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दस्तूर अजा का - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

दस्तूर अजा का

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गज़ब है दस्तूर अजा का
कब ईनाम कब सजाका

किसीको नहीं चला पता
कबक्या उसकी रजा का

है उस का विधान अपना
जिन्दगी दे कर क़ज़ा का

इहलोक में मौजो - मजा
परलोक संज्ञान जज़ाका

@"बशर"
अजा-कुदरत, रजा-मर्जी,
क़ज़ा-मौत, जज़ा-बदला

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