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कवितानज़्म
दश्त ब दश्त खाक छान कर घाट - घाट का जल पान कर! बस्ती बस्ती श्मशान घाट पर जीने मरने का सार जानकार! निर्मोही हम हो गए हैं 'बशर' नश्वर सब ये संसार मान कर! © 'बशर' بشر.