कविताअन्य
तूफानों से लड़ता है, हौंसला न हारा है,
हर मोड़ पर जख्मी है, पर कदम न रुका है।
सपनों की खातिर, रातों को जागता है,
हर सवाल के जवाब में, जी-जान लगाता है।
फिर भी न मंजिल मिली, ये रुकने का समय नहीं,
हार में ही जीत है, ये समझना आसान नहीं।
संघर्ष ही पहचान है, राह कठिन है पर वो सही है,
हार कर भी जो उठे, वही सच्चा वीर है।
तू अपने सपनों के संग, यूं ही चलता रह,
हर गिरावट के बाद, तू फिर संभलता रह।
क्योंकि मेहनत का फल, एक दिन जरूर मिलेगा,
तेरे जज़्बे को देखकर, किस्मत भी झुकेगी।