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Sahitya Arpan - शिवम राव मणि
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शिवम राव मणि

'मनी'

जहां सुकुन है, वहां इबारत है।

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  • Genre wise ranking

    Section Genre Rank
    कविता गजल First
    कहानी सस्पेंस और थ्रिलर First
    कहानी व्यंग्य First
    कविता नज़्म Second
    कहानी उपन्यास Second
    सुविचार प्रेरक विचार Second
    कहानी बाल कहानी Third
    कविता लयबद्ध कविता 5th
    कविता दोहा 5th

    सुविचारप्रेरक विचार

    प्रेरक विचार

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 131
    • 2 Mins Read

    माता व पिता के खुशियों और उदासियों के जिम्मेदार उनकी सन्तान ही होती है। अगर कोई संतान अपने माता पिता का सम्मान करें तो उनका जीवन सन्तुष्टि से भरा होता है और यदि कोई संतान दुर्व्यवहार करे तो वह
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    प्रेरक विचार,<span>प्रेरक विचार</span>
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    गजल

    कम्बख़्त राख हो गया

    • Edited 2 years ago
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    • 187
    • 3 Mins Read

    सुनकर कोई आवाज़ कुछ कहता भी नही।
    गुमसुम सा वो आजकल हंसता भी नही।

    कब से वीरान पड़ा है उसका खुला मकां,
    अब तो करीब से कोई गुज़रता भी नही।

    धीरे से सुना है, कभी उसे चीखते हुए,
    ये ओर बात है कि वो रोता भी नही।

    खुद
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    कम्बख़्त राख हो गया,<span>गजल</span>
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    SHAKTI RAO MANI

    SHAKTI RAO MANI 2 years ago

    waah bhai sahab

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    बहुत सुन्दर..!

    शिवम राव मणि2 years ago

    शुक्रिया सर

    कहानीसस्पेंस और थ्रिलर

    अनाथ भाग 6

    • Edited 2 years ago
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    • 319
    • 14 Mins Read

    शशि को सामने देख राज एक दम दंग रह जाता है वह डरकर पीछे हट जाता है और उसे घूरने लगता है ।

    " तुम्हे डरने की कोई जरूरत नहीं मैं तुम्हे गिरफ्तार करने नहीं आया बल्कि तुम्हारे साथ एक डील करनी है।"

    " डील करने
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    अनाथ भाग 6,<span>सस्पेंस और थ्रिलर</span>
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    कहानीसस्पेंस और थ्रिलर, उपन्यास

    अनाथ भाग 5

    • Edited 2 years ago
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    • 326
    • 13 Mins Read

    नए एस्कॉर्ट ग्रुप का गठन हो गया था । ऑक्सीटोसिन को अब पाउडर का रूप दे दिया गया ताकि नए ग्रुप में आने वाले अनाथ बच्चो को वो पाउडर खाने में और दूध में मिलाकर दिया जाए।

    ऑक्सीटोसिन एक ऐसी दवा है जिसके
    Read More

    अनाथ भाग 5,<span>सस्पेंस और थ्रिलर</span>, <span>उपन्यास</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    यथार्थ रूप भाग 7

    • Edited 2 years ago
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    • 223
    • 3 Mins Read

    इच्छाएं, किसी के जीवन को ख़त्म नही करती
    ये तो सबूत हैं हमारी मौजूदगी का
    एक ऐसी दुनिया में
    जहां कई लोग
    अपनी आँखों पर पट्टी बांधे हुए
    झुक रहे अपने कन्धों पर
    कई तिश्नगी को लादे हुए चल रहे हैं,
    वो लड़खड़ाते
    Read More

    यथार्थ रूप भाग 7,<span>अतुकांत कविता</span>
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    नज़्म

    कठिन वक्त

    • Edited 2 years ago
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    • 141
    • 3 Mins Read

    कठिन वक्त
    छोटी छोटी खुशियों के दरमियान
    क्यों चला आया है?
    पल भर में आता है
    पल भर में जाता है
    पहले उसके आने की आहट
    आहिस्ते आहिस्ते होती है
    फिर अचानक ही सामने आ जाता है
    सम्भलने का मौका भी नही देता,
    फिर
    Read More

    कठिन वक्त,<span>नज़्म</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    बहुत ख़ूब..!

    शिवम राव मणि2 years ago

    शुक्रिया सर

    कहानीसस्पेंस और थ्रिलर, उपन्यास

    अनाथ भाग 4

    • Edited 2 years ago
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    • 503
    • 26 Mins Read

    शाम होते ही राज धीरज के घर पहुंचता है वह पहले से ग्रुप के तमाम मेम्बर मौजूद रहते हैं। वह सबसे मिलकर अनिल के पास जा बैठता है। अनिल धीरज के खासमखास में एक है जो राज़ की तरह उसके हर फैसले में शामिल होता
    Read More

    अनाथ भाग 4,<span>सस्पेंस और थ्रिलर</span>, <span>उपन्यास</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    गुमानी एहसास

    • Edited 2 years ago
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    • 222
    • 5 Mins Read

    कई एहसास बिन बताए ही
    ख्वाबों में आकर,
    गुफ्तगू करके चले गए।

    थकी थकी पलकें
    यूँ मुरझाई पलकें
    ढक लेती हैं
    जब जब आंखों को आहिस्ते से
    तो ख्वाबों की दुनिया का
    एक दरवाज़ा खुलता है
    वो जहां अनजान लगता है
    समुद्र
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    गुमानी एहसास,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    निहायत ख़ूबसूरत एहसास..!!

    कहानीसस्पेंस और थ्रिलर, उपन्यास

    अनाथ भाग-3

    • Edited 2 years ago
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    • 485
    • 14 Mins Read

    राज अचानक से एक घर के गलियारे में खुद को पाता है। मद्धम मद्धम रोशनी लिए वह गलियारा उसे बिल्कुल अनजान लगा। तभी एक बच्ची के रोने की आवाज आई। वह मुड़ा तो सामने बाहर बालकनी की ओर एक पालकी रखी थी। राज़
    Read More

    अनाथ भाग-3,<span>सस्पेंस और थ्रिलर</span>, <span>उपन्यास</span>
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    Pratik Prabhakar

    Pratik Prabhakar 2 years ago

    Nice, waiting for next part

    शिवम राव मणि2 years ago

    शुक्रिया सर। जरूर

    कविताअतुकांत कविता, अन्य

    आशाएं

    • Edited 2 years ago
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    • 189
    • 4 Mins Read

    आशाएं,
    इन्हें शायद ही
    कुछ शब्दों में बयां किया जा सकता हो
    कविताओं में,छंदों के चंद टुकड़ों में
    और कोई वादक
    अपनी तालों में बिठाकर
    संगीत के लय में
    पूरी तरह से सहेज पाता हो।

    या कभी कोई गीतकार
    अपनी बहरों
    Read More

    आशाएं,<span>अतुकांत कविता</span>, <span>अन्य</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    बहुत ही सुन्दर और आशावादी स्रजन

    शिवम राव मणि2 years ago

    शुक्रिया सर

    कहानीसस्पेंस और थ्रिलर, उपन्यास

    अनाथ भाग-2

    • Edited 2 years ago
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    • 411
    • 18 Mins Read

    राज़ पैकेट लेकर अपने घर आ जाता है। वो घबराया हुआ आंगन में बैठता है और उस बच्ची के बारें में सोचना शुरू कर देता है। राज़ की वाईफ कल्याणी उसके पास आती है और पानी थमाकर परेशान होने की वजह पूछती है। पहले
    Read More

    अनाथ भाग-2,<span>सस्पेंस और थ्रिलर</span>, <span>उपन्यास</span>
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    SHAKTI RAO MANI

    SHAKTI RAO MANI 2 years ago

    gjb

    शिवम राव मणि2 years ago

    शुक्रिया

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    सुन्दर.. रहस्यमय.!

    शिवम राव मणि2 years ago

    शुक्रिया

    कवितागजल

    तन्हा मैं नही

    • Edited 2 years ago
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    • 164
    • 3 Mins Read

    बार बार ज़हन में ख्याल आता है।
    कभी पास तो कभी दूर जाता है।

    छूता है आकर बहुत करीब से,
    और कभी यूँ ही गुज़र जाता है।

    तन्हा मैं नही , तन्हा तो वो है,
    आहिस्ते से जो मुझे बुलाता है।

    कहता कुछ नही कभी एक लफ्ज़
    Read More

    तन्हा मैं नही,<span>गजल</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    सुन्दर

    शिवम राव मणि2 years ago

    शुक्रिया सर

    कहानीलघुकथा

    हार जीत

    • Edited 2 years ago
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    • 309
    • 10 Mins Read

    एक दिन खियांबें में एक फूल खिला। हिचकिचाया हुआ, मुरझाया हुआ वो ऊपर उठा। जब वो खिला तो उसकी पंखुड़ियां आधी अधूरी। कोई मुड़ी हुई , कोई टूटी हुई। रंग भी उसका कुछ खास नही था। जब बाकी के हंसते, मुस्कुराते
    Read More

    हार जीत,<span>लघुकथा</span>
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    Madhu Andhiwal

    Madhu Andhiwal 2 years ago

    बहुत सुन्दर

    शिवम राव मणि2 years ago

    शुक्रिया

    सीमा वर्मा

    सीमा वर्मा 2 years ago

    अच्छी रचना

    शिवम राव मणि2 years ago

    धन्यवाद

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    भावपूर्ण रचना

    शिवम राव मणि2 years ago

    शुक्रिया सर

    SHAKTI RAO MANI

    SHAKTI RAO MANI 2 years ago

    khtrnak

    शिवम राव मणि2 years ago

    शुक्रिया

    कहानीसामाजिक, लघुकथा

    पढ़े लिखे गंवार

    • Edited 2 years ago
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    • 388
    • 7 Mins Read

    3 बेटियों के बावजूद ज़रीन को इस बार एक बेटे की उम्मीद थी। सुबह जल्दी उठकर ज़रीन ने इक्के दुक्के काम को निपटाया और हॉस्पिटल के लिए तैयार होने लगी। सास की ओर से घर के कामों में मदद मिलना गुड़ पे चीटीं से
    Read More

    पढ़े लिखे गंवार,<span>सामाजिक</span>, <span>लघुकथा</span>
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    SHAKTI RAO MANI

    SHAKTI RAO MANI 2 years ago

    gajab

    शिवम राव मणि2 years ago

    धन्यवाद

    कवितालयबद्ध कविता

    हाथ चल उठे

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 337
    • 7 Mins Read

    हाथ चल उठे और लिखा गया एक ख्वाब
    बिना कलम के बिना किताब
    ख्वाबों का पन्ना था वो बेहिसाब।
    कुरेदना चाहता था हर लकीरों का नकाब
    चेहरा था उसका मानों
    एक शब्दकोश का सैलाब
    चुरा लिये कुछ शब्द
    और खाली कर दिया
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    हाथ चल उठे,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    अत्यंत सुन्दर..!

    शिवम राव मणि2 years ago

    आपका धन्यवाद

    कहानीलघुकथा, बाल कहानी

    जिम्मेदारी

    • Edited 3 years ago
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    • 619
    • 7 Mins Read

    ‘ बाल मजदूरी एक अपराध है’
    पहले इस कथन के बारे में सोचें और फिर ऐसी स्थिति की कल्पना करें जहां एक छोटे से बच्चे के ऊपर भी घर के खर्चों की जिम्मेदारी आ सकती है।
    लोकडाउन से महीने भर पहले की बात है जब
    Read More

    जिम्मेदारी,<span>लघुकथा</span>, <span>बाल कहानी</span>
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    SHAKTI RAO MANI

    SHAKTI RAO MANI 2 years ago

    bahut sundar

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    मर्मस्पर्शी..! आज की वास्तविकता

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया सर

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    उफ्फ सत्य के करीब। कोई समझता भी नही बच्चों से कम करवाना अपराध है। उन्हें अच्छी शिक्षा देने का जिम्मा कोई क्यों नही उठाता है

    शिवम राव मणि3 years ago

    जी बिलकुल सही कहा, ऐसी मानसिकता को समझना बहुत ही मुश्किल है

    कवितालयबद्ध कविता

    भय की शिला

    • Edited 3 years ago
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    • 217
    • 4 Mins Read

    चित्त को अपने लोह बनाकर
    भय की शिला को तोड़ दे आज।

    खुलने दे वो गिरह
    जो कब से है मन के भीतर
    कश्मकश सी, कलह सी
    जो डराती है, रुलाती भी है
    जो गैरत लम्हों को जिंदा रखे है
    अतीत की यादों को इकठ्ठा किये है
    जहां
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    भय की शिला,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    सुन्दर..!

    शिवम राव मणि3 years ago

    धन्यवाद सर

    कवितागजल

    है ऐसा कोई

    • Edited 3 years ago
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    • 213
    • 2 Mins Read

    है ऐसा कोई।
    तुम जैसा कोई।

    नींदों में जैसे ,
    सुकून रँवा कोई।

    आंखों की नजरें ,
    तुम जरिया कोई।

    लफ़्ज़ों की गलती,
    तुम लहजा कोई।

    सवेरे की बातें ,
    मन पहला कोई।

    ज़िन्दगी की हलचल,
    तुम दरिया कोई।

    ढेरों है कद्रदान,
    तुम
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    है ऐसा कोई,<span>गजल</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    वाह बहुत खूब

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया

    कहानीसस्पेंस और थ्रिलर

    लोकडाउन के वीर भाग -2

    • Edited 3 years ago
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    • 377
    • 23 Mins Read

    ठेकेदार के फोन रखते ही सामने से सुक्खी की मां एक महिला को लेकर आ धमकती है।
    ‘ जी कहिये’
    ‘ जी मेरे पति सुबह से गायब हैं। उनका फोन भी नही लग रहा है।’
    ‘ जी देखिये अभी 12 बजने वाले है, इंतजार करिये , क्या पता
    Read More

    लोकडाउन के वीर भाग -2,<span>सस्पेंस और थ्रिलर</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    वाह बहुत खूब 👌🏻

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया

    कहानीसस्पेंस और थ्रिलर

    लोकडाउन के वीर भाग -1

    • Edited 3 years ago
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    • 295
    • 21 Mins Read

    22 march एक ऐसा दिन जब भारत के किसी भी पुलिस स्टेशन में एक भी रिपोर्ट दर्ज नही हुई लेकिन कनकड़खाता ऐसा गांव जहां के पुलिस स्टेशन जितनी जल्दी रिपोर्ट दर्ज हुई उसे उतनी ही जल्दी मिटा भी दिया गया।


    3 दोस्त
    Read More

    लोकडाउन के वीर भाग -1,<span>सस्पेंस और थ्रिलर</span>
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    कहानीबाल कहानी

    अंतर

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 513
    • 27 Mins Read

    स्कूल से फोन आते ही रोहित दनदना के नकुल के स्कूल पहुंचा। नकुल को बाहर बैठा देखकर उसे कुछ समझ नही आया और वह सीधे प्रिंसिपल के ऑफिस में चला गया।
    ‘ नमस्ते मेडम जी’
    ‘ आइये बैठिये, मुझे आपसे नकुल के बारे
    Read More

    अंतर,<span>बाल कहानी</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    बहुत महत्वपूर्ण विषय आपने उठाया है.

    शिवम राव मणि2 years ago

    धन्यवाद आपका

    Meeta Joshi

    Meeta Joshi 3 years ago

    ऑटिज़्म से पीड़ित बच्चे को स्पेशल अटेंशन की जरूरत होती है ।यही उसका इलाज है।बहुत खूब। शिवम जी कल आपने मेरी स्टोरी 'नकारा' में प्रतिक्रिया दी थी गलती से वो डिलीट जो गई निवेदन गई पुनः अपने विचार प्रेषित करें।

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया आपका

    Ruchika Rana

    Ruchika Rana 3 years ago

    सुंदर कहानी

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत बढ़िया बहुत खूब 👌🏻

    शिवम राव मणि3 years ago

    आपका शुक्रिया

    कवितालयबद्ध कविता

    तुम, यानी मैं

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 318
    • 5 Mins Read

    तुम, यानी मैं
    कुछ कहना
    तो आहिस्ते से कहना
    खुद से कभी दो लफ्ज़ भी।

    कोई नही मगर खुदा सुनता है
    हर वो ख्याल
    जो मन ही मन बुदबुदाते हो तुम
    किसी से ज़ाहिर नही करते
    मगर फुसफुसाते हो तुम
    कभी घुटते हो अंदर ही
    Read More

    तुम, यानी मैं,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Kumar Sandeep

    Kumar Sandeep 3 years ago

    बहुत खूब प्रिय सर,आपकी रचनाओं को पढ़कर सुकून मिलता है।

    शिवम राव मणि3 years ago

    मनोबल बढ़ाने के लिए आपका शुक्रिया

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    वाह बहुत खूब

    शिवम राव मणि3 years ago

    धन्यवाद

    कवितालयबद्ध कविता

    ज़िन्दगी भी क्या है

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 270
    • 3 Mins Read

    ज़िन्दगी भी क्या है
    जरा से फासलों में कई रंग लिए है

    एक पल महरूम है
    तो दूसरे ही पल बहती नीर है
    पानियों सी बेरंग है
    जिस ओर बहलाओ
    उस ओर की तस्वीर है
    वादियों में कभी बंजर
    कभी बंजर में ताबीर है
    ज़िन्दगी भी
    Read More

    ज़िन्दगी भी क्या है,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Kumar Sandeep

    Kumar Sandeep 3 years ago

    उम्दा रचना

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया

    कवितागीत

    थम गए

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 127
    • 3 Mins Read

    ज़िन्दगी में यूँ अचानक
    कैसी हुई ये आहट
    कि दो राह में…. थम गए।

    ये कदम ना जाने क्यों,
    सांसे ना जाने क्यों।
    एहसासों से लिपटकर
    होश को भुलाकर
    दो राह में… थम गए।

    एक रोज अनजान यूँ,
    आ गए सामने तुम।
    समय के कांटो
    Read More

    थम गए,<span>गीत</span>
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    Nutan Garg

    Nutan Garg 3 years ago

    सुंदर

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया आपका

    कवितालयबद्ध कविता

    कभी जिये होते आकाश में

    • Edited 3 years ago
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    • 184
    • 6 Mins Read

    कभी बेशक जिये होते आकाश में
    तो खुलकर जिये होते
    जीने की आरज़ू पर पहली बून्द लिए होते
    तो भीग जाते खुशियों की झामझोर में
    उन्हें बादलों से छीन लिए होते
    काली घटाओं का गुरूर तोड़
    उनसे भी गरज छीन लिए होते
    फिर
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    कभी जिये होते आकाश में,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत खूब 👌🏻

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया

    सुविचारप्रेरक विचार

    प्रेरकविचार

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 98
    • 2 Mins Read

    भेदभाव चाहें वो लड़की-लड़के में हो, जाती धर्म में हो, ऊंच-नीच में हो, रहन-सहन में हो या रंग-रूप में हो, ये कभी खत्म नही हो सकते। और अगर मान लो ये खत्म हो भी गए, तो जहां एक भेदभाव खत्म होता है, वहीं एक और भेदभाव,
    Read More

    प्रेरकविचार,<span>प्रेरक विचार</span>
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    कहानीसस्पेंस और थ्रिलर, लघुकथा

    अनाथ

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 629
    • 10 Mins Read

    ‘क्या हुआ राज़, तुम इसे मारते क्यों नही? ये तुम्हारा पहला मर्डर थोड़ी है। ‘
    राज़ ने पीछे मुड़ के देखा , वहां कोई नही था।उसे फिर से वही आवाज़ सुनाई देने लगी। वह वापस मुड़ा और उस घायल आदमी को मार कर वहां से
    Read More

    अनाथ,<span>सस्पेंस और थ्रिलर</span>, <span>लघुकथा</span>
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    SHAKTI RAO MANI

    SHAKTI RAO MANI 3 years ago

    waah UK08D2042

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया,ठीक है

    कवितालयबद्ध कविता

    दिल ही तो जाने है

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 162
    • 2 Mins Read

    दिल की जो बाते हैं,
    दिल ही तो जाने हैं।
    उरूज़ पे चाहत है-
    अफ़साने अफ़साने हैं।

    ख्वाबों में, यादों में,
    अधूरे ज़ज़्बातों में।
    हम तुम्हे ढूंढते हैं-
    अनजानी राहों में।

    आंखों की कनखी से,
    मोहब्बत की खिड़की
    Read More

    दिल ही तो जाने है,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    बीते हुए लम्हों में

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 276
    • 4 Mins Read

    कहाँ याद कर पाते हैं
    उन भूले बिसरे दिनों को
    शैतानियों से भरी अटखेलियों को
    मां के दुलार को
    सुबह के आलस को
    बैठे बैठे, जहां दिन गुज़ारते थे
    उस आंगन को
    भाई बहनों के संग हंसते खेलते
    और फिर लड़ जाने को
    दूसरे
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    बीते हुए लम्हों में,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    बहुत खूब

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया आपका

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    बहुत सुन्दर..!

    शिवम राव मणि3 years ago

    धन्यवाद सर

    Meeta Joshi

    Meeta Joshi 3 years ago

    सच है!बचपन की यादें कभी भुलाए नहीं जाती।

    शिवम राव मणि3 years ago

    बिल्कुल, शुक्रिया

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    अद्भुत

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया

    कहानीलघुकथा

    मां शब्द की महिमा

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 244
    • 6 Mins Read

    जब एक नादां दिल ने बुजुर्ग दिल से पूछा कि एक मां का दर्ज़ा इतना ऊंचा क्यों होता है, तो उस बुजुर्ग दिल ने वक्त का पहिया थामकर अपनी गति को रोक लिया और अतीत के धड़कनों में से कुछ धड़कनों को जिंदा करके , उस
    Read More

    मां शब्द की महिमा,<span>लघुकथा</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    निःशब्द कर दिया

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया सर

    कवितालयबद्ध कविता

    कोई तो खास है

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 151
    • 3 Mins Read

    कोई तो खास है
    जिसके सामने ज़ुबान नही खुलती।

    पल पल में रूठना
    और पल भर में मानना,
    जिसके इज्जत के खातिर
    खुद नीलाम हो जाना,
    उसके कहे के सामने
    खुद का चुप रह जाना,
    बात तन्हाई की हो
    या अलविदा होता ज़माना,
    इन
    Read More

    कोई तो खास है,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    वाह वाह

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया

    लेखआलेख

    दहेज देना है तो देना है

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 263
    • 14 Mins Read

    दहेज लेने और देने का रिवाज़ बहुत पेचीदा है। वेसे दहेज लेना और देना दोनों ही कानूनन जुर्म हैं लेकिन आज के दौर में ये जुर्म तब तक जुर्म नही कहलाता, जब तक की कोई जाकर ना बताये। मेने दहेज प्रथा को लेकर
    Read More

    दहेज देना है तो देना है,<span>आलेख</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    अद्भुत

    शिवम राव मणि3 years ago

    धन्यवाद आपका

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    अद्भुत

    कवितालयबद्ध कविता, गीत

    दूर ना जाना

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 178
    • 2 Mins Read

    पास आये हो तुम दोस्ती बनकर,
    दूर ना जाना अजनबी बनकर।

    परेशां दिल के अधरों पे कभी
    मुस्काये नही जहां लफ्ज़ एक भी
    ठहर गये वहां तुम हंसी बनकर।

    तन्हा राह में कितने तन्हा थे
    गुज़रा ना कोई जब हैरां थे
    मिल गए
    Read More

    दूर ना जाना,<span>लयबद्ध कविता</span>, <span>गीत</span>
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    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    बहुत सुंदर

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया आपका

    कवितालयबद्ध कविता

    भूल गए

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 189
    • 4 Mins Read

    भूल गए हैं वह सारी बातें
    जो तुम कहा करते थे।

    थोड़े प्यार से, थोड़े दुलार से
    मुझ को लेकर
    अपनी बाहों में कहा करते थे।
    चेतना जगाते और राह दिखाते,
    सावधानियां बताते तो
    गहराई की थाह समझाते थे।
    थोड़ी बुराई
    Read More

    भूल गए,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कहानीप्रेम कहानियाँ, प्रेरणादायक

    एहसासों की तस्वीर

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 312
    • 19 Mins Read

    ‘एक मिनट नानी, आप बताते-बताते ज़रा आगे चली गयी।’

    ‘अच्छा! हां शायद मैं मुलाकात तक चली गयी थी। वैसे मैं थी कहां?’

    ‘ परफॉर्मंस वाले दिन।’

    ‘ हाँ … कॉलेज का सेकंड ईयर। मेरी नृत्य कला के उन दिनों खूब चर्चे
    Read More

    एहसासों की तस्वीर,<span>प्रेम कहानियाँ</span>, <span>प्रेरणादायक</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    ख़ूबसूरत रचना.. भावपूर्ण..!

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया सर

    कवितागीत

    दरमियान तेरे मेरे

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 184
    • 4 Mins Read

    कर रहें हैं गुफ्तगू अब्सार
    दरमियान तेरे मेरे
    इजहार हो रहा है प्यार
    दरमियान तेरे मेरे।

    राज़ ए दिल मेरे सभी
    ज़ाहिर होने को है,
    ये सावन न मद्धम
    ना अब सम्भलने को है।

    बहने लगी है एक बयार
    दरमियान तेरे मेरे,
    इजहार
    Read More

    दरमियान तेरे मेरे,<span>गीत</span>
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    Ashutosh Tripathi

    Ashutosh Tripathi 3 years ago

    वाह,बहुत सुंदर रचना 👌🏻👌🏻👏🏻👏🏻👍🏻

    शिवम राव मणि3 years ago

    आपका धन्यवाद

    Madhu Andhiwal

    Madhu Andhiwal 3 years ago

    बहुत सुन्दर

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया

    Madhu Andhiwal

    Madhu Andhiwal 3 years ago

    बहुत सुन्दर

    Nutan Garg

    Nutan Garg 3 years ago

    बहुत खूब 👌

    शिवम राव मणि3 years ago

    आपका धन्यवाद

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    ख़ूबसूरत..!

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया सर

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत खूब

    शिवम राव मणि3 years ago

    धन्यवाद

    Naresh Gurjar

    Naresh Gurjar 3 years ago

    बहुत बेमिसाल

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया

    कविताअन्य

    ना जाने कौन

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 114
    • 2 Mins Read

    धीरे धीरे ये जग महक दे
    में इतना मानूं, ये जाने कौन ?
    फिर बार बार कोई खेरियत रंग दे
    कई रंगों से, ये कौन रंग दे
    ना जाने कौन?
    चुपके से कोई दस्तक दे
    मौसम को बदले, हवाओं में बहे
    छुपकर भी कोई आवाज़ दे
    दिल कहे के
    Read More

    ना जाने कौन,<span>अन्य</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    तन ही कमजोर था

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 204
    • 3 Mins Read

    एक फूल जो खूब पनपा
    पनपने की चाहत में ऊंचा उठा
    ऊंचे उठने के हौसले थे उसमे
    वही हौसले उसकी पहचान बने
    लेकिन एक दिन ढहा
    ज़मीन पर यूँ गिरा
    की पत्ते पत्ते सारे बिखर गए
    हौसले भी दम तोड़ गए

    ऋतुएँ बदलती गयी
    और
    Read More

    तन ही कमजोर था,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कवितागजल

    कोई शहर बाकी है

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 173
    • 3 Mins Read

    शायद अभी भी एक कसर बाकी है।
    इस सफर में कोई शहर बाकी है।

    देख चुके हैं कई मोहल्ले-गली,
    बस अनजान अपना घर बाकी है।

    कई इंसा मिले कई फरेब भी,
    अभी तो ज़माना बदतर बाकी है।

    ढूंढते हैं पाकीज़ा रहनुमा हम,
    और खोजने
    Read More

    कोई शहर बाकी है,<span>गजल</span>
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    कहानीव्यंग्य

    अबे ये तो अंधा है

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 407
    • 14 Mins Read

    देखिये हम बहुत ही सौहार्द दिल के है। ना ही किसी का बुरा चाहतें है और न ही किसी का बुरा कर पाते हैं, इसलिए हम किसी से बुरे की अपेक्षा भी नही करते। लेकिन एक दिन जब किसी का उपहास हमारे संकुचित दिल को छुआ
    Read More

    अबे ये तो अंधा है,<span>व्यंग्य</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    मर्मस्पर्शी रचना

    शिवम राव मणि3 years ago

    आपका धन्यवाद

    कवितालयबद्ध कविता

    एक संवेदना

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 218
    • 6 Mins Read

    एक संवेदना, जो हर किसी को महसूस तो हुई
    पर जेहन में से, क्या हमने उसे
    धीरे-धीरे मिटा भी दिया?

    भूल गई,
    एक रोटी, किसी की थाल को
    एक चादर, किसी की ठिठुरन को
    एक उम्मीद, किसी की मायूसी को
    और एक लाज, किसी के दामन
    Read More

    एक संवेदना,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कहानीलघुकथा

    हरे हरे नोट

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 392
    • 13 Mins Read

    दादी तिलमिलाते हुए अपने घर के बरामदे में आई और कोने में पड़ा एक लाठी उठाकर, बाहर लगे पेड़ पर चढ़े बच्चों पर चिल्ला उठी

    ' अरे ओ नालायकों अभी के अभी मेरे पैड़ पर से नीचे उतरो नहीं तो किसी की खैर नहीं
    Read More

    हरे हरे नोट,<span>लघुकथा</span>
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    Gita Parihar

    Gita Parihar 3 years ago

    वाह, बहुत अच्छी रचना

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया मेम

    कवितागजल

    सियासत जरूरी है।

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 310
    • 4 Mins Read

    जब कभी किसी परिवार में दुर्भाग्य पूर्ण जायदाद को लेकर बहस होती है। तो अक्सर भाई , बहन और रिश्ते दारों के बीच विरोध की भावना पैदा हो जाती है।बस उसी को ध्यान में रखकर यह गज़ल लिखी गयी है, जिसे थोड़ा
    Read More

    सियासत जरूरी है।,<span>गजल</span>
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    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    बहुत सुंदर

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    ख़ूबसूरत रचना..!

    शिवम राव मणि3 years ago

    धन्यवाद सर

    कवितालयबद्ध कविता

    देख ये कौन चलें हैं

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 418
    • 7 Mins Read

    बाजुएँ फैलाये अपनी, देख ये कौन चलें हैं।
    बदन पे तिरंगा लपेटे जिनके लहु बहें हैं।

    शान में वतन की जो जान गँवा रहे।
    भूलाकर गाँव अपना वो वतन बचा रहे।
    क्या बेटी, क्या बेटा, क्या जात, क्या विजात
    सब धूमिल
    Read More

    देख ये कौन चलें हैं,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    बहुत.... खूब

    शिवम राव मणि3 years ago

    आपका शुक्रिया

    Vinay Kumar Gautam

    Vinay Kumar Gautam 3 years ago

    बहुत खूब

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया सर

    Gita Parihar

    Gita Parihar 3 years ago

    बेहतरीन अभिव्यक्ति

    शिवम राव मणि3 years ago

    धन्यवाद

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    सुन्दर रचना

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया सर

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    सुन्दर रचना

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    बहुत सुंदर

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया आपका

    कवितागजल

    क्या कहूँ

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 147
    • 3 Mins Read

    परेशां दिल की जुबां, क्या कहूँ।
    हुई बेरंग दास्तां, क्या कहूँ।

    अभी भी है वही धुंधली नज़र,
    और है वही निगेहबां, क्या कहूँ।

    कब से ना मिले किसी दोस्त से,
    ये भी है एक दरमियां, क्या कहूँ।

    खुद से पूछें और खुद
    Read More

    क्या कहूँ,<span>गजल</span>
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    Gita Parihar

    Gita Parihar 3 years ago

    भावपूर्ण रचना है, बहुत अच्छे!

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया मेम

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    👌🏻

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया

    कहानीप्रेम कहानियाँ

    जुन्हाई

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 303
    • 19 Mins Read

    आज चांदनी को अपना पहला प्यार जाहिर करना था । सजते सँवरते हुए वह दिवाकर के साथ होने वाले लम्हें के बारे में सोचने लगी। अपने चेहरे के निशान और जिंदगी की बेबसी को छुआ तो मन हाँ ना के सवालों में घिरने
    Read More

    जुन्हाई,<span>प्रेम कहानियाँ</span>
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    Vinay Kumar Gautam

    Vinay Kumar Gautam 3 years ago

    बहुत खूब 👌👌

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया सर

    Poonam Bagadia

    Poonam Bagadia 3 years ago

    बढ़िया ..!👌

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया आपका

    कवितालयबद्ध कविता

    गुहार

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 178
    • 6 Mins Read

    एक छोटा सा अर्भक हूँ मैं,
    मुझे अपने हाथो से उठा लो
    अपने प्यार की छाँव में,
    मेरे सारे घाव भर दो।

    गिरा हूँ जमीन पर
    इसे मेरा बिस्तरा बना दो,
    दर्द है एक सीने में
    मुझे चैन की चादर ओढ़ा दो।

    छलनी हुए हैं मेरे
    Read More

    गुहार,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    SHAKTI RAO MANI

    SHAKTI RAO MANI 3 years ago

    mxt

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया आपका

    कवितालयबद्ध कविता

    जान बैठे हैं

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 118
    • 1 Mins Read

    जान बैठे हैं,
    हाँ ,
    जान बैठे हैं

    अब हर कड़ियां,
    और तल्ख़ियां
    जान बैठे हैं
    कि गिरकर अब नीचे
    ऊपर देखा नहीं जाता
    आंखों में दर्द है
    पलकें झुकाए बैठें है।

    शिवम राव मणि

    जान बैठे हैं,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कहानीलघुकथा

    सपनों की दीवार

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 308
    • 6 Mins Read

    वक्त के साथ साथ सपनों को भूला देना शायद खुद को भूला देना होता है। कब से ना देखा, ना छुआ था, अपने सपनों की उस दीवार को जो बेरंग हो चुकी थी। बस याद था तो परिवार और उससे जुड़ी जिम्मेदारीयाँ। हर दिन की
    Read More

    सपनों की दीवार,<span>लघुकथा</span>
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    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    बढ़िया

    शिवम राव मणि3 years ago

    जी शुक्रिया

    कवितानज़्म

    मैं बेवफा तो नहीं

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 190
    • 3 Mins Read

    *******"""नज़्म"""*******

    सोचता हूँ जब
    अपनी खताओं को
    तो दिल की धड़कनों के साथ साथ
    कुछ खोने का मलाल होता है।
    जब, सब भूलने की कोशिश करता हूँ
    तो एक बीता लम्हा
    सामने आकर
    कई बेचैनियां उठा देता है।

    या फिर कभी,
    छोटी
    Read More

    मैं बेवफा तो नहीं,<span>नज़्म</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    यथार्थ रूप भाग-६

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 148
    • 4 Mins Read

    किसी से घृणा का भाव
    सदेव उस मार्ग की ओर ले जाता है
    जहां एक छोटी, परंतु तीक्ष्ण किरण
    हमारे उस विचार को उजागर करती है
    जो क्रोध में आकर उपज तो गया है
    लेकिन वास्तविकता के सरीखी है भी या नहीं
    यह मालूम नहीं
    Read More

    यथार्थ रूप भाग-६,<span>अतुकांत कविता</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    शिवम जी क्या आप साहित्य अर्पण पर आपका फोन नम्बर इनबॉक्स कर सकते हैं।

    शिवम राव मणि3 years ago

    जी बिलकुल मेम

    कहानीव्यंग्य

    भिखारी की भिक्षा

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 306
    • 15 Mins Read

    लोक डाउन का वक्त और दुकान की हालत गंभीर हो चली थी। वैसे लालाजी का सुपुत्र होने के नाते उनके ना रहने पर, मैं दुकान में बैठे जाया करता था। लोक डाउन के वक्त वैसे तो भिखारियों का आना जाना नहीं था लेकिन
    Read More

    भिखारी की भिक्षा,<span>व्यंग्य</span>
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    SHAKTI RAO MANI

    SHAKTI RAO MANI 3 years ago

    gjab

    शिवम राव मणि3 years ago

    Thank you bhai ji

    कवितालयबद्ध कविता

    ऐसा एक ख़्याल है

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 203
    • 4 Mins Read

    ऐसा एक ख़्याल है
    कि कभी रोज जब ये सूरज नहीं दिखेगा
    बादलों के सहारे जब उजा़ला बिखरेगा
    मन में इश्रत की चाह भी फीकी सी होगी
    तब राहें तो दिखेंगी
    जहाँ जाना है वो मंजिलें भी होंगी
    ईर्द गिर्द की हलचल भी
    Read More

    ऐसा एक ख़्याल है,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    सुंदर

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया

    कवितानज़्म

    मेरे अन्दर मैं कैद हूं

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 187
    • 5 Mins Read

    मेरे अंदर में कैद हूं
    जिसका चेहरा बिल्कुल अलग है।

    वो बेड़ियों से बंधा है
    अंधेरे में, सन्नाटे में पड़ा है
    बदन उसका,
    सुकून के लिए तड़प उठा है।
    आंखों में उसके दरारें हैं
    चेहरे पर सूखा पड़ा है।
    उसकी
    Read More

    मेरे अन्दर मैं कैद हूं,<span>नज़्म</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत खूब ??

    शिवम राव मणि3 years ago

    धन्यवाद मेम

    Kumar Sandeep

    Kumar Sandeep 3 years ago

    उम्दा कृति

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया

    कवितानज़्म

    वो अनजान है।

    • Edited 3 years ago
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    • 140
    • 3 Mins Read

    अरे! उसे ऐसे ना कहो
    वो अनजान है।

    वो अपनी ही दुनिया में है
    या फिर परेशान है
    वो खोया है अपने ही रंग में
    या खोया है गहरी सुरंग में
    वो चल रहा है कोई नई राह
    या भटक गया है यहां वहां
    बुन रहा है कोई सपना हक़ीक़त
    या
    Read More

    वो अनजान है।,<span>नज़्म</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    मैं बाहर निकलूंगा तो

    • Edited 3 years ago
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    • 164
    • 3 Mins Read

    मैं बाहर निकलूंगा
    तो कोई ना कोई तो छेड़ेगा।

    कोई पूछेगा, कोई कहेगा
    या कोई तो सिर्फ देखेगा
    कोई दूर खड़ा
    मन ही मन कहानियां बुनेगा
    तो कोई हालात को मेरे पूछेगा
    कोई मदद की चाह भी जताएगा
    तो कोई देखते ही
    Read More

    मैं बाहर निकलूंगा तो,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 2 years ago

    वाह वाह

    कवितागजल

    शायद दूर तक सफर कर रहा हूं

    • Edited 3 years ago
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    • 127
    • 3 Mins Read

    बीते वक्त को नज़र कर रहा हूं।
    क्या ग़म है, ज़रा जीकर कर रहा हूं।

    हाल पर कुछ कहने दिया सभी को,
    बस सुनकर वही ख़बर कर रहा हूं।

    इतना भी कभी दर्द ये रहा के,
    अब हर ज़ख्म पे फिकर कर रहा हूं।

    एक एहसास होता नहीं
    Read More

    शायद दूर तक सफर कर रहा हूं,<span>गजल</span>
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    कवितानज़्म

    एक आग सुलगने भर

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 178
    • 4 Mins Read

    एक आग सुलगने भर
    मेरी जिंदगी रही
    बाकी बुझ गई।

    मेहराब ए अज़ाब से
    यह क्या देखा,
    कब बारिश हुई
    कब थम गई।
    मैं भीगना चाहता था
    उन मेले बदन में,
    बादलों से नफरत हुई
    जितने भी हुई
    बाकी बरस गई।

    कांटो भरी रात
    वह
    Read More

    एक आग सुलगने भर,<span>नज़्म</span>
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    कवितानज़्म, लयबद्ध कविता

    मैं तो हूं ही बेवकूफ

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 201
    • 4 Mins Read

    मै तो हूँ ही बेवकूफ
    इन सब मामलों में,

    प्यार के मामलों में,
    लुभाने के मामलों में,
    कोई रूठ जाए
    तो उसे मनाने के मामलों में।
    आए अजनबी कोई सामने
    तो दो शब्द कहने में,
    कोई पूछ ले कैसे हो भला
    तो अपना हाल बताने
    Read More

    मैं तो हूं ही बेवकूफ,<span>नज़्म</span>, <span>लयबद्ध कविता</span>
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    Madhu Andhiwal

    Madhu Andhiwal 3 years ago

    उम्दा

    शिवम राव मणि3 years ago

    shukriya

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    अन्तर्मुखी व्यक्तित्व की उलझनें.

    शिवम राव मणि3 years ago

    धन्यवाद आपका

    कवितालयबद्ध कविता

    कैसी यें शिकायतें

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 182
    • 3 Mins Read

    कैसी ये शिकायतें?
    जरा आज कहिए
    दागी उतनी ही लगेगी
    जितनी पहले मिली थी

    कानाफूसियों का कहना
    जरा आज समझिए
    दिल पर उतनी ही बितेगी
    जितनी पहले सुनी थी

    शरीर का यूँ कराहना
    जरा आज सहिए
    पीड़ा उतनी ही होगी
    जितनी
    Read More

    कैसी यें शिकायतें,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    बहुत खूब

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया

    कवितानज़्म

    ये वो शाम है

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 179
    • 4 Mins Read

    यह वो शाम है,
    जब आफताब उफ्क़ के पीछे छुपता जाता है
    तो फलक के कई राज़ खोल देता है।

    जब नज़र के सामने, फलक का एक टुकड़ा
    हल्के नीले आसमानी रंग से
    गहरे अंधेरे की ओर बढ़ता है,
    तब ढलता हुआ वो दिन का पहरेदार
    धीरे-धीरे
    Read More

    ये वो शाम है,<span>नज़्म</span>
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    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    वाह

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया मेम

    कवितागजल

    ये तज़ुर्बा कुछ और है

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 187
    • 3 Mins Read

    चाहें सारा जहां छान लो,ये तजुर्बा कुछ और है।
    सामने ख़ुदा है,मगर दिल ने कहा, कुछ और है।

    ये नोबत ही तो है,जो चेहरे बदल देती है,
    कल के किसी खूब की,आज अदा, कुछ और है।

    क्यूं ढकते हैं वो? हिजाब से अपने ज़ख्मों
    Read More

    ये तज़ुर्बा कुछ और है,<span>गजल</span>
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    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    बहुत खूब

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया

    कहानीव्यंग्य

    वो तीन सिक्के

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 246
    • 10 Mins Read

    बहुत मीठे स्वर में उसने लालाजी से तीन पेंसील के लिए कहा।कहा कि मुझे 3 रुपए की दो पेंसिल दे दो ,लेकिन लाला जी ने इमानदारी दिखाते हुए तीन रूपए की जगह दो रूपए की ही पेंसील के होने की बात कही। इस पर बच्ची
    Read More

    वो तीन सिक्के,<span>व्यंग्य</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    बिखर गए एहसास

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 219
    • 4 Mins Read

    बिखर गए अहसास जैसे
    कागज़ों के ढेर थे
    बिखर गए अहसास जैसे
    किताबों के बगैर थे
    बिखर गए है अहसास जैसे
    अतीत के दरपन थे
    बिखर गए अहसास जैसे
    रुकी हुई धड़कन थे

    बिखरते रहे हर नौबत में ऐसे
    कि शाख से फूल अलग थे
    बिखरते
    Read More

    बिखर गए एहसास,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    लाजवाब

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया सर

    कवितालयबद्ध कविता

    एक चेहरा नजर आया

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 241
    • 5 Mins Read

    ~~~~एक चेहरा नजर आया~~~~

    हदों की हद लकीरें, लाँघनी कितनी आसान थी
    लाँघकर देखा, तो एक चेहरा नजर आया
    ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

    कोई टोके मुझे इस तरह, कोई रोके मुझे इस तरह
    कि जुबान भी खुली और मैं खुद भरमाया

    किसी के साथ दो टूक
    Read More

    एक चेहरा नजर आया,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    बहुत सुंदर

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रया आपका

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    निःशब्द कर दिया

    शिवम राव मणि3 years ago

    धन्यवाद

    कविताअतुकांत कविता

    कुछ एहसास हैं भिन्न

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 199
    • 7 Mins Read

    पता है….
    बीती रात एक सुकून का एहसास हुआ
    जब खुद को रजाई के भीतर समेटे हुए
    बचना चाहा एक ठिठुरती ठंड से
    लगा कि महफूज़ हूँ इन दो चादरों में
    काफी है ये ओढ़ते कम्बल
    और इनमें सिमटा मैं..
    समझा कि ये दिवारें
    Read More

    कुछ एहसास हैं भिन्न,<span>अतुकांत कविता</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    वाह वाह, ठंडक में लफ़्जों की ऐसी गर्मजोशी लाजवाब

    शिवम राव मणि3 years ago

    धन्यवाद सर

    कवितागजल

    बहुत हुआ कि अब कुछ कहा नहीं जाता

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 163
    • 3 Mins Read

    बहुत हुआ कि अब कुछ कहा नहीं जाता।
    यहां अब और देर रहा नहीं जाता।

    उठती है आवाज़ें, दबती है नफ़्स,
    इस हवा में पल भर जिया नहीं जाता।

    आज कुछ नहीं मगर उम्मीदें साथ है,
    इतना भी ज़फा खुदा सहा नहीं जाता।

    एक
    Read More

    बहुत हुआ कि अब कुछ कहा नहीं जाता,<span>गजल</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    वाह वाह

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया सर

    कवितालयबद्ध कविता

    मुझे वो नज़रें बदलनी हैं

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 194
    • 4 Mins Read

    मुझे वो नज़रें बदलनी हैं,
    जो मेरी तरफ अचानक से मुड़ी हैं।

    अपने आप को भींचती हुई
    जो मुझे अचम्भे से देख रही हैं;
    दया का भाव लिए
    जो मुझे कमजोर बतलाती हैं,
    मुझ तक पहुंचने के लिए
    जो तरस की सीढ़ियां चढ़ती
    Read More

    मुझे वो नज़रें बदलनी हैं,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    वाह वाह

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    वाह वाह

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया

    कवितानज़्म

    जहां तक उम्मीद है

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 224
    • 5 Mins Read

    जहां तक उम्मीद है,
    मुझे वहां तक जाना है।

    रोजमर्रा की आपाधापी से
    बोझिल हो चुकी,
    मन की संवेदना भी
    जहां गुम हो जाए,
    उस नितांत गुप्त अंधेरे में
    एक बुझी आस का दिया जला कर
    सामने कहीं दूर,
    दिप्त होती खुली
    Read More

    जहां तक उम्मीद है,<span>नज़्म</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    चैतन्यपूर्ण

    शिवम राव मणि3 years ago

    धन्यवाद आपका

    कवितागजल

    ना अधूरा एक भी श्वास रहे।

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 231
    • 2 Mins Read

    ना अधूरा एक भी श्वास रहे।
    मुझमें अब यही विश्वास रहे।

    दुख रहे चाहें जितने भी मगर,
    हमेशा सुख का अहसास रहे।

    जीवन यूं ही हंसता रहे और,
    गम का न कहीं भी वास रहे।

    बैर-लाग-औ-क्रोध आदि,
    कभी भी ना मेरे पास रहे।

    सुबह
    Read More

    ना अधूरा एक भी श्वास रहे।,<span>गजल</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    वाह वाह

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया यर

    Priyanka Tripathi

    Priyanka Tripathi 3 years ago

    बहुत सुंदर

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    सुंदर

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया

    कवितालयबद्ध कविता

    डर रहा हूं मैं

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 212
    • 5 Mins Read

    डर रहा हूं मैं
    अंधकार को देखकर
    ,उजाला खो जाने से डर रहा हूँ मैं
    एक आहट हो जाने पर
    सिसकियाँ भर ले रहा हूँ मैं
    जरा-सी चोट लग जाने पर
    गुमचोट का इंतजार कर रहा हूँ मैं
    थोडा-सा प्यार पाने के लिए
    अपने आप को
    Read More

    डर रहा हूं मैं,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    वाह वाह

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    वाह वाह

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया

    Priyanka Tripathi

    Priyanka Tripathi 3 years ago

    Nice

    शिवम राव मणि3 years ago

    धन्यवाद आपका

    कवितानज़्म, लयबद्ध कविता

    कुछ बातें

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 240
    • 9 Mins Read

    कुछ बातें कड़वी होती हैं।

    कुछ बातें कठिन होती हैं।

    कुछ बातें लिखा ख्याल होती हैं,

    तो कुछ बातें कभी बदल नहीं पाती हैं।



    कुछ बातें सीधे दिल को लगती हैं।

    कुछ बातें लबों को सिलती है।

    कुछ बातें रूबरू
    Read More

    कुछ बातें,<span>नज़्म</span>, <span>लयबद्ध कविता</span>
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    Priyanka Tripathi

    Priyanka Tripathi 3 years ago

    Nice

    शिवम राव मणि3 years ago

    धन्यवाद आपका

    Madhu Andhiwal

    Madhu Andhiwal 3 years ago

    वाह बहुत सुन्दर

    शिवम राव मणि3 years ago

    धन्यवाद आपका

    कहानीसामाजिक

    मेरे मां-पापा

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 255
    • 17 Mins Read

    स्कूल से आते हुए हर्ष काफी खुश दिखा‌। वह दौड़ते हुए आया और अपने पापा को गले लगा लिया। हर्ष के पापा ने भी उसे प्यार किया और खुशी जाहिर करते हुए कहा
    ,"तू ऐसे ही अच्छे से स्कूल आया जाया कर, मन खुश
    Read More

    मेरे मां-पापा,<span>सामाजिक</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    मर्मस्पर्शी..! ऐसी घटनाओं का प्रभाव '' बाल - मन पर बहुत बुरा पड़ता है..

    शिवम राव मणि3 years ago

    धन्यवाद आपका

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    मर्मस्पर्शी..! ऐसी घटनाओं का प्रभाव '' बाल - मन पर बहुत बुरा पड़ता है..

    कवितानज़्म, लयबद्ध कविता

    तो आखिरी बार

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 114
    • 4 Mins Read

    उछलती-झूमती उस भीड़ को
    आनन्द लेते उस वक्त को
    सीमाओं को लांघकर
    इन आंखो से देख लूँ, तो आखिरी बार
    🥀🥀🥀
    किसी तरह बात ना मानकर
    दहलीज का चोगा उतारकर
    उल्लासो-उत्सव को लपेट
    खुशियाँ जोरों से मना लूँ, तो आखिरी
    Read More

    तो आखिरी बार,<span>नज़्म</span>, <span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    एहसास को समझूँ

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 120
    • 5 Mins Read

    मेरे घर पर आज छत है
    इसे में देव की देन समझूँ,
    जिसके ऊपर उपकार नहीं
    उसके आज हर एहसास को समझूँ।

    कोई तन पर बिखरे पसीने को पोछें ,
    कोई तन पर मेहनत का रंग चढ़ाता है।
    भीषण तप मेँ रहकर भी कोई,
    मुस्कराना दर्द
    Read More

    एहसास को समझूँ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    निःशब्द कर दिया

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया सर

    कवितालयबद्ध कविता

    यथार्थ रूप भाग-५

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 168
    • 4 Mins Read

    फूलों में भी कीड़े होते हैं।
    पत्थरों में भी दरारे होती हैं।

    जैसा चरित्र होता है।
    वैसा ही मित्र होता है।
    शुद्धता तो वाणी में होती है,
    शरीर कहां पवित्र होता है।

    बुराइयां भी कभी सुहाने लगती हैं।
    इंसानियत
    Read More

    यथार्थ रूप भाग-५,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    तुलसी मेरी

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 209
    • 5 Mins Read

    एक खंडहर में मेरा ख्याल बसा है।
    उजड़ी हुई आत्मा में ,
    वह सच्चा-सा, भ्रम और मिथ सब लगा है।

    फिसलते देख ऐसे मेरा घर आंगन
    कि बिखर गए है चोखट पर तेरे
    मेरी आस की अश्रुधारा

    रखा तुम्हारी दहलीज़ पर
    वो दिया
    Read More

    तुलसी मेरी,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कवितानज़्म, लयबद्ध कविता

    नादान हथेली

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 357
    • 6 Mins Read

    नादान हथेलियों की उलझी राहें,
    नादान हथेली में तुमको ढूंढते हैं।

    किसी के आने की ना खबर है ना खबर थी।
    पहाड़ों से आकर छूती हवा जो कयास भर थी।
    सूरज की किरणें भी हैं जो मद्धम हो चली
    और एक आस को रात भर,
    मझधार
    Read More

    नादान हथेली,<span>नज़्म</span>, <span>लयबद्ध कविता</span>
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    Priyanka Tripathi

    Priyanka Tripathi 3 years ago

    Beautiful

    शिवम राव मणि3 years ago

    धन्यावाद

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    सुंदर

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया

    कविताअतुकांत कविता

    एक नया जीवन

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 160
    • 3 Mins Read

    लौटकर,
    द्विज उडा़न से
    मैं जीती हूँ पल पल
    एक नया जीवन।

    जब जब रहती हूँ
    बादलों के बीच
    तो लगता है,
    मैं दूर हूँ उन नज़रों से
    जो मुझे रोकती हैं,
    मुझे बाँधे रखती हैं।

    मैं दूर हूँ उस समाज
    और कूरितियों की बांह
    Read More

    एक नया जीवन,<span>अतुकांत कविता</span>
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    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    बहुत बढ़िया

    शिवम राव मणि3 years ago

    धन्यवाद आपका

    कवितागजल

    वो अदीब इकबाल कहीं रह गया

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 266
    • 3 Mins Read

    आते आते एक ख़्याल कहीं रह गया ।
    कुछ ना कहने का मलाल कहीं रह गया।

    ढूंढती है निगाहें उसे अब भी वहीं,
    आने वाला फिलहाल कहीं रह गया।

    पूछेंगे क‌ई हाल बदहाल तुम्हारा,
    मेरा भी एक सवाल कहीं रह गया।

    दिए हैं
    Read More

    वो अदीब इकबाल कहीं रह गया,<span>गजल</span>
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    SHAKTI RAO MANI

    SHAKTI RAO MANI 3 years ago

    bHut sahi

    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    बढ़िया

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    वाह बहुत खूब

    शिवम राव मणि3 years ago

    धन्यवाद आपका

    सुविचारप्रेरक विचार

    सुविचार

    • Edited 3 years ago
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    • 140
    • 1 Mins Read

    अगर हम किसी भी परिस्थिति में विनम्र बन सकते हैं तो हम में हर संभव कटुता सुनने की क्षमता भी होती है।


    शिवम राव मणि

    सुविचार,<span>प्रेरक विचार</span>
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    सुविचारप्रेरक विचार

    सुविचार

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 102
    • 1 Mins Read

    हमारी लड़ाई किसी व्यक्ति विशेष से नहीं अपितु उसकी सोच से होनी चाहिए।

    सुविचार,<span>प्रेरक विचार</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    माई

    • Edited 3 years ago
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    • 233
    • 3 Mins Read

    माई तेरा आँचल धूप में छांव जैसा,
    माई तेरा दामन भंवर मे नांव जैसा।
    माई मुझे चोट लगती है ऐसे न कहो-
    माई तेरा गुस्सा प्यारा-सा घाव जैसा।।

    माई कुछ आवाजें मुझे ढुंढती है,
    माई निशा की रुदन, मुझे टटोलती है।
    सुबह
    Read More

    माई,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Comrade Pandit

    Comrade Pandit 3 years ago

    भावनाओ को शब्दो में तब्दील कर देना ही एक अच्छे लेखक की निशानी होती है

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया

    Poonam Bagadia

    Poonam Bagadia 3 years ago

    बहुत सुंदर रचना ...?? परन्तु कुछ एक पंक्ति थोड़ा असमंजस वाली प्रतीत होती हैं

    शिवम राव मणि3 years ago

    आपका कहना सराहनीय है। आपने बिल्कुल सही कहा कि थोड़ा अटपटा लग रहा है, क्यों कि तुम ठहर जाओ के दो मतलब, विश्राम करना या बिल्कुल ही थम जाना ( यानी की कुछ ना कर पाना) , निकल सकते हैं। धन्यवाद आपका,; अगली बार से ध्यान रखूंगा।

    Poonam Bagadia3 years ago

    सर माँ के आने से चैन ही छीन जाना या ठहर जाने से सबकुछ बिखर जाना थोड़ा अटपटा लगा .. माँ शब्द में ही शुकुन होता हैं और माँ तो खुद निर्माता है तो ये बिखराव कैसे हो सकता है...?????

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया; त्रुटि कहां हो रही कृपया मार्गदर्शन करें

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    बहुत सुंदर

    शिवम राव मणि3 years ago

    जी धन्यवाद

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    चैतन्यपूर्ण

    शिवम राव मणि3 years ago

    dhanyawaad

    कवितागजल

    कुछ अच्छे में, कुछ अजीब भी था

    • Edited 3 years ago
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    • 240
    • 2 Mins Read

    कुछ अच्छे में, कुछ अजीब भी था ,
    धुंधला-धुंधला वो करीब भी था ।

    ना फहम हुआ, ना ही याद आया,
    ख्वाब था कोई या नसीब भी था ।

    एक लौ उठी, तो अन्धेरा जला,
    यूँ रहबर मेरा नजीब भी था।

    दुनिया कभी गैर है, कभी अपनी,
    दरारो
    Read More

    कुछ अच्छे में, कुछ अजीब भी था,<span>गजल</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    लाजवाब

    शिवम राव मणि3 years ago

    धन्यवाद सर

    कवितालयबद्ध कविता

    ज़ख्म

    • Edited 3 years ago
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    • 133
    • 4 Mins Read

    क्या बताऊँ क्या हुआ है साथ,
    बस एक कश्ती चल रही थी,
    बाँट भी ना पाये जिसे,
    साथ मे वो ज़ख्मों की बस्ती चल रही थी।

    न तीर से, न तलवार से
    सीने में जो गड़ता गया,
    काँटा भी न हो सका
    जो बदन में मेरे एक चुभन दे गया।

    कहूँ
    Read More

    ज़ख्म,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितानज़्म, लयबद्ध कविता

    जो असलियत है.......

    • Edited 3 years ago
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    • 201
    • 3 Mins Read

    जो असलियत है अगर उनमें उतरे,
    तो गहराईयां नापी नहीं जाती।
    जो ख्याल है अगर उनको कहें,
    तो कहावतें कहीं नहीं जाती।
    अगर देखूं आज़ और खुद को
    तो यादें छुपायी नहीं जाती।
    साहिल है,वो भी धुंधला है,
    तों पगडण्डियाँ
    Read More

    जो असलियत है....... ,<span>नज़्म</span>, <span>लयबद्ध कविता</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    वाह वाह

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया सर

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    वाह वाह

    कवितागजल

    मैं इसे इशारे समझूं या क्या समझूं?

    • Edited 3 years ago
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    • 151
    • 3 Mins Read

    मैं इसे इशारे समझूं या क्या समझूं?
    वक़्त के किनारे समझूं या क्या समझूं?

    रुककर अब तो बैठे है,सुकून भर कहीं
    राह पर मजारे समझूं या क्या समझूं ?

    सोचता हूं ऐसा होता तो क्या होता?
    जिंदगी दीवारें समझूं या
    Read More

    मैं इसे इशारे समझूं या क्या समझूं?,<span>गजल</span>
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    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    भावपूर्ण है। नुक्ता लगाने से और भी संवर जाती।माफ़ करना शीर्षक में इसे इशारा या इन्हें इशारे ।ह

    शिवम राव मणि3 years ago

    जी धन्यवाद आपका। जरूर ध्यान दूंगा

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    आपकी हर रचना को रस धारें समझूँ, और अगर नहीं तो क्या समझूँ तो

    शिवम राव मणि3 years ago

    जी शुक्रिया आपका

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    आप नाम से दक्षिण भारतीय लगते हैं, फिर भी आपकी हिंदी रचना अद्भुत है. वैसे मैं भी चालीस वर्षों से आंध्र प्रदेश के राजमंद्री में रह रहा हूँ

    शिवम राव मणि3 years ago

    जी नहीं सर , दरअसल मैं उत्तर भारत से हूं। मेरा आखिरी नाम ' मनी' , मेरे पापा ने रखा है, लेकिन क्यूं रखा था मुझे यह नहीं मालूम

    Poonam Bagadia

    Poonam Bagadia 3 years ago

    बहुत बढ़िया

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया

    कवितालयबद्ध कविता

    उत्पीड़न

    • Edited 3 years ago
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    • 200
    • 6 Mins Read

    मैंने वक्त की दीवारों से कुछ पूछा है,
    के अतीत के दरमियान क्या क्या रखा है।
    आज कटघरे मे उस घर की बात है
    जिसके हर ईंट पर कसीदा लिखा है।।

    मैंने कहा-

    आज इन चार दीवारी से बात करनी है
    इनके आसरे दबी आवाज सुननी
    Read More

    उत्पीड़न,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    निःशब्द कर दिया

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया सर

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    आपकी अब तक की पोस्ट सभी रचनाओं में सर्वोत्तम कृती

    शिवम राव मणि3 years ago

    जी सही कहा, शुक्रिया आपका

    Poonam Bagadia

    Poonam Bagadia 3 years ago

    उत्तम सृजन

    शिवम राव मणि3 years ago

    धन्यवाद आपका

    कवितानज़्म

    क्या तुम्हें याद है?

    • Edited 3 years ago
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    • 150
    • 3 Mins Read

    क्या तुम्हें याद है?
    कि तुमने उस दौरान क्या कहा था?

    जब तुम खीजता से भरे हुए थे
    तब तुम्हारे कहने का वो अंदाज़
    क्या तुम्हें महसूस हुआ
    कि तुम किस किरदार में थे।

    तुम्हारा कहा,
    हर एक लफ्ज़ कितना वज़्नी
    Read More

    क्या तुम्हें याद है?,<span>नज़्म</span>
    user-image
    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    वाहः ??

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया

    कवितागजल

    मैं सिमटकर रहूंगा कब तक

    • Edited 3 years ago
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    • 239
    • 2 Mins Read

    मै सिमटकर रहूँगा कब तक ?
    यूँ रात भर जगूँगा कब तक ?

    बदन दुखता है बैठे- बैठे
    मै चाँद को घुरूँगा कब तक ?

    एक दर्द उठता है रोजाना
    अहजान संग जियूँगा कब तक ?

    ज़ख्म-ए-जबीं तस्वीर बनी है
    रंग चुन चुन भरूँगा कब तक
    Read More

    मैं सिमटकर रहूंगा कब तक,<span>गजल</span>
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    Gita Parihar

    Gita Parihar 3 years ago

    क्या कहने, बहुत खूब!

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    वाह वाह

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया

    Priyanka Tripathi

    Priyanka Tripathi 3 years ago

    सुंदर

    शिवम राव मणि3 years ago

    धन्यवाद आपका

    Anujeet Iqbal

    Anujeet Iqbal 3 years ago

    ?

    शिवम राव मणि3 years ago

    आभार ?

    कवितानज़्म

    यह धड़कन

    • Edited 3 years ago
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    • 119
    • 4 Mins Read

    दुनिया में केवल वहीं चीजें महफूज़ रही है
    जो कभी शोर नहीं करती
    मगर मेरी धड़कनें खूब आवाज़ करती है
    शायद इसलिए ये उतनी ही दुखती भी है।

    आखिर ये इतना धड़कती क्यों है?
    बार- बार क्यों शोर करती है?
    ये उतना
    Read More

    यह धड़कन,<span>नज़्म</span>
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    कवितानज़्म, लयबद्ध कविता

    यथार्थ रूप भाग-४( एक पुकार उस मनस्वी को)

    • Edited 3 years ago
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    • 135
    • 9 Mins Read

    एक पुकार उस मनस्वी को
    जो दौड़ रहा है
    और दौड़ते जा रहा है।

    निराशा हो या डर
    कमजोरी हो या ताकत
    खुशी को पाने की जिद हो
    या दुख से भागने की आदत;
    यह वह निर्णय हैं
    जो सच से झूठ की ओर ले जाते हैं।
    लेकिन हां, कभी-कभी
    सच
    Read More

    यथार्थ रूप भाग-४( एक पुकार उस मनस्वी को),<span>नज़्म</span>, <span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितादोहा

    सजाएं हर दिवसवार

    • Edited 3 years ago
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    • 251
    • 4 Mins Read

    होकर अधीर आदमी, चित्त संतुलन खोए
    भांति अग्नि दहक उठे, ज्ञान विस्मृत होए।

    आतुर हैं असुर भय अपि, दुष्ट असत् कुविचार
    करने को प्रलय जगत, यत्न हो सौ हजार।

    क्रोध के उच्च कोटि से, जब शान्ति ढुलक जाए
    नीचे
    Read More

    सजाएं हर दिवसवार,<span>दोहा</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    चैतन्यपूर्ण

    शिवम राव मणि3 years ago

    धन्यवाद

    कविताअतुकांत कविता

    अन्तः परिचय

    • Edited 3 years ago
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    • 166
    • 3 Mins Read

    निरन्तर गहरे,
    एक अन्धक सफर में
    मैंने एक रोशनी को पहचाना है
    जो झिलमिलाती हुई
    बहुत दूर, या नज़दीक मेरे
    कहां है?
    मुझे यह मालूम नहीं
    मगर मेरे और उसके बीच की दूरी
    महज़ कुछ अंको का हिसाब नहीं है
    बल्कि ,
    मैं
    Read More

    अन्तः परिचय,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कवितादोहा

    यही है रत्नागर

    • Edited 3 years ago
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    • 142
    • 5 Mins Read

    ठीक ठीक ही बोलिये, बोलिये ना अशुद्ध,
    हिंदी के अस्तित्व पर, चलो छेड़ें युद्ध।

    ऊपर को बिंदी एकल, ह-द के मध्य लगाए,
    मात्रा भी ई स्वर की, इधर उधर इठलाए।

    हिस्सा है संस्कृत का, यह पाठ ना भूलिए,
    मिलाकर शब्द
    Read More

    यही है रत्नागर,<span>दोहा</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    चैतन्यपूर्ण

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया सर

    Vinay Kumar Gautam

    Vinay Kumar Gautam 3 years ago

    बहुत शानदार

    शिवम राव मणि3 years ago

    धन्यवाद आदरणीय

    कहानीव्यंग्य

    लालाजी की दुकान (मोक्स या मास्क)

    • Edited 3 years ago
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    • 135
    • 12 Mins Read

    शिवम राव मणि
    कहानी

    मेरे ज्ञान चक्षु उस वक्त डगमगा ग‌ए जब मैंने एक शब्द सुना ‘ मोक्स’।यह मास्क से मिलता-जुलता तो है लेकिन लगा नहीं। मुझे लगा मास्क और मोक्स में अन्तर तो होगा ही।
    एक बेढंगा
    Read More

    लालाजी की दुकान (मोक्स या मास्क),<span>व्यंग्य</span>
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    कवितागजल

    कहीं आदत वो कभी आफत हो

    • Edited 3 years ago
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    • 117
    • 2 Mins Read

    बहर-122 22 122 22

    कहीं आदत वो, कभी आफत हो
    कि तुम्हें देंखे, कि ये शरारत हो

    फ़ज़ल थी शामें, डुबे अर्क जैसे
    चल और कहीं फिर कहीं नौबत हो

    दिल के तासीर पर क्या फर्क क्या है
    तबाह-सी यूं ही, रखी मूरत हो

    बढ़े थे जब सुर्ख
    Read More

    कहीं आदत वो कभी आफत हो,<span>गजल</span>
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    SHAKTI RAO MANI

    SHAKTI RAO MANI 3 years ago

    ख़ूब

    कवितालयबद्ध कविता

    ललायित हूं मैं

    • Edited 3 years ago
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    • 146
    • 4 Mins Read

    कलियो से जो फूल खिले
    उसे तोड़ने के लिए, लालायित हूँ मै
    पन्ने उधेड़ दिए है जो किताबो से मैने
    उसमे कुछ छिपाकर लिखने के लिए , लालायित हूँ मै

    ख्वाबों की मिट्टी जो खोदी है मैने
    उसमे कुछ यादे बोने के लिए,
    Read More

    ललायित हूं मैं,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    SHAKTI RAO MANI

    SHAKTI RAO MANI 3 years ago

    बहुत सुंदर भाई

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    सुन्दर रचना..! वैसे शायद' लालायित और आलिंगन' '' सही शब्द हैं

    शिवम राव मणि3 years ago

    जी शुक्रिया

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत सुंदर रचना

    शिवम राव मणि3 years ago

    धन्यवाद आपका

    कहानीहास्य व्यंग्य, व्यंग्य

    लाल सफेद बस एंड द लास्ट सीट

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 201
    • 18 Mins Read

    बीच जंगल में यात्रियों से भरी बस अचानक रुक जाती है। थोड़ा वक्त गुजरने पर भी बस नहीं चल पाती। सभी यात्री परेशान होकर धीरे-धीरे बस से उतरने लगे। कुछ देर और इंतजार के बाद भी बस स्टार्ट नहीं हुई। सभी
    Read More

    लाल सफेद बस एंड द लास्ट सीट,<span>हास्य व्यंग्य</span>, <span>व्यंग्य</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    हाहा बस ने अच्छी exversize कर दी सबकी

    शिवम राव मणि3 years ago

    जी बिल्कुल सही

    कविताअतुकांत कविता

    कभी गौर से देखा नहीं

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 146
    • 4 Mins Read

    कभी गौर से देखा नहीं
    उन सड़कों पे वापस लौटकर
    जहां से रोज गुजरते थे
    घरौंदे से तालीम को लेने
    और तालीम को बोझा में भर
    जब वापिस लौटते
    तो कभी – कभार अकेले हुआ करते थे
    तब आंखे खोलकर चलते हुए ख्वाबों को देखना
    और
    Read More

    कभी गौर से देखा नहीं,<span>अतुकांत कविता</span>
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    Poonam Bagadia

    Poonam Bagadia 3 years ago

    बढ़िया...

    शिवम राव मणि3 years ago

    जी शुक्रिया

    कवितालयबद्ध कविता

    थमी-थमी सी जिंदगी

    • Edited 3 years ago
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    • 172
    • 2 Mins Read

    थमी-थमी सी ज़िन्दगी में
    सब कुछ थम जाता है
    चाहे वो दरिया हो,
    वो भी ठहर जाता है
    सांसें धड़कनों के साथ होकर भी, थम जाती है
    धड़कने खूब धड़क कर भी,
    अनजान रह जाती है
    आंखें सब कुछ देखती हुई जमी रहती है
    ज़ुबां
    Read More

    थमी-थमी सी जिंदगी,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Bnl Das

    Bnl Das 3 years ago

    बहुत ही बढियां कविता की सृजन हुई है।

    Madhu Andhiwal

    Madhu Andhiwal 3 years ago

    सकारात्मक

    शिवम राव मणि3 years ago

    धन्यवाद

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत खूब सुबह की सुरुआत एक पॉजिटिव रचना के साथ होना वाकई अच्छा है।

    शिवम राव मणि3 years ago

    जी बिल्कुल

    कवितानज़्म, छंद

    सोचता हूं कि क्या लिखूं

    • Edited 3 years ago
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    • 252
    • 4 Mins Read

    सोचता हूं कि क्या लिखूं?
    कोई अल्फ़ाज़ या दास्तान लिखूं।
    पढ़ा कोई किस्सा लिखूं
    या सुना हुआ फरिश्ता लिखूं
    कि महसूस होता हर एहसास लिखूं
    या पल पल का अंदाज़ लिखूं
    लिखूं के जमाने से कोई तजुर्बा
    या अपना
    Read More

    सोचता हूं कि क्या लिखूं,<span>नज़्म</span>, <span>छंद</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    लाजवाब

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत सुंदर रचना

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया आपका

    कविताअतुकांत कविता

    ऐ! मेरे साए

    • Edited 3 years ago
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    • 169
    • 2 Mins Read

    ऐ! मेरे साए
    तू किसको साया देता है?
    कभी तन को छोड़
    कभी मुझसे लिपट
    खोए मुझमे इस तरह
    सन्ध्या की ललित
    एहसास भी है अब कुछ छुअन का
    किरणें झलकाती मेरी आकृति

    आकृति की विवश मायूसी
    छोड़े जब जग का मोह
    प्राण का
    Read More

    ऐ! मेरे साए,<span>अतुकांत कविता</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    चैतन्यपूर्ण

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया सर

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    बहुत खूब

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    bahut sundar

    शिवम राव मणि3 years ago

    जी धन्यवाद आपका

    SHAKTI RAO MANI

    SHAKTI RAO MANI 3 years ago

    मस्त भाई जी

    शिवम राव मणि3 years ago

    धन्यवाद भाई जी

    कवितागजल

    एक बात मैं और कहूं क्या?

    • Edited 3 years ago
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    • 347
    • 2 Mins Read

    एक बात मैं ओर कहूं क्या ?
    मन मैं गूंजा शोर कहूं क्या ?

    चुपके से बैठा वो अन्दर
    हाल उसका कमजोर कहूं क्या?

    कितनी ही बात छुपाये है
    दिल का उसे चोर कहूं क्या?

    हालात पे रोया करता है
    क्या ये भी जोर जोर कहूं क्या?

    बेदम
    Read More

    एक बात मैं और कहूं क्या?,<span>गजल</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    लाजवाब

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    bahut khub

    शिवम राव मणि3 years ago

    धन्यवाद आपका मेरा मनोबल बढ़ाने के लिए तहे दिल से शुक्रिया

    कविताअतुकांत कविता

    यथार्थ रूप भाग-३

    • Edited 3 years ago
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    • 185
    • 2 Mins Read

    मन को संकुचित कर,
    अपनी आवश्यकताओं को
    एक बीज की भाँती
    ह्रदय में दबाकर
    स्वार्थभाव से विहीन होते हुए,
    प्रकाश के समरूप
    एक उद्धृत स्वभाव
    जब विपदाओं में घिरकर
    प्रगति के अवसर ढूंढता है,
    तो एक उम्मीद,
    बदलाव
    Read More

    यथार्थ रूप भाग-३,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कवितानज़्म

    उठो तुम

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 285
    • 3 Mins Read

    उठो, उठो तुम
    ओ! अघात हुए मन
    उठो तुम

    हाँ माना संकट तो है
    तुम चोटिल भी हो चुके हो
    निराशा से उदास भी हो
    और कोशिशों से हार चुके हो
    मगर, उम्मीदों को टूटने ना दो
    खुद को झुकने ना दो
    उन चिंताओं के आगे
    जो तुम्हें
    Read More

    उठो तुम,<span>नज़्म</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    चैतन्यपूर्ण

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    चैतन्यपूर्ण

    शिवम राव मणि3 years ago

    धन्यवाद आदरणीय

    shubham sharma (पाठक)

    shubham sharma (पाठक) 3 years ago

    बहुत अच्छी रचना है सूंदर प्रेरणा......ओ आघात हुए मन utho

    शिवम राव मणि3 years ago

    आभार आपका

    कवितागजल

    हैरत नहीं कि अब जान बेहतर है

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 213
    • 3 Mins Read

    हैरत नहीं की अब जान बेहतर है
    मुझसे हुआ यह गुमान बेहतर है

    अदा की है ज़नाब कीमतें बहुत ही
    यूं ही नही आज ईमान बेहतर है

    जो हुआ तो हुआ अब कहकर भी क्या
    खामोश है मगर दास्तान बेहतर है

    ठहर कर उदासी फिर चली
    Read More

    हैरत नहीं कि अब जान बेहतर है,<span>गजल</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    वाह वाह

    शिवम राव मणि3 years ago

    धन्यवाद आपका

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    वाह वाह

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    बहुत खूब

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    वाह

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया

    कवितागजल

    है खोफ मंजर फैला हुआ

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 182
    • 2 Mins Read

    है खोफ मंजर फैला हुआ
    डर का साया बिखरा हुआ

    सूनी पड़ी सड़कें और गालियां
    मातम ये कैसा छाया हुआ

    जीने की ये क्या रीत हुई
    नकाब ओढ़े चेहरा हुआ

    रहने लगे है अब दूर-दूर
    किनारो की तरह दायरा हुआ

    बेबस हुआ है
    Read More

    है खोफ मंजर फैला हुआ,<span>गजल</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    यथार्थ रूप भाग-२

    • Edited 3 years ago
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    • 376
    • 3 Mins Read

    निश्छलता को जन्म देती हुई
    जब एक आस
    मन में ठहरती है
    तो चिंताओं के उष्ण में जलते हुए
    वह धूं-धूं करती
    दुविधाओं में तपकर
    तामस की तरह अभेद हो जाती है।
    तब एक अद्वितीय व ईश्वरीय तरंग
    कृष्ण रूपी चित्त को
    Read More

    यथार्थ रूप भाग-२,<span>अतुकांत कविता</span>
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    Rashmi Sharma

    Rashmi Sharma 3 years ago

    बहुत खूब

    Kumar Sandeep

    Kumar Sandeep 3 years ago

    आपकी हर रचना उम्दा होती हैं

    शिवम राव मणि3 years ago

    आपका शुक्रिया

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    आपकी सभी रचना हृदय को छू लेती हैं। बहुत सुंदर लिखते हैं आप 👌🏻

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया मेम

    Madhu Andhiwal

    Madhu Andhiwal 3 years ago

    बहुत सुन्दर

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    Bhaavpurna Panktiyaan..!

    शिवम राव मणि3 years ago

    धन्यवाद सर

    Gita Parihar

    Gita Parihar 3 years ago

    'तमस की तरह अभेद्य','उस जगह पहुंचना जहां किसी तरह का भेदभाव न रह जाए' बहुत सुंदर पंक्तियां!

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया आपका

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    निःशब्द कर दिया

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    अद्भुत

    शिवम राव मणि3 years ago

    धन्यवाद सर

    Bhawna Sagar Batra

    Bhawna Sagar Batra 3 years ago

    बहुत सुंदर ।

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया आपका

    Anujeet Iqbal

    Anujeet Iqbal 3 years ago

    अच्छा लगा

    शिवम राव मणि3 years ago

    आभार आपका

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    चैतन्यपूर्ण

    शिवम राव मणि3 years ago

    जी, आभार आपका

    कवितागजल

    वो जो रह गई उन बातों का क्या?

    • Edited 3 years ago
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    • 179
    • 3 Mins Read

    वो जो रह गई उन बातों का क्या ?
    कहे कुछ और कुछ ख्यालों का क्या ?

    वजह वो न थी जो बस कह गये
    जो अभी भी है उन वजहों का क्या?

    दूर है एहसास और पास भी
    कभी-कभी मगर इन यादों का क्या?

    ढूढ़ेगे ज़रूर अपनी भी ग़लतियाँ
    गलत-सही
    Read More

    वो जो रह गई उन बातों का क्या?,<span>गजल</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत खूब

    शिवम राव मणि3 years ago

    धन्यवाद आपका

    कविताअतुकांत कविता

    यथार्थ रूप

    • Edited 3 years ago
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    • 246
    • 3 Mins Read

    चरित्र का व्याख्यान
    ना तो व्यग्र, ना ही सूझ-बूझ
    और ना ही ह्रदय की कोमलता कर सकती हैं
    जबकि व्यवहारिक तौर पर
    अस्तित्व का ज्ञान
    किसी के स्वभाव को अधूरा ही समझा पाता है।
    फलतः एक ऐसी स्थिति
    जब मन अन्धक
    Read More

    यथार्थ रूप,<span>अतुकांत कविता</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    निःशब्द कर दिया

    शिवम राव मणि3 years ago

    सहृदय आभार आपका

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत खूब

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया