कवितालयबद्ध कविता
माँ की लाडली व पिता की राजकुमारी होती हैं बेटियाँ
हर पल परिवार से बेइंतहा मुहब्बत करती हैं बेटियाँ।।
न जाने कब बड़ी व विवाह योग्य हो जाती हैं बेटियाँ
जब जाती हैं ससुराल माँ से लिपट खूब रोती हैं बेटियाँ।।
माता-पिता से व रिश्तेदारों से बेइंतहा प्रेम करती हैं बेटियाँ
लड़ती हैं भाई से पर भाई से खूब प्रेम भी करती हैं बेटियाँ।।
अपनी ख़ुशी की परवाह नहीं करती हैं कभी भी बेटियाँ
परिवार की ख़ुशी खातिर सर्वस्व अर्पित करती हैं बेटियाँ।।
आज हर क्षेत्र में अव्वल आती हैं हमारे देश की बेटियाँ
इतिहास रचना सबसे कुछ अलग करना जानती हैं बेटियाँ।।
मुश्किलों से हारती नहीं है मुश्किलों से लड़ती हैं बेटियाँ
मुश्किलों से डटकर सामना करना जानती हैं बेटियाँ।।
भेद सारे चक्रव्यूह को युद्ध जीतना जानती हैं बेटियाँ
इतिहास है गवाह हर कार्य संभव कर सकती हैं बेटियाँ।।
बड़े सपने देखती ही नहीं हैं सपने पूर्ण भी करती हैं बेटियाँ
तन पर सहन करती है कष्ट अंततः सफल होती हैं बेटियाँ।।
©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित
मैं भी एक बेटी की माँ हूँ तुम्हारी रचना को महसूस कर सकी बहुत प्यारा लिखा है।
धन्यवाद माता श्री आपको