सरल शब्दों में ज़िंदगी से मिले दर्द व अनुभवों को कलमबद्ध करने का छोटा-सा प्रयास।
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अलविदा 2020 | Certificate | |
कविताओं की नगरी | Certificate |
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लेख | अन्य | |
सुविचार | अनमोल विचार | |
सुविचार | प्रेरक विचार | |
लेख | निबन्ध | |
लेख | समीक्षा | |
कविता | अतुकांत कविता | |
सुविचार | भक्तिमय विचार | 4th |
London is the capital city of England.
कविताअतुकांत कविता, अन्य
जाड़े की रात में
जब ठंड से ठिठुरते हुए सोता है
एक गरीब
ख़ुले आसमान के नीचे
तब आसमान भी,
बहाता है अपनी आँखों से अश्रु।।
जाड़े की रात में
जब ठंड से कँपकँपाते हुए
लौटता है एक निर्धन
अपने घर के द्वार पर,
उस
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कविताअतुकांत कविता, अन्य
विवाह के बाद
पुरुष! अपने विचार व व्यवहार में
लाता है सूक्ष्म परिवर्तन,
और स्त्री! विचार व व्यवहार में
लाती है दीर्घ परिवर्तन।।
विवाह के बाद
पुरुष! ससुराल वालों को क्षणिक आदर
देने में भी झिझक महसूस
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लेखआलेख, निबन्ध
शिक्षक का त्याग "पिता" के त्याग से कमतर नहीं है। "पिता" अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए तन पर कठिनाइयों को सहन करते हुए भी मुस्कुराते हैं,वहीं "शिक्षक" भी शिक्षण कार्य के दौरान अनगिनत कठिनाईयां
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लेखआलेख, निबन्ध
आधुनिक समय में इंग्लिश विषय का कितना विशेष महत्व है यह हम सभी को ज्ञात है। इंग्लिश अंतरराष्ट्रीय भाषा है। आप स्थानीय भाषा की मदद से जहाँ अपने मनोभावों को सीमित लोगों तक पहुंचा पाने में सफल होते
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लेखआलेख, निबन्ध
फोन का सदुपयोग जहाँ एक ओर हमें अधिक ज्ञान अर्जित करने में मदद करता है वहीं इसका दुरुपयोग कर हम न केवल आज बल्कि अपना कल भी बर्बाद कर देते हैं। इसलिए यह अति आवश्यक है कि हम इसका सदुपयोग करें।
बच्चे
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लेखआलेख, निबन्ध
विषय कोई भी कठिन नहीं है, यदि हम सभी विषयों को कठिन मानने की बजाए मन से उस विषय का अध्ययन करें। फिर भी, कुछ ऐसे भी विद्यार्थी होते हैं जो गणित का नाम सुनते ही अनगिनत प्रश्न करने को आतुर हो जाते हैं,
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कविताअतुकांत कविता, लयबद्ध कविता
मैंने अपनी आँखों से देखा है
मन से महसूस किया है कि
प्रेम के आँगन में भ्रमण करने वाले
प्रेमी, सबकुछ त्याग
प्रेमिका के जीवन में
ख़ुशियों के रंग भरने का
करते हैं प्रयत्न।।
मैंने अपनी आँखों से देखा
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अतुकांत कविता, लयबद्ध कविता
मुश्किल हो चाहे कितनी ही बड़ी
तू घबरा मत!
तू लड़ रोकर नहीं, हँसकर
तू जीवन की कीमत समझ
तू नतमस्तक मत हो
हालात के समक्ष
जीवन का अंत करने का ख्याल
मन से निकाल, और आगे बढ़
हाँ, किसी भी परिस्थिति में
समस्याओं
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सुविचारअनमोल विचार, प्रेरक विचार
1)बारिश का पानी उनके लिए ख़ुशी की दस्तक है जिनके घर का छत मजबूत है।
2)श्रेष्ठ से सर्वश्रेष्ठ बनना इंसान के स्वयं के हाथों में है, बस निर्भर इस बात पर है कि इंसान समय के साथ ख़ुद को किस तरह बदलता है।
3)मुश्किल
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बहुत सुन्दर और सकारात्मक विचार..! सच कहा है आपने.. बारिश उन्हें ही अच्छी लगती है जो इससे पूरी तरह सुरक्षित हैं.. जो नहीं हैं उनके लिये तो यह त्रासदी ही है.
सुविचारअनमोल विचार, प्रेरक विचार
माँ और ईश्वर में महज इतना फर्क़ है कि ईश्वर! दिखाई न देकर भी हमारी रक्षा करते हैं, और माँ! साक्षात तब तक हमारी रक्षा करती है जब तक हम नयन मूंद कर सो न जाएं।
@कुमार संदीप
सन्दीप जी.. आपने एक कटु सत्य लिखा है.. कम उम्र में बहुत बड़ी जिम्मेदारियां.. और किसी चीज़ के लिए फ़ुरसत ही नहीं देतीं.
सत्य कहा आपने सर।सादर प्रणाम
सत्य कहा आपने सर।सादर प्रणाम
कविताअतुकांत कविता
है व्याप्त घोर अँधियारा चहुंओर
पर मनुज, तू अँधियारे से मुख मत मोड़
उर के हर कोने में उम्मीद की किरण
कर तू अंकुरित, और आगे बढ़।।
ज़िंदगी की परीक्षा में भी तू होगा उत्तीर्ण
मनुज रख विश्वास स्वयं के ऊपर
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सुविचारप्रेरक विचार
१)स्वास्थ्य की देखभाल अच्छी तरह से करने वाले अंतिम साँस तक चेहरे पर मुस्कुराहट कायम रखने में सफल होते हैं।
२)"स्वास्थ्य ही धन हैं।" महज इस एक वाक्य को ताउम्र ध्यान में रखने वालों के हिस्से में स्वास्थ्य
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सुविचारप्रेरक विचार
१)वरिष्ठ साहित्यकारों का नव रचनाकारों की रचना पर सुधारत्मक टिप्पणी प्राप्त होना नव रचनाकारों के लिए किसी कीमती तोहफे से कम नहीं है। हमें उनकी टिप्पणी का स्वागत हाथ जोड़कर करना चाहिए, और लेखन में
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अभी इसमें और भी पॉइंट ऐड होने बाकी हैं। अभी तक जितने लिखे सभी सटीक हैं।
जी माते,हार्दिक आभार
कविताअतुकांत कविता
बच्चों को जी भर देखना चाहता हूँ
अपनी आँखों के सामने
मन भर बातें करना चाहता हूँ
अपने मन को समझाने का,
भरपूर प्रयत्न करता हूँ
फिर भी मेरा मन नहीं मानता है
खूब रोता है, बहुत बिलखता है
शायद उसे वर्तमान
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सुविचारअनमोल विचार, प्रेरक विचार
१)है इतिहास गवाह
रात के बाद, सूर्योदय होता है
और सारा तम दूर हो जाता है।
ठीक उसी तरह ग़म की काली रात
सर्वदा के लिए दूर होगी
और फिर से ख़ुशी आएगी
आँगन में, दरवाजे पर, हर ओर।।
२)उम्मीद से मित्रता
और हौंसलों
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आज की भयावह स्थिति में आशा की किरण.
धन्यवाद सर
लेखसमीक्षा
पुस्तक-ज़िंदगी न मिलेगी दोबारा
लेखक-शिखर चंद जैन
प्रकाशक- प्रखर गूँज प्रकाशन,दिल्ली
पाठकीय प्रतिक्रिया-कुमार संदीप
ज़िंदगी में कई ऐसे मोड़ आते हैं जब हम ज़िंदगी से मिले दर्द व तकलीफ़ से पूरी तरह
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लेखअन्य, समीक्षा
पुस्तक- डियर ज़िंदगी
लेखक-शिखर चंद जैन
पाठकीय प्रतिक्रिया-कुमार संदीप
आदरणीय शिखर चंद जैन सर की प्रथम कृति "ज़िंदगी_न_मिलेगी_दोबारा" ने पाठक के हृदय में अपनी एक अलग पहचान बनाई थी। इनकी हर कृति वाकई
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जीवन जीने को नई दिशा देते हैं तुम्हारे सुविचार, बहुत खूब सन्दीप
सादर आभार, आशीष बना रहे।🙏🙏
कविताअतुकांत कविता, भजन
हे माता रानी!
आपका आशीर्वाद, साथ बना रहे उनके ऊपर
जो करते हैं दिन-रात अथक श्रम
प्रतिकूल क्षण में, हर मौसम में।।
हे माँ दुर्गा!
अपनी कृपा बनाएं रखिएगा उनके ऊपर
जो तपती धूप में कपकपाती ठंड में भी
हमारी
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कविताअतुकांत कविता
हे जगत के पालनहार प्रभु!
मेरी माँ सदैव ही मेरी सलामती
की दुआ करती है आपसे
पर ख़ुद के लिए कभी भी
कुछ भी नहीं माँगती है आपसे
प्रभु! मेरी माँ की दुआएँ ज़रूर
पूर्ण कर दीजिएगा ताकि
मेरी माँ ख़ुश रहे,
आपके ऊपर
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लेखअन्य
आइए पढ़ते हैं कुछ ऐसे विचार जिनसे निश्चित ही सकारात्मक बदलाव हमारे अंदर आने की पूर्ण संभावनाएं हैं।
1) सत्य के मार्ग पर कदम बढ़ाने वालों को दुख से ओतप्रोत रातों का सामना करना ही पड़ता है।
2) स्वयं के
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लेखआलेख
आलेख के शीर्षक से ही ज्ञात हो गया होगा आपको कि इस आलेख को लिखने के पीछे मेरा क्या उद्देश्य है। जी हाँ, हम सभी जानते हैं अभाव व मुश्किलों ने हमेशा ही हमारे अंदर मौजूद हुनर, प्रतिभा को निखारने का प्रयास
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कविताअतुकांत कविता
कविता
जन्म लेती है तब, जब
कोई निर्धन बालक शहर के जगमग पथ पर
भूख से बिलखता है अत्यंत।।
कविता
जन्म लेती है तब, जब
कवि करता है यह महसूस कि
संवेदना न केवल सजीव प्राणियों में
होती है, बल्कि निर्जीव प्राणियों
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कविताअतुकांत कविता
माँ!
शुक्रिया अदा करता हूँ हृदय से
ईश्वर का
ईश्वर स्वयं न आ सके हमारी मदद के लिए
इसलिए ईश्वर ने
आपको भेजा हमारी मदद के लिए
हम पुत्रों का ख़्याल रखने के लिए
हमारी ख़ुशियों की परवाह करने के लिए।।
माँ!
शुक्रिया
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बिल्कुल सही बात। परन्तु अब टीवी कम मोबाइल में दिखाई गई चीजों से लोग ज्यादा प्रभावित होने लगे हैं।
सच कहा आपने
कविताअतुकांत कविता
रचनाकार की रचना पढ़कर
समझकर क्या सीखते हैं हम?
इस प्रश्न का उत्तर जानने हेतु
जब हम डुबकियाँ लगाते हैं
यथार्थ की नदी में
तो होता है यह ज्ञात हमें..
रचनाकार की रचना पढ़कर
हम असल मायने में प्रेम करना सीखते
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कविताअतुकांत कविता
जब मुश्किल चाहे हिम्मत तोड़ना
राह में हों बाधाएँ कई
फिर भी राही रुकना मत
झुकना मत मुश्किलों के समक्ष
मस्तक मत टेकना बाधाओं के समक्ष
बढ़ाना कदम हर हाल में
मन में रखना यह विश्वास सदा
मंजिल मिलेगी एक
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कविताअतुकांत कविता
आशिक़
जब गुजरता है प्रेमिका की गली से
निहारता है एकटक
प्रेमिका के घर की खिड़कियों की ओर
दर्शन करना चाहता है प्रेमिका का
जिस तरह एक भक्त व्याकुल रहता है
ईश्वर की मूर्ति की एक झलक देखने ख़ातिर
ठीक उसी
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कविताअतुकांत कविता
बच्चों, किंतु परंतु नामक शब्द
ज़िंदगी से निकालकर तुम आगे बढ़ो
कुछ अलग करने का संकल्प लो
किसी भी परिस्थिति में मुश्किलों से मत डरो।।
बच्चों, एक लक्ष्य निर्धारित करो तुम
और जब तक न हो प्राप्त मंजिल
थककर
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कविताअतुकांत कविता
अपनी आँखों के तारे
लाडले के लिए ही नहीं
एक चॉकलेट उन बच्चों के लिए
भी ख़रीद दीजिए
जो सड़क किनारे चुनते हैं
डिब्बे, ख़िलौने, पॉलीथिन।।
अपनी आँखों के तारे
लाडले के लिए ही नहीं
एक चॉकलेट ख़रीदकर
उन बच्चों
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कविताअतुकांत कविता
लौट आइए पापा
मेरा मन कहता है मुझसे हर पल
"आपके पापा सर्वदा ख़ातिर नहीं गए रब के पास"
मुझे भी है यक़ीन
आप लौट आएंगे इक दिन निश्चित ही।।
पर.. ये दुनिया तोड़ देती है
मेरे विश्वास को
कहती है
"रब के पास जाने
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कविताअतुकांत कविता
औरत के मन की आवाज़
नहीं सुनाई पड़ सकती है
उस शख़्स को
जिसके लिए औरत है महज
उपयोग की वस्तु।।
औरत की शख्सियत के संदर्भ में
नहीं जान सकता है वो शख़्स
जो छोटी-छोटी बातों पर
लात घूंसों से जी भर पीटता है
औरत
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बहुत ही संवेदनशील रचना है सन्दीप बहुत कठिन विषय पर लिखा है।
जी मनःपूर्वक आभार माता श्री
जी मनःपूर्वक आभार माता श्री
कविताअतुकांत कविता
प्रेम की परिभाषा ज्ञात नहीं है मुझे प्रिय
पर..मैंने तुमसे किया है निःस्वार्थ प्रेम
हाँ, सचमुच निःस्वार्थ प्रेम
प्रिय!
झूठे प्रेमियों की भाँति तुमसे
नहीं करूंगा वायदे हज़ार कदापि
प्रिय!
तुम मेरी
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कविताअतुकांत कविता
प्रेम
बाजार में बिकने वाली कोई वस्तु नहीं
जिसे जब जी चाहे
पैसे से खरीद ली जाए
प्रेम
एहसासों का समंदर है
प्रेम, पेड़ के मानिंद
परोपकारी, दयालु है
प्रेम के मार्ग पर
कदम बढ़ाने वाले पथिक के
जीवन में बाधाएँ
बिलकुल
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कविताअतुकांत कविता
प्रेम!
करने का मतलब
प्रेमिका के तन पर अधिकार कायम करना नहीं
प्रेम करने का मतलब है
प्रेमिका के मन में अपनी
एक अमिट छाप छोड़ना।।
प्रेम
करने का मतलब
प्रेमिका के साथ दुर्व्यवहार करना नहीं
प्रेम करने
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लेखअन्य
पूज्यनीय पापा जी के नाम एक ख़त
पूज्यनीय पापा जी सादर चरणस्पर्श!
पापा! जब आप मेरी आँखों के सामने थे तब तो मैं आपका हालचाल जानता ही था कि आप हर दिन संतान की ख़ुशी के खातिर अनगिनत संकटों से लड़ते थे। अब
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कविताअतुकांत कविता, बाल कविता
बेटे!
रो मत!
मेरे लाडले तू नहीं जानता है
पापा कभी भी अपने लाडले से दूर नहीं जाते हैं
पापा मृत्युपरांत भी
आते-जाते रहते हैं बेटे की मुस्कान में
हर छोटी-छोटी बात में।।
बेटे!
रो मत!
मैं भी चाहता था
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कविताअतुकांत कविता
शहीद सैनिक का शव जब पहुंचता है
गाँव में, तब गाँव भी रोने लगता है
माँ धरती भी खूब आँसू बहाती है
आसमां की पलकें भी भींग जाती है
हवाएं भी मन ही मन खूब रोती हैं।।
शहीद सैनिक का शव जब पहुंचता है
मीलों की
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कविताअतुकांत कविता
ज़िंदगी में तनिक मुश्किल
आ जाने पर, हम खो देते हैं धैर्य
ख़ुद को असहाय, बेबस समझने लगते हैं
ख़ुद को पूर्णतः टूटे हुए समझते हैं
फिर, किस तरह संभालते हैं सैनिक, ख़ुद को
प्रतिकूल परिस्थिति में
कपकपाती ठंड
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कविताअतुकांत कविता
बेटी हूँ
मैं भी नभ में उड़ान भर सकती हूँ
पापा के सहारे की लाठी बन सकती हूँ
माँ की आँखों के आँसू पोंछ सकती हूँ
परिवार को एकता के सूत्र में बांध सकती हूँ।।
बेटी हूँ
मैं भी इतिहास रच सकती हूँ
आसमां स्पर्श
Read More
कविताअतुकांत कविता
उठो बेटियों
शस्त्र उठाओ
दुष्टों से डरो मत बेटियों
दुष्टों को सबक सिखलाओ
हाँ, बेटियों भरो हुंकार
दुष्टों का कर दो संहार
माँ दुर्गा का लेकर अवतार।।
उठो बेटियों
दुष्टों से प्रताड़ित मत हो अब
दुष्टों
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बहुत खूब... बेटियों को सजग करती शानदार रचना...
धन्यवाद सर
कहानीलघुकथा
कड़ाके की ठंड और कुहासे की वजह से आगे का कोई भी दृश्य आँखों से दिखाई नहीं दे रहा था। ठंड से ठिठुरता दीनानाथ खुद से अनगिनत प्रश्न करते हुए अपने कदमों को खेत की ओर बढ़ाये जा रहा था। किटकिटाती ठंड , बढती
Read More
कविताअतुकांत कविता
मैंने माँ से पूछा
माँ!
आपके लिए इस दुनिया में सबसे
प्यारा क्या है?
माँ ने कहा,
"बेटे तुमसे प्यारा मेरे लिए कुछ भी नहीं।"
मैंने माँ से पूछा
माँ!
आप अपनी ख़ुशी के लिए
कभी क्यों नहीं सोचती हैं?
माँ ने कहा,
"बेटे
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कविताअतुकांत कविता
धनाभाव के बावजूद
एक निर्धन पिता
बच्चों की जेब में टॉफी डालकर
बच्चों के चेहरे पर
छाई ख़ुशियों को
निहारता है एकटक।।
धनाभाव के कारण
ख़ुद नवीन पोशाक
भले क्रय न कर सके पर
निर्धन पिता
हर त्यौहार में
खरीदकर
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कविताअतुकांत कविता
मैं तुमसे प्रेम करता हूँ
इसलिए नहीं कि
तुम देखने में खूबसूरत हो
मैं इसलिए तुमसे प्रेम करता हूँ कि
तुम्हारा मन है अतिसुंदर
तन की प्रशंसा कर
नहीं साबित करना चाहता मैं
स्वयं को सर्वश्रेष्ठ।।
मैं
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कविताअतुकांत कविता
पिता
पिता तब भी दुखी नहीं होता है,जब
ज़िंदगी लेती है उसकी कठिन परीक्षा
पिता ज़िंदगी की हर परीक्षा का
सामना करता है डटकर।।
पिता
आँखों से उस वक्त आँसू तनिक भी
नहीं बहाता है, जब
उसकी बेटी विदा होकर जाती
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कविताअतुकांत कविता
नववर्ष के आगमन की ख़ुशी में
जब सारा शहर झूमता है ख़ुशी से
तब गाँव का एक खेतीहर
करता है उस दिन भी खेतों में काम
आराम करना,ख़ुशियाँ मनाने की चाहत
उसकी भी होती होगी पर..
यदि एक दिन नहीं करेगा
वह खेतों में
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कविताअतुकांत कविता
2020
मजदूरों को तो हर दिन
ज़िंदगी की कठिन परीक्षा
देनी ही पड़ती थी
दो वक्त की रोटी खातिर
यत्र-तत्र भटकना ही पड़ता था
पर, इस वर्ष
मजदूरों के पाँव में पड़े छाले
इस बात की गवाह हैं कि
इस वर्ष ने
उन्हें सताया,
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कविताअतुकांत कविता
२०२०
तुमसे शिकायतें हैं लोगों की बहुत
पर मैं तुमसे शिकायतें नहीं करूंगा
हाँ, तुमने सिखलाया है बहुत कुछ
हाँ, तुमने सिखलाया है हमें
वक्त बदलते देर नहीं लगती है
वक्त जब बदलता है करवटें
तब सबकुछ बदल
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जाने वाले वर्ष 2020.. का उचित आकलन और 2021 में आशा की किरण..
धन्यवाद सर
लेखअन्य
सांता क्लॉज
नमस्कार आपको
जन्म लेने से अब तक यही सुनता आया हूँ कि आप क्रिसमस-डे के दिन आकर ज़रूरतमंद शख़्स की हर इच्छा पूर्ण करते हैं। मैं नहीं जानता कि यह कहाँ तक सत्य है। पर हाँ, मैं नास्तिक नहीं।
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कहानीलघुकथा
कपकपाती ठंड की ठंडक हवाएँ दीनानाथ के तन और मन दोनों को झकझोरने का प्रयत्न कर रही थीं। फिर भी..वह कुदाल से बंजर जमीन को फसल उत्पन्न करने योग्य बनाने में मग्न था। आज घर से भूखे पेट ही आना पड़ा था उसे।
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लेखअन्य
देशवासियों की थाली में दो वक्त की रोटी पहुँचाने वाले,
ताउम्र तन पर कष्ट सहन कर चेहरे पर मुस्कान रखने वाले
किसान!
आपको बारम्बार प्रणाम।
आज एक ख़त लिखने का मन हुआ आपके नाम। जानता हूँ मेरा ख़त शायद आप
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लेखअन्य
देश की धड़कन प्यारे सैनिक
बारम्बार नमस्कार आपको
प्रिय सैनिक शुरुआत में ही आपके संबोधन में मैंने आपको देश की धड़कन कहा, इसमें किंचित भी संदेह नहीं कि आप देश की धड़कन नहीं हैं। जिस तरह जलाभाव में मछली
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सैनिक कठिन से कठिन परिस्थितियों में हमारी सुरक्षा के लिए तत्पर रहते हैं. उन्हीं के कारण हम घर के सुखद वातावरण में सुरक्षित रहते हैं.
कविताअतुकांत कविता
कुछ पल बैठिए
उनके पास
जिनकी नहीं सुनता है कोई भी, कोई बात
जिनके जीवन में
है हर दिन संघर्ष
जिनके हिस्से में
ख़ुशी का नामोनिशान नहीं है
हाँ, उनके पास भी जाकर बैठिए
और उनका दर्द साझा कीजिए अपने साथ
उनके
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बहुत सुन्दर रचना..! बुजुर्गों का सम्मान और उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति करना सन्तानों का परम कर्तव्य है.!
कविताअतुकांत कविता
इंसान!
अरे! मैं भी न
अक्ल का मारा हूँ
तुम्हें इंसान क्यों कह रहा हूँ
तुम इंसान कहलाने के काबिल हो कहाँ
हाँ,यदि तुम्हें हैवान कहूं तो
बिल्कुल सही रहेगा
तुम्हें इंसान कहना
किसी भी दृष्टिकोण से
उचित
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कविताअतुकांत कविता
इंसान!
अरे! मैं भी न
अक्ल का मारा हूँ
तुम्हें इंसान क्यों कह रहा हूँ
तुम इंसान कहलाने के काबिल हो कहाँ
हाँ,यदि तुम्हें हैवान कहूं तो
बिल्कुल सही रहेगा
तुम्हें इंसान कहना
किसी भी दृष्टिकोण से
उचित
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कविताअतुकांत कविता
बेटे को शीत न स्पर्श कर सके
इसलिए माँ बेटे को कलेजे से लगाकर रखती है
बेटे के चेहरे पर मायूसी तनिक भी न रहे
इसलिए हर घड़ी माँ, बेटे का पूरा ख़्याल रखती है
बेटे के जीवन में दुख,दर्द का नामोनिशान न हो
इसलिए
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कविताअतुकांत कविता, लयबद्ध कविता
मेरी आँखों का तारा
मेरा राजदुलारा
आज, मुझे ही
छोटी-छोटी बातों पर
चुप्पी साधने के लिए कहता है
हाँ, शायद आज वह बहुत बड़ा
और उसका पिता
उसकी नज़रों में
छोटा हो गया है।।
मेरी आँखों का तारा
मुझे पापा! पापा!
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कविताअतुकांत कविता
हाँ, मुझे याद है
आज भी वो दिन
जब मैंने प्रथम बार
तुम्हें देखा था
तुम्हारी प्यारी आँखों ने
मेरी आँखों से
मन भर बातें की थीं।।
हाँ, मुझे याद है
जब तुमने प्रथम बार
मुझसे मेरा नाम जानने की
इच्छा जाहिर
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कविताअतुकांत कविता
युवा मुश्किल तुम्हें चाहेगी हराना
पर हार तुम मत मानना
लड़ना डटकर तुम मुश्किलों से
रखना विश्वास ख़ुद पर
मंजिल जब तक न हो प्राप्त
तब तक थकना मत, रुकना मत।।
युवा ज़िंदगी की कठिन परीक्षा में
उत्तीर्ण
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कविताअतुकांत कविता
बेटी ज्यों-ज्यों होती है बड़ी
माँ का दिल धड़कता है बहुत
माँ का दिल यूं ही नहीं धड़कता है
आज समाज में विराजमान
पापियों के कुकर्मों से अनजान नहीं है, माँ
माँ अवगत है इस बात से
कि पापी जघन्य पाप करने
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कविताअतुकांत कविता
जब ईश्वर हमसे बेहद ख़ुश होते हैं
तब ईश्वर हमें कीमती उपहार से भी
अधिक अनमोल उपहार देते हैं
हाँ, उस अनमोल तोहफे का नाम है, "बेटी"।।
जब बेटी जन्म लेती है, घर के कोने-कोने में
एक अज़ब-सी ख़ुशी उमड़ती है
घर
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कविताअतुकांत कविता
पापा!
हाँ पापा! आपसे पूछना चाहता हूँ एक सवाल
पापा बताइये न!
भूखे पेट ही क्यों हमें किसी-किसी दिन
सोना पड़ता है रातों में
हाँ, क्या हमने किया है कोई अपराध बड़ा?
पापा!
हाँ पापा! आपसे है एक और प्रश्न
पापा
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कहानीप्रेरणादायक, लघुकथा
अभी दो ही दिन तो हुए थे पूजा को अपने घर से विदा होकर ससुराल आए हुए। इन दो दिनों में ही पूजा को यह आभास हो गया था कि अपने हमेशा ही हमारी बेहतरी के लिए हमें सीख प्रदान करते हैं। विवाह से पूर्व पूजा जब
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रचना में टँकन त्रुटियाँ खलती हैं सन्दीप ठीक कर लेना
मार्गदर्शन हेतु आभार। आपका?
कविताअतुकांत कविता
मैं आश्चर्य करता हूँ
यह देखकर कि
किस तरह पेड़ एक जगह रहकर ही
हम इंसानों को बहुत कुछ देता है
खाने के लिए स्वादिष्ट फल एवं जीने के लिए ऑक्सीजन।।
मैं आश्चर्य करता हूँ
यह देखकर कि
माँ धरती कितना दर्द
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कविताअतुकांत कविता
मैं जानता हूँ
सारा जगत यह जानता है कि
मैंने माँ सीता को भगवान राम से दूर कर
किया था अपराध बड़ा
अहंकार से वशीभूत था मैं
मेरे मन में मैं था समाया
तो क्या इस गुनाह की सजा
मनुज तुम इस तरह दोगे
हर वर्ष रावण
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बेहतरीन भाव व्यंजना की है संदीप....वाह / 'अहंकार के वशीभूत' कीजिये '
धन्यवाद मैम आपका मार्गदर्शन हेतु
सुंदर
धन्यवाद दी
धन्यवाद दी
लेखआलेख
लोकतंत्र का चतुर्थ स्तंभ माना जाता है मीडिया को। पर आज की मीडिया मूल उद्देश्य से हटकर कार्य कर रही है। ऐसा लगता है मानों मीडिया पत्रकारिता की परिभाषा ही भूल चुकी है। अपने कर्तव्य का बखूबी निर्वहन
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लेखआलेख
आज आलेख की शुरुआत मैं संस्कृत के एक श्लोक के साथ करना चाहूंगा, "यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः"। इस श्लोक का भावार्थ है जहाँ नारियों की पूजा की जाती है वहीं पर देवता भी निवास करते हैं।
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सुविचारप्रेरक विचार
आप किस दशा में हैं, कैसे हैं, किस हाल में हैं? इससे दुनिया को छोड़िए आपके अपनों भी कोई मतलब नहीं है। इसलिए ख़ुद को ख़ुद ही संभालना सीख लीजिए।
©कुमार संदीप
sach hai..! apnee pervah khud karnee hotee hai !!
धन्यवाद सर
लेखआलेख
"किसान" इनकी शख़्सियत को शब्दों में पीरोना बेहद कठिन है। ईश्वर ने कुछ ऐसे लोगों को हमारी मदद हेतु इस धरा पर भेजा है, जो इंसान की शक्ल में ईश्वर के रुप ही हैं। यदि हम "किसान" को ईश्वर का दूसरा रुप कहें
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किसान की मेहनत और मशक्कत को बखूबी बयान करती है आपकी रचना है
धन्यवाद आपका मैम
सुविचारप्रेरक विचार
ज़िंदगी में जब ख़ुशी स्थायी नहीं तो भला दुख कैसे स्थायी रह सकता है। इसलिए दुख की घड़ी में हताश होने के बजाय आत्मविश्वास मजबूत रखिए। मुश्किल वक्त गुजर जाएगा एक दिन।।
©कुमार संदीप
सुविचारप्रेरक विचार
सपनों की दुनिया में कदम रखने के पश्चात मंजिल पथ पर आने वाले समस्त दुख दर्द को भूलकर इतिहास रचने वाले ही अपनी ज़िंदगी में अपनी एक अलग पहचान बनाने में सफल हो पाते हैं।
©कुमार संदीप
सुविचारअनमोल विचार, प्रेरक विचार
बड़ों का साथ और आशीर्वाद दोनों बेहद महत्वपूर्ण है जीवन में। बड़ों के साथ व आशीष के बिना हम ठीक उसी तरह हैं जिस तरह पानी के बिना मछली चंद पल में ही बेचैन हो जाती है, ख़ुद को असहाय महसूस करने लगती है।
©कुमार
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कविताअतुकांत कविता
दुख के दिन भी गुजर जाएंगे
सुख के दिन फिर से आएंगे
हारकर हिम्मत न रोना कभी
ज़िंदगी तो परीक्षा लेती है हर घड़ी।।
संकट चली जाएगी फिर से अपने घर
ख़ुशी आएगी फिर एक दिन घर
अश्रु पोछकर मुस्कुरा तू जरा
हिम्मत
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कहानीप्रेरणादायक
"अरे राहुल! यार तू रो मत रे! तेरी आँखों में आंसू देखकर मुझे अच्छा नहीं लगता है। आखिर आज क्या बात हुई जो तेरी आँखों से आंसू रूकने का नाम नहीं ले रहे हैं। तू तो मुझे अपना सबसे अच्छा दोस्त मानता है, मुझे
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दोस्ती की गहराई को समझाती हुई है आपकी रचना ..! आपकी लेखनी उम्दा है इसमें कोई दो राय नही परन्तु कहीँ कही टंकण त्रुटि की वजह से पढ़ने का मजा थोड़ा कम हो जाता है! थोड़े निखार की आवश्यकता महसूस होती हैं ! आप एक अच्छे लेखक हैं..!
धन्यवाद दी मार्गदर्शन हेतु
खूबसूरत सृजन! कितनी खूबसूरती से दो दोस्तों के बीच भाइयों वाले प्रेम को दिखाया गया है। सच अगर इसी तरह विषम परिस्थितियों में होते हुए भी दोस्ती निभाई जाए तो ऐसी दोस्ती किसी वरदान से कम नहीं। वैसे भी हम दोस्ती के मानक के तौर पर कृष्ण सुदामा कि दोस्ती के उदाहरण देते हैं, जिनकी आर्थिक स्थिति चाहे कितनी भी अलग हो उनके ह्रदय एक से थे। बहुत ही सुंदर रचना हार्दिक बधाइयां
हृदय से आभार आपका। समीक्षा में आपने एक प्रेरणादायक सीख दी है।
हृदय से आभार आपका। समीक्षा में आपने एक प्रेरणादायक सीख दी है।
हृदय से आभार आपका। समीक्षा में आपने एक प्रेरणादायक सीख दी है।
कहानीप्रेरणादायक
"माँ! दादा जी बदन दर्द से रातभर परेशान रहते हैं, पर न तो पापा रात में दादा जी को देखने जाते हैं न और न ही आप।" दस वर्षीय बेटे ने जैसे ही यह प्रश्न अपनी माँ से किया माँ एक पल के लिए सन्न रह गई। माँ बेटे के
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गागर में सागर । बहुत ही प्यारी रचना छोटी सी कहानी मगर बहुत कीमती बात इस रचना के माध्यम से एक छोटे बच्चे ने कर्तव्यनिष्ठ बनने की शिक्षा दी है। जो सायद आज हम अपनी निजी कार्यो के कारण बुजुर्गों को समय देना ही भूल गए है। बस उन्हें हमसे सेवा के रूप में दो शब्द प्यार के और थोड़ा समय चाहिए होता है जो शायद आज के इंसान के पास नही है।
बहुत बहुत आभार आपका
कविताअतुकांत कविता
लड़कियों को कमतर समझने वाले
शायद नहीं जानते हैं कि
लड़कियाँ हर असंभव कार्य को
संभव कर सकती हैं
कठिन से कठिन परिस्थिति में भी
ख़ुद को संभाल सकती हैं।।
लड़कियों पर बुरी दृष्टि डालने वाले
अनजान रहते
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अनंत शुभकामनाएं संदीप । एक वर्ष के अंदर ही लेखन में बड़े बदलाव नज़र आ रहे हैं। बहुत खूब
स्नेहाशीष बना रहे माता श्री आपका
जी धन्यवाद आपका
कविताअतुकांत कविता
हिंदी महज एक भाषा नहीं है
हिंदी हमारे मन की भाषा है
हिंदी हमारी माँ है
जिस तरह माँ हमें
दुलारती है,प्यार करती है
ठीक उसी तरह
माँ हिंदी भी हमसे
बेइंतहा प्रेम करती है।।
हिंदी महज एक भाषा नहीं है
हिंदी
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कविताअतुकांत कविता
शहर में रहने वाले माँ की आँखों के तारों
जानते हो, तुम्हारी माँ भी बहुत रोती है
जब तुम करते हो ऊंची आवाज़ में बात
जब तुम एक पल भी नहीं निकालते हो
अपनी ज़िंदगी से जन्मदायिनी माँ के लिए।।
आलीशान भवन में
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कविताअतुकांत कविता
वक्त रुकता नहीं है, हर पल रंग बदलता है
मंजिल के राही हो मत मायूस तू कभी
आज है वक्त प्रतिकूल बेशक पर तू हार मत
वक्त है फिर से बदलेगा फिर अपना रंग बदलेगा।।
ये वक्त पल-पल करवटें बदलता रहता है
एक पल भी
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तुमने एक बार पहले भी वक्त पर रचना लिखी थी वह भी बहुत अच्छी थी और यह भी बहुत सुंदर है।
जी बहुत बहुत आभार माता श्री
कविताअतुकांत कविता
मैं अपनी ख़ुशी की परवाह नहीं करती हूँ
हर पल परिवार के विषय में सोचती हूँ
परिवार की ख़ुशी में ही मेरी ख़ुशी है शामिल
हाँ, मैं एक नारी हूँ
अपना सर्वस्व परिवार के खातिर अर्पित करती हूँ।।
सड़क किनारे व गली
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लेखअन्य
मेरे प्राण से भी प्रिय मेरे प्यारे बच्चों
तुम्हें ढ़ेर सारा स्नेह व आशीर्वाद
बच्चों सच कहता हूँ मुझे इस बात की बेहद ख़ुशी है साथ ही, मैं ख़ुद को सौभाग्यशाली समझता हूँ कि मैं तुमलोगों को पढ़ाता हूँ,
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कविताअतुकांत कविता
बेटे भी जब जाते हैं घर से दूर
शहर, चंद ख़्वाहिश पूर्ण करने
तब मात-पिता से लिपटकर
अपने भाई से अपनी बहन से
लिपट खूब रोते हैं।।
बेटे भी बेटियों की भाँति
पिता से बहुत प्रेम करते हैं
जब असमय ही पिता ईश्वर
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कवितालयबद्ध कविता
माँ की लाडली व पिता की राजकुमारी होती हैं बेटियाँ
हर पल परिवार से बेइंतहा मुहब्बत करती हैं बेटियाँ।।
न जाने कब बड़ी व विवाह योग्य हो जाती हैं बेटियाँ
जब जाती हैं ससुराल माँ से लिपट खूब रोती हैं
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मैं भी एक बेटी की माँ हूँ तुम्हारी रचना को महसूस कर सकी बहुत प्यारा लिखा है।
धन्यवाद माता श्री आपको
कविताअतुकांत कविता
माँ! तेरा लाडला तुमसे एक प्रश्न पूछना चाहता है
हाँ, माँ तू दे जवाब आज
माँ! क्यों सड़क किनारे छोटू भूखे पेट ही सो जाता है रातों में
और हम खाते हैं तरह-तरह के स्वादिष्ट व्यंजन
माँ! क्या छोटू को अच्छा खाना
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कविताअतुकांत कविता
एक माँ जन्म देती है बच्चे को
सहन करती है तन पर ताउम्र
बेइंतहा कष्ट हर क्षण,हर पल
पर, बच्चे की दादी बच्चे की
माँ से भी अधिक प्रेम करती है
बच्चे को, मन भर नेह लुटाती है।।
माँ जन्म देती है बच्चे को
जब कभी
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कविताअतुकांत कविता
जन्म लिया है जिसने
उसकी मृत्यु निश्चित है
इस अकाट्य घटना से
अवगत हैं सभी, फिर भी
कुछ इंसान समझते हैं
स्वयं को सर्वश्रेष्ठ
करते हैं कुकृत्य हर वक्त।।
ख़ुद को सर्वश्रेष्ठ का दर्जा देना
दूसरों को
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कविताअतुकांत कविता
मनुज!
मत हार मानो मुश्किलों से कभी
तुम डटकर सामना करो, मुश्किलों का
अंतिम साँस तक
स्मरण रखना इक बात सदा
हार मान जो समझते हैं
ख़ुद को कमज़ोर
नहीं करते हैं प्रयास
उन्हें कभी नहीं मिलती है, सफलता
जीवनभर
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कविताअतुकांत कविता
स्त्री को कमज़ोर समझने की भूल
है सबसे बड़ी भूल
स्त्री कमज़ोर नहीं
स्त्री होती है बेहद मजबूत
स्त्री हर असंभव कार्य को
संभव कर सकती है
इसमें किंचित भी संदेह नहीं है।।
स्त्री को बेकार समझने वाले
इस दुनिया
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कविताअतुकांत कविता
सैनिक है हृदयतल से नमन आपको
आप भारत माँ की रक्षा खातिर
मुश्किलों से लड़ जाते हैं
नहीं करते हैं आप परवाह ख़ुद की
दुश्मनों से आप हमें बचाते हैं।।
सैनिक है हृदयतल से नमन आपको
आपके विषय में शब्दों में
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कविताअतुकांत कविता
हे भारत माँ!
हम करते हैं प्रणाम तुम्हें
है हमें गर्व कि
हमने जन्म लिया है यहां
हाँ माँ,
है बस इतनी ही ख्वाहिश
जीएंगे और मरेंगे
हम यहीं।।
हे भारत माँ!
नहीं आने देंगे कभी भी
तुम्हारे ऊपर कभी भी
कोई भी
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लेखआलेख
सफलता प्राप्त करने हेतु विभिन्न मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। राह में अनगिनत बाधाएं आती हैं। मुश्किलें हिम्मत तोड़ना चाहती हैं। मुश्किलों से भयभीत होने की बजाय मुश्किलों से मुँह मोड़ने की
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कहानीप्रेरणादायक
जन्म धरती का त्याग कर मनोज पूरे परिवार के साथ मुम्बई महानगर में रहता था। अभी दो वर्ष ही हुए हैं गाँव से महानगर आए हुए। ईश्वर की कृपा से तन्ख्वाह भी अच्छी मिलती थी मनोज को। कुछ दिन किराए के मकान में
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कविताअतुकांत कविता
बेटे को चलना सिखलाया
बेटे को बोलना भी सिखलाया
पढ़ाया-लिखाया
ख़ुद की ख्वाहिश दफ़न कर दी
पर वही बेटा जब बड़ा हुआ तो
मुझे घर से बाहर निकाल कर
वृद्धाश्रम में छोड़ कर
चला गया परदेश
अपनी ज़िंदगी का आनंद उठाने
एक
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माता - पिता के ऋण से हम कभी भी उऋण नहीं हो सकते..!
बिल्कुल सही
कविताअतुकांत कविता
2020 तू इतना क्यूँ रुठा है रे?
तेरे आगमन से पूर्व हमने
क्या-क्या दुआएँ नहीं माँगी थीं।
तेरे स्वागत में क्या-क्या नहीं किया था हमने।
जिस तरह सूर्योदय से पहले
सूर्य की पहली किरण को देखने की बेसब्री रहती
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कविताअतुकांत कविता
नन्ही चींटी नहीं रुकती है
हर पल चलती है
कार्य पूर्ण न हो तब तक
नहीं थकती है
इंसानों को सिखलाती है
रुक मत तू
गर रुक जायेगा
मंजिल तक नहीं पहुंच पायेगा।।
नन्ही चींटी गिरती है
कई बार
दिवारों पर चढ़ते
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लेखआलेख
वृद्धावस्था में विशेष ख़्याल रखने की ज़रूरत है हमें अपने माता-पिता का व घर के बड़ों का। याद कीजिए बचपन के उन पलों को जब हम ठीक से चल भी नहीं पाते थे। उस वक्त से माता-पिता ने हमें संभाला है। पहली दफा
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कहानीसामाजिक
आसपड़ोस में रक्षाबंधन की तैयारी सुबह से ही सभी भाई-बहन कर रहे थे। बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर भाई की लम्बी उम्र की प्रार्थना ईश्वर से कर रही थीं। पीहू खिड़की से त्यौहार का आनंद लेते हुए सब
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