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किसी का होकर आने से,तेरा जाना लगा अच्छा - INDER BHOLE NATH (Sahitya Arpan)

कवितागजल

किसी का होकर आने से,तेरा जाना लगा अच्छा

  • 29
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किसी का होकर आने से,तेरा जाना लगा अच्छा
पुराने दरख़्त पे नया आशियाना लगा अच्छा

दिल नादान सा है मेरा जल्दी मान जाता है
मुझे इग्नोर करने का तेरा बहाना लगा अच्छा

कुछ पल के लिये सही सुकूँ मिलता तो है,यहाँ
मुझे हक़ीम से जियादा मयखाना लगा अच्छा

चलो अब सुलह करते हैं इस बात पे इंदर
तुम्हें कश्ती लगी अच्छी मुझे डूब जाना लगा अच्छा



इंदर भोले नाथ
बागी बलिया उत्तर प्रदेश

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