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आंसू का कतरा - Rajender Kumar (Sahitya Arpan)

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आंसू का कतरा

  • 11
  • 4 Min Read

आंसू का क़तरा

मैं वो आंसू का क़तरा हूँ
तेरी आँखों से उतरा हूँ
ढलक कर तेरे गालों से
ज़मीं पे गिर के बिखरा हूँ
मैं वो आंसू का क़तरा हूँ
ना अब सपना है कोई
ना अब अपना है कोई
ना अब बस्ती है मेरी
ना अब हस्ती है मेरी
तेरी यादों के दर्पण में
मैं वो ग़म हूँ जो निखरा हूँ
मैं वो आंसू का क़तरा हूँ


मैं वो बादल का टुकड़ा हूँ
कहीं भी जो न बरसा हूँ
तेरा होके भी जो हरदम
तेरा होने को तरसा हूँ
मैं बनके टीस एक ग़म की
तेरे सीने में उभरा हूँ
मैं वो आंसू का क़तरा हूँ
हर तरफ ग़म ही ग़म है
खुश्क लब आँख नम है
फ़िज़ा भी भीगी भीगी है
तेरी यादों का मौसम है
मैं बनके दर्द का मंज़र
ज़र्रे-ज़र्रे में बिखरा हूँ
मैं वो आंसू का क़तरा हूँ

By Miraaj
From my Book "Khali Khali Sa Jahan"

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