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श्री गोपाल खन्ना '' यायावर '' द्वारा रचित
आज हिमालय दिवस है।पर मुझे तो हिमालय की याद रोज ही आती है।विगत 42 वर्षोँ में जबसे मैंने हिमालय में पदयात्राएं करना शुरू किया था अब तक कुल मिला कर करीब दो साल का समय हिमालय में बिताने का सौभाग्य मिला है।15 ,16 हजार फीट तक कि 5000 हजार किलो मीटर की रोमांचक यात्राएँ भी करी हैं।
हो सकता है सबके लिए यह सम्भव न हो पर मित्रो पहाड़ों में घूमना तो एक बात है पर पहाड़ों में रहना भी अपने आप में एक आध्यात्मिक आंनद की अनुभूति प्रदान करता है।
सभी बड़े हिल स्टेशन सीजन में तो महंगे होते हैं पर आफ सीजन में वह बजट में आ जाते हैं। वैसे आपको बता दूं बहुत सर्दी को छोड़ कर बाकी सभी समय मौसम अच्छा ही होता है।हिमालय में कुछ छोटी जगह भी ऐसी हैं जहां पर रहना सुविधा जनक और सस्ता है।
तो मित्रो अगर आप भी हिमालय में 10 , 15 दिन आनंद से गुजारना चाहते है तो मैं आपकी रुकने के मामले में सहायता और मार्ग दर्शन कर सकता हूँ ।हो सकता है कोरोना से मुक्ति के बाद मैं अपने साथियों के लिए कोई फैमिली ग्रुप प्रोग्राम आयोजित करूँ।
आप सच मानिये हिमालय प्रवास आपको आत्मीय शांति प्रदान करने का अच्छा और सरल साधन है।हमारे सारे ऋषि मुनि हिमालय में ही साधना करना पसंद करते थे।हम बड़े भाग्यशाली है कि हिमालय जैसी देव भूमि हमारे देश मे ही है।
गिरिराज यही नग राज यही जननी का गौरव गर्भ धाम
दुनियाँ में जितने भी गिरि हैं सब झुक करते इसको प्रणाम।
यायावर गोपाल खन्ना
कानपुर
WRITTEN BY MR GOPAL KHANNA 'YAYAVAR' FROM KANPUR