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भरोसा करने की आदत नहीं छूटी - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

भरोसा करने की आदत नहीं छूटी

  • 5
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हयात-ए-मुस्त'आर मे अबतक बहोत उम्मीदें टूटी मग़र
इश्तियाक़ और भरोसा करने की आदत नहीं छूटी बशर
@"बशर'

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तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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ये ज़िन्दगी के रेले
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यादाश्त भी तो जाती नहीं हमारी
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प्रपोजल
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वो चांद आज आना
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