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शोख़ चंचल हवा दरिया की पानी लगती हो - INDER BHOLE NATH (Sahitya Arpan)

कविताअन्य

शोख़ चंचल हवा दरिया की पानी लगती हो

  • 32
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शोख़ चंचल हवा दरिया की पानी लगती हो
तुम खिलते हुए बहारों की रवानी लगती हो

जिसे बचपन मे नानी हमें सुनाया करती थी
तुम सच में उसी कहानी की रानी लगती हो



इंदर भोले नाथ
बागी बलिया उत्तर प्रदेश

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