Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
चराग़ फिर भी जला करते हैं - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

चराग़ फिर भी जला करते हैं

  • 21
  • 1 Min Read

खुद पर हो यकीं तो दश्त ए मुश्क़िलात में भी रास्ते निकला करते हैं
हज़ार बिजलियां गिरें बेशुमार आंधियां उठें चराग़ फिर भी जला करते हैं
@"बशर"

1663984935016_1722306108.jpg
user-image
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
तन्हाई
logo.jpeg