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Sahitya Arpan - Anju Gahlot
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Anju Gahlot

'Dr.Anju lata Singh'

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    सुविचार भक्तिमय विचार Third

    कवितालयबद्ध कविता

    कुदरत कुछ कहती है

    • Added 1 year ago
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    • 20
    • 7 Mins Read

    #साहित्य_अर्पण_एक_पहल_अंतरराष्ट्रीय_मंच
    #पुस्तकवालाआयोजन
    #दिनांक - 14-4-2023
    #विषय - मुक्त
    #"कुदरत कुछ कहती है"(कविता)
    शीर्षक- "कुदरत कुछ कहती है"

    वसुधा के नर नारी तुम से मेरा एक सवाल है
    क्यों रूठे हो मुझसे?तुमको
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    कुदरत कुछ कहती है,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितागीत

    कुदरत कुछ कहती है

    • Added 1 year ago
    Read Now
    • 22
    • 7 Mins Read

    #साहित्य_अर्पण_एक_पहल_अंतरराष्ट्रीय_मंच
    #पुस्तकवालाआयोजन
    #दिनांक - 14-4-2023
    #विषय - मुक्त
    #"कुदरत कुछ कहती है"(कविता)
    शीर्षक- "कुदरत कुछ कहती है"

    वसुधा के नर नारी तुम से मेरा एक सवाल है
    क्यों रूठे हो मुझसे?तुमको
    Read More

    कुदरत कुछ कहती है,<span>गीत</span>
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    गीत

    संयोग

    • Edited 2 years ago
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    • 89
    • 4 Mins Read

    स्वरचित कविता
    शीर्षक-"संयोग"

    मुझे देखने आ रहे वधू पक्ष के लोग-
    मैं मोटा,वह दुबली-पतली,थाअजीब संयोग,
    उल्टा पुल्टा सोच,मेरा दिल धड़क रहा है-
    हर आहट पर लगे, द्वार ही खड़क रहा है.

    तभी गेट पर रुकी कार
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    संयोग,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    होली का त्योहार

    • Edited 2 years ago
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    • 56
    • 5 Mins Read

    स्वरचित कविता
    शीर्षक-"होली :अबकी तबकी"

    होली आई रे हमजोली
    करो शोर हुड़दंग ठिठोली
    पिचकारी ले लो रे कान्हा
    बच ना पाए कोई संगी-सहेली

    रंग गुलाल उड़ाओ जमकर
    पी लो ठंडाई भांग की गोली
    प्रेम-रंग में सराबोर
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    होली का त्योहार ,<span>गीत</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    बूँदें

    • Edited 2 years ago
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    • 154
    • 3 Mins Read

    स्वरचित,मौलिक एवं स्वानुभूत कविता
    शीर्षक.. बूंद

    मेघों के आंचल से निकली कितनी सारी बूंदें
    टप-टप-टप गिर कर मस्ती में रे पत्तों पर कूदें
    सोच रही थीं मन ही मन वे काश कहां जाएंगे
    क्या कोई अपनाएगा भी
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    बूँदें ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    #अभिलाषाएं जाग रहीहैं

    • Edited 3 years ago
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    • 187
    • 3 Mins Read

    स्वरचित कविता-
    शीर्षक- "अभिलाषाएं जाग रही हैं"

    टुकुर-टुकुर सब ताक रही हैं-
    अभिलाषाएं जाग रही हैं,
    कठिन काल अब जाओ छोड़कर-
    मन में आशाएं झांक रही हैं.

    अर्पित करने हैं सारे गम-
    सुफल मिलें तब ही लेंगे
    Read More

    #अभिलाषाएं जाग रहीहैं,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    वाह

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    बहुत सुंदर

    कवितालयबद्ध कविता

    "चेहरे पर चेहरा"

    • Edited 3 years ago
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    • 512
    • 6 Mins Read

    दिनांक-6-11-2020
    स्वरचित गीत-
    शीर्षक- "चेहरे पे चेहरा"
    बचपन से ही देखे मैंने ,रंग-बिरंगे चेहरे
    जब भी खो जाऊं अतीत में, सारे मुझको घेरें
    रंग-बिरंगे चेहरे..
    इसके उसके प्यारे न्यारे ,ढेरों भाव उकेरें..
    बचपन
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    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    वाह बहुत सुंदर

    कविताअतुकांत कविता

    ये नयन

    • Edited 3 years ago
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    • 243
    • 3 Mins Read

    चित्र के आधार पर ....
    #स्वरचित कविता-
    शीर्षक-"शबनमी आंखें"

    मुद्दतें हो गईं , देखते आ रहे हैं।
    खंजन नयन खूब भरमा रहे हैं।।

    ये भोले से मुखड़े, किसी से नहीं कम।
    बला की नजाकत,ढाते सितम ।।
    नयन-कोर में शबनमी
    Read More

    ये नयन,<span>अतुकांत कविता</span>
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    Anju Gahlot

    Anju Gahlot 3 years ago

    सबको धन्यवाद

    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    बढ़िया

    Neelima Tigga

    Neelima Tigga 3 years ago

    सुंदर

    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    खूब जी

    सुविचारभक्तिमय विचार

    #जय जगदम्बे

    • Edited 3 years ago
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    • 147
    • 3 Mins Read

    दिनांक-17-10-2020
    #स्वरचित गीत -
    बोल-"मां जगदम्बे "..

    नौ रातों का ले उपहार
    चला आ रहा ये त्योहार
    मेरी अंबे! मां जगदम्बे
    देवी!तेरी जय जयकार.
    मैया! तेरा सजा दरबार.

    फूलों का मैं हार पिरोऊं
    कष्टों का सब भार भी ढोऊं
    रोली
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    #जय जगदम्बे ,<span>भक्तिमय विचार</span>
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    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    वाह

    कविताअतुकांत कविता

    "अपना सा"

    • Edited 3 years ago
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    • 68
    • 3 Mins Read

    स्वरचित कविता (आज का लेखन-5-10-2020)

    शीर्षक-"अपना सा"

    इतने कष्ट-कंटकों में भी-
    हिलमिल रहता है,
    यह गुलाब सा कोमल तन-
    खिलखिलकरता है.

    खाना-पीना और सफाई-
    पौधों की हर रोज गुड़ाई,
    हष्ट पुष्ट है दिलोदिमाग से-
    फिर
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत ही सुंदर रचना

    कहानीसामाजिक

    "निर्णायक मंडली"

    • Edited 3 years ago
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    • 220
    • 11 Mins Read

    प्रतियोगिता हेतु मेरी प्रविष्टि..

    स्वरचित लघुकथा

    शीर्षक-"निर्णायक मंडली"
    - छोटे से पहाड़ी गांव में आज इतनी गहमा-गहमी क्यों है भैया!
    - मैडम जी! सहर से यहाँ सालभर पहले एक बड़ी मैडम जीआई रहीं
    Read More

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    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    बढ़िया

    कहानीप्रेरणादायक

    निर्णायक मंडली

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 450
    • 10 Mins Read

    स्वरचित लघुकथा

    शीर्षक -"निर्णायक मंडली"
    - छोटे से पहाड़ी गांव में आज इतनी गहमा-गहमी क्यों है भैया!
    - मैडम जी! सहर से यहाँ सालभर पहले एक बड़ी मैडम जीआई रहीं .गांव में माटी का घर किराए पर लेके रह
    Read More

    निर्णायक मंडली,<span>प्रेरणादायक</span>
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    कहानीसामाजिक

    पैसों की खनक

    • Edited 3 years ago
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    • 235
    • 7 Mins Read

    स्वरचित लघुकथा-
    शीर्षक-"पैसों की खनक"

    -इस बार लाॅकडाउन खुलते ही हम बालकों को लेके गांव आ ही गए अम्मां तुम्हरे पास.अब न जइहैं बस..
    काकी का इकलौता जवान बेटा बंसी मां की चिरौरी करते हुए बोला.
    -जे तो हमको
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    पैसों  की खनक,<span>सामाजिक</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    ji aapki ye rachna sahitya arpan me padhi hai acha likha hai aapne

    कवितालयबद्ध कविता

    नारी

    • Edited 3 years ago
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    • 129
    • 3 Mins Read

    स्वरचित काव्य लेखन -
    शीर्षक-"नारी"

    सोपान दर सोपान ऊपर चढ़ रही नारी-
    घर-बाहर कला-कौशल,अब नहीं भारी,
    रंग से अठखेलियां करते न वो थकती-
    धनक सी हुई जिंदगी ऊंचा सफर जारी.

    हो गया आगाज अब,पाखी सी है परवाज
    आधी
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    नारी,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    बहुत... खूब...।

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    bahut khub nari tere rup anek

    कवितालयबद्ध कविता

    गृहस्थी

    • Edited 3 years ago
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    • 99
    • 4 Mins Read

    स्वरचित कविता-"गृहस्थी "

    पाणिग्रहण से शुरू यह सफर-
    नए साथियों का बसेगा रे घर,
    सुख दुःख भी उनका बराबर हुआ-
    गृहस्थी की होगी नई एक सहर.

    दर पे सजन के सजे बंदनवार-
    स्वागत करेगा सजनिया का द्वार,
    शहनाई रोकर
    Read More

    गृहस्थी,<span>लयबद्ध कविता</span>
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