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उदास चेहरे की सभी बलाएँ उतार लूँ तेरी - INDER BHOLE NATH (Sahitya Arpan)

कवितानज़्मगजलगीत

उदास चेहरे की सभी बलाएँ उतार लूँ तेरी

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उदास चेहरे की सभी बलाएँ उतार लूँ तेरी -2
तुं चुपके से आ दरवाजे पे सूरत निहार लूँ तेरी

तेरी नम उदास आँखों में
इक ख्वाब सजा दूँ चुपके से-2
हँसी सजा के होठों पर सारे गुबार लूँ तेरी
उदास चेहरे की सभी बलाएँ उतार लूँ तेरी

जिसे देख आजकल अक्सर
रश्क चाँद भी करता है-2
तुं आ कभी ख़ाबों मे भी मैं इक दीदार लूँ तेरी
उदास चेहरे की सभी बलाएँ उतार लूँ तेरी

रकीबों पे बरसता है तुं
बादल बनके खुशियों की -2
कभी रहम कर मुझपे भी,मैं भी मयार लूँ तेरी
उदास चेहरे की सभी बलाएँ उतार लूँ तेरी



गुबार - दुःख,पीड़ा
रश्क- जलन, इर्ष्या
मयार - दया

इंदर भोले नाथ
बागी बलिया उत्तर प्रदेश

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