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कवितानज़्म
ना वो मुझ से जीता न उसकी मुझसे हार हुई ख़ुलूस -ए - वफ़ा मग़र "बशर" दरकिनार हुई जार जार वो रोये आंखें भी कुछ शर्मसार हुई ना रहा वो इख़्लास मोहब्बत भी तार तार हुई © 'बशर' بشر.