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शेर - INDER BHOLE NATH (Sahitya Arpan)

कविताअन्य

शेर

  • 96
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लाख छुपा लो चेहरे की परेशानी रहने दो
कह रही है तुम्हारी दास्ताँ पुरानी रहने दो
तुमने तोड़े हैं हजारों दिल के जैसे शीशा हो
तुम न लिखो वफा की कहानी रहने दो

इंदर भोले नाथ
बागी बलिया उत्तर प्रदेश

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