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London is the capital city of England.
कवितागीत
चले आओ मेरे हमदम
अभी तो आस बाक़ी है
करो न देर थोड़ा भी की
बस कुछ साँस बाक़ी है
चले आओ मेरे —-
गुज़रते वक्त के संग में
गुज़र हम भी तो जायेंगे
लगाना हाँथ मैय्यत में
तुम्हे छूकर तो जायेंगे
तमन्ना है बस
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कवितागीत
ऐ खुदा झुकने पे तुझको
मज़बूर कर दूंगा
राहो के सारे मुश्किलो को
दूर कर दूंगा
ऐ खुदा झुकने पे तुझको —-
सपनो की मंज़िल जब तलक
हासिल नहीं होती मुझे
उम्मीद की राहो पे यूँ ही
बस क़दम चलते रहेंगे
रहमत करे
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कवितागजल
आज मुझे वो याद आयी
आँख मेरी फिर भर आई
मुझे लगा के उसने छुआ
पर यादो की थी परछाई
आज मुझे….
एक मुद्दत बीत गया उसको
जब उसने मुझको छोड़ा था
बड़ी गुजारिश मैने की थी
पर दिल को उसने तोड़ा था
मेरे भीगे नैनो
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कवितागजल
वही दिल है लेकिन जवानी नहीं वो
दिल धड़कता है लेकिन रवानी नहीं वो
उसकी यादें तो दिल में अभी भी है जिंदा
मै दीवाना हूं लेकिन दीवानी नहीं वो
मोहब्बत की भी उम्र होती है शायद
भला उसकी कैसे करू मै शिकायत
दिल
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कवितागीत
प्यार हमने किया प्यार तुमने किया
फिर तड़पना हमारे मुक्क़द्दर में क्यों
तुम रहे लूटते महफ़िलो को मज़े
और हम डूबे ग़म के समंदर में क्यों
प्यार हमने किया —-
मै तो हर एक सितम, हस के सहता रहा
इश्क़ तुमसे
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कवितागजल
पागल हूं दीवाना हूं
मोहब्बत के जमाने में
जरा रुख कर दो मुझपे भी
कमी क्या इस दीवाने में
मैं पागल हूं….
जरा समझो मेरी धड़कन
क्यों तुम बेचैन करते हो
तुम्हें मिलता है ऐसा क्या
मुझे यूँ आज़माने में
मैं
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कवितागजल
इश्क हुआ जब पहली दफा
छुप छुप के इशारा करते थे
खाना पीना दुस्वार हुआ
यादो से गुजारा करते थे
किस गली से गुजरेगी, किस राह से जाएगी
यारो के संग अपने
हम राह निहारा करते थे
दुनिया रंगीन हो जाती है
दिल
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कवितागजल
इश्क हुआ जब पहली दफा
छुप छुप के इशारा करते थे
खाना पीना दुस्वार हुआ
यादो से गुजारा करते थे
किस गली से गुजरेगी, किस राह से जाएगी
यारो के संग अपने
हम राह निहारा करते थे
दुनिया रंगीन हो जाती है
दिल
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कवितागजल
मोहब्बत के समंदर में
चलो डुबकी लगाते हैं
वो हमको आजमाते हैं
हम उनको आजमाते हैं
कोई कश्ती नहीं होगी
कोई मांझी नहीं होगा
चलो डूबोगे तुम पहले
या हम फिर डूब जाते हैं
भले पहरे हुए लाखो
बंधे पैरों
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कवितागजल
वो हुस्न का शराब पिलाकर चले गए,
मासूम दिल दीवाना बनाकर चले गए।
नजरों से अपने हमको जो गिरा न सके,
दिल से मुझको आज भुलाकर चले गए।
ज़िंदगी की राहों में अकेला कर दिया,
महफ़िल में मुझको आज रुलाकर चले
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कवितागजल
जो बसी है मेरी यादों में वो तस्वीर तुम हो,
मेरे हर ख्वाब और हर अक्स में, एक तासीर तुम हो।
तुम्हारे बिना ये जिंदगी अधूरी है मेरी,
मेरे हर लफ्ज़ और हर अहसास में, वो तहरीर तुम हो।
तुम्हारी हंसी से महकता
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कवितागीत
दिल मेरा भूल नहीं सकता
जो वक़्त ने मुझपे ढाया है
आँखों के पानी सूख गए
आँसु को इतना बहाया है
चार दिनों के जीवन में
बस दुख ही दुख का मेला है
इस उम्र में कितने दुख मैंने
सीने पे अब तक झेला है
कितने
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