अवकाश प्राप्त, बैंक अधिकारी.एम. ए.अर्थशास्त्र, प्रारम्भ से साहित्य में रूचि, घर में साहित्यिक वातावरण रहा, बी ए में अंग्रेजी साहित्य भी पढ़ा. बैंक की नौकरी के दौरान साहित्य से दूरियां होती रहीं. बचपन से ही कहानियां, उपन्यास पढ़ने का शौक रहा है.
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एस नामदेव बेस्ट रीडर एंड एक्टिव मेंम्बर अवार्ड - 1 | Certificate | |
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कहानी | संस्मरण | |
लेख | समीक्षा | |
लेख | आलेख | 4th |
London is the capital city of England.
लेखसमीक्षा
'' सांझ का सूरज '' उपन्यास
लेखिका : अम्रता पांडे
अद्विक पब्लिकेशन प्रा. लि. द्वारा प्रकाशित
दिल्ली - 110092
अमेज़न पर भी उपलब्ध
एक पाठकीय समीक्षा
अमृता पान्डे जी का नाम, वर्तमान
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कहानीसंस्मरण
' Mere Papa '
28th August 1981..The Day Papa Departed while he was at Hardoi, Our ancestral House, Far off from us, he Suffered a Heart Attack. There.
We all were At Kanpur.! Couldn't See him Alive.
It was Just after, three months after Our Mother Departed..!!
Father had gone to see our Ailing grandmother.. Who was In her Late 80's..!
Scores of memories..Throng..
Decades have elapsed.. Since then.
Childhood days flash..! Still Miss the Parents..!
.. Papa telling a story..
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लेखसमीक्षा
एक पाठकीय समीक्षा
' ट्वेल्थ फ़ेल' : उपन्यास
लेखक : अनुराग पाठक
प्रकाशक : नियोलिट प्रकाशन
अमेजन पर भी उपलब्ध
दिल्ली का मुखर्जी- नगर,
जहां रहकर बहुत से छात्र छात्राएँ, पब्लिक सर्विस कमीशन की परीक्षाओं
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लेखसमीक्षा
'' बेटियों की नर्म पलकों में, शादी के लहंगो की डोरियां, बचपन से उलझा दी जाती हैं, जवान होते होते,ये कच्चे धागे, एक झीनी झीनी बुनाई करते हैं. ''..
(द्विवेदी विला से)
मधु जी का लेखन अद्भुत है..! उनके लेखन
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लेखसमीक्षा
'' लहरें नेह की " कविता संग्रह
लेखिका : नेहा शर्मा
शोपीजेन.इन ( Shopizen.in)/"
एक पाठकीय समीक्षा
नेहा शर्मा जी का बहु प्रतीक्षित काव्य-संग्रह " लहरें नेह की ". आज मेरे हाथों में है, नयी पुस्तक
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कहानीसंस्मरण
RETIREMENT
The Last few Months Of my Service period,
At Mati.Kanpur Dehat, Headquarters .I was due for retirement in November, didn't think Much of retirement or How would be my future life, after retirement..
Just busy, carrying on branch activities. Without any specific thoughts.. As usual.
Annual Internal Inspection of The branch took place in July beginning..
I was the Lone officer in the branch ,in those days but had to manage, inspection and Routine work of the branch alone,
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कहानीसंस्मरण
' Mere Papa '
28th August 1981..The Day Papa Departed while he was at Hardoi, Our ancestral House, Far off from us, he Suffered a Heart Attack. There.
We all were At Kanpur.! Couldn't See him Alive.
It was Just after, three months after Our Mother Departed..!!
Father had gone to see our Ailing grandmother.. Who was In her Late 80's..!
Scores of memories..Throng..
Decades have elapsed.. Since then.
Childhood days flash..! Still Miss the Parents..!
.. Papa telling a story..
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लेखसमीक्षा
एक पाठकीय समीक्षा
' सागरपूजा और अन्य कहानियाँ ' (कहानी संग्रह)
लेखिका : आकांक्षा सिंह
प्रकाशक
अद्विक पब्लिकेशन
आई पी एक्सटेंशन
पटपड़गंज
दिल्ली - 110092
पुस्तक का मूल्य 160/- रूपये
'
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कहानीसंस्मरण
' हरी कुल्फी '
बहुत समय पहले की बात है.. हम तीन दोस्त, रोज़ शाम को अपने-अपने आफ़िस से लौट कर, शहर के एक दर्शनीय स्थल '' मोतीझील '' पर एक बेंच पर मिलते थे.
सब पैदल ही जाते थे. टहलना भी हो जाता था और बातचीत
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कहानीसंस्मरण
"यादों के झरोखे से"
* आप भी याद रखना. *
.
मेरे एक बचपन के मित्र हैं.विगत कई सालों से वह मुंबई में रहने लगे हैं.मेरे दोस्तों में वह सबसे सीधे और शरीफ, हैं पर पता नहीं क्यों वह अपनी तरफ से कभी फोन नहीं
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लेखआलेख
*यादों के झरोखे से*
"अनपढ़ होना एक अभिशाप ,,"
घटना 1958 की है।मैं कानपुर में मनीराम बगिया के नगर पालिका बेसिक स्कूल में कक्षा 5 में पढ़ता था। उस समय कानपुर में या तो सरकारी स्कूल थे या फिर अंग्रेजी मीडियम
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कहानीसंस्मरण
'' बम्बई ट्रेनिंग सेंटर '' की स्मृतियाँ
बैंक में, बम्बई स्थित " संयुक्त ट्रेनिंग सेंटर "की बहुत चर्चा होती रहती थी.काफी समय पूर्व की बात है. तब बम्बई
" मुम्बई " नहीं हुआ था..
"वर्ली सी लिंक " भी नहीं बना
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लेखआलेख
*एवरेस्ट विजय की वर्षगांठ पर*
सन 1953 में आज के दिन ही तेनजिंग नोरके और सर एडमंड हिलेरी ने पहली बार दुनियां की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट पर चढ़ने में सफलता पाई थी।
इन दोनों में किसने पहले एवरेस्ट
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लेखसमीक्षा
एक पाठकीय समीक्षा
' ट्वेल्थ फ़ेल' : उपन्यास
लेखक : अनुराग पाठक
प्रकाशक : नियोलिट प्रकाशन
अमेजन पर भी उपलब्ध
दिल्ली का मुखर्जी- नगर,
जहां रहकर बहुत से छात्र छात्राएँ, पब्लिक सर्विस कमीशन की परीक्षाओं
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कहानीलघुकथा
कहानी
००
*"क्या आपको मेरे बाबू जी का पता मालूम है?"*
चुन्नी भाभी के गुजरने के बाद आज पहली बार मैं मोती राम के घर गया तो मोती राम का कमरा देख कर एक झटका लगा।ऐसा लग रहा था पलंग की चादर कई महीनों
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लेखसमीक्षा
एक पाठकीय समीक्षा
'' मैंडी का ढाबा " (एक कहानी संग्रह)
लेखक : अजय कुमार
प्रकाशक : सर्वभाषा ट्रस्ट, नयी दिल्ली
अजय कुमार जी की रचनाएं मै बहुत समय से फ़ेसबुक पर पढ़ रहा हूँ, उनकी प्रारम्भिक रचनाओं से
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बहुत सुंदर शब्दों के चयन आपके द्वार ा की गयी समीक्षा में मैंनें भी पढ़ी है पुस्तक
बहुत धन्यवाद और आभार 🙏
कहानीसंस्मरण
*यादों के झरोखे से*
*************
" अनजाने रिश्ते "
कुछ रिश्ते बिन बोले भी बन जाते हैं..
सन 1960,
तब मैं कानपुर के जी एन के इंटर कालेज सिविल लाइंस में सातवीं क्लास में पढ़ता था।मेरे घर से स्कूल एक किलो मीटर
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कहानीसंस्मरण
संस्मरण
(शीर्षक) " खौली पास " डायरी के कतिपय अंश
मुझे, एक बार "यूथ हास्टल एसोसिएशन " दिल्ली द्वारा आयोजित 20 दिवसीय ट्रेकिंग प्रोग्राम में शामिल होने का सुअवसर मिला,
जिसे मैं कभी भी भूल नहीं सकता हूं.
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लेखसमीक्षा
एक पाठकीय समीक्षा
" सहमा हुआ इतिहास " (कहानी संग्रह)
लेखिका : डॉ प्रतिभा त्रिवेदी
"सहमा हुआ इतिहास.. " डा प्रतिभा त्रिवेदी जी की एक विलक्षण क्रति है.
प्रतिभा जी ग्वालियर के एक कन्या विद्यालय की प्रधानाचार्या
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सर, बहुत अच्छी समीक्षा की है आपने। आपकी समीक्षा पढ़कर लगता है कि बहुत अच्छा संकलन होगा।
अम्रता जी. बहुत धन्यवाद..! 🙏
लेखआलेख
अतीत के सुनहरे दिन..
: संस्मरण आयोजन 2021
" बचपन की मधुर स्मृतियाँ "
" अतीत के सुनहरे दिन '' के नाम मात्र से शायद हर किसी को अपना बचपन ही याद आता है.. क्योंकि बाद में तो बढ़ती ज़िम्मेदारियों के साथ.. अक्सर..
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बहुत बढ़िया संस्मरण दादा-दादी के ज़माने के,जो खुद दादा दादी बनने पर भी शायद इंसान नहीं भूल पाता है।
अम्रता जी.. धन्यवाद..!
कहानीसंस्मरण
संस्मरण
'' कल्हरे आलू ''
कालेज के दिनों में. मेरे कई घनिष्ठ मित्र थे,जिनके साथ बहुत सा समय व्यतीत होता था. घरों में भी खूब आना जाना रहता था.
शाम को हम लोग रोज़, मोतीझील.. पर इकट्ठा होते और काफी देर बातचीत
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बहुत अच्छा संस्मरण। बचपन के दिन हमेशा याद आते हैं। यूं तो हम पांच दोस्त थीं जो पंच प्यारे कहलाती थीं लेकिन उनमें से हम तीन बहुत पक्के दोस्त थे और आज भी वैसे ही हैं। बचपन के जैसे
अम्रता जी.. धन्यवाद 🙏
लेखसमीक्षा
पाठकीय समीक्षा
दस प्रतिनिधि कहानियां (लेखक.. राजेन्द्र राव )
किताबघर प्रकाशन
नयी दिल्ली
प्रतिनिधि कहानियां चुनने में, लेखक से अपेक्षा रहती है कि वे अपनी बहुत अच्छी रचनाओं का ही चयन करते हैं.
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लेखसमीक्षा
पाठकीय समीक्षा
' पाप पुण्य से परे ' (कहानी संग्रह)
लेखक :राजेन्द्र राव
प्रकाशक :किताब घर, नयी दिल्ली
1971 में '' साप्ताहिक हिन्दुस्तान " में राजेन्द्र राव जी की एक 'सिरीज़ प्रकाशित हुयी थी.." कोयला भई न
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पचास वर्ष पुरानी सुन्दर स्मृतियों की शानदार समीक्षा।
अम्रता जी. धन्यवाद..!
बंग-भंग 1905 की दास्तान। सहज और सटीक समीक्षा।
अम्रता जी. धन्यवाद!
कहानीबाल कहानी
एक गांव में भोला नाम का एक व्यक्ति रहता था. वह बहुत चतुर था.
वह एक बार पड़ोस के एक गांव से गुजर रहा था. उसने देखा कि एक व्यक्ति अपना खेत जोत रहा था. लेकिन उसके बैल धीरे धीरे चल रहे थे. वह बार-बार उनको
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कहानी अच्छी है पर शीर्षक सही नहीं लग रहा
जी.. धन्यवाद..! 🙏
समय निकालकर इस कहानी पर कार्य जरूर कीजियेगा। थोड़ा सा स्पष्ट और कर दीजियेगा। इस कहानी को बहुत बार पढ़ेंगे तो यह बेहतर होती चली जायेगी। फिलहाल एडिट मत कीजियेगा प्रत्तियोगिता के रिजल्ट आने के बाद कर लीजियेगा।
जी..आपका बहुत आभार..! 🙏
कहानीसंस्मरण
भूली बिसरी यादें
बुआ का स्नेह अपने भतीजे, भतीजियों के प्रति अगाध, रहता है, वे भी अपनी बुआ से सबसे अधिक प्यार करते हैं
मेरे साथ भी हमारी बुआ जी की असंख्य स्मृतियाँ हैं.
हम लोग बहुत छोटे थे तभी बुआ जी
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अपनों के आने का इंतजार भी बहुत रहता था।
जी..!!
बहुत सुंदर संस्मरण। बचपन की यादें अनमोल होती हैं। रूह-आफज़ा ही एकमात्र शर्बत होता था किसी ज़माने में
अम्रता जी.. बहुत धन्यवाद..!
कहानीसंस्मरण
मां की स्मृतियाँ
माँ के नाम मात्र से असंख्य स्मृतियाँ साकार हो जाती हैं. अपने से बड़ों का हमेशा आदर करना सिखाने वाली, कहानियाँ सुनाने वाली, भूत से डर भगाने वाली, जबरदस्ती, मिन्नत करके सिर में तेल
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ये तो सच है सर मां के साथ बीते पल बेहद खूबसूरत और सुखदायक थे..उनके बाद उनके साथ के लिए ह्रदय रो उठता है..!🙏🏻
जी. पूनम..!
माता-पिता की मधुर स्मृतियां सदा साथ रहती हैं।सच, कभी कभी अपनी नासमझी पर रुला भी देतीं है।
अम्रता जी..! धन्यवाद 🙏
बहुत ही जीवन्त संस्मरण.....👌👌👌
जी. धन्यवाद
संस्मरण बहुत सुंदरता से लिखते हैं आप🙏💐
जी..! धन्यवाद!
लेखआलेख
दहेज..का अभिशाप
मात्र यह एक शब्द मन को झकझोर सा देता है.. न जाने कितनी दुल्हनों ने इसके दुष्प्रभाव झेले, कितनों ने चुपचाप अमानुषिक अत्याचार सहे, घुट घुट कर यन्त्रणाओं के बीच, जीवन जिया, कितनों ने
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कम शब्दों में गहरी बात कही आपने
मीता जी. धन्यवाद..!
कम शब्दों में गहरी बात कही आपने
जी..! आभार..!
बहुत.. खूब.. सर
जी.. आभार
जी.. आभार
जी. बहुत धन्यवाद..!
बहुत खूब लिखा सर, स्त्री के मन को सही पढ़ा है आपने।
अम्रता जी बहुत धन्यवाद 🙏
लेखआलेख
संवेदनशीलता
संवेदना, ईश्वर प्रदत्त एक बहुत महत्वपूर्ण दैवीय गुण है.
संवेदनशीलता स्वस्थ समाज के लिए बहुत आवश्यक और महत्वपूर्ण है. दैनिक जीवन में भी संवेदनशीलता बहुत महत्वपूर्ण है. आपसी सम्बन्ध
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लेखआलेख
जनवरी का महीना
सर्दी का मौसम भी विचित्र है. जब जनवरी महीने में बहुत अधिक सर्दी होती है. कई, कई दिन सूर्य भगवान के दर्शन नहीं होते हैं,लोग अपने लिहाफ़ में दुबकना पसन्द करते हैं तब लगता है. जल्दी से
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बहुत बढ़िया सर जी..!👌 बेहद खूबसूरती से अपने शहर का वर्णन किया..!👌👌
पूनम. आपका. बहुत धन्यवाद.
कहानीसंस्मरण
*इन पुराने कागज़ों का क्या करूँ?*
बहुत दिनों से सोंच रहा था कि अपने कागज़, पत्तर का भंडार कुछ कम करूँ। बस इसी काम को अंजाम देने के लिये पुराने कागज़ों का बक्सा खोल लिया।सबसे पहले उन पत्रिकाओं का
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कहानीसंस्मरण
*इस भीड़ में कुछ लोग ऐसे भी..! ,,,*
मैं आज शाम को दीपावली के पूजन का सामान लेने कानपुर के नवाब गंज बाजार गया हुआ था।यह बाजार, करीब 400 मीटर की लम्बाई में सड़क के दोनों ओर लगता है।
मैं भगवान गणेश जी और माँ लक्ष्मी
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वाह वाह, चैतन्यपूर्ण
Sudheer ji ..Dhanyavad..!
Sudheer ji ..Dhanyavad..!
कहानीसंस्मरण
*यादों के झरोखे से*
*खुशी बाटने का कोई मौका मत छोड़िये
मैं उस समय अपने बैंक की बिरहाना रोड कानपुर शाखा में कार्यरत था। शायद 1995 की बात रही होगी।यहां 70 ,80 आदमियों का स्टाफ था।यहां की कैंटीन में टिंकू
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कहानीसंस्मरण
*यादों के झरोखे से*
*आत्म सम्मान*
ये बात सन 2010 की होगी ।मुझे अपने ममेरे भाई की बेटी की शादी में लखनऊ में अलीगंज के पास किसी गेस्ट हाउस में जाना था। कानपुर से मैं निकला तो इस हिसाब से था कि शाम 6 बजे
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जिंदगी का आशियाना इसी बालू और चूने से बनता है
Dhanyavad Ji ..!
कहानीसंस्मरण
ेयादों के झरोखे से
*मेरे भाई साहब*
आज कल परिवार इतने छोटे होते हैं कि बच्चे ये बात कभी सीख ही नहीं पाते कि कैसे मिल जुल कर रहा जाता है।
अब तो ज्यादातर हिन्दू परिवारों में एक ही बच्चा होता है।वो
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कहानीसंस्मरण
*यादों के झरोखे से*
"वो बिगड़ैल लड़का"
सन 1960 की जनवरी,
मेरे बगल वाले घर में मुन्नू (बदल हुआ नाम) नाम का एक लड़का रहता था ।वह मुझसे चार ,पांच साल बड़ा होगा।वह मोहल्ले का सबसे शरारती लड़का था।वैसे उसमें
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कहानीसंस्मरण
जिन्दगी की डायरी के पन्ने
पन्ने का नाम आते ही, डायरी के पन्नों की यादें ताज़ा हो जाती हैं.
कभी निराशा और अवसाद के क्षणों में, कभी कुछ अनुकूल अवसरों पर. डायरी के पन्ने ऐसे साथी होते हैं जो कुछ पाने
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कहानीसंस्मरण
संस्मरण..
लोकल ट्रेन के डिब्बे के अनुभव
ट्रेन की छोटी बड़ी सभी यात्राएं अनेक स्मृतियाँ जगा देती हैं. कुछ खट्टी कुछ मीठी.. विभिन्न व्यक्तित्व के लोगों से मुलाकात होती है. कुछ के कार्यकलाप अनायास
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लेखआलेख
"यादों के झरोखे से"
*साब लौटते में मिल कर जाइयेगा,,,,*
अगस्त ,सन 2010 की बात है उत्तर काशी से गंगोत्री अपनी टैक्सी से जा रहा था।भराड़ी के पास रोड पर पहाड़ टूट कर गिर गया था ।इस कारण आधे घण्टे से रास्ता जाम
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लेखआलेख
यादों के झरोखे से ,,,,,यायावर गोपाल खन्ना द्वारा लिखित.
सन 2017 का मई महीना था ,,मैं नेशनल हिमालयन ट्रेकिंग एक्सपेडिशन '' चन्द्रखानी पास '' ,,में को- डायरेक्टर था ।इसका बेस कैम्प कुलु, मनाली के बीच पतली कुहल
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अंधेरे में जल से डर का जो सजीव चित्रण किया है आपने ,वो इस संस्मरण को रोचक बनाता है। पर कई बार ऐसा लगा कि इसमें और कासबट आ सकती थी चूँकि बार बार स्थान परिवर्तन किया गया है इस संस्मरण में। बाकी बचपन से अब तक की स्थिति का जो बखान किया है इसे एकदम अलग बनाता है। शायद बालमन में छिपा भय ही अब तक व्याप्त हो।। शुभकामनाएं
जी.. बहुत धन्यवाद 🙏
रचना बहुत अच्छी है पर इसे कहानी की जगह संस्मरण का नाम देना ज्यादा उचित रहेगा।
🙏🙏
जी रचना का भाव बहुत सुन्दर है।
जी. धन्यवाद
इसे संस्मरण कहें तो ज्यादा उपयुक्त होगा और भी खूबसूरती से लिखा जा सकता है। कहीं कहीं शब्द छूट गए हैं या मैच नही कर रहे। पढ़ते वक्त महसूस हो रहा था जैसे हम भी भ्रमण कर रहे हैं। संस्मरण रोचक लिखा है।।डर तो डर होता है जिस चीज से डर लगने लगे। शुभकामनाएं
जी. बहुत धन्यवाद 🙏
भ्रमण स्थलों का अच्छा वर्णन किया है।रोचकता बनाए रखी गईं है विवरण की शुरुआत से अंत तक। अंग्रेजी शब्दों का जहां-तहां प्रयोग खल जाता है। जगहों का नाम पढ़ते-पढ़ते मुझे जानी- पहचानी जगहों की स्मृति ताजा हो गई। यह संस्मरण की श्रेणी में अधिक उपयुक्त है ना की कहानी की श्रेणी में। भविष्य के लिए अनंत शुभकामनाएं
आपका बहुत आभार 🙏
रचना बहुत ही खूबसूरत थी...लेकिन मुझे जहाँ तक लगता है इसको और भी खूबसूरत बनाया जा सकता था और बीच में जब बैंक वाली लाइन से एकदम से मोड़ के साथ बहुत ही कम शब्दों में ज्यादा कह देने वाली बात,इसमें थोड़ी सी मुझे कमी लगी क्योंकि कुछ पढ़ने वालों के लिए इतने कम शब्दों में कहानी समझ पाना संभव नहीं हो पाता...बाकी रचना बहुत ही खूबसूरत थी ...जिसे हर कोई खुद से जोड़ पायेगा। धन्यवाद
बहुत धन्यवाद 🙏
डर मानो तो डर है। वरना कुछ भी नही अच्छा लिखा है आपने।
बहुत धन्यवाद..!
कहानीसंस्मरण
*यादों के झरोखे से....*
*हिंदी दिवस पर एक हृदय स्पर्शी संस्मरण*
यायावर गोपाल खन्ना द्वारा लिखित.
सन 2015 में, मैं जब अमेरिका से भारत आ रहा था तो मुझे इस बार एम्स्टर्डम में फ्लाइट बदलनी थी। एम्स्टर्डम
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लेखआलेख
श्री गोपाल खन्ना '' यायावर '' द्वारा रचित
आज हिमालय दिवस है।पर मुझे तो हिमालय की याद रोज ही आती है।विगत 42 वर्षोँ में जबसे मैंने हिमालय में पदयात्राएं करना शुरू किया था अब तक कुल मिला कर करीब दो साल
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उस समय में भी आपकी दादी बहुत ही सशक्त व्यक्तित्व रहीं होंगी तब तो आज भी आप इतना सुंदर संस्मरण लिख सके
Swati Ji .DHANYAVAD....!
बहुत भावनात्मक है
जी.. बहुत धन्यवाद..!