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"सूरज"
कविता
सूरज
नारी
सूरज का यह सुनहरा खत
सूरज नहीं बुझने दूंगा
जाड़े की धूप
नदिया के पार
सूरज मुझे जगाता
सूरज
उगता सूरज
ऐ सूरजमुखी के फूल
उम्मीद की लौ
कोशिश
दरिया का किनारा बाक़ी है
उगते सूरज की सहर को देखें
पानी का नामोनिशान न होगा
मिटा देती है तीरगी
कहानी
यह आजकल की छोरियां (दूसरा और आखिरी भाग)
और सूरज निकल आया
और सूरज निकल आया
रोटी और चंद सिक्के
उजाला
सूरज की फीकी गर्मी
दोष
लेख
तपता सूरज
आइए, मन के सूरज को जगाएं।
Sanjh ka Suraj
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