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Sahitya Arpan - INDER BHOLE NATH
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INDER BHOLE NATH

'इंदर'

मेरा नाम इंदर भोले नाथ है मैं उत्तर प्रदेश के बागी बलिया जिले का रहने वाला हूँ, मैंने Mahatma Gandhi Kashi Vidyapith University से स्नातक किया हुआ है, मैं एक Accountant हूँ, मुझे बचपन से ही कविता, कहानी, शेरो शायरी और ग़ज़ल लिखने का शौक़ है

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  • London

    London is the capital city of England.

    कवितागीत

    मदमस्त चली पुरवाई है

    • Added 5 months ago
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    • 38
    • 5 Mins Read

    पिय मिलन की आस में,सुध बुध सब बिसराइ है
    बावरी हो चली बिरहन, मदमस्त चली पुरवाई है


    आंगन से दहलीज तलक
    भ्रमण कई कई बार किया
    कंगन,बिंदी,चूड़ी, काजल
    उसने सोलह श्रृंगार किया
    आईने में देख छवि खुद की,खुद
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    मदमस्त चली पुरवाई है,<span>गीत</span>
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    कविताचौपाई, अन्य

    नृत्य काल कर रहा,भुजाओं में दो सर लिये

    • Added 5 months ago
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    • 80
    • 8 Mins Read

    नृत्य काल कर रहा,भुजाओं में दो सर लिये
    रक्त पी रही पिशाचनी हाथ मे खप्पर लिये
    रणभूमि भी सनी हुई है रक्त की आगोश में
    कुरुक्षेत्र भी खड़ा है शांत गोद में समर लिये

    बाण सा है दौड़ रहा धमनियों का खून
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    नृत्य काल कर रहा,भुजाओं में दो सर लिये,<span>चौपाई</span>, <span>अन्य</span>
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    कविताअन्य

    घर में एक ही खिड़की होती थी ब्यार आने की

    • Added 5 months ago
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    • 98
    • 3 Mins Read

    ढ़ेरों गुंजाइश होती थी
    घर में मयार आने की
    खुले आसमां से
    बारिश की फुहार आने की
    मिट्टी की बनी दीवार
    खपड़ै लों का छज्जा था
    घर में एक ही खिड़की होती थी ब्यार आने की

    ऊपर नीम का दरख़्त पसरा
    नीचे फूलों
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    घर में एक ही खिड़की होती थी ब्यार आने की,<span>अन्य</span>
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    सुविचारअनमोल विचार, भक्तिमय विचार, प्रेरक विचार

    सूत पुत्र संबोधित कर मुझे तिल तिल कर मारा गया

    • Added 5 months ago
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    • 61
    • 16 Mins Read

    मेरी अब तक की सबसे सर्वश्रेष्ठ रचना जो मैं आप सबसे साझा कर रहा हूं, मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप सबको भी मेरी रचना अच्छी लगेगी,

    महाभारत युद्ध का अंतिम चरण-
    युद्ध में दानवीर कर्ण के रथ का पहिया जमीन
    Read More

    सूत पुत्र संबोधित कर मुझे तिल तिल कर मारा गया,<span>अनमोल विचार</span>, <span>भक्तिमय विचार</span>, <span>प्रेरक विचार</span>
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    कविताअन्य

    शेर ओ शायरी

    • Added 5 months ago
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    • 98
    • 4 Mins Read

    1-

    जिनके खातिर सुख चैन सब लुटाये बैठे हैं
    वो लोग ही मुझे नजरों से गिराये बैठे हैं
    मेरे अपने ही मेरे खिलाफ हैं मेरे जायज होने पे
    उसकी गलतियाँ उसके शहर वाले भी छुपाये बैठै हैं

    2-

    लंबी लिस्ट मे तैयार
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    शेर ओ शायरी,<span>अन्य</span>
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    कवितागजल

    मुझमें ही रह के मुझ से फासला भी कमाल का है

    • Added 5 months ago
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    • 23
    • 2 Mins Read

    मुझ में ही रह के मुझ से फासला भी कमाल का है
    उसके रूठने का यारों मस्अला भी कमाल का है

    करने लगा है परेशां वो हिचकियों से आज कल
    किसी पे हक जताने का ये कला भी कमाल का है

    एक ही शख्स लिये फिरे है दो चेहरे
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    मुझमें ही रह के मुझ से फासला भी कमाल का है,<span>गजल</span>
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    कवितागजल

    रुको न तुम करते रहो सवालों का सिलसिला

    • Added 5 months ago
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    • 76
    • 2 Mins Read

    रुको न तुम करते रहो सवालों का सिलसिला
    मुसलसल रहेगा जारी जवाबों का सिलसिला

    था हकीकत को कब गवारा वो ठहरे आँख मे
    बस आते और जाते रहें,ख्वाबों का सिलसिला

    रहता हूँ आजकल,खुद मे,खोया खोया सा मै
    किसी
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    रुको न तुम  करते रहो  सवालों का सिलसिला,<span>गजल</span>
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    कवितागजल

    वो अब पूछते हैं हाल, कमाल ही तो है

    • Added 5 months ago
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    • 32
    • 2 Mins Read

    वो अब पूछते हैं हाल, कमाल ही तो है
    कर गयें ज़िंदगी बे-हाल,कमाल ही तो है

    जो पोंछा करते थे आँसू मेरी कमीज से अपनी
    अब वो रखने लगें रुमाल, कमाल ही तो है

    इक हम हैं जिसे सुकूँ का कोई दर नहीं मिला,
    वो दर-दर
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    वो अब  पूछते हैं  हाल, कमाल ही तो है,<span>गजल</span>
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    कवितागजल

    लौटेगा यकीन है वो जिद्द पे अड़ा हो, बेशक

    • Added 5 months ago
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    • 87
    • 2 Mins Read

    लौटेगा यकीन है वो जिद्द पे अड़ा हो, बेशक
    मुझ से दूर जाने को वो खुद से लड़ा हो,बेशक

    के शर्त है दिलों दिमाग पे खुमारी मेरी ही रहेगी
    वो शख़्स किसी की बाहों मे भी पड़ा हो, बेशक

    आयेगा थक हार के उसी दरख़्त
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    लौटेगा  यकीन है  वो जिद्द पे अड़ा हो, बेशक,<span>गजल</span>
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    कविताअन्य

    जब रखवाला ही जुआरी था

    • Added 5 months ago
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    • 83
    • 2 Mins Read

    यथार्थ जानकर भी,हाँ,बना मैं अत्याचारी था
    राज्य मोह नहीं,केवल,मित्रता का अभारी था

    चिरहरण पे मौनता का,मुझसे प्रश्न करने वालों
    मैं क्यूँ न कर मौन रहूँ जब रखवाला ही जुआरी था

    ~ इंदर भोले नाथ


    ©®इंदर
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    जब रखवाला ही जुआरी था,<span>अन्य</span>
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    गजल

    दिन का सुकून,नींद रातों का,गुजार रखा है

    • Added 5 months ago
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    • 19
    • 3 Mins Read

    दिन का सुकून,नींद रातों का,गुजार रखा है
    कई ख्वाब हमने पलकों पे उधार रखा है

    जरा सलीके से पढ़ना तुम खत का हरेक हर्फ
    हमने खत में अपने दिल को उतार रखा है

    सुना है कि तुम्हें इल्म चारा-गरी का आता है
    Read More

    दिन का सुकून,नींद रातों का,गुजार रखा है,<span>गजल</span>
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    कवितागजल

    दिन का सुकून,नींद रातों का,गुजार रखा है

    • Added 5 months ago
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    • 98
    • 3 Mins Read

    दिन का सुकून,नींद रातों का,गुजार रखा है
    कई ख्वाब हमने पलकों पे उधार रखा है

    जरा सलीके से पढ़ना तुम खत का हरेक हर्फ
    हमने खत में अपने दिल को उतार रखा है

    सुना है कि तुम्हें इल्म चारा-गरी का आता है
    Read More

    दिन का सुकून,नींद रातों का,गुजार रखा है,<span>गजल</span>
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    कवितागजल

    वो तो था, फरिस्तों का दौर,वो जमाना छोड़ दो

    • Added 5 months ago
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    • 34
    • 2 Mins Read

    वो तो था, फरिस्तों का दौर,वो जमाना छोड़ दो
    बीती बातें,फिर,कभी और, वो जमाना छोड़ दो

    छोड़ दो कि उस दौर की किस्से कहानी परियों की
    गुजर गया तितलियों का दौर वो जमाना छोड़ दो

    कि इसी दस्त में बयां है कई
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     वो तो था, फरिस्तों का दौर,वो जमाना छोड़ दो,<span>गजल</span>
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    कवितागजल

    फिर रहे हैं दर बद्दर, तुम, दर दर से पूछ लो

    • Added 5 months ago
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    • 89
    • 3 Mins Read

    फिर रहे हैं दर बद्दर, तुम, दर दर से पूछ लो
    कि मेरे सफर का निशां हर शहर से पूछ लो

    न खत लिखा कोई न किसी की याद आई है
    मिले अरसा गुजर गया, मेरे घर से पूछ लो

    बिखर गई हैं टूट कर कितनी जिस्म से शाखें
    तुफां
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    फिर रहे हैं दर बद्दर, तुम, दर दर से पूछ लो ,<span>गजल</span>
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    कवितानज़्म, गजल, गीत

    गिरना फिसलना खुद को उठाना पड़ता है

    • Added 5 months ago
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    • 56
    • 4 Mins Read

    गिरना फिसलना खुद को उठाना पड़ता है
    हमें मर्द होने का कर्ज़ चुकाना पड़ता है

    घर छोड़ने का संताप हमने भी किया है
    हां दहलीज का त्याग हमने भी किया है
    कई बार टूटकर भी न जाहिर होने दिया
    किंतु अकेले
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    गिरना फिसलना खुद को उठाना पड़ता है,<span>नज़्म</span>, <span>गजल</span>, <span>गीत</span>
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    कवितागजल

    किसी का होकर आने से,तेरा जाना लगा अच्छा

    • Added 5 months ago
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    • 82
    • 2 Mins Read

    किसी का होकर आने से,तेरा जाना लगा अच्छा
    पुराने दरख़्त पे नया आशियाना लगा अच्छा

    दिल नादान सा है मेरा जल्दी मान जाता है
    मुझे इग्नोर करने का तेरा बहाना लगा अच्छा

    कुछ पल के लिये सही सुकूँ मिलता
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    किसी का होकर आने से,तेरा जाना लगा अच्छा ,<span>गजल</span>
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    कवितागजल

    डर किस बात का,कौन सा,हकीकत मे आना था

    • Added 5 months ago
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    • 38
    • 2 Mins Read

    डर किस बात का,कौन सा,हकीकत मे आना था
    ढल के हर्फ हर्फ मे तुम्हें बस खत में आना था

    तुम्हें आना था मेरे जिस्म को फिर ज़िंदगी देने
    मैंने कब कहा था तुमको मेरी मय्यत मे आना था

    उड़ रहे हो आसमान में फ़िर
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    डर किस बात का,कौन सा,हकीकत मे आना था,<span>गजल</span>
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    कवितानज़्म, गजल, गीत

    तुम,से है,हमें मोहब्बत, ये बात और है

    • Added 5 months ago
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    • 40
    • 4 Mins Read

    तुम,से है,हमें मोहब्बत, ये बात और है
    तेरी जाति और है हाँ मेरी जाति और है
    तुम,से है,हमें मोहब्बत ये बात और है

    तुं चाँद है फ़लक का मैं हूँ जमीं का जुगनू -2
    तेरी निशा की बात और मेरी रात और है
    तुम,से है,हमें
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    तुम,से है,हमें मोहब्बत, ये बात और है ,<span>नज़्म</span>, <span>गजल</span>, <span>गीत</span>
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    कवितानज़्म, गजल, गीत

    उदास चेहरे की सभी बलाएँ उतार लूँ तेरी

    • Added 5 months ago
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    • 37
    • 3 Mins Read

    उदास चेहरे की सभी बलाएँ उतार लूँ तेरी -2
    तुं चुपके से आ दरवाजे पे सूरत निहार लूँ तेरी

    तेरी नम उदास आँखों में
    इक ख्वाब सजा दूँ चुपके से-2
    हँसी सजा के होठों पर सारे गुबार लूँ तेरी
    उदास चेहरे की सभी
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    उदास चेहरे की सभी बलाएँ उतार लूँ तेरी ,<span>नज़्म</span>, <span>गजल</span>, <span>गीत</span>
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    कवितानज़्म, गजल, गीत

    मेरे दिल में रहने वाले तुम दरार भी नहीं देते

    • Added 5 months ago
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    • 87
    • 4 Mins Read

    मेरे दिल में रहने वाले तुम दरार भी नहीं देते-2
    आँखों की प्यास मिट जाये,दीदार भी नहीं देते
    मेरे दिल में रहने वाले तुम दरार भी नहीं देते

    मैं चौंक कर उठ जाता हूँ रोज रातों को अक्सर-2
    ख्वाबों में आने
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    मेरे दिल में रहने वाले तुम दरार भी नहीं देते,<span>नज़्म</span>, <span>गजल</span>, <span>गीत</span>
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    कवितागजल

    बस दुआओं में मिला कोई हक़ नहीं आया

    • Added 5 months ago
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    • 35
    • 2 Mins Read

    बस दुआओं में मिला कोई हक़ नहीं आया
    बारिस मे भीगता रहा कोई छत नहीं आया

    जो बाँटता था, घर घर, खुशियां कागजों में
    उस डांकिये के घर कोई खत नहीं आया

    आया नहीं जमीं पे वो परिंदा उड़ने वाला
    क्या रास्ते में
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    बस दुआओं में मिला कोई हक़ नहीं आया,<span>गजल</span>
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    कविताअन्य

    शोख़ चंचल हवा दरिया की पानी लगती हो

    • Added 5 months ago
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    • 31
    • 1 Mins Read

    शोख़ चंचल हवा दरिया की पानी लगती हो
    तुम खिलते हुए बहारों की रवानी लगती हो

    जिसे बचपन मे नानी हमें सुनाया करती थी
    तुम सच में उसी कहानी की रानी लगती हो



    इंदर भोले नाथ
    बागी बलिया उत्तर प्रदेश

    शोख़ चंचल हवा दरिया की पानी लगती हो,<span>अन्य</span>
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    कवितागजल

    पास आ रहा है

    • Added 5 months ago
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    • 80
    • 2 Mins Read

    वो अब भी वफा निभा रहा है,पास आ रहा है
    जब भी कोई गम सता रहा है,पास आ रहा है

    मैं उस की रवानगी को कैसे रवानगी कह दूं
    कि वो जितना दूर जा रहा है, पास आ रहा है

    किसी खत की खुशबू है फिर हवाओं में बिखरी
    फिर, कोई
    Read More

    पास आ रहा है,<span>गजल</span>
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    कवितागजल

    मस्अला क्या है

    • Added 5 months ago
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    • 29
    • 4 Mins Read

    न ख्वाब न हिचकियों का सिलसिला है,मस्अला क्या है
    न वो आया ना कोई खत मिला है, मस्अला क्या है

    मस्अला था तभी तो बरसों नज़र अंदाज किया हमको
    क्या बात,आज,अचानक से,गले मिला है,मस्अला क्या है

    रोज कई यादों
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    मस्अला क्या है,<span>गजल</span>
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    कवितागजल

    इसे समझाये कोई

    • Added 5 months ago
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    • 21
    • 2 Mins Read

    मन बावला हो चला है,इसे समझाये कोई
    फिर उसी रस्ते चला है,इसे समझाये कोई

    इसे समझाये कोई ये क्यों जिद्द पे अड़ा है
    मोहब्बत इक बला है, इसे समझाये कोई

    वो गुजरा है फिर आज हमारी गली से होकर
    फिर कोई साज़िश
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    इसे समझाये कोई,<span>गजल</span>
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    कवितागजल

    टकरार क्या करना

    • Added 5 months ago
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    • 34
    • 3 Mins Read

    कर लो प्यार से रुखसत, टकरार क्या करना
    मैंने जला दिये सब खत, टकरार क्या करना

    हमने कब कहा कि हम कुसुरवार नहीं हैं
    वाज़ीब है तुम्हारा शक़, टकरार क्या करना

    तुम्हें मोहब्बत है तब्दीली से तुम ठहर नहीं
    Read More

    टकरार क्या करना,<span>गजल</span>
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    कवितागजल

    ये इश्क़

    • Added 5 months ago
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    • 21
    • 2 Mins Read

    नशा है बला है कहर है, ये इश्क़
    ख़ालिस गमों का शहर है, ये इश्क़

    मिट जाती है इसमें उम्र ए तमाम
    जीने की सजा है ज़हर है, ये इश्क़

    भोंक देती हैं खंजर लगा के गले
    बेवफ़ाओं की वफ़ा का हुनर है, ये इश्क़

    धोखे
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    ये इश्क़,<span>गजल</span>
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    कवितागजल

    वो लड़की नहीं है वो एक तितली है

    • Added 5 months ago
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    • 84
    • 2 Mins Read

    कहाँ की कली थी कहाँ वो खिली है
    उमड़ती नदी सी होके सरपट चली है

    मैं जिसको अपना समझने लगा था
    वो है कि किसी और के दर पे मिली है

    भटकती वो फिरती हर भंवरे के पीछे
    है वो चंचल हसीना वो मनचली है

    तोड़ेगी दिल
    Read More

    वो लड़की नहीं है वो एक तितली है,<span>गजल</span>
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    अन्य

    कुछ तो लम्हें रहने दो

    • Added 5 months ago
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    • 17
    • 1 Mins Read

    कुछ तो लम्हां रहने दो
    हमारी भी निगरानी में
    कई किरदार निभाये हैं
    हमने भी जवानी में

    इंदर भोले नाथ
    बागी बलिया उत्तर प्रदेश

    कुछ तो लम्हें रहने दो,<span>अन्य</span>
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    कवितागजल

    उसे कोई सूचित करो

    • Added 5 months ago
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    • 74
    • 3 Mins Read

    अब न कोई शिकवा न गिला है , उसे कोई सूचित करो
    दिल अब किसी और का हो चला है, उसे कोई सूचित करो

    उसे कोई सूचित करो कि वो अब तो मुझे आज़ाद करे
    अब भी हिचकियों का सिलसिला है,उसे कोई सूचित करो

    वो रूठा हुआ है,जो
    Read More

    उसे कोई सूचित करो,<span>गजल</span>
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