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Sahitya Arpan - Sushma Tiwari
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Sushma Tiwari

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  • Genre wise ranking

    Section Genre Rank
    कहानी ऐतिहासिक Second

    लेखसमीक्षा

    जीवन के अद्भुत रहस्य

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 262
    • 21 Mins Read

    जीवन के अद्भुत रहस्य - गौर गोपाल दास

    किताबे मनुष्य की सच्ची मित्र होती है। यह सिर्फ एक वक्तव्य नहीं अपितु प्रयोग के बाद निष्कर्ष है। आप अपने दिमाग को जैसे रिफिल या रीचार्ज करते है। चाहे दैनिक जीवन
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    जीवन के अद्भुत रहस्य,<span>समीक्षा</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    किताबें सच में एक सच्चे मित्र का रोल निभाती हैं. सुन्दर समीक्षा..!

    कहानीसामाजिक

    माई की कत्थई साड़ी

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 338
    • 45 Mins Read

    हवाई जहाज की खिड़की से बाहर सब कुछ धुला हुआ सा लग रहा था। अगर मौका कोई और होता तो शायद मान्यता पचपन की उम्र में भी बच्चों की तरह चहकती हुई, बिना किसी की परवाह किए दिनेश से चिपक कर आसमानी बातें  करना
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    माई की कत्थई साड़ी,<span>सामाजिक</span>
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    Madhu Andhiwal

    Madhu Andhiwal 3 years ago

    मार्मिक

    Anil Makariya

    Anil Makariya 3 years ago

    बढ़िया लेखन ।

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    अत्यंत भावपूर्ण और ह्रदयस्पर्शी..! बहुत सुन्दर और संवेदनशील लेखन..!

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    अत्यंत भावपूर्ण और ह्रदयस्पर्शी..! बहुत सुन्दर और संवेदनशील लेखन..!

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    मां के प्रेम में पगी बहुत प्यारी कहानी

    कहानीसामाजिक, ऐतिहासिक, प्रेरणादायक

    गृहस्थ आश्रम (लघुकथा)

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 942
    • 5 Mins Read

    गृहस्थ आश्रम

    न जाने वह कब से भटक रहा था। उसके जीवन का सबसे बड़ा रहस्य यही था कि वह अब तक खुद को नहीं जान पाया था। अंतरात्मा की बेचैनी और सुख की तलाश के चलते, उसने अपने जीवन को लियोनार्दो द विंची की
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    गृहस्थ आश्रम (लघुकथा) ,<span>सामाजिक</span>, <span>ऐतिहासिक</span>, <span>प्रेरणादायक</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    चैतन्यपूर्ण

    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    खूब

    Ajay Goyal

    Ajay Goyal 3 years ago

    इस बुक के बारे में पहली बार सुना... अपना घर, परमेश्वर... उम्दा प्रस्तुति

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    वाह क्या बात है

    Sushma Tiwari3 years ago

    जी हार्दिक आभार आपका उत्साहवर्धन के लिए

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    बेहतरीन लघुकथा

    Sushma Tiwari3 years ago

    बहुत आभार सखी

    teena suman

    teena suman 3 years ago

    जाने पहचाने विषय को एक अलग रूप में प्रस्तुत किया .... बेहतरीन रचना

    Sushma Tiwari3 years ago

    हार्दिक आभार

    Nidhi Gharti Bhandari

    Nidhi Gharti Bhandari 3 years ago

    वाह बेहद उम्दा लघुकथा...??

    Sushma Tiwari3 years ago

    बहुत आभार उत्साहवर्धन के लिए

    कविताअन्य

    कुछ बात तुम्हें सुनाते हैं

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 144
    • 11 Mins Read

    नारीवाद का प्रश्न नहीं ये
    ना ही समानता का सवाल है
    अरे निश्चिन्त रहो चिंतित ना हो
    नही ये कोई नया बवाल है
    अधिकार कुछ हनन हुए तो क्या
    ये अब ज़न ज़न का ही हाल है
    बस दिनकर के किरणपुंज से
    एक किरण उन्हें
    Read More

    कुछ बात तुम्हें सुनाते हैं,<span>अन्य</span>
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    Anujeet Iqbal

    Anujeet Iqbal 3 years ago

    उम्दा

    कहानीहास्य व्यंग्य

    साइड इफेक्ट

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 346
    • 15 Mins Read

    दरिया किनारे के मकान में शिफ्ट होने के बाद श्रीमती जी को लगा कि शायद हमारे घरघुसड़ु नेचर में कौनो सुधार आ जाएगा। खिड़की से बाहर प्रकृति दिखेगी तो शायद ऑफिस से आकर टीवी में ना घुसड़ कर बालकनी में
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    साइड इफेक्ट,<span>हास्य व्यंग्य</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    बहुत दिलचस्प और सामयिक रचना.

    Sushma Tiwari3 years ago

    जी शुक्रिया

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    बहुत खूब

    Kumar Sandeep

    Kumar Sandeep 3 years ago

    बहुत खूब

    कहानीसामाजिक, प्रेरणादायक

    दोहरे मापदंड

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 425
    • 8 Mins Read

    प्लेट में सजे त्रिकोणाकार समोसे अपने अंदर कितना स्वाद भरे मूल्यांकन की प्रतीक्षा में थे। ठीक उसी तरह कजरी भी प्रतीक्षारत थी। दरवाजे की ओट में पर्दे से आधी छिपकर खड़ी उसकी नजर समोसों पर नहीं अपितु
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    दोहरे मापदंड,<span>सामाजिक</span>, <span>प्रेरणादायक</span>
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    Gita Parihar

    Gita Parihar 3 years ago

    बहुत अच्छा और अलग विषय उठाया।। रागिनी के तर्क बहुत सटीक हैं।बधाई

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    बहुत बढ़िया

    Ajay Goyal

    Ajay Goyal 3 years ago

    एक कटु सत्य को उजागर करती उम्दा रचना....

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    चैतन्यपूर्ण

    Sushma Tiwari3 years ago

    जी हार्दिक आभार आपका सर उत्साहवर्धन हेतु

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    behtreen

    Sushma Tiwari3 years ago

    बहुत बहुत आभार आपका

    कवितालयबद्ध कविता

    हीरोज

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 93
    • 7 Mins Read

    काली अंधेरी रात में
    जब धरती गुस्से में थर्राती है
    लोगों की सांसे और जिन्दगी उस पल
    बस वहीं ठहर जाती है

                                 बाँध तोड़ जब नदियाँ
                                 जिंदगी लीलने दौड़ी चली आती
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    हीरोज,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कहानीसामाजिक, प्रेरणादायक

    इंसानियत का धर्म

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 206
    • 27 Mins Read

    द्वार पर लगी रंग बिरंगी पताकाएं, सजा हुआ मंडप और चहल पहल कुल मिलाकर सबको पता था अष्टजाम (हरि कीर्तन और यज्ञ) की तैयारी पूरी हो चुकी थी। 'हरे राम हरे कृष्ण' कीर्तन की धुन पहले से ही लोगों के कानों में
    Read More

    इंसानियत का धर्म,<span>सामाजिक</span>, <span>प्रेरणादायक</span>
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    कहानीसामाजिक, प्रेरणादायक

    श्रद्धा टूटे ना

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 232
    • 12 Mins Read

    श्याम के गाँव से शहर थोड़ी ही दूरी पर था, बड़ा शहर नहीं पर जीवन निर्वहन का साजो सामान, काम धाम सब उपलब्ध था। इसलिए श्याम कभी दादी दादू को छोड़ किसी महानगर नहीं गया। दादी को अपनी मिट्टी से बड़ा लगाव
    Read More

    श्रद्धा टूटे ना ,<span>सामाजिक</span>, <span>प्रेरणादायक</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    चैतन्यपूर्ण

    Manpreet Makhija

    Manpreet Makhija 3 years ago

    बहुत खूब । इंसानियत परम् धर्म

    कहानीप्रेरणादायक

    फंदे

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 92
    • 8 Mins Read

    "एक फंदा आगे.. दो फंदा पीछे.. एक गिरा कर.. हाय हाय! कुछ समझ ना आ रहा है, लगता है मेरे अरमानो पर पानी फिरेगा.. मुआ कैसे लिखा है.. यूट्यूब देख लूँ क्या.. ना ना सब देख लेंगे फिर, कैसे सीखूं? प्रभा लगी हुई थी धातु
    Read More

    फंदे,<span>प्रेरणादायक</span>
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    कहानीसामाजिक, प्रेरणादायक

    किसान की माँ - 1

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 263
    • 16 Mins Read

    खटिया से उठ कर रामाधीन खांसने लगा था। पत्नी सुकुमारी दौड़ कर लोटे में पानी दे गई। रामाधीन की काया भी उनकी माली हालत जैसे पतली हो चली थी। कभी ऐसा शरीर था कि बैलों के बजाय हल खुद ही जोत लेता था। पैरों
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    किसान की माँ - 1,<span>सामाजिक</span>, <span>प्रेरणादायक</span>
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    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    दिल छूती कहानी

    कहानीसामाजिक, प्रेरणादायक

    किसान की माँ - 2

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 226
    • 14 Mins Read

    गतांक से आगे...

    आज खेतों की ओर बढ़ते रामाधीन को मन में सिर्फ राधा का ख्याल आ रहा था। कहीं मैं स्वार्थी तो नहीं हो गया हूँ? बिटिया का ब्याह अगर अच्छे से नहीं किया तो भले ही एक अच्छा पुत्र कहलायेगा पर
    Read More

    किसान की माँ - 2,<span>सामाजिक</span>, <span>प्रेरणादायक</span>
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    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    मर्मस्पर्शी

    कहानीप्रेम कहानियाँ

    बरसात की लास्ट लोकल (अंतिम भाग)

    • Edited 3 years ago
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    • 316
    • 15 Mins Read

    अपनी बातों को कितनी आसानी से हँसकर कह जा रही थी आकृति। पर आरव का दिल.. वो तो चाहता था ये बारिश बस यूँ ही चलती रहे। काश कि बाबा का आशीर्वाद सच हो जाए पर वो ये भी जानता था इस शहर में अपने रोज नहीं मिलते
    Read More

    बरसात की लास्ट लोकल (अंतिम भाग) ,<span>प्रेम कहानियाँ</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    अति सुंदर

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    बहुत प्यारी सी रचना

    Anil Makariya

    Anil Makariya 3 years ago

    वाह! बेहद उम्दा क्लाइमेक्स

    Sushma Tiwari3 years ago

    जी शुक्रिया

    Lakshmi Mittal

    Lakshmi Mittal 3 years ago

    खूबसूरत रचना

    Sushma Tiwari3 years ago

    हार्दिक शुक्रिया

    Nidhi Gharti Bhandari

    Nidhi Gharti Bhandari 3 years ago

    एक प्यारी सी रचना...

    Sushma Tiwari3 years ago

    बहुत शुक्रिया

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    ख़ूबसूरत सी सुखान्त रचना..!

    Sushma Tiwari3 years ago

    जी हार्दिक आभार आपका

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    ख़ूबसूरत सी सुखान्त रचना..!

    कहानीप्रेम कहानियाँ

    बरसात की लास्ट लोकल (भाग - 2)

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 367
    • 18 Mins Read

    आरव को लगा जैसे उस लड़की को घूरते हुए उसकी चोरी पकड़ी गई हो। कोच के गेट पर खड़ी वो खुदको आने वाली हवा से सूखा रही थी। जानती थी कई जोड़ी निगाहें उसके गिले कपड़ों के आर पार जा रही थी जो उसे परेशान किए
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    बरसात की लास्ट लोकल (भाग - 2),<span>प्रेम कहानियाँ</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    अद्भुत

    Anil Makariya

    Anil Makariya 3 years ago

    उम्दा लेखन

    कहानीप्रेम कहानियाँ

    बरसात की लास्ट लोकल (भाग - 1)

    • Edited 3 years ago
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    • 453
    • 11 Mins Read

    आरव घर से निकला तो बारिश शुरू हो चली थी। हल्की हल्की बूंदे जब मिट्टी पर पड़ती है तो सौंधी खुशबु से मन महक उठता है पर जब मेघ फटने को तैयार खड़े हो और अंग्रेजो के ज़माने का तैयार शहर हो तो दिक्कत आती
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    बरसात की लास्ट लोकल (भाग - 1),<span>प्रेम कहानियाँ</span>
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    Anil Makariya

    Anil Makariya 3 years ago

    मजेदार शुरुआत