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कविताअन्य
यथार्थ जानकर भी,हाँ,बना मैं अत्याचारी था राज्य मोह नहीं,केवल,मित्रता का अभारी था चिरहरण पे मौनता का,मुझसे प्रश्न करने वालों मैं क्यूँ न कर मौन रहूँ जब रखवाला ही जुआरी था ~ इंदर भोले नाथ ©®इंदर भोले नाथ बागी बलिया, उत्तर प्रदेश