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Competition | Rank | Certificate |
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मन के भाव चित्राक्षरी आयोजन 2021 | Certificate | |
शब्दाक्षरी - फूल | Certificate |
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Section | Genre | Rank |
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कहानी | प्रेरणादायक | |
कहानी | लघुकथा | |
कविता | बाल कविता | 4th |
London is the capital city of England.
कहानीहास्य व्यंग्य
नकलची चमचे ---
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नेता जी के मीटिंग हाल मेंआज तो घमासान मचा हुआ था । आज नेता जी को थोड़ा बुखार होगया बैसे आजकल वायरल चल रहा है पर चमचों में तो एक बैचेनी फैल गयी एक होड़ थी सब में जैसे तेरी कमीज से
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कहानीसंस्मरण
मेरी जिन्दगी का दर्दीला पन्ना
आज एक ऐसा बिषय जो अपार दर्द दिल में समेटे हुये है । बहुत लम्बा समय गुजर गया मेरी पूरी जिम्मेदारी भी लगभग निपट चुकी हैं पर जब तक हम जिन्दा रहते हैं मां बाप को भूलना
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कविताअतुकांत कविता
बेटियो का महत्व
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बेटियों की बात ही निराली है,
ये तो लगती ही बहुत प्यारी हैं,
जब हंसती हैं तो चहचाता सारा उपवन,
जीवन की हर कठिनाई को ,
हम हंसते हंसते सह जाते हैं,
फिर भी लोग हमें अबला नारी कहते,
पिता
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कहानीलघुकथा
नई जिंदगी ****
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आज पूजा बहुत देर से सोच रही थी कि वह कहां गलत थी ! रजत की कोई बात को आज तक मना नहीं करा ! आज रजत ने सारी सीमा तोड़ दीं ! शादी से अब तक वह सोचती रही कि वह सब ठीक कर लेगी । रजत के सारे दोषों
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कहानीलघुकथा
जुड़वा फूल
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रमन और सोनी की मित्रता पूरे कालिज में चर्चित थी । एक पवित्र प्रेम का अद्भुत संगम । कुछ लोगो को तो विश्वास ही नहीं होता था कि इस पाश्चात्य रंग में रंगी दुनिया में इतना निर्मल गंगाजल
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कहानीलघुकथा
हम होंगे कामयाब ---
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सुमि आज बच्चों की आपस की बातें कान लगा कर सुन रही थी । आज उसकी सासु जी का जन्म दिन था । जब एन सी आर में फ्लैट लेने का समय आया तब उसके पति व दोनों ने एक ही टावर में फ्लैट लेने
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लेखसमीक्षा
अलीगढ़ तो कवियों और साहित्य कारों का शहर है। मैंने बहुत लेखको को पढा है बहुत अच्छा अच्छा साहित्य पढ़ा विधार्थी जीवन से पर सबसे अधिक प्रभावित श्री शिवाजी सांवत जी द्वारा लिखी " मृत्युंजय " ने किया
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बहुत बढ़िया। मोबाइल ने आजकल सबको अलग कर दिया है।
Thanks
कहानीलघुकथा
लावारिस दीदी
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एक नाजुक सी सुन्दर सी मां बाप की राजकुमारी ऐसी थी दीदी । दादी तो पैर ही जमीन पर नहीं रखने देती थी पर उस समय लड़कियों की शिक्षा से अधिक घरेलू कामो को अधिक महत्व दिया जाता था और दादी
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कविताबाल कविता
अजब गजब शादी
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अन्धे गाँव में ऊंट आया,
ऊंटनी को ब्याह कर लाया,
चूहा ढोल बजा रहा ,
चुहिया देखो नाच रही ,
शेर ने राग अलापा है ,
हाथी ने ढपली बजाई,
चींटीं ने दुन्दभी उठाई ,
गधे ने दुलत्ती चलायी ,
कैसा
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कहानीलघुकथा
छोटी सी खुशी
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देव तुम क्यों चले गये ? ये प्रश्न रोली हमेशा देव की तस्वीर से रोकर पूछती पर जो इस दुनिया में है ही नहीं वह क्या जवाब देता । आज तो वह सुबह से ही रो रही थी क्योंकि आज होली थी उसको पिछली
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कहानीसंस्मरण, लघुकथा
होली के रंग--
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फागुन के रंग शीर्षक देखा तो मचलने लगे रंग बिरंगे सपने आखों में जो कभी हमने भी देखे थे । 50 साल पहले की एक घटना फिर से याद आगयी । मेरी नयी नयी शादी हुई थी । अल्हड़ उम्र थी । मै शहर की
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कहानीलघुकथा
दरकते रिश्ते
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नीला को ये दीमक वाला ट्रीटमेंट परेशान करता था । इसकी दवा से उसे बहुत एलर्जी थी पर क्या करे दीमक जब घर में कहीं लग जाती है तो ट्रीटमेंट जरूरी है नहीं तो वह सब लकड़ी को खोखला कर
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कविताअतुकांत कविता
मां का दुलार
मैंने स्वर्ग तो नहीं देखा था ,
बस मां को देखा था,
बिन मां के मै कहां थी,
ना वह गोद थी ,ना वह बाहें थी,
ना वह आंचल की छांब थी,
ना वह मनु हार भरा
तुम्हारा गुस्सा था ,
वह रात को प्यार से सर सहलाना,
और
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कहानीलघुकथा
सौतेली मां ****
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आज मीरा अपने आंसूओ को बार बार साड़ी के पल्लू से पोंछ रही थी । आज उसकी दोनों बेटियाँ एक साथ विदा हो रही थी हां वही बेटियाँ जिनको सब परिवार वालों ने उससे अलग करना चाहा था क्योंकि बह
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ओह, कभी किसी की कही हुई बात कितना गम्भीर घाव दे जाती है। बहुत अच्छी रचना
धन्यवाद
कहानीलघुकथा
सुन्दर सपना ---
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रमा व्हील चेयर पर बैठ कर अपनी बेटी सांची को निहार रही थी । सोच रही थी उन बीते दिनों को सब कुछ सही चल रहा था । रमा गांव में जन्मी पली बड़ी हुई पर बहुत होशियार थी । जब बड़ी हुई तो गांव
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Jay Hind🇮🇳🇮🇳🇮🇳
Thanks
Thanks
कहानीलघुकथा
मेघा नाम के अनुरुप ही तो था उसका व्यक्तित्व । धीरे धीरे उछलती कूदती सतरंगी सपने देखती देखती कब बचपन की देहरी लांघ गयी । घर में सबकी लाडली । मेघा मेधावी छात्रा थी । स्कूल से कालिज का सफर अनेको सपनों
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कहानीप्रेम कहानियाँ, लघुकथा
कारवां गुजर गया ---
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मौसम ने करवट ले ली है । बसन्त का मौसम तो दिल में उमंग पैदा करता है। आज बहुत दिन बाद ना लिखने का मन ना पढ़ने का और ना ही टी.वी देखने का मन । सोचा इस गुनगुनी धूप में आराम से बैठ
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कहानीप्रेरणादायक, लघुकथा
बिषय----# संवेदना
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समाज के दिखावटी मुखौटे
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रेलवे स्टेशन के बाहर यात्रियों की भीड़ लगी ही रहती है। जब भी निकलो ऑटोरिक्शे ,टैक्सी ,खाने पीने के ठेले सबकी भीड़ दिखाई देती है। हाथ फैलाये
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कहानीलघुकथा
बन्धन पवित्र प्यार का ----
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विभा बड़बड़ाती जा रही थी शर्मा जी कल मै नहीं रहूंगी तब तुम्हें पता चलेगा कौन तुम्हारा ख्याल रखेगा । मेरी सुनते ही कहां हो कितना समझा चुकी सिगरेट बन्द करदो दिल के
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कहानीलघुकथा
स्वच्छता अभियान
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आज 26 जनवरी गणतन्त्र दिवस की धूमधाम , कालोनी के पार्क में शमियाने लगे थे । खूब सजावट होरही थी ।लाउडस्पीकर पर देशभक्ति के गाने चल रहे थे ।
आज इस कार्यक्रम में सांसद महोदय को आना
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पर उपदेश.. कुशल बहुतेरे..!
जी बिलकुल सही
कविताअतुकांत कविता
मां
मैने स्वर्ग तो नहीं देखा ,
पर मां को देखा है ,
बिन मां के मै कहां थी,
ना वह गोद थी ना वह बाहें थी,
ना वह आंचल की छांव थी ,
अब तो मां सच में बहुत याद आती हो,
वह रात में सर को सहलाना ,
और डांट कर सुला देना,
दिन
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कहानीप्रेम कहानियाँ, लघुकथा
#इकरार
पवित्र बन्धन ---
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बहुत समय पहले की एक घटना
" इकरार " शब्द देखकर मेरे मस्तिष्क में सजीव होगयी । अपने को रोक नहीं पाई और कलम चलने लगी ।
मेरी पडो़स में एक परिवार रहता था । अच्छा सम्पन्न परिवार
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कहानीलघुकथा
पल्लवी यही तो नाम था उसका पर संचित तो उसे पल्लो के नाम से ही पुकारता था । वह चिढ़ती थी गुस्सा होती थी पर संचित के मनुहार से मान भी जाती थी । दोनों बचपन के दोस्त थे ,पड़ोसी भी थे । धीरे धीरे बचपन छूटा
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कहानीलघुकथा
पैसे पेड़ पर नहीं उगते ---
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आज शर्मा जी बहुत खुश थे । वह जल्दी घर पहुँचना चाहते थे । जिससे घर जाकर खुश खबरी सुना सकें । उनकी अकेली लाडली बेटी शुचि का सम्बन्ध इतने बड़े घर में होने जा रहा था सचिन
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कहानीलघुकथा
कुछ ख्वाब अधूरे से
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मेरा वजूद कोई छोटी कहानी नहीं था ,
बस पन्ने जल्दी भर गये ....
जिन्दगी में ख्वाब देखने का सबको अधिकार है पर जरूरी नहीं वह पूरे हो जायें । मेरी भी जिन्दगी इसी तरह की है।
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कहानीलघुकथा
एक कप काफी और तुम
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अरे लोग हंसने लगे कि इस शीर्षक पर तुम कुछ लिख ही नहीं सकती । मैने भी सोचा क्यों काफी बेचारी इतनी बेकार है । अरे किसी को पता नहीं समय के साथ सब बदलता है । वह दिन चले गये कि गाया
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कहानीलघुकथा
#2020
अलविदा 2020
जनवरी 2020 का आगमन नये वर्ष का सुखद एहसास । सब खुश थे । 2020 सुन कर भी अच्छा लग रहा था पर किसी को क्या पता था कि सबकी जिन्दगी ही 2020 हो जायेगी । फरवरी आते आते कुछ खबरे आने लगी कि कोई बीमारी चीन में
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कहानीप्रेरणादायक, लघुकथा
कहां गये वो दिन # insta
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आज बहुत दिन बाद मंजरी मायेके जा रही थी । वह देश से ही बाहर थी । विदेश में जाकर कुछ ना कुछ अड़चने आती रही कि वह भारत आई नहीं पायी । जब भारत लौटी अपने सब काम से निपट कर सोचा
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कहानीलघुकथा
अलविदा 2020--
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चलो अब तुम्हारी विदाई का समय नजदीक आ रहा है। खुशी हो रही है,कि तुम यहां से जाकर अपने घर आराम से रहो । ना तुम हमें याद करना ना हमें याद आना । जब तुम्हारा आगमन हुआ बहुत खुश थे हम सब । बहुत
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जाते हुए वर्ष 2020 के विषय. में उचित ही लिखा है.. आपने. बहुत से प्राणियों को अपनी जान से हाथ धोया. लोगों के रोजगार चले गए. 24 घंटे चलने वाली ट्रेनें बन्द हो गयीं.हां एक बात हुई..! प्रक्रति को पास से देखने का अवसर मिला. पर्यावरण कुछ शुद्ध हो गया. ऐसे द्श्य देखने को मिले, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी.
Thanks
कहानीलघुकथा
किन्नर मां ------
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मन्नत बहुत देर से रो रही थी ,सब उसको चुपाने में लगी थी बस एक ही रट मेरे पापा कहां है? सब बच्चों के पापा आते हैं। सुमी ने कभी उसे पिता की कमी महसूस नहीं होने दी यह वह बस्ती थी जहां
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कहानीलघुकथा
जन्म जन्म का साथ -----
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शर्मा जी का भरा पूरा परिवार चार बेटे चार बहुयें । दोनों पति पत्नी बहुत खुश होते थे । रामरती तो कहती थी शर्मा जी हम दोनों का बुढ़ापा बहुत आराम से
बीतेगा । नाती पोते सब
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कहानीप्रेरणादायक, लघुकथा
मैं हूँ ना
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आज दिल बहुत उदास था । मि.सिन्हा सुबह दूध लेने निकले एक ट्रक से एक्सीडेन्ट होगया और वह उन्होंने उसी स्थान पर दम तोड दिया । उनकी बेटी पल्लवी का रो रो कर बुरा हाल था । पल्लवी मेरी क्लास
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कहानीसंस्मरण, लघुकथा
सोचती रहती हूँ बीते दिनों को । आज तो उम्र का ढलान आगया । एक लड़की जब अपने बचपन के दिन छोड़ कर युवावस्था में आती है नये नये सपने देखती है। अपने सपने तो पता नहीं कब खो जाते हैं। बस एक कसक रह जाती है। धीरे
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बहुत ताकतवर व्यक्तित्व है आपका मेम। यूं ही लिखते रहिए
Thanks
भावपूर्ण और मर्मस्पर्शी रचना..! पवित्र प्रेम की विजय..!
Thanks
कहानीलघुकथा
रेड लाइट एरिया
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कोरोना महामारी ने जैसे सब कुछ थाम लिया हो । अमीर तो पैसेे से सब चीज खरीद रहा है पर वह अमीर कहां गये जो रात के अंधेरे में उनको खरीदते थे । सुप्रिया बालकानी में आधी लटकी हुई सिगरेट
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मर्मस्पर्शी..! करोना महामारी ने हर वर्ग को प्रभावित किया है. समाज के एक उपेक्षित वर्ग की वेदना...!
Thanks
कहानीप्रेरणादायक, लघुकथा
प्रतियोगिता
मेरी प्यारी दीदी,
सादर प्रणाम
आगे यहाँ सब कुशल मंगल हैं आप सब की कुशलता ईश्वर से चाहती हूँ। आपकी बहुत याद आती है और याद आती हैं वह बातें जो मुझे आप समझाती थी । आप बड़ी बहन कम और एक
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कहानीलघुकथा
शनिवार
बिषय "एक ठंडी रात "
असीमित खरोंचे
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पूस की रातें बहुत ठंडी होती है। यह पुरानी कहावत है।
ऐसी ही एक ठंडी रात थी । मानसी बैचेनी से ठहल रही थी । घर के सब सदस्य सो चुके थे । अभी अभी ब्रेकिंग
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कहानीप्रेरणादायक, लघुकथा
प्यार एक कसक
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अनुभा दौड़ती आई और माधवी से लिपट कर बड़े लाड़ से बोली मां गोद में लिटाओ ना । माधवी को तो ऐसा लगा कि पूरा संसार उसकी मुट्ठी में है। जब अनुभा दो साल की थी तभी उसकी माँ का देहान्त हो
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कहानीलघुकथा
फिर कब मिलोगे
रुचि खिड़की में खड़ी सोच रही थी आज पांच साल होगये विभू को गये हुये । एक बार भी उसने लौट कर नहीं देखा पर उससे क्या शिकायत गलती तो मेरी ही थी। मैने कहां कोशिश की कि जो गलत फहमियां हम दोनों
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कविताअतुकांत कविता, अन्य
मां की ममता--
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क्यों जन्म लिया ,
तुमने मेरी कोख से,
किसी को ना तुम्हारी ,
चाह थी ना लालसा,
बस मैं ही चाहती थी ,
तुम आओ मेरी कोख में,
मैं करू तुमसे जी भर कर प्यार,
जीऊ तुम्हारे साथ बीते हुये दिन,
दुनिया
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कहानीसंस्मरण, लघुकथा
डरावना सत्य *
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सुबह सुबह जैसे ही समाचार पत्र हाथ में लो तो सबसे पहले समाचार दिखाई देगा या तो बलात्कार या शादी का झांसा देकर शोषण ये प्रतिदिन के समाचार है। जितने कानून बन रहे हैं उतनी ही घटनाएं
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ऐसी घटनाएं अक्सर तब होते हैं जब माता-पिता बच्चों को अपने विश्वास में कम रखते हैं या बच्चे ही माता-पिता का विश्वास जीतने में असफल रहते हैं।
ये बहुत पुरानी घटना है। शायद हम लोग भी आजकल के बच्चों की तरह नहीं थे इतना खुलापन नहीं था
कहानीप्रेरणादायक
सशक्त निर्णय -------
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ये भी इन्टर नैट की क्या दुनिया है। पता ही नहीं चलता कब किस का मित्रता का निमंन्त्रण आ जाये । मनु सोच रही थी । वह तो बहुत सोच समझ कर मित्रता सूची में जोड़ती थी पर ये प्रतुल
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कहानीलघुकथा
पहला प्यार----
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अरे काहे को छेड़ दिया ये मीठा सा तराना । अब क्या करे बहुत पहले छोड़ आये वह यादें जहां हम अपने को किसी हीरोइन से कम नहीं समझते थे । छोटी उमरिया के उगते हुये रंगीले सपने । प्यार की
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कहानीलघुकथा
परायी बच्चियां ----
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आज मै समाचारपत्र जैसे ही लेकर प्रातः कुर्सी पर आकर बैठी सबसे पहले उसकी नजर मुख्य हैडिंग पर अटकी बालिका संरक्षण गृह में बच्चियों का शॊषण, मन को विचलित करने वाला समाचार ।
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कविताअतुकांत कविता
चांद को देखो कितना इतराता है,
कभी बकरों की शामत आती है,
कभी पतियों पर प्यार लुटाता है,
कभी आधा कटता है,
कभी थोड़ा बढ़ता है,
कभी पूरा हो जाता है ,
इतना होने पर कभी,
खुद संकट में आजाता है,
फिर भी
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कहानीलघुकथा
एक रोटी और ले लो
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सुमि रोटी बना रही थी उसने सबको आवाज दी चलो खाना बन गया । घर के सब सदस्य टेबिल पर आगये । लंच का समय था । आज रविवार था । सब साथ बैठ कर खा रहे थे । सम्मिलित परिवार की बात ही कुछ और
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कहानीप्रेरणादायक, लघुकथा
नई जिंदगी ****
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आज पूजा बहुत देर से सोच रही थी कि वह कहां गलत थी ! रजत की कोई बात को आज तक मना नहीं करा ! आज रजत ने सारी सीमा तोड़ दीं ! शादी से अब तक वह सोचती रही कि वह सब ठीक कर लेगी । रजत के सारे दोषों
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कविताअतुकांत कविता
हां मै एक औरत हूँ ----
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मै सीता नहीं हूँ सावित्री नहीं हूँ
पर पुरुष तो राम है,क्योंकि मै औरत हूँ ,
तुम बाजार की सीमा रोंदो ,
तो कोई आरोप नहीं ,
मै यदि आंख उठाकर देख लूं ,
तो चरित्र हीन हूँ ,
क्योंकि मैं
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कहानीलघुकथा
अतीत के घाव
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डा. मणि आज बहुत थक गयी थी । उसे घर भी जल्दी जाना था । उसने अपने सहयोगी डा.रुचि और डा. नवीन को बताया कि वह आज घर जा रही थोड़ा काम मेरा तुम लोग देख लेना । डा. रुचि ने उसको छेड़ा और कहा
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मधु जी आप बेहतरीन लिखती हैं। पर पता नही क्यों इस कहानी में कुछ कमी सी लगी। माफ कीजियेगा बिल्कुल अन्यथा मत लीजियेगा मुझे लगता है कि आपको इस कहानी पर अभी कार्य करने की और ज्यादा जरूरत है। कुछ अधूरापन और कहीं कहीं शब्दों की अधिकता लगी। ??
धन्यवाद, आगे से और ध्यान रखूगी
कहानीसामाजिक, लघुकथा
पति परमेश्वर.
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करवा चौथ का व्रत सुहागिनें बहुत खुश थी । पति की लम्बी आयु के लिये पत्नियाँ पूरी तरह समर्पित होती हैं । मंजरी भी बहुत खुश थी । शादी के बाद पहली करवा चौथ थी। वह इसे जीवन की यादगार
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स्त्री के मन की व्यथा को कहती रचना। बहुत सुंदर, मगर मैम थोड़ा सा और संवारने की जरूरत है?
कोशिश करती हूँ
बहुत ही खूबसूरत कहानी हैं मैम..!? परन्तु ऐसा प्रतीत होता है आपने बहुत ही जल्द बाजी में लिख डाली हो कुछ टंकण त्रुटि भी है बहुत ही उम्दा कहानी है थोड़ा निखार की आवश्यकता है..!????
धन्यवाद हां कुछ टाइप में गलतियाँ हैं
कहानीलघुकथा
नमन वीर जवानो को---
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भयंकर बर्फीला तूफान इतनी धुन्ध आगे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था । देश के वीर जवानों का होंसला जो कभी कम नहीं होता । अपने टैन्ट में लेटे ही थे कि लगा बाहर दूर से हल्की हल्की
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कविताअतुकांत कविता
जिन्दगी की राह
हर तरफ धुंध सी छाई क्यों है
नजरें बोझ से पथराई क्यों हैं
समय तो समय से गतिमान है मगर
जिन्दगी एक मोड पर ठहराई क्यों है
क्यों सफर आसान नहीं जिन्दगी का
पता क्यों मालूम नहीं मंजिलों
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आज के समाज की स्थिति को शब्दो के जाल में बुनकर जो बेहतरीन काम आपने किया है उसके लिए आप तारिफ की हकदार है
Thanks
बहुत ही गहरा संदेश देती अच्छी रचना...! शुभकामनाएं..??
Thanks
कविताअतुकांत कविता
तुम कभी बैठो मेरे पास,
मुझे अच्छा लगता है,
तुम्हारा बैठ कर
अपलक निहारना,
मुझे अच्छा लगता है,
तुम छूते हो जब हाथ,
मुझे अच्छा लगता है,
तुम्हारे उन हाथों का आलिंगन,
मुझे अच्छा लगता है,
तुम चूमते
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कहानीप्रेम कहानियाँ
शादी का कार्ड
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मीता को अपने हाथ की यह अंगूठी जो कभी उसके मन में उमंगे जगाती थी उसको देख कर वह भविष्य के सुनहरे सपनों में खो जाती थी । आज वही अंगूठी उसे सांप की केंचुली की तरह नजर आ रही थी । उसके
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नैतिक मूल्यों के समाप्त होते जाने के ऐसे अनेक उदाहरण हैं, लड़कियों को सावधान होना होगा।
आभार
बहुत खूब। लेकिन मुझे लगता है कि इस रचना को थोड़ा और एडिटिंग की जरूरत है कथानक बहुत ही बढ़िया है थोड़ी और एडिटिंग से रचना निखर जाएगी
ये मेरी सबसे पहली रचना थी कल कागज मिल गया मैने पोस्ट कर दीमै भी थोड़ी और कसावट चाह रही थी पर समय नहीं था
कहानीव्यंग्य
स्वच्छता अभियान
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स्वच्छता अभियान चरम सीमा पर नेता व सम्मानित नागरिकों में होड़ लगी हुई थी कि कौन कौन झाड़ू उठाये जिससे कल समाचार पत्रों में फ्रन्ट फोटो उसका ही
आये । फोटो छपवाने की व्याकुलता
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कविताअतुकांत कविता
हां मै एक औरत हूँ ----
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मै सीता नहीं हूँ सावित्री नहीं हूँ
पर पुरुष तो राम है,क्योंकि मै औरत हूँ ,
तुम बाजार की सीमा रोंदो तो कोई आरोप नहीं ,मै यदि आंख उठाकर देख लूं ,तो चरित्र हीन हूँ ,
क्योंकि मैं
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उफ़्फ़फ़ बहुत ही दर्दनाक। सच में हैवानियत के सिर उठाने की एक वजह ऐसा समाज भी है। बहुत सुंदर रचना लिखी है आपने।
Thanks
कहानीसामाजिक, प्रेरणादायक
पाखंडी स्वामी
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कालिज से बहुत थकी आयी थी प्रो .अर्चना मन कर रहा था आराम से कुछ देर लेट लूं ।इतनी देर में डोर वैल बजी उसने देखा उसकी मित्र लतिका थी । उसने आते ही सुनाना शुरू कर दिया की एक स्वामी जी
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कहानीसामाजिक, प्रेरणादायक
दादी की परी ------
---------------आज दिन बहुत उदास था । तोषी के प्रसव का समय नजदीक आरहा था ।एक भय मन में समाया था कि सही तरीके से प्रसव निपट जाये । एक अजीब सा डर मन में बैठ गया था । तोषी उसकी इकलौती बहू थी ।जब उसको
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कहानीसामाजिक, प्रेरणादायक
मेरे जीवन दाता ---
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आज राम प्रसाद जिसे सब लोग रामू कहते थे बहुत खुश था । खुश अकेला वही नहीं था पूरा परिवार और पूरा गांव मस्ती से झूम रहा था । आज उसका बेटा कलक्टर बन
गया । कितनी मुश्किल से उसने
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