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"हैं"
कविता
हमसफ़र
विधुर पुरुष
होने को साकार, फिर एक बार ...
सुनो एक बात कहता हूं (भाग - 2)
अरमान सजा रखा हैं
चित्र पर आधारित प्रतियोगिता
नानी
नानी
असंभव कार्य संभव करती हैं बेटियाँ
ईश्वर,अल्लाह सब माँ !
बेटे बहादुर होते हैं
दर्द
धुंधलापन ------------------------ इस रात के घने अंधेरे में मैं देखना चाहता हूँ चारों ओर इस दुनियाँ का रंग रूप पर कुछ दिखता नहीं पर मन में एक रोशनी सी दिखती है | बस हर तरफ से नजरें हारकर बस उसकी तरफ मुड़ जाती है दिखती है वह दूर से आती हुई पर उस
यादें तो यादें हैं
अदृश्य बेड़ियाँ
हम उस देश के वासी हैं
एक खत इच्छा के नाम
हिंदी
कुछ बात तुम्हें सुनाते हैं
दिल के सांचे में अश्क ढलता है
दिल से दोस्ती तक
ब्रजमंडल में ग्रीष्म
रिश्ते
जब हम किसी के प्यार में होते हैं तो
हिंदी हैं हम
दिल में
मूक -निमंत्रण
मुझसे पूछो
हम पास तो हैं पर साथ नहीं
ये बेटियाँ हमारी
बँटे आज हम जाने क्यूँ
व्वक्त
ज़िंदगी तो बस एक खुली किताब हैं
प्रेम
ये नयन
नादान हथेली
दीपोत्सव
सुन लो ना
दीप हैं हम (गीत)
यथार्थ रूप भाग-५
वक़्त
कुछ बातें
किताबें
हम लड़के हैं।
ख्वाबों का दरख़्त
घर
कितनी जल्दी भूल जाते हैं
अन्नदाता
सबकुछ तो तय हैं ..
मुझे वो नज़रें बदलनी हैं
कुछ एहसास हैं भिन्न
#अभिलाषाएं जाग रहीहैं
हाँ मैं थोड़ी बदल गईं हूँ
आज भी पीछा करती हैं
यादें
कोरोना का दर्द
हुक्मरान आए हैं,
आती रहती हैं
हाँ हम आम लोग हैं।
जान बैठे हैं
जनवरी की ठंड
सैनिक संभालते हैं ख़ुद को
देख ये कौन चलें हैं
तेरे इश्क में डूबे डूबे से हम हैं
चेहरा
ऋतुराज आया
ऋतुराज आया
वीणावादिनी
हम सिर्फ तेरे हैं
ऋतुराज आया
भारत के वीर सपूतों को नमन
बहुत बोलती हैं ये आंखे तुम्हारी
एक दीया शहीदों के नाम करते हैं।
आपके ढेरों उपकार हैं माँ
धागे पहले उलझते हैं
समर्थन
आजकल पल पल रंग बदल रहे हैं लोग
सियासत....
दिल ही तो जाने है
✍️अनजान चेहरा सा हैं, मुस्कुहाट सी निजदिकिया हैं,
सफ़र यादों का ❤
रिश्ते
ये बच्चे अच्छे होते हैं...
इस मोड़ से जाते हैं
आम और सच
हालात
ममतालय
चेहरे छुपाने पड़ रहे हैं
मील के पत्थर
बँटे आज हम जाने क्यूँ
उम्मीद की लौ
जो कुछ नहीं करते बहुत कुछ करते हैं
आशाएं
बिना पूछे सबकुछ बता देते हैं
बिना पूछे सबकुछ बता देते हैं
अधूरा सा प्यार था।।
यथार्थ रूप भाग 7
मित्रता दिवस (Freindship Day)
इस मोड़ से जाते हैं
दरवाजे बन्द मिलते हैं
✍️गम भी जिंदगी को कितना कुछ सिखा देता है।।
वे साँसे हैं हमारी
लहज़ा
बेटियों का महत्व
ख्वाब
अगन जलाये हैं...
चलों लम्हें चुराते हैं
शब्द जानते हैं
खुशनुमा शाम हैं
ज़िन्दगी दौड़ हैं
" वाकई " 🍁🍁
हैं कोई बात
मेरे नयना बरस रहे हैं
आसान नहीं हैं, किसी के साथ जीना
तुम्हें कैसे समझाऊं...
लोग बदल जाते हैं
गीत... हो रहे हैं लोग
सलीक़े से हवाओं में जो ख़ुशबू घोल सकते हैं
मैं ज़िन्दा हूं, बेजान हूं।
हम तन्हा हो जाते हैं -कविता
आजकल मेरे महबूब सर पर पूरा आलम उठाए हुए हैं
कुछ लोग यूँ ही परेशान हैं
शामो-सहर रोजो-शब आज और कल बदलते हैं
मतलब की बातें करते हैं
शेर-ओ-सुख़न से दूर रहते हैं
ख़ामोश रहकर बशर वो अश्आर हज़ार कह देते हैं
ऐ जिंदगी ख़्वाब तिरे तमाम सदा मुकम्मल नहीं होते हैं
बंदे तेरा अंदर कहाँ है
खुशबुएं नदारद बशर
शख़्स जो बे-हद खास होते हैं
फासले राब्तोंकी असलियत बता देते हैं
तैयार हैं छोड़नेको घरबार हमतो
बीते हुए दिन बशर अब अक्सर बेहतर लगने लगते हैं
कोई येह तो बताए के हिंदुस्तान और भी है
बेनाम शहीदों को क्याक्या हुए थे हासिल ईनाम याद हैं
गैरों से दोस्ताना अहबाब से रक़ाबत रखते हैं
नेकदिल इन्सान भी बशर यहाँ गुनहगार हो जाते हैं
लोगों के जज़्बात बदलते हैं
मुकम्मल कर सफ़र बशर हम आते हैं
चलो चांद पे बसते हैं
चांद पर बसने की बात करते हैं
निगाहें आज तक टिकी हैं बशर उसी तरफ़ मुंतज़िर तुम्हारी
रिश्ते याद तो आ जाते हैं
ये हसरतें मुंतज़िर हैं किस बात की
उम्रें गुज़र जाती हैं बात दिल की कानों तक आने में
लोग खुदा बदल लेते हैं
मेरे वतन में खुदा बहोत हैं
बे-शुमार मसर्रतें होती हैं मयस्सर जरा-सा मुस्कुराने से
मुकम्मल सब काम होते हैं
यौम-ए-हिंदी मुबारक
जमाने गुज़र जाते हैं बशर खुशियों के आने में
अच्छे -भले लोग बशर बीमार हो जाते हैं
छोटा बड़ा गिलास देखते हैं
*अपने तो बस नाम के होते हैं*
दूसरों को देते हैं ज्ञान
*ज़हर पिए जा रहे हैं*
करते नहीं हैं याद हमको हबीब हमारे
*याद आते हैं*
*समझाने लगे हैं लोग *
*लोग किरदार समझ लेते हैं*
*पहचाने जाने में जमाने लगे हैं*
*वज़न इल्म का उठा सकते हैं नहीं*
अहबाब भी हैं
सांप सूंघ जाया करते हैं
*मेयार ए बुलंद के मिज़ाज क्या हैं*
*कलम दवात के सहारे हैं*
'बशर' को चालबाजियां कहां आती हैं
चलो अदला-बदली करते हैं किरदारों की
वुजूहात हमारे अंदर जज़्ब होती हैं
*धनदौलत जिंदगीमें सच्चे अहबाब होते हैं*
उजालों के भी अदब हुआ करते हैं
रौशनाई के भी अपने उसूल ओ अदब हुआ करते हैं
बच्चे डरने लगे हैं
अधिकांश होते हैं गुमराह
शर्माते हैं
वो कुछ और पढते हैं
*लम्हों की मुलाक़ातें हैं*
दुश्वारियां सिमट जाती हैं हयात से
*जिंदा अपने उसूल हैं*
*ख़्वाहिशें कहाँ ख़त्म होती हैं*
इंसान
*कलमदवात बदल जाते हैं*
आंखें कराती हैं पहचान
किस मुकाम पर आ गए हैं हम
दर्द की दर्द से शिफा किए बैठे हैं हम
मसाइल कुछ अयाँ नहीं हैं
खामियाँ हर कहीं होती हैं
वोह फ़ना हो जाते हैं सचके हकपर खड़े रहने में
हैं औरभी मुख़्तलिफ जानवर-जात दुनिया के जंगल में हर किस्म के मग़र आदमजात के बदरंग किरदार का सूरत-ए-हाल ही और है
टिके हैं कैसे पांव आसमान के जमीन पर
सुनते हैं कि साल बदल गया है
तन्हाइयों की हैं बशर मजबूरियाँ बहुत
मां -बाप भी बंट जाते हैं
सच और हक़ की सब बात करते हैं
हुदूदे-ग़म हम पार कर आए हैं सारे
सैलाब लाने लगे हैं कभी बूंद को तरसाने लगे हैं
तेरेसे भी बेहतर शख्सियत हैं
हौसलें बुलंद हैं
हौसलें बुलंद हैं
खामोशी
फ़रेब भरे हैं प्यार में
संस्मरण --खुली आंखों से देखा स्वप्र भी सच होते हैं
बर्फ़ पर घर बसाने लगे हैं
हम सब इम्तिहान में हैं
राज लिखे जाते हैं
अलग अपनी पहचान रखते हैं
विश्वास के दीप जलाए हैं
नुस्खे बे-हिसाब रखते हैं
जो हमें भूल जाते हैं
जिंदा भी हैं के मरगए इतनी तो ख़बर रखो
रूठने से रिश्ते गहरे होते हैं
लोग अपनी ज़रूरतों को याद रखते हैं
उम्रे-तमाम इंतज़ार करने को भी हम हैं तैयार
एक ढूंढो हज़ार मिलते हैं
दिल से दूरी थोड़ी हैं
जेबों में नहीं दिलों में संजोये जाते हैं
जेबों में नहीं दिलों में संजोये जाते हैं
आंसू आंखों से बाहर नहीं आ पाते हैं
आसमानों से बाते करने लगे हैं
भीड़ है जिसमें सभी अकेले हैं
चेहरों की सिलवटों में हमने पढी हैं
अपने बैठेहैं अपनों से दूर
सपनों का महल बनाते हैं
उसीको हम देखते हैं
अहल-ए-करम देखते हैं
भुलाने के काबिल हैं
साथ रहने को मकीं घर समझ लेते हैं
तदबीर बताते हैं
हबीब मेरे बेहद नाराज़ भी हैं
'कविता'
सभी अकेले बेइंतिहा बेशुमार होते हैं
तरस गए हैं तेरे सुनने को मधु बैन
लोग जवानी में मर जाते हैं
अपने हमसफ़र भी हम हैं
बहुत जल्द दूर हो जाते हैं
महाशिवरात्रि
राब्ते निभाते भी हैं
और फिर वो भी सो जाते हैं
अनसुनी सदाएं रह जाती हैं
कुछ भी बदल सकते हैं
हरबात जबानी पूछने लगे हैं
गैरों की कहानी पूछने लगे हैं
मसर्रतें हयात से ख़फा रहती हैं
जरा भी नहीं मलाल करते हैं
बाद-ए-आज कल भी होते हैं
आईने से डरते हैं
हम फिर भी सलामत हैं
लोग अपने ऐब जिंदा रखते हैं
हौंसले काम आते हैं
भुलाये जा रहे हैं
मैं साहित्य हूं भारत का
हम हैं कि मानते नहीं
हासिले-सुकूने-क़ल्ब
फिर रहे हैं दर बद्दर, तुम, दर दर से पूछ लो
वो अब पूछते हैं हाल, कमाल ही तो है
सभी दौलते-दर्द से मालामाल हैं
दौलत से परखने लगे हैं
बिछड़ते हैं फितरते-अना और सवाले नाक से
लोग सुबह के अख़बार क्यूँ हैं
इंतज़ार की बातें महज़ किताबी हैं
पलमें सदियां जीकर जाते हैं
नहीं पता सच की कैसे सफाई देते हैं
जमाने लगने लगे हैं सहर होने में
ज्यादातर बेबात सोचते हैं
मुकद्दर को बदलने की ख़्वाहिश रखते हैं
मेरा नाम नही 🥵
खुद के साये से भी हैं महरूम
हमतो अपनी गलतियों केलिए मश्हूर हैं
मजदूर दिवस
सुना दोगे तो मिट जाते हैं
हरहाल में हिट जाते हैं
वक़्त ए तकलीफ़ नज़र आते हैं
भीतर से कितने रीते हैं हम
ज़रूरतें बदल जाती हैं इन्सान की
रहगुज़र को सफ़र कहते हैं
सुगम सरल डगर कहते हैं
यादें जीने की वज़ह बन जाती हैं
दिलके काशाने में हमारे सनम हैं
बंदे हम काम आने वाले हैं
किरदार अमर कर जाते हैं
जमाने गुज़र जाते हैं तकरार में
दिल के काशाने में खुदा रखते हैं
मां की बदौलत हम हैं
दर-हक़ीक़त ये है कि मां की बदौलत हम हैं
बोलूं तो, बीते हुए काल-खंड से सीखा हैं.......
खुशियों की दौलत आपस में मिलती हैं
बशर हैं सब अग़्यार यहाँ
उनका क्या करें जो दिल में समाए हैं
उसके नहले पे दहले हैं
अभ्यागत"....तुम आए जब से, हो उदासीन.....
फ़क़ीरी तक पीछा करती हैं
*भीतर बहोत उथल-पुथल मचाते हैं
जीवन" ओ तू जरा साथ तो चल.......
आप क्यूँ हैं उनके बिना नाखुश
कहानी
रस्सी जल गई पर बल नहीं गया
निर्णायक मंडली
गुनहगार
पति परमेश्वर
माँ की सीख
बोलती प्रकृति
सेतु,,,,,,कहानी भाग,,,1
एक बुरा ख्वाब
अनुभव
ये तो होना ही था
आपसी तालमेल
लोकल ट्रेन के डिब्बे के अनुभव
बीच का दरवाज़ा
आबोहवा
क्यूँ बुलाते चाय पर ?
देशहित
रूहानी रिश्ता
तुम बच्चे भी!
ठिठुरन
ममतालय
पड़ोसी पौधे
पड़ौसी पौधे
बोलती प्रकृति
जो बोया वो पाया
उस्ताद
निर्णय
पवित्रालय
पवित्रालय
परिवार
भूतों का मेला
बावरा बंदा
होली दिवाली
मैं तारा बनूँगी
हाजी नाजी
अभय दान
प्रेम की इति
हम सब एक हैं
बुढ़ापे का दर्द
एक डोर नाज़ुक सी
चाँद तेरे रूप अनेक
बुढ़ापे का दर्द
किलकारियां
किलकारियां
किलकारी
चाँद तेरे रूप अनेक
हसरत की हक़ीक़त
पाँती प्यार की
वेलेंटाइन डे
वेलेंटाइन डे
अलविदा
अर्धांगिनी
हसरत की हक़ीक़त
सेवा का मेवा
Indian हर जगह rock करते हैं।
टिप टिप बरसे पानी
मेरे साजन हैं उस पार
डाकिया
भूली बिसरी यादें
प्रभु तेरे रूप अनेक
पड़ौसी पौधे
टिप टिप बरसे पानी
किलकारियां
ब्रह्म नाद ऊं
बन्नी मेरी अपटूडेट
हसरत की हक़ीक़त
कभी खूशी कभी गम
नीली चुनरिया
"आधा मुनाफा"
और भी हैं राहें 💐💐
"बीजारोपण"
कठपुतली
"पलाश के फूल"
लालसा 💐💐
"💐💐खाली क्षण "
पराई होती हैं बेटियां
" तुम्ही से शुरू तुम्ही पर खत्म"
"मीठी फांस "💐💐
ममतालय
" हवा में खुशबू "
"दिल दीवाना "💐💐
मुस्काते चेहरे
" अभी देर नहीं हुई है " 💐💐
"सिरीज़-मिनी " 💐💐
"बरसात की वो रात "💐💐
"हिप-हिप हुर्रे " 💐💐
खिचड़ी
ड्यूटी तो ड्यूटी है
" पकौड़े " 💐💐
" दो बेटों वाली मा " 💐💐
तिरंगी ड्रेस
" जाति - भेद " 💐💐 भाग 1
Naak Kat Jaayegi
रिश्ते बन भी सकते हैं
करामाती नुस्खा
"खौली पास "डायरी के कुछ अंश
" यादें खट्टी-मीठी " 💐💐
" बाढ़ " 💐💐
" बड़े दिल वाला " 💐💐
" सुलभा-ताई "💐💐
तीसरा नेत्र
रिश्ते बन भी सकते हैं
तिरङगा हमारी जान
बेटियाँ और नदियाँ
ये साँसे हैं हमारी
खिचड़ी
एहसास
अपनी अपनी ड्यूटी
छाह खो गई
" इतिहास " 💐💐
सफ़र वेन का
कल आज व कल
कभी खुशी कभी गम
संग दिखाए रंग
विरासत
मेरे पापा
मिलन उत्सव
मील के पत्थर
अर्धांगिनी
हाँजी ना जी
लागा चुनरी में दाग
नाचो पर दूर दूर
" वो कौन है "💐💐
"नन्ही मिनी की रूमानी दुनिया " 💐💐
लिपटती लताएं
," शहर अच्छे हैं " 🍁 🍁
" बेबी चांदनी " 🍁🍁
" एक पिता ऐसा भी " 🍁🍁
"बोल्ड ऐन्ड ब्यूटीफुल " भाग ...एक 🍁🍁
"महानायक"🌺🌺
"महानायक"🌺🌺
“पंजाब से आये हैं..”
दूसरा जनम
लिंसा-चिकोरी
लेख
लक्ष्मण स्वरूप शर्मा जीवन परिचय अंतिम भाग
वासना-प्रधान बनते चले जा रहे हैं विवाह
हार जीत
सोने का पिंजरा
मेरे नगपति मेरे विशाल
विदेश में हिंदी हिंदी का विदेश
किसी का कभी ना दिल दुखाउँ
पहला सुख आलसी काया
मुफ्तलाल, फोकटचंद्र.....
दुनिया का आखिरी इंसान
ज़रा रुकिए जी
अति से बचे
वर्तमान समय में कन्या पूजन की सार्थकता
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस
सोने का पिंजरा
बिहार चुनाव :मुद्दे तो बहाना हैं असली बात छुपाना है
विजयादशमी का सामाजिक महत्व
यै शायर नहीं शोषक हैं
भरोसे का बाज़ार
लोकल ट्रेन के एक्सपीरिएंस
संताड़ी/संताल/सांथाल जनजाति
भरोसा
सूर्योपासना का अनुपम पर्व: छठ महापर्व
आ अब लौट चलें
बेचारे अन्नदाता किसान
उपेक्षा/उपासना
पुस्तक परिचर्चा:कुंवर नारायण सिंह
उत्तर प्रदेश
मैं आसमानी चदरिया
मेरा राज्य मध्य प्रदेश
भारतीय किसान की व्यथा गाथा
जय माँ तुलसी
क्रिसमस/ बड़ा दिन
नायिका ही संस्कृति की वाहिका है
ढूंढा करते हैं तुम्हें
# मेरा शहर
जय किसान
#मेरा शहर
मेरा शहर
नव वर्ष पर मेरे संकल्प
लाभकारी व्यवसाय
तेरी साड़ी सफ़ेद क्यों ?
पतंग और हम
पतंग और हम
कुमाऊं का उत्तरायण पर्व
भारत देश के त्यौहार
नमामि देवी नर्मदे
आगरा
डर
सारंडा के आदिवासी
जनवरी की सर्दी
जागरूक मतदाता कैसा हो ?
आखिर आप कर सकते हैं तो हम क्यों नही।
आज की जरूरत महात्मा गांधी
हैं शिकायतें बहुत..
अब तो कुछ काम करने लगे हैं..
था वहम मेरा...
क्रोध, गुस्सा,नफरत, अहंकार है... मीठे जहर
बसंत ऋतु के नाम पत्र
सड़क हादसे
ऑन लाइन इश्क़
एक अनोखा गांव
महाशिवरात्रि
आस्था कि प्रतीक हमारी नदियां
दहेज़ का अभिशाप
मुफ्तलाल, फोकटचंद्र.....
शिवतत्व
जल ही जीवन है
आपका मंथन , मेरा सृजन
कुछ तीर कुछ तुक्के
सकारात्मक विचार बदलते हैं जीवन का रास्ता
गाँठें हैं बन्धन प्यार के
तपता सूरज
नव संवत्सर
नवरात्रि का महत्व और तैयारी
जल ही जीवन है
प्रथम पाठशाला, हमारा परिवार
समस्या और समाधान
ये अनजाने
सफर
चौरंगी
दस प्रतिनिधि कहानियां
उदासियां
जीत जाएंगे हम
महामारी के बीच भारत
साहित्य समाज की पुनर्सृष्टी है
बरसो रे मेघा
मैं आसमानी चदरिया
बावरा मन
विज्ञापन की दुनिया
कली जो खिल नहीं पाई
एक इश्क खुद से ही
विवाह कहीं आह ना बन जाए
धरती का आवरण है पर्यावरण
एक खत यादों के नाम
धरती का आवरण
नशामुक्ति एक प्रयास
क्या कुसूर है मेरा
मुफ्तलाल, फोकटमल...
सहमा हुआ इतिहास
"श्रीकृष्ण जन्माष्टमी विशेष " 💐💐
शिक्षक बच्चों के भविष्य के लिए अपना आज और कल कुर्बान करते हैं
नरक चतुर्दशी
बच्चों को कैसे स्यकारित करें
सारंगा
शिवतत्व
सुकून की तलाश
इश्का की उदासी
दिल की दुनिया के फैंसले
यूँ इल्जाम ना लगा
किसी की मुस्कुराहों पे हो निसार
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आज से आप मेरी माँ हैं.
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तरीक़े आपने ख़ुद ढूँढने हैं …..
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यादें
परीक्षाओं की तैयारी
मेरे जीवन में होली उत्सव
“कोई भी अमर नहीं है लेकिन संघर्ष हमेशा चलता है”
"जय बोलो हनुमान की"
पर्यावरण जीवन जीने की कुंजी है
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