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मेरे दिल में पीर न होगी - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

मेरे दिल में पीर न होगी

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तेरे इन ख़्वाबों की अब कोई ताबीर न होगी
खस्ताहालत म्यानों में कोई शमशीर न होगी

बिना मश्क़्क़त किए हाथ मलते रह जाओगे
हाथों की इन लकीरों में तेरी तक़दीर न होगी

भाई को भाई के ख़िलाफ़ खड़ा करने वालों
अब इस आंगन में बंटवारे की लकीर न होगी

खूं इन रगों में एकही मां के लहू का बहता है
उसके दिल लगे चोट मेरे दिल में पीर न होगी
@बशर

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