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कवितानज़्म
लगाए ना लगे बुझाए ना बुझे येह ज़ालिम आतिश - ए - इश्क़ ग़ालिब दीवाना निकल पड़ा है डूबकर उसपार जानेको आगके दरिया की जानिब © "बशर" بشر