कवितालयबद्ध कविताअन्य
#क्या #लिखू #क्या #ना #लिखू
क्या लिखूं क्या न लिखू ये सोचकर फिर मन किया मैं कुछ लिखू
एक माँ की वेदना लिखू या कोख में पलरहे अजन्मे बच्चे की इस धरती पर आने की व्याकुलता लिखू,,,
क्या लिखूं क्या न लिखू
भूख से तड़प रही उस माँ की भूख लिखू ,,जो जंगलो को छोड़ इंसानो की बस्ती में भोजन की आस लेकर आई,,,
क्या लिखूं क्या ना लिखू ( अनानास)
भोजन पाकर उसकी खुशी लिखू या उसके दर्द की तड़पन लिखू,,,,
लिखू तो क्या लिखूं,,,
उस बेजुबान को कहा पता ये इंसान नही भेड़िये हैं और ये भोजन नही मेरी मौत का सामान हैं, इंसान को इंसान लिखू या जल्लाद लिखू,,,
उसके पेट मे पल रहे अपने बच्चे की भूख की आग लिखू जल्लादों के द्वारा खिलाई गयी बारूदों की गरगाराहट लिखू,,,
अपने दर्द को छुपाकर,
दर्द में भी इंसानियत का परिचय दिया उस बेजुबान ने ,उसको सौ सौ बार सलाम लिखू
क्या लिखूं क्या ना लिखू
शिक्षित इंसान की समझदारी लिखू या नामर्द की पहचान लिखू,,
इंसानियत को शर्मसार करने वाली ओर कितनी कथा लिखू,,
क्या लिखूं क्या न लिखू...
भरोसा तोड़ा था ए इंसान तूने उस बेजुबान का अब बता
बेजुबान का इंसानो पर भरोसा लिखू या मानवता की क्रूरता लिखू,,,
क्या लिखूं क्या ना लिखूं,,,,,
अब समझ आया क्यों ना दावन लिखूं
ममता गुप्ता✍?
बहुत सुंदर। वर्तनी अशुद्धियों पर ध्यान दें तो उत्कृष्ट बन जाएगी
जी धन्यवाद मार्गदर्शन करने के लिए