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Sahitya Arpan - अजय मौर्य ‘बाबू’

कविताअन्य

मंजूर न था

  • Edited 2 years ago
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  • 71
  • 2 Mins Read

तुमसे दूर होना मंजूर न था
यूं नाकाम होना मंजूर न था

लड़कर जमाने से चाहा था तुम्हें
फिर बर्बाद होना मंजूर न था

हम जानते हैं कसम तुम्हें भी थी
बदलने का दिखावा मंजूर न था

दरवाजा खोला मेज पर चाय रखी
बुलाने
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 मंजूर न था,<span>अन्य</span>
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कविताअन्य

तुम्हारी सादगी

  • Edited 2 years ago
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  • 147
  • 2 Mins Read

तुम्हारी सादगी ने इस कदर दीवाना बनाया
सुनार से एक पाजेब खरीदकर ले आया

ये हीरे, ये जेवरात फीके हैं तुम्हारे आगे
मनिहार से बिंदी, सिंदूर खरीदकर ले आया

दुप्पटा भी अच्छा है पर पल्लू की बात अलग
तुम्हारे
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तुम्हारी सादगी,<span>अन्य</span>
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कविताअन्य

आस में हूं

  • Edited 2 years ago
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  • 62
  • 2 Mins Read

सबेरा होगा इस आस में हूं
नहीं कोई संदेह विश्वास में हूं

अंधेरों से घिरा रहा बेशक अब तक
उजालों के लेकिन बहुत पास में हूं

जिंदगी में रही मुश्किलें बहुत
मुश्किलों के बीच उल्लास में हूं

बंदिशों
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आस में हूं,<span>अन्य</span>
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कविताअन्य

याद आती हो तुम .....

  • Edited 2 years ago
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  • 77
  • 3 Mins Read

सुबह नहाकर खिड़की के करीब
बाल सुखाती
याद आती हो तुम .....

माथे पर सुर्ख बिंदी मांग में मेरे नाम का
सिंदूर लगाती
याद आती हो तुम .....

नित सांझ-सबेरे नियम से पूजन-अर्चन
घर को स्वर्ग बनाती
याद आती हो
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याद आती हो तुम .....,<span>अन्य</span>
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कविताअन्य

लोग बदल जाते हैं

  • Edited 2 years ago
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  • 124
  • 2 Mins Read

समय बदलता है तो लोग बदल जाते हैं
इंसान नहीं रहते वो मौसम नजर आते हैं

शिकवा-शिकायत कैसी जमाने का दस्तूर है
लहलहाते पेड़ के नीचे छांव ढूंढने जाते हैं

हैसियत जरा कम क्या हुई अपनी यारों
पल-पल औकात
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लोग बदल जाते हैं,<span>अन्य</span>
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कविताअन्य

सियासत....

  • Edited 3 years ago
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  • 61
  • 2 Mins Read

सियासत....

ये जो एक-दूसरे पर आरोप लगाते हैं
सियासत है, मुद्दे से ध्यान भटकाते हैं।

इनके कहे पर भरोसा न कर लेना कभी
अमीरी का ख्याब दिखा, गरीबों को हटाते हैं।

पांच बरस पहले आए थे एक दिन
बस्ती वाले आज
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सियासत....,<span>अन्य</span>
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कविताअन्य

बवाल....

  • Edited 3 years ago
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  • 167
  • 2 Mins Read

बवाल....

क्या बताऊं कि उसने क्या सवाल किया है
बात करती न करने देती बस मिसकॉल किया है।

कुछ कहा तो नहीं उसने बस हाथ पकड़ लिया
भरी महफिल इस तरह उसने बवाल किया है।

आते-जाते यहां-वहां से देखती रहती है मुझे
बदनाम
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 बवाल....,<span>अन्य</span>
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कवितालयबद्ध कविता

बसंत

  • Edited 3 years ago
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  • 91
  • 3 Mins Read

बसंत

मेरे मन के आंगन में
सुधि चंद्रप्रभा है फैली
तन सिहर सिहर जाता
यह कैसी दशा है मेरी।

लखकर भी खोज न पाता
प्रकृति की यह कैसी माया
क्यों मन में उतर ही आई
जीवन दर्शन की ऐसी छाया।

मन की आंखों में
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बसंत ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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कवितालयबद्ध कविता

वीणावादिनी

  • Edited 3 years ago
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  • 186
  • 3 Mins Read

वीणावादिनी

वीणावादिनी, हंसवाहिनी
ये तुम्हारे ही तो नाम हैं
विद्या की देवी हे सरस्वती
तुम्हें हम सभी का प्रमाण है।

तुम सहज सम्भाव हो
तुम सृजन और काव्य हो
तुम विश्व वीणावादिनी
हम छंद और विराम
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वीणावादिनी ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 3 years ago

प्रणाम मां सरस्वती जी को, बहुत अच्छी रचना

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

naman maa saraswati ko 🙏🏻

कवितागजल

राहत हो जाए,

  • Edited 3 years ago
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  • 200
  • 3 Mins Read

सरकार करो कुछ ऐसा राहत हो जाए,
गरीबों की सुनने की तुम्हें आदत हो जाए।

तुम्हारे अहसान तले दबकर जीते रहेंगे हम,
कहीं ऐसा न हो कि जमानत जब्त हो जाए।

कभी तुम्हारे लिए उठे हाथ, दुआएं मांगी थी,
बद्दुआ
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 राहत हो जाए,,<span>गजल</span>
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कविताअतुकांत कविता

संवेदना...

  • Edited 3 years ago
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  • 95
  • 2 Mins Read

संवेदना...

अपनों की दुत्कारी
एक वृद्धा
दो दिन से पड़ी थी
सड़क किनारे।
ठंड से कांपती, खांसती
नाली की बदबू
कचरे के ढेर
और मच्छरों के बीच।
राहगीर आते-जाते देखते
नाक-भौंह सिकोड़ते
मुंह बनाते निकल जाते।
बच्चे
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संवेदना...,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

संवेदना...

  • Edited 3 years ago
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  • 137
  • 2 Mins Read

संवेदना...

मानवीय संवेदनाओं को
अपनी अतृप्त लेखनी से
व्यक्त कर समेटता हूं
ढेर सारी शाबाशी
खुश होता हूं
पाकर प्रशस्ति-पत्र
गड़गड़ाहट सुन तालियों की
प्रफुल्लित होता हूं
लेकिन
कोई नहीं सोचता
सोता
Read More

संवेदना...,<span>अतुकांत कविता</span>
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कवितागजल

राहत हो जाए

  • Edited 3 years ago
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  • 78
  • 3 Mins Read

सरकार करो कुछ ऐसा राहत हो जाए,
गरीबों की सुनने की तुम्हें आदत हो जाए।

तुम्हारे अहसान तले दबकर जीते रहेंगे हम,
कहीं ऐसा न हो कि जमानत जब्त हो जाए।

कभी तुम्हारे लिए उठे हाथ, दुआएं मांगी थी,
बद्दुआ
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राहत हो जाए,<span>गजल</span>
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कविताअतुकांत कविता

मासूम गांव.....

  • Edited 3 years ago
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  • 177
  • 2 Mins Read

मासूम गांव.....

कुछ लोग निकले थे गांव से
बड़ा आदमी बनने
आज अता-पता नहीं है उनका
गांव तो वहीं है पहले से बड़ा
काफी बड़ा
कहीं जाए बिना

उन्हें आज भी लौटना गंवारा नहीं
जो कल रहना नहीं चाहते थे गांव में
गांव
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मासूम गांव.....,<span>अतुकांत कविता</span>
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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

बहुत बढ़िया सर

कविताअतुकांत कविता

वेदना...

  • Edited 3 years ago
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  • 95
  • 2 Mins Read

वेदना...

मानवीय संवेदनाओं को
अपनी अतृप्त लेखनी से
व्यक्त कर समेटता हूं
ढेर सारी शाबाशी
खुश होता हूं
पाकर प्रशस्ति-पत्र
गड़गड़ाहट सुन तालियों की
प्रफुल्लित होता हूं
लेकिन
कोई नहीं सोचता
सोता
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वेदना...,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

कलुआ....

  • Edited 3 years ago
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  • 98
  • 2 Mins Read

कलुआ....

कल कलुआ पर लिखी कविता
आज छपी थी जिस अखबार में
दिनभर की थकान मिटाने के लिए
दो पैक पीने के बाद
खाने वाले चने बंधे थे
कलुआ के हाथ में उसी अखबार में
क्षितिज के पार तक
कोई संबंध नहीं था कलुआ का
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कलुआ....,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

नई सुबह

  • Edited 3 years ago
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  • 155
  • 2 Mins Read

नई सुबह

जिंदगी डूब रही है
सांझ की बेला की तरह
उदास अनमनी सी
मैं स्वयं को अकेला पाता हूं
दर्द की सीमा रेखा बन जाता हूं
ढ़ूंढ़ता हूं खुशियों के काफिले
और
अपने अस्तित्व की परछाई
मैं स्वयं को ढ़ूंढ़ रहा
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नई सुबह ,<span>अतुकांत कविता</span>
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शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 3 years ago

बिलकुल सर

कविताअतुकांत कविता

पेड़ से बात.....

  • Edited 3 years ago
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  • 101
  • 3 Mins Read

पेड़ से बात.....

ऐ पेड़ सुनो
तुम क्यों हो
हमारे स्वभाव से ज्यादा अच्छे
तुम निर्मल क्यों हो
हमारे विचारों से ज्यादा
तुम्हारी ऊंचाई
हमारी स्वनिर्मित ख्याति से ज्यादा है
इसलिए हम मानते हैं
अपने ही जे.सी.बोस
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पेड़ से बात.....,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

सबसे बड़ी मां....

  • Edited 3 years ago
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  • 161
  • 2 Mins Read

सबसे बड़ी मां....

अपने
प्रथम प्रयास से आज तक
मां पर लिखी
सामान्य से सुंदर
छोटी से बड़ी कविताएं सभी
जब कभी भी गुनगुनाता हूं
मां को बड़ी
कविता को छोटी पाता हूं।
मां का यह रहस्य
समझ नहीं पाता हूं
न तो मां
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सबसे बड़ी मां.... ,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

आदमी की मौत मरा कुत्ता

  • Edited 3 years ago
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  • 181
  • 4 Mins Read

कुछ दिनों पहले
एक कुत्ते को
नेता बनने का शौक चढ़ गया
यकीन मानो
चंद दिनों में वह
आम आदमी की मौत मर गया।
मामले की सूक्ष्म जांच के लिए
जंगली राज के तोते की सिफारिश हुई
जांच में वहज मौत की जो सबके आई
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आदमी की मौत मरा कुत्ता ,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअन्य

आंदोलन

  • Edited 3 years ago
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  • 133
  • 3 Mins Read

आंदोलन

सुना था सन् 1947 से पहले
आंदोलनकारियों को पिटवाया जाता था
आज भी मारा/पीटा जाता है.
जनता की आवाज कल नहीं सुनी जाती थी
आज भी नहीं सुनी जाती है.
कानून कल भी बनाए जाते थे
आज भी बनाए जाते हैं.
कल सख्ती
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आंदोलन ,<span>अन्य</span>
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कविताअन्य

भय

  • Edited 3 years ago
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  • 124
  • 2 Mins Read

क्या आबरू ऐसे ही लूटी जाएगी
हुक्मरानों को शर्म न आएगी।

थाना, अदालत, बयान, सबूत, गवाह
जिंदगी चक्कर लगाने में गुजर जाएगी।

सजा तो सिर्फ सुनने-सुनाने के लिए होगी
फांसी में जाति-धर्म, राजनीति आड़े आएगी।
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भय  ,<span>अन्य</span>
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कविताअन्य

दर्द छुपाता रहा.....

  • Edited 3 years ago
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  • 179
  • 2 Mins Read

दर्द छुपाता रहा.....

दर्द को अपने छुपाता रहा,
सभी के सामने मुस्कराता रहा।

रात के बाद आती है सुबह,
मन को धीरज बंधाता रहा।

अधरों से जो कह न पाया,
गीत वहीं गुनगुनाता रहा।

पल दो पल का है जीवन,
बस फर्ज
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दर्द छुपाता रहा..... ,<span>अन्य</span>
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कवितागजल

सरकार

  • Edited 3 years ago
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  • 71
  • 2 Mins Read

बादल झील पर बरसते हैं,
सूखे खेत पानी को तरसते हैं।

युवा पीढ़ी बेजार-बेकार है,
यह बुजुर्गों की सरकार है।

किसान कुपोषण का शिकार है,
नेता गेस्ट्रो का बीमार है।

मजदूर काम से बेजार है,
अपराधी घूमते-फिरते
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सरकार,<span>गजल</span>
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शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 3 years ago

बढ़िया बात। सर यह तो छंद कविता लग रही है

कवितागजल

खुद ही देखिए,

  • Edited 3 years ago
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  • 120
  • 3 Mins Read

कितने बदल गए हालात खुद ही देखिए,
हुक्मरान हुए सड़क छाप खुद ही देखिए।

उसूलों की फ्रिक न कायदों की चिंता,
संविधान बना मजाक खुद ही देखिए।

घर अपना भरकर उपदेश दे रहे,
खद्दरधारी संत यहां खुद ही देखिए।

भूख
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खुद ही देखिए, ,<span>गजल</span>
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Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

बहुत सही

कविताअन्य

कहिए 2020 को अलविदा

  • Edited 3 years ago
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  • 163
  • 4 Mins Read

ऐ विदा लेते हुए साल
तेरे जैसे न हम सताएंगे,
याद रखना नहीं चाहते
लेकिन भूल न पाएंगे।

स्वागत तूने खूब कराया
दो महीने बाद सताया,
पूरे विश्व में किया अंधेरा
लाशों का फिर ढेर लगाया।

आगे तुझसे हम ही
Read More

कहिए 2020 को अलविदा ,<span>अन्य</span>
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कविताअन्य

तुझको भूल न पाएं....

  • Edited 3 years ago
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  • 68
  • 4 Mins Read

ऐ विदा लेते हुए साल
तेरे जैसे न हम सताएंगे,
याद रखना नहीं चाहते
लेकिन भूल न पाएंगे।

स्वागत तूने खूब कराया
दो महीने बाद सताया,
पूरे विश्व में किया अंधेरा
लाशों का फिर ढेर लगाया।

आगे तुझसे हम ही
Read More

तुझको भूल न पाएं....,<span>अन्य</span>
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कविताअन्य

धोका

  • Edited 3 years ago
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  • 73
  • 2 Mins Read

धोका

ये सूरज हैं तुमको जुगनू बनाए रखेंगे
माफ करेंगे और कर्जा बनाए रखेंगे।

सहते रहना सितम पीढ़ी-दर-पीढ़ी
साहब तुमको हमेशा गुलाम बनाए रखेंगे।

रोटी का लालच देंगे काम का झांसा
रैली, सभा, आंदोलनों
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धोका ,<span>अन्य</span>
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कवितागजल

लॉकडाउन

  • Edited 3 years ago
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  • 111
  • 2 Mins Read

लॉकडाउन
साहेब देखो बेखबर
हर शख्स यहां दर-बदर।

मीलों पैदल जाना है
तब पहुंचेंगे अपने घर।

हाथ खाली पैर में छाले
पसीने से तर-बतर।

आगे कैसे गुजरेगी
बताने कोई मिले रहबर

लाखों चल पड़े उस रस्ते
जो न उनका
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लॉकडाउन ,<span>गजल</span>
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कवितागजल

कोरोना का दर्द

  • Edited 3 years ago
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  • 142
  • 3 Mins Read

कोरोना का दर्द
दिन पर दिन, रात पर रात भारी है
इस वर्ष का हर पल लोगों पर भारी है।

सैकड़ों वर्षों की मेहनत जैसे मिट्टी हो गई
व्यक्ति पर सृष्टि की शक्ति आज भी भारी है।

डूबती आशा थी और स्वप्न कई टूट गई
आंखें
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कोरोना का दर्द ,<span>गजल</span>
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कविताअतुकांत कविता

तुम्हारा प्यार.....

  • Edited 3 years ago
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  • 90
  • 2 Mins Read

तुम्हारा प्यार.....

तुम्हारे मधुमय प्यार से उपजे
अक्षर
शब्द
वाक्य
गूंज रहे हैं
आज भी यादों में
संचित है आज भी
आंखों में
तुम्हारी मोहक मुस्कान
निधि बन
धरोहर सी
क्या कभी
इस अनुपम प्यार का प्रतिदान
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तुम्हारा प्यार..... ,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

खुशफहमी.....

  • Edited 3 years ago
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  • 199
  • 2 Mins Read

खुशफहमी.....

रात को बिस्तर पर
अकेला होता हूं
एक सन्नाटा उभरता है
तुम्हारे बोलों की तरह
हवा फुसफुसाती है
बजा के सांकल
हवा खिलखिलाती है
छूकर पैर के तलवे
हवा मुस्कराती है
ऐसे में जागता हूं
और
तुम्हारे
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खुशफहमी..... ,<span>अतुकांत कविता</span>
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शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 3 years ago

वाह क्या बात है

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

बहुत खूब सर

कविताअतुकांत कविता

हर्षित....

  • Edited 3 years ago
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  • 106
  • 2 Mins Read

हर्षित....

पता नहीं कितनी आकांक्षाएं
कितने स्वप्न अपने में ही
सिमट कर रह गए
पता नहीं क्या है
जो कांटे सा चुभता है
सोने नहीं देता रात भर
एकांत बन जाता है
जिंदगी का सिलसिला
विवशता बनती है
जिंदगी
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हर्षित....,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

ख्वाहिश.....

  • Edited 3 years ago
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  • 130
  • 1 Mins Read

ख्वाहिश.....

मेरे शब्द तो
बार-बार मुस्कराना चाहते हैं
तुम्हारे अधरों पर
पर मैं जानता हूं
यह कभी नहीं होगा
शायद इसलिए मैं चाहता हूं
नागफनी, बबूल और
कांटे दर कांटे......
अजय बाबू मौर्य ‘आवारा’

ख्वाहिश.....,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

तस्वीर....

  • Edited 3 years ago
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  • 77
  • 2 Mins Read

तस्वीर....

मैंने कभी सोचा नहीं
तुम कोमल हो या सुकोमल
मैंने तो
अनुभव किए
तुम्हारे अंतर्मन के रंग
और
उनकी तरल संगीतमयता
इसलिए मैं नहीं चाहता
जिस्म के कैनवास पर
कोई तस्वीर बनाना
तुम्हें दिल के कैनवास
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तस्वीर.... ,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

आत्मविश्वास.....

  • Edited 3 years ago
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  • 84
  • 4 Mins Read

आत्मविश्वास.....

जब जब देखा तुम्हें
महसूस किया
तुम्हारे शरीर पर लगे
हरेक जख्म का दर्द।
ये दिल तुम्हारे लिए दुआ करता है
और चाहता है
उन्मुक्त गनन में विचरण करो तुम।
फिर नहीं होगी पीड़ा
उस जानवर की
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आत्मविश्वास.....,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

सिसकियां.....

  • Edited 3 years ago
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  • 108
  • 2 Mins Read

सिसकियां.....

खामोश सिसकियां
सुन लेता हूं पर
कहता नहीं ।
भरोसा नहीं है कि
तुम अपना समझते होगे।
यकीन मानो
जिन दिन यकीन हो जाएगा,
कि तुम्हें यकीन है मुझ पर
उस दिन
पुरानी सिसकियों से छुड़ा लूंगा
नई सिसकियों
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सिसकियां.....,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअन्य

पढ़े चलो, पढ़े चलो.....

  • Edited 3 years ago
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  • 114
  • 2 Mins Read

पढ़े चलो, पढ़े चलो.....

लूट लो खसोट लो
जो मिले समेट लो,
राह में जो मिले
गर्दनों को ऐंठ लो।

वर्तमान दमक रहा
जो मिले बटोर लो,
नीति की जो बात करे
उसको बस नकेल दो।

महान लोकतंत्र में
लोक को लपेट लो,
राह में
Read More

पढ़े चलो, पढ़े चलो.....,<span>अन्य</span>
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कविताअतुकांत कविता

अंतिम प्यार.....

  • Edited 3 years ago
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  • 169
  • 2 Mins Read

अंतिम प्यार.....
समय की मोटी परत
जम गई है हमारे संबंधों पर
किंतु वे अनुभव
कभी नहीं भुला पाया
जो लगाव और व्याकुलता में
मैंने तुमसे ही पाए हैं
मेरा दिल फिर वैसा ही धड़का
तब तुम मेरे सामने आई
किंतु इस
Read More

अंतिम प्यार.....,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

तुम्हारा अहसास.....

  • Edited 3 years ago
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  • 167
  • 2 Mins Read

तुम्हारा अहसास.....
मेरे मन मस्तिष्क में
आज तक अंकित है
तुमसे प्रथम मिलन की छवि
मुझको
अहसास कराती है
तुम्हारा
आसपास होने का
तुम्हारा यही अहसास
गर्मी की रातों में सुहानी पुरवाई
और जाड़े के दिनों
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तुम्हारा अहसास.....,<span>अतुकांत कविता</span>
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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

बहुत सुंदर रचना

शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 3 years ago

सर आपका अंदाज़ दिलचस्प है। मैं आपकी और कविताओं को पढ़ना चाहूंगा

अजय मौर्य ‘बाबू’3 years ago

जरूर, जल्द ही कुछ और रचनाएं पढ़िएगा....

कविताअतुकांत कविता

तुम्हारी मुस्कान.....

  • Edited 3 years ago
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  • 107
  • 2 Mins Read

तुम्हारी मुस्कान.....
मेरे जीवन की खुशियों के
चंद पलों में
जुड़ गया है नाम तुम्हारा
मेरे जीवन की
एक याद हो तुम
बंद होठों की
एक बात हो तुम
तुम्हारी मुस्कान मेरी प्रेरणा
और
तुमसे हर्षित है जीवन मेरा....
अजय
Read More

तुम्हारी मुस्कान.....,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

सांवलापन.....

  • Edited 3 years ago
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  • 107
  • 2 Mins Read

सांवलापन.....
तुम्हे याद होगा
उस प्रेम दिवस को
मेरा अपलक तुम्हे निहारना
मैं खो गया था जब
तुम्हारे सांवले मुखड़े में
तुम्हारा सांवलापन
उस प्रेम दिवस से ही
मुझे अच्छा लगने लगा
क्योंकि
चमकते सूर्य
Read More

सांवलापन.....,<span>अतुकांत कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

हमसफर.....

  • Edited 3 years ago
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  • 69
  • 2 Mins Read

हमसफर.....

लगता है मानों कल की बात है
पहली बार मिले थे जब हम
इसी दरम्यान
एक-दूसरे को जाना समझा
रुचियां-विचारधारा
मिलती थी कितनी दोनों की
वही संगीत, वही फिल्में
वही कविता, वही किताबें
हम दोनों को पसंद
Read More

हमसफर..... ,<span>अतुकांत कविता</span>
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कवितागजल

हिचकियां

  • Edited 3 years ago
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  • 130
  • 2 Mins Read

हिचकियां

कल से बंद नहीं हो रही हिचकियां
शायद महसूस नहीं की तुम्हारी सिसकियां

तुमने ही तो कहा था पास नहीं आना
कदर थी प्यार की नहीं बढ़ाई नजदीकियां।

तुम चाहती थी पहले कैरियर बने
दुआ है यही पाओ आसमानी
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हिचकियां,<span>गजल</span>
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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत सुंदर रचना

Kumar Sandeep

Kumar Sandeep 3 years ago

उम्दा रचना

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

बहुत सुंदर रचना है सर

कवितागजल

आवारगी

  • Edited 3 years ago
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  • 134
  • 2 Mins Read

आवारगी

एक रोज इस तरह चला जाऊंगा
देख लेना तुम्हें बहुत याद आऊंगा।

कामयाबी के चर्चे मेरे हो न हों
तुम्हारे नाम की नाकामी छोड़ जाऊंगा।

तुम्हारे इश्क ने आवारा है बनाया मुझको
वसीयत में यही आवारगी
Read More

आवारगी,<span>गजल</span>
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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत अच्छा आप ऐसे ही लिखते रहिये शेयर करते रहिए

अजय मौर्य ‘बाबू’3 years ago

bahut bahut Dhanywad

कविताबाल कविता, अन्य

यादें

  • Edited 3 years ago
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यादें

शामियाने शाम के गहराने लगे हैं
बचपन वाले दिन याद आने लगे हैं
दादी की बातें वो दादा के किस्से
नानी और नाना भी याद आने लगे हैं।

स्कूल से आकर बस्ता फेंकना
घर में झांकना, यहां-वहां देखना
गेंद-बल्ला
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यादें,<span>बाल कविता</span>, <span>अन्य</span>
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कविताअतुकांत कविता

जीत जाएंगे हम....

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जीत जाएंगे हम....

जीत जाएंगे हम....
हे ईश्वर आप साथ हो,
बीमारी को हरा देंगे हम।
आशीष भरा हाथ हो,
मुसीबत से नही डरेंगे हम।
आपकी दी हुई हिम्मत से
जीत जाएंगे हम .........

जब भी आई मुसीबत सब पर
हर बार बचाया आपने
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जीत जाएंगे हम....,<span>अतुकांत कविता</span>
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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

सुंदर