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हमारा प्यार - Dipak Kumar (Sahitya Arpan)

कवितागजल

हमारा प्यार

  • 24
  • 2 Min Read

मोहब्बत के समंदर में
चलो डुबकी लगाते हैं
वो हमको आजमाते हैं
हम उनको आजमाते हैं

कोई कश्ती नहीं होगी
कोई मांझी नहीं होगा
चलो डूबोगे तुम पहले
या हम फिर डूब जाते हैं

भले पहरे हुए लाखो
बंधे पैरों में जंजीरे
मोहब्बत ने ली जो अंगडायी
तो आशिक जीत जाते हैं

ना जाने कितने किस्से है
ज़मीन – ए -हिंद में अपने
जिसे सुनकर के आशिक
आज भी आंसू बहाते हैं

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