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कवितानज़्म
रोज-ओ-शब सुब्ह-ओ-शाम होती है गुजर-बसर उम्रे -बशर तमाम होती है! रोजो-शब अमीरे-शहर खास होती है शामोसहर गरीब के घर आम होती है! @"बशर"