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लौटेगा यकीन है वो जिद्द पे अड़ा हो, बेशक - INDER BHOLE NATH (Sahitya Arpan)

कवितागजल

लौटेगा यकीन है वो जिद्द पे अड़ा हो, बेशक

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लौटेगा यकीन है वो जिद्द पे अड़ा हो, बेशक
मुझ से दूर जाने को वो खुद से लड़ा हो,बेशक

के शर्त है दिलों दिमाग पे खुमारी मेरी ही रहेगी
वो शख़्स किसी की बाहों मे भी पड़ा हो, बेशक

आयेगा थक हार के उसी दरख़्त की शाख पे
वो परिंदा जो खुले आसमां में उड़ा हो, बेशक

हमने महसूस किया है उसे खुद की रूह में इंदर
वो शख्स दर ओ दीवार में कैद पड़ा हो,बेशक

~ इंदर भोले नाथ
बागी बलिया उत्तर प्रदेश

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