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जब रखवाला ही जुआरी था - INDER BHOLE NATH (Sahitya Arpan)

कविताअन्य

जब रखवाला ही जुआरी था

  • 84
  • 2 Min Read

यथार्थ जानकर भी,हाँ,बना मैं अत्याचारी था
राज्य मोह नहीं,केवल,मित्रता का अभारी था

चिरहरण पे मौनता का,मुझसे प्रश्न करने वालों
मैं क्यूँ न कर मौन रहूँ जब रखवाला ही जुआरी था

~ इंदर भोले नाथ


©®इंदर भोले नाथ
बागी बलिया, उत्तर प्रदेश

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