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Sahitya Arpan - Kamlesh Vajpeyi
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Kamlesh Vajpeyi

Writer's Pen Name not added

अवकाश प्राप्त, बैंक अधिकारी.एम. ए.अर्थशास्त्र, प्रारम्भ से साहित्य में रूचि, घर में साहित्यिक वातावरण रहा, बी ए में अंग्रेजी साहित्य भी पढ़ा. बैंक की नौकरी के दौरान साहित्य से दूरियां होती रहीं. बचपन से ही कहानियां, उपन्यास पढ़ने का शौक रहा है.

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    कहानी संस्मरण First
    लेख समीक्षा First
    लेख आलेख 4th

    लेखसमीक्षा

    Sanjh ka Suraj

    • Added 3 days ago
    Read Now
    • 3
    • 12 Mins Read

    '' सांझ का सूरज '' उपन्यास
    लेखिका : अम्रता पांडे
    अद्विक पब्लिकेशन प्रा. लि. द्वारा प्रकाशित
    दिल्ली - 110092

    अमेज़न पर भी उपलब्ध


    एक पाठकीय समीक्षा


    अमृता पान्डे जी का नाम, वर्तमान
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    Sanjh ka Suraj ,<span>समीक्षा</span>
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    कहानीसंस्मरण

    Mere Papa

    • Added 2 months ago
    Read Now
    • 11
    • 9 Mins Read

    ' Mere Papa '

    28th August 1981..The Day Papa Departed while he was at Hardoi, Our ancestral House, Far off from us, he Suffered a Heart Attack. There.
    We all were At Kanpur.! Couldn't See him Alive.

    It was Just after, three months after Our Mother Departed..!!

    Father had gone to see our Ailing grandmother.. Who was In her Late 80's..!
    Scores of memories..Throng..
    Decades have elapsed.. Since then.

    Childhood days flash..! Still Miss the Parents..!

    .. Papa telling a story..
    Read More

    Mere Papa ,<span>संस्मरण</span>
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    लेखसमीक्षा

    ट्वेल्थ फेल

    • Added 2 months ago
    Read Now
    • 13
    • 20 Mins Read

    एक पाठकीय समीक्षा
    ' ट्वेल्थ फ़ेल' : उपन्यास
    लेखक : अनुराग पाठक
    प्रकाशक : नियोलिट प्रकाशन
    अमेजन पर भी उपलब्ध


    दिल्ली का मुखर्जी- नगर,
    जहां रहकर बहुत से छात्र छात्राएँ, पब्लिक सर्विस कमीशन की परीक्षाओं
    Read More

    ट्वेल्थ फेल,<span>समीक्षा</span>
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    लेखआलेख

    यादें

    • Added 4 months ago
    Read Now
    • 12
    • 9 Mins Read

    ' यादें '


    वर्तमान को अतीत में बदलते देर नहीं लगती. यह जीवन का एक सत्य है.

    प्रायः, हमें लगता है कि जैसे हमारे पास बहुत समय है.

    प्रतीत होता है समय, बहुत धीमी गति से आगे बढ़ रहा है.
    दिन, महीने, ऋतु परिवर्तन,
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    यादें ,<span>आलेख</span>
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    लेखसमीक्षा

    द्विवेदी विला

    • Added 4 months ago
    Read Now
    • 17
    • 25 Mins Read

    '' बेटियों की नर्म पलकों में, शादी के लहंगो की डोरियां, बचपन से उलझा दी जाती हैं, जवान होते होते,ये कच्चे धागे, एक झीनी झीनी बुनाई करते हैं. ''..

    (द्विवेदी विला से)





    मधु जी का लेखन अद्भुत है..! उनके लेखन
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    द्विवेदी विला ,<span>समीक्षा</span>
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    लेखआलेख

    हरिओम शरण

    • Added 6 months ago
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    • 22
    • 13 Mins Read

    . '' हरिओम शरण ''



    बहुत पहले की बात है. मैं रोज़ सुबह घर के पास की एक बेकरी से दूध लेने जाता था. कानपुर में, नया पराग - डेरी प्लांट बना था. वहां से उस समय, कांच की बोतल में पैक हो कर दूध सप्लाई होता था,कुछ
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    हरिओम शरण ,<span>आलेख</span>
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    लेखसमीक्षा

    " लहरें नेह की "

    • Added 8 months ago
    Read Now
    • 29
    • 14 Mins Read

    '' लहरें नेह की " कविता संग्रह
    लेखिका : नेहा शर्मा
    शोपीजेन.इन ( Shopizen.in)/"


    एक पाठकीय समीक्षा


    नेहा शर्मा जी का बहु प्रतीक्षित काव्य-संग्रह " लहरें नेह की ". आज मेरे हाथों में है, नयी पुस्तक
    Read More

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    लेखआलेख

    अकेलापन

    • Added 10 months ago
    Read Now
    • 38
    • 13 Mins Read

    '' अकेलापन ''


    यह .. शब्द मात्र ही एक विशेष प्रकार का भाव व्यक्त करता है. एक
    बेचारगी..का सा भाव ..

    कहते हैं, मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है. वह बहुत समय तक अकेला नहीं रह सकता.. उसे किसी के साथ की तीव्र आवश्यकता
    Read More

    अकेलापन ,<span>आलेख</span>
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    लेखआलेख

    लाइब्रेरी

    • Added 10 months ago
    Read Now
    • 48
    • 15 Mins Read

    '' पुस्तकालय ''


    यह. शब्द मात्र हमें, एक बहुत सुन्दर और मनोहारी अनुभूति से भर देता है..



    ' पुस्तकालय ' का अर्थ है. ज्ञान का अकूत भन्डार. आप अपनी मनचाही पुस्तक पढ़ कर अपने ज्ञान में व्रद्धि कर सकते हैं.हर
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    लाइब्रेरी ,<span>आलेख</span>
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    कहानीसंस्मरण

    Retirement

    • Added 11 months ago
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    • 135
    • 18 Mins Read

    RETIREMENT


    The Last few Months Of my Service period,
    At Mati.Kanpur Dehat, Headquarters .I was due for retirement in November, didn't think Much of retirement or How would be my future life, after retirement..

    Just busy, carrying on branch activities. Without any specific thoughts.. As usual.

    Annual Internal Inspection of The branch took place in July beginning..

    I was the Lone officer in the branch ,in those days but had to manage, inspection and Routine work of the branch alone,
    Read More

    Retirement ,<span>संस्मरण</span>
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    कहानीसंस्मरण

    Mere Papa

    • Added 11 months ago
    Read Now
    • 71
    • 9 Mins Read

    ' Mere Papa '

    28th August 1981..The Day Papa Departed while he was at Hardoi, Our ancestral House, Far off from us, he Suffered a Heart Attack. There.
    We all were At Kanpur.! Couldn't See him Alive.

    It was Just after, three months after Our Mother Departed..!!

    Father had gone to see our Ailing grandmother.. Who was In her Late 80's..!
    Scores of memories..Throng..
    Decades have elapsed.. Since then.

    Childhood days flash..! Still Miss the Parents..!

    .. Papa telling a story..
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    Mere Papa ,<span>संस्मरण</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 11 months ago

    beautifully elaborated

    Kamlesh Vajpeyi 11 months ago

    Thanks 🙏

    लेखसमीक्षा

    सागरपूजा और अन्य कहानियाँ

    • Added 1 year ago
    Read Now
    • 57
    • 24 Mins Read

    एक पाठकीय समीक्षा

    ' सागरपूजा और अन्य कहानियाँ ' (कहानी संग्रह)
    लेखिका : आकांक्षा सिंह
    प्रकाशक
    अद्विक पब्लिकेशन
    आई पी एक्सटेंशन
    पटपड़गंज
    दिल्ली - 110092
    पुस्तक का मूल्य 160/- रूपये





    '
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    सागरपूजा और अन्य कहानियाँ ,<span>समीक्षा</span>
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    कहानीसंस्मरण

    हरी कुल्फी

    • Added 1 year ago
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    • 52
    • 12 Mins Read

    ' हरी कुल्फी '

    बहुत समय पहले की बात है.. हम तीन दोस्त, रोज़ शाम को अपने-अपने आफ़िस से लौट कर, शहर के एक दर्शनीय स्थल '' मोतीझील '' पर एक बेंच पर मिलते थे.
    सब पैदल ही जाते थे. टहलना भी हो जाता था और बातचीत
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    हरी कुल्फी ,<span>संस्मरण</span>
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    कहानीसंस्मरण

    आप भी याद रखना

    • Added 1 year ago
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    • 39
    • 15 Mins Read

    "यादों के झरोखे से"

    * आप भी याद रखना. *

    .
    मेरे एक बचपन के मित्र हैं.विगत कई सालों से वह मुंबई में रहने लगे हैं.मेरे दोस्तों में वह सबसे सीधे और शरीफ, हैं पर पता नहीं क्यों वह अपनी तरफ से कभी फोन नहीं
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    आप भी याद रखना ,<span>संस्मरण</span>
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    लेखआलेख

    अनपढ़ होना एक अभिशाप

    • Added 1 year ago
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    • 61
    • 14 Mins Read

    *यादों के झरोखे से*

    "अनपढ़ होना एक अभिशाप ,,"

    घटना 1958 की है।मैं कानपुर में मनीराम बगिया के नगर पालिका बेसिक स्कूल में कक्षा 5 में पढ़ता था। उस समय कानपुर में या तो सरकारी स्कूल थे या फिर अंग्रेजी मीडियम
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    अनपढ़ होना एक अभिशाप ,<span>आलेख</span>
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    कहानीसंस्मरण

    बम्बई ट्रेनिंग सेंटर की स्मृतियाँ

    • Edited 1 year ago
    Read Now
    • 76
    • 20 Mins Read

    '' बम्बई ट्रेनिंग सेंटर '' की स्मृतियाँ

    बैंक में, बम्बई स्थित " संयुक्त ट्रेनिंग सेंटर "की बहुत चर्चा होती रहती थी.काफी समय पूर्व की बात है. तब बम्बई
    " मुम्बई " नहीं हुआ था..
    "वर्ली सी लिंक " भी नहीं बना
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    बम्बई ट्रेनिंग सेंटर की स्मृतियाँ ,<span>संस्मरण</span>
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    सीमा वर्मा

    सीमा वर्मा 1 year ago

    बेहतरीन सर 🙏

    Kamlesh Vajpeyi 1 year ago

    जी. धन्यवाद और आभार

    लेखआलेख

    एवरेस्ट विजय

    • Edited 1 year ago
    Read Now
    • 85
    • 8 Mins Read

    *एवरेस्ट विजय की वर्षगांठ पर*

           सन 1953 में आज के दिन ही तेनजिंग नोरके और सर एडमंड हिलेरी ने पहली बार दुनियां की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट पर चढ़ने में सफलता पाई थी।
      इन दोनों में किसने पहले एवरेस्ट 
    Read More

    एवरेस्ट विजय ,<span>आलेख</span>
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    सीमा वर्मा

    सीमा वर्मा 1 year ago

    बेहतरीन सर 🙏

    लेखसमीक्षा

    ट्वेल्थ फेल

    • Edited 1 year ago
    Read Now
    • 79
    • 19 Mins Read

    एक पाठकीय समीक्षा
    ' ट्वेल्थ फ़ेल' : उपन्यास
    लेखक : अनुराग पाठक
    प्रकाशक : नियोलिट प्रकाशन
    अमेजन पर भी उपलब्ध


    दिल्ली का मुखर्जी- नगर,
    जहां रहकर बहुत से छात्र छात्राएँ, पब्लिक सर्विस कमीशन की परीक्षाओं
    Read More

    ट्वेल्थ फेल,<span>समीक्षा</span>
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    सीमा वर्मा

    सीमा वर्मा 1 year ago

    बहुत बढ़ियां 👍👍

    Kamlesh Vajpeyi 1 year ago

    BAHOT DHANYAVAD...! AABHAR..!

    कहानीसंस्मरण

    अम्मां

    • Edited 1 year ago
    Read Now
    • 95
    • 12 Mins Read

    '' अम्मा ''

           बात सन 2005,या 6 की रही होगी।मैं बैंक की तिलक नगर शाखा में कार्यरत था।वहां  करीब 75,,80 साल की  एक वृद्ध महिला आया करती थीं। उनको वृद्धावस्था  पेंशन मिलती थी।वह शरीर से काफी कमजोर थीं और
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    अम्मां ,<span>संस्मरण</span>
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    कहानीलघुकथा

    मेरे बाबू जी

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 79
    • 15 Mins Read

    कहानी
            ००
    *"क्या आपको मेरे बाबू जी का पता मालूम है?"*

         चुन्नी भाभी के गुजरने के बाद आज  पहली बार  मैं मोती राम के घर गया तो मोती राम का कमरा देख कर एक झटका लगा।ऐसा लग रहा था पलंग की चादर कई महीनों
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    मेरे बाबू जी ,<span>लघुकथा</span>
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    कहानीसंस्मरण

    कौसल्या

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 67
    • 21 Mins Read

    ' संस्मरण ''


    मेरे कैरियर के बहुत से वर्ष बैंकिंग में ही बीते, अतः अधिकांश संस्मरण भी तभी के हैं. एक संस्मरण प्रस्तुत है..!

    बात तब की है जब मैं. कानपुर देहात के मुख्यालय '' माती '' में कार्यरत था. सी डी
    Read More

    कौसल्या ,<span>संस्मरण</span>
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    लेखसमीक्षा

    सारंगा

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 352
    • 17 Mins Read

    '' एक पाठकीय समीक्षा ''
    " सारंगा " (लघुकथा संग्रह)
    लेखिका : ज्योत्स्ना सिंह
    प्रकाशक " शारदेय प्रकाशन" लखनऊ
    '' अमेजन " पर भी उपलब्ध

    'सारंगा ' ज्योत्सना सिंह जी द्वारा रचित, 85 लघुकथाओं का अत्यंत सुन्दर कथा-संग्रह
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    सारंगा ,<span>समीक्षा</span>
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    Jyotsana Singh

    Jyotsana Singh 2 years ago

    सर,आपका बेहद शुक्रिया

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    जी.. धन्यवाद 🙏

    लेखसमीक्षा

    मैंडी का ढाबा

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 86
    • 12 Mins Read

    एक पाठकीय समीक्षा

    '' मैंडी का ढाबा  " (एक कहानी संग्रह)
    लेखक : अजय कुमार
    प्रकाशक : सर्वभाषा ट्रस्ट, नयी दिल्ली


    अजय कुमार जी की रचनाएं मै बहुत समय से फ़ेसबुक पर पढ़ रहा हूँ, उनकी प्रारम्भिक रचनाओं से
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    मैंडी का ढाबा ,<span>समीक्षा</span>
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    सीमा वर्मा

    सीमा वर्मा 2 years ago

    बहुत सुंदर शब्दों के चयन आपके द्वार ा की गयी समीक्षा में मैंनें भी पढ़ी है पुस्तक

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    बहुत धन्यवाद और आभार 🙏

    लेखसमीक्षा

    तक्षिका

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 299
    • 13 Mins Read

    एक पाठकीय प्रतिक्रिया
    '' तक्षिका : लेखक श्री निरंजन धुलेकर

    तक्षिका " श्री निरंजन धुलेकर जी की, एक अद्भुत क्रति है

    लगभग तीन दशकों के दीर्घ अन्तराल के बाद अनायास ही श्री धुलेकर जी से फेसबुक पर, उनकी
    Read More

    तक्षिका ,<span>समीक्षा</span>
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    कहानीसंस्मरण

    अनजाने रिश्ते

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 103
    • 25 Mins Read

    *यादों के झरोखे से*
         *************
    " अनजाने रिश्ते "

    कुछ रिश्ते बिन बोले भी बन जाते हैं..

    सन 1960,
    तब मैं कानपुर के जी एन के इंटर कालेज सिविल लाइंस में सातवीं क्लास में पढ़ता था।मेरे घर से स्कूल एक किलो मीटर
    Read More

    अनजाने रिश्ते ,<span>संस्मरण</span>
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    कहानीसंस्मरण

    "खौली पास "डायरी के कुछ अंश

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 454
    • 24 Mins Read

    संस्मरण
    (शीर्षक)  " खौली पास " डायरी के कतिपय अंश

    मुझे, एक बार "यूथ हास्टल एसोसिएशन " दिल्ली द्वारा आयोजित 20 दिवसीय ट्रेकिंग प्रोग्राम में शामिल होने का सुअवसर मिला,
    जिसे मैं कभी भी भूल नहीं सकता हूं.
    Read More

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    लेखसमीक्षा

    सहमा हुआ इतिहास

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 802
    • 12 Mins Read

    एक पाठकीय समीक्षा

    "   सहमा हुआ इतिहास " (कहानी संग्रह)
    लेखिका : डॉ प्रतिभा त्रिवेदी

    "सहमा हुआ इतिहास.. " डा प्रतिभा त्रिवेदी जी की एक विलक्षण क्रति है.
    प्रतिभा जी ग्वालियर के एक कन्या विद्यालय की प्रधानाचार्या
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    सहमा हुआ इतिहास ,<span>समीक्षा</span>
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    Amrita Pandey

    Amrita Pandey 2 years ago

    सर, बहुत अच्छी समीक्षा की है आपने। आपकी समीक्षा पढ़कर लगता है कि बहुत अच्छा संकलन होगा।

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    अम्रता जी. बहुत धन्यवाद..! 🙏

    लेखआलेख

    बचपन की मधुर स्मृतियाँ

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 811
    • 25 Mins Read

    अतीत के सुनहरे दिन..
    : संस्मरण आयोजन 2021
    " बचपन की मधुर स्मृतियाँ "

    " अतीत के सुनहरे दिन '' के नाम मात्र से शायद हर किसी को अपना बचपन ही याद आता है.. क्योंकि बाद में तो बढ़ती ज़िम्मेदारियों के साथ.. अक्सर..
    Read More

    बचपन की मधुर स्मृतियाँ ,<span>आलेख</span>
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    Amrita Pandey

    Amrita Pandey 2 years ago

    बहुत बढ़िया संस्मरण दादा-दादी के ज़माने के,जो खुद दादा दादी बनने पर भी शायद इंसान नहीं भूल पाता है।

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    अम्रता जी.. धन्यवाद..!

    सीमा वर्मा

    सीमा वर्मा 2 years ago

    बहुत सुन्दर संस्मरण

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    जी.. बहुत धन्यवाद 🙏

    कहानीसंस्मरण

    कल्हरे आलू

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 180
    • 12 Mins Read

    संस्मरण
    '' कल्हरे आलू ''
    कालेज के दिनों में. मेरे कई घनिष्ठ मित्र थे,जिनके साथ बहुत सा समय व्यतीत होता था. घरों में भी खूब आना जाना रहता था.
    शाम को हम लोग रोज़, मोतीझील.. पर इकट्ठा होते और काफी देर बातचीत
    Read More

    कल्हरे आलू ,<span>संस्मरण</span>
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    Amrita Pandey

    Amrita Pandey 2 years ago

    बहुत अच्छा संस्मरण। बचपन के दिन हमेशा याद आते हैं। यूं तो हम पांच दोस्त थीं जो पंच प्यारे कहलाती थीं लेकिन उनमें से हम तीन बहुत पक्के दोस्त थे और आज भी वैसे ही हैं। बचपन के जैसे

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    अम्रता जी.. धन्यवाद 🙏

    लेखसमीक्षा

    दस प्रतिनिधि कहानियां

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 199
    • 14 Mins Read

    पाठकीय समीक्षा
    दस प्रतिनिधि कहानियां  (लेखक.. राजेन्द्र राव )
    किताबघर प्रकाशन
    नयी दिल्ली
    प्रतिनिधि कहानियां चुनने में, लेखक से अपेक्षा रहती है कि वे अपनी बहुत अच्छी रचनाओं का ही चयन करते हैं.
    Read More

    दस प्रतिनिधि कहानियां ,<span>समीक्षा</span>
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    लेखसमीक्षा

    पाप पुण्य से परे

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 264
    • 10 Mins Read

    पाठकीय समीक्षा

    ' पाप पुण्य से परे ' (कहानी संग्रह)
    लेखक :राजेन्द्र राव
    प्रकाशक :किताब घर, नयी दिल्ली



    1971 में '' साप्ताहिक हिन्दुस्तान " में राजेन्द्र राव जी की एक 'सिरीज़ प्रकाशित हुयी थी.." कोयला भई न
    Read More

    पाप पुण्य से परे ,<span>समीक्षा</span>
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    Amrita Pandey

    Amrita Pandey 3 years ago

    पचास वर्ष पुरानी सुन्दर स्मृतियों की शानदार समीक्षा।

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    अम्रता जी. धन्यवाद..!

    लेखसमीक्षा

    चौरंगी

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 580
    • 19 Mins Read

    . पाठकीय समीक्षा
    चौरंगी: (मूल बंगला उपन्यास)
    लेखक :शंकर (मणिशंकर मुखर्जी)
    राजकमल प्रकाशन.. (हिन्दी अनुवाद)
    .............. चौरंगी '' शंकर '' की सबसे लोकप्रिय पुस्तक है. इस पर 1980 में बंगला
    Read More

    चौरंगी ,<span>समीक्षा</span>
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    Amrita Pandey

    Amrita Pandey 2 years ago

    बंग-भंग 1905 की दास्तान। सहज और सटीक समीक्षा।

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    अम्रता जी. धन्यवाद!

    Rashmi Sharma

    Rashmi Sharma 3 years ago

    वाह

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    रश्मि जी.. धन्यवाद..!

    Rashmi Sharma

    Rashmi Sharma 3 years ago

    वाह

    लेखसमीक्षा

    ये अनजाने

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 534
    • 21 Mins Read

    पाठकीय समीक्षा..'' ये अनजाने  '' लेखक शंकर(मणि शंकर मुखर्जी)

    बंगला लेखक '' मणिशंकर मुखर्जी '' (शंकर), मेरे बहुत प्रिय लेखक हैं. मैंने उनकी पुस्तक '' ये अनजाने '' (कतो अजानारे '') अपने कालेज के दिनों में, लाइब्रेरी
    Read More

    ये अनजाने ,<span>समीक्षा</span>
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    Rashmi Sharma

    Rashmi Sharma 3 years ago

    बहुत खूब

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    जी. धन्यवाद..!

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत बढ़िया

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    जी. धन्यवाद..!

    कहानीबाल कहानी

    पत्नी की चालाकी

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 354
    • 9 Mins Read

    एक गांव में भोला नाम का एक व्यक्ति रहता था. वह बहुत चतुर था.

    वह एक बार पड़ोस के एक गांव से गुजर रहा था. उसने देखा कि एक व्यक्ति अपना खेत जोत रहा था. लेकिन उसके बैल धीरे धीरे चल रहे थे. वह बार-बार उनको
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    पत्नी की चालाकी ,<span>बाल कहानी</span>
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    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    कहानी अच्छी है पर शीर्षक सही नहीं लग रहा

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    जी.. धन्यवाद..! 🙏

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    समय निकालकर इस कहानी पर कार्य जरूर कीजियेगा। थोड़ा सा स्पष्ट और कर दीजियेगा। इस कहानी को बहुत बार पढ़ेंगे तो यह बेहतर होती चली जायेगी। फिलहाल एडिट मत कीजियेगा प्रत्तियोगिता के रिजल्ट आने के बाद कर लीजियेगा।

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    जी..आपका बहुत आभार..! 🙏

    कहानीसंस्मरण

    भूली बिसरी यादें

    • Edited 3 years ago
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    • 447
    • 22 Mins Read

    भूली बिसरी यादें

    बुआ का स्नेह अपने भतीजे, भतीजियों के प्रति अगाध, रहता है, वे भी अपनी बुआ से सबसे अधिक प्यार करते हैं
    मेरे साथ भी हमारी बुआ जी की असंख्य स्मृतियाँ हैं.

    हम लोग बहुत छोटे थे तभी बुआ जी
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    भूली बिसरी यादें ,<span>संस्मरण</span>
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    Amrita Pandey

    Amrita Pandey 3 years ago

    अपनों के आने का इंतजार भी बहुत रहता था।

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    जी..!!

    Amrita Pandey

    Amrita Pandey 3 years ago

    बहुत सुंदर संस्मरण। बचपन की यादें अनमोल होती हैं। रूह-आफज़ा ही एकमात्र शर्बत होता था किसी ज़माने में

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    अम्रता जी.. बहुत धन्यवाद..!

    कहानीसंस्मरण

    मां की स्मृतियाँ

    • Edited 3 years ago
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    • 433
    • 18 Mins Read

    मां की स्मृतियाँ
    माँ के नाम मात्र से असंख्य स्मृतियाँ साकार हो जाती हैं. अपने से बड़ों का हमेशा आदर करना सिखाने वाली, कहानियाँ सुनाने वाली, भूत से डर भगाने वाली, जबरदस्ती, मिन्नत करके सिर में तेल
    Read More

    मां की स्मृतियाँ ,<span>संस्मरण</span>
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    Poonam Bagadia

    Poonam Bagadia 3 years ago

    ये तो सच है सर मां के साथ बीते पल बेहद खूबसूरत और सुखदायक थे..उनके बाद उनके साथ के लिए ह्रदय रो उठता है..!🙏🏻

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    जी. पूनम..!

    Amrita Pandey

    Amrita Pandey 3 years ago

    माता-पिता की मधुर स्मृतियां सदा साथ रहती हैं।सच, कभी कभी अपनी नासमझी पर रुला भी देतीं है।

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    अम्रता जी..! धन्यवाद 🙏

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    निःशब्द कर दिया

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    🙏🙏

    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    बहुत ही जीवन्त संस्मरण.....👌👌👌

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    जी. धन्यवाद

    Meeta Joshi

    Meeta Joshi 3 years ago

    संस्मरण बहुत सुंदरता से लिखते हैं आप🙏💐

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    जी..! धन्यवाद!

    Mukesh Joshi

    Mukesh Joshi 3 years ago

    सुंदर स्मृति।वाजपेयी जी

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    जी.. आभार..!

    लेखआलेख

    दहेज़ का अभिशाप

    • Edited 3 years ago
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    • 396
    • 9 Mins Read

    दहेज..का अभिशाप
    मात्र यह एक शब्द मन को झकझोर सा देता है.. न जाने कितनी दुल्हनों ने इसके दुष्प्रभाव झेले, कितनों ने चुपचाप अमानुषिक अत्याचार सहे, घुट घुट कर यन्त्रणाओं के बीच, जीवन जिया, कितनों ने
    Read More

    दहेज़ का अभिशाप ,<span>आलेख</span>
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    Poonam Bagadia

    Poonam Bagadia 3 years ago

    सार्थक लेख ...!

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    जी.. धन्यवाद

    Meeta Joshi

    Meeta Joshi 3 years ago

    कम शब्दों में गहरी बात कही आपने

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    मीता जी. धन्यवाद..!

    Meeta Joshi

    Meeta Joshi 3 years ago

    कम शब्दों में गहरी बात कही आपने

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    जी..! आभार..!

    Pallavi Rani

    Pallavi Rani 3 years ago

    सार्थक प्रस्तुति आदरणीय

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    जी. धन्यवाद

    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    बहुत.. खूब.. सर

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    जी.. आभार

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    जी.. आभार

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    जी. बहुत धन्यवाद..!

    Amrita Pandey

    Amrita Pandey 3 years ago

    बहुत खूब लिखा सर, स्त्री के मन को सही पढ़ा है आपने।

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    अम्रता जी बहुत धन्यवाद 🙏

    लेखआलेख

    #6-2-2021 संवेदनशीलता

    • Edited 3 years ago
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    • 130
    • 6 Mins Read

    संवेदनशीलता

    संवेदना, ईश्वर प्रदत्त एक बहुत महत्वपूर्ण दैवीय गुण है.
    संवेदनशीलता स्वस्थ समाज के लिए बहुत आवश्यक और महत्वपूर्ण है. दैनिक  जीवन में भी संवेदनशीलता बहुत महत्वपूर्ण है. आपसी सम्बन्ध
    Read More

    #6-2-2021 संवेदनशीलता ,<span>आलेख</span>
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    लेखआलेख

    जनवरी की सर्दी

    • Edited 3 years ago
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    • 149
    • 8 Mins Read

    जनवरी का महीना
    सर्दी का मौसम भी विचित्र है. जब जनवरी महीने में बहुत अधिक सर्दी होती है. कई, कई दिन सूर्य भगवान के दर्शन नहीं होते हैं,लोग अपने लिहाफ़ में दुबकना पसन्द करते हैं तब लगता है. जल्दी से
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    जनवरी की सर्दी ,<span>आलेख</span>
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    Vinay Kumar Gautam

    Vinay Kumar Gautam 3 years ago

    बढ़िया 👌

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    जी. बहुत धन्यवाद

    लेखआलेख

    मेरा शहर

    • Edited 3 years ago
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    • 550
    • 18 Mins Read

    #मेरा शहर
    कानपुर.
    कानपुर मेरे बचपन का शहर है.लखनऊ से 75 किमी. की दूरी पर, गंगा जी के तट पर स्थित है.यह एक औद्योगिक शहर है. यहां रक्षा मन्त्रालय के कई महत्वपूर्ण उपक्रम'' स्माल आर्म्स फैक्ट्री '' '' '' आर्डनेंसपैराशूट
    Read More

    मेरा शहर ,<span>आलेख</span>
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    Gita Parihar

    Gita Parihar 3 years ago

    बहुत सुंदर वर्णन किया।

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    जी. धन्यवाद 🙏

    Poonam Bagadia

    Poonam Bagadia 3 years ago

    बहुत बढ़िया सर जी..!👌 बेहद खूबसूरती से अपने शहर का वर्णन किया..!👌👌

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    पूनम. आपका. बहुत धन्यवाद.

    कहानीसंस्मरण

    सुनहरी यादों का सफर

    • Edited 3 years ago
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    • 227
    • 15 Mins Read

    *इन पुराने कागज़ों का क्या करूँ?*

    बहुत दिनों से सोंच रहा था कि अपने कागज़, पत्तर का भंडार कुछ कम करूँ। बस इसी काम को अंजाम देने के लिये पुराने कागज़ों का बक्सा खोल लिया।सबसे पहले उन पत्रिकाओं का
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    सुनहरी यादों का सफर ,<span>संस्मरण</span>
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    कहानीसंस्मरण

    भीड़ में कुछ ऐसे भी

    • Edited 3 years ago
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    • 177
    • 10 Mins Read

    *इस भीड़ में कुछ लोग ऐसे भी..! ,,,*

    मैं आज शाम को दीपावली के पूजन का सामान लेने कानपुर के नवाब गंज बाजार गया हुआ था।यह बाजार, करीब 400 मीटर की लम्बाई में सड़क के दोनों ओर लगता है।

    मैं भगवान गणेश जी और माँ लक्ष्मी
    Read More

    भीड़ में कुछ ऐसे भी ,<span>संस्मरण</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    वाह वाह, चैतन्यपूर्ण

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    Sudheer ji ..Dhanyavad..!

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    Sudheer ji ..Dhanyavad..!

    कहानीसंस्मरण

    खुशियों के कुछ पल

    • Edited 3 years ago
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    • 176
    • 14 Mins Read

    *यादों के झरोखे से*

    *खुशी बाटने का कोई मौका मत छोड़िये

    मैं उस समय अपने बैंक की बिरहाना रोड कानपुर शाखा में कार्यरत था। शायद 1995 की बात रही होगी।यहां 70  ,80 आदमियों का स्टाफ था।यहां की कैंटीन में टिंकू
    Read More

    खुशियों के कुछ पल ,<span>संस्मरण</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    चैतन्यपूर्ण

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    Sudheer Ji Dhanyavad.. !

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    चैतन्यपूर्ण

    कहानीसंस्मरण

    आत्मसम्मान

    • Edited 3 years ago
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    • 273
    • 21 Mins Read

    *यादों के झरोखे से*
    *आत्म सम्मान*

    ये बात सन 2010 की होगी ।मुझे अपने ममेरे भाई की बेटी की शादी में लखनऊ में अलीगंज के पास किसी गेस्ट हाउस में जाना था। कानपुर से मैं निकला तो इस हिसाब से था कि शाम 6 बजे
    Read More

    आत्मसम्मान ,<span>संस्मरण</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    जिंदगी का आशियाना इसी बालू और चूने से बनता है

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    Dhanyavad Ji ..!

    कहानीसंस्मरण

    बड़े भाई साहब

    • Edited 3 years ago
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    • 228
    • 21 Mins Read

    ेयादों के झरोखे से

    *मेरे भाई साहब*

    आज कल परिवार इतने छोटे होते हैं कि बच्चे ये बात कभी सीख ही नहीं पाते कि कैसे मिल जुल कर रहा जाता है।
    अब तो ज्यादातर हिन्दू परिवारों में एक ही बच्चा होता है।वो
    Read More

    बड़े भाई साहब ,<span>संस्मरण</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    चैतन्यपूर्ण

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    जी. आभार 🙏

    कहानीसंस्मरण

    यायावर की यादें

    • Edited 3 years ago
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    • 224
    • 19 Mins Read

    *यादों के झरोखे से*

    "वो बिगड़ैल लड़का"

           सन 1960 की जनवरी,
    मेरे बगल वाले घर में मुन्नू (बदल हुआ नाम) नाम का एक लड़का रहता था ।वह मुझसे चार ,पांच साल बड़ा होगा।वह मोहल्ले का सबसे शरारती लड़का था।वैसे उसमें
    Read More

    यायावर की यादें ,<span>संस्मरण</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    अद्भुत

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    Jee Dhanyavad..!

    कहानीसंस्मरण

    जिन्दगी की डायरी के पन्ने

    • Edited 3 years ago
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    • 157
    • 17 Mins Read

    जिन्दगी की डायरी के पन्ने

    पन्ने का नाम आते ही, डायरी के पन्नों की यादें ताज़ा हो जाती हैं.
    कभी निराशा और अवसाद के क्षणों में, कभी कुछ अनुकूल अवसरों पर. डायरी के पन्ने ऐसे साथी होते हैं जो कुछ पाने
    Read More

    जिन्दगी की डायरी के पन्ने ,<span>संस्मरण</span>
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    कहानीसंस्मरण

    लोकल ट्रेन के डिब्बे के अनुभव

    • Edited 3 years ago
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    • 162
    • 11 Mins Read

    संस्मरण..
    लोकल ट्रेन के डिब्बे के अनुभव

    ट्रेन की छोटी बड़ी सभी यात्राएं  अनेक स्मृतियाँ जगा देती हैं. कुछ खट्टी कुछ मीठी.. विभिन्न व्यक्तित्व के लोगों से मुलाकात होती है. कुछ के कार्यकलाप अनायास
    Read More

    लोकल ट्रेन के डिब्बे के अनुभव,<span>संस्मरण</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    चैतन्यपूर्ण

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    Bahot Dhanyavad ..!

    Swati Sourabh

    Swati Sourabh 3 years ago

    बहुत सुन्दर

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    DHANYAVAD..!

    लेखआलेख

    यादों के झरोखे से

    • Edited 3 years ago
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    • 192
    • 24 Mins Read

    "यादों के झरोखे से"
    *साब लौटते में मिल कर जाइयेगा,,,,*
    अगस्त ,सन 2010 की बात है उत्तर काशी से गंगोत्री अपनी टैक्सी से जा रहा था।भराड़ी के पास रोड पर पहाड़ टूट कर गिर गया था ।इस कारण आधे घण्टे से रास्ता जाम
    Read More

    यादों के झरोखे से,<span>आलेख</span>
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    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    यादें ना जाए कभी

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    धन्यवाद..!

    लेखआलेख

    यादों के निर्झर

    • Edited 3 years ago
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    • 183
    • 13 Mins Read

    यादों के झरोखे से ,,,,,यायावर गोपाल खन्ना द्वारा लिखित.

    सन 2017 का मई महीना था ,,मैं नेशनल हिमालयन ट्रेकिंग एक्सपेडिशन '' चन्द्रखानी पास '' ,,में को- डायरेक्टर था ।इसका बेस कैम्प कुलु, मनाली के बीच पतली कुहल
    Read More

    यादों के निर्झर ,<span>आलेख</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    अद्भुत

    कहानीसंस्मरण

    डर

    • Edited 3 years ago
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    • 438
    • 12 Mins Read

    पानी का   डर
    मेरे बचपन का पर्याप्त समय ग्रहनगर हरदोई में संयुक्त परिवार में व्यतीत हुआ. बाबा दादी, चाचा चाची उनका परिवार आदि सभी रहते थे. बड़ा सा घर है. उसमें दो कुंए भी थे, एक घर के अन्दर जिसमें हैन्डपंप
    Read More

    डर ,<span>संस्मरण</span>
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    सीमा वर्मा

    सीमा वर्मा 2 years ago

    सुंदर लेखन

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    बहुत धन्यवाद..!

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    अद्भुत

    Pratik Prabhakar

    Pratik Prabhakar 3 years ago

    अंधेरे में जल से डर का जो सजीव चित्रण किया है आपने ,वो इस संस्मरण को रोचक बनाता है। पर कई बार ऐसा लगा कि इसमें और कासबट आ सकती थी चूँकि बार बार स्थान परिवर्तन किया गया है इस संस्मरण में। बाकी बचपन से अब तक की स्थिति का जो बखान किया है इसे एकदम अलग बनाता है। शायद बालमन में छिपा भय ही अब तक व्याप्त हो।। शुभकामनाएं

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    जी.. बहुत धन्यवाद 🙏

    Anupma Anu

    Anupma Anu 3 years ago

    रचना बहुत अच्छी है पर इसे कहानी की जगह संस्मरण का नाम देना ज्यादा उचित रहेगा।

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    🙏🙏

    Dr. Rajendra Singh Rahi

    Dr. Rajendra Singh Rahi 3 years ago

    जी रचना का भाव बहुत सुन्दर है।

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    जी. धन्यवाद

    Priyanka Tripathi

    Priyanka Tripathi 3 years ago

    इसे संस्मरण कहें तो ज्यादा उपयुक्त होगा और भी खूबसूरती से लिखा जा सकता है। कहीं कहीं शब्द छूट गए हैं या मैच नही कर रहे। पढ़ते वक्त महसूस हो रहा था जैसे हम भी भ्रमण कर रहे हैं। संस्मरण रोचक लिखा है।।डर तो डर होता है जिस चीज से डर लगने लगे। शुभकामनाएं

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    जी. बहुत धन्यवाद 🙏

    Gita Parihar

    Gita Parihar 3 years ago

    भ्रमण स्थलों का अच्छा वर्णन किया है।रोचकता बनाए रखी गईं है विवरण की शुरुआत से अंत तक। अंग्रेजी शब्दों का जहां-तहां प्रयोग खल जाता है। जगहों का नाम पढ़ते-पढ़ते मुझे जानी- पहचानी जगहों की स्मृति ताजा हो गई। यह संस्मरण की श्रेणी में अधिक उपयुक्त है ना की कहानी की श्रेणी में। भविष्य के लिए अनंत शुभकामनाएं

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    आपका बहुत आभार 🙏

    Gaurav Shukla

    Gaurav Shukla 3 years ago

    रचना बहुत ही खूबसूरत थी...लेकिन मुझे जहाँ तक लगता है इसको और भी खूबसूरत बनाया जा सकता था और बीच में जब बैंक वाली लाइन से एकदम से मोड़ के साथ बहुत ही कम शब्दों में ज्यादा कह देने वाली बात,इसमें थोड़ी सी मुझे कमी लगी क्योंकि कुछ पढ़ने वालों के लिए इतने कम शब्दों में कहानी समझ पाना संभव नहीं हो पाता...बाकी रचना बहुत ही खूबसूरत थी ...जिसे हर कोई खुद से जोड़ पायेगा। धन्यवाद

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    बहुत धन्यवाद 🙏

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    डर मानो तो डर है। वरना कुछ भी नही अच्छा लिखा है आपने।

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    बहुत धन्यवाद..!

    कहानीसंस्मरण

    अपनी हिन्दी भाषा

    • Edited 3 years ago
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    • 141
    • 16 Mins Read

    *यादों के झरोखे से....*

    *हिंदी दिवस पर एक हृदय स्पर्शी संस्मरण*
    यायावर गोपाल खन्ना द्वारा लिखित.

    सन 2015 में, मैं जब अमेरिका से भारत आ रहा था तो मुझे इस बार एम्स्टर्डम में फ्लाइट बदलनी थी। एम्स्टर्डम
    Read More

    अपनी हिन्दी भाषा ,<span>संस्मरण</span>
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    लेखआलेख

    मेरे नगपति मेरे विशाल

    • Edited 3 years ago
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    • 381
    • 7 Mins Read

    श्री गोपाल खन्ना '' यायावर '' द्वारा रचित

    आज हिमालय दिवस है।पर मुझे तो हिमालय की याद रोज ही आती है।विगत 42 वर्षोँ में जबसे मैंने हिमालय में पदयात्राएं करना शुरू किया था अब तक कुल मिला कर करीब दो साल
    Read More

    मेरे नगपति मेरे विशाल ,<span>आलेख</span>
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    कहानीसंस्मरण

    मेरी दादी

    • Edited 3 years ago
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    • 215
    • 10 Mins Read

    25 अगस्त 2020
    मंगलवार
    संस्मरण
    '
    मेरी दादी'
    मेरा अधिकांश बचपन ग्रह जनपद हरदोई में बीता. हमारी दादी का व्यक्तित्व प्रभावशाली था, वे पढ़ी लिखी भी थीं और घर में किसी की मजाल नहीं थी कि उनकी बात न माने, पास
    Read More

    मेरी दादी ,<span>संस्मरण</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    शत शत नमन

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    शत शत नमन

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    Sudhir Ji Bahot Dhanyavad !

    डॉ स्वाति जैन

    डॉ स्वाति जैन 3 years ago

    उस समय में भी आपकी दादी बहुत ही सशक्त व्यक्तित्व रहीं होंगी तब तो आज भी आप इतना सुंदर संस्मरण लिख सके

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    Swati Ji .DHANYAVAD....!

    Anjani Tripathi

    Anjani Tripathi 3 years ago

    बहुत भावनात्मक है

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    जी.. बहुत धन्यवाद..!