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चल अब दूकान अपनी बंद कर - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

चल अब दूकान अपनी बंद कर

  • 21
  • 1 Min Read

पन्ने पलटने का वक़्त गया बशर
किताब-ए-हयात अपनी बंद कर,

सामान अपना समेटकर निकल
चल अब दूकान अपनी बंद कर!

© 'बशर' بشر.

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