मेरे अल्फ़ाज मेरी पहचान होंगें
जहाँ भी लिखेंगें वहीं अमिट निशान होंगें,
कुछ ऐसा क़िरदार निभा जाएँगे
हर जुबाँ पे मरजाणा तेरे नाम होंगे ।
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London is the capital city of England.
कवितालयबद्ध कविता
औरत हूँ, मैं नारी हूँ...............
आगाज़ हूँ अंजाम भी
चट्टान सी मैं भारी भी,
क़ायनात पूरी समा जाये
है मुझमें इतनी ख़ुमारी भी।
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औरत हूँ, मैं नारी हूँ............
समर्पण का साग़र
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कवितालयबद्ध कविता
तुम खो मत देना ये आज़ादी"
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तुम खो मत देना ये आज़ादी
पुरखों के बलिदानों की,
कफ़न बाँध के लड़े दीवाने
सरहद पे वीर जवानों की,
भूल न जाना जलियांवाला
वो लाशें निहत्थे इंसानों की।
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कवितालयबद्ध कविता
"कोरोना को हराना है"
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कोरोना को हराना है..............!
बिना मास्क पहने बाहर न जाना
और रखना तुम दो ग़ज की दूरी,
पौष्टिक भोजन गर्म तुम खाना
शरीर में रखना इम्युनिटी पूरी,
बस हाथ जोड़कर काम चलाना
हो
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कविताअतुकांत कविता
शीर्षक :-
"मुझे मेरा वो गाँव याद आता है"
बरगद की छाँव में
बैठ के बूट्टे खाना,
संग दोस्तों के वहाँ
घंटों भर बतियाना,
नहीं भुलाये भूलता
वो गुजरा जमाना ,
माँ के डर से छुपके जाना,ठंड में ठिठुरता वो
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कविताअतुकांत कविता
एक गुलाब शहीदों के नाम......
"वेलेंनटाइन याद रह गया
उनको याद करेगा कौन.......!
ख़ुद की हस्ती मिटाई जिसने
सरहद पे जान गवाईं जिसने,
हिना भी ना सुखी हाथों की
माथे की बिंदियां हटाई जिसने,
उस बूढ़ी माँ की हालत तुम
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कविताअतुकांत कविता
"काश तुम Hug कर पाते"
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काश तुम Hug कर पाते
उस बूढ़ी माँ की पीड़ा,
उन आंखों में उमड़ते सैलाब को
जो तरस गयी हैं ममत्व को,
उसके आँचल में छिपे सात्विक प्रेम को ।
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काश तुम Hug कर पाते........
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बहुत सुंदर
हार्दिक आभार आदरणीया
कवितालयबद्ध कविता
" आखिर कौन हो तुम"
आखिर कौन हो तुम
जो रूह में समा गये हो इस कद्र
ज्यों हिमालय की गोदी से
बहती उस निर्मल,पावन
गंगा की तरह !
भाव-विभोर हूँ मैं
तुम्हारी इस दूधिया सी
छरहरी काया को देख,
अपार,असीम
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कवितागजल
ए भारत माँ फिर से एक एहसान कर दे
वही सोने की चिड़िया वाला मेरा हिंदूस्तान कर दे,
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मुझे चुभती हैं नस्तर सी ये ख़ार की नस्लें
मिटा दे नक़्शे-पटल से इनका काम तमाम कर दे,
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कविताअतुकांत कविता
शीर्षक :-
" मन तितली सा "
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मैं उड़ रही हूं
अपने नवेले पंखों के संग
मेरे यौवन रूपी जौश का सहारा ले,
मेरी इस सुगबुगाहट से
नशेमन हैं भ्रमर कुछ इस कद्र
जैसे ले रहे हों अंगड़ाइयाँ
मेरे
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कवितागजल
चाँद सा मुखड़ा.......
भोर के अलसाये पहर में
सुनहरा कोई ख़्वाब सा,
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ओस की बूँदों में ज्यों
भीगा कोई ग़ुलाब सा,
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सिमटा हो ज्यों सारी क़ायनात का यौवन
कलि
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बहुत सुंदर
ह्रदयतल से आभार नेहा जी
जी शुक्रिया
कवितालयबद्ध कविता
कविता
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"नारी नहीं जहान हूँ
हिंद की मैं शान हूँ"
झुका नहीं सके कोई
वो प्रचंड आसमान हूँ,
अस्मत मेरी पे जो ताकता
उसके लिये हैवान हूँ,
क़ायनात
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श्रेष्ठ... रचना...।
ह्रदयतल से आभार चंपा यादव जी
कवितालयबद्ध कविता
" तुम लौट आओ"
वो सुर्ख़ ग़ुलाब
जो थामा था तुमने हाथ में
संग-संग चलने का
किया वायदा था चाँदनी रात में
वो कसमें , वो वायदे
मुझको सब कुछ याद हैं !
तुम लौट आओ...........
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अहा, बहुत खूब!
हार्दिक आभार आदरणीया
ह्रदय को छूने वाली रचना
जी ह्रदयतल से आभार रानी जी
कवितालयबद्ध कविता
" आ अब लौट चलें"
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हैं चारों ओर वीरानियाँ
खामोशियाँ, तन्हाईयाँ,
परेशानियाँ, रुसवाईयाँ
सब ओर ग़ुबार है !
आ अब लौट चलें.....................
चीत्कार, हाहाकार है
मृत्यु का तांडव
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बहुत ही बढ़िया रचना
ह्रदयतल से आभार आदरणीया
आपकी रचना बहुत अच्छी है बस मतले में भी क़ाफ़िया लगा लें
आदरणीया अंकिता जी मार्गदर्शन के लिये ह्रदयतल से आभार
वाह वाह
आदरणीय सुधीर जी हार्दिक आभार