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बिछडो न तुम (गीत) - Varinderpal kaur babli (Sahitya Arpan)

कवितागीत

बिछडो न तुम (गीत)

  • 204
  • 9 Min Read

(गीत )
*********
बिछडो न तुम
*********************


बिछडो न तुम, मेरे हमदम
मेरे हमदम बिछडो न तुम
जीने नहीं देगा तेरा ये गम
बिछडो न तुम, मेरे हमदम |

जाग के नसीब मेरा जाने क्यों सो गया है
मेरी सुभह मेरी शाम तेरा नाम हो गया है
प्यार किया दर्द लिया, आँखें हो गयी नम
बिछडो न तुम, मेरे हमदम
मेरे हमदम बिछडो न तुम |

तू जो छूटा तो, ज़िन्दगी रूठ जाएगी
साँसों में बस्ते हो, सांसें रुक जाएंगी
टुकड़ो में जीएंगे होके गुम सुम
बिछडो न तुम, मेरे हमदम
मेरे हमदम बिछडो न तुम |

सूली पे जान अटकी तेरी जुदाई से
मौत अच्छी लग रही है तेरी रुसवाई से
तेरे जाने से पहले ही हो जाऊँ मैं दफ़न
बिछडो न तुम, मेरे हमदम
मेरे हमदम बिछडो न तुम |

तेरे इश्क़ की निशानी आंसूं क्यों मिल गये
सपने में मेरे थे क्यों, हकीकत में चल दिए
मुकम्मल सी याद तेरी, डूबा रहे ये मन
बिछडो न तुम, मेरे हम दम
मेरे हमदम बिछडो न तुम |



मौलिक एवं स्वयं रचित
वरिंदरपाल कौर 'बबली'

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INDER BHOLE NATH

INDER BHOLE NATH 5 days ago

umda

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