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ये इश्क़ - INDER BHOLE NATH (Sahitya Arpan)

कवितागजल

ये इश्क़

  • 22
  • 2 Min Read

नशा है बला है कहर है, ये इश्क़
ख़ालिस गमों का शहर है, ये इश्क़

मिट जाती है इसमें उम्र ए तमाम
जीने की सजा है ज़हर है, ये इश्क़

भोंक देती हैं खंजर लगा के गले
बेवफ़ाओं की वफ़ा का हुनर है, ये इश्क़

धोखे से परिंदों को बुलाता है "इंदर"
सय्याद की फ़ितरत का मेहर है, ये इश्क़

©©इंदर भोले नाथ
बागी बलिया उत्तर प्रदेश

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