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दूसरों की जान बचाने के लिए 🥹🥀
वो बचा रही थीं अपना फर्ज़, दूसरों की जान बचाने के लिए ।
बात जब उसकी जान की आई, कोई नहीं आया उसकी जान बचाने के लिए ।
लूट रही थीं उसकी इज्ज़त जब तक कोई न आया 😔
सब ने किनारा कर लिया, अपनी झूठी शान बचाने के लिए ।
वो निभा रही थीं अपना फर्ज़, दूसरों की जान बचाने के लिए ।
बात जब उसकी जान की आई, कोई नहीं आया उसकी जान बचाने के लिए ।
कैसे लगा दिया देश की गरिमा पे धब्बा, ना मिटने वाला ।
सदियों सदियों तक याद रहेगा ये हादसा, ना मिटने वाला ।
वो निभा रही थीं अपना फर्ज़, दूसरों की जान बचाने के लिए ।
बात जब उसकी जान की आई, कोई नहीं आया उसकी जान बचाने के लिए ।
अब कहां गए वो लोग, जिन्हें नारी आज़ाद लगती हैं ।
मुझे तो दुनिया वालों की हवस में, नारी बरबाद लगती हैं ।
वो निभा रही थीं अपना फर्ज़, दूसरों की जान बचाने के लिए ।
बात जब उसकी जान की आई, कोई नहीं आया उसकी जान बचाने के लिए ।
फिरोज़ खान मदनी