कवितालयबद्ध कविता
बजे बंसी आगे आगे
मैं पीछे पीछे चलूँ
ऐ श्री कृष्णा तेरी याद में
धुन न बजे तो भी सुनूं
होश न रहे खाने पीने की
ऐसे रस में तेरे रचूं
जिधर देखूं नजारा तेरा हो
तेरे लिए हर रोज सजूँ
चूड़ा तेरे नाम का
बिंदी तेरे नाम की
तेरी ही दुल्हन बनूँ
बहे जो अश्क आंखों से
तेरे हाथों में मिलूं
बस इतनी सी आस है कृष्णा
जब भी बनूँ मैं
बस तेरी दुल्हन बनूँ।
बस तेरी दुल्हन बनूँ। - नेहा शर्मा
सुन्दर तड़प कृष्ण के लिए ।शायद पृथ्वी पर आत्मा प्रियतम कृष्ण से मिलने को तड़प रही है कान्हा जी आप पर दयालु रहे
Bahut badiya...mam app to hamari inspiration ho....aapke Sabad bahut achhe lagte hai.....sachhe pyaar Mai ESA hi hota.....har koi...aapne bade achhe se unkera hai us feel Ko... I'M always your fan mam....
जी , मैं भी सहमत हूँ
Thank you so much aapke shabdo ne mera likhne ka hosla badha diya aap bhi behtrin likhti hai mai hamesha aapko pdhti hu trending list me pahle no. par hone ke liye aapko congratulations
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
bahut bahut shukriya vandana ji
उम्दा रचना। बहुत बहुत शुभकामनाएं।
शुक्रिया