
उम्रे-ए-तमाम शबे-तन्हाई है
लोगों के जज़्बात बदलते हैं
मैं सब कुछ था तेरा, मेहंदी महावर हो नहीं पाया
आज वतन की शान में करते थकते नहीं गुणगान
मुकम्मल कभी सपने नहीं होते
गैरों की खूबियां ढूंढ लेता है
सही दिशा में
कमाल तो है मग़र बुलंदियों पर टिके रहने
जन पक्ष में लेखनी चले
टूट गया अभिमान चांद का
तहखानों में छुपा रखा है
नसीब से मग़र कमही मिला है
क़ुसूर नहीं बेचारी जिंदगी का
झरोखे यादों के
अहबाब ही रखने लगे अदावत
विध्वंस का शैतान
बीर की निशानी
रक्षाबंधन गीत
मुकम्मल कर सफ़र बशर हम आते हैं
अहबाब फ़िक्र-ए-मुसबत वाले क़िस्मत से मिला करते है
हिम्मत रख
चंद्रयान
नीर क्षीर विभेद का विवेक
मजा तो दर्दे-जिगर छिपाने में होता है
साहिल पे उफ़ान आता है
चलो चांद पे बसते हैं
चांद पर बसने की बात करते हैं
सरगिरानी में भी मसर्रतों का हमारी न कमाल पूछिए
राहें सुकू
याद नहीं वो पल मुझे...
कोरा कागज
कोरा कागज
राखी के धागों में है पिन्हा बहन-भाई का प्यार सलामत
इन चरागों को तो बशर बुझ ही जाना था
चंद्रयान थ्री
ख़ाकसारी में भी बशर उन की बड़ी शान होती है
निगाहें आज तक टिकी हैं बशर उसी तरफ़ मुंतज़िर तुम्हारी
भूल सकता नहीं अपने मां -बाप को
तुम
आकर देख कभी क़रीब मेरे
करने लगे मन-पूरे लोग
जरूरियात भी कम है
मुस्कुराते रहो बशर
हयात जीना अलग बात है
अपनी पहचान को भूल गए
प्रेम पर बलिहारी
रिश्ते याद तो आ जाते हैं
नैतिक मूल्यों को बचाए अब कौन
ये हसरतें मुंतज़िर हैं किस बात की
कोई नहीं है क़रीब मिरे
ख़ामोशी से बेहतर लफ़्ज अगर बशर हों तो बोलिए
तहरीर-ए-मुक़द्दर लिख दी है बशर खुदा ने हमारी पानी पर
मुलाक़ात हबीब से ख़्वाब में कम न थी
हमें न बताकर आए
उम्रें गुज़र जाती हैं बात दिल की कानों तक आने में
चार दिनों का है तू तो बशर मेहमान यहाँ
समझें पर्व का मर्म
थोड़ी-सी जरुरतों वाले घर की रहगुज़र पर
सुकून थोड़ातो अपने लिएभी बचाकर रख बशर
ज़ीस्त से जिंदगी-भर से यूं खेलता रहा है बशर
किसी की दश्त-ब-दश्त रहगुज़र है
ओ साथी रे
जनता हर पल बेचैन
जीवन वह है बशर जो हम ने जिया है
अना के मरीज़ की बशर दवा क्या है
शाम की एक रात
वस्ल तेरी मज़बूरी उसी से
कितने खुदाओं पे यक़ीन करें
लोग खुदा बदल लेते हैं
चले आए हम सवाली की तरह
दुआ में हाथ हमारे उठ गए
मेरे वतन में खुदा बहोत हैं
आकलन करने को चाहिए सही तंत्र
आता नहीं है बशर कभी फ़न कोई उस्ताद के बग़ैर
फ़न कोई उस्ताद के बग़ैर आता नहीं
सब शिक्षकों को प्रणाम
बस कट, पेस्ट का खेल
मेरी किसीसे कोई जफ़ा नहीं
सवेरा हुआ सवेरा हुआ
सुलझी हुई मिली थी बशर हयात आदमी को
बे-शुमार मसर्रतें होती हैं मयस्सर जरा-सा मुस्कुराने से
पीछे रहबर के क्यूं चलें बशर जब हम अपनी ही डगर चलें
जीने के अहसासात गुजारे हमने गाँवमें अपने
मन की आवाज
धूप में जले हम छांव के होते हुए
सन्मति औ विवेक का कोष
मुकम्मल सब काम होते हैं
खेलते रहेंगे रक़ीब बशर हमारे जज़्बात से
जिन्दगी से हमने हमारा बाक़ी सफ़र पूछा
हंसने के लिए बशर रोनेको तैयार हो जाता है
जीने केलिए बंदा मरने को तैयार हो जाता है
कौन याद दिलाएगा शक्ति
सांझ ढलने दीजिए
मंज़िल से लौटे हुए मुसाफ़िर कहाँ जाएं
छल
आरजू दिल की बशर कह कर बयाँ की नहीं जती
बीते हुए वोह जमाने ढूंढ़ कर कहाँ से लाऊँ
मैं हिन्दी हूं
यौम-ए-हिंदी मुबारक
बोली भाषा मज़हब की दुहाई देनेके आदी लोग
कहां ढूंढू मैं अपनी खुशी
छोड़ गया है मुझे
चलो मोहब्बत का एक घराना बना लें
जबर्दस्ती नज़र आती है
फ़िराक़े-हबीब
कोई और काम आ गया है
*रिश्ते जिंदा हों*
*साथ बशर अपने ला नहीं सकता*
*बेमानी है बे-मतलब बोलना*
*अपना मेयार बुलंद रख*
जमाने गुज़र जाते हैं बशर खुशियों के आने में
हयात क़ज़ा की मोहताज बनकर रह गई है
*बशर अपने रास्ते बदलता रहा*
*लोग तो सारे हमारे रहेंगे*
अंधेरा रहने दो
"ऊंची आस"
कभी जो
*सहर सुहानी हो जाए*
कायम रखें उत्साह
अच्छे -भले लोग बशर बीमार हो जाते हैं
*और फिर खुदा खुदा*
*आँखों से नमी नहीं जाती*
*है दस्त-याब हर-शय*
*काबिले-बिल-क़स्द बने*
सहेजे रखें संकल्प का प्रकाश
*विस्मित विषधर सकल भुजंग*
छोटा बड़ा गिलास देखते हैं
*बड़ा सरल है किसीसे खुश रहना*
*रौनक-ओ-मसर्रत से यौमे-ए-खास की हर पहर गुजरी*
खुद अपना तमाशा मत कर
*हमें बशर हरसू इन्सान में इन्सान नज़र आता है*
मेरी प्यारी माँ
*दूल्हा नहीं दिखता*
जन मन में हो उत्कट चाह
कुछ विचार
*आदमी नामकी शय*
*कठिन है बिन कुछ कहे कुछ कहना भी*
*तेरे बोलने का असर क्या होगा*
बुलन्दियों को छू लेना बड़ी बात नहीं है
कर्मों के बल पर बदल गए
याद का नहीं है असर तो और क्या है
*मुश्क़िल डगर है तो क्या*
*आख़िर तेरे शहर में आना हुआ*
हौसले से जग जीतता रहा
गंगा-माँ
*फ़कीरी मिली*
शकुनियों ने फैलाया अफवाहों का धुंध
सबको अपना बना लेते
भिखारी की मानिंद
*अपने तो बस नाम के होते हैं*
प्रेम लाइन
*मुझ को मिरा जलाल-ए-जमीर काफी है*
जिंदगी की खोज
मानवीय संवेदना बनी रहे
*जीने के हुनर भूल गए *
*खिलता है चमन बरसात के बाद*
*ऐतबार जहां किया वहीं पे फ़रेब मिला*
बरसात और ठंडी हवा
*इन्सान का बस आना जाना रहता है*
दूसरों को देते हैं ज्ञान
*पीठ पर वार नहीं करते*
मीरा
अबोध की अभिलाषा
किरदार जिंदा रहता है
*दश्त का भी दस्तूर होता है*
*नज़रिया बड़ा हो जाता है*
*बाकी सफ़र*
*ज़हर पिए जा रहे हैं*
*खिलौना टूट जाएगा*
*रहगुज़र मुकद्दर में ''बशर'' तेरे लिखा है*
*है तसव्वुर के भी पार बशर*
*सफ़र नहीं है आसान मोहब्बत का*
करते नहीं हैं याद हमको हबीब हमारे
"ताड़का-वध प्रसंग"
*हम से ही "बशर" हमारी बात हो गई*
*वक़्त से बड़ा नहीं उस्ताद कोई*
वो अब हमसे नाराज़ नहीं है
अपने -अपने रस्ते हो लिए
*याद आते हैं*
*सफ़र बाक़ी है*
फ़न छुपकर नहीं रहता
*समझाने लगे हैं लोग *
*हक़ सबको है*
*हयात ने मारा बशर*
*किताबी जिंदगी से बाहर चला जाए*
क्या बताए बशर किसीको
*रस्मे-अदावत निभाई ज़ालिम ने*
*पानी पर तहरीर*
संवेदना
संवेदना
*ए'तिबार खुदपर ही रहा नहीं*
लीजिए प्रेम का अवलंब
*गूंगी बिन आवाज़ ग़ज़ल*
हयात मेरी बता मुझको
कोई अपने मां-बाप से बड़ा नहीं हो सकता
बस एक आप
बस एक आप।
"ईमान आदमी का"
मन में क्यों भरा रहे घमंड
*लोग किरदार समझ लेते हैं*
नामुराद इक दूसरे पे इल्ज़ाम लगाते रह गए
*पहचाने जाने में जमाने लगे हैं*
*पता ही नहीं नाम बशर का*
खुद को छलते क्यूं हो
वहशीपन का शिकार होती मानवता
*दरीचों से देखते रह जाएंगे*
*याद आना क्या काफी नहीं*
घिर आए यादों के बदरा
खोए सितारे
कुछ विचार
*क्यूं कोसते हो अपने आज को*
अपने ही घर में थे
*खुद का चश्मा लगाकर देखा*
*जग से नहीं हौड़ बशर*
*कुछ गीला पड़ गया है*
करते रहिए भूमिकाओं का निर्वाह
कमी आशियाँ की रही
मां का दर रहे सब चूम
नफ़रत गवारा नहीं
जिंदगी ही सिखाती है सबक जिंदगी के
अरबपतियों की सूची बेलगाम
सहर-ए-वस्ल जाती क्यूँ है
*उसका ख़्याल सबका ख़्याल रखता है*
*अनसुनी करी नफ़्ज-ए-क़ल्ब हमने*
*फ़साना याद रह गया*
*हयात अधूरी रही*
जिंदगी बेहाल होती जा रही है
*आब -ए-हफ़त-दरिया की प्यास*
*मुस्कुराने में क्या जाता है*
इंसाफ की दास्तां
💐शारदीय नवरात्रि💐
प्रेम या दर्द
"संवेदना" [महाकाव्य] से
राजनीतिकों में चिंता नहीं शेष
राम कथा मानस सरल
मानस सरल
कविता
राम कथा मानस सरल
राम रावण युद्ध
*मेहनत और मशक़्क़त की चलती है*
"रावण-अंगद संवाद"
गुरु वंदना
*हुई उम्रेतमाम शाद होते होते*
*वज़न इल्म का उठा सकते हैं नहीं*
क़ुदरत ने करिश्माई ताक़त बख़्शी है
प्रभु राम नाम का अवलंब
*अदब से पेश आएं*
खुला है ख्वाजा का दरवाज़ा
गीता विशेष
*जिंदगी तजुर्बात सिखाती है*
काम चलता रहता निर्द्वंद्व
*वालदैन का इम्तिहान*
अपनी भी ग़ैरत है अना है
आदमी ने ज़हर घोला है
अहबाब भी हैं
कोरोना महराज
नाम उनका
अम्मा
जरुर अन्त होना है संसार का
उम्मीद
राम जैसा मनोभाव
आस उस की मन में विश्वास जगाती है
मतलब कोई और निकालता है
सबका अपना ज़माना होता है
माँ तुम्हारे रूप से
*संजीदा दिखाई दो*
*ख़त्म आदमी की पहचान हो गई *
शेष बताना न रहा
सांप सूंघ जाया करते हैं
दूध की तासीर
परिवार
*जीने की आरज़ू रखे है बशर*
रात लम्बी हो रही
*भरोसा करो*
बृज भाषा में सवैया
*उस्ताद से बड़ा चेला हो गया है*
*मिटादो मन-मुटाव जमाने से*
बात नहीं होती
बेटी की बिदाई के वक़्त पिता द्वारा बेटी को दिया गया वक्तव्य
जनता के हिस्से सिर्फ हलाहल
*जीने का तरीक़ा बड़ा आसान है*
*पवित्र पावन चरित्र*
सब्र
इससे उजले प्रतीक नहीं
*शेर का शिकार*
पनघट पे
*फहरिस्त*
*दुनिया अपनी मिल्कियत नहीं है*
*जिंदगी का पता नहीं*
कहाँ सुनता है
यह कैसी दोस्ती की है
औरों को क्या पता होगा
बृह्मार्पण
दृढ़ आत्मबल की दरकार
नारी गरिमा
*तोलने की ज़रूरत क्या है*
नारी गरिमा
सपनो का जहान
क्या तेरा, क्या मेरा !!
विष बो रहे समाज में सरेआम
"प्रेम गाथा"
आपका माथा जाएगा घूम
करवाचौथ का चांद
चंदा मामा
प्रेम सरिता
*मेयार ए बुलंद के मिज़ाज क्या हैं*
प्रेमार्पण
कवि का परिचय
*फ़िक्र-ए-अना-ए-वालिद*
आदमी को आदमी हि रहनेदो
*पीने आ जाया करो*
विरह गीत
स्वीकार नहीं
*ख़बर ताजा आज की*
*एक नदी दो तीर*
*रहबर की क्या सुनेंगे*
*न बताना पड़े न जताना पड़े*
*कण कण में भगवान*
*कलम दवात के सहारे हैं*
*सलाम अच्छा है*
*तलब ना कर*
*शराब ने डुबोया है* म
*ये सिक्के इन बाजारों में नहीं चलते*
*हम तो अपने इरादे जानें*
*खो जाता है आदमी*
*येह कौनसी शहर हुई*
घुली अजब सी भांग
किराए का दफ्तर
*तरलता*
*जीने के लिए मरता हूँ मैं*
*दस्त-ए-शफ़क़त*
आखरी मुलाकात
याद करे
*याद उस को भी हमारी आती होगी*
*इसका हमें न पता था*
*ज़बान है उर्दू*
कुछ ऐसा लिखो बशर
कृष्णानुराग
जीने की हसरत है
तबीब करने लगे शिफ़ा वबा से
मुकद्दस आयतें हो गईं यादें हबीब की
माटी का तेरा खिलौना
"बशर" किरदार तेरा कितना महान है
छटपटाता रहता है आम इंसान
'बशर' को चालबाजियां कहां आती हैं
आदमी को आदमी नहीं क्या मज़ाक कहें
रूह तक उतर जाने दो
*जमाने का होता है हाथ फ़ितरत-ए-इन्सा बनाने में*
चलो अदला-बदली करते हैं किरदारों की
हरसू बेइंतहा रौशनाई है
सुशब्द बनाते मित्र बहुत
*अहसासात*
वुजूहात हमारे अंदर जज़्ब होती हैं
*धनदौलत जिंदगीमें सच्चे अहबाब होते हैं*
*रक़ीब क्या करेगा*
*मुफ्त की शय*
उजालों के भी अदब हुआ करते हैं
रौशनाई के भी अपने उसूल ओ अदब हुआ करते हैं
वोट की खातिर पखारें कदम
बुरा वक्त
जीवन से तम को दूर करो
बड़ा फक्र था
अहबाब
हमसफ़र
घुंघरू
आह निकली
मुफ़लिस
सच समझने में चूका तंत्र सारा
सबक बन गए
अहसास
आरज़ू
*शायरों का यही हाल होता है*
*शजर की छाया में*
*हम बच्चे थे*
बचपन का घर
Nekiya 😍
बच्चे डरने लगे हैं
गौ माता
मासूम चेहरा ☺️
वफ़ा कहां
*सब दूरियां मिटा बैठे*
मुश्क़िल हालात में
"श्रीराधा-अमृत चौपाई भाग-1"
बची हुई यादाश्त है
किरदार
खुद्दार युवक
अधिकांश होते हैं गुमराह
*सीने में धड़कता क्या है*
शर्माते हैं
वो कुछ और पढते हैं
रोने लगे मुस्कुराने वाला
*यहाँ पर नहीं हूँ मैं*
*जमीर नहीं मिलते*
*किरदार*
मसर्रत
समय
"आधुनिक पथभ्रष्ट समाज"
कविता
*दिल अपनी कहता है*
सलीक़ा
*लिहाज*
*जज़्बात*
औक़ात
"श्रीराधा-अमृत चौपाई भाग-2"
रात हो 🌌
हुनर ख़ामुशी का सीख बशर
ज़ाहिर अपनी तजवीज़ हम क्यूं करें
*मक्कारी नहीं चलगी*
दिल बदल गए
आंखें सजल हो गई
*कदमों में जमाना होता है*
फ़रेब
*तू जमाने बग़ैर मुतमईन नहीं है*
*लम्हों की मुलाक़ातें हैं*
"श्रीराधा-अमृत चौपाई भाग-3"
*दिल को पहलू में संभाल कर रखा करो*
मुसाफ़िर बनना चाहूंगा
पर्दा 🥹
"दर्द की जीती-जागती मिसाल"
*मुसाफ़िर बनकर रहना है*
*भीतर भरा समंदर है*
कैसे कहें के वो हमारा हमसफ़र हमदम नहीं
अपना ही दिल लगने लगा है सितमगर
अपना ही दिल लगने लगा है सितमगर
*माटी में माटी होने दफ़्न आ गई*
दुश्वारियां सिमट जाती हैं हयात से
सीतमगार 🥺
*जिंदा अपने उसूल हैं*
*बात नहीं होती*
*मुस्कुराए हुए ज़माना हुआ*
*रंग- ए- मौसम -ए -हयात*
*रंग-ए-मौसम-ए-हयात*
*रंग-ए-मौसम-ए-हयात*
*अहसासे-फुर्क़त हुआ हदे- हयात से निकलकर*
इश्क़ में 💔
उसीकी नज़र-ए-नायत दिखाई नज़र आती है
*खुद को लुटा बैठा*
खुशियों से ज्यादा ग़म निकले
*ज़रूरी राब्ते निभाना हुआ*
आदमी मैं मरा हुआ हूँ
*गिरने का जिनको खौफ़ नहीं होता*
*उन्हींसे दूर रहना उन्हींको चाहना*
मोहब्बत में वफ़ा ना हो
*मुकम्मल कहानी*
*तहज़ीब-ओ-तमद्दुन का इन्सान हो*
*मुड़कर भी नहीं देख*
इजाज़त 🥺
सफ़र से गुजरता हर कोई है
मंजिल-ए-मक़्सूद
सब्जबाग
सुकून- ए-क़ल्ब
बुलंदी पर बने रहना और बात है
"शादी"
कन्या भूर्ण hatya
खामोशी और तन्हाई 🥹
महताब देख
हिज्र-ए-यार
खुदा तुम भी नहीं
ज़िंदगी बंदगी ☺️
*हालात वक़्त वक़्त के अपनी जगह*
ख़ूबसूरत झूठ है हयात तेरी
राम कथा मानस सरल
राजनीती
राजनीती
हुई नींदें हराम रातों की
दीदार हबीब का काम आया
वादे कसमें 🥹
*ख़्वाहिशें कहाँ ख़त्म होती हैं*
सितम 🥹
*रक़ीब काम आया*
मेहमानों की तरह रहे
इंसान
रस्ते को घर बना लिया
अपनों का हर मुमकिन ए'तिमाद करें एहतराम करें
तन्हाई
तन्हाई
चाहत
तनहाई
ज़मीन से उठकर मिट्टी कहाँतक जाएगी
क्या हुआ हासिल अमीर होकर
अगर जिंदगी किताब होती
सरपर ले लिया पत्थर उछालके
किसी और का नसीब क्या जानें
The Journey Of Life
*कलमदवात बदल जाते हैं*
हालाते-हयात को बशर नसीब समझ बैठे
हालाते-हयात को बशर नसीब समझ बैठे
मरनाभी था गवारा गर एकबार होता
बरबाद और आबाद ❤️
ज़िंदगी की उलझन
मोती लड़ियों में पिरोने लगती है
आंखें कराती हैं पहचान
*पहलेसा हिंदुस्तां हो जाए*
मौसम-ए-बहार का नशा तरी है
*शाद रहने की वज़ह ढूंढ लेने का नाम हयात है*
Love is the most valuable thing in the world
ग़मे-हिज्र न खुशी मिलन की हमको
*नज़रें उसने घुमालीं दिल हमारा बैठगया*
आदमी, आदमी रहा ही नहीं
*मुझमें मैं रहा ही नहीं*
मुझ में 'मैं' बचा ही नहीं
"धराकांत"
इक दूजेके सहारा न हुए
*चैनकी नींद सो जाता है*
सबब अच्छा है
ख़ुलूस किस शय का नाम है"
क्या लिखा जा सकता है???
*जिंदगी से मिलने को तरस गए*
*आस्मां छूने को बेताब हो गए*
*हयात रूकी हुई है*
*काया किराएदार की*
*नींद है तो ख़्वाब नहीं*
*वक़्त का थप्पड*
रवैया क्या है तुम्हारा
किस मुकाम पर आ गए हैं हम
*सरपर कुछ नहीं आस्माँ के सिवा*
ऊन के गोले और मां ककी सलाइयां
ऊन के गोले और मां की सलाइयां
चलते बने लोग बशर खाक डाल कर कब्र पर
तुझपे कितना एतबार करूं
बचकर रहने का तरीक़ा है
जिन्दगी की जुस्तजू ही जां ले गई
*भरम अच्छा है*
इश्क़ में 💫
मन भरकर बशर बात हुई
*जीत हुई कभी मात हुई*
खुश नज़र आने लगे
*सराबों से आब चाहता है*
*ज़ार-ज़ार रोए*
रोया मग़र बशर गोया आकर दिसम्बर के महीने में
बनाकर किरदारे-दास्ताँ छोड़ दिया
अपनी पसंद की रहगुज़र हम निकलें
जाहिल बेवकूफ़ी से बाज नहीं आता
दीदार ए यार 🥰
*मुस्कुराना है मुश्क़िल बहोत*
दर्द की दर्द से शिफा किए बैठे हैं हम
खामोशियां इस क़दर "बशर" नहीं अच्छी
हालात से निराश नौजवान
तुमसे मोहब्बत है 😍
*बयाँ नहीं होता*
वजूद हमारा कायम अख़लाक के भरोसे
*औलाद की ख़ातिर*
*दुश्मनी सस्ती हो गई है*
कैसे खुदा राजी रहे
*हम हुए वैसा ग़रीब न हुआ*
खुदसे सुनना चाहता हूँ
खुदा की नियामत ❤️
अहसान मानिए हमारी फुरक़त और फ़ासलों का
बतियाते रहा करो बशर
जख़्म दिखलाकर तमाशा क्या करना
इबादत केलिए न इल्मो-हुनर चाहिए
नाम होने का था गुमान मग़र
*वक़्त वस्ले-यार में गजारा हुआ*
किस्मत से ❤️
तवज्जोह किया करो दिलके मकान की
आदमी ही आदमी के काम आता है
अपना कातिल 🔪
हयात में मिले हर फ़रेब से वाकिफ़ हूँ
*खजूर पर लटके*
आना यहाँ दुबारा नहीं
तयक़्क़ुन जाहिलों का
तयक़्क़ुन जाहिलों का
हाथों की लकीरों में क़िस्मत न रही
मतपूछ हमसे कैसे हमने हयात गुजारी हो
जन्नत को भी ला सकता है क़रीब अपने
मन की बात न हुई
मसाइल कुछ अयाँ नहीं हैं
आदमी खुदा बनने से बाज नहीं आता
मरने से फुरसत न होती
शीर्षक (भारतीय सेना)
कुरबत मिले तो जीकर देखें
ख़ूबसूरत मुस्तक्बिल
मुर्शिद खड़ा देख कर
वक़्त अपना सफ़र करता है
दूर है तेरा घर अभी
कफ़न ओढ़कर
जद अपनी "बशर" अपने दस्तरस में नहीं
खामियाँ हर कहीं होती हैं
*शाद रहने केलिए नाशाद रहता है*
*खुश रहने में भी कुछ जाता है क्या*
मुलाक़ात की गुंजाइश रखिए
दूरका वास्ता रखता है
कोई साथ दे 😍
हौंसले को समेट कर मेघ बन
गुरेज कर जरा परहेज रख
निजी ख़्यालात
खुद खुदा ही जाने उसकी खुदाई
वोह फ़ना हो जाते हैं सचके हकपर खड़े रहने में
किसी और के कब दीवाने हो गए
एक और साल गया
"अंत"
इरादा न बदल
इरादा न बदल
*मनकी गहराई कौन जाने
कागज़ की कश्ती में घर
मौसम-ए-सर्द में बर्फबारी आम बात है
जख़्म से बात करे जख़्म
किसी के लिए किसी में कोई खास बात होती है ©️ "बशर"
ग़म जमानेभर से पाये हमने
हम भी तो देखें दिल उसका अपने सीने में डालकर
हैं औरभी मुख़्तलिफ जानवर-जात दुनिया के जंगल में हर किस्म के मग़र आदमजात के बदरंग किरदार का सूरत-ए-हाल ही और है
आदमजात के किरदार का सूरत-ए-हाल और है
मौसमे-बहार को फिर बहाल कर
नुक़ूश-ए-दर्द अपने छोड़ चला
विसाले-यार न हुआ
दरिया का किनारा बाक़ी है
उनको नहीं हमारी ख़बर
कोई ठेहरा नही 💗💗
मीरा पुकार
मीरा पुकार
हयात-ए-मुस्त'आर की सदाक़त जानले
हो गई पहचान उसे
*साल नया सबको रास आए*
न इन्सान बदलेगा न दहर बदलेगी
पैरों पर खड़ा नहीं होता
वक़्त हाथ से फिसल गया
कहीं कोई ऐब नहीं
आने वाला साल अच्छा हो
नवविहान का स्वागत है
आमाले-कमाल तेरा तुझपर है
साल ये बेमिसाल बदले
एक और बरस हयात से चला गया
बीते बरस की बातें पुरानी कहानी हुई
*बेसबब बशर बेताब*
पूछो तो यही कहता है बशर
मजनू बनजायें गर हमको लैला मिले
उसके हबीब की भी बातें सुनी
नये साल की खुशी न पुराने का ग़म
टिके हैं कैसे पांव आसमान के जमीन पर
मेरे सिवा कौन चलता है तेरे साथ
चले जाएं रंजो-मलाल भी
सुनते हैं कि साल बदल गया है
वस्ल-मुलाक़ात के तहज़ीब को न भूल जाना
यादों की क़ैफ़ियत-ए-दिलबरी है
कोई किसीसे जफ़ा करे ऐसा न खुदा करे
तुम साथ तो दे दो 💫
कद काठी किरदार की बड़ी हो गई है
रास्ते सफ़र के बहुत हमने बदल बदल कर देखे
तेरी इक झलक पाने केलिए आतुर
आदमी, आदमी की बू से परेशाँ है बहुत
शराब पीकर न ख़्वाब देखा कर
वो इल्मो-हुनर हमें नहीं आता दर्दे-जिगर जिससे बांटें
शब्दशिल्पी कोईभी नहीं हो जता
वफ़ा किसीसे नहीं
"सफलता के शिखर"
तन्हाइयों की हैं बशर मजबूरियाँ बहुत
आगे की राहे-सफ़र
सफ़र-ए-हयात में कांटों से भरा रहगुज़र आता है
कहीं कोई दवा नहीं शिफ़ा नहीं
दिलों में गर्माहट बहुत है
मौसमे -सर्द है
जान में जान आ जाती है
हबीब की रक़ीबों से रब्त-ए-शानाशाई निकली
दश्त-ए-शनासाई में हमको दोस्ती बड़ी हरजाई मिली
दरबदर होकर घरकी बहुत याद आती है
क्या चेहरा तेरा 😍
यादें
सबने अपने-अपने देखे
सबक जमाने से सीखा था
सुख़न जो ख़ामोशी से अयाँ होता है
मां -बाप भी बंट जाते हैं
भवसागर तरने को
हुई नहीं नसीब शब-ए-नींद
फिर क्या चले ?
सच और हक़ की सब बात करते हैं
गर्म अहसास भी सर्द हो गए
मेरी लाज है तेरे हाथ
उसकी बनाई तस्वीर अलग है
मुस्तक़बिल के अपने खुद ही खुदा होंगे हम
मुस्तक़बिल के अपने खुद ही खुदा होंगे हम
किस जन्म की रक़ाबत का बदला लिया
कच्चा धागा तोड़ दिया हमने
सुख दुःख
स्वप्नपास संस्मरण
नींद औरों की उड़ाकर
हुदूदे-ग़म हम पार कर आए हैं सारे
हिन्द हिन्दी और हिन्दुस्तान
सैलाब लाने लगे हैं कभी बूंद को तरसाने लगे हैं
अपनाया मैंने 🥰
बैठे रह गए वो हाथ मलते रहे
सुख़न कहने से रह गया
तेरेसे भी बेहतर शख्सियत हैं
हौसलें बुलंद हैं
हौसलें बुलंद हैं
जिंन्दगी हमें कहाँ कहाँ ले गई
खामोशी
दिल में सच्चाई रख
हरसूरत हरसू हरशय के हालात पर लिख
सवाल ही गलत किया जाए तो जवाब कोई क्या बताए
उम्रे-पीरी में अहद-ए-शबाब चाहते हो
उम्रे-पीरी में अहद-ए-शबाब चाहते हो
काटे नहीं कटती रात
अखबारों में छप जाने से नाम नहीं होता
मुतमईन रहो 🤭
बहने लगी सर्द सबा
आंखें चुराने की ज़रूरत क्या है
होश में रहता हूँ
जोरो-जुर्म राख हो जाएं
फ़रेब भरे हैं प्यार में
तेरे दिल की 💞
संस्मरण --खुली आंखों से देखा स्वप्र भी सच होते हैं
यारब हमको तेरीही हिफ़ाज़त है
ला-हासिल ही रहता है यादगार में
ज़िक्र तेरा सब सफ़्हात में
तीसरा हमें गवारा नहीं बशर
सहन वीरान हो गया
दूर ये तकरार हो
नसीब ने दिए हमें बेशुमार ग़म
खेलते नज़र आते नहीं बच्चे आजकल
मर्जी से देता है
नसीब हमको भी अहद-ए-फ़राग़त
वक्त बुरा था ⏱️
दर्द जिगर में होता है
पूछते आना बशर चैनो-अमन के दाम
बर्फ़ पर घर बसाने लगे हैं
मै पैसा हूं,
ख़ामोशी से बड़ा जवाब नहीं
कुछतो नसीब का भी होना चाहिए
हम सब इम्तिहान में हैं
मंज़िलें दूर नहीं हो जाया करतीं
कोई मुनव्वर नहीं मिलता
बशर की औक़ात क्या है
इरादों को मदद नहीं चाहिए तक़दीर की
रंगों में रवानी है
अच्छाई ने हमको बुराई से सिला दिया
न होने का रोना है
तिरे शहर में क्या क्या नहीं होता
तिश्नगी बढ जाती है
खुद से बशर बेगाना होता चला गया
ज़माना आंसू बहाये
भूलना भी चाहे तो भूल न पाये
बदनामी शोर मचाकर आती है
बदनामी बड़ा शोर मचाकर आती है
टिम होर्टिन याद आ एगा
खुदको खाली मत होने देना
जिंदगी को देखकर पसीना आया
लोग-बाग बदल गए आवाज़
बदल गए कल और आज
सफ़रपर तो निकलना पडेगा
राज लिखे जाते हैं
सब तो है मालूम उनको
होगी इन्तेहा-ए-जहां आदमी के बग़ैर
मेरा संसार मुक़म्मल कर दे
तुमजो चाहोतो फ़ासले और बढा लो
कोशिश जीने की करनी चाहिए
तहरीर ए कलम नायाब हो
रिश्तों के मरने से पहले
अधूरा फ़साना याद है
होंठों पे तबस्सुम हो
कानों को हो गई है आदत सुनने की आवाज़ उनकी
अलग अपनी पहचान रखते हैं
खुदही बशर खुदके रहबर
आ गए मां-बाप दहेज में
मंजिल से फिरभी दूरी है
दर्द -ए -जिगर नाकाम न हो जाए
मसर्रतें बंट गईं खुशनसीबों में
रोना-धोना क्या काम आएगा
कविता
जिंदगी क्या है
ख़्वाब से गुज़र गई रात अपनी
फिरसे निखर गई रात अपनी
मुतमईन हो जाना होगा आसान
"राम अवतरण"
अंतस् में जब राम विराजे 🙏
उम्र-भर के लिए सो जाएंगे
इल्ज़ाम 🔪
विश्वास के दीप जलाए हैं
*मुश्क़िलात से भरा होता है सफ़र*
*मुश्क़िलात से भरा होता है सफ़र*
राम आएंगे
गैरों और बेगानों पर भी ऐतिबार किया
अनसुलझे शब्द मेरे
उगते सूरज की सहर को देखें
सच को साबित हलाल करना
जिगर का टुकड़ा बिछड़ जाता है
संघर्ष
नुस्खे बे-हिसाब रखते हैं
'बशर' नादान है
जीने से सरोकार छोड़ दिया
तुमको कभी अनदेखा न करे
तुमसे ज्यादा नहीं है खास कोई
यौमे-जम्हूरियत मुबारक
खुद केलिए बचाकर अंधेरा रखा
जो हमें भूल जाते हैं
काफ़िले किसीके वास्ते रूकते नहीं है
पल पल गुजारा सुहाना याद आता है
मतपूछ मकाँ किधरगया मकीं किधर गए
चांद क्या लिखें महताब क्या लिखें
वफ़ा और यक़ीन एक ही खुदा में
मैं ही सैय्याद मैं ही निशाने
उम्र पक गई मग़र हम कच्चे रह गए
राम आयेंगे
अच्छी क़ाफ़िया-पैमाई है
खूबियाँ औरों की देख "बशर"
प्यास क्या है तिश्नगी क्या है
मेरी शायरी मेरी जज़्बात
*नज़र-ए-'इनायत उसकी*
ख़्वाब बिखर जाएगा
दिमाग से पैदल बेबात की बात करता है
सदका इल्मो -मालूमात का
सपनों का घर
देखा है हर जख़्म भरते हुए
ख़िताब-ए-बाबा-ए-उर्दू
जीना नहीं आया
राज -ए -दिल अपने खोलना नहीं
चाह तुम्हारी न होगी
जिंदा भी हैं के मरगए इतनी तो ख़बर रखो
ख़ामुशी पर सवाल खड़ा
रूठने से रिश्ते गहरे होते हैं
देखें सपने तेरे
लोग अपनी ज़रूरतों को याद रखते हैं
मरतीं आ कर साहिल पर
शिद्दत इस क़दर दुआओं ने कर ली
वक़्त को आते-जाते साल न समझ
खुदा बचाए
खुदा बचाए रुस्वाई के अज़ाब से
ताकीद परेशान करती है
इबादत करने आना
मशक़्क़त से गुजरी है हयात अपनी
चूल्हे की रोटी
खुदसे खुद की ही जवाबदेही
गृहस्थी में फ़क़ीरी का मजा लीजिए
खुशियों का इंतज़ार तेरा
खुश रहें इन्तज़ार क्यूं करें
बे-सबब तकरार क्यूँ करें
संजीदगी अगर कहीं होती है
राब्तों में दम नहीं है
मछलियों को बहुत गुमान हुआ है
शब -ए -ग़म कटेगी
ताबे'दार बे-शु'ऊर निकला
अना दीये को रोशनाई की
बुजुर्गों का सम्मान
तू ही शामो-सवेरा
किनारों को मिलाने चले हो
चांद सहर ए सराब में देखा
फ़ासलों का फ़ैसला आसान नहीं होता
हमने मान लिया कि यही सही है
वसूक़ ओ यक़ीन से फ़रेब किया
वसूक़ ओ यक़ीन से फ़रेब किया
वक़्त को मनाने में जमाने निकले
बेचैन रहती है रात हमारी
ख़ामोश रहकर
कैसा अजीब सा इस दुनिया का खेल
रंजो-मलाल नहीं
बुज़ुर्गियत फ़जूल मत करना
ज़िन्दगी नए नए रंग बदलती है
सूना पड़ा बाज़ार
अना में रहे कम न हुए
तेरा लहू लहू तो मेरा लहू क्या है
तुम काबिल हो ❤️
इन्सान बेसबब परेशान रहता है
उम्रे-तमाम इंतज़ार करने को भी हम हैं तैयार
सरक न जाएं रिश्ते हिफ़ाज़त रखा करो
जर्द पत्ते समेटकर आग लगाने को
कहे अश्आर तमाम मग़र अपनेही शिफ़ा-ए-मर्ज़ पर
जिंदगी की आँधी
आईना ख़राब
किनारों को मिलतेहुए नहीं देखा
एक ढूंढो हज़ार मिलते हैं
कविता
आसमान पाना चाहता है
मुंतज़िर दोनों तरफ़ अहबाब मुलाक़ात के
मुंतज़िर हबीब के
हबीब ने कमाल किया
कहनेको अश्आर नहीं है
बुर्के पर नक़ाब लगाकर आया
मुक़म्मल कभी सपने हो न सके
ख़ामोशियों में शोर पुरज़ोर होता है
हौसला खुदही का काम आता है
बचपन याद आता है
मिज़ाज -ए -मीर रख
दिल से दूरी थोड़ी हैं
फरिश्तों को सुना है पलटते हुए अपनी बात से
खुदही हमने खुदका तमाशा किया
जियेबग़ैर बसर हो जाएगी
छू कर देखूँ क्या आसमान!!
मैं फलक राग की रागिनी
जाने तू कहाँ है माँ
दुखिया की बेटी
मेरी ऐनक
पिंजर अम्बर
जवानी हमने रूठने मनाने में गुजारी है
जेबों में नहीं दिलों में संजोये जाते हैं
जेबों में नहीं दिलों में संजोये जाते हैं
शाम रहने दी ना सवेरा रहने दिया
तेरा ही रहने दिया ना मेरा ही रहने दिया
सूना है फ़लक महताब के बग़ैर
ना पैदा होते हुए पूछा
किसीने नहीं बसर करते हुए पूछा
किसीने नहीं बसर करते हुए पूछा
नहीं बसर करने के लिए किसीने पूछा
Kanchan dasi
प्रिया ब्हावरी
बाप औलाद से डरता है
कोयल गीत गाती
ज़हर के हो गए
तुम्हारा नाम बिगाड़ेंगे
राख भरा कुंड।।
"एक सौदा ऐसा भी..."
गिला अब कुछ भी नहीं
जो झुक गए तो कुछ नहीं
सोच तिरी ख़्याल तेरा
तुम्हारी परछाई दिखाई देती हो
चांद के ख़्वाब न देखा करो
चाहे भी कोई तो किस क़दर चाहे
अंधेरों का कोई मुंतज़िर नहीं होता
बच्चे अब बड़े हो गए
जीना हमको गवारा न हुआ
आंसू आंखों से बाहर नहीं आ पाते हैं
मेहनतकश नसीबों के मोहताज नहीं होते
वो भी कुछ मग़रूर था
एक बार बोलकर
आदमियत खोने पर
आसमानों से बाते करने लगे हैं
बिना बताये
मेरे सजदे की अधूरी ख्वाहिश...
फ़ासले और दूरियां
भीड़ है जिसमें सभी अकेले हैं
मरना जीने की आदत से कम नहीं
जफाओं के लिए मैं वफ़ा सोचूं
मुक़म्मल कर गए
कांटे-कैर ना करो
दुश्मनी सरेआम किया करो
तुमको मुबारक ये जहाँ
इन्सान तो आख़िर इन्सान होता है
उतने ग़म न मिले
आज की बात है
प्रेम
फिर भी बचा रह जाता है ।
प्रेम
जीवन का एक भजन
मैंने हिम्मत बहुत दिखाई है
इरादा अगर हम पर छोड़दो
जीहुजूरी का नाफरमान हूँ मैं
अपनी नजरों में गिरने का सबब न हो जाए
चेहरों की सिलवटों में हमने पढी हैं
अपने बैठेहैं अपनों से दूर
हसरतें काफ़ूर
सपनों का महल बनाते हैं
इतना तो होश है
वक़्त गुज़र जाता है
बनालेना उम्रेतमाम का तख़मीना
बड़ी बड़ी किताबों में
साहिल तक आ गए
आज पुराना ख़त मिल गया...
"राहें और मंजिल"
बेटी
"प्रेम का पक्ष.."
ख़ुशगवार मंज़र देखा करो
मस'अला तो मसर्रतों का है
ना मैं दोबारा मिला
मतलब के रिश्ते टिकना मुश्क़िल
बीते वक़्त को रोता है
जख़्मे-जिगर सहलाने केलिए
क्या -कुछ न थे
ए वतन
ए वतन
मेरे वतन
जर्द पत्ते गिरा दिए डाली से
उसीको हम देखते हैं
अहल-ए-करम देखते हैं
वकअत तसव्वुरात की
ख़ैरात-ए-चराग़ क्या दोगे
इधर से गुज़र जाने के बाद
सपने देखा करो
मिसाल होगा
अक्स हमारा ही दिखाई देगा
तिश्नालबी छुपानी नहीं आती
उसूल ए हयात
हमको तो इल्म ही नहीं
अक्लमंदी काबिलियत का नाम है
वक़्त नहीं हमको
"बशर" खुद को धोका देता है
तुम्हारा येह जमाना नहीं है
लम्हासा बीते हरदिन
सबब चुप रहने का
परेशानियाँ हर-बात में
अय्यारी जहाँ होगी
अंदेशा ए फुर्क़त का मलाल आता है
हर भरे दरख़्त अब कहाँ रहे
ख़ामोशियों से गुरेज़ कर
भुलाने के काबिल हैं
दिल से वतन निकला ही नहीं
साथ रहने को मकीं घर समझ लेते हैं
मेरा गांव
कागज़, किताब ओ कलम बचे
जंग मनों के भीतर चलती है
किताब पुरानी पढ़ो ख़्यालात नये मिलेंगे
जिंदा होने का अहसास हुआ
प्यारे गिरधर गोपाल नज़र आए
वतन से ऐसी बेवफ़ाई न थी
अपनों को अपना कहने से डर लगता है
जाहिलों को मज़हब का सहारा
सोने वालों की सहर होगी
अच्छे वालिद बन छागए थे
घरोंदे राब्तों के रेत पर
तदबीर बताते हैं
दवा से ज्यादा असर दुवा से हुआ
पौधा सूख जाता है
ना हम को कोई शिकायत है
न दिन चैन देगा न नींद चैन देगी
जाने वजूद हमारा कहाँ होगा
स्कूली एग्जाम
आजाद मुक़म्मल तौर से ख़ुश्बू-ए-चमन है
हबीब मेरे बेहद नाराज़ भी हैं
है कोई बशर फ़रिश्ता मग़र
'कविता'
जल्दबाजी कभी नहीं करते हुए देखा
आदमियत का धरम देखा
सभी अकेले बेइंतिहा बेशुमार होते हैं
दूर खुद से भागता रहा आदमी
कहाँ गया आदमी
झूमती है कहकशाँ
तरस गए हैं तेरे सुनने को मधु बैन
अवसर जो तेरे पास है
उनकी छवि मेरे मन में
हैरत नहीं होती है
जानवर आदमी से प्यार करता है
लोग जवानी में मर जाते हैं
भोली सूरत बुलाती है वापस घर हमको
बेशुमार तल्ख़ियां
तेरी अपनी चुस्ती से
धड़कने भी दिलमें धड़कनी चाहिए
मकीं अन्जाना
बस तू ही तू है ❤️
यादों से बिछुड़ना ना आया
किताबें पुकारती
सफ़र मुक़म्मल कर गया सागरमें समाकर
जिंदा रहना है
इतना सा ही तो फ़र्क है
दुश्मन तुम्हारे अंदर बैठा है
डरने जैसा कुछ भी नहीं है
उनपर ऐतबार नहीं किया जा सकता
अपने आप पर ए'तिमाद ओ एहतराम की इब्तिदा करें!
अच्छा इंसान ऐसा हो
अक्ल आती है ठोकर खाकर
फ़सादी के पास होता दीमाग आधा है
तमाशा बनता जाएगा
रुपय्या बचा कहाँ है
खोटे सिक्कों के जोर से
सच से परेशानी है
सब्र का फल मीठा होता है
दर्पण में मुख संसार में सुख
जो दिखाई दे वह सच हो, यह सच नहीं
ज़ीस्त है बशर जीकर जाएगी
उन्हें कोई दिलचस्पी नहीं
मंहगी यहाँ जमीनें कमबख़्त हो गई
बीता वक़्त खरीद कर बताए
आते जाते रहेंगे लोग
अहसासात और जज़्बात यहाँ
तेरी मुस्कुराहट 😊
तक्लीफ़ में परिवार साथ हो
हम में उनमें फ़र्क ही क्या
अपनों के ही सुख में अपना सुख देखा
खुदको खोना पड़ता है
'बशर'' ऐसा भी दर-ब-दर नहीं देखा
अपने हमसफ़र भी हम हैं
रिश्तों को संजीदगी से देखा होगा
दिल टूट जाने के बाद
बशर तू कहाँ फिदा है
दर्पण
बुज़ुर्ग सयाने गुज़र गए
जमीं के अंधेरे उजारे
मुस्कुराहट का क्या राज है
शराब हदें भूल जाती है
शिवरात्रि
जितनी बड़ी जंग होती है
मुश्क़िल हालात में भी मुस्कुराते रहो
गर मन मज़बूत होगा तो
तेरे दिल से मेरे दिल 💞💞
हल ढूंढने मे मदद दो
बड़ी जंग अकेले में लड़ी जाती है
खुद को न बेगैरत रखो
उधार की है ये जिंदगी
बहुत जल्द दूर हो जाते हैं
बात कुछ भी नहीं
बुरे वक़्त में लोगों के काम आता है
जफ़ाओं की हम कहेंगे
मां मेरी प्रेरणा
मिट्टी का मिट्टी में मिल जाना ना समझे
जी भरकर हमने जिया ही नहीं
खो सा गया 😇😇
फ़ितरत हमारी है
डर क्या डरने से कम हो जाएगा
कांटों में गुल खिलता है
मर्द के औक़ात की
महरूम कर दिया दादू को पोते के दीदार से
नारी तुम कमजोर नहीं
महाशिवरात्रि
जिस के पैरों में फटे बिवाई
हालात-ए-हकीक़त
क्या आखीर-ओ-तासीर से भी बचकर निकल सकते हो
सूरत से भी बढ़ कर होता है स्वावलंबन
मुद्दत हुई जिसे खुदसे मिले
बताए तो सही हुई क्या है ख़ता हमसे
एक परिंदा
महाशिरात्रि
राब्ते निभाते भी हैं
और बात
~ नाराज़गी मेरे महबूब की
राह-ए-सफ़र मिलने वाले रहबर नहीं हुआ करते
तेरा नाम लिख दिया ✍️
वक्त के विरुद्ध
खाने को चाहिए मन भर
हमारे अगर बेटी नहीं होती
हिज्र-ओ-विसाल का सिलसिला रह गया
कर लो कर्म अभी
कौन है तेरा मेरे सिवा यहाँ पर
ख़बर न थी
और फिर वो भी सो जाते हैं
साथ की पहचान
अनसुनी सदाएं रह जाती हैं
वफ़ा करने वाला तन्हा क्यूँ है
फिर उन्हीं का ख़्वाब आएगा
बदहालियों में भी ख़ुशहाल है
गवारा नहीं ज्वाब मिरे
सौगात मेरी
फ़ासला दरमियान में रहा
क़यामत की बारी है
कुछ भी बदल सकते हैं
जीने केलिए जगह नहीं
बेटी के घर लाया गया है
बेहतर ख़ामोशी तेरी आज
हरबात जबानी पूछने लगे हैं
गैरों की कहानी पूछने लगे हैं
पीने वालों की कहानी सलामत
माहे रमजान की दिली मुबारकबाद
सीसे के उस पार देख
दिलों में घर चाहता हूँ
मसर्रतें हयात से ख़फा रहती हैं
अब्र बनके मानसपटल पे छा गई
"लिख सकूं तो"
मित्र माधव
हाथ कब तक मलते रहोगे
अल्हम्दुलिल्लाह ❤️
स्त्री
सफ़र में रहकर
मेहनतकश 'ऐश-ओ-'इशरत केलिए रोता नहीं
पार्थ तुम्हें भी बनना होगा
हमने बच्चा बनकर रहना चाहा
मुक़म्मल कहीं कोई सपना
सेवा अपने मां-बाप की
सपनों के महल
काफिया पैमाईश के बग़ैर
रंजो-मलाल का अंबार
ज़रूरतें कम सब्र रखें ज्यादा
हमने सबने ही खुदको मारा है
मतलबियों को दफा कहा
पथिक कि राह
हौसला मग़र है
जिंदगी लाजवाब है
केशों से तुम कह दो-कविता
भीतर अपने तलाश कर
नज़र नहीं आता
मसर्रतों के गीत
बन गए किस्से-कहानी अफ़्साने लोग
जरा भी नहीं मलाल करते हैं
इन्सान नहीं मिलता
अहसास भी रख लो
मां - बाप के पास बैठ जाया करो
भाग्य का तुक्का
चाहे जैसे भी हों हालात
किरदार बड़ी चीज है
चमन के हालात बदले
मुश्क़िलात में लोग कमाल कर गए
अकेला अब्र बेचारा कहाँ कहाँ बरसे
पीरी में सब साफ नज़र आता है
दुआसे बढ़कर दवा क्या है
रहे बैठे तिश्नगी लिए अरसा
सब्र सहने वाले की
सब्र सहने वाले की
खुदको नाशाद करता है
तू ही सही है
आसान नहीं है
रिश्ते खतरे में
फकीरों ने ✨✨
तन्हाई की ख़ामोशी से गुफ़्तगू होती है
मरनेपे तुला होतो क्या करें
बे-ख़बर बेख्याल से
बशर तेरी कहानी इब्रतनाक है
नादानी से काम नहीं चलता मुहब्बत में
ए बहती हवाएं जरा मंज़िल का पता देती जाएं
आते कल का सपना देखा था
वक़्त लगेगा
पलाश
बाद-ए-आज कल भी होते हैं
उसूल बिखर गए
इन्सान की रगों में खून काला बहने लगा है
जीना ना मरना अपने हाथ
बोले कब
मुकद्दर है 'बशर' का परेशाँ होना
ये दौर अलग
पैग़ाम रखो याद
ना सताया कर 🥹
होली
आलिम सालिम फ़ाजिल का साथ है मंज़ूर
हायकु
होली मं
तीर्थ है इक सैर
विचारों की लड़ाई
कोई अपनों से दूर न रहे
मुश्क़िल किया सफ़र
किरदार ऐसा हो कि याद रहे
इंतज़ार में हबीब के
फाल्गुन
हद होती है
मतलब निकल जाए तो कदर कौन करता है - sumit arya shayari - शायरी
बुराई में सियासत दिखाई देती है
नब्ज बस में नहीं
वीर चरणों के स्पर्श से...
जिंदगी आसान होती
रियाज़ बिना
परिंदे के दिल से कफ़स निकालना है
तुम बन जाना मेरी होली
आईने से डरते हैं
इन्सानियत पर सबका अधिकार होता है
गैरों से ज्यादा अपनों के ग़म मिले
बेटा उसके लिए फ़रिश्ता है
मंज़िल-ए-मक़्सूद
तेरी नज़र पे है तू क्या देखता है मुझमें
आपको अपनी खूबियाँ मुबारक
वक़्त के घाव वक़्त के साथ खुद ही भर जाएंगे
जुबान अनपनी ख़ामोश रखनी पड़ी
खुद को बहलाते रहे
अपना किसीको बनाने में
कौशल कविता का
पहूँच कोई नहीं रहा है
थोड़ा-सा सुकूँ चाहिए
गुजिश्ता साल.... नज़्म
अर्थार्जन का सुखद संयोग
मुक्तक (क़ता )
खुशियों को दरकिनार न कर
दिल की बातें दिमाग़ को नागवारा
कुदरत का शाहकार लिए फिरते है
विडंबना
मुकद्दर में नहीं गुफ़्तगू
चंद अशआर -ख़्वाब
भ्रष्टाचार ने बदल डाला
दिल में किसीकी जगह
नींद को आने में देर हो जाती है
इन्तेहा भी भ्रम से हुई
प्रेम नियति
हम फिर भी सलामत हैं
ख़ामोशी से हमें डर लगता है
द्वंद
दो शे'र ( चार मिसरे )
लोग अपने ऐब जिंदा रखते हैं
उलझने बढाना कौन चाहता है
न रही किसीसे उम्मीद
आवाज़ वही है
वन गमन सुखद अहसास
आईने में मिलने वाला है
भीड़ बे-शुमार है
बच निकला उसे रब मिला
क्रोध
सूखी डाली
क़दम सही उट्ठे इसका ए'तिमाद कर
हौंसले काम आते हैं
भुलाये जा रहे हैं
ऊपर वाला सब देखता है
खुद को देते हो
अकेले कैसे जिया जाता है
लफ़्ज़ों की भरमार किसी
हयात इक ख़ूबसूरत ख़्वाब है
नसीब होगा घर
इश्क़ -चार मिसरे
आलिंगन
मुस्कराकर बात कर
फ़ितरत बदलती नहीं इन्सान की
मैं साहित्य हूं भारत का
जिंदा ख्वाहिशों से जिंदगी की कहानी है
तहरीर ए किताब ए हयात
हम हैं कि मानते नहीं
चरागों ने इक़रार किया
दीदार-ए-यार किया
किस्सा मेरा उनको अफ़्साना जरासा लगा
तसल्ली...
वस्ल की उम्मीद बाक़ी है
बेफिक्र सी शामें
पेड़ों का महत्व
वह शख्स अनजाना सा
दिल में हमारे
अल्फ़ाज ना कर सके बयाँ
बशर किताबी बातें कहता है
हिजरत
ताउम्र करना पड़े पश्चाताप
सर्दी की रात
बसर करने का तरीक़ा दे दे
हिंदुस्तान नज़र आता है
राब्तों से राब्तों का विश्वास मर रहा है
खुशनुमा महफ़िल हो
मतलब की बात
नज़ाकत न पूछ अल्फ़ाज़-ए-उर्दू की
हुई बड़ी हुज्जत
जमाने की राह
है बशर तैयार
रंग जाओ दिल के रंग में
रंग जाओ दिल के रंग में
रंग लगाकर नहीं गया
इक शे'र
मसर्रतों से ख़ौफ़ज़दा
कहां गया हबीब मिरा
हवाओं से जर्द पत्तों को इश्क़
दो जून केलिए
रात काटी जाती है
चांद का नूर 🌙
बिखरा दिया
मानो जिंदगी मिल गई ,
पानी का नामोनिशान न होगा
ख़ुश्बू भी हो तो बात बने
हर कोई आम खाना चाहता है
सफ़र-ए-हयात-ए-मुस्त'आर
ज़हर पीना पड़ता है ग़म खाना पड़ता है
नारी
रातों की नींद गंवाई है
जीने केलिए तैयार रहो
हासिले-सुकूने-क़ल्ब
किरदार की सच्चाई लिख
दुनिया से कोई उम्मीद ही नहीं
रातों की नींद गंवाई है
सामने वाले का कद छोटा दिखता है
चाँद
सवाल तहज़ीबो-तमद्दुन का है
उम्मीद फिजाओं से
सब से ज्यादा कीमती
उसे कोई सूचित करो
गहराई
वो लड़की नहीं है वो एक तितली है
ये इश्क़
टकरार क्या करना
इसे समझाये कोई
मस्अला क्या है
पास आ रहा है
शोख़ चंचल हवा दरिया की पानी लगती हो
बस दुआओं में मिला कोई हक़ नहीं आया
मेरे दिल में रहने वाले तुम दरार भी नहीं देते
उदास चेहरे की सभी बलाएँ उतार लूँ तेरी
तुम,से है,हमें मोहब्बत, ये बात और है
डर किस बात का,कौन सा,हकीकत मे आना था
किसी का होकर आने से,तेरा जाना लगा अच्छा
गिरना फिसलना खुद को उठाना पड़ता है
फिर रहे हैं दर बद्दर, तुम, दर दर से पूछ लो
वो तो था, फरिस्तों का दौर,वो जमाना छोड़ दो
दिन का सुकून,नींद रातों का,गुजार रखा है
जब रखवाला ही जुआरी था
लौटेगा यकीन है वो जिद्द पे अड़ा हो, बेशक
वो अब पूछते हैं हाल, कमाल ही तो है
रुको न तुम करते रहो सवालों का सिलसिला
मुझमें ही रह के मुझ से फासला भी कमाल का है
शेर ओ शायरी
घर में एक ही खिड़की होती थी ब्यार आने की
नृत्य काल कर रहा,भुजाओं में दो सर लिये
मदमस्त चली पुरवाई है
अंधेरों से जुगनुओं की बात होती है
ईद मुबारक
हमारी शख्शियत
वसवसे और वहम में गुज़र गई
नादानी और अहम में गुज़र गई
उम्मीद और अपेक्षा
ईद भी आकर चली गई
20 साल पहले
किनारा ना किया कीजिए
सलाहियत से महरूम
जिंदगी मुसलसल रहगुज़र है
आसमां से आती है मौत कैसे
जिन्दा शख़्स को नहीं दफनाते
दिल की बस्ती
खुदको समझाने केलिए तैयार रहो
ईद की बधाई
आदमी परेशान रहता है
कुछ तो वज़ह रही होगी
मंज़िल का पता नहीं
अल्फ़ाज से नहीं
सुकून-ए-क़ल्ब असल सरमाया
काम भूल गए
मुकाम का पता नहीं
कोई भी चीज खास नहीं है
इन्सान
खुद को भूला हूँ तेरी याद में
दुआ
शिकवा है ना शिकायत
हमारी बेकदरी का है मलाल उनको
जीने केलिए मरना पड़त है
Khass chitti
क़ीमत शय है ये एहसास
इंतज़ार-ए-हबीब ताक़यामत रहेगा © डॉ.एन.आर.कस्वाँ "बशर"
यादों का सफर
अब तो 'बशर' याद ही नहीं
ऐतिबार कोई एक तोड़कर जाता है
रामभक्त हनुमान
हिम्मत बुलंद है जहां
जिंदगी क्या चीज़ है मौत से इंसान डरता नहीं
सुकून का सबब बनो
किसीकी शाम -ए -तरब बनो
जीना सिखाकर ही दम लेगी
कोई फसल न लहलहाई
ख़्वाहिशें
अक्ल-मंद बनकर जियें
ख़राब वक़्त में हमने अकेले ही दिन बिताए
दर्द में भी मुस्कराया करो
मेरे कुछ फर्ज़ है
मुग़ालते में गुज़र गई
सभी दौलते-दर्द से मालामाल हैं
आख़िर डूबना है शबो-शाम होने पर
मैं और तुम 😍
बेमिसाल है ये जात आदमी की
रहने दे तुझ को पास मेरे
"बशर" बड़ा मुख़्लिस था
अदीब हो गया है
जिन्दगी इम्तिहान लेती है
अपना बेगाना पहचान लेती है.
मोहब्बत का रास्ता 💫
लिख दे दो जून के निवाले
हुजूम दुश्मनों का हमारे अंदर है
भाईचारे से है हमारी हस्ती
दिल के काशाने में है
किरदार हमें हमारे कर्म से मिला है
दौलत से परखने लगे हैं
फ़ितरत काफिराना हमारी
सामने इक किताब वही
तू ही चारागर
बिछड़ते हैं फितरते-अना और सवाले नाक से
तू बना दे 💫
अहमक़ाना रास्ता छोड़ दो तो अच्छा
ऐसे रिश्ता-नाता तोड़दो तो अच्छा
प्यार हो तो हद-ओ-हदूद के पार हो
रिश्तों को बेघर कर जाएं
मिटा देती है तीरगी
लोग सुबह के अख़बार क्यूँ हैं
इंतज़ार की बातें महज़ किताबी हैं
कांटे न बिछाइये इस क़दर
बिन मर्जी राब्ते निभाए नहीं जाते
हुई शामे हयात सहर होते हुए
पलमें सदियां जीकर जाते हैं
वक़्त की बयार
बंदपड़े अपने घटके पट खोल
फिरसे बिछती बिसात हर मात के बाद
मुश्क़िल है जगह पाना लोगों के दिल में
भीतर बाहर एक जैसा हो
किसीके होकर भी देखो
किसी और केलिए रोकर भी देखो
राज-ए-दिल सदा बना रहे
जंग जीत सकते हो अपने किरदार से
अपने तेरे तुझको जगाने नहीं आए
ज़रूरत क्या है
मैं अश्क पे अश्क बहता रहा
हयात का आदमी अज़ीम किरदार होता है
सर्वविदित भगवान
तल्ख़ियाँ बढने से पहले
हाथों की लकीर बनाकर रखती है
मुझको मिला वो सिला किसीके पास नहीं मिला
किताब नायाब लिखना
मंज़िल ख़्वाब नज़र आने लगे
बीते हुए दिनों का लौटकर आना
मुफ्त आमदानी और आय
आईने पे क्या गुज़री
माँ सरस्वती तुम्हें हमारा नमन
दुनियादारी को देख कर
सही सोच और सच्ची नीयत
ताना -बाना जीवन का उलझा ही रहा
यारों की महफ़िल में आया करो
जितनी सफाई देगा ज्यादा यहाँ
मुफ़लिस की बस्ती में चलकर दुआ करें
नश्वर सब ये संसार मान कर
शफ़्फ़ाफ़ हो क्या खाक दामन
दुआओं का भागीदार ज़रूर
नाशाद दिल फिरसे शाद हो जाएं
तजरबात मिले
मज़हब की दीवारों से ऊपर
सिकंदर को हराते कलंदर नहीं देखा
हवा शीतल सर्द
उजालों की अहमियत घट नहीं जाती
खेलकर तीन पत्ती ताश
और क्या बताएं
अब खुदको भी समय कुछ दान करो
नहीं पता सच की कैसे सफाई देते हैं
हिज़ाब नहीं करते मुलाक़ात करते वक़्त
हबीब मिरे हंसकर तो दिखाना
चर्चे 😍
इक शे'र
दस्तूर अजा का
जीना ला-हासिल है
मझधार में लाकर रख दिया
तन्हा भी नहीं रहने देतीं
इल्मे-ईमानदारी
हुआ मशहूर हयात में
बताएं क्या नुक़्स आपको मय के बशर
सोता ही नहीं है आदमी आठों पहर
जनता जनार्दन है बिखरी हुई
बेवफ़ा निकला हबीब हमारा
मुश्क़िल का हल
सही शख़्स ही मानता है
जमाने लगने लगे हैं सहर होने में
खौफ़ कितना मासूम परिंदों को
खरा आदमी
जोर आता है निभाने में
ज़रूर कोई दम है
दिलमें उतरने वालोंको संभालकर रखिए
सच्चे अहबाब मिलना ख़ूबसूरत ईनाम है
शब -ए-ग़म बदनाम हो गई है
परिंदा कहीं भी जाए शामको वहीं लौट आएगा
विदाई की रात में
ज्यादातर बेबात सोचते हैं
बस ख़ामोश रहो
कुछ लोग मेरी पसंद के भी होंगे
पत्थर जमा करते रहे
मुकद्दर को बदलने की ख़्वाहिश रखते हैं
सफ़र का हो गया
अपना घर तो अपना घर होता है
जिस नज़र से देखेंगे दुनिया वैसीही दिखाई देगी @ "बशर "
मेरा नाम नही 🥵
मेरा ही साया था
और कोई नहीं मेरा ही साया था
खुद के साये से भी हैं महरूम
आदमी बेचैन है सांसभर चैनो-अमन केलिए
हालातों से मजबूर
हमतो अपनी गलतियों केलिए मश्हूर हैं
दाल में कहाँ कहाँ काला है
अपनी शेख़ी बघारने वाले लोग
नींद रात-भर आती नहीं है बशर
आरज़ू क्या रह जाएगी
मजदूर दिवस
हा मैं मजदूर बहुत मजबूर हूँ
महाकाल महिमा
बुरे को दोज़ख भी कम है
खुदको जाना बना कलंदर है
फ़कीरों की सोहबत में बादशाहत का अंदाज़
ज़माने ने जैसा समझा वैसा हुआ मैं
खुशी के पास कामयाबी की कमान है
इन्सान की क़ीमत कहाँ
सुना दोगे तो मिट जाते हैं
हरहाल में हिट जाते हैं
वक़्त ए तकलीफ़ नज़र आते हैं
ख़ुलूस-ए-वफ़ा दरकिनार हुई
मोहब्बत भी तार तार हुई
घरकी बातें बाहर बताना ठीक नहीं
इन्सान छोड़ेगा नहीं
ज़माना सुधर जाएगा
मनसे फ़कीर होना बड़ी बात होती है
व्यापकता असीमित हो जाती है
मुसाफ़िर उतर रहा था
शुक्रिया मेरी जिंदगी में आने केलिए
लोग सब पैदल जाएंगे
मुसीबत से बड़ी मकतबे-हयात नहीं होती
मांझी अनाड़ी दूर किनारा
लहरों को पार वो कर गया
तहरीर कहीं नज़र न आई
ख़राब ना किया करो मिज़ाज मिरा
दास्ताने-उल्फ़त मिरी
मुहासिबा-ए-सफ़र क्या कहें
कोई बेवफ़ा हो जाए
आजमाइश उसूल-ओ-ईमान वालों की ही होती है
धुआं 🔥
अपना कहने को जी चाहता है
जंगल जोगी का ठिकना है
जीने के लिए मरना पड़ता है
आंखों ने मेरी कोई सपना नहीं देखा
खुले आसमान में जीना चाहता हूँ
सच खड़ा अकेले में
औलाद मा-बाप से बड़ी नहीं हो सकती
बदल गया है जमाना हमारा
उम्मीद पर सारी दुनिया टिकी है
फ़कीर होना चाहता हूँ
सपने देखना ज़रूरी है
आदमजात झुक जाएगी
फ़ितरत में होती है
इन्सान की औक़ात उसकी गैरत में होती है
रक़ीब भो नहीं पर वो मिरा हबीब भी नहीं
मफ़रूर कहे चाहे कोई मग़रूर कहे
सारा खेल लकीरों का है यार
भीतर से कितने रीते हैं हम
परेशान कर गया 💔🥀
लाशें उठाके जनाज़ा चली
इन्सान बस खुश रहा करे
समझौता मत करो अपने वक़ार से
ज़रूरतें बदल जाती हैं इन्सान की
सिलवटें फिर संवार रहा हूँ
उम्मीदों की कश्तियां
रहगुज़र को सफ़र कहते हैं
जिंदगी ऐसे गुजारी जाती है
दरख्तों की छांव में
हम फिर रोज़मर्रा में खो जाएंगे
सुना नहीं तुमने
सुगम सरल डगर कहते हैं
अगर मां नहीं
हे अवधपति हे रघुनन्दन
बवंडर
जिंदगी हमको जीकर चली गई
मुश्क़िल है घरको घर करना
सियासत कमाल है
लाख आवाजें लगाया करना
खुदको धोखा देना आसान है
यादें जीने की वज़ह बन जाती हैं
तन्हा रहने की आदत डाल लीजिए
अल्फ़ाज ऐसे न निकल पड़े कि वापस लेने पड़े
हासिल सुकूने-क़ल्ब बहुत जहं होता है
रहा नहीं वक़्त रौशनाई का
दिलके काशाने में हमारे सनम हैं
बहुत कुछ खोना पड़ता है
बूढा हो गया होता अगर मां का सर पर हाथ नहीं होता
अभी जिंदा मेरा बचपन है
भीगी हुई वोह रातें सारी
BATWARA
ज़मीन पर चल कर देखो
बंदे हम काम आने वाले हैं
किरदार अमर कर जाते हैं
इन्सान है ना-फ़रमाँबरदार
कहानी
वो मेरा है
आज किसी का दिल टूटा है
मुझको आंखों में बसाने वाले
वो चला गया
हम देखते रहे
जमाने गुज़र जाते हैं तकरार में
अलग अलग ठिकाने हुए
ख़ामुशी ने सब ज़ाहिर कर दिया
जोशो-ख़रोश पाने में नहीं
दिल के काशाने में खुदा रखते हैं
लौट कर नहीं आऊंगा
गुम किताब चश्मे-पुरनम में
लम्हे जो जी लिए अपने नाम चाहिए
मां की बदौलत हम हैं
दर-हक़ीक़त ये है कि मां की बदौलत हम हैं
कहोतो किसे मां कहो
ख़्वाहिशों और हसरतों में रह गई कमियां
खुशियाँ अपने पास नहीं आती
अपने दिल की आवाज सुनी
मैं कुछभी नहीं जानता
मुझे नहीं फ़िक्र कोई हाले-दिल बताने में
जिंदगी बंद द्वार खोलने को तैयार है
अंदेशा न था साजिशों के राज पर
तैयार सुख-दुख में इक आवाज़ पर
आंसू का कतरा
बोलूं तो, बीते हुए काल-खंड से सीखा हैं.......
मिलती नहीं खुशी होती है
खुशियों की दौलत आपस में मिलती हैं
है शिफ़ा मग़र मां की दुआ में
आओ मतदान करें हम।
पता लगा कि लापता निकले
लहू पसीना बनकर रोमरोम से निकल आता है
बशर हैं सब अग़्यार यहाँ
माँ के हाथ का साया है
माँ से बड़ी नेमत नहीं
लम्हे पुराने
Magar nahin hota
उनका क्या करें जो दिल में समाए हैं
ज़िन्दगी को ठहरा हुआ देखा है
उम्र हुई तमाम दर्दे -दिल को समझाने में
उसके नहले पे दहले हैं
सबको ही अपना माना
जब तलक "बशर" बच्चा था
सब्र अपना भी बाकमाल
फ़जूल सारे सवाल
कोई किसी केलिए ज़रूरी नहीं हो सकता
ईनाम ओ सजा का पता नहीं
जनाजे में नहीं आने वाला
सुकूँ मयस्सर नहीं होता
अभ्यागत"....तुम आए जब से, हो उदासीन.....
क्या है इरादा
आंखों में समंदर
मौसमों के मिज़ाज बदलने का मजा लिया कीजिए
समझते ही नहीं
बेमानी होने लगता है बारबार सुना गया भी
फ़क़ीरी तक पीछा करती हैं
सफ़र ज़िन्दगी की आसान हो गई होती
बर्बाद ज्यादा हुआ बचा कम है
मनके पिंजरे से हिरासत न गई
रात की सियाही में
*भीतर बहोत उथल-पुथल मचाते हैं
मुख़्तलिफ किरदार
शुक्र है सिर्फ़ महसूस करता है
मालिक-वालिक कोई नहीं
हसरतों के पगडंडियों पर बढ़ने लगा हूं.....
जीवन" ओ तू जरा साथ तो चल.......
इस जमाने से विदा लेकर ......
नया ज़माना नया दौर देखा जाए
वोभी जाने जो हमसे कहा न जाए
रोशन चेहरा तेरा ☺️
क्यों छिप जाता,
सहर की आस में
किरदार अमर होगा गर नियत जिंदा रहेगी
आप क्यूँ हैं उनके बिना नाखुश
भूल गया है नाम मिरा
"बशर" फिरभी अकेला था
मुश्क़िल है उसकी पहचान
विदेशी शहर
मन मेरा ऐसे ही बरबस बिहंस गया........
ज़रूरी है जीते-जी चेहरों पे मुस्कान लाना
तुमने रुख़सार पर अपने ये जो तिल लगा रक्खा है
बाक़ी हैं कुछ किस्से अभी अनकहे
बचाने के प्रयत्न हज़ार करते हैं
ख़ामोशियों से मुहब्बत का गुमाँ कर बैठे
सुकून ए चैन ओ अमन बनाया
बर्बादियों की ओर जाती हैं
अदाकारी करने वाले को
ग़रीब इत्ती सी दुआ करे
सुकून-ए-क़ल्ब किसीको यहाँ नहीं मिलता
मनों के मिलने से घर बनता है
आख़िर ज़हर तो पीना पड़ता है
कब्रें पड़ीं हैं खाली लाशों से भर कर
हंसना मुस्कुराना मयस्सर न हो
मिलने हमसे अहबाब पुराने ले आ
रास्वता क़्त पर नहीं दिखाया
ख़्वाहिशों के रस्तों से उफ़क तक जाना है
भँवर से निकलना मुश्क़िल होता है
अपने घर में ही रहता है
ख़्याल हमारे पुराने निकले तो
डूबने केलिए इक जिंदगी चाहिए
तुम कितने दूध के धुले हो मैं जानता हूँ
अमीर लोग मदीना देखते हैं
ख़ुदकुशी का हौसला कहाँ से लाएं
सपने का प्रतिबिंब हृदय पर अब-तक छाया......
मेरी पहली होली
शायद मसाइल का कोई हल भी हो
घरतो अपना घर है फिरभी मग़र बुलाता है
मिले भी नहीं और याद उन्हीं को किया
अपना ना रहे साथ तो याद आती है
जी रहे हैं
ढूंढते रह जाओगे
समझदार सभी इन्सान हो जाए
दिल से लोग क्यूँ नहीं निकल पाते
जिंदगी गुजारा करनी पड़े
जायका चखने में कोई हर्ज नहीं है
तुम्हेभी कोई ग़म नही हमें भी कोई ग़म नहीं
भला किया अच्छा किया उसका सिला क्या
पता उसको भी है अपनी जात का
गैरौं से कौन नाराज़ होना चाहता है
ये जिंदगी, जिंदगी नहीं है
अहबाब की पसंद का हो ख़्याल जहां कमाल वहाँ है
मतलब-परस्त लोगों का रिश्ता बेमानी होता है
ख़बर में आते हैं
इतने क़रीब मिले
किनारों से ही खिसकती है ज़मीन अक़्सर
रास्ते भी हैरान रह गए
सितम लोगों ने कलसे ज्यादा आज किया
जज़्बातों की उम्र हुआ करती है
हुनर ये मिलता है उसी को
बुढापा हमारा मज़लूम होगा
ख़ामोशी से बड़ी कोई बात नहीं
फ़जूल हुआ स्कूल जाना
शजर बड़ा उदास हुआ
सुकून-ए-क़ल्ब को पा लेना
मोहक उनका दीदार ज्यादा हुआ
ज़िन्दगी बेज़ारी बेचैनी से लबरेज है
अपनी हैसियत ओ औक़ात याद रख
है पार करना भवसागर तैर कर
नेकी क़बूल हो गई है खुदा के घर
धोखे खाने का आदि जो हो गया है
नहीं कोई ग़म फ़कीर बन जाने का
ये तो दिलों का सौदा है बशर
तेरे बग़ैर जीकर मैंने क्या मरना है
ऐ मंज़िल मिरी रुक जा जरा
आज और कल बिगाड दिए
हम उनकी यादों में खोए थे
सुब्ह भी दोपहर लगती है
धर्म जात और परिवार की परवाह है
रूतबा उसकी पहचान नज़र आता है
तुझे लड़ना भी खुद है
सामने आकर खड़े हो गए ग़म ए हयात
अच्छा करूं यह मेरा धर्म है
बार -बार बुरा करे वो बेशर्म है
उदासियां उन्हें नज़र नहीं आतीं कभी
अपनी भी किसीको ख़बर हो
साथ अपनी कब्र लिए फिरते हैं
यादें हैं हर वक़्त पास थोड़ी हैं
इश्क़-ए-हिज्र ही अब मिरी इबादत हो गई है
आदमी को अपना मेयार नहीं खोना चाहिए
तरु लगाने की,
आदमी अकेला है
तुम रह जाओ टूटकर
उसी का आस्तां ज़रूरी था क्या
इक ज़माना अपने आप में हर शख़्स है
बे-सबब बे-हिसाब रश्क है
यकसाँ खुद भगवान नहीं होता
आवाज़ को ख़ामोशी से समझा जा सकता है
भरोसा करना चाहिए
भिखारी का आशीष
डाकिया से
चाहूं हे रघुनंदन सबरी की गति........
रोना तमाम उम्र का तेरा बेकार हो जाएगा
मंज़िले-मक़्सूद कुछ नहीं है खाक के सिवा
मनसे अंधा अपने अंदर क्या देखे
येह सब सपने लगते हैं
क्या तुम नहीं जानते
दर्द ए दिल मिला कि अश्क ए चश्म मिला ग़म ए हयात मुझे तुमसे मेरे हमदम मिला
सब भूल जाएंगे तुम कितने अच्छे थे
न दिल लगाकार बात की
बर्बादी का हमारे ग़म न करें
व्यर्थ न जाने पाएं तौला हो के मण
आख़री सांस तक काम आएगी
सबके क़िस्मत में होता नही हंसाने वाला
लफ़्ज हमारे अनसुने ही रह गए
चाहे जिस घर जा बैठे
BATWARA
मज़हब की क़ुरबानी जायज़ हो सकती है
दोस्तों से हारा हो
चेहरे पे लगाते हैं चेहरे
चेहरे पे लगाते हैं चेहरे
अच्छे बुरे हालात होते है
पढ़े नहीं जाते हैं लिखे हुए अल्फ़ाज
फिसलने वालों का पता तो चला
सब्ज शजर की छांव में
रिश्तों का रंग घुलने में वक़्त लगता है
आप पर हमें ऐतबार है
बड़े खुश थे जब बच्चे थे
सारा शहर उसके जनाजे में निकला इक वो न निकला जनाज़ा जिसके तक़ाज़े में निकला @"बशर"सारा का सारा शहर उसके जनाजे में निकला
खुदको व इस क़दर भी ना गिराओ
कर्मों का ही सिला मिला है मुझे
तमाशाई सभी बवाल के हैं
पहुंचता कहींभी नहीं है
मनहूस जगह है जमाने केलिए
वही दूर हैं जो सबसे क़रीब हैं
जरा सुनभी लो
बड़प्पन और बात
रब पर भी भरोसा नहीं होगा
मन में होना ज़रूरी है
रातोंरात कोई मुल्क़ हिंदुस्तान नहीं हो जाता
भीतर बाहर जमाल ही जमाल है
ख़ूबसूरत रास्ता रहता है
आग बरस रही है आसमान से
उम्रभर हमको काम आईं माँ की दुआएं
जून की उसके नसीब में नहीं है
जीतने वाला साबित हुआ
ज्यादा से भी सब्र नहीं
खाली हमारी रूह
मदहोशी जैसे हो गए हैं
रंक या राजा थे
सीनेसे निकलकर किधर जाएगा
घरबार कोई क्या देखे
क़ुदरत हमारी तस्वीर ए हयात तराशती रहती है
इन्सां संभल जाता है तूफ़ान-ए-हवादिश से निकल जाने के बाद
तीरगी को सुब्ह ओ सहर कोई कैसे कहे
भूल कर रहा हूँ मैं
पलक पांवड़े बिछाए रखिए
ख़्वाब था कि आंख खुलते ही बिखर गया
कलभी अपना है गर आज अपना है
गांव के सपनों से भी गए
हरकोई हरकिसी से बेगाना है
नाम केलिए बदनाम हो जाता है
मुसबत ख़याल के लोग
रूह फिर लौट आती है
आँखों देखा मंज़र
जमाले-ख़्याले-मुसबत कमाल रखते हैं
जज़्बात सारे बेनक़ाब होगए
हम खुदही कहीं रहे नहीं साथ अपने
जीत के क़रीब होता है
इसी का नाम नसीब होता है
माशूक रब नज़र आने लगे
अब इन दिनों को क्योंकर गुजारें
हयाते-मुस्त'आर हमारी बिन तुम्हारे न गुज़रेगी
तकब्बुर से हासिल कुछ नहीं होता
ख़ामोशियों से मिले घाव भी जल्द नहीं भरते
दुआ में हम क्या मांगें
जिंदगी मे क्या है
जो डूबन चाहो रस माधुरी........
मैं ख़ुद डॉक्टर हूं" - यमुना
मन के पट खोल दिया करो
प्रेम न था,-हिन्दी कविता
ख़्वाहिशें
What Was in Me?
दिल लगाने पर भी नहीं लगता बशर तिरे शहर में
दिल लगाने पर भी नहीं लगता बशर तिरे शहर में
हिज्र-ओ-वस्ल का सिलसिला रहता है
बूंद बनकर सागर में समा जाना
एक प्रार्थना
जीने का बहाना चाहिए
रोटी भी तमाशा दिखाई देती है
एक व्रक्ष तुम लगाओं
उम्र ए तमाम हुई इंतज़ार करके
तेरे बिना जी नहीं पाएंगे हम
सरहद पर वीर जवान
कर्मों का असर किरदार पर दिखता है
काम की कद्र
चलने वालोंको ही मंज़िल मिला करती है
वालिद का अज़ीम साया नसीब होता
इन्सान से जोरोजब्र नहीं
हमतो तसव्वुर की तरह खुदही मिट जायेंगे
कब्र किसीकी कभी होती कहीं आबाद नहीं
यादों की कश्ती ढूंढर ही किनारा
सफ़र-ए-हयात सबकी एक ही
अपनों से जख़्म खाये हैं
चांद ही की ईद हो जाती है
चांद ही की ईद हो जाती है
यादों की बारात
तेरे बाद 💔
निर्मला
आने जाने के दरमियाँ ज़ालिम ज़माना पड़ता है
खुद ही खर्च हो जाओगे
पता ही नहीं जिंदा हैं कि मर गए हम
वक़्तही कहां लगता है
हर हाल चलना सीखें
छोटे दिल वाले बड़ी बातों की फ़िक्र नहीं किया करते। -बशर
जिंदगी तिरे लिए हमने मरके देख लिया
हर रहगुज़र-ए-सफ़र से गुज़र के देख लिया
वो ऊंचाइयां बुलंदियां किस कामकी
खून पसीना बहाना पड़ता है
बदले हुओं से मिलने को तैयार नहीं हैं हम
जमाने को बदलने का कारण होते हैं
मुमकिन नहीं मुलाक़ात है
अहंकार
अकेलपन की राहों अकेला मुसाफिर मै
अपने अंदर तो कोई-कोई कलंदर था
बेकाबू कर 🙏
तू देख, मेरा कृष्णा आ गया!
खुदगर्ज लोग सिखा जाते हैं
पता ही नहीं कौन हबीब है कौन रक़ीब है
दुबारा कौन कमबख़्त चाहता है
खाली मत बैठो घर पर
आप खुद हैं
तुम में और मुझ में कौन है बेहतर?
चाहत नहीं रहती कुछ कहने की
चाहत ही मिट जाती है जग में रहने की
वहीं पे खड़े थे हम
वहीं पे खड़े थे हम
पल-पल नाशाद आए
वाह वाह और सिर्फ़ वाह वाह
रिश्तों को निभाने में जियें कि मरें
सच तो सच होता है
लाजरख मेरे हिस्से का रिज़्क़ तू ही देकर
नासमझी और नादानी से
आराम की जिंदगी बसर करोगे
राब्ता अपने रब से रखिए
मुर्शिद मौला पीर फ़कीर न कोई
अंजाम दोस्ती के फ़ना का न होता
वही तुम पर फिदा है
राब्ते रह गए मतलब के वास्ते
अभिव्यक्ति” के शाश्वत गरिमा से....
दोज़ख से कम नहीं हुआ करता है
हालाते-हयात आदमी को ना मज़बूर करे
जात क्या पूछते हो कलंदर की
हम उसकी ही फ़रियाद करते हैं
अपने हासिल को ही खोता गया
खुद से निकलकर नहीं देखा
किसीको सहना अलग बात है
सलाहियत कम होती है
किसीसे मिलकर नहीं देखा
मां की दुआ का असर
कानों में घोला गया ज़हर ला-'इलाज है
जितना ये सफ़र मेरा है उतनाही तेरा भी है
हम अपना विश्वास लिखते हैं
हम सदा रवैय्या अपना नर्म रखते हैं
चाहने वाले ही शामिल होते हैं
हम कुछ नहीं जानते
बातचीत क्यों नहीं करते
ग़मख़्वार होना चाहिए
पूरी होनी चाहिए ग़रीब की हसरत
चाहत की सबर नहीं होती
नज़रिया हर कहीं बदल सकते हैं
बेरंग अपने 🥹
कैसे भूलूँ
यादों की तस्वीर
पहला इश्क
यादों की सफ़र”
हमारा प्यार
पहला प्यार
क्यों न खुद को तुम में बुन लूं मैं
पहला प्यार
दीवाना दिल
एकतरफ़ा इश्क
दिल की आवाज़
अधूरा इश्क़
तेरा ग़म
आख़िरी ख़्वाहिश
Tumhara aana abhi baaki hai
कुछ पल 🥹
अधूरी ना छोड़ो 🥀
चार दीवारें रोती होगी,
रिश्ते निभाना अलग बात है
मिथ्या जगमें खो जाते हैं
खुशियाँ भी फिर मर जाता हैं
कुछ कदमों की ही हैं बात........
ना डरा था और ना ही डरूंगा
मैं मर सा गया हूँ
होता है स्वाभिमान
बुरे वक़्त से क्यूं घबराता है
लोग क्या कहेंगे
जीत नहीं सकता है किसी केलिए
एक फूल के खिलखिलाने से
इश्क़ 💔🥀
बे-वक़्त बिछड़ने वाले
उभरे हम नहीं हैं
दिनरैन जगकर गर बिताए तो कोई कैसे बिताए! © 'बशर' بشر.
साफ़गोई वाले शख़्स बड़े दिलफेंक होते हैं
फुटपाथ मखमली बिस्तर हो जाता है
कभी हालत हमारी ऐसी न थी
दोस्ताना कृष्ण सुदामा जैसा किसी को आया नहीं
सबसे बड़ा सरमाया होता है
हरेला आने वाला है,
घर में हुआ आलोक
चमके सितारे नसीब के
मुक़म्मल मुराद जिंदगी की
जोशो-जज़्बे का हुनर होता है @
नाखुदा डुबो नहीं सकता
भरोसा ही शिफ़ा है किरदार का
मैं तेरा दीवाना हुआ
लोग अपना रंग दिखाने लगे हैं
तेरे फैसले पे मेरा कोई सवाल नहीं
खेल-ए-सफ़र-ए-हयात
सिफ़त हज़ार अवगुणों पर भारी है
तुमबिन हम नहीं
अक़्सर दिल दुखाते हैं
नागवार वहम तिरा सरासर नाहक है
बिनआग के ही आग जला देते हैं
कहने केलिए तैयार रहो
बाद मरने के क्यूं ज़माना मेरा दीवाना हुआ
भगवान भी प्रतीक्षा में घर के बाहर खड़े हैं
खुदसे किनारा होकर भगवान को प्यारा हो जाता है.
कोई अपना चाहिए
ख़बर नहीं के वो मौत की क़तार में है
दीनो-ईमान वाले यहाँपर अक़्सर नाखुश रहते हैं
फरेबियों का यहाँ इंतज़ार करते हैं
हमारे हुनर का ना कहीं पर नामोनिशान था
वक़्त मुझे बताए जा रहा है
तू भी मेरी कमज़ोरी है
तू नदिया की धार मैं किनारा सा रहता हूँ
छोटेसे नामकी शुरुआत मुश्क़िल से होती है
एक साथ सब जलें राजा रंक फ़कीर
आसमानों तक साथ चलने की दुवा करने में लगे हैं
अपने इरादे कमज़ोर ना होने दो
मेरे सबअपने मुक़म्मल हों
जूता ज्यादा साफ़ है
सारी क़ायनात बेकार लगती है
आंखें ही बेच देंगे तुमको ऐनक देने का वादा करके
कमियाँ निकाल रहे हैं हमारे किरदार में
नाकाम मोहब्बत 🥹
अहसासों की नई नई मज़ार होती हैं
बर्ताव और रवैय्या औलाद का
सुकून-ए-क़ल्ब मयकदे में आकर मिला
किसीकी जीत-हार ही नहीं
अपना पीछा करते हुए अरसा हुआ
दिले-मुज़्तर थाम लिया
पांवोंतले ज़मीन होती है
मुहब्बत में फ़ना
ना तो मुमकिन जुबाँ से कद -ए-औरत की सना होती है.
फटे उस नोट की तह में/विमल शर्मा 'विमल'
एक मर्तबा इन्सान बनकर तो बताओ
कौन से हुनर थे मुझमें
अगर मुस्कुरायेंगे
जन्मदिन का तोहफा**
सफलता
भैंस के आगे बीन बजाने का क्या फ़ायदा
मिट्टी डालकर किया दफ़न
मुक़म्मल किसीके इश्क़ का ख्वाब नहीं
देकर नहीं कहता किसी से
बस गया है एक उसी का नाम
बस जरा-सा रुक जाएं
कोई भी जुस्तजू बाक़ी न रहे
एकउम्मीद
कभीतो ग़रीब के घर बरस जाया करो
नसीहतों पर अम्ल किया करो
पहाङी हूँ,पहाङ चढे-उतरे है,
चल अब दूकान अपनी बंद कर
वापस घर लौट कर भी जाना है
ख़ूबसूरत अनमोल और खास होते हैं वो लोग
खुदको आस्मान पर नहीं रखा हमने
हमको अपने घर लौटना भी होगा
हम मुंतज़िर ही बैठे रहे
जुस्तजू बाक़ी है
हमको चलने से मतलब
हाथों की लकीरों में लिखा होता नहीं मुक़द्दर
मुक़द्दर हर-पल लिखा जाता है
ग़लती देखने वाले की भी होती है
बनगए मेहमान
तितली और कॉकरोच
खुद क्यूँ खुद केलिए बुरा सोचो
मां के जख़्म भरें दवा पुरानी डालकर
ना तो नाकाबिल औलाद हराम का खा खाकर शर्माती है! @"बशर"
प्रेम प्रस्ताव,
औक़ात और गैरत का दर्जा क्या है
खुशी का मतलब
लिखा हुआ बदल नहीं सकते
मनसे हारकर कभी नहीं जीता जा सकता
जेरो-ज़र पर नज़र रखता है @"बशर"
अपनों की फ़िक्र से निकलें तो हाल अपना देखें © 'बशर' bashar بشر
आस्माँ में आशियाँ नहीं होता
राजी हमसे कोई था ही नहीं
थक गए हैं आराम करते करते
किसीका होना चाहता हूँ
बिन मुहब्बत गुजारा नहीं है
जज़्बात भी अपने पास रखा करो
वक़्त भी बदलेगा और ये दिन-रात भी बदलेंगे
मसाइल सारे लोगों को लड़ाने केलिए
वह कुछ नहीं जानती
शीरीं किसीकी हुई नहीं फ़रहाद के बग़ैर
गुरू सेवा हो,
मैं चैन की नींद सो रहा था
कांटोभरा रहगुज़र नहीं देखा
उनको याद रखना वहम नहीं था
साजन ने मन तरसाया
दफ़्तर दफ़्तर आना-जाना माथा थाम लेना
झूठ नहीं बोलूं तो गर्मी से झुलस जाऊं
साया अखबारों में नाम हुआ करते थे
जिन्हें भुलाने की कोशिश में
अच्छा चाल-चलन दिल में समा जाता है
क़ाबिलियत पर ग्रहण लग जाता है
मुश्क़िल काम में दिलचस्पी कमाल होती है
अन्दरूनी ताक़त
कोशिश करना ही मायने रखता है
आपने कोशिश की
कोई पहचानता नहीं था
मसर्रत हासिल होगी
Storm
My bird
घर के दीवारो- दर के दायरे में कैद है
साथ तन्हाई का ही बेहतर है
साथ तन्हाई का ही बेहतर है
बचपन
पथ प्रदर्शक
हरगिज़ नहीं बशर बेखुदी की रहगुज़र होता
अपने-आप से जमा-खर्चे के हिसाब मांगे
मन नहीं भरता 🥰
माँ का आँचल
शिक्षा का उजाला
नादानी में जिंदगी तन्हा होती है
उसके आने के बाद बरस
दुश्मनों की चढ़ छाती पर-देशभक्ति कविता
शिव पार्वती महिमा
जिस्मों से इश्क़ 🥀
रैनबसेरे के मेहमानों की बात क्या करें
गुल खिलना ही नहीं
आनेवाले हैं बहोत
किसीके काम आएंगे तुने बनाए मकां ये सदन
कितने लोग वो देखते हैं जो उन से छुपाया जा रहा है! @"बशर"
बातों से तक़दीर नहीं बदला करती
चराग़ फिर भी जला करते हैं
हौसला हो तो आसमान कम पड़ जाता है
खुद में गुम भी रहा करो
संघर्ष और सफ़लता का सफर
रक़ीब ही आते रहे क़रीब हमारे
दर्दे-इश्क़ का असर
इंतज़ार तेरा
दिल ही सोने का है
अपने वालदैन की वज़ह से हैं
न हबीब का कोई पयाम है
बे-शक मरजा
उस से क्या जुदा होना
आजादी गाथा लिख दे,- पहाड़ी हिन्दी शौर्य कविता
एक पेड़ माँ के नाम
अपनी कमियों पर भी गौर करना
तू मिला हैं 🥹
शुक्रिया आपका 🥰🥰
बारिश
बिरबल कुमार निषाद रचनाकार छत्तीसगढ़
तुमसे आगे कुछ नहीं
तुमसे आगे कुछ नहीं
शायद, अब संभलना चाहता हूं मैं ......................
Pehchano mujhe
मिसाल 🥀🥀
दूसरों की जान बचाने के लिए 🥹🥀
भाई बहन का प्यार सलामत
जिन्दगी देखे थे,
अनकही दर्द की दास्तान
क्या बहिश्त में भी भूखे रहना पड़ता है
सिवाय अच्छाइयों के बाक़ी कुछ बचा ही नहीं
बिखर जाने दो सपने बीती रात के
मैं जल्द ही समझदार हो गया
ज़िन्दगी जीने का नाम है कोई सजा नहीं
याद आते हैं
कविता
परिणीता
जिंदगी तिरा एहतराम किया
कल दिन अच्छे भी आएंगे
लोग सच्चे भी आएंगे
हम सब अपने अपने सारे ऐब निकालें
बुराई मिटाने से मतलब है
मेरे दिल में पीर न होगी
हिमालय महिमा
धीरज राठौर
लबों से बयां नहीं होती
हम सब किराएदार हैं
मुसाफ़िरखाना संसार है
उम्र-ए-तमाम शब-ए-तन्हाई है
सीना चीरकर उसको कैसे दिखाई जाए
बात ही कुछ ऐसी है
आँखें दिखा रहा है
लबोंको बंद ज्यादा रखो कम खोलो
तुम हों 💖
मरने से पहले कोई कार ए नुमाया तो कर जाते
कार ए नुमाया तो कर जाते
हमभी मर जाएंगे वो भी मर जाएंगे
हमाराअपना जहां कोई तो हो
हमको न हुआ नसीब साया-ए-सुकूने-क़ल्ब
बिनमांगे हरशय हुई मयस्सर
चांद 🌙
इत्तेफ़ाक और कहीं होता है
वही झूठ बोला जिसका झूठ कभी झूठ नही लगा हमको
तू दीवानी हैं 🥰🦋
रात आख़री हो
मिले नहीं बुराई किसी सूरत जमाने से
कलम की ताक़त क्या है
उम्मीद से प्यार मर भी जाता है
बाबू बड़ा बेकाबू -
मरजाएं ज़हर खाकर
कर्म के सज्दे में सर करने वाले
बच्चों की मासूमियत में हुस्न-ए-ख़ुदा-दाद नुमाया करो
तक़दीर से 🦋🙌
जी-तोड़ मेहनत मशक़्क़त करता है
दिल में नहीं ठहर पाएगा
दिल में नहीं ठहर पाएगा
फासला सहा नहीं जाता
इन दूरियों का येह फासला सहा नहीं जाता
जुनूँ नहीं खोना चाहिए
जीने का हौसला जिंदा होना चाहिए
सबके सब बे-असर हुए
दम निकला हैं 🥀🥹
उम्र तमाम हुई मयखानों में नादानी से
पता ही नहीं चला कब आगया बुढापा जवानी से
कुछ गीत- कविताये हमारी,
ख़ुश रहना बेहद आसान और सरल है
दिल पर कोई गहरी बात लग जाती है
पता किसीकी औक़ात लग जाती है
हमारे बग़ैर भी आबाद थी दुनिया
कबूतर बाहर निकालना
मां से ढेरों बातें होती थी
ना जाने किस मुकाम
वो घड़ी हमारे लिए किस मतलब की
गलेतक पीने के बाद
खुदा से भी नहीं डरता है
जीने लगा तो बशर मर गया
रहगुज़र ही में बशर गुज़र गया
अपनी ज़रूरत तक अपनाते हैं
सुकून-ए-क़ल्ब से रहेंगे हम
भरोसा करने की आदत नहीं छूटी
तालीम की ज़रुरत ही है!
जिंदगी के सफ़र में बशर वापस जाना है
नर्म लहजों में बात करें
हर हालात में चलते जाना
वक़्त का काम है जवाब बताना
सरमाये लगते हैं
पराये होकर भी अपने लगते हैं
हैनहीं रिहाई की रज़ा तेरी
ख़ुदा का शुक्र अदा करते हैं
मसरूफ़ियां क़ीमती हैं
सुकूनै-क़ल्ब केलिए नींद ज़रूरी
जननी
अगर हम मुस्कुराएंगे तो
मुस्कुराना औरभी ज्यादा मुश्क़िल है
बग़ैर गलतियों के तो कोई तजुर्बा ही नहीं
मख़मूर तबीअ'त लोगोंकी ऐसीही आदत होती है
निगाहे-मुहब्बत से ज़ालिम ने इशारा न किया होता
इल्मो-अदब से पुर-नूर शख़्स किस क़दर बदनीयत था
उठा रखा आसमान है
यादों का सफ़र
माँ की ममता,प्यार पिता का, बेटी बाबुल छोड़ चली।
बग़ैर तहज़ीब-ओ-तमद्दुन के दी गई तालीम
मसर्रतों के चुरा लो अवसर थोड़े बहुत
गहराए इंतज़ार की शिद्दत
येह सितंबर की गर्मी
रखो माहौल का पूरा ध्यान
जफ़ा को वफ़ा बताई नहीं जाती हमसे
वक़्त ही नहीं मिलता
सफ़र की सूझती है
तुझे पहचानू मैं 🥹
देश के रास्तों पर शूल
आस्मां का सातवां मीज़ान हिन्दी
हमको ही है नहीं ख़बर हमारी
सूरज भी उफ़क पर उतर आता है
सवेरा
बंदा तक़दीर के भरोसे ही रहता है
जीना बड़ा दुश्वार और नासाज़ कर दिया
जीतीहुई बाजी कोभी हमें हार जाना आ गया
क़तरा-भर भी नहीं जान पाए हम
छूटा तेरा साथ
लानत है औलाद की आलमगीरी में
लानत ओ ज़लालत है औलाद की शौहरत और अमीरी पे
भटक कर थक जाते हैं
राह पे आस टिकने दे
न जाने किस तरह के ख़यालों में खोते जा रहे हैं
उड़ी हुई है नींद हमारी वस्ल-ओ-मुलाक़ात में
गाँव की गलियों से निकलकर कोईदरवेश आया @"बशर"
न पनपे भेदभाव का नासूर
शर्मसे सरझुके हमारा बेसबब सरझुके अगर किसीका
सबब बेकली और बेचैनी का
भली अपनी सब्र और समाई
आंखों में बड़े - बड़े सपने रखते हैं
बिगड़ी बात बन जाती है
ग़ज़ल
कुछ हादसात भी ज़रूरी हैं
अदाकारी हमसे दिखाई नहीं जाती
भूलकर भी अपना घर ना छोडना
उड़ने की हिम्मत चाहिए
तुझ बिन दुनिया वीरान लिखते हैं
हयात ए डवाँ-डोल का मीज़ान लिखते हैं
मीर सा नहीं काबिले-बिल-क़स्द ओ कामिल हुआ
चिंतन मनन वांछित से आधा हुआ है
घर में रह कर घर ढूंढता रहता है
मै कमल हूँ
तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
ये ज़िन्दगी के रेले
यादाश्त भी तो जाती नहीं हमारी
ग़ज़ल
गरीब का हक़ l
राधा काँधा
पिआ जिन ए भइआ
मां-बाप केलिए बेटोंसे बढ़ कर रही हैं बेटियाँ
मेरी कहानी
इश्क़ हमारा 😇✌️
निवेदन
जगमगाता है अक़्सर घर बेटियों वाला
कोशिश की आस काम आती है
अक्ल अपने पास ज्यादा समझते हैं
'अक़्ल अपने पास ज्यादा समझते हैं
बचपन अक़्सर याद आता है
बचपन अक़्सर बहुत याद आता है
तेरे अहसास के मयकदे जाते हैं
जीना ही छोड़ दे 'बशर' ग़म-ए - रंज - ओ - मलाल में
जीनाही छोड़दे बशर ग़मे-रंजो-मलाल में
शाम क्या रुके प्रभात क्या रुके
गर्द ओ गुबार-ओ-गर्द बाक़ी है
इन्सान वही होता है
फासले की तदबीर
बदल डाली अपनी तक़दीर
कविता
पत्नी
सोच और प्रवित्ति
दिलजलों की कानाफ़ूसी और सरगोशियां खा जाती है
खाली हाथों ही आना पड़ता है
रुह ने भरी है परवाज़
कड़वा सच
शामोसहर गरीब के घर आम होती है
आईने को ज़रूरत नहीहै आईना साबित करने की
सुख दुःख
ठहरे नहीं दिन सुनहरे रुकी नहीं सुहानी रात किसीकी @"बशर" بشر
काबे में भी वही है काशी में भी वही है
लोगों के दिलों में जगह बनाकर
दिखावा मत करो
रक़ीबों की दोस्ती में दम नहीं होता
अवकाश दिवस
शीर्षक (दृढ़ निश्चय)
याद सताती है
हिंदी दिवस
न्याय प्रिय विकर्ण
म्हारो प्यारो गाँव
मेरा प्यार
गुरु एक याचना है मेरी
गृह आभारी रहेगा तेरा
हर दिन नयी उम्मीद
बेमतलब का अभिमान
औक़ात होना ज़रूरी है
"बशर" खुद फिर रोता है
पढ़ल करा ये बहिनी
शाम की छटा
प्रकृति के नियम
प्यारा जहां में हिंदुस्ताँ हमारा है
अपनी खुदीमें ही मैं अपना कारवाँ होता जा रहा हूँ आलमी यौम ए बुज़ुर्गियत मुबारक @ "बशर" بشر
जब सच अपनी सफाई देने लगेगा
राम की शक्ति-पूजा
ठोकरें खाता है उतनी ही ज्यादा अक्ल आती है
अंग्रेजों को ही नहीं अंग्रेजियत को भो निकालना चाहते थे
नया रिश्वतखोर आएगा
साये में उसके कभी बैठा नहीं कोई बशर
रखे ऊंची आवाज़
तौर-तरीके तर्ज़ेअमल उस्लूब-ए-वफ़ा-ए-वतन हम नहीं समझे
वफ़ा-ए-मुहब्बत ना समझ लेना
तहज़ीबो-तमद्दुन सारी रख
रेगज़ारों की हमने भी खाक छानी है
मुझको मुझमें रहने ही नहीं दिया आख़िरी तक
किसी और दरगाह पर जा कर करें दुआ
बिगड़ी क़िस्मत संवारी है
अपने आपसे भी रहता है नाराज़ आदमी
आदमी जिंदा कहाँ है आज आदमी
मंज़िल भी दूर है और वक़्त बहोत कम
उस्ताद-ओ-मोअल्लिम हमारे मां-बाप के बाद है
तिश्नगी बुझती नहीं सामने समंदर है
अपना हमदर्द समझते हैं
अक़्सर परेशान रहा करते हैं
चौकस और होशियार
मशक़्क़त इन्सान की
रंजीदा हर शख़्स के सूरते-हाल पर संजीदा हो जाना हरदम उनका
क्या अबकभी कोई न बसेगा सूनीपड़ी जमींपर
पापड़ बिलवाती है
मुहब्बत का हक़दार नहीं मिलता
अधूरा ख़्वाब किसीका पूरा नहीं होता
हर जख़्म का शिफ़ा नहीं होता
अपने अंदर सैलाब समेटे बहता होगा
धरती का मिलन गगन से होना चाहिए
आज में गुज़रा हुआ कल ढूंढते हो
मलामतें बड़े-बड़ों को बेपर्दा बेनक़ाब कर देती हैं
खा ले हवा दो दिन इस फ़ानी संसार की
मुफ़लिस का सुकून तो देखो सड़कों पर जाकर
आदमी आवारा और मक्कार
सिरे चढाना अलग बात है
मंहगा पड़ता है उल्टी नाव खेना
किनारे पर खड़े- खड़े दरिया पार नहीं होता
कमाने के लिए घर से निकलना पड़ता है
जीना भी क़यामत है
वाबस्ता होता नहीं किसीभी मज़हब से ख़ुदा
कोई पराया कोई अपना नहीं रहता
सब्ज शजर भर दिये
दिलचस्पी बाक़ी कोई मुझ को रही नहीं हयात में
हरशय फ़ानी है इस क़ायनात में
सफ़रमें लगी ठोकर
लाईलाज वबा से बेमौत ही मर गए
राजे-दिल हमने बहोत छुपाया
तजुर्बात -ए-हयात
लबों पर नहीं तबस्सुम की लकीर
भीड़
काबू अपनी जुबाँ पर हर-सूरत रखिए
खाना-पीना सब हराम हो गया
बाहर की दुनिया सारी खारा समंदर है
मौत न जाने कहाँ मर गई
जान चली जाती है निभाते निभाते
तन्हा और दोस्तों संग वक़्त बिताने में फ़र्क होता है
साथ उसके शराफ़त रहे
किये जा रहे थे बसर कर के ख़सारा
गांव आजभी है दिल में मेरे बसा हुआ
मसर्रतें जीत के दीदार की
बिन चले मुसाफ़िर की पहचान क्या
दरिया के संग बहते हुए किनारें हैं हम
उसकी कलम का लोहा मानने लगे बड़े बड़े शायर
बबूलके पेड़ बोकर बशर आम कहाँसे खाएगा
तुरबत में आराम फर्माना अच्छा
गैर लाज़िम को भूल जाओ
बच्चा बातें सारी आज समझता है
दावते-अदावत क्यूं करें हम
बज़्म-ए-सुख़न सूनी कर गया
भीतर दिखाई भी देती है सुनाई भी देती है
भीतर दिखाई भी देती है सुनाई भी देती है
वक़्त अपना बेकार जाया कर दिया
बे-खुदी में खुदसे ही हो गए बेगाने
थोड़ी दौलत और जुड़ जाए
दर्दे-दिल ने बड़ा आघात भी सहा है
क़िस्मत पर किसीका नाम नहीं लिखा होता
भरा मन हल्का हल्का
अपने पराये का पता लग जाता है
ऐसा करके दिखाएं कि निंदक शर्मिन्दा हो जाएं @"बशर"
हज़ार किन्तु लगाये हैं इक हां के साथ
फोन पर बात होगई मान लियाकि मुलाक़ात होगई
मुस्तक़िल नहीं किसीका मुस्तक़बिल
उम्मीद-ए-वस्ले-यार भी
तराना-ए-हयात हमने गा लिया
फ़ानी दुनिया में रखा क्या है
सुनने वाले को सब्र- ओ- क़रार आ जाए
मालिक तेरी खैर करे
सफ़र में किसीका कहाँ घर "बशर"
जाहिल ही रहे जज़्बातों के फ़लसफ़े पढ़ने में
फूल झड़ना तो दूर पत्थर से बरसते हैं
गुस्से में इन्सान
लाजवाब लगता हूं 🔥🔥
सुकरात ज़हर नहीं पीता तो मर जाता
अपनी रातें काली करनी पड़ती हैं
हम सब कैसे होगए इक दूजे से जुदा
किसी बशर पर यक़ीन नहीं रहा
बंद कलियाँ खिलती हैं
अब जी चाहता हैं मेरा 🤐🤐
सुकूनदायक ज़हन नहीं बनाते
धनत्रयोदशी का मिले वरदान बुलन्द हो नाम आपका
उनकी हैं मुंतज़िर कबसे हमारी आंखें
मुहब्बत के चराग़ जलाते चलें! @ डॉ.एन.आर. कस्वाँ"बशर"
चुगलखोर से दूरी हो
भीतर बाहर उजियारा बिखर जाएगा
घर आंगन के हर इक कोने कोने महका दिए
काम केलिए निकल जाया करो
आशिक़ी अक़्ल के बोझतले दम तोड़ जाती है
आते हैं कैसे जाते है कैसे चांद सूरज और दिन-रात
सुकून और सब्र की डगर
पहचान अपनी बनानी पड़ती है
बेसबब जिंदगी बीती जाती है
अहबाब की रक़ाबतें पहचानने का इल्म कहाँ से लाईए
ज़ौक़-ए-परवाज़ केलिए खुला आसमान है
मज़हब ही में मज़हब हो गया है
दम घुट जाए
रंज-ओ-ग़म क्यूँ करें हम
फ़साना-ए-सफ़र अपना क्यूं बेदम लिखें
शराबी से शराबी कहे चल कोई शराबी ढूंढें
भोली सूरत के चेहरों पे मासूमियत ऐसी है
रुस्वाई की किस को फ़िक्र है
रहबर की नहीं ज़रूरत उनको
तसल्ली रख
उजाला हो भी नहीं सकता दीपक में अगर आग नहीं
डूबेंगे सभी साहिल पर आकर
मिरा ही साया निकला मैं जिसके पीछे चला
दूसरे भी पसंद करने लगेंगे
असामान्य काम को अंजाम देने के लिए तैयार करती है
शाद मिज़ाज मा-बाप में निशानी विषाद की
वक़्त कहाँ है
आबो-हवा हमने दुनिया-भर की देखी
इतनाकुछ करने को है
हमेशा शिकायतों के समाधान ढूंढते रहें
बेवज़ह लोगों केलिए दुनियामें कोईजगह नहीं है
हमारे लिए दुआ मांगने वाले ही हमारे क़ातिल निकले
सुकूंन से बसर करना हमारे बस में है
आ गया मौसम बहार का
मुझे नहीं मुग़ालता
इन्सान कभी वालदैन से बड़ा हो नहीं सकता
पहले किसी ज़माने में इन्सान था
अपनी क़ाबिलियत पर भरोसा किया करो
जो सुनी न गई वो बातें उसने सुनी
हरजगह गुड़ी पड़वा हो ज़रूरी नहीं
आपके नाप के नहीं रहे हैं
हम इंसान भी न हुए वो खुदा हो गए
उससे न जा सकाहै आजतलक कहीं कोई बचकर
खुश रहोगे तो दुश्वारियां मिट जाएंगी
क़ामयाबी केलिए तुम्हारा यक़ीन ज़रूरी है
ज़माना क्या कम है रक़ाबत केलिए
मरहम-शिफ़ा इसका क्या कराए कोई
फ़साना तौहीने-वफ़ा का सुनाना क्या बाक़ी रह गया
कोई किसीका आसक्त नहीं होता
सारी दुनिया को भुला देते
कोई गैर क्या समझेगा
मसर्रतें मेरी तलाश में भटकती रहीं
ख़ुलूस से दुश्मन को भी अपना बनाया जा सकता है
कुछ वक़्त केवल अपने साथ बिताना चाहिऐ
माटी से शुरू माटी पर ख़त्म बात हयात की
हकीक़त पर शक है
दौराने-हिज्रे-ए-यार की बेपनाह याद आती है
सुकूने-क़ल्ब हवा हुए के इतने ग़रीब हुए
शक्ल ओ सूरत उधार की ली हुई है
मुमकिन नहीं बिन चले मंज़िल पाना
मु'आफी मांगने में मत शरमाओ
मोहतरमा 🤩
ख़ुद-दारी को अपना ईमान समझता है
झूठ सच लगता है
हसरतें कहीं जाती नहीं हैं
रास्ते निकल जाते हैं
भीड़ में खोने की बजाय अकेले चलने का हुनर रखो
मुझ से मुझ तक का फासला ना मुझसे तय हुआ
मायूसियां उदासियां छाई इस क़दर नहीं होती
अपनी हदमें इंसान मग़र अहद होना चाहिए
शर्बत ए सुकूँ भीतर है बाहर खारा समंदर है
रंग ला रही है मेहनत इन्सान की
आपके अलावा आपके साथ कोई नहीं
मै भी किसीको याद आना चाहता हूँ
किसीको याद आना चाहता हूँ
गुमाँ ओ ग़ुरूर मत कर बशर
आप मुक़म्मल दुनिया हो अपने घर केलिए
फ़जूल की उम्मीदमें अपनाही तमाशा क्यूंकरें हम
आईना सदा हक़ीक़त अयाँ करता है
अमीरों की न हमें सोहबत चाहिए
मसर्रतों का गुल खिला नहीं
अक़्ल के अंधों को कुछ नहीं दिखाई देता है
सपनों से दूर रहता हूँ
हम जीतकर भी हार जाते हैं
याद रह जाती है
अजूबा यहाँ पर नहीं 'बशर' कोई इकलौते हैं
दोस्त हमेशा दोस्ती निभाने के फ़र्ज़ के लिए होने चाहिए
वोह तबीब ओ हबीब तेरे हर मर्ज की दवा जानता है
बीता मानव जनम बेकार
अहबाब भी कम नहीं बदले
अपना ही तमाशा फिर क्यूँ बनाएं हम
अपना ही तमाशा क्यूँ बनाएं हम
दुनिया सारी हमारी आनी-जानी लगती है
माटी के पुतले को बनाने वाला कूज़ा-गर स्वयं भगवान है
चंद रोज की मेहमान है
वो जान मिरी हयात मिरा जहान थी
मुफ़लिस की सल्तनत में धनदौलत आसपास नहीं आती
तीरगी को उजालों के हवाले कर दो
सिर्फ़ दुआएं काम आएँगी
बेज़ारी में कितना ही वक़्त गुजारा है
इस जहाँसे आगे जहाँ औरभी है
मेरे नुक़सान से तुझको नफा क्या है
ज़रूरी नहीं
जुदाई से हरसूरत वस्ले-यार बेहतर है
कस्तूरी की तलाश
मुफ़लिसी से ही रहती है कुर्बत ग़रीब की
ज्यादा देर तक टिका नहीं सुरूर किसीका बशर
क्या मर्द अपने प्यार केलिए मर सकता है
इन्सान क्यूँ इतना परेशान रहता है
कहीं पहूँच नहीं पाता है
जीना सियासत की बिसात है तो है
साथ
होती नहीं खुद ही से खुदकी मुलाक़ात
ना शोहरत पाने का गुमान
प्यार में हम हर हद से गुज़र जाएंगे
जा ही रहा है उसे भूल जाइए और जाने दीजिए
ये शेरो-सुख़न उसे बुलाने केलिए है
जगना पड़ताहै सुब्ह फिरसे उड़ने केलिए
मरनेपे पता लगताहै क्या फ़र्क पड़ता है
मन के जीते जीत
दुआ की बरसात की
शिफ़ा मिरी कर या रब
कमाल के जां- ओ- जिगर रखते हैं
ऐतबार हमारा हम पर हो
ज़िंदगी को हांकना पड़ेगा उसके हालपर
डूबने के डरसे कश्ति में सवार नहीं होता
खुद को भी जरा बदल सकते हो
गुज़र गए मीलके पत्थर मरहले मकाम राहे-सफ़र
दाख़िल घर में ठंडक लेकर दिसम्बर हुआ
ठंडा हरेक मंज़र हुआ
मुसीबतें खुशियों पर तारी रहती हैं
किरायेदार उस के मकान में है
गैरों से उम्मीद का दिन देखना पड़े
तूफ़ान जिसने देखा वो नाख़ुदा लहरों से हारा
आईने के समने सबको खुदका दीदार होगा
इजाज़त नहीं किसीको तौहीन की
रंजोग़म का नदीम बनकर जीना हमें मंज़ूर नहीं
खुद केलिए सच्चा रहने वाला दूसरों केलिए झूठा नहीं हो सकता
याद आते हैं सिर्फ़ भुलाने केलिए
हमारी उनसे वस्लो-मुलाक़ात ही दवा है
पता ही नहीं लगने देते इस्तेमाल करते हैं के चाहते हैं
खुदसे मिलनाभी उतनाही ज़रूरी है
दिल की अनसुनी करकेअक़्ल का निकला दिवाला
कहीं और कुछ और हो जाएगा
हमें इंतज़ार है इकत्तीस दिसम्बर आने की
खुशीकैसी कुछ पाने से गमकैसा कुछ खोने से
हरबार हरजगह एकजैसे रहते नहीं हैं लोग
औक़ात घरबार में
Introduction
बच्चों की ज़िम्मेदारी है
मुस्कुराना छूट जाता है
फ़रियाद बाक़ी रहे जाती है
हरगिज़ किसीसे कम नहीं
तुमसे जो प्यार कर बैठे हैं 😍
जिंदगी में जिंदगी से न हुई मुलाक़ात
तस्लीम करनाही मुश्क़िल है
वो देखने की कोशिश नहीं की जो उससे छुपाया गया है
बेहतर मुस्तक़बिल केलिए
सदाओं में है ख़ामोशी
सदाओं में है ख़ामोशी
बचपन कहीं कभी किसीका वापस नहीं लौटा
जो हमारे ख़्यालों में है हमारी तक़दीर में नहीं
कल था न आज है 'बशर' ये ज़माना आपका
तेरा भगवान राजी है
खाते-पीते उम्मीद-ए-दिलासा क्यूँ करें हम
ज़िंदगी गुज़रतीभी नहीं किसीके बिना
सजने संवरने की उनको नौबत ही नहीं आती है
सजने संवरने की उनको नौबत ही नहीं आती है
हम तपती रेतपर ही बैठेहुए देखते रह गए
ख़ून-ए-जिगर चाहिए फ़न केलिए
हुनर महज़ लफ़्ज़ों का नाकाफ़ी है
वो ना आने पर अड़ी हैं
हमको मालूम है जात-ओ-औक़ात हमारी
झूठ के पांव नहीं होते मग़र चलता खूब है
रक़ीब दूसरों के घर की रौशनाई से जलता खूब है
बनीहुई है हालत हमारी कंगाल की
वो समझते हैं कि दुनिया बपौती है उनकी
तन को निखारने से क्या होगा
नहीं है मसला दाना-पानी दो जून का
मु'आफ़ी मांग लेना ही तहज़ीब की निशानी नहीं होती
मनोरथ जिनके कमज़ोर होते हैं
सोच और कर्म से हासिल की जाती है
उसके चाहे बग़ैर कहींपर पत्ता नहीं हिल सकता
ध्यान सब पर रहता है बड़े सरकार का
ज़िम्मेदार है आदमी खुद अपने हाल का
अदावतों पर उतारू हो रहे हैं
वाना निकल पड़ा आगके दरिया की जानिब
उम्र गुज़रगई मनको बहलाने में
हमारी भी चाह की कोई राह निकले
सुनहरी हरशाम रुपहली हरसहर देखते हैं
फूल गुलाब का 🥀
बुरे का ख़्याल गुजर गया
अपने तुम्हारे कितने अपने हैं
हम किसीकी फ़ितरत को नहीं बदल पाएंगे
ख़ामुशी मेरी उड़ाकर रखदेगी नींद तुम्हारी रातों में
विसाल-ए-हक़ीक़त से "बशर" फ़रेब से तुम हिज्र करो
इन्सां ने अपनी ज़मीं और घर बदला है
जनवरी आएगी तो माहे दिसम्बर जाएगा
इन्सान कहाँ है
आदमी के भेस में मिलते शैतान यहाँ हैं
जानेवाले साल तुझे विदाई का पयाम आख़री
तेरी अदाएं 💕
मुफ़लिस का कुछ हाल बदले
क्या उम्मत का हाल बदल गया
अपने खुदके ज़मीर से ठुकराए हुए लोग
रात रात न हुई
जिसके हाथमें जो था उसने दिया उछाल
छोड़कर चौखट बचपन की
मरने से ज्यादा ज़िंदगी सताती है
एक वज़ह ने मज़बूर कर दिया रुक जाने केलिए
साबित करो कि तुम हमसे नाराज़ हो
मुझे प्यार आता है तो बेशुमार आता है
कहीं भटक न जाएं हमारे क़दम
सारी क़ायनात की तस्वीर बदल जाएगी खुद बदलो तुम्हारी तक़दीर बदल जाएगी सुकून -ए-क़ल्ब अपना कायम रखो बशर बाहरके रंजो-ग़म की तासीर बदल जाएगी
जमानेभर के अमीरों का पीर हो गया
बांटनेसे और बढेंगी मसर्रतें कम न बांटा करो
इक कसक सी हयात में रह जाती है
बहाना है इबादत
जिंदगीसे भागकर आगे निकलने की न होड़कर
नजरों से समझाकर देखेंगे ©
बूंद में समन्दर
जीता सिर्फ़ सिकंदर
मां ईश्वरीय वरदान
मर मर कर जीना सरासर बेमानी है
हर किसीको मौसमे-बहार ख़ुशनुमा मिले
सब्र और शुक्र कीजिए
पतंग हौसले की "बशर" रख सदा परवाज़ पर
गांव खो दिया शहर के हो न सके
बाप-बेटे से बढ़कर दादू-पोते का प्यार
झूठ बन जाता वज़ह तकरार का
किराए के मकान
मिलें कैसे दो किनारे
हम लौटकर नहीं आएंगे
झूठी शानो -शौकत की भूलभुलैया में खोकर रह जाएंगे
Ek gajal
जिंदगी तुझसे क्या गिला करें
हम नहीं दिखा रहे होते हैं अक़्सर वो हम होते हैं
अपनी कोई ख़्वाहिश नहीं
अपने दांत भी जीभ को काट देते हैं
हरदिन करिश्मा नहीं होता
दुश्मन के वार से पहले होशियार हो जाओ
तुम्हारी दुनिया से निकलकर ही चला गया
उर्दू ग़ज़ल
मुसाफ़िरत का वलवला
आया बसंत
गांवके होकर अगर रहे होते
सब शौक़ ही मरने लगे हैं
मैं श्रमिक हूँ
एक निहायत अच्छा इंसान है
प्यार का मिलन
अजीब दुनिया
बीती हुई बाते
चालाकचतुर बावलागेला आदमी
अपनी अहमियत बनाए रखिए
इन्सान का इम्तिहान हालात लेते हैं
चांद को महताब क्या देंगे
परवरिश में ऐहतियात भी ज़रूरी है
आसान नहीं दिलों का खेल यारों
मौसम के मिज़ाज बदल रहे हैं
उजाले उनको सताने लगे हैं
किरदार रहे जिंदा बेशक मर जाएं हम
वक़्त को बुरा बताएंगे
किसी केलिए धड़कना भी ज़रूरी है
सनम 💓
तहज़ीब-ओ-तमद्दुन माननेवालों का शुक्रिया
बच्चे आजकल कब किसीको सजदा करते है
प्यार आया हैं 💓
खुद को हया आती है
तेरी सोच तिरे ख़्याल बेलिबास बे-हिजाब आए
ऐब ओ हुनर का पता नहीं चलता
अपने ही दगा दे जाते हैं
किन्नर – एक अनकहा सच
वस्लो-गुफ़्तगू से करें दूरियाँ ये कम
जीवन तेरा बशर बस इक सफ़र लगता है
ज़ायका मीर-ओ-ग़ालिब के फ़न का
मेरा भी संसार यही
लोग दिल वाले नहीं हैं
किन्नर
किन्नर
बोझ खाली जेबका इस क़दर भारी होता है
वक़्त बुरा लगना अब शुरू हो गया
इन्सान ग़लत रस्तेपर चल पड़ता है अक़्सर
इन्सान को इन्सान से मिलाये तालीम
आपकी हयात को आपसे मुहब्बत हो जाएगी
हयात मौका देती हैकि आप खुदको नया जन्म दे पायें
छोटी-सी है मुसाफ़िरत इन्सान की
अनकही दास्तान
चैन-ओ-अमन किस भाव में मिला
उसी जगह के होकर रह जाते हैं
अपना हो के न हो पल आने वाला
इन्सान सच्चा बिगड़ रहा है
बादल कभी टिकसका है आस्मानों में
फैसले लोग ही लेते हैं कायर की हयात के
अश्आर बनते रहें बेहतर से बेहतर
बनगया ग़मकी वो दवा मुझमें
हमको हमारा खुदा मिल गया है
मर गए पहचान बनाने में
किरदार जिंदा रहता है
आदमी इन्सान हो जाए
दोस्ती सिर्फ़ मसरूफ ओ मुबतिल से करता हूँ
नतमस्तक होना पड़े
पाने की खुशी ना कुछ खोने की ही फिकर
इश्क़ में फरहाद को है सब क़बूल
अकेला पुरू ही काफ़ी है सिकंदर को हराने केलिए
किसीका इन्कार थोड़ा इसरार मांगता है
मरा अंदाज
विजय पताका हम लहराएंगे
कहानी
आसान शिकार
समझदार दादाजी
फैंटेसी कॉलोनी
भाई-बहन का प्यार
कोरे पन्ने
मुझे सुसाइड नहीं करना था
स्वर्ग की सैर
कुन फाया कुन
मायाजाल
रिश्तों की डोर
भटियारे की प्रेमकथा
फर्क
पिता "नसमझ हूँ मगर प्यार समझता हूँ"
सुरक्षा घेरा
रचयिता का धर्म
ताप
"माँ का आँचल"
बरसात की लास्ट लोकल (भाग - 1)
बरसात की लास्ट लोकल (भाग - 2)
बरसात की लास्ट लोकल (अंतिम भाग)
साथ साथ (भाग-१)
साथ साथ (भाग -2)
चिट्टी चुड़ैल (भाग 1)
चिट्टी चुड़ैल (भाग-2 अंतिम भाग)
'जिएंगे शान से.. मरेगें शान से'
कहानी
रुकी हुई ज़िंदगी भाग -१
रुकी हुई ज़िंदगी भाग-२
रुकी हुई ज़िंदगी भाग-३
दिल की बात शब्दो के साथ #बारिश वाला प्यार
पेट यूं ही नहीं भरता
पेट यूं ही नहीं भरता अंतिम भाग
बस नंबर 703 (भाग 1)
बस नंबर 703 (अंतिम भाग)
"एक बूंद प्यार की बरसात" (भाग-1)
"एक बूंद प्यार की बरसात" (भाग-2)
"एक बूंद प्यार की बरसात" (भाग-3अंतिम)
"बातों के परिन्दे"
"समय की रेत पर पलता प्रेम"
पीतांबर बालम
प्रेम की बूँदे भाग 1
प्रेम की बूँदे भाग 2
जन्म धरती से प्रेम
सत्ता हस्तांतरण
कन्या पूजन (पहला भाग)
कन्या पूजन दूसरा भाग
कन्या पूजन तीसरा भाग
कन्या पूजन( चौथा भाग)
कन्या पूजन( पांचवा भाग)
कन्या पूजन( छटा और आखिरी भाग)
यह आजकल की छोरियां
यह आजकल की छोरियां (दूसरा और आखिरी भाग)
हमसफ़र सोशल मीडिया
टिक्की
मेरे जीवनदाता
जूठे बेर
विजय गाथा
किसान की माँ - 2
किसान की माँ - 1
दादी की परी
दादी की परी
नव प्रसूता
शिक्षा का महत्व
हैप्पी वाला बर्थडे
बोलते हुए ख़्वाब (पार्ट-1)
सोनू और मिन्नी
नानी दादी
कहानी औरत की
वो बुढ़िया और मैं
मेरी दादी
फंदे
श्रद्धा टूटे ना
इंसानियत का धर्म
दादी का ट्रंक
शादी
अब बस!!
"चरित्रहीनता"
"एक अधुरा सपना" (भाग- प्रथम)
"एक अधूरा सपना" (अंतिम-भाग)
दोहरे मापदंड
रस्सी जल गई पर बल नहीं गया
पैसों की खनक
नीनू का सपना
परी और टूटू की दोस्ती
कोरोना की कहानी दादी माँ की ज़ुबानी
मम्मा का मोबाइल
तितलियां औ वितलियाँ...
लेखन और गुरु चेला संवाद
पाप और पुण्य
पाप और पुण्य
अनजान चेहरे
पाप और पुण्य
बेलजियम की चॉक्लेट...
तू तो पैदा ही मनहूस हुई थी
पाखंडी स्वामी
वार्ड नम्बर -17
पवित्र रिश्ता
किसे बताऊ
फिर वही तन्हाई
वार्ड नम्बर 17
लेखक की मुर्गी
लाल सफेद बस एंड द लास्ट सीट
ऊँट कंकड़ के नीचे
साइड इफेक्ट
सब पर पानी फिर गया
सब पर पानी फिर गया
गोल गप्पे
लालाजी की दुकान (मोक्स या मास्क)
"बाबा यहाँ ना छोड़ो मुझे..अपने साथ ले चलो।
प्रथम ग्रासे मूषक पातः (भाग-1)
प्रथम ग्रासे मूषक पातः (भाग-2)
प्रथम ग्रासे मूषक पात: (अंतिम भाग-3)
सारे पुरुष एक से नहीं
पगली
हिंदी दिवस-हिंदी का महत्व
मासूम बचपन
अकेली लड़की मौका.. या जिम्मेदारी..
अपनी हिन्दी भाषा
मैच्युरिटी
सपनों के उस पार
रक्तचरित्र
"वो भारतीय अंग्रेज"
गृहस्थ आश्रम (लघुकथा)
तुच्छ सोच (लघु कथा)
तुच्छ सोच (लघु कथा)
मैच्युरिटी
सौतन ( फॉर वैथ)
हिंदी दिवस के लिए
अक्ल खूंटी पर
कबाड़ी वाला
मैच्युरिटी
सच्चो सपूत कौन?
आमदनी का जरिया
घुटता बचपन
मन की शान्ति
माँ बेटे का ससुराल
हां मुझे बहुत डर लगता है..
डर
"वो प्यारा डर"
धरती कहे पुकार के
अदृश्य प्यार
प्रेरणा
स्वच्छता अभियान
हमारा कर्तव्य
आपके बाद
शीर्षक- बरसात की एक रात
*शीर्षक- नाच न जाने आँगन टेढ़ा*
फर्क मिटाने की तैयारी
दान
बर्थ-डे गिफ़्ट
दम लगाके होइशा
एक हाथ दोस्ती का
चाक पर जिंदगी
अन्नदाता से.छल
विजय तिलक
निर्णायक मंडली
"निर्णायक मंडली"
चरित्रहीन कौन
शादी का कार्ड
पेंटिंग की सच्चाई
छोरी भी छोरा ते कम नहीं
बचपन के रूप...
मेरा क्या कसूर..
अहमियत रिश्तों की डोर
Lockdown ki pops story
बेइंतेहा मोहब्बत
एक कप चाय
एक माँ का विश्वास
लक्ष्मी और दरिद्रता
खारी लेकिन खरी
विद्वान और विद्यावान
"कुँवारी कन्या माँ"
नमन वीर जवानों को
मज़ाक की हद
हाउ टू मेक
अनेकता में एकता
यूज टू
प्रेरक प्रसंग
काश!रावण जिंदा होता
मैं हूँ ना,,,,लंबी कहानी
यशोदा माँ
पति परमेश्वर
माँ की सीख
अतीत के घाव
बात जोहता डेरा
आसमाँ
बोलती प्रकृति
वो दिन
बोए पेड़ बबुल के आम कहाँ से पाए
तेज़ धूप
हर बात में राजी
द स्टोरी ऑफ माई थर्ड बर्थ पार्ट १
"प" से "म" तक
नयी जिन्दगी
अभागे की परिभाषा
सागर जैसी आंखों वाली
रिश्ते बनाम् रिश्ते
एक रोटी और ले लो
मुर्गे की बाघ
अंधा कानून
प्रेमी
मीरा समर्पण... एक निष्ठुर से प्रेम
सेतु,,,,,,कहानी भाग,,,1
मेरा चाँद
द स्टोरी ऑफ माई थर्ड बर्थ पार्ट 2
सेतु भाग,,,,,,2
एक बुरा ख्वाब
लघुकाथा
रिश्तों की भाषा
ये तो होना ही था
आज का दौर
बेटे बेटियां उधार के
मैं हूँ ना
एक शाम
वह घटना
मैचिंग मैचिंग
हम कितना बदलें
विकृत मानसिकता
लाल बत्ती
आखिर क्यूँ ? कब तक ?
आपसी तालमेल
मुनिया का जवाब नहीं
लोकल ट्रेन के डिब्बे के अनुभव
इंसाफ़ होता है
"एक अधूरा सफ़र"
सफ़र ए दास्तान
परवरिश की कीमत
पराई बच्चियां
बीच का दरवाज़ा
रिटर्न् टिकट
भगवान ने मिलाई कुंडली
चिंता मत करो
एक और इम्तिहान
प्यार से बढ़कर कुछ नहीं
चिंता मत करो
प्यार या...
प्यार या...
पहला प्यार
अफ़सरी रुदबा
वो कौन थी?
गार्ड का डिब्बा
छठ पर्व
किस्सा ए अंधविश्वास हास्य स्पेशल
बेड नंबर 74
सशक्त निर्णय
डरावना सत्य
चाय के बहाने
यादें बचपन की
"ईश्वरीय उपहार"
क्यूँ बुलाते चाय पर ?
कागज की नाव
एक आख़िरी फ़ोन कॉल
एक और इम्तिहान
मेरे मां-पापा
वह परी
जिन्दगी की डायरी के पन्ने
नमक की मिठास
नामुमकिन कुछ भी नहीं
फिर कब मिलोगे
हिन्दी में बिंदी का महत्व
अनकही यादें
रूहानी रिश्ता
वह त्योहार
"वो है तो सही ना "
बोया पेड़ बबूल का
आओ अपने गौरवशाली इतिहास को जाने
महंगी भूल
नामुमकिन कुछ भी नहीं
" वो नीला स्वेटर "
प्यार एक कसक
मेरी भुलक्कड़
" वो तिराहा "
तुम बच्चे भी!
" किलकारी "
नामुमकिन कुछ भी नहीं
मिनी ! कम बोलो
नामुमकिन कुछ भी नहीं
भूल सुधार
कुछ जरूरी बातें
नामुमकिन कुछ भी नहीं
ख़ुद ही बिछ जाता है
ममतालय
बता, कौन सी कहानी सुनेगा
यायावर की यादें
बड़े भाई साहब
वह ज़माना (यह 2080 की बात है)
भारत की सबसे लंबी दीवार
बदला नहीं जा सकता
बदला नहीं जा सकता
पुरुष गंध
एक बार फिर
मिनी , कम बोलो
वक़्त
गुलमोहर
खो गया मेरा प्यार
एक और भारतीय वीरांगना
असीमित खरोचें
खुला आसमान
पड़ोसी पौधे
दुल्हन बनूँगी मैं
निराली दुनिया
जाकी रही भावना जैसी
पड़ौसी पौधे
आत्मसम्मान
खुशियों के कुछ पल
असली सोना
मोरी अटरिया पे कागा
एक अधूरी ख्वाहिश
जैसी दृष्टि..
भीड़ में कुछ ऐसे भी
बोलती प्रकृति
मेरी प्यारी दीदी
दिव्य तरंगें
अब मायके नहीं जाऊँगी
माँ बनती नहीं , होती है
नई दुनिया
वो तीन सिक्के
जो बोया वो पाया
रेड लाइट एरिया
भूख कैसी
भारतीय संगीत
पैच वर्क
बेचारी बिल्ली
ब्याह ऐसा भज
मिट्टी से तकदीर संवारी
सुकून
तुलनात्मक तलवार
सुनहरी यादों का सफर
क्योंकि लड़के रोते नहीं
और सूरज निकल आया
तितली
मेरी कहानी
माँ की निशानी
नीलमणी का सपना
छल की स्वीकार्यता
वो झूला
शहीद की बीबी
नीनू का सपना
कौनसा घर मेरा
ज़िन्दगी का गणित
प से म तँक
तक़दीर की बात
अनोखा उपहार
बात बस दो कदम की
सबसे बड़ा छाता
भूतों का मेला
मैं हूँ ना
बावरा बंदा
किसान का जीवन
अब्बू का ख़याल
किसी के सांता बनिए
जन्म जन्म का साथ है
होली दिवाली
समाज सेवा
किन्नर मां
आई लव यू
समाज सेवा
अलविदा 2020
ऐसा क्यों ???
दम लगाके होइशा
कहां गये वो दिन
भिखारी की भिक्षा
मास्क वाली रजिया दर्जी
एक और साल...!
यशोदा माँ
अलविदा 2020
पहाड़ों वाला प्यार
मैं तारा बनूँगी
हाजी नाजी
तक़दीर की बात
वीर बाबूराव पुलेश्वर शेडमाके
एक कप कॉफी और तुम
और सूरज निकल आया
म्हारो प्यारो राजगढ़
एक कप काफी और तुम
नमस्ते इण्डिया
दिल्ली चलो
उम्मीद की किरण
रोटी और चंद सिक्के
इरादों मे तासीर
सपनों की दीवार
उजाला
मेरा चांद
खुरदरा ज्ञान
कुछ ख्वाब अधूरे से
अभय दान
औरत बनकर मन भर गया
तुग़लकी फ़रमान
पैसे पेड़ पर नहीं उगते
यूके ०८ डी २०४२ :- एक अनसुलझा रहस्य
परी का फ्राक
प्रेम की इति
रिच डैड
कटी पतंग
#इकरार शीर्षक : अपने अपने दायरे
क्या से क्या हो गया
मेरा पिया घर आया
चन्दर और सुधा
पवित्र बन्धन
जुन्हाई
"झूठ का दर्द"
सोच अपनी अपनी
बदलती मर्यादाएँ
गरीबी और ठंड
हमारा गौरवशाली इतिहास
लाँग कोट
हम सब एक हैं
जैसी करनी वैसी भरनी
जाड़े की यात्रा
सूरज की फीकी गर्मी
वो मोरपंख
श्रीनगर की कानी शॉल
मेरी माँ है न
पत्थर की लकीर
ठंडी रात
स्वच्छता अभियान
जय भवानी
प्यार की भाषा
शक्ति रूपेण संस्थिता
बुढ़ापे का दर्द
बन्धन पवित्र प्यार का
एक डोर नाज़ुक सी
चाँद तेरे रूप अनेक
बुढ़ापे का दर्द
जवानों की सहनशक्ति
किलकारी
संकल्प
चाँद तेरे रूप अनेक
हरे हरे नोट
वह वृक्ष
एक बूंद ओस की
हसरत की हक़ीक़त
समाज के दिखावटी मुखौटे
कारवां गुजर गया
विकास की बयार
ऑटो
संस्कारी लड़के
पाँती प्यार की
मेले में मिलाप
वो मोर पंख
नारी में समाई हां माँ
अबे ये तो अंधा है
वेलेंटाइन डे
वेलेंटाइन डे
दो धारी तलवारप
फेसबुकिया प्यार
वापसी का मौसम
वेलेंटाइन डे
बसंती सपने
घी का तड़का
दो धारी तलवार
पति पत्नी और खाना
अहम सबूत
अहम सबूत
अलविदा
हमारी साइकिल
हसरत की हक़ीक़त
महल
इस घर में मां की ममता बसी है...
चूक
मन के भाव
संकल्प
खोना
एहसासों की तस्वीर
कैसा प्रेम
सुन्दर सपना
बस ड़ो कदम
सेवा का मेवा
गोल रोटी
नृत्यांगना
सिंदूरी शाम ... समापन अंक
समर्पण
आखिरी मुलाक़ात
बस दो कदम
"अपनेपन की खुशबू"
मुस्करातें खिलौने
ब्यूटी विथ ब्रेन
कर्ण का दर्द
काजल
प्रेम-पत्र
Indian हर जगह rock करते हैं।
आउट ऑफ स्टॉक
सजा
बेटीयों की बलि कब तक?????
जिज्जी (भाग -1)
सौतेली माँ
लाँग कोट
टिप टिप बरसे पानी
मां की हँसी
मेरे साजन हैं उस पार
मां शब्द की महिमा
खुलती गाँठें
मैं हूँ ना
मां की स्मृतियाँ
माँ की ममता
माई की कत्थई साड़ी
वह खत....!!
लौटते कदम
चोर दरवाज़ा
कम्बल
पिता की सीख
भूली बिसरी यादें
दो सितारों का मिलन
एहसास
दरकते रिश्ते
सही या ग़लत
धरोहर
प्रभु तेरे रूप अनेक
"नारी के सोलह श्रींगार "
अपशगुन
उम्मीदों का बोझ
संवेदनशून्य दुनिया
जिज्जी (भाग 2)
आ घर लौट चलें...
पड़ौसी पौधे
होली के रंग
सुनहरी मनु
जिम्मेदारी
विस्थापन
क्या बताऊँ
स्वार्थी रिश्ते
सपने अपने अपने
पापों का हर्जाना
चाँद छुट्टी पर चला गया
खिड़की
मां से ही मायका
अन्धविश्वास
अनाथ
डायरी में रखे मोरपंख
#"फर्ज"
गुड टच, बैड टच
कईएक पहलू जीवन के.....!!
स्टैटस- एक और लौकडाउन *
दोस्ती
गुब्बारे वाला बच्चा
अंतर्द्वंद
पापियों के पाप
चोर दरवाजा
काकी
सोने में सुहागा
बूढ़ा आत्मसम्मान
कान्हा जी की छठ्ठी
एक अजनबी दोस्त
मासूम बचपन
अंत या आरंभ
छोटी सी खुशी
बूढ़ी अम्मा
निशा का अंत
कैप्शन और कहानी
हवेली की ठकुराइन
महादरबार
टिप टिप बरसे पानी
भूलक्कड़ परी
मदद
पहले गुस्सा फिर प्यार
सुहानी प्रेमिल शाम
"बियर-पार्टी"
मुझमें संस्कार है पर आप मैं नहीं???
महा दरबार
महा दरबार
अनोखा दशहरा
हस्तिनापुर की कहानी
ब्रह्म नाद ऊं
अनोखी रामलीला
कन्या पूजन
घी का तड़का
पत्नी की चालाकी
अंतर
नकारा
नकारा
भरोसा शेरावाली पर
लोकडाउन के वीर भाग -1
लोकडाउन के वीर भाग -2
बन्नी मेरी अपटूडेट
हसरत की हक़ीक़त
दाग अच्छे है
लागे चुनरी में दाग
अभी नहीं तो कभी नहीं
अभी नहीं तो कभी नहीं
लावारिस दीदी
जिज्जी (भाग - 3)
जिज्जी (भाग 4)
:महामारी से मुक्त होने हेतु ईश्वर को पत्र
:महामारी से मुक्त होने हेतु ईश्वर को पत्र
जिज्जी भाग 5
ईश्वर का घर
दोराहे पर खडी़ जिँदगी
#गो करोना गो
सास बहू
फूलवाली लड़की ..।
जिज्जी भाग 6
सच्ची तस्वीर
जिम्मेदारी
इंतजार
चिरकुमारी ... कल्याणी राए 💐
चिरकुमारी ... कल्याणी राए 💐
लक्ष्मण रेखा
हम होंगे कामयाब
चिरकुमारी ... कल्याणी राए 💐
जिज्जी भाग 7
कच्चे रास्ते (साप्ताहिक धारावाहिक)
चिरकुमारी ... कल्याणी राए 💐
जिज्जी भाग 8
मौत दिखाती आँखें
हैपी mothers डे माँ
चिरकुमारी ... कल्याणी राए 💐💐
जिज्जी भाग - 9
चिरकुमारी ... कल्याणी राए 💐
रिटर्न गिफ्ट
रेशमी रिश्ता
पढ़े लिखे गंवार
कभी खूशी कभी गम
हर बात में राजी
विम्मो बूआ
जिज्जी भाग 10
कच्चे रास्ते - भाग १ (साप्ताहिक धारावाहिक)
जिज्जी भाग - 11
हार जीत
जुड़वाँ फूल
सार्थक दाम्पत्य...
यादें ना जाए
फूल गुलाब का
ऐसा कौन आ रहा है
जिंदगी की मुस्कान 💐💐
वैशाख की धूप
कच्चे रास्ते - (भाग २) साप्ताहिक धारावाहिक
चाय की प्याली
चाय की प्याली
धूल वाली लड़की...
अनाथ भाग-2
आख़िर क्यूँ, कब तक
आस्था श्रम में 💐💐
काश बुद्ध सा कुछ करता
आगे की राह 💐💐
कल्हरे आलू
दोजख़ सी हवेली
कच्चे रास्ते (भाग - ३) साप्ताहिक धारावाहिक
टूटी सगाई 💐💐
सगी बहनें
शिवा और उसका जादुई जाम्ब नगर
तन्हाई
कच्चे रास्ते (भाग ४) साप्ताहिक धारावाहिक
बरगद का पेड़
"आशा की किरण"
नयी सोच
नीली चुनरिया
सात फेरे
"विपन्न तिथियाँ"
"आधा मुनाफा"
महजबीं बाई 💐💐
दुआ
और भी हैं राहें 💐💐
एक और नवप्रभात
फंड का फायदा
अनाथ भाग-3
छोटु चाय वाला
कच्चे रास्ते (भाग ५) साप्ताहिक धारावाहिक
धूप के आर-पार
हौसला 💐💐
" किन्नर"
वैलेंटाइन डे स्पेशल अवरोध 💐💐
संक्रमण
ईर्ष्या बनी औजार
मुकाबला 💐💐
कड़ी धूप में घना साया 💐💐
कड़ी धूप में घना साया 💐💐
विचित्र प्रेम
नयी बहू
गंगाजल 💐💐
राजू
जहाँ चाह वहॉं राह
लाली की जंग
सपनों का राजकुमार
"टाईम मशीन"
"कैदी नं ५०२ "
नयी रोशनी 💐💐
खफा आदमी
" हिम्मत"💐💐
" तीन पन्ने "
"युद्ध और औरत "
"समय के काले बिंदु "
"लक्ष्मी एक अनोखा उपहार "
" बादलों से घिरा आसमान "
दादी के सपने
अनाथ भाग 4
स्मिता आंटी 💐💐
खोखले रिश्ते 💐💐
अक्श की सफेद धुंध
कच्चे रास्ते (भाग ६) साप्ताहिक धारावाहिक
"पलाश के फूल"
" प्रेस वार्ता "
हमसफर 💐💐
रक्त दान
"कोरोना के दर्द"
गजानन के यादों का शहर 💐💐
लालसा 💐💐
" मेट्रो रेल"
" भेड़ियां "
" लवगुरु "
"खोया हुआ आदमी "
"संवाद हीनता "
" प्रवासी"
मीठी गोली
"बस्ते का बोझ"
" आशा की किरण "💐💐
कच्चे रास्ते (भाग ७) साप्ताहिक धारावाहिक
"विश्वास "
" रैम्बो बन गया रामादीन "
चिट्ठी आई है
बरगद की छाँव
"💐💐खाली क्षण "
" एक कप कौफी और तुम"
"संयुक्त परिवार "
" बदलते रिश्ते "
फ्रेंडशिप बेल्ट
पराई होती हैं बेटियां
"यादों के संग""
" तुम्ही से शुरू तुम्ही पर खत्म"
मोहताज नहीं होती कला
घर अपना
"इन्द्रधनुष के रँग "💐💐
"मीठी फांस "💐💐
"बीता वक्त "
कच्चे रास्ते (भाग ८) साप्ताहिक धारावाहिक
" मिट गई दूरियां "💐💐
" हमारी जिज्जी "
"भरपाई " 💐💐
"सैनिटाईजेश "
मुस्कान का मलहम
" महज बता रही हूँ "💐💐
कच्चे रास्ते (भाग ९) साप्ताहिक धारावाहिक
" हवा में खुशबू "
" नन्ही मिनी "💐💐
"दिल दीवाना "💐💐
" छोटी-छोटी खुशी "💐💐
"नन्हीं मिनी " 💐💐
"नन्ही मिनी " 💐💐
सिरीज "नन्ही मिनी"
" लचीलापन " 💐💐
मेरी जगह
अनोखा वर
जिज्जी भाग 12
" नन्ही मिनी की दुनिया " 💐💐
" मिनी की ईको फ्रेंडली होली " 💐💐
जिज्जी भाग 13
मुस्काते चेहरे
" अभी देर नहीं हुई है " 💐💐
" संध्या का उजाला " 💐💐
"सिरीज़-मिनी " 💐💐
लुटिया भर दूध
"बरसात की वो रात "💐💐
कच्चे रास्ते (भाग १०) साप्ताहिक धारावाहिक
नयी जिन्दगी
"ऑनलाइन शॉपिंग " 💐💐
" भ्रष्टाचार "💐💐
" बरसता सावन-मचलता मन "💐💐
" कृष्ण दीवानी ताज बीबी " 💐💐
कच्चे रास्ते (भाग ११ ) साप्ताहिक धारावाहिक
"हिप-हिप हुर्रे " 💐💐
" कचरे-वाला " 💐💐
"मैं गलत तो नहीं "💐💐
अनाथ भाग 5
जिज्जी (भाग 14)
खिचड़ी
वो गुलाबी दुपट्टा
ड्यूटी तो ड्यूटी है
" वक्त के अनुसार " 💐💐
"गुरु- महिमा " 💐💐
कच्चे रास्ते (भाग १२ ) साप्ताहिक धारावाहिक
सुरमई शाम
सत्यमेव जयते
" पकौड़े " 💐💐
" नाऊ वी आर फ्रेंड " 💐💐
" राह अपनी-अपनी " 💐💐
" अच्छे रास्ते का चयन " 💐💐
अनाथ भाग 6
खो गया मेरा प्यार
हव्वा नहीं कोरोना
" प्रवासी बहु " 💐💐
कच्चे रास्ते (भाग १3 ) साप्ताहिक धारावाहिक
" दो बेटों वाली मा " 💐💐
"अतीत के गलियारे से "💐💐
कच्चे रास्ते (भाग १४) साप्ताहिक धारावाहिक
" रंग-बिरंगे अनुभव '💐💐
तिरंगी ड्रेस
लगे सनिमा में काम करे
ये क्या है
" जाति - भेद " 💐💐 भाग 1
" जाति-भेद " 💐💐
Beti Huyi Hai
Naak Kat Jaayegi
कच्चे रास्ते (भाग १५ ) साप्ताहिक धारावाहिक
" अपना -घर " 💐💐
रिश्ते बन भी सकते हैं
करामाती नुस्खा
राखी का नेग
"खौली पास "डायरी के कुछ अंश
कच्चे रास्ते (भाग १६ ) साप्ताहिक धारावाहिक
नन्हे कदम
Akhbaar Wala
"कमली-बाई " 💐💐
" फौजी -बिटिया " 💐💐
" यादें खट्टी-मीठी " 💐💐
साहसी कदम
रिटर्न गिफ्ट
झूले वाला बरगद
" बाढ़ " 💐💐
कच्चे रास्ते (भाग १७) साप्ताहिक धारावाहिक
" डॉक्टर -अनुभा " 💐💐
" वे सुनहरे दिन "💐💐
काश बुद्ध से कुछ करके जाट
" मनमौजी " 💐💐
" बड़े दिल वाला " 💐💐
" ऐक्सेंट वाली हिंदी " 💐💐
" सुलभा-ताई "💐💐
कच्चे रास्ते (भाग 18) साप्ताहिक धारावाहिक
धीरे धीरे रे मना
" प्रेम के रंग " 💐💐
"सिरीज़ , 'नन्हीं मिनी 'की हसीन दुनिया 💐💐
कच्चे रास्ते (भाग १९ ) साप्ताहिक धारावाहिक
मन्ना
"टूटती -दीवारें " 💐💐
" जरुरत मंद" 💐💐
काल की मित्रता
बता, कौन सी कहानी सुनेगा
" सासु वही जो बहू मन भाए " 💐💐
" तीन बुत " 💐💐
अनजाने रिश्ते
"फ्रेंडशिप -डे "💐💐" सिरीज नन्हीं मिनी "
" लाइफ-टाइमर " 💐💐
कच्चे रास्ते (भाग २० ) साप्ताहिक धारावाहिक
तीसरा नेत्र
मिमी को मिली मोहलत
जादू की झप्पी
उचित फैंसला
"जन्म -कुंडली "💐💐
धरती से टिका अंगूठा
जय गणेशा
नाटक की आखरी कड़ी
रि टर्न गिफ्ट
रिश्ते बन भी सकते हैं
आजादी अम्मा
" आंटी जी " 💐💐
तिरङगा हमारी जान
ये क्या है
मेरा गाँव मेरा देश
बेटियाँ और नदियाँ
ये साँसे हैं हमारी
खो गया है मेरा प्यार
अपने घर
अपनी अपनी ड्यूटी
सुरमयी शाम
छाह खो गई
सत्यमेव जयते
" लंगड़ी-कन्या" 💐💐
" इतिहास " 💐💐
" करवाचौथ " 💐💐
कच्चे रास्ते (भाग २१ ) साप्ताहिक धारावाहिक
अपनी जगह
धीरे धीरे रे मना
काश बुद्ध सा कुछ कर जाता
सफ़र वेन का
लाली ने रचाई मेहंदी
बस खट्टा मत होने दो
अम्मा (Amma)
कल आज व कल
मेरी जगह
" ऑनर किलिंग "💐💐
सायरा का जादुई थैला
डर के आगे जीत है
कभी खुशी कभी गम
दुआओं की दवाई
आ अब लौट चले
"छठ पर्व विशेष " 💐💐
संग दिखाए रंग
बरगद की छाँव
सपनों का राजकुमार
फंड का सदुपयोग
मेरे पापा
एक शाम
अनोखा बरगद
जय भवानी
उषा की लाली
घी का तड़का
मम्मा तुम्हारी
चाय की प्याली
माँ के लिए
वैशाख की धूप
मिलन उत्सव
एक दीया
झरौखे की चा ह
मील के पत्थर
अमर प्रेम
सब्जियों की अदालत
फूल गुलाब का
दिव्य तरंगें
हाँजी ना जी
लागा चुनरी में दाग
जिन्दगी का दर्दीला पन्ना
अमर प्रेम
पापों का हर्जाना
तन, हाथ का मैल नहीं
भी दो कदम
"आ अब लौट चलें " 💐💐
कच्चे रास्ते (भाग २२) साप्ताहिक धारावाहिक
किवाड़
नाचो पर दूर दूर
छुआ छूत
" वो कौन है "💐💐
कच्चे रास्ते (भाग २३ ) साप्ताहिक धारावाहिक
" अभिनेत्री "💐👌🏼
छुआ छूत भाग _2
किक ऑफ़ लाइफ
" मिनी की रुमानी दुनिया " 💐💐
"मिनी की रुमानी दुनिया " 💐😁
"नन्ही मिनी की रूमानी दुनिया " 💐💐
" "नन्ही मिनी की रुमानी दुनिया " 💐💐
" नन्ही मिनी की रुमानी दुनिया " 💐💐
" नन्हीं मिनी की रुमानी दुनियां 💐💐
भाग 3 छुआ छूत
" "नन्ही मिनी की रुमानी दुनिया " 💐💐
चटोरी नई उ
रक्त सम्बन्ध
लगे रहो मुन्ना भाई
लिपटती लताएं
पिता और बेटा
"सुखद मातृत्व "
सत्य बना यूँ शरणागत
"अपराधिनी "
"अपराधिनी " 🍁🍁 अंक ... 2
" अपराधिनी " 🍁🍁
"पहला प्यार "🍁🍁
"धूल वाली लड़की " 🍁🍁
"मासूम सवाल "🍁😊
"रामरती चाची " 🍁🍁
"रामरती चाची " 🍁🍁 अंक ... १
"रामरती चाची " 🍁🍁 समापन भाग
" एसिड अटैक " 🍁🍁
कौसल्या
मेरे बाबू जी
' मिलन की बेला ' 🍁🍁
"मिलन की बेला " भाग २ 🍁🍁
" मन का मिलन " भाग ...३ 🍁🍁
" मिलन की बेला " 🍁🍁
मैं बचूँ या ना बचूँ
" अपना गाँव अपना देश " 🍁🍁
Kushagra (कुशाग्र)
"मृग-मारीचिका " 🍁🍁 भाग एक
" मृग मारीचिका " भाग ... २ 🍁🍁
" मृग-मरीचिका " भाग ...३ 🍁🍁
" मृग मारीचिका " भाग ... ४ 🍁🍁
" मृग-मरीचिका " भाग ... 5 🍁🍁
"मृग-मरीचिका " भाग ६ ... 🍁🍁
," शहर अच्छे हैं " 🍁 🍁
" मेरी भाभी " 🍁🍁
" गुलाबी -स्कूटी " 🍁🍁
"डबल इनकम " 🍁🍁
" मीठी - फाँस " 🍁🍁
"मैंने जो कुछ अपने दादाजी से सीखा " 🍁🍁
अम्मां
" आस्था " 🍁🍁
बड़े भैया " 🍁🍁
"भ्रम " 🍁🍁
" बेबी - चांदनी " 🍁🍁
" बेबी.-चांदनी " 🍁🍁
" बेबी--चांदनी " अंक ३ 🍁🍁
" बेबी चांदनी " 🍁🍁
" बेबी चांदनी " 🍁🍁
" बेबी चांदनी " 🍁🍁
" बेबी चांदनी " 🍁🍁
" एक पिता ऐसा भी " 🍁🍁
बम्बई ट्रेनिंग सेंटर की स्मृतियाँ
" गोरा-चिट्टा दूल्हा " 🍁🍁
"बोल्ड ऐन्ड ब्यूटीफुल " भाग ...एक 🍁🍁
" बोल्ड ऐन्ड ब्यूटीफुल "🍁🍁
"बोल्ड ऐन्ड ब्यूटीफुल " भाग ...३ 🍁🍁
"बोल्ड ऐन्ड ब्यूटी फुल " 🍁🍁
"बोल्ड ऐन्ड ब्यूटीफुल " भाग ... 5 🍁🍁
कर्ण और दुर्योधन
"मेरा जॉनी " 🍁🍁
डर आजादी का
सच्चाई लक्ष्मण रेखा की
नकलची चमचे
भगवान श्रीकृष्ण के ऐतिहासिक प्रमाण
रावण, परशुराम और सीता स्वयंवर
"मां की कृपा बरसती रहे" 🌺🌺
"वह मुझको छोड़ गया मां" 🌺🌺
" महानायक"
" महानायक" 🌺🌺
एकलव्य:महाभारत का महाउपेक्षित महायोद्धा
दूसरी सुर्पनखा:राक्षसी अधोमुखी
पीयूष गोयल द्वारा लिखित “सेठ का पत्र ….”
प्रेम -जगत
मरा मरा से राम राम ….. मोह मोह से ॐ ॐ
गुरु जी आशीर्वाद बनाये रखना
हीरे की अंगूठी.
आप भी याद रखना
असरदार मॉर्निंग वॉक
और वो एक कम्पनी का “COO” बन गया.
हरी कुल्फी
मेरी पहली पदयात्रा
माँ के चरणों में बहुत रोएँ…
मेरी जिद
कहानी, कविता व व्यंग्य रचनाएं
और रो पड़ी मां
मिलन
चौरासी का दिसंबर
एक संस्मरण- मम्मी का ग़ुस्सा ….
Mere Papa
Retirement
“पंजाब से आये हैं..”
एक नए सवेरे की किताब ( एक ज़िद्द एक जीत )
एक दिन सफलता मेरे सपनें में आई
अरेंज मैरिज
अरेंज मैरिज पार्ट 1
अरेंज मैरिज पार्ट 2
खाली स्थान ।
देबसिष महापात्र
असफलता से सफलता की ओर
खुद्दार लड़का
युवाओं में नशीली पदार्थो की लत
करवा-चौथ
दूसरा जनम
Unknowns connection
बिन मौसम की बरसात....
मन में कैद दुःख
मैं और वो लड़की ( भाग - 1 )
Mere Papa
" बीस डॉलर की कहानी”:
एक सुप्त स्वप्न की पूर्ति
होली की मधुर स्मृतियाँ
अजनबी भाषा में भी अपनी सी मुस्कुराहट
अजनबी भाषा में भी अपनी सी मुस्कुराहट
लिंसा-चिकोरी
नानावती मर्डर केस 1959
तोता चान कहानी
रक्षाबंधन का अनमोल उपहार
मेरे संस्मरण - किशोर
परदे के पीछे
सावधानी के साथ रोमांच
नये नये बाबाजी
धैर्य और समर्पण की शिक्षा
लेख
मैंगो वनीला मस्तानी
वृद्धावस्था में बड़ों का रखिये विशेष ख़्याल
बारिश वाला प्यार
बारिश वाला प्यार
हौसला हो यदि बुलंद तो मुश्किल नहीं करेगी तंग
लक्ष्मण स्वरूप शर्मा जीवन परिचय (1)
लक्ष्मण स्वरूप शर्मा जीवन परिचय (2)
लक्ष्मण स्वरूप शर्मा जीवन परिचय (3)
लक्ष्मण स्वरूप शर्मा जीवन परिचय (4)
लक्ष्मण स्वरूप शर्मा जीवन परिचय अंतिम भाग
शायद तुनक मिज़ाज
काषुरुष...
ह्यूमन सायकोलोजी
वासना-प्रधान बनते चले जा रहे हैं विवाह
फेंकवीर जन पावत ताही
#Stage of life and #experiences
#कैसी रीत?
झोपड़ी और महल
जानें कहाँ गए वो दिन
नन्हीं जान
वैसा भय अब क्योें नहीं
संभल ए मानव !
हार जीत
किरदार जीना मुश्किल
सोने का पिंजरा
प्यार क्या होता है?
शरद मतलब, जोशी..
भूला नहीं जाता
शिक्षक का खत विद्यार्थी के नाम
हंसी का फव्वारा
लोग क्या कहेंगे
दोहरे मापदंड़म
साक्षरता दिवस
मेरे नगपति मेरे विशाल
समाधान की ओर चलें श्मशान की ओर नहीं
हिंदी भाषा की महत्ता
हिंदी सिर्फ भाषा नहीं.....
हिंदी और हम।
हिंदी क्या है
हिंदी: विश्व की सर्वाधिक बोली जाने वाली अंतरराष्ट्रीय भाषा
हिंदी दिवस विशेष
उपेक्षिता नारी
राम नाम जीवन आधारा
विदेशों में हिन्दी , हिन्दी का विदेश
विदेश में हिंदी हिंदी का विदेश
भारत व विश्व शान्ति
किसी का कभी ना दिल दुखाउँ
सृजन और विध्वंश
नशे में कलाकार
यादों के निर्झर
यादों के झरोखे से
अंधेरे में तीर चलाते लोग
टूटती आस
अतिथि देवो भव
पहला सुख आलसी काया
मुफ्तलाल, फोकटचंद्र.....
दुनिया का आखिरी इंसान
काश से आस तक
झूठ बोले, कौआ काटे ?
अवैज्ञानिक सोच
सच ही तो क्रांति है
एक पाती माँ के नाम
किसान के बिना हम कुछ भी नहीं
क्या 1 लीटर पानी से पेड़ उगाया जा सकता है ?
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः
लोकतंत्र का चतुर्थ स्तंभ-मीडिया
ज़रा रुकिए जी
जनता का घोषणापत्र
अति से बचे
वर्तमान समय में कन्या पूजन की सार्थकता
यह राष्ट्रविरोध नहीं तो और क्या है ?
अल्मोड़ा का दशहरा
विजयदशमी ऐसे मनाएं
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस
सोने का पिंजरा
बिहार चुनाव :मुद्दे तो बहाना हैं असली बात छुपाना है
विजयादशमी का सामाजिक महत्व
राजनीति का पक्षपात
ताजमहल के कलश का रहस्य
चोका लगाया है
आस्था और विश्वास : मानव चेतना के बँधक
जो कह ना पाई
यै शायर नहीं शोषक हैं
भरोसे का बाज़ार
ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर
लुप्त होती सामान्य लोगों की न्याय की आस
लाॅकडाउन का एक दिन
ट्रेन के लोकल डिब्बे का एक्सपीरियंस
लोकल ट्रेन के एक्सपीरिएंस
बच्चों की यादगार यादें
ट्रैन के लोकल डिब्बे का एक्सपीरियंस
संताड़ी/संताल/सांथाल जनजाति
भाई के ससुराल का पहला नेवता
मूर्ति पूजन
राजनीति के जलते प्रश्न
एक अनोखा मंदिर
पुरुष दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
सूर्योपासना का अनुपम पर्व: छठ महापर्व
रविवार की छुट्टी
लोकपर्व छ्ठ
काँटो के बीहड़ में कुछ महकते गुलाब
संस्मरण,,, भूलने की आदत
संस्मरण-"काश ! होली खेल ,लेती"
होई सोई जो राम रची राखा
फ्रेक्चर्स श्रृंखला
याद करने का हुनर सीख लिया
डायरी से...
क्लास श्री बिटिया
क्लास श्री बिटिया
सामाजिक जिम्मेदारी
मेरे द्वारा की गई पुस्तक समीक्षा
सतर्कता की अति भी अच्छी नहीं
बीती ताही याद कट
जल्दी का काम शैतान का
" भुलक्कड़पन
" सोने का कड़ा"
" चाय भी क्या चीज़ है "
" चाय भी क्या चीज़ है "
आ अब लौट चलें
खौफ जीवन बचाने का....
मंदिर में दर्शन...
बेचारे अन्नदाता किसान
बस्तर के आदिवासी खेल
विद्यार्थियों को पत्र
प्रिय 2021
भारत की सबसे लंबी दीवार
पुस्तक परिचर्चा:कुंवर नारायण सिंह
बच्चो की सहजता छीन ली
उत्तर प्रदेश
उरांव जनजाति
मैं आसमानी चदरिया
मैं तुम्हें आत्मनिर्भर बनाना चाहता हूं
सैनिकों के नाम एक खत
किसानों के नाम एक खत
महान वैज्ञानिक नंबी नारायणन
मेरा राज्य मध्य प्रदेश
भारतीय किसान की व्यथा गाथा
जय माँ तुलसी
सांता क्लॉज के नाम खत
घर की नायिका, संस्कृति की नायिका
क्रिसमस/ बड़ा दिन
नायिका ही संस्कृति की वाहिका है
यात्रा वृतांत माउंट आबू
ढूंढा करते हैं तुम्हें
नव वर्ष का स्वागत
उम्मीदों का दशक
# मेरा शहर
जय किसान
छुअन अत्याचार
कलम की कहानी
#मेरा शहर
मेरा शहर
नव वर्ष पर मेरे संकल्प
नं वन
लाभकारी व्यवसाय
तेरी साड़ी सफ़ेद क्यों ?
छोटी खुशियाँ, छोटी समस्या
मकरसंक्रांति का महत्व
पतंग और हम
स्वामी विवेकानन्द
पतंग और हम
कुमाऊं का उत्तरायण पर्व
मूर्ति पूजा
भारत देश के त्यौहार
नमामि देवी नर्मदे
आयुर्वेद की ओर दुनिया के बढ़ते कदम
हमारे तीन अचूक अस्त्र -आस, प्रयास और विश्वास
पहली आज़ाद सरकार
सुभाषचन्द्र बोस
सारंडा के आदिवासी
राष्ट्रीय बालिका दिवस
राष्ट्रीय बालिका दिवस
जागरूक मतदाता कैसा हो?
जनवरी की सर्दी
जागरूक मतदाता कैसा हो ?
"हुनर की अहमियत आज भी"
हमारे कर्तव्य
आखिर आप कर सकते हैं तो हम क्यों नही।
युवाा शक्ति का रचनात्मक कार्यों में नियोजन
अपने पापा के नाम एक ख़त
साबरमती के सन्त
प्रथम परमवीर
आज की जरूरत महात्मा गांधी
आज़ाद भारत में एक राजा की फर्जी मुठभेड़
वर्क फ्रॉम होम
मीडिया जनजाति
रणछोड़ श्रीकृष्ण
गीता का सार
ऐ कलम मेरी, मेरे अल्फाज़ लिख दो।
चलो मेरे साथ
दिल की लिखूं तो क्या-क्या लिखूं ?
गुनाह हो गया है, इज़हार करना..
करारा तमाचा
हैं शिकायतें बहुत..
अब तो कुछ काम करने लगे हैं..
था वहम मेरा...
मैं ग़लत हूं, कुछ की नज़रों में..
ख़ामोश ही रहना अच्छा है।
संवेदना के बदलते रूप
#6-2-2021 संवेदनशीलता
क्रोध, गुस्सा,नफरत, अहंकार है... मीठे जहर
बसंत ऋतु के नाम पत्र
सड़क हादसे
ऑन लाइन इश्क़
एक अनोखा गांव
क्या ये कलम का अपमान नहीं?
आया है मुझे फिर याद वो जालिम
भारतीय सैनिक
बुधु भगत
जया एकादशी
मां सरस्वती
आस्था कि प्रतीक हमारी नदियां
लोकतंत्र में व्यक्ति कहाँ है ?
सिमटते परिवार
क्या स्कूल अभी खुलने चाहिए?
मजबूर या बेपरवाह इश्क
सामाजिक मूल्यों का पतन, जिम्मेदार कौन?
दहेज़ का अभिशाप
दहेज देना है तो देना है
दहेज रूपी दानव
मुफ्तलाल, फोकटचंद्र.....
टीवी बनाम बीवी
विश्व महिला दिवस के बहाने
शिव की महिमा....🙏
भूली बिसरी यादें
जीवंतता के पर्याय हमारे लोक पर्व
मेरा दसवीं का परीक्षाफल
जल ही जीवन है
भारत को ईश्वर नहीं ऐश्वर्य चाहिए
आपका मंथन , मेरा सृजन
महादेवी जी वर्मा
गप्प बरसें, भीगे रे बंगाली
अभाव और मुश्किल ने सदैव बेहतर कल का निर्माण किया है
ज़िन्दगी एक रंगमंच
विघ्नहर्ता मंगल कर्ता
कुछ तीर कुछ तुक्के
धुँधला होता रंग
सकारात्मक विचार बदलते हैं जीवन का रास्ता
गाँठें हैं बन्धन प्यार के
धुँधला होता रंग
तपता सूरज
नव संवत्सर
नवरात्रि का महत्व और तैयारी
हत्याहरण तीर्थ
दूसरा स्वयम्भू
जल ही जीवन है
पिछले लाॅकडाउन का एक दिन
प्रथम पाठशाला, हमारा परिवार
पाठक के दिलोदिमाग पर अमिट छाप छोड़ने में सफल है "डियर ज़िंदगी"
अनुपम कृति है ज़िंदगी न मिलेगी दोबारा
बूढ़ी काकी
समस्या और समाधान
स्वस्थ हम, स्वस्थ समाज
स्वयं स्वस्थ ,जनता स्वस्थ
भारत के वीर : एक परिचय
ये अनजाने
कारवाँ गुज़र गया
सकारात्मकता की नमी
जीवन के अद्भुत रहस्य
चौरंगी
पाप पुण्य से परे
पुस्तक समीक्षा ( मृत्युंजय )
समीक्षा
कविवर नरेन्द्र सिंह नीहार का कोरोना कालीन साहित्य:सन्दर्भ एवं विमर्श एक समीक्षा
दस प्रतिनिधि कहानियां
जीत जाएंगे हम
महामारी के बीच भारत
साहित्य समाज की पुनर्सृष्टी है
ऑनलाइन शॉपिंग
कुंभलगढ़ की दीवार
सुनो सब ठीक होगा
बरसो रे मेघा
पहला सुख आलसी काया
मैं आसमानी चदरिया
बावरा मन
क्षिप्रा मैया
एक इडियट के डायरी नोट्स
चिंता चिता समान है
विज्ञापन की दुनिया
आइए, मन के सूरज को जगाएं।
कली जो खिल नहीं पाई
एक इश्क खुद से ही
विवाह कहीं आह ना बन जाए
धरती का आवरण है पर्यावरण
एक खत यादों के नाम
पाँति पोहे की
एक दूजे के लिए
धरती का आवरण
" बैलगाड़ी की यात्रा"
नशामुक्ति एक प्रयास
बचपन की मधुर स्मृतियाँ
मैं तो नहीं कर पाऊँगी
"मीराबाई "
क्या कुसूर है मेरा
मुफ्तलाल, फोकटमल...
सहमा हुआ इतिहास
Wo Chaar Log
भाई हो तो ऐसा
मेरे काका भैया
"श्रीकृष्ण जन्माष्टमी विशेष " 💐💐
बनी मैं दुल्हनिया
आदर्श गुरु मेरी नज़र में
मेरी जुबान में रची बसी हिंदी
पनिया भरण कैसे जाऊँ
और प्रमाण मिल गया
शिक्षक इस प्रकार बच्चों के मन से करें गणित विषय का डर दूर
बच्चे छोड़ देंगे फोन की लत अपनाएं ये टिप्स
महिलाओ की सुरक्षा के लिए समाज को सजग होना पड़ेगा।
बेस्ट इंग्लिश लर्निंग एप्लिकेशन के विषय में जानिये
सोच रही हूँ
पहला पाठ
तक्षिका
शिक्षक बच्चों के भविष्य के लिए अपना आज और कल कुर्बान करते हैं
मन के संवाद
नाद से संवाद
जिंदगी थी जो पन्नों पे उतार दी
बारिश की बूंद
दिल की गिरह
ताना बाना
पता है
मालगुडी डेज (समीक्षा)
कान्हा का झूला
साडी़ बिच नारी है कि....
" पत्नी वामांगी क्यों कहलाती है " 💐💐
नरक चतुर्दशी
मैंडी का ढाबा
बच्चों को कैसे स्यकारित करें
रश्मिरथी : रामधारी सिंह'दिनकर'
सारंगा
चुनावी मौसम बनाम चूना फ्री मौसम
साहित्य संगीत कला विहीन साक्षात पशु पुच्छ विषाणहीन
ट्वेल्थ फेल
क़दर
एवरेस्ट विजय
सुकून की तलाश
इश्का की उदासी
दिल की दुनिया के फैंसले
यूँ इल्जाम ना लगा
किसी की मुस्कुराहों पे हो निसार
परफेक्ट के फ्रेम में फिट नहीं बैठती मैं
अंधे का बेटा अंधा
बस एक मज़ाक था।
पीयूष गोयल ने दर्पण छवि में हाथ से लिखी १७ पुस्तकें.
पीयूष गोयल द्वारा लिखित पुस्तक “सोचना तो पड़ेगा ही” के लिए साक्षात्कार..
अनपढ़ होना एक अभिशाप
गदा हनुमान जी की
आज से आप मेरी माँ हैं.
११ मोतियों की माला …..
चीन और महाभारत
तू मुझे अपना बेटा सा लगता हैं….
वाणिज्यिकृत ईश्वर
पेन ( कलम)
शिक्षा
विष्णु सहस्रनाम
जनरल जोरावर सिंह की जयंती
फूटपाथ
राजपूत जीवन चरित्र
सागरपूजा और अन्य कहानियाँ
विश्व पुस्तक दिवस
ग़ुलाम बुद्धिजीवी
कहावते
धोखेबाजी
बेटी एक पंछी
20 मई आज का इतिहास
क्षत्रिय धर्म ??
योगा होगा ….नहीं होगा ..?
दार्जिलिंग गैंगटोक यात्रा -१,संस्मरण
तरीक़े आपने ख़ुद ढूँढने हैं …..
आचार्य रामानंदाचार्य जी
दार्जीलिंग गैंगटोक यात्रा (2)
दार्जीलिंग गैंगटोक यात्रा (2)
आत्महत्या - एक बहुत बड़ी समस्या
दार्जिलिंग गैंगटोक यात्रा
दो हज़ार का नोट (व्यंग्य)
ईमानदारी से सिर्फ़ १०० के आगे तीन जीरो ही लगा पाया .
लाइब्रेरी
हम भी चले परदेस
अकेलापन
साइकिल
बचपन की बारिश
साक्षात्कार- पीयूष गोयल(दर्पण छवि लेखक).
घर जैसा भोजन
Health with Multigrain-1
हरियाली तीज
पिता
" लहरें नेह की "
चंद्रयान मिशन
श्रद्धापूर्वक श्राद्ध
काव्यांजलि
अच्छे लड़के
हरिओम शरण
Mehboob
रूठता है
ज़ख्म
A fresh Morning
इश्क क्या है ?
वचन या एक मात्र शब्द ?
द्विवेदी विला
एक यात्रा, थोड़ा मनोजागरण और ढेर सारा मलाल
इश्क़
यादें
कभी भी अपने लक्षय को छोड़ना बिलकुल भी नहीं चाहिए
बुजुर्गों का सम्मान करना:
ट्वेल्थ फेल
परीक्षाओं की तैयारी
दिल का दर्द
अंतर्मन की व्यथा
चैन से जीने दो हमें
मेरे जीवन में होली उत्सव
आशा की किरण के रूप में, प्रकाश की किरण
मौन के साथ मेरा अनुभव
“कोई भी अमर नहीं है लेकिन संघर्ष हमेशा चलता है”
"जय बोलो हनुमान की"
पुस्तक विमर्श - साये में धूप
पर्यावरण जीवन जीने की कुंजी है
Sanjh ka Suraj
बच्चों के संस्कारों के विकास पर कुछ विचार
Mother's day
"फ़िल्म समीक्षा के बारे में कुछ विचार "
फिल्म “आर्टिकल (अनुच्छेद)-370” समीक्षा
My father's Last Letter
विद्यालय शिक्षा का मंदिर है।
हास्य और व्यंग्य से जीवन को जीवंत बनाएं।
वर्षा ऋतु पर मेरे विचार और भावनाएँ
Bindesh kumar jha
A last warning
How to built a healthy relationship
Why Doesn't mind listen
राष्ट्र की सेवा में
“बड़े भाई साहब" (लेखक: मुंशी प्रेमचंद) पर मेरे विचार
योग और योग दिवस पर मेरे विचार
किसानों की महत्वपूर्ण भूमिका
पवन करे सोर
सुनसान इलाके में एक रहस्यमय मुसाफिर
हम सब भगवान शिव और देवी पार्वती की भक्ति करें
महिलाओं की महानता
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महिला स्वतंत्रता सेनानियों की भूमिका
सकारात्मक विचार
बैक्टीरिया को मेथेन पसंद है
मेरे संस्मरण - हसवा
यात्रा वृतांत
कौन बनेगा करोड़पति
ईश्वर के प्रति निस्वार्थ प्रेम
इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश की प्रतीक्षा
हमारे अध्यापक
शिक्षक दिवस पर मेरे विचार
भगवान गणेश अद्वितीय हैं।
मेरे जीवन में ड्राइंग की भूमिका
निवेदन
पितृ पक्ष पर हमारे विचार।
मेरी दृष्टि में महात्मा गांधी
मेरी दृष्टि में दशहरा त्यौहार
सफलता का जादू
रिटायर्मेंट
करवा चौथ, जैसा मैंने देखा
Sonnets in Sunlight
पन्नी
वे ख़ूबसूरत दिन
गुलाबी सर्दी में हमारी भावनाएँ
परिवार में भावों का अध्ययन
घुडचढ़ी
मेरी यह तस्वीर भी बहुत कुछ कहती है
नये साल के जश्न का मेरा अनुभव
एक चार्जर कुछ कह रहा है.
मेरी खुशी का कारण।
हम भी महाकुंभ मेले में जा रहे हैं।
मेरे लिए बसंत का विशेष महत्व है।
प्रेम कोई खेल नहीं
चित्र को समझने का मेरा नजरिया।
रोचक और लाभ दायक सफर
किन्नरों के बारे में मेरे विचार
अपने पुत्र के साथ रिश्ता
होली के दौरान रंगों के साथ मेरा अनुभव
नौकरानियों की सेवाओं के बारे में वास्तविकता
संगठनात्मक नेतृत्व
देवी दुर्गा माता के बारे में मेरे भाव
मेरे विद्यार्थी जीवन की कुछ यादें
जीवन में क्रोध प्रबंधन पर मेरे विचार।
सुंदरता के मायने क्या है
गलत भरोसा
हमारी संवेदना और श्रद्धांजलि
बच्चे मानव जाति के लिए वरदान हैं
हमारे सैनिकों को हमारी श्रद्धांजलि
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