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एक संवेदना - शिवम राव मणि (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

एक संवेदना

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  • 6 Min Read

एक संवेदना, जो हर किसी को महसूस तो हुई
पर जेहन में से, क्या हमने उसे
धीरे-धीरे मिटा भी दिया?

भूल गई,
एक रोटी, किसी की थाल को
एक चादर, किसी की ठिठुरन को
एक उम्मीद, किसी की मायूसी को
और एक लाज, किसी के दामन को
शायद भूल गई या भुला दिया गया
एक संवेदना,......

एक रोशनी, किसी के अंधकार को
एक आवाज़, किसी के अधिकार को
एक नज़र, किसी के अब्सार को
और एक मुस्कुराहट, किसी के अधरों को
शायद भूल गई या भुला दिया गया?
एक संवेदना,......

एक ज़िंदगी, किसी की जान को
एक इंसानियत, किसी की पहचान को
एक मुराद, किसी के अरमान को
और एक सीरत, किसी के ईमान को
शायद भूल गई या भुला दिया गया?
एक संवेदना,.......

एक उड़ान, किसी के पंखों को
एक खुशबू, किसी के बागान को
एक छत, किसी के आशियाने को
और एक पादुक, किसी के छालों को
शायद भूल गई या भुला दिया गया?
एक संवेदना,.......

एक चूड़ी, किसी की कलाई को
एक कंघी, किसी के गेसुओं को
एक खूबसूरती, किसी के उजड़े हाल को
और एक ममता, किसी की मासूमियत को
शायद भूल गई या भुला दिया गया?
एक संवेदना,.......

एक कहानी,जो पढ़ी नहीं गई
एक कविता, जो बयां नहीं हुई
एक ख्वाब, जो अधूरा रह गया
और एक ख्याल
जो बातों बातों में कहीं खो गया
या खोने दिया गया?
एक संवेदना, जो हर किसी को महसूस तो हुई
पर जेहन में से, क्या हमने उसे
धीरे-धीरे मिटा भी दिया?

©शिवम राव मणि

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