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Sanjh ka Suraj - Kamlesh Vajpeyi (Sahitya Arpan)

लेखसमीक्षा

Sanjh ka Suraj

  • 6
  • 12 Min Read

'' सांझ का सूरज '' उपन्यास
लेखिका : अम्रता पांडे
अद्विक पब्लिकेशन प्रा. लि. द्वारा प्रकाशित
दिल्ली - 110092

अमेज़न पर भी उपलब्ध


एक पाठकीय समीक्षा


अमृता पान्डे जी का नाम, वर्तमान साहित्य - जगत में, सुपरिचित है.


.. देवभूमि उत्तराखंड की मूल निवासी, अमृता जी की रचनाएं, वहां की मूल समस्याओं और वहां की कठिन जीवन पद्धति से अवगत कराती हैं..


उनके नये उपन्यास की नायिका मेघा , जीवनपर्यंत संघर्ष करती रहती है अच्छी शिक्षा दीक्षा से प्राप्त सरकारी नौकरी, पूरी निष्ठा से करती है, पति की नौकरी प्राइवेट होने से,


असुरक्षा अनुभव करती है अतः वह पति-पत्नी के अलग रहने की विवशता के बावज़ूद नौकरी छोड़ने का साहस नहीं जुटा पाती. अपने सीमित संसाधनों से बेटे की व्ययसाध्य चिकित्सा करवाती है, उच्च शिक्षा भी दिलवाती है.


सबके साथ छोड़ने पर भी अपने सामाजिक दायित्वों का भी, अकेले भली भांति निर्वाह करती है.



. अमृता जी एक अत्यंत संवेदनशील लेखिका हैं..

पर्वतीय क्षेत्रों के जीवन का अत्यंत कठिन संघर्ष, उनकी रचनाओं में भलीभांति परिलक्षित होता है.

'' सांझ का सूरज '' पर्वतीय राज्य '' उत्तराखंड '' की एक युवती मेघा के जीवनपर्यंत कठिन संघर्ष की एक अत्यंत करूण गाथा है.

मेघा की मां, स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में, उसके जन्म के उपरान्त , दम तोड़ देती है.




उपन्यास के कुछ मार्मिक अंश :

'' वह दर्द जो औरों के सामने, बाहर नहीं आ पाता, मेघा को अकेला पाकर उसके सामने खड़ा हो जाता है. ''

'' अनुभूति की वर्णमाला जिसने सीख ली, उसे शब्दों से क्या काम '' आंखों में आंखे डाल कर, दोनों सहेलियाँ एक दूसरे की वेदना पढ़ रहीं थीं..

'' यूं भी नेह को शब्दों की दरकार कहां होती है ''

' सांझ का सूरज ' उनकी दूसरी गद्य - रचना है..

अविकसित, पर्वतीय क्षेत्रों के युवाओं के लिए. अपनी जन्मभूमि से दूर ही, उच्च शिक्षा-दीक्षा, नौकरी, व्यवसाय के अवसर दिखाई देते हैं..


उपन्यास का एक वाक्य , '' मां जब दुनिया से विदा लेती है, तो स्मृति स्वरूप प्राणों में समा जाती है.. '' जीवन के एक सत्य से साक्षात्कार कराता है..


बौद्धिक चेतना मेघा को नित्य नये पथ पर चलने को इशारा करती, '' बीती ताहि बिसार दे '' का सूत्र लेकर वह आगे चल पड़ती..

अहम के टकराव ने राहें जुदा कर दीं.

'' कभी-कभी नज़दीकी रिश्ते खोखले पड़ जाते हैं. अजनबी रिश्तों में एक ठहराव और अपनापन मिलने लगता है ''
जीवन के संध्या काल में, मेघा का परिवार तो साथ में होता है किन्तु अब बहुत देर हो चुकी होती है,

'' सांझ का सूरज ढलने को है ''

'' अद्विक पब्लिकेशन. प्रा. लि. द्वारा प्रकाशित यह उपन्यास, बहुत आकर्षक कलेवर में है और पठनीय है

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