कविताअतुकांत कविता
औरत के मन की आवाज़
नहीं सुनाई पड़ सकती है
उस शख़्स को
जिसके लिए औरत है महज
उपयोग की वस्तु।।
औरत की शख्सियत के संदर्भ में
नहीं जान सकता है वो शख़्स
जो छोटी-छोटी बातों पर
लात घूंसों से जी भर पीटता है
औरत को।।
औरत परिवार खातिर
अपनी ख़्वाहिशों की आहुति देती है
इस बात को नहीं समझ सकता है
वो शख़्स, जो
जिसकी नज़र में बैठी है ये बात कि
औरत का जन्म ही हुआ है
प्रताड़ित होने के लिए
अपनी ख़्वाहिशों की परवाह
नहीं करने के लिए।।
औरत के अंदर संवेदना के प्रतिशत
की मात्रा सर्वाधिक है
इस बात को नहीं समझ सकता है
वो शख़्स, जिसकी नज़र में
औरतों के ख़ातिर
आदर व सम्मान की भावना है
अत्यंत न्यून।।
©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित
बहुत ही संवेदनशील रचना है सन्दीप बहुत कठिन विषय पर लिखा है।
जी मनःपूर्वक आभार माता श्री
जी मनःपूर्वक आभार माता श्री