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Sahitya Arpan Competition - संवेदना
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संवेदना

Competition Stats

  • #Entries 14

  • #Likes 6

  • Start Date 06-Feb-21

  • End Date 09-Feb-21

  • Competition Information/Details

    सभी साहित्यिक स्वजनों को सादर नमस्कार...!

    हमारी आज की प्रतियोगिता शब्दाक्षरी है। जिसके अंतर्गत आज का शब्द है...

    "संवेदना"

    तो लिख भेजिये अपने शब्दों से सजा कर हम तक अपनी मन की संवेदनायें अपनी कलम से।

    दिनाँक - 6 फरवरी से 9फरवरी 2021
    विषय - संवेदना
    विधा - मुक्त (किसी भी विधा मे)

    लेखन से सम्बंधित महत्पूर्ण नियम :-
    1. रचनाएं विषयानुसार ही लिखे.. धार्मिक राजनैतिक भावनाओं को आहत करने वाली रचना न हो।
    2. यदि रचना लम्बी है तो आप उसे भाग में विभाजित कर डाल सकते है।
    3. वेबसाइट पर पोस्ट करने के उपरांत अपनी रचना या उसका लिंक सोशल मीडिया पर साझा कर सकते हैं।
    4. रचना पोस्ट करने के लिए एडिटिंग ऑप्शन में इवेंट का चुनाव करना न भूले।
    5. रचना के साथ चित्र कोई भी सलंग्न अवश्य करें।

    आप सबकी रचनाओं का स्वागत एवं इन्तज़ार रहेगा... सार्थक लेखन हेतु अग्रिम शुभकामनाएं....

    भूमिका संयोजन
    पूनम बागड़िया

    धन्यवाद
    साहित्य अर्पण कार्यकारिणी।

    कवितालयबद्ध कविता

    मरती जा रही संवेदना

    • Edited 3 years ago
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    ' मरती जा रही संवेदना '

    अंतर्मन से नेह मिट रही,दिखती नहीं दया करुणा।
    हर हिय हर क्षण रो रहा, मर सी गई है संवेदना।।

    अन्धकार से हर उर अंधित, जोत दिखे न जीवन की।
    प्यासा मृग सा भटके प्राणी, प्यास मुझी न हर
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    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    अतिसुन्दर....

    Ashutosh Tripathi3 years ago

    बहुत बहुत धन्यवाद आपका 🙏🏻🙏🏻

    कविताअतुकांत कविता

    संवेदनाएँ

    • Edited 3 years ago
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    ह्रदय से मर रही हैं
    वे संवेदनाएँ
    जो होती थी
    मानवीय आधार
    पहचान कराती थी कि
    हम मानव है
    श्रेष्ठतम है
    क्षण -क्षण प्रति क्षण
    घटता जा रहा है
    मूल्य मेरे मानवीय ह्रदय का
    घेरे जा रही है मुझे मेरी वेदनाएँ
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    कवितागजल

    संवेदना

    • Edited 3 years ago
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    नमन मंच
    दिनांक ---09/02/२०२१
    वार-- मंगलवार
    विषय-- #संवेदना

    क्यों मानव आज #संवेदना खो रहा है,
    धरा सिसक रही आसमां भी रो रहा है।

    क्या हो गया है ये आज के इंसान को,
    जागती आँखों से भी क्यों सो रहा है।

    वो चीख-पुकार
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    Naresh Gurjar

    Naresh Gurjar 3 years ago

    बहुत खूब

    लेखआलेख

    #6-2-2021 संवेदनशीलता

    • Edited 3 years ago
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    संवेदनशीलता

    संवेदना, ईश्वर प्रदत्त एक बहुत महत्वपूर्ण दैवीय गुण है.
    संवेदनशीलता स्वस्थ समाज के लिए बहुत आवश्यक और महत्वपूर्ण है. दैनिक  जीवन में भी संवेदनशीलता बहुत महत्वपूर्ण है. आपसी सम्बन्ध
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    कहानीसामाजिक, प्रेरणादायक

    संवेदनहीनता

    • Edited 3 years ago
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    साहित्य अर्पण
    विषय:संवेदना
    विधा: मुक्त
    शीर्षक: संवेदनहीनता

    मैं ठीक 10 बजे अपने क्लीनिक पहुंच जाता हूं।10 बजे से 2 बजे मरीजों से मिलने का समय है,मगर 2 बजे उठना कभी नहीं हो पाता,कभी - कभी तो 4 बज जाते हैं।इसलिए
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    bhavpurna Rachna...!

    कविताअतुकांत कविता

    संवेदना

    • Edited 3 years ago
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    संवेदना

    कहीं खोती और धूमिल होती,
    पल-पल मरती संवेदनाएं,
    दुख पीड़ा अत्याचार,
    सर्वत्र फैली वेदनाएं,
    है मनुष्य वही जो अनुभव करे
    किसी के दुख और पीड़ा को,
    वरना क्या रह जाता है जीवन में
    खो के अपनी संवेदना
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    achhee Rachna..!

    Shalini Sharma3 years ago

    धन्यवाद 🙏

    कविताअतुकांत कविता

    अन्तर्मन की पुकार

    • Edited 3 years ago
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    # संवेदना 6 फरवरी 2021
    शब्दाक्षरी प्रतियोगता

    *अन्तर्मन की पुकार*

    दिमाग़ी उपज हैं ये विचार
    ह्रदय में छुपी हैं भावनाएं
    जो कहलाती हैं संवेदनाएँ
    इन्हीं से मानव बने इंसान
    अन्यथा वह है पशु समान
    अंतःकरण
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    अच्छी रचना.

    लेखआलेख

    संवेदना के बदलते रूप

    • Edited 3 years ago
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    #संवेदना के बदलते रूप....

    एक आम सी घटना हो गई। जो आए दिन या फिर कहे 24 घंटे में ना जाने कितने घटना होते ही रहती है।क्योंकि कुछ लोग से जवानी संभालती नहीं, जिसके लिए या फिर कह सकते हैं अपनी मर्दांनगी साबित
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    कवितालयबद्ध कविता

    एक संवेदना

    • Edited 3 years ago
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    एक संवेदना, जो हर किसी को महसूस तो हुई
    पर जेहन में से, क्या हमने उसे
    धीरे-धीरे मिटा भी दिया?

    भूल गई,
    एक रोटी, किसी की थाल को
    एक चादर, किसी की ठिठुरन को
    एक उम्मीद, किसी की मायूसी को
    और एक लाज, किसी के दामन
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    कविताअतुकांत कविता

    संवेदना

    • Edited 3 years ago
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    साहित्य अर्पण एक पहल-अंतरराष्ट्रीय
    प्रतियोगी आयोजन
    विषयः(संवेदन)
    विधाःपद्म(छंदमुक्त)
    दिनांक ःः08/02/2021
    *********************
    सहानुभूति के मनोभाव की,
    प्राकट्य क्रिया इति संवेदना,
    मानवमन अनुभूतिविहीन,
    सुप्त
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    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    बढ़िया

    कविताअतुकांत कविता

    संवेदना *

    • Edited 3 years ago
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    संवेदना
    **********
    जरा मुझे भी सुनो कलमकार,
    तुम क्या पाना चाहते हो?
    तुम्हारी कलम और तुम्हारी अभिव्यक्ति ,
    आईना है तुम्हारी सोच का ।
    वो हर शब्द जो तुम लिखते हो ,
    दर्शाता है तुम्हारा व्यक्तित्व ।

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    Naresh Gurjar

    Naresh Gurjar 3 years ago

    लाजावाब

    Pallavi Rani3 years ago

    बहुत आभार

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत ही सुंदर 👌🏻

    Pallavi Rani3 years ago

    धन्यवाद आदरणीया 🙏

    कविताअतुकांत कविता

    मन की आवाज़

    • Edited 3 years ago
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    औरत के मन की आवाज़
    नहीं सुनाई पड़ सकती है
    उस शख़्स को
    जिसके लिए औरत है महज
    उपयोग की वस्तु।।

    औरत की शख्सियत के संदर्भ में
    नहीं जान सकता है वो शख़्स
    जो छोटी-छोटी बातों पर
    लात घूंसों से जी भर पीटता है
    औरत
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    भावपूर्ण और मर्मस्पर्शी..!

    Kumar Sandeep3 years ago

    धन्यवाद सर

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत ही संवेदनशील रचना है सन्दीप बहुत कठिन विषय पर लिखा है।

    Kumar Sandeep3 years ago

    जी मनःपूर्वक आभार माता श्री

    Kumar Sandeep3 years ago

    जी मनःपूर्वक आभार माता श्री

    कवितानज़्म

    नस नस से गुजरती संवेदनाएँ

    • Edited 3 years ago
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    दीन हीन ,अत्यंत कष्टकारी परिस्थितियां जब मानव चक्षुओं के सामने घटित होती हैं,
    वो झंकझोर देती है मानव ह्रदय को,
    बड़ा तीव्र वेग उत्पन्‍न करती है,
    जैसे घनघोर घटा के छाने पर कड़कती हुई दामिनी सीधा
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    सोभित ठाकरे

    सोभित ठाकरे 3 years ago

    संवेदनशील

    Naresh Gurjar3 years ago

    धन्यवाद।

    कविताअतुकांत कविता

    संवेदना...

    • Edited 3 years ago
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    संवेदना...

    मानवीय संवेदनाओं को
    अपनी अतृप्त लेखनी से
    व्यक्त कर समेटता हूं
    ढेर सारी शाबाशी
    खुश होता हूं
    पाकर प्रशस्ति-पत्र
    गड़गड़ाहट सुन तालियों की
    प्रफुल्लित होता हूं
    लेकिन
    कोई नहीं सोचता
    सोता
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