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"तेरी"
कविता
"तेरी-मेरी दोस्ती
दुल्हन बनूँ
जोगन
आँसू कलम ने भी बेइंतहा बहाए है
हाँ इश्क़ में तेरी मेरी एक ही राशि है
छुप कर वार न कर
सच बताना - कुमार आशू की ग़ज़ल
भूख,लाचारी और खुदा
मेरे गले में
तेरी आँखें
लाड़ो...ओ लाड़ो...
प्रतीक्षा
ऐ चाँद तेरी क्या बात है....
नायिका के मन की बात
आँखों का तारा
माँ तेरी साड़ी लाऊँगा
ग़ज़ल
बारिश की बूंदें
मन की बात
तेरी गोदी में,,,,सो जावाँ
सीखी ग़ज़ल,,, नीलिमा जी से
लेखनी....
तेरी गोदी में,,,,,,नदियाँ
माँ की ममता
कुछ तीर तुक्के
हम तुम
हम और तुम
जनवरी की ठंड
बहारें आ गई
तेरे इश्क में डूबे डूबे से हम हैं
याद बहुत आते
क्युं आँख तेरी भर आयी है ...
दिल खोल के लुटा देती है..
तेरी यादें।
बहारें आ गई
लागे ना मोरा जिया
मीठी मीठी बातें
आया बसन्त झूम के
तेरा आना
तेरी आंखों के पैमाने
मेरी जिंदगी में चली आना
मेरी जिंदगी में चली आना
लागे ना मेरा जिया
मृगनैयनी सी तेरी नयन
काजल
काजल
काजल
काजरारे नैन
मधुर मधुर तेरी ये बोली
प्रियवर हो
"काश मिले फिर तेरे आँचल का कोना"
माँ
आ भी जाओ गौरैया
मेहरबां है रब जो उसने हमें मिलाया
मां की महिमा
ओ माँ
ओ कान्हा
तुझको देखू तुझको पाऊ
श्रीप्रिया
तेरी बातो में
तेरी यादो के अंजुमन में
ऐ चांद ठहर जा
कान्हा
समय...
ये बात आख़िरी है।
ए अजनबी
पल पल तुम्हें पुकारा
सच्चा प्यार
मत छेड़ मुझे
तू है अनमोल रतन
किसी काम के न रहे
तेरी यहाँ पर याद किसे रहती है
अनेक सैय्याद एक परिंदा
वस्ल तेरी मज़बूरी उसी से
*है दस्त-याब हर-शय*
मातृभूमि
प्रेम या दर्द
ख़ूबसूरत झूठ है हयात तेरी
तेरी इक झलक पाने केलिए आतुर
यारब हमको तेरीही हिफ़ाज़त है
इल्ज़ाम 🔪
खुशियों का इंतज़ार तेरा
रंजो-मलाल नहीं
तेरा लहू लहू तो मेरा लहू क्या है
जाने तू कहाँ है माँ
प्रिया ब्हावरी
सोने वालों की सहर होगी
अवसर जो तेरे पास है
भोली सूरत बुलाती है वापस घर हमको
तेरी अपनी चुस्ती से
रुपय्या बचा कहाँ है
तेरी मुस्कुराहट 😊
हमारे अगर बेटी नहीं होती
बेहतर ख़ामोशी तेरी आज
बशर तेरी कहानी इब्रतनाक है
तेरी नज़र पे है तू क्या देखता है मुझमें
उदास चेहरे की सभी बलाएँ उतार लूँ तेरी
खुद को भूला हूँ तेरी याद में
कुछ लोग मेरी पसंद के भी होंगे
आंसू का कतरा
लेख
तेरी साड़ी सफ़ेद क्यों ?
दिल की लिखूं तो क्या-क्या लिखूं ?
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