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Start Date 06-Feb-21
End Date 09-Feb-21
Writer | Rank | Certificate |
---|---|---|
Ashutosh Tripathi | Certificate | |
Dipti Sharma | Certificate | |
अजय मौर्य ‘बाबू’ | Certificate |
Competition Information/Details
सभी साहित्यिक स्वजनों को सादर नमस्कार...!
हमारी आज की प्रतियोगिता शब्दाक्षरी है। जिसके अंतर्गत आज का शब्द है...
"संवेदना"
तो लिख भेजिये अपने शब्दों से सजा कर हम तक अपनी मन की संवेदनायें अपनी कलम से।
दिनाँक - 6 फरवरी से 9फरवरी 2021
विषय - संवेदना
विधा - मुक्त (किसी भी विधा मे)
लेखन से सम्बंधित महत्पूर्ण नियम :-
1. रचनाएं विषयानुसार ही लिखे.. धार्मिक राजनैतिक भावनाओं को आहत करने वाली रचना न हो।
2. यदि रचना लम्बी है तो आप उसे भाग में विभाजित कर डाल सकते है।
3. वेबसाइट पर पोस्ट करने के उपरांत अपनी रचना या उसका लिंक सोशल मीडिया पर साझा कर सकते हैं।
4. रचना पोस्ट करने के लिए एडिटिंग ऑप्शन में इवेंट का चुनाव करना न भूले।
5. रचना के साथ चित्र कोई भी सलंग्न अवश्य करें।
आप सबकी रचनाओं का स्वागत एवं इन्तज़ार रहेगा... सार्थक लेखन हेतु अग्रिम शुभकामनाएं....
भूमिका संयोजन
पूनम बागड़िया
धन्यवाद
साहित्य अर्पण कार्यकारिणी।
कवितालयबद्ध कविता
' मरती जा रही संवेदना '
अंतर्मन से नेह मिट रही,दिखती नहीं दया करुणा।
हर हिय हर क्षण रो रहा, मर सी गई है संवेदना।।
अन्धकार से हर उर अंधित, जोत दिखे न जीवन की।
प्यासा मृग सा भटके प्राणी, प्यास मुझी न हर
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अतिसुन्दर....
बहुत बहुत धन्यवाद आपका 🙏🏻🙏🏻
लेखआलेख
संवेदनशीलता
संवेदना, ईश्वर प्रदत्त एक बहुत महत्वपूर्ण दैवीय गुण है.
संवेदनशीलता स्वस्थ समाज के लिए बहुत आवश्यक और महत्वपूर्ण है. दैनिक जीवन में भी संवेदनशीलता बहुत महत्वपूर्ण है. आपसी सम्बन्ध
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कहानीसामाजिक, प्रेरणादायक
साहित्य अर्पण
विषय:संवेदना
विधा: मुक्त
शीर्षक: संवेदनहीनता
मैं ठीक 10 बजे अपने क्लीनिक पहुंच जाता हूं।10 बजे से 2 बजे मरीजों से मिलने का समय है,मगर 2 बजे उठना कभी नहीं हो पाता,कभी - कभी तो 4 बज जाते हैं।इसलिए
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कविताअतुकांत कविता
# संवेदना 6 फरवरी 2021
शब्दाक्षरी प्रतियोगता
*अन्तर्मन की पुकार*
दिमाग़ी उपज हैं ये विचार
ह्रदय में छुपी हैं भावनाएं
जो कहलाती हैं संवेदनाएँ
इन्हीं से मानव बने इंसान
अन्यथा वह है पशु समान
अंतःकरण
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लेखआलेख
#संवेदना के बदलते रूप....
एक आम सी घटना हो गई। जो आए दिन या फिर कहे 24 घंटे में ना जाने कितने घटना होते ही रहती है।क्योंकि कुछ लोग से जवानी संभालती नहीं, जिसके लिए या फिर कह सकते हैं अपनी मर्दांनगी साबित
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कवितालयबद्ध कविता
एक संवेदना, जो हर किसी को महसूस तो हुई
पर जेहन में से, क्या हमने उसे
धीरे-धीरे मिटा भी दिया?
भूल गई,
एक रोटी, किसी की थाल को
एक चादर, किसी की ठिठुरन को
एक उम्मीद, किसी की मायूसी को
और एक लाज, किसी के दामन
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कविताअतुकांत कविता
औरत के मन की आवाज़
नहीं सुनाई पड़ सकती है
उस शख़्स को
जिसके लिए औरत है महज
उपयोग की वस्तु।।
औरत की शख्सियत के संदर्भ में
नहीं जान सकता है वो शख़्स
जो छोटी-छोटी बातों पर
लात घूंसों से जी भर पीटता है
औरत
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बहुत ही संवेदनशील रचना है सन्दीप बहुत कठिन विषय पर लिखा है।
जी मनःपूर्वक आभार माता श्री
जी मनःपूर्वक आभार माता श्री
कवितानज़्म
दीन हीन ,अत्यंत कष्टकारी परिस्थितियां जब मानव चक्षुओं के सामने घटित होती हैं,
वो झंकझोर देती है मानव ह्रदय को,
बड़ा तीव्र वेग उत्पन्न करती है,
जैसे घनघोर घटा के छाने पर कड़कती हुई दामिनी सीधा
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कविताअतुकांत कविता
संवेदना...
मानवीय संवेदनाओं को
अपनी अतृप्त लेखनी से
व्यक्त कर समेटता हूं
ढेर सारी शाबाशी
खुश होता हूं
पाकर प्रशस्ति-पत्र
गड़गड़ाहट सुन तालियों की
प्रफुल्लित होता हूं
लेकिन
कोई नहीं सोचता
सोता
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