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Sahitya Arpan - नेहा शर्मा
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नेहा शर्मा

'Eron'

कि बन गयी हूँ मैं वही जो नही बनी थी पहले।
यूँही कुछ बदलाव मुझमें मेरी कलम ले आयी है। - नेहा शर्मा

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  • Genre wise ranking

    Section Genre Rank
    कहानी हास्य व्यंग्य First
    कविता लयबद्ध कविता Second
    कहानी अन्य Second
    कविता हरियाणवी रागिनी Third
    कहानी उपन्यास 4th
    कविता भजन 5th
    कहानी व्यंग्य 5th

    कविताछंद

    चौका

    • Added 1 year ago
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    • 81
    • 1 Mins Read

    कहकर वो
    बात अपनी हमें
    चुप नही थे
    कहकर यूँ नग्में

    चल रही थी
    एक शाम को थामें
    बनी बिगड़ी
    वो अनकही यादें

    महकमें में
    उनके कदम थे
    सरस प्यारे
    मेरे हमदम थे
    वो हमकदम थे - नेहा शर्मा

    चौका,<span>छंद</span>
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    कविताबाल कविता

    बालक का हठ

    • Added 1 year ago
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    • 49
    • 4 Mins Read

    माँ मुझे वो चन्द्रमा ला दो
    गेंद बनाकर खेलूंगा
    जब थककर मैं चूर हो जाऊं
    तकिया बनाकर लेटूंगा
    माँ मुझे वो चन्द्रमा ला दो
    गेंद बनाकर खेलूंगा

    क्यों नाहक हठ करता है
    चंचलता क्यों करता है
    कैसे ला दुँ
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    बालक का हठ,<span>बाल कविता</span>
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    Yogendra Mani

    Yogendra Mani 10 months ago

    बहुत खूब

    Krishna Jadhav

    Krishna Jadhav 1 year ago

    बहुत अच्छी कविता

    नेहा शर्मा11 months ago

    शुक्रिया आदरणीय

    कविताअतुकांत कविता

    टूटी पलक

    • Added 1 year ago
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    • 58
    • 4 Mins Read

    देखो ना मेरे चेहरे पर लग़ा वो टूटी पलक का बाल
    तुम्हारे इंतज़ार में है कि
    तुम आओगे और उस पलक को
    रख दोगे मेरे हाथ पर
    और कहोगे नेहा मांग लो जो विश मांगनी है
    और मैं कहूंगी ये सबसे कुछ नही होता अंधविश्वास
    Read More

    टूटी पलक,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कहानीसामाजिक, अन्य, लघुकथा

    नन्हे कदम

    • Edited 2 years ago
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    • 191
    • 4 Mins Read

    एक तरफ भड़के दंगो की वजह से देश चींख पुकार कर रहा था। और एक तरफ रामबती और टीकाराम अपने बच्चे को ओट छुपाए घूम रहे थे। बाहर मारो मारो काटो की आवाज में गोलियां और बंदूक चल रही थी।

    तभी कुछ और आहटों से
    Read More

    नन्हे कदम,<span>सामाजिक</span>, <span>अन्य</span>, <span>लघुकथा</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    मर्मस्पर्शी

    कहानीसामाजिक, हास्य व्यंग्य

    जिज्जी (भाग 14)

    • Edited 2 years ago
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    • 255
    • 10 Mins Read

    आज वत सावित्री थी, शशि जल का लौटा भरकर मंदिर को निकल गयी। रस्ते में सुमन मौसी मिल गयी।
    “कैसी हो शशि”
    पैर छूते हुए “बढ़िया मौसी आप कैसी हो”?
    “मैं भी ठीक हूँ, तू तो दिखती ही ना है, कहाँ रहवे है?”
    “मौसी बस
    Read More

    जिज्जी (भाग 14),<span>सामाजिक</span>, <span>हास्य व्यंग्य</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    बहुत सुन्दर और दिलचस्प.. जिज्जी से पार पाना शशी के लिए सम्भव नहीं लगता..!! 😊

    कहानीसामाजिक

    जिज्जी भाग 13

    • Edited 2 years ago
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    • 210
    • 13 Mins Read

    जिज्जी पार्ट 13

    भानु शशि अपना सा मुंह लेकर घर लौट आये। शशि का तो खून ही उबल रहा था।
    “झुक गए ना एक बार फिर आप जिज्जी के सामने, उनकी बातों में आजाते हैं”।
    भानु “शशि तू ही बता बहन का दिल दुखाकर मैं ट्रिप
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    जिज्जी भाग 13,<span>सामाजिक</span>
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    कहानीसामाजिक

    जिज्जी भाग 12

    • Edited 2 years ago
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    • 230
    • 14 Mins Read

    अगले दिन भानु और शशी पैकिंग कर रिक्शा से बस स्टैंड के लिये निकल पड़ते है, शशि मन ही मन फूली नही समा रही थी। शादी के बाद यह पहली बार हुआ जब वह भानु के साथ अकेले कहीं बाहर जा रही थी। वह भी जिज्जी से दूर
    Read More

    जिज्जी भाग 12,<span>सामाजिक</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    जिज्जी सर्वव्यापी हैं.. उनसे बच कर निकल पाना, मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है..! 😊.. शशी.. कितना भी कोशिश कर ले..!!

    कवितादोहा

    दोहे

    • Edited 2 years ago
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    • 209
    • 2 Mins Read

    दोहा

    प्रेम के रंग में जगी, रुकी रही ये रात
    पिया मिलन की आस में, बनी नही ये बात - नेहा शर्मा

    इश्क़ इश्क की बात में, इश्क न बोले बोल
    घुल गया रंग इश्क का, हया न कोई तोल - नेहा शर्मा

    वसुंधरा बिखरी छटा, लेय घटा
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    दोहे,<span>दोहा</span>
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    Anujeet Iqbal

    Anujeet Iqbal 2 years ago

    मुझे पढ़ते हुए, श्री कृष्ण याद आ गए। काश कभी मैं भी ऐसा कुछ लिख सकूं,

    नेहा शर्मा2 years ago

    तुम बहुत ऊपर का लिखती हो। अगर यह विधा सीखने की बात है तो मैं सीखा दूँगी जब कहो तब

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    सुन्दर लेखन..!

    कविताअतुकांत कविता

    लकीरें

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 559
    • 4 Mins Read

    देखती हूँ हाथों की उन लकीरों को
    सोचती हूँ कैसे आड़े टेढ़े धागे
    ईश्वर ने पिरो दिए हैं हाथ में
    बांध दी है हमारी किस्मत उन्ही धागों में
    जिन पर विश्वास करो तो सब कुछ
    न करो तो कुछ भी नही।
    न जाने क्यों आज
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    लकीरें,<span>अतुकांत कविता</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    बहुत सुन्दर भाव

    Anujeet Iqbal

    Anujeet Iqbal 2 years ago

    सुबह की शुरुआत एक बेहतरीन रचना से.... वाह अदभुत

    नेहा शर्मा2 years ago

    धन्यवाद

    Pallavi Rani

    Pallavi Rani 2 years ago

    बहुत खूब

    Amrita Pandey

    Amrita Pandey 2 years ago

    बहुत खूब लिखा नेहा जी।

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    बहुत सुन्दर और सामयिक और भावपूर्ण..!

    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 2 years ago

    बहुत सुंदर

    कहानीहास्य व्यंग्य

    जिज्जी भाग - 11

    • Edited 2 years ago
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    • 163
    • 8 Mins Read

    भानु “शशि कल मंडे है याद है ना हम लोगों को कल ट्रिप के लिये निकलना है। मेरे दोस्त की गाड़ी है हम लोग उसी से जा रहे है, वैन है तो हम सभी को बस स्टैंड जाना है वो स ही को उधर से ही पिक करेगा। पैकिंग कर लेना
    Read More

    जिज्जी भाग - 11,<span>हास्य व्यंग्य</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    तूफ़ान से पहले की खामोशी.

    लयबद्ध कविता

    बेहया बेवफा ओ तेरा की हाल है?

    • Edited 2 years ago
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    • 181
    • 3 Mins Read

    बड़ी मुद्दतों के बाद उसे देखा लगता है।
    मेरे यार को मुझसे पड़ा कोई काम लगता है।
    मैं भुला चुकी थी उसके सितम कबके
    वक़्त मेरे पलड़े में झुका लगता है।

    न बद्दुआ दी थी उसे की जी न सके मेरे बिन
    पर खुदा ने बिना
    Read More

    बेहया बेवफा ओ तेरा की हाल है?,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Anujeet Iqbal

    Anujeet Iqbal 2 years ago

    दर्द भरी.....👌

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    ख़ूबसूरत..!

    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 2 years ago

    बहुत खूब

    कहानीहास्य व्यंग्य

    जिज्जी भाग 10

    • Edited 2 years ago
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    • 121
    • 9 Mins Read

    घर लौटे ही थे हम की भानु थके हारे सोफे पर बैठे थे। चप्पल निकाल हम शू रैक में रखते हुए बोले,
    “जिज्जी के यहाँ गए थे, बच्चे आज खाना लेने नही आये थे, सो वही देने गए थे”
    भानु ने पैर टेबल पर रखते हुए बोला,
    “हम्म्म्म
    Read More

    जिज्जी भाग 10,<span>हास्य व्यंग्य</span>
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    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 2 years ago

    बस जिज्जी का इंतजार है

    नेहा शर्मा2 years ago

    धन्यवाद

    कहानीहास्य व्यंग्य

    जिज्जी भाग - 9

    • Edited 2 years ago
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    • 269
    • 12 Mins Read

    शशि गाने गाते हुए जिज्जी के घर की तरफ बढ़े चली जा रही थी। दरवाजे पर ही खड़ी थी, की कुछ लकड़ी का उसके सिर के ऊपर से होता हुआ बाहर जा गिरा। जैसे ही उस सख्त सी चीज से शशि का ध्यान हटा देखती क्या है जिज्जी हट्टी
    Read More

    जिज्जी भाग - 9,<span>हास्य व्यंग्य</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    जिज्जी शशि से दो कदम आगे ही रहती हैं..! सरेआम पकड़ जाने पर भी '' कहानी '' बना ही दी😊👌

    Radha Shree Sharma

    Radha Shree Sharma 2 years ago

    शानदार... 😊 😊 😊 तुलसी या संसार में भाँति भाँति के लोग, कहावत को चरितार्थ करती हुई रचना 👌 👌 👌 👌 राधे राधे 🌹 🙏 🌹

    Rajkumar kandu

    Rajkumar kandu 2 years ago

    मजेदार किस्सा जिज्जी सीरीज का 😊

    नेहा शर्मा2 years ago

    धन्यवाद अंकल जी

    कवितागीत

    ओ माँ

    • Edited 2 years ago
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    • 140
    • 2 Mins Read

    तुझ संग जाना क्या है
    इस दुनिया में खास
    तुझ बिन हो जाती है
    मेरी दुनिया उदास

    ओ माँ तू ही तो है हम सबकी आस
    बुझ ना सके दरिया की भी प्यास

    सूरज की है रोशनी
    जैसे गगन में चाँद
    तू है तो फिर लगता है
    जीवन कितना
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    ओ माँ,<span>गीत</span>
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    Pratik Prabhakar

    Pratik Prabhakar 2 years ago

    बहुत खूब💐💐👌👌

    कहानीलघुकथा

    हैपी mothers डे माँ

    • Edited 2 years ago
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    • 126
    • 5 Mins Read

    हैप्पी mothers डे माँ
    ●●●●●●●●●●●●●

    "हाँ माँ कहिये"
    विकास ने शर्ट का बटन बन्द करते हुए कहा।
    "मैं कह रही थी कि आज मातृ दिवस....."
    "माँ मैं ऑफिस से आकर आपकी पूरी बात सुनता हूँ, अभी देर हो रही है"
    विकास ने माँ की
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    हैपी mothers डे माँ,<span>लघुकथा</span>
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    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 2 years ago

    ममतामयी

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    BHAVPURNA....!

    कहानीहास्य व्यंग्य

    जिज्जी भाग 8

    • Edited 2 years ago
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    • 264
    • 7 Mins Read

    हमें खाना बनाते बनाते 2 या 3 दिन गुजर गए। रोज टिफिन पैक कर सुबह शाम जिज्जी के घर पहुंचाते पहुंचाते हम बेस्ट टिफ़िन डिलीवरी वोमन बन गए थे। आज भी खाना बना बच्चों की राह देख रहे थे। पर बच्चे नही आये। खैर
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    जिज्जी भाग 8,<span>हास्य व्यंग्य</span>
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    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 2 years ago

    जिज्जी से कहीं हाथापाई ना हो जाये

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    जब जिज्जी के घर शशी जी पहुंचेगी कोई नया नाटक निश्चित ही आरम्भ हो जाना है..!!

    कहानीहास्य व्यंग्य

    जिज्जी भाग 7

    • Edited 3 years ago
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    • 144
    • 15 Mins Read

    अगले दिन डोर बेल पर डोर बेल बजे जा रही थी। हम बड़े कंफ्यूजीयाये हुए से हड़बड़ाकर दरवाजे की तरफ भागे। देखा तो जिज्जी पर गुस्से के लाल पिले नीले हरे सब रंग चढ़े हुए थे। हमने तुरन्त से दरवाजा खोल दिया।
    Read More

    जिज्जी भाग 7,<span>हास्य व्यंग्य</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    फिर भी कुछ सस्ते में छोड़ दिया, जिज्जी ने जो रात भर सिर पे सवार रहतीं, बात बढिय़ा डिनर तक ही रही..!! 😊

    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    जिज्जी ने हद कर दी

    कविताअतुकांत कविता

    एक सत्य

    • Edited 3 years ago
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    • 301
    • 3 Mins Read

    मृत्यु की छाया विदित होती है उन प्रतिबंधित मार्ग से गुजरती हुई
    जिन पर हजारों कांटे शरीर को छलनी कर बेध कर निकल जाते हैं।
    उस क्षण का मौन पसर जाता है आंखों पर
    फैल जाती है सूर्य की कठोर तपन हृदय के किनारों
    Read More

     एक सत्य,<span>अतुकांत कविता</span>
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    Punam Bhatnagar

    Punam Bhatnagar 3 years ago

    बहुत खुब

    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    वाह अद्भुत

    नेहा शर्मा3 years ago

    धन्यवाद

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    जीवन का चिरन्तन सत्य..!

    नेहा शर्मा3 years ago

    शुक्रिया

    कहानीहास्य व्यंग्य

    जिज्जी भाग 6

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 392
    • 14 Mins Read

    अब हम जिज्जी के इन सुतली बमों से परेशान हो चुके थे। हम दिन रात सोचते कि जिज्जी को हमारी निजी जिंदगी से दूर कैसे रखा जाए। आजकल जिज्जी की एक और बात से हम बहुत ज्यादा परेशान होगये थे। वह हम पर जाने अनजाने
    Read More

    जिज्जी भाग 6,<span>हास्य व्यंग्य</span>
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    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    बाप रे AC भी गया

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    बहुत ही मज़ेदार..! Bouncer डक कर गये पतिदेव..!!

    कहानीहास्य व्यंग्य

    सास बहू

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 374
    • 7 Mins Read

    सास बहू की प्रेम भरी वार्तालाप कुछ ऐसी।
    अच्छा बहु तू जेवर तो पहनती ना है मांग का सिंदूर भी गायब है, सौ बार बोला है, जे सब सुहाग की निशानी होवे है। औरत जभी भली दिखे है जब मांग में सिंदूर सिर के बीच मे
    Read More

    सास बहू,<span>हास्य व्यंग्य</span>
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    Anujeet Iqbal

    Anujeet Iqbal 2 years ago

    कमाल का लिखा

    Amrita Pandey

    Amrita Pandey 3 years ago

    बढ़िया बतियां।

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    वाह..!!

    कविताअतुकांत कविता

    आम और सच

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 132
    • 4 Mins Read

    मेरे आम के पेड़ पर अब आम नही लगते।
    ना ही कोई चिड़िया बैठकर चीं चीं करती है।
    कोई कोयल भी नही कूकती अब
    बांसुरी बजाने वाला भी नही रहा कोई।
    वो खाट बिछाकर बाबा ताया के हुक्के की गुड़गुड़ भी नही सुनाई देती।
    अब
    Read More

    आम और सच,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कहानीहास्य व्यंग्य

    जिज्जी भाग 5

    • Edited 3 years ago
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    • 312
    • 9 Mins Read

    जिज्जी जोर जोर से दरवाजा पीट रही थी, हमें लगा पता नही कौन सा भूकम्प आगया है, जैसे ही दरवाजा खोला, जिज्जी सब पिछली शॉपिंग के साथ दरवज्जे पर खड़ी थी,
    इससे पहले कुछ बोलते या मुँह खोलते भानु कमरे से निकल
    Read More

    जिज्जी भाग 5,<span>हास्य व्यंग्य</span>
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    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    धर्मसंकट

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    जिज्जी की महिमा अपरम्पार..!! 👌👍😊

    कहानीहास्य व्यंग्य

    जिज्जी (भाग 4)

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 227
    • 9 Mins Read

    एक बार फिर से हम मुसीबत में फँस चुके थे। वो भी इन जिज्जी की वजह से। वो इसलिये की जिज्जी ने फोन कर भानु को सब बता दिया था। कसम से बता रहे हैं, बहुत पहुंची हुई चीज है, ये जिज्जी....। हमारे तन- बदन में तो जैसे
    Read More

    जिज्जी (भाग 4),<span>हास्य व्यंग्य</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    जिज्जी सवा सेर ही पड़ जाती हैं..!! 😊

    कहानीहास्य व्यंग्य

    जिज्जी (भाग - 3)

    • Edited 3 years ago
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    • 380
    • 11 Mins Read

    अब क्या बतायें!!!! जिज्जी हमारा एटीएम हल्का करवा कर निकल ली अपने घर को। अब हम घर पहुँचकर सोच रहे थे। भानु को क्या जवाब देंगे!!!! क्योंकि जो 3 महीने के राशन के पैसे भानु ने हमारे एटीएम में जमा किये थे.....
    Read More

    जिज्जी (भाग - 3),<span>हास्य व्यंग्य</span>
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    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    बहुत बढ़िया

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    जिज्जी ने भी आपको खूब ' मजबूत' 'कर दिया है. अपने दांव पेंच से..! आपके दिमाग़ में' 'कोई प्लानिंग' 'हो गयी है..!! प्रतीक्षा है..! 👌👍

    नेहा शर्मा3 years ago

    जी धन्यबाद कल अगला एपिसोड प्रस्तुत करती हूं।

    कविताबाल कविता

    चमक चाँदनी।

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 100
    • 2 Mins Read

    यदि मैं होती चमक चांदनी।
    पूरे अंगना में झिलमिल करती।
    तारे मुझसे जलते रहते
    रोशनी संग भी खेला करती।
    चंदा मुझसे खूब बतियाता
    तारों जैसे टिमटिम करती।
    यदि मैं होती चमक चांदनी।
    संसार भर में दमाका करती
    Read More

    चमक चाँदनी।,<span>बाल कविता</span>
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    Rashmi Sharma

    Rashmi Sharma 2 years ago

    बहुत खूब

    कवितालयबद्ध कविता

    मजा बहुत आता है।

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 235
    • 3 Mins Read

    उसे छेड़ने में मजा भी बहुत आता है।
    रूठ जाता है तो मनाने में मजा भी बहुत आता है।
    आदत सी हो गयी है उसकी मुझे इस मोबाइल की तरह
    उसकी फोटो कॉन्टेक्ट में सेव करने में मजा बहुत आता है।

    उसकी जुल्फों की कसम
    Read More

    मजा बहुत आता है।,<span>लयबद्ध कविता</span>
    user-image
    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    बहुत बढ़िया

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    ख़ूबसूरत..!

    नेहा शर्मा3 years ago

    धन्यवाद आदरणीय आप सदैव हिम्मत बढ़ाते हैं।

    कवितालयबद्ध कविता

    तस्वीरें

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 231
    • 3 Mins Read

    तस्वीरें दिखाती है जो अक्सर वह नही होता है।
    झूठ के पीछे छुपा अक्सर सच खोता है।
    मत यकीन करना इन तस्वीरों पर तुम
    फिल्टर में ढका इनका चेहरा होता है।
    दिखती है मुस्कान जो चेहरे पर अक्सर
    आंखों में पर्दा
    Read More

    तस्वीरें,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Ruchika Rana

    Ruchika Rana 3 years ago

    सच लिखा, तस्वीरें अक्सर ही झूठ दिखाती हैं... सुंदर कविता

    नेहा शर्मा3 years ago

    धन्यबाद आदरणीया।

    कहानीव्यंग्य

    सिटी

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 201
    • 4 Mins Read

    डार्लिंग जूते पोलिश करते समय मुझे भी एक बात याद आई। रसोई में तुम उस दिन बाजा ढूंढ रहे थे उसे कुकर के ऊपर की सिटी कहते है। और हाँ चावल में 3 बाजे लगते हैं। मेरा मतलब तीन सिटी लगती हैं। अब चावल में सीटी
    Read More

    सिटी,<span>व्यंग्य</span>
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    Anujeet Iqbal

    Anujeet Iqbal 3 years ago

    सीटी बजा गई मेरे दिमाग की😬👌👌👌

    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    जय हो🙋

    कवितालयबद्ध कविता

    मैं कुड़ी हरिद्वार की

    • Edited 3 years ago
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    • 126
    • 2 Mins Read

    जेड़ा आज वी निभाउना नी
    जेड़ा कल की तो छड़ दित्ता

    तैनू दिल विच रक्खा मैं
    तू होर का तो होना नी

    चल वादा कर बलिए
    मैनूं कदी छड़ जाना नी

    दिल नु यूं कहना नी
    गल किसी होर दी बनाना नी

    वो होर आशिक होवांगे
    आपा मुड़
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    मैं कुड़ी हरिद्वार की,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कहानीलघुकथा

    कैप्शन और कहानी

    • Edited 3 years ago
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    • 238
    • 7 Mins Read

    "तुमने उस वीडियो के कैप्शन पर इतना बव्वाल क्यों मचाया?"

    सोशल मीडिया पर वायरल हुई वीडियो के कैप्शन पर कॉमेंट पढ़ रजनीश सीधे सिद्धार्थ के इनबॉक्स में दाखिल हुआ। दोनो बेहतरीन दोस्त हैं। एक दूसरे से
    Read More

    कैप्शन और कहानी,<span>लघुकथा</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    वर्तमान जगत की एक वास्तविकता.

    कविताअतुकांत कविता

    जिंदगी ही तो है।

    • Edited 3 years ago
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    • 146
    • 3 Mins Read

    थोड़ी सी खट्टी,
    थोड़ी सी मीठी,
    थोड़ी चटपटी,
    हाँ ज़िन्दगी ही तो है,
    थोड़ी खिली-खिली,
    थोड़ी बासी,
    थोड़ी नयी,
    कुछ खुशियों से मिली,
    कुछ उदासी भरी,
    तो शिकवा क्यों करे!!!
    क्यों आँखे भिगोयी!!!!
    क्यो करे अनदेखी!!!!
    क्यों
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    जिंदगी ही तो है।,<span>अतुकांत कविता</span>
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    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    बहुत बढ़िया

    Antara Choudhury

    Antara Choudhury 3 years ago

    बेहद उम्दा कहाँ अपने 🙂

    Anujeet Iqbal

    Anujeet Iqbal 3 years ago

    सत्य कह रही हैं आप

    नेहा शर्मा3 years ago

    धन्यवाद

    कहानीहास्य व्यंग्य

    जिज्जी (भाग 2)

    • Edited 3 years ago
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    • 218
    • 17 Mins Read

    हम फिर से आ गये..... जिज्जी की कहानी लेकर। कुछ भी कहो, पहले अध्याय में हमारी जिज्जी बड़ी फेमस हो गयी। धमाका भी गजब का ही कर दिया था। कुछ भी कहो हम तो गऊ है गऊ जिज्जी की हर बात सुन लेते है। नहीं तो भूकम्प
    Read More

    जिज्जी (भाग 2),<span>हास्य व्यंग्य</span>
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    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    जिज्जी से बचके, 🙃

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    वाह..!! जिज्जी तो बड़ी स्नेहशीला निकलीं...!! बड़े दिनों बाद तो आयीं हैं.. बेचारी..!! 😊

    कवितालयबद्ध कविता

    समर्थन

    • Edited 3 years ago
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    • 159
    • 3 Mins Read

    हम न भाजपा का, न ही कांग्रेस का समर्थन करते हैं।
    मामूली से इंसान है साहब, रोटी और पानी का समर्थन करते हैं।
    मिल जाये दो वक्त सुकून से, ज़िन्दगी बसर कर सके
    उस दो टूक छत और उस नींद का समर्थन करते हैं
    न जाने
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    समर्थन,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    बहुत बढ़िया

    Ritu Garg

    Ritu Garg 3 years ago

    बहुत बढ़िया

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    सुन्दर सोच..!

    कविताअतुकांत कविता

    अपंग कौन

    • Edited 3 years ago
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    • 322
    • 6 Mins Read

    मैं सहानुभूति नही दिखाती हूँ उनके साथ
    जो कमजोर हैं सिर्फ हाथ पैरों से
    मुझे हमदर्दी भी नही है उनके साथ जो चल देख नही सकते।
    मुझे हमदर्दी और सहानुभूति उनसे ज्यादा होती है
    जो अपंग हैं दिमाग से।
    सोच
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    अपंग कौन,<span>अतुकांत कविता</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    चैतन्यपूर्ण

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    बहुत सुन्दर, प्रेरक और सराहनीय..!

    कहानीसामाजिक, उपन्यास, हास्य व्यंग्य

    जिज्जी (भाग -1)

    • Edited 3 years ago
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    • 481
    • 22 Mins Read

    “अभी तो लिखने बैठे है, हम देखना बेटा बहुत लम्बा लिखेंगे और ऐसा लिखेंगे की लोगो की आंखों में आंसू आजायेंगे”
    हमने खुद से बात करते हुए पेन पेपर उठाया, एक लाइन ही लिखी थी कि डोर बेल बज गयीं। हम दरवाजे
    Read More

    जिज्जी (भाग -1),<span>सामाजिक</span>, <span>उपन्यास</span>, <span>हास्य व्यंग्य</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    जिज्जी की महिमा न्यारी..!!

    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    🤣🤣बाप रे,,,

    Meeta Joshi

    Meeta Joshi 3 years ago

    जिज्जी का आना तो वैसे ही भारी होता है.....खुद आईं सो आईं,पूरी पलटन भी साथ लाईं😅

    नेहा शर्मा3 years ago

    जी अभी जिज्जी शुरू हुई है अभी बहुत से कारनामे होंगे 😂

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    स्वागत है..!। हम लोगों की फर्माइश पर.. अन्ततोगत्वा.. जिज्जी प्रकट ही हो गयीं..! 👌🙏

    नेहा शर्मा3 years ago

    धन्यवाद आदरणीय

    कहानीसंस्मरण, हास्य व्यंग्य

    Indian हर जगह rock करते हैं।

    • Edited 3 years ago
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    • 118
    • 9 Mins Read

    अब यही किस्सा ले लीजिये।
    फेसबुक देवता की कृपा से हम पहुंचे गोरे लोगों के समूह में अब भारतीय हैं जहां जाने को मना किया जाता है वहां जरूर जाते हैं। विदेशी समूह था तो पहुंच गए। अब हमें हाथों में खुजली
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    Indian हर जगह rock करते हैं।,<span>संस्मरण</span>, <span>हास्य व्यंग्य</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    बहुत मज़ेदार..! आपने कुछ गलत नहीं किया, केवल कर्तव्य का पालन उचित प्रकार से किया श🙏😊👌

    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    😀😀 कुछ भी नही

    कहानीलघुकथा

    आखिरी मुलाक़ात

    • Edited 3 years ago
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    • 137
    • 5 Mins Read

    (लघुकथा)

    "उठ माँ तू सोई है देख मैं तुझसे मिलने आया हूँ"
    "बेटा तू तो कल ही छुट्टी लेकर गया था ना फिर इतनी जल्दी कैसे?"
    "बस माँ तूने आंखे गीली करके विदा किया था ना तो मन नही माना सोचा एक बार और मिल लूँ तुझसे"
    "अच्छा
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    आखिरी मुलाक़ात,<span>लघुकथा</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    अत्यंत मर्मस्पर्शी

    आकाश त्रिपाठी

    आकाश त्रिपाठी 3 years ago

    Bahut Hi Sunder

    नेहा शर्मा3 years ago

    धन्यवाद

    Sapna Vyas

    Sapna Vyas 3 years ago

    बहुत मार्मिक

    नेहा शर्मा3 years ago

    धन्यवाद

    कवितालयबद्ध कविता

    नया vs पुराना

    • Edited 3 years ago
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    • 161
    • 3 Mins Read

    सास बहू के झगड़े से
    नागिन के इस पचड़े से
    अब सीरियल उभर रहे।
    घर घर टीवी बदल रहे।

    हो रहा अत्याचार भयंकर
    अब तो न मिले शिव शंकर
    टी आर पी अब घटने लगी

    क्योंकि
    क्योंकि

    मोबाइल की घण्टी बजने लगी
    प्राइम अब ट्रेंड
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     नया vs पुराना ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    ख़ूबसूरत

    आकाश त्रिपाठी

    आकाश त्रिपाठी 3 years ago

    Waah kya baat... Bahut Khoob

    कहानीहास्य व्यंग्य

    स्क्रीनशॉट

    • Edited 3 years ago
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    • 280
    • 15 Mins Read

    हुआ यूँ की रुकिए रुकिए जल्दी क्या है आराम से बताएंगे। उ का है ना कि चटपटी बातों में थोड़ा मजा ले लेकर बिल्कुल मिडिल क्लास फैमिली वाला लुक लेकर बताना चाहिये। आखिर हम भी तो मिडिल क्लास फैमिली से ही
    Read More

    स्क्रीनशॉट,<span>हास्य व्यंग्य</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    बहुत ही खूबसूरत पोस्ट..! पढ़ने पर हंसी रोकना मुश्किल है.. आपकी सीरीज़ '' जिज्जी '' याद आ गयी 😊👌

    Gita Parihar

    Gita Parihar 3 years ago

    बिल्कुल सही

    कहानीलघुकथा

    ड्राइवर

    • Edited 3 years ago
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    • 362
    • 6 Mins Read

    "टैक्सी... टैक्सी"
    एक आदमी एक औरत और लड़की शायद उनकी बेटी होगी, कालेज के बाहर खड़ी टैक्सी को हाथ दिखाकर अपनी और आने का इशारा करते है।
    टैक्सी वाला कार का शीशा नीचे करते हुए,
    "जी साहब"
    आदमी खिड़की में से देखते
    Read More

    ड्राइवर,<span>लघुकथा</span>
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    कहानीलघुकथा

    कैसा प्रेम

    • Edited 3 years ago
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    • 104
    • 3 Mins Read

    "हैलो , हैलो, शुभ्रा, मैं अदिति बोल रही हूँ जल्दी से टीवी खोल"
    "क्यों क्या हुआ?"
    उधर से अदिति की आवाज से अजीब सी शंका महसूस हो रही थी।
    "सुन आजतक चैनल लगा जरा"
    शुभ्रा टीवी खोलकर आजतक टीवी लगाकर देखती है
    Read More

    कैसा प्रेम,<span>लघुकथा</span>
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    आकाश त्रिपाठी

    आकाश त्रिपाठी 3 years ago

    बहुत ही अच्छा संदेश दिया है आपने अपने लेख के माध्यम से, माना कि प्यार अंधा होता है, परन्तु जिससे हम प्यार करते हैं उसके बारे में अच्छे से जान लेना चाहिए। क्योंकि आज के समय में ऐसा होता है इसमें कोई शक नहीं।

    नेहा शर्मा3 years ago

    जी धन्यवाद 🙏🏻

    कवितालयबद्ध कविता

    पति पत्नी और वो

    • Edited 3 years ago
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    • 115
    • 6 Mins Read

    पिया बनी हुई इस बात को बोलो तुम कब बोलोगे
    शहद अपनी बातों का बोलो तुम कब घोलोगे
    पति बड़ा ही हैरान पूछे
    प्रिये हुआ तुमको है क्या
    जहर उगलती बीवी से तुम बन गयी कैसे दयावान
    बीवी बोली आप इतने प्यारे हो रुक
    Read More

    पति पत्नी और वो,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    डर

    • Edited 3 years ago
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    • 276
    • 3 Mins Read

    क्या है डर मन के कोने का एक भयावह रूप,
    या जलते बदन की अग्नि सी धूप।
    या दिल को चीरती कोई नुकीली सी चीज
    है कोई सुई सी चुभती आवाज की चूक
    अंधेरे में लिपटी कोई काली सी मूरत
    चींखती, चिल्लाती या सिमटती सी मूक
    नही
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    डर,<span>अतुकांत कविता</span>
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    Rajesh Kr. verma Mridul

    Rajesh Kr. verma Mridul 3 years ago

    बेहतरीन अभिव्यक्ति

    नेहा शर्मा3 years ago

    धन्यवाद

    कविताअतुकांत कविता

    वापस

    • Edited 3 years ago
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    • 92
    • 2 Mins Read

    तुम देखते हो ना व्यस्तता भरी जिंदगी।
    भाग रही है, दौड़ रही है अपनों से अपनो को हराने के लिये।
    तुम भी बिल्कुल ऐसे ही होगये हो,
    जिसे बिल्कुल वक़्त नही निगाह उठाकर देखने के लिये भी।
    पीछे छुटे हुए लम्हों
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    वापस,<span>अतुकांत कविता</span>
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    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    वाह , सुंदर

    Rajesh Kr. verma Mridul

    Rajesh Kr. verma Mridul 3 years ago

    बहुत ही सुंदर प्रस्तुति।

    कहानीअन्य

    पति पत्नी और खाना

    • Edited 3 years ago
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    • 197
    • 3 Mins Read

    पति : खाने में क्या बना है?
    पत्नी : टिंडे की सब्जी और रोटी
    पति : रोज यही बना देती हो।

    पति खाने में क्या बना है?
    पत्नी : भिंडी की सब्जी और रोटी
    पति : कभी कुछ ढंग का भी बना लिया करो

    पति : खाने में क्या बना है?
    पत्नी
    Read More

    पति पत्नी और खाना,<span>अन्य</span>
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    Bandana Singh

    Bandana Singh 3 years ago

    बहुत सही बात कही नेहा जी लाजवाब व्यंग

    नेहा शर्मा3 years ago

    धन्यवाद आदरणीया

    Rajesh Kr. verma Mridul

    Rajesh Kr. verma Mridul 3 years ago

    क्या बात है।😂😂😂

    नेहा शर्मा3 years ago

    धन्यवाद आदरणीय

    Naresh Gurjar

    Naresh Gurjar 3 years ago

    वाह क्या बात है लाजवाब 😂😂

    नेहा शर्मा3 years ago

    धन्यवाद आदरणीय

    कवितालयबद्ध कविता

    भारत के वीर सपूतों को नमन

    • Edited 3 years ago
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    • 219
    • 4 Mins Read

    पुलवामा अटैक में शहीद हुए उन सभी शहीदों को नमन जिनके जाने का जख्म आज भी उनके परिवार वालों के आंखों में दिखता है। हमें गर्व है अपने भारत देश पर जहां हमारे वीर सैनिक दिन रात हमारी ही सेवा में रहते
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    भारत के वीर सपूतों को नमन,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कहानीलघुकथा

    थप्पड़

    • Edited 3 years ago
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    • 141
    • 2 Mins Read

    गाल पर थप्पड़ लगने के बाद वो जस की तस खड़ी थी। क्योंकि उसे इस अचानक बारिश का कारण समझ नही आ रहा था दूसरी तरफ तेज गुस्से की बरसात हो रही थी। और मै उसे आश्चर्य से देख रही थी।तभी अचानक कुछ ऐसा हुआ कि मेरी
    Read More

    थप्पड़,<span>लघुकथा</span>
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    कहानीलघुकथा

    संस्कारी लड़के

    • Edited 3 years ago
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    • 112
    • 10 Mins Read

    "अच्छा हम कब शादी कर रहें है"।
    "जल्द ही"
    "तुमसे जब भी पूछती हूँ यही उत्तर मिलता है, तुम्हे शादी करनी भी है या नही?"
    "जानू तुम तो गुस्सा हो गयी शादी करनी है पर इतनी जल्दी नही, अभी मैं कमाता ही कितना हूँ बस
    Read More

    संस्कारी लड़के,<span>लघुकथा</span>
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    Bhawna Sagar Batra

    Bhawna Sagar Batra 3 years ago

    Badiya

    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    सुन्दर....👌

    कहानीलघुकथा

    ऑटो

    • Edited 3 years ago
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    • 97
    • 1 Mins Read

    "हैलो हैलो, सर्वेसर्वा अस्पताल से",
    "जी कहिये",
    "जी ऑटो का एक्सीडेंट हो गया है। चालक समेत15 पैसेंजर घायल हैं।"
    "क्या एक ऑटो में 15 लोग!",
    "जी ऑटो के पीछे लिखा था, सावधानी हटी दुर्घटना घटी।" - नेहा शर्मा

    ऑटो ,<span>लघुकथा</span>
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    Bhawna Sagar Batra

    Bhawna Sagar Batra 3 years ago

    👍👍

    कवितालयबद्ध कविता

    भारतीय वेलेंटाइन डे

    • Edited 3 years ago
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    • 176
    • 3 Mins Read

    एक और कविता प्रेम पर। अब तो दो ही दिन बचे हैं बीच में।


    तुम रूठना मैं मनाऊंगी।
    तुम मान जाओगे जब
    मैं रूठ जाऊंगी।
    कुछ इस तरह पिया मैं।
    भारतीय वेलेंटाइन डे
    तुम्हारे संग मनाऊंगी।
    तुम दोगे जब रोज मुझे
    मुंह
    Read More

    भारतीय वेलेंटाइन डे,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कहानीलघुकथा

    दौरा

    • Edited 3 years ago
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    • 139
    • 5 Mins Read

    कहानी पूर्णतया काल्पनिक है कृपया इसे किसी की जिंदगी से न जोड़े।

    "उसे मिरगी का दौरा पड़ता है"
    "अरे सब बहाने है उसके, जब भी कोई थोड़ा कुछ बोल दे लेट जाती है जमीन पर लोगों को उससे हमदर्दी हो जाती है, उसके
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    दौरा,<span>लघुकथा</span>
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    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    बढ़िया

    कवितालयबद्ध कविता

    प्रेम इश्क मोहब्बत

    • Edited 3 years ago
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    • 186
    • 3 Mins Read

    मोहब्बत का तीसरा दिन यानी चॉकलेट डे। एक और प्रेम कविता 😘
    ◆◆◆◆◆◆◆◆◆

    ज़िन्दगी की राह में अब,
    हाथ में तुम्हारा हाथ लिया।
    दिल में अपनी चाहत का,
    दिया भी देखो जला दिया।
    तुम बूंद समंदर की बन जाओ,
    मैंने
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    प्रेम इश्क मोहब्बत,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    लेखआलेख

    खोरफक्कन

    • Edited 3 years ago
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    • 160
    • 11 Mins Read

    कभी कभार हम घर से निकलते हैं किसी और लोकेशन के लिए और रास्ते में मन बदल जाये तो कहीं और का भी प्लान बन जाता है। मैं बहुत ज्यादा घुमक्कड़ नही हूँ। परन्तु अधिक दिन घर में रहने के बाद लगता है कि क्यों
    Read More

    खोरफक्कन,<span>आलेख</span>
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    लेखआलेख

    ट्रैकिंग

    • Edited 3 years ago
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    • 154
    • 13 Mins Read

    कुछ जगह attract करती हैं। ऐसी ही जगह है जबल जैश जहां पहाड़ों पर चढ़ाई की हमने। अपर्णा सबसे ज्यादा excited थी। मुझे पहाड़ों के नाम से ही थोड़ा डर लगता है और इतना संकरी रास्ता हो तो डर से बुरा हाल हो जाता है जरा सा
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    ट्रैकिंग,<span>आलेख</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    बहुत अच्छी पोस्ट. ट्रेकिंग बहुत मनोरंजक होती है. मैंने एक बार करीब 20 दिन की ट्रेकिंग की थी. बहुत पहले. पैर ना फिसले, उसके लिए उस समय बाटा के हंटर बूट आवश्यक थे. वे पत्थर पर अपनी ग्रिप बना लेते थे. अब तो बहुत विकल्प हो गये होंगे.

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    बहुत अच्छी पोस्ट. ट्रेकिंग बहुत मनोरंजक होती है. मैंने एक बार करीब 20 दिन की ट्रेकिंग की थी. बहुत पहले. पैर ना फिसले, उसके लिए उस समय बाटा के हंटर बूट आवश्यक थे. वे पत्थर पर अपनी ग्रिप बना लेते थे. अब तो बहुत विकल्प हो गये होंगे.

    कवितालयबद्ध कविता

    पिया ❣️

    • Edited 3 years ago
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    • 255
    • 4 Mins Read

    कैसे समझाऊं पिया तुमको
    तुम जल्दी गुस्सा हो जाते हो।
    मैं कहती नही जब बात को।
    तुम न जाने कहाँ खो जाते हो।
    समझो मेरे जज्बात को
    मैं जल्दी में नही आती हूँ।
    कोई देख न ले संग तुम्हारे
    मैं जमाने से डर जाती
    Read More

    पिया ❣️,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Naresh Gurjar

    Naresh Gurjar 3 years ago

    bhut khub

    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    सुन्दर....👌

    लेखअन्य

    वर्क फ्रॉम होम

    • Edited 3 years ago
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    • 209
    • 27 Mins Read

    आज सोचा कुछ खुराफात की जाए। एक समूह में घुस गई। वहां लिखा था घर बैठे कमाए। मैंने सोचा शुरुआत यही से की जाए। मैंने मैसेज कर दिया इंटरेस्टेड, मैडम इनबॉक्स में आई और कहा कि आप मुझे व्हाट्सअप करें मैं
    Read More

    वर्क फ्रॉम होम ,<span>अन्य</span>
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    कवितालयबद्ध कविता, अन्य

    प्यार का पंचनामा

    • Edited 3 years ago
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    • 153
    • 4 Mins Read

    किसी ने बड़े प्यार से इनबॉक्स में शायरी भेजी
    हमने प्रेम से पढ़कर पतिदेव को सुना दी।
    ऊपर से कहा कि देखिये हमारे बारे में कितना सुंदर लिखा है।
    एक आप हो जिसने कभी शायरी में मुझे कुछ नही कहा है।

    कहकर पतिदेव
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    प्यार का पंचनामा,<span>लयबद्ध कविता</span>, <span>अन्य</span>
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    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    वाह वाह

    नेहा शर्मा3 years ago

    धन्यवाद

    Madhu Andhiwal

    Madhu Andhiwal 3 years ago

    बहुत सुन्दर

    नेहा शर्मा3 years ago

    धन्यवाद

    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    बहुत.. सुन्दर... हा हा हा 😂😂😂

    कवितालयबद्ध कविता

    आम सी ज़िन्दगी

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 376
    • 3 Mins Read

    आम सी ज़िन्दगी


    आज जरा खुली हवा में साँस लेने दो।
    बड़े दिन से आजादी ढूंढी आज आजाद रहने दो।

    बह रही थी मन में घाव के समंदर में कबसे
    मरी हुई सी ज़िन्दगी को अब तुम ज़िंदा बहने दो।

    वो ले गया था सुकून मेरा मुझसे
    Read More

    आम सी ज़िन्दगी,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    जय हिन्द

    Ritu Garg

    Ritu Garg 3 years ago

    व्हा व्हा बहुत खूब

    Naresh Gurjar

    Naresh Gurjar 3 years ago

    लाजवाब रचना

    Gita Parihar

    Gita Parihar 3 years ago

    उम्दा सृजन है

    Gita Parihar

    Gita Parihar 3 years ago

    उम्दा सृजन है

    Rajesh Kr. verma Mridul

    Rajesh Kr. verma Mridul 3 years ago

    उम्मदा, बेहतरीन

    नेहा शर्मा3 years ago

    धन्यवाद आदरणीय

    लेखअन्य

    आखिर आप कर सकते हैं तो हम क्यों नही।

    • Edited 3 years ago
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    • 381
    • 10 Mins Read

    कुछ चीज़ें ऐसी होती हैं जिनसे हम हमेशा सोचते हैं कि पीछा छूट जाए और हम आगे बढ़ जाएं पर सच्चाई कुछ और ही होती है। जिस चीज़ को छोड़कर हम आगे बढ़ते हैं वह खत्म नही होती। बल्कि घूम फिरकर हमारे सामने आ जाती
    Read More

    आखिर आप कर सकते हैं तो हम क्यों नही। ,<span>अन्य</span>
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    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    सरहानीय.... कार्य

    Gita Parihar

    Gita Parihar 3 years ago

    बहुत सही कहा

    नेहा शर्मा3 years ago

    धन्यवाद आदरणीया

    कवितालयबद्ध कविता

    शहीदों की याद

    • Edited 3 years ago
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    • 225
    • 3 Mins Read

    कुर्बानी सैनिकों की याद आती तो होगी
    टीस दिल को जलाती तो होगी।
    यूँही नही बने हैं हम हिंदुस्तानी
    धरती माँ जंजीरों में जकड़ी नजर आती तो होगी।
    देश की मिट्टी जो उगलती है सोना
    सैनिकों के लहु से गुजर जाती
    Read More

    शहीदों की याद,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता, अन्य

    ससुराल लौटती बेटियां

    • Edited 3 years ago
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    • 155
    • 4 Mins Read

    मायके से सिर्फ बेटियाँ नही लौटती हैं।
    लौटता है उनके साथ मान सम्मान
    मायके के यादों की पोटली
    घर आंगन में उछलता कूदता बचपन
    पिता के आशीर्वाद में जताई गई चिंता
    माँ के आंचल से निकली सीख
    भाई के प्यार से
    Read More

    ससुराल लौटती बेटियां,<span>अतुकांत कविता</span>, <span>अन्य</span>
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    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    सही.. कहा... बेटियाँ होती है बहुत समझदार उसे कुछ कहने की जरूरत नहीं पड़ती...🙎

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    बहुत सुन्दर और भावपूर्ण..!

    कवितालयबद्ध कविता

    सफेद

    • Edited 3 years ago
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    • 174
    • 3 Mins Read

    प्रतियोगिता से इतर

    सफेद चौला पहन वो दुल्हन सी नज़र आती है।
    साज श्रृंगार में वो गुड़िया सी नज़र आती है।
    सफेद साड़ी भी उसके होंठो की रंगत से रँगी है।
    लाली लिपिस्टिक बिन वो खुले बाल लहराती है।
    न हमदर्द
    Read More

    सफेद,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Naresh Gurjar

    Naresh Gurjar 3 years ago

    लाजावाब

    नेहा शर्मा3 years ago

    बहुत बहुत शुक्रिया

    कवितालयबद्ध कविता

    जिंदगी

    • Edited 3 years ago
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    • 125
    • 3 Mins Read

    साँसों के साज में जिंदगी बसती है।
    किसने कहा कि यहाँ चीज सस्ती है।
    बोलियां तो आजकल हर चीज की लगती है।
    लेने वालों की बस औकात दिखती है।

    निकले जो बात दूर तलक जाती है।
    पुतलों में बस इंसानियत खलती है।
    नज़रों
    Read More

    जिंदगी,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    DIPAK VANKAR

    DIPAK VANKAR 7 months ago

    मुजे उम्मीद है आप गजल के छंद को आत्मसात कर बहेतर गजल लेखन कर उम्दा रचना लिखोगी /

    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    उम्दा....

    Naresh Gurjar

    Naresh Gurjar 3 years ago

    बेमिसाल

    नेहा शर्मा3 years ago

    बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय

    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    वाह बढ़िया

    नेहा शर्मा3 years ago

    धन्यवाद

    कवितालयबद्ध कविता

    प्यार

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 116
    • 3 Mins Read

    क्या है पहला प्यार?
    एक सौंधी सी खुशबू है जो महका देती है।
    निकलकर यथार्थ से ख्वाबों में पहुंचा देती है।
    कंगन घूमने से लेकर किसी के शर्ट के बटन तक
    मोहब्बत की खुशबू अंगड़ाई में बहका देती है।
    माचिस से
    Read More

    प्यार,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Naresh Gurjar

    Naresh Gurjar 3 years ago

    बहुत ही उम्दा

    नेहा शर्मा3 years ago

    बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय

    कहानीसामाजिक, अन्य

    फोन

    • Edited 3 years ago
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    • 209
    • 14 Mins Read

    अभी थक हारकर पलँग पर बैठी ही थी कि तभी याद आया कि एक कॉल कर लूँ। उठकर पर्स में से फोन निकलने के लिये पर्स उठाया। तभी बेटी पास आकर,
    "मम्मी मेले हाथ गन्दे हो गए धुलवा दो ना"
    पर्स वहीं रखकर हाथ धुलवाने
    Read More

    फोन,<span>सामाजिक</span>, <span>अन्य</span>
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    Gita Parihar

    Gita Parihar 3 years ago

    बहुत कुछ सोचने को विवश करती हुई रचना,वाह!

    नेहा शर्मा3 years ago

    धन्यवाद 🙏🏻

    Anjani Tripathi

    Anjani Tripathi 3 years ago

    बहुत सुंदर कहानी

    नेहा शर्मा3 years ago

    धन्यवाद

    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    ह्रदयस्पर्शी कहानी, आज के बच्चों का मोबाइल दीवानापन दर्शाती।

    नेहा शर्मा3 years ago

    धन्यवाद

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    एक मासूम सी कहानी😊😊

    नेहा शर्मा3 years ago

    धन्यवाद

    Madhu Andhiwal

    Madhu Andhiwal 3 years ago

    Nice

    नेहा शर्मा3 years ago

    शुक्रिया

    कविताअतुकांत कविता

    हाँ हम आम लोग हैं।

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 257
    • 7 Mins Read

    हाँ हम सब आम हैं।
    हम सभी उन गलियों से निकले हैं
    जहां आम की गुठलियों को सफेद होने तक खाया जाता
    जहां गर्मियों की छुट्टियों में नानी के घर जाने की शिकायत लगाई जाती।
    सर्दियों में बड़े स्वेटर को मोड़कर
    Read More

    हाँ हम आम लोग हैं।,<span>अतुकांत कविता</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    आप सभी का धन्यवाद

    Gita Parihar

    Gita Parihar 3 years ago

    तभी तो हमारे देश के आम हों या आम लोग, अपनी मिठास ‌के लिए खास हैं।

    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    ख़ास ईश्वर ने बनाया तो आम होते हुए भी ख़ास हैं,खूब

    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    अति सुंदर....

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    सुंदर

    Madhu Andhiwal

    Madhu Andhiwal 3 years ago

    सुन्दर

    नेहा शर्मा3 years ago

    धन्यवाद

    कवितालयबद्ध कविता

    इश्क मोहब्बत

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 257
    • 3 Mins Read

    वो अनमोल नगीना साँसों का उनके छल्ले में था।
    आज इश्क़ बदनाम उनके मोहल्ले में था।

    वो बेख्याली में गुजर रहे थे दिल की गलियों से।
    मेरे प्यार का निशान उनके गले में था।


    खिलाफत की जमाने ने बड़ी हिमाकत थी
    Read More

    इश्क मोहब्बत,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    बहुत खूब ....मैम

    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    वाह अति उत्तम👌

    Anjani Tripathi

    Anjani Tripathi 3 years ago

    क्या बात है मैम

    नेहा शर्मा3 years ago

    धन्यवाद

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    क्या बात है

    नेहा शर्मा3 years ago

    धन्यवाद

    कवितालयबद्ध कविता

    बदलाव

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 154
    • 3 Mins Read

    लोग बदलने को कहते हैं मैं खुद जैसी हो जाती हूँ।
    बदलती हूँ थोड़ा तो रंगहीन सी हो जाती हूँ।

    नेहा के नेह को मत परखो तुम कभी
    जली कभी कोयले सी तो अंगार सी हो जाती हूँ

    बना दो हुक मुझे उसकी शर्ट का तुम
    कि प्यार
    Read More

    बदलाव,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    आप सभी का धन्यवाद

    अजय मौर्य ‘बाबू’

    अजय मौर्य ‘बाबू’ 3 years ago

    सुंदर अभिव्यक्ति

    Madhu Andhiwal

    Madhu Andhiwal 3 years ago

    Nice

    सुविचारप्रेरक विचार

    अंधेरा और प्रकाश

    • Edited 3 years ago
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    • 191
    • 5 Mins Read

    जीवन की बत्ती तभी तक प्रकाश से भरी रहती है जब अपनों का साथ प्रकाश बनकर चमकता रहता है। अकेलेपन में दिए का प्रकाशहीन होना बिल्कुल सत्य है
    - नेहा शर्मा

    हमें प्रकाश की जरूरत तभी पड़ती है जब अंधेरा हो।
    Read More

    अंधेरा और प्रकाश,<span>प्रेरक विचार</span>
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    Madhu Andhiwal

    Madhu Andhiwal 3 years ago

    बहुत सुन्दर

    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    बहुत ही प्रेरक विचार

    कवितालयबद्ध कविता

    हम तुम

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 261
    • 3 Mins Read

    एक मजबूत से धागे में साँसों की माला बंधती है।
    हमारी जिंदगी एक दूसरे में पल पल पलती है।

    कहने वाले कह भी देते हैं पागल हमें
    पर ये पगली नेहा किसी की बात कहाँ सुनती है।

    नाज नखरे उठाकर बड़ी हसरत से पलको
    Read More

    हम तुम,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Pratik Prabhakar

    Pratik Prabhakar 3 years ago

    बहुत खूब??

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    शत शत आशीष

    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    बहुत सुंदर। सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाएं

    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    बहुत.. ही...बढ़िया...शादी... की..शालगिरा...की शुभकामनाएं....

    नेहा शर्मा3 years ago

    बहुत बहुत धन्यवाद

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    विवाह की वर्षगांठ की बहुत बधाई और शुभकामनाएं ??????

    नेहा शर्मा3 years ago

    बहुत बहुत धन्यवाद

    कहानीप्रेरणादायक, अन्य

    वह त्योहार

    • Edited 3 years ago
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    • 245
    • 10 Mins Read

    मुझे आज भी याद है जब भी देव उठनी एकादशी आती माँ हमेशा सफेद रंग के कत्थई और चाक से जमीन पर देवता बनाया करती थी। गेरू से घर की सभी देहरी पर डिजाइन बनाया करती थी। और भी बहुत कुछ करती थी। फिर छलनी को जमीन
    Read More

    वह त्योहार,<span>प्रेरणादायक</span>, <span>अन्य</span>
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    Gita Parihar

    Gita Parihar 3 years ago

    बहुत सुंदर सृजन

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    अद्भुत

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    अद्भुत

    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    बिल्कुल, ऐसी क‌ई प्रथाएं है जो जो छुपती जा रही है

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    Bahot Dilchasp Smrati .. !

    Shabdahuti Prakashan

    Shabdahuti Prakashan 3 years ago

    Bahut Hi Achha Neha Ji.

    Madhu Andhiwal

    Madhu Andhiwal 3 years ago

    बचपन की शरारते और यादें बहुत याद आती हैं अच्छी रचना

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    अच्छी जानकारी

    कवितालयबद्ध कविता

    वक़्त

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 253
    • 3 Mins Read

    वक़्त
    ●●●

    वक़्त की नजाकत को आओ कुछ यूं समझते हैं।
    बैठते हैं पल भर पास, कुछ खुशी के फूल चुनते हैं।

    अश्रुओं को अपने समन्दर में डूबा आते हैं।
    चलों इन अरसे से बन्द पड़े दिलों की चाबी ढूंढते हैं।

    खींचते
    Read More

    वक़्त,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    अति सुंदर.....आदरणीय!

    Priyanka Tripathi

    Priyanka Tripathi 3 years ago

    वाह वाह

    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    सुंदर कविता

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    बहुत सुंदर

    लेखअन्य

    एकांत

    • Edited 3 years ago
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    • 238
    • 13 Mins Read

    बचपन में पढ़ा एक आर्टिकल याद आ गया जिसका शीर्षक था एकांत तब मैं Sangeeta Gupta दीदी से ट्यूशन पढ़ा करती थी। हाँ पढ़ने में बहुत स्लो थी। पर मुझे झेला भी उन्होंने ही। चलिये जो आप सबको बताना चाहती हूँ उस मुद्दे
    Read More

    एकांत,<span>अन्य</span>
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    Madhu Andhiwal

    Madhu Andhiwal 3 years ago

    सही आंकलन

    कवितालयबद्ध कविता

    वो और मैं

    • Edited 3 years ago
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    • 373
    • 6 Mins Read

    किसी के चले जाने के बाद किस तरह से उनकी अहमियत पता चलती है। उसी के ऊपर लिखी गयी रचना है। जरूर पढियेगा।


    कांटा मुझे चुभता था तो हाथ से निकाल देते थे।
    मेरे निकले आंसू को हाथ से पोंछ डालते थे।

    रूह को
    Read More

    वो और मैं ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    बहुत... सुन्दर... कविता।

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    बहुत खूबसूरत भाव

    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    किसी के यादों का एहसास हनेशा बहुत कुछ कहला जाता है, और आपकी भी कविता बहुत कुछ कहती हैं। मेम अगर मेरे कहने कोई गलती हो तो माफ करना लेकिन आपकी रचना पढ़ने में थोड़ी असहज लग रही है। अगर विराम चिन्हों का प्रयोग हो तो सहजता होगी ।

    नेहा शर्मा3 years ago

    जी बेहद शुक्रिया आपका मुझे भी लगा कि रचना अभी थोडा कच्ची है और मैंने पोस्ट करने में जल्दी कर दी। बहुत अच्छा लगा कि आपने नोट किया। ??

    Madhu Andhiwal

    Madhu Andhiwal 3 years ago

    उम्दा

    नेहा शर्मा3 years ago

    बहुत बहुत शुक्रिया

    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    अत्यंत ह्रदयस्पर्शी रचना

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    बहुत ही खूबसूरत.. मर्मस्पर्शी एहसास.. जीवनसाथी के बिना जीवन निष्प्रांण. सा हो जाता है..!

    कविताहरियाणवी रागिनी, लयबद्ध कविता, अन्य

    ज्या रे ज्या

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 107
    • 3 Mins Read

    ज्यारे जा
    ●●●●●●

    ज्यारे जा ज्यारे कागा
    मेरी अरदास तू लैजा
    उस कुम्हारण न जाके कह दिए
    ज्यारे जा....

    मेरी माई सै भूक्खी
    मिले ना रोटी सुक्खी
    कुक्कर खावेंगे बेटी कह दिए
    ज्यारे जा......

    दिन यो इब ढलता जावै
    कमाई
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    ज्या रे ज्या,<span>हरियाणवी रागिनी</span>, <span>लयबद्ध कविता</span>, <span>अन्य</span>
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    Bhawna Sagar Batra

    Bhawna Sagar Batra 3 years ago

    रचना अच्छी है पर कुक्कर वाली पंक्ति समझ नहीं आई दीदी

    नेहा शर्मा3 years ago

    कुक्कर मतलब कैसे

    Priyanka Tripathi

    Priyanka Tripathi 3 years ago

    बहुत सुदंर पंजाबी मे कवीता। कुक्रर खावेगी का मतलव

    नेहा शर्मा3 years ago

    जी हरियाणवी में कुक्कर को कैसे कहते हैं। खावेगी मतलब खाएगी।

    Bhawna Sagar Batra3 years ago

    जी मुझे हरयाणवी लग रही है ?‍♀️

    कहानीलघुकथा

    मेरा चाँद

    • Edited 3 years ago
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    • 207
    • 6 Mins Read

    मेरा चाँद (लघुकथा)

    भूख अपना पुरजोर अपना रही थी। चाँद के इंतज़ार में बेचैनी बढ़ती जा रही थी। लग रहा था कि आज चाँद नखरे कर रहा है। तभी महेश ने ऑफिस का बैग रखकर पास आकर वर्षा के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा।

    "चलो
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    मेरा चाँद,<span>लघुकथा</span>
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    Bhawna Sagar Batra

    Bhawna Sagar Batra 3 years ago

    बहुत सुंदर

    कवितालयबद्ध कविता

    प्रेम

    • Edited 3 years ago
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    • 149
    • 3 Mins Read

    हम प्रेम के बोल के मारे हैं।
    बस प्रेम से बोल लीजिये।
    कानों में दो मिश्री के
    शब्द जरा घोल दीजिये।

    कड़वी भाषा सुनी नही।
    हम प्रेम में जीने वाले हैं।
    न दिल के हम कभी काले थे
    न जज्बातों के काले हैं।

    कानों
    Read More

    प्रेम,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    बहुत सुंदर

    Bhawna Sagar Batra

    Bhawna Sagar Batra 3 years ago

    बहुत सुंदर भाव

    Priyanka Tripathi

    Priyanka Tripathi 3 years ago

    Very nice

    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    वाह ,बढ़िया

    Madhu Andhiwal

    Madhu Andhiwal 3 years ago

    बहुत सुन्दर

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    prem se Pagee Sunder Rachna..!

    कविताछंद

    कान्हा संग प्रेम

    • Edited 3 years ago
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    • 315
    • 2 Mins Read

    अरिल्ल छंद

    बंसी मधुर बजाये मोहन
    सुनकर सब बन जाये जोगन

    चलो श्याम की बने सुहागन
    पंथ निहारे बनकर दुल्हन

    बरस रहे हैं मुझ पर बादल
    प्रेम मग्न मैं बह गयी पागल

    होश कहाँ है तुमको पाकर
    अब तो गले लगाओ आकर

    पी
    Read More

    कान्हा संग प्रेम,<span>छंद</span>
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    Anjani Tripathi

    Anjani Tripathi 3 years ago

    Wah bhut sundar

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    वाह

    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    अच्छा है

    Priyanka Tripathi

    Priyanka Tripathi 3 years ago

    Beautiful

    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    ओहो,,,खूब

    SHAKTI RAO MANI

    SHAKTI RAO MANI 3 years ago

    ख़ूब

    Krishna Tawakya Singh

    Krishna Tawakya Singh 3 years ago

    बहुत अच्छा

    कवितालयबद्ध कविता

    व्वक्त

    • Edited 3 years ago
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    • 132
    • 3 Mins Read

    वक़्त की नजाकत को आओ कुछ यूं समझते हैं।
    बैठते हैं पल भर पास, कुछ खुशी के फूल चुनते हैं।

    अश्रुओं को अपने समन्दर में डूबा आते हैं।
    चलों इन अरसे से बन्द पड़े दिलों की चाबी ढूंढते हैं।

    खींचते हैं अम्बर
    Read More

    व्वक्त,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Priyanka Tripathi

    Priyanka Tripathi 3 years ago

    Nice

    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    जी,वक्त को थामे रहना है

    Madhu Andhiwal

    Madhu Andhiwal 3 years ago

    Nice

    Anjani Tripathi

    Anjani Tripathi 3 years ago

    Very nice

    कवितालयबद्ध कविता

    तस्वीर

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 455
    • 3 Mins Read

    भरकर रंग कूंची में जो ये तुम तस्वीर उतारते हो ।
    बताओ ना कैसे तुम कैनवास का हर अंग यूँ संवारते हो।

    तुम्हारे हाथों पर लगे रंग इंद्रधनुषी आकार जो बनाते हैं।
    बताओ ना कैसे तुम जादू से इस ब्रश को चलाते
    Read More

    तस्वीर,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Priyanka Tripathi

    Priyanka Tripathi 3 years ago

    Beautiful

    Priyanka Tripathi

    Priyanka Tripathi 3 years ago

    सुंदर

    नेहा शर्मा3 years ago

    धन्यवाद

    Bhawna Sagar Batra

    Bhawna Sagar Batra 3 years ago

    बहुत सुन्दर

    नेहा शर्मा3 years ago

    शुक्रिया

    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    बहुत...सुन्दर... मैम।

    नेहा शर्मा3 years ago

    शुक्रिया

    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    वाह जी,आपके ख़्वाबों की ही तस्वीर

    नेहा शर्मा3 years ago

    बहुत शुक्रिया

    Poonam Bagadia

    Poonam Bagadia 3 years ago

    बहुत बढ़िया..!?

    नेहा शर्मा3 years ago

    धन्यवाद

    Comrade Pandit

    Comrade Pandit 3 years ago

    बहुत खूब?????

    Madhu Andhiwal

    Madhu Andhiwal 3 years ago

    तुम मेरे ख्वाबों की तस्वीर ही बनाते हो ,बहुत सुन्दर

    नेहा शर्मा3 years ago

    बहुत बहुत धन्यवाद

    कवितालयबद्ध कविता

    वो पागल लड़का

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 116
    • 2 Mins Read

    बड़ा नुकसान कर देता है।
    मेरा दिल बदनाम कर देता है।
    मैं तरसती हूँ एक छाँव को
    वो सुबह को शाम कर देता है।
    पगला है वो नही समझता है।
    किस्सा सरेआम कर देता है।
    मेरी है ये कहता फिरता है।
    झगड़े जैसे काम कर देता
    Read More

    वो पागल लड़का,<span>लयबद्ध कविता</span>
    user-image
    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    बेहतरीन

    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    बहुत ही सुन्दर... मैम

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    वाह वाह

    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    वाह , सिफर हो रही जिंदगी उसकी गुणा भाग के नाम कर देता है।

    कविताअतुकांत कविता

    कद

    • Edited 3 years ago
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    • 183
    • 3 Mins Read

    एक रचना दिल की पुस्तक से
    ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆

    अक्सर लोग तुमको कद में छोटा माप लेते हैं।
    हाँ माना उम्र में छोटी हूँ मैं।
    पर किसी की बेटी हूँ मैं।
    ख्वाब देखना उन्होंने ही सिखाया था मुझको।
    मैं बस उस ख्वाब
    Read More

    कद,<span>अतुकांत कविता</span>
    user-image
    Priyanka Tripathi

    Priyanka Tripathi 3 years ago

    सुंदर

    Comrade Pandit

    Comrade Pandit 3 years ago

    बहुत खूब??

    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    अच्छे भाव

    नेहा शर्मा3 years ago

    धन्यवाद

    Anujeet Iqbal

    Anujeet Iqbal 3 years ago

    बहुत सुंदर रचना

    नेहा शर्मा3 years ago

    धन्यवाद

    Anujeet Iqbal

    Anujeet Iqbal 3 years ago

    ये मेरे बारे में क्या लिख दिया??

    नेहा शर्मा3 years ago

    सभी के साथ है क्या करें। हर जगह हर तरह के लोग मिलते हैं।

    Anujeet Iqbal

    Anujeet Iqbal 3 years ago

    ये मेरे बारे में क्या लिख दिया??

    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    बहुत... खूब... मैम

    नेहा शर्मा3 years ago

    धन्यवाद

    Bhawna Sagar Batra

    Bhawna Sagar Batra 3 years ago

    Bahut sunder

    नेहा शर्मा3 years ago

    धन्यवाद

    कहानीहास्य व्यंग्य

    चिमटा

    • Edited 3 years ago
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    • 343
    • 10 Mins Read

    एक हामिद का चिमटा था जो माँ के हाथ जलते है हामिद ने इसलिये खरीदा था और एक हमारी माँ का चिमटा था जिसे हम छुपा देते थे। क्यों बताते है वो भी।

    हमारी माँ बहुत काम करती। और हम एक नम्बर के नकारा, निठल्ले।
    Read More

    चिमटा,<span>हास्य व्यंग्य</span>
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    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    अरे बाबा,बड़ी ग़लती हुई,बाद में समझ आया।

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    मजेदार

    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    हाँ...सही.. कहा..कुछ.. लोगो पर कुछ असर नहीं होता... अच्छी कहानी है

    Bhawna Sagar Batra

    Bhawna Sagar Batra 3 years ago

    गजब ??कल पढ़ी थी मगर लॅाग इन नहीं कर पाई ।

    Madhu Andhiwal

    Madhu Andhiwal 3 years ago

    वाह, चिमटे की मार बड़ी भयंकर होती है।

    नेहा शर्मा3 years ago

    धन्यवाद

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    वाह वाह

    नेहा शर्मा3 years ago

    धन्यवाद

    कविताअतुकांत कविता

    मुझसे पूछो

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 250
    • 3 Mins Read

    हिस्सा तुम ही तो थे मेरा
    फिर क्यों बंटने की बात की।
    देखा है कभी
    जमीन और आसमान को
    दोनों अलग - अलग दिखते हैं।
    दिखते हैं ओर - छोर मिलते हुए
    पर मिलकर भी मिलते नही।
    तुम्हे क्या चाहिये यह तो सब जानते हैं।
    मुझसे
    Read More

    मुझसे पूछो,<span>अतुकांत कविता</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    विलक्षण

    Bhawna Sagar Batra

    Bhawna Sagar Batra 3 years ago

    बहुत सुुंदर

    Poonam Bagadia

    Poonam Bagadia 3 years ago

    बहुत बढ़िया

    नेहा शर्मा3 years ago

    धन्यवाद

    कविताअतुकांत कविता

    दुख

    • Edited 3 years ago
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    • 269
    • 4 Mins Read

    दुख क्षणभंगुर है, और मन वहम
    उड जाता है धुएं की तरह
    बस उसी और जिस और हवा बह रही हो।
    कभी कभी होश खो बैठता है।
    डूब जाता है दुख के सागर में
    फिर समय हँसता हुआ आता है।
    दिखाकर घड़ी जिम्मेदारी की
    आंसुओं को हंसी
    Read More

    दुख,<span>अतुकांत कविता</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    विलक्षण

    मुरली टेलर

    मुरली टेलर""मानस"" 3 years ago

    बहोत खु बसूरत कविता

    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    समय ही मलहम है

    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    बेहतरीन.... रचना.... दुख और सुख....सिक्के के दो पहलू है

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    सुन्दर..! समय सभी घावों को हल्का करने का कार्य करता है ..!

    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    अविरत,,,भर देता है और दर्दों को भुला देता है

    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    समय एक ऐसा मलहम है जो सारे ज़ख़्म

    Poonam Bagadia

    Poonam Bagadia 3 years ago

    वाह बहुत सुंदर ...! सही कहा आपने इस दुख से उस दुख के बीच क्षण भर का सुख भी आता है...!

    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    बेहतरीन मेम अच्छा लिखा आपने

    कवितालयबद्ध कविता

    बिगड़े हुए लड़के।

    • Edited 3 years ago
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    • 157
    • 2 Mins Read

    दिल दरिया और हम समंदर हो गए।
    गली के लड़के बड़े छछुंदर हो गए।

    परेशान करने लगे है आते जाते गली से।
    एक रिपोर्ट की सब अंदर हो गए।

    क्या बताये नेहा जमाना खराब है।
    एक देखा था लगा सब बंदर हो गए।

    उतर गए मन से
    Read More

    बिगड़े हुए लड़के।,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    वाह वाह

    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    बड़े बंदर हैं आज के लड़के

    Mamta Gupta

    Mamta Gupta 3 years ago

    बहुत ही मजेदार अच्छा सबक सिखाया है मनचले लड़को को

    Bhawna Sagar Batra

    Bhawna Sagar Batra 3 years ago

    ???? गजब

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    आप सभी का बेहद आभार

    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    सुन्दर कृति.... मैम

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    बहुत खूबसूरत..! ?

    लेखआलेख

    विदेश में हिंदी हिंदी का विदेश

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 191
    • 21 Mins Read

    आप सभी को मैं नेहा शर्मा दुबई से सादर प्रणाम करती हूँ। अच्छा यह देखकर लगता है। कि हम भारतीय संसार के लगभग हर कोने में है। और उससे अच्छा यह लगता है कि हमारे देश की जो सुगंध है हम सभी ने मिलकर कायम रखी
    Read More

    विदेश में हिंदी हिंदी का विदेश,<span>आलेख</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    चैतन्यपूर्ण

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    चै

    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    सार्थक

    Bhawna Sagar Batra

    Bhawna Sagar Batra 3 years ago

    बहुत खूब

    Usha Bhadauria

    Usha Bhadauria 3 years ago

    Accha speech raha aapka

    Anujeet Iqbal

    Anujeet Iqbal 3 years ago

    बहुत खूब

    Anujeet Iqbal

    Anujeet Iqbal 3 years ago

    जय हिंदी, जय भारत❤️❤️

    कहानीसंस्मरण, हास्य व्यंग्य, व्यंग्य

    अक्ल खूंटी पर

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 179
    • 6 Mins Read

    उस दिन हम जबरदस्त तैयार होकर बाहर निकले दरवाजे पर खड़े थे कि एक महिला फोन में भी लगी हुई थी और पड़ोस घर की घण्टी दनादन बजाए जा रही थी। हम भी पतिदेव और बेटी के जूते पहनकर बाहर आने का इंतज़ार करने लगे।
    Read More

    अक्ल खूंटी पर,<span>संस्मरण</span>, <span>हास्य व्यंग्य</span>, <span>व्यंग्य</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    वाह वाह

    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    ये औरतें भी ना पूरी जाति को बदनाम करती हैं

    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    ये औरतें भी ना पूरी जाति को बदनाम करती हैं

    Bhawna Sagar Batra

    Bhawna Sagar Batra 3 years ago

    मजेदार ।??

    Mamta Gupta

    Mamta Gupta 3 years ago

    हा हा हा कभी ऐसा होता हैं

    Sushma Tiwari

    Sushma Tiwari 3 years ago

    मजेदार ??होता है अक्सर

    Anujeet Iqbal

    Anujeet Iqbal 3 years ago

    अच्छा लिखा?

    Anujeet Iqbal

    Anujeet Iqbal 3 years ago

    हाहाहा मजा आ गया। मेरे हाथ में मोबाइल न भी हो तो ऐसी हरकतें यदाकदा मेरे से हो जाती हैं ?

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    बहुत ही मजेदार वाकया..! वास्तव में फोन में कभी कभी लोग इतना खो जाते हैं कि दिमाग़ चलाना ही बन्द कर देते हैं..!,???

    कवितालयबद्ध कविता, अन्य

    नोंक झोंक

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 301
    • 9 Mins Read

    एक दिन पत्नी अड़ गयी एक बात पर।
    पूछने लगी पति का हाथ पकड़कर.....
    अजी सुनते हो क्या मुझे एक बात बताओगे।
    पति पत्नी पर ही क्यों चुटकुले बनते हैं जरा समझाओगे।
    अब पति बड़ी हैरानी से रहा था देख।
    सोच रहा था क्या
    Read More

    नोंक झोंक,<span>लयबद्ध कविता</span>, <span>अन्य</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    वाह वाह

    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    बहुत खूब

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    बढ़िया

    Bhawna Sagar Batra

    Bhawna Sagar Batra 3 years ago

    बढ़िया

    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    अच्छा लिखा आपने

    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    मन खुश हो गया.. मैम..आपकी नोक झोंक पढ़ के...

    Anujeet Iqbal

    Anujeet Iqbal 3 years ago

    सही सलाह दी। अच्छा लिखा। साधु साधु साधु

    कविताबाल कविता, लयबद्ध कविता

    खिलौना

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 141
    • 3 Mins Read

    एक था चुन्नू एक थी मुन्नी
    चुन्नू लाया सिपाही खिलौना।
    लेकर आई गुड़िया मुन्नी।
    रात को दोनो सो गए
    सपनों में वो खो गए।
    तभी चुन्नू ने सुनी आवाज
    धीरे से गया दरवाजे के पास
    जाकर देखा हक्का बक्का।
    खिलौने
    Read More

    खिलौना,<span>बाल कविता</span>, <span>लयबद्ध कविता</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    वाह वाह

    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    बढ़िया

    Bhawna Sagar Batra

    Bhawna Sagar Batra 3 years ago

    सुन्दर रचना

    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    अच्छा है

    कवितालयबद्ध कविता

    इंसान आज जमी पर आया है।

    • Edited 3 years ago
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    • 150
    • 4 Mins Read

    खेल मौत का देखकर, हर दिल आज घबराया है।
    देखो देखो इंसान आज जमी पर आया है।

    सोच रहा एक दूजे को, हाथ पकड़ इठलाया है।
    देखो देखो इंसान आज जमी पर आया है।

    मार डर को देखो ये आज आगे बढ़ पाया है।
    देकर हिम्मत डॉक्टर
    Read More

    इंसान आज जमी पर आया है।,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    SHAKTI RAO MANI

    SHAKTI RAO MANI 3 years ago

    यथार्थ

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    अब ऊँट पहाड़ के नीचे आया है

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    चैतन्यपूर्ण

    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    सुन्दर

    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    बहुत सुंदर कविता....

    Anujeet Iqbal

    Anujeet Iqbal 3 years ago

    बिल्कुल सत्य। यथार्थ का वर्णन करती रचना

    नेहा शर्मा3 years ago

    शुक्रिया

    कवितालयबद्ध कविता

    हिंदी

    • Edited 3 years ago
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    • 195
    • 6 Mins Read

    स्वर और व्यंजन से देखो अपनी हिंदी चमक रही है।
    माँ की माथे की बिंदी में अपनी एक बिंदी महक रही है।

    हाथों की चूड़ी में उसकी मात्राओं का संसार है।
    पायल की छन छन में देखो स्वरों का भंडार है।

    इन श्रंगार
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    हिंदी,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    विलक्षण

    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    हिंदी तो बस हिंदी है

    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    बहुत शानदार कविता.... मैम आपने बहुत ही अच्छे से प्रस्तुत किया है.....

    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    बढ़िया

    Anujeet Iqbal

    Anujeet Iqbal 3 years ago

    बहुत सुंदर लयबद्ध कविता

    कवितालयबद्ध कविता

    रूठे सजन

    • Edited 3 years ago
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    • 147
    • 5 Mins Read

    कब तक पकड़कर बैठोगे पिया एक बात को।
    कभी तो समझना ही होगा मेरे जज्बात को।
    देखो मैं हारी हाँ पकड़ती हूँ कान सैयां
    अब मत झटकों मेरा हाथ पिया।

    अच्छा जैसा कहोगे वैसा मैं करती जाऊंगी।
    आप मत रूठा करो मैं
    Read More

    रूठे सजन,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    लडा़ई का काम हम दोनों पर छोड़ दो,

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    परदेश में लडा़ई करना ठीक नहीं.

    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    वाह आपकी बातें

    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    सही.. कहा... यूं.. होता.. हैं.. अक्सर.. आप बहुत अच्छा लिखती हो...

    नेहा शर्मा3 years ago

    बहुत बहुत शुक्रिया ??

    Anujeet Iqbal

    Anujeet Iqbal 3 years ago

    ❤️❤️❤️

    Anujeet Iqbal

    Anujeet Iqbal 3 years ago

    मीठी बात बम के गोले

    Anujeet Iqbal3 years ago

    नेहा शर्मा3 years ago

    शुक्रिया

    Anujeet Iqbal

    Anujeet Iqbal 3 years ago

    मीठी बात बम के गोले

    कहानीसंस्मरण

    मासूम बचपन

    • Edited 3 years ago
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    • 275
    • 15 Mins Read

    जब भी शिक्षण की बात उठती है अक्सर कुछ प्यारी सी बातें मस्तिष्क पटल पर उभर आती हैं। प्यारी इसलिये की नन्हे मुन्ने से बच्चो से जो जुड़ी हुई है। मेरा शिक्षण का यह पहला अनुभव ही था। इंटरव्यू दिया और मैं
    Read More

    मासूम बचपन,<span>संस्मरण</span>
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    Anujeet Iqbal

    Anujeet Iqbal 3 years ago

    सुंदर संस्मरण

    कवितालयबद्ध कविता

    एक हसरत दिल की

    • Edited 3 years ago
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    • 265
    • 4 Mins Read

    अच्छा सुनो एक बूढ़ी सी जवानी देख रही हूँ तुम्हारे साथ।
    लड़खड़ाते हुए बेंत लेकर चलना।
    एक दूसरे का सहारा बनकर हंसी ठिठोली करना।
    आपके चश्मे को मेरे स्कार्फ़ से साफ करके आपकी नाक पर रखना।
    बच्चे की तरह
    Read More

    एक हसरत दिल की,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Deepak Verma

    Deepak Verma 11 months ago

    बहुत ही सुन्दर और भावनाओं से ओत-प्रोत रचना है साधुवाद और बधाई।

    नेहा शर्मा11 months ago

    शुक्रिया आदरणीय

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    विलक्षण

    Swati Sourabh

    Swati Sourabh 3 years ago

    बहुत सुंदर

    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    जी, आप दादी नानी ज़रूर बनेगी

    Mamta Gupta

    Mamta Gupta 3 years ago

    बहुत ही सुंदर। हसरतें पूरी हो जाना ज़िंदगी का सुखी हो जाना

    Manpreet Makhija

    Manpreet Makhija 3 years ago

    बहुत ही खूबसूरत पंक्तियां। वाकई, दिल की हसरत इतनी ही तो है

    Anujeet Iqbal

    Anujeet Iqbal 3 years ago

    ❤️ आपको

    नेहा शर्मा3 years ago

    बेहद शुक्रिया ❣️

    Naman Sharma

    Naman Sharma 3 years ago

    Wao ❤️

    नेहा शर्मा3 years ago

    शुक्रिया आदरणीय

    SHAKTI RAO MANI

    SHAKTI RAO MANI 3 years ago

    वाह बेहतरीन

    नेहा शर्मा3 years ago

    बहुत बहुत शुक्रिया

    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    वाह,बेहद ही भावनात्मक

    नेहा शर्मा3 years ago

    बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय

    Amrita Pandey

    Amrita Pandey 3 years ago

    बहुत भावपूर्ण और सत्य पर आधारित कविता लिखी आपने। उम्र का ये पडाव सभी के साथ आना है

    नेहा शर्मा3 years ago

    जी होंसला अफजाई हेतु आपका बेहद शुक्रिया मैं भी बेसब्री से आपकी रचना का इंतज़ार कर रही हूं।

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    अत्यंत भावपूर्ण..!,

    नेहा शर्मा3 years ago

    शुक्रिया आदरणीय।

    लेखअन्य

    लोग क्या कहेंगे

    • Edited 3 years ago
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    • 154
    • 12 Mins Read

    हम औरतों के ऊपर भी न कितना भार होता है। इस ड्रेस पर क्या अच्छा लगेगा। इस साड़ी पर क्या जमेगा। इस इस इयरिंग के साथ क्या ये दुपट्टा मैच होगा। आदमियों का क्या है। एक कंघा सिर में घुमाया जूते पहने शर्ट
    Read More

    लोग क्या कहेंगे,<span>अन्य</span>
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    Gita Parihar

    Gita Parihar 3 years ago

    बहुत सही कहा आपने।

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    चैतन्यपूर्ण

    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    बहुत खुब....मैम

    vaishali arora

    vaishali arora 3 years ago

    bahut khub

    नेहा शर्मा3 years ago

    शुक्रिया

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    Khubsurat ..! Log Kya Kahenge Always haunts Us ..!

    कवितालयबद्ध कविता, अन्य

    प्रपोजल

    • Edited 3 years ago
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    • 115
    • 4 Mins Read

    भूर्ज खलीफा सी तुम मुझको ऐसे दिखती हो।
    जल बुझ होती लाइट जैसे तुम चलती हो।
    आंखे तुम्हारी फुटबॉल सी
    कौन सा मैच तुम खेलती हो।
    कर लो शादी मुझसे जाना
    क्यों पंचायत करती हो।
    लड़कीं
    ऊंट के जैसे शक्ल तुम्हारी
    गधे
    Read More

    प्रपोजल,<span>लयबद्ध कविता</span>, <span>अन्य</span>
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    Madhu Andhiwal

    Madhu Andhiwal 3 years ago

    Nice

    नेहा शर्मा3 years ago

    बेहद शुक्रिया

    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    हा हा बिल्कुल सही

    नेहा शर्मा3 years ago

    shukriya

    कवितालयबद्ध कविता

    असली शिक्षक कौन

    • Edited 3 years ago
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    • 174
    • 5 Mins Read

    जिसने राह दिखलाई वो हर एक गुरु है पास।
    मैं दूँ किसको बधाई बतलाओ गुरु को हमसे आस
    पीने के पानी ने हमको जीवन देकर सिखलाया।
    कैसे किसी को अपनाए हमको यह बतलाया।
    हवा ने हमको सांसे देकर कर्ज से आजाद किया।
    बिना
    Read More

    असली शिक्षक कौन,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    अद्भुत

    Madhu Andhiwal

    Madhu Andhiwal 3 years ago

    बहुत सुन्दर

    नेहा शर्मा3 years ago

    शुक्रिया आदरणीया

    कवितालयबद्ध कविता

    दर्द

    • Edited 3 years ago
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    • 158
    • 2 Mins Read

    हंसी में लपेटकर वो दर्द बढाते हैं।
    ऐसे हैं जमाने वाले कहाँ किसी को अपनाते हैं।
    जलते हैं देखकर मुस्कुराहट होंठों की
    बदलने वाले ऐसे भी बदलते हैं।
    नए नए पैंतरे अपनाते है चक्रव्यूह रचने को
    रखकर जख्म
    Read More

    दर्द,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    क्या खोया क्या पाया

    • Edited 3 years ago
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    • 119
    • 2 Mins Read

    जूझ रहा हूँ आज यहाँ मैं
    अपनी कथनी करनी से
    किये हुए सब पाप पुण्य
    बह रहे समय की झरनी से
    अपना पराया कुछ मत पूछो।
    पूछो उस झूठी बरनी से
    भरती गयी जो धीरे धीरे
    अब समझ आया करनी से।
    पड़ा हुआ है शरीर यहां पर
    तज
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    क्या खोया क्या पाया,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    चैतन्यपूर्ण

    नेहा शर्मा3 years ago

    शुक्रिया पापा

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    सुन्दर रचना

    नेहा शर्मा3 years ago

    जी बहुत बहुत शुक्रिया

    कहानीहास्य व्यंग्य

    अनजान चेहरे

    • Edited 3 years ago
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    • 342
    • 16 Mins Read

    फेसबुक ने न जाने कितने जाने अनजाने लोगों को मिला दिया। अचानक से फेसबुक मैसेंजर पर आप होम पेज पर स्क्रोल कर रहे हों। और फ्रेंड suggetion वाले ऑप्शन पर नज़र जाए और एक प्रोफाइल को देखकर नज़र ठिठक जाए। और फिर
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    अनजान चेहरे,<span>हास्य व्यंग्य</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    कटु सत्य

    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    बढ़िया व्यंग्य है, बहुत अच्छा

    Mamta Gupta

    Mamta Gupta 3 years ago

    मजेदार

    नेहा शर्मा3 years ago

    शुक्रिया

    डॉ स्वाति जैन

    डॉ स्वाति जैन 3 years ago

    ही ही ही, मजेदार

    नेहा शर्मा3 years ago

    बेहद शुक्रिया

    Vinay Kumar Gautam

    Vinay Kumar Gautam 3 years ago

    भैया अब ना करेंगे msg उसे

    नेहा शर्मा3 years ago

    बहुत बहुत शुक्रिया

    Vinay Kumar Gautam

    Vinay Kumar Gautam 3 years ago

    खतरनाक जोक...

    नेहा शर्मा3 years ago

    हाहा

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    बहुत दिलचस्प.. नेहा जी.. ऎसा वास्तव में होता है, बहुत से पूर्व परिचित मिल जाते हैं, पुरानी यादें ताज़ा हो जाती हैं..! और भी बहुत सी ' वैराइटी' मिलती हैं. कुछ लोगों की वर्तमान गतिविधियों की जानकारी हो जाती है.

    नेहा शर्मा3 years ago

    बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय आपकी। अनमोल टिप्पणी हेतु

    Pragati Tripathi

    Pragati Tripathi 3 years ago

    बहुत मजेदार

    नेहा शर्मा3 years ago

    बहुत बहुत शुक्रिया

    Poonam Bagadia

    Poonam Bagadia 3 years ago

    Hahahaha वाह नेहा जी..! बहुत बारीकी से व्याख्यान किया अजनबी चेहरा पहचानने के लिये...! मज़ेदार है..

    नेहा शर्मा3 years ago

    शुक्रिया पूनम जी

    कवितालयबद्ध कविता

    पंछी

    • Edited 3 years ago
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    • 238
    • 2 Mins Read

    बेताब है आसमान तुम्हे पाने को।
    पँखो को खोल दो जरा इसे अपनाने को।

    बड़े बेगैरत है लोग वो जो समझे नही ख्वाहिशें
    तुम मन की सुनो जो बेकरार है पंछी बन जाने को।

    तोड़ कैद को जंजीरों से आजाद हो जाओ
    कि नेहा नही
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    पंछी,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Madhu Andhiwal

    Madhu Andhiwal 3 years ago

    उम्दा

    नेहा शर्मा3 years ago

    बेहद शुक्रिया मधु जी

    Anil Dhawan Sirsa

    Anil Dhawan Sirsa 3 years ago

    Bhut hi sunder rachna mam

    नेहा शर्मा3 years ago

    thank you so much sir.

    Harish Bhatt

    Harish Bhatt 3 years ago

    Bahut sundar

    नेहा शर्मा3 years ago

    बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    बहुत खूबसूरत रचना..!

    नेहा शर्मा3 years ago

    शुक्रिया आदरणीय

    Anjani Tripathi

    Anjani Tripathi 3 years ago

    बहुत शानदार

    नेहा शर्मा3 years ago

    शुक्रिया

    Kumar Sandeep

    Kumar Sandeep 3 years ago

    अनुपम रचना

    नेहा शर्मा3 years ago

    शुक्रिया

    कवितालयबद्ध कविता

    बताओ ना

    • Edited 3 years ago
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    • 114
    • 4 Mins Read

    अर्जुन बन उड़ती चिड़िया की आँख भेदकर दिखाओ ना।
    इतने ही बड़े हो तो दिल बड़ा करके बताओ ना।

    गांठ के बाद गांठ पड़ी हुई है इन दिलों में
    तुम सच के दामन से झूठ के दाग हटाओ ना।

    समाज को समाज में ही छोड़ दो जरा तुम
    जितनी
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    बताओ ना,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    SHAKTI RAO MANI

    SHAKTI RAO MANI 3 years ago

    सुंदर

    नेहा शर्मा3 years ago

    बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय आप भी बहुत अच्छा लिखते हैं। आशा है जल्दी ही आपकी और भी रचनाएँ पढने को मिलेंगी यहां

    कवितालयबद्ध कविता

    कब

    • Edited 3 years ago
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    • 117
    • 2 Mins Read

    समय के चलते चक्कर को।
    मैं और तुम के अंतर को
    बोलो कब पहचानोगे
    बोलो कब तुम मानोगे

    बढ़ते पल पल दंगो को।
    राजनीति में नँगो को
    बोलो कब सम्भालोगे
    बोलो कब मैल निकालोगे

    घटी बढ़ती बात को
    बाहर होती औकात को
    बोलो
    Read More

    कब,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    अति सुन्दर. अंतिम शब्द "जपोगे" की जगह "साधोगे" कैसा रहेगा"

    संदीप शिखर

    संदीप शिखर 3 years ago

    लाजवाब जी

    नेहा शर्मा3 years ago

    जी बहुत बहुत शुक्रिया

    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    सुंदर है

    नेहा शर्मा3 years ago

    shukriya

    कहानीसामाजिक, अन्य

    शादी

    • Edited 3 years ago
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    • 193
    • 6 Mins Read

    "बेटा अब नौकरी करते करते काफी वक्त हो गया अब थोड़ा सेटल होने के बारे में भी सोचो"
    पंकज के पिता पंकज के कंधे पे हाथ रखते हुए कहते है।

    "क्या पापा शादी शादी शादी लगाकर रखते हो हमेशा क्या शादी से अलग कुछ
    Read More

    शादी,<span>सामाजिक</span>, <span>अन्य</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    चैतन्यपूर्ण

    कवितालयबद्ध कविता

    जन्म और मृत्यु

    • Edited 3 years ago
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    • 240
    • 3 Mins Read

    कहीं घी के दिये तो कहीं मातम पसरा होता है।
    ज़िंदगी में कौन किसका अपना सगा होता है।

    एक जगह लड्डू खुशी के बंटते तो एक में आंसू की झलक होती है।
    जिंदगी और मौत की कभी आपस में कहाँ बनती है।

    माँ के गर्भ में
    Read More

    जन्म और मृत्यु,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    चैतन्यपूर्ण

    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    Very nice....

    नेहा शर्मा3 years ago

    जी शुक्रिया

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    Jeevan Ka Satya...!

    नेहा शर्मा3 years ago

    जी शुक्रिया

    कवितालयबद्ध कविता

    किरदार

    • Edited 3 years ago
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    • 129
    • 2 Mins Read

    एक स्याह अंधेरे में एक कहानी उभर रही है।
    किरदार में कितनी जिंदगियाँ ढल रही हैं।

    देखा है कभी पर्दों को नकाब में छुपते हुए
    नाटक सी जिंदगी नुक्कड़ पर भटक रही है।

    ढल रही है हर किरदार में एक एक सांस
    फिर
    Read More

    किरदार,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    बढ़िया

    नेहा शर्मा3 years ago

    shukriya aadarniy aap bhi bahut badhiya likhte h likhte rahe post karte rahe mai aksar aapki rachnaye padhti hu.

    कवितालयबद्ध कविता

    उनको

    • Edited 3 years ago
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    • 186
    • 4 Mins Read

    बहुत नाजुक हूँ सोचकर मुझसे वो नाता तोड़ लेता है।
    मेरे घर से कुछ कदम की दूरी पर ही कमर मोड़ लेता है।
    ना समझ है वो नही समझता है मेरी कमजोरी को।
    डरता है खुद से तभी तो हर बात को आसानी से छोड़ लेता है।
    बदनामियों
    Read More

    उनको,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    खूबसूरत..!

    नेहा शर्मा3 years ago

    ji bahut bahut shukriya

    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    वाह बहुत खूब

    नेहा शर्मा3 years ago

    aapka bahut bahut shukriya

    कवितालयबद्ध कविता

    अहम

    • Edited 3 years ago
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    • 181
    • 5 Mins Read

    जब आपको लगने लगे कि आप बेहतर है।
    खुद को दूसरो के लेवल से ऊंचा समझने लगे।
    एक बात को बार बार सभी के आगे कहने लगे।
    समझ लीजिये अहम आपमें घर करने लगा है।

    जब जज्बातों को आप खेल समझने लगे।
    किसी को कटु शब्दों
    Read More

    अहम,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    मेरी आज़ादी

    • Edited 3 years ago
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    • 84
    • 4 Mins Read

    तोड़ इन जंजीरों को हवा की तरह बह जाऊं।
    मेरा भी एक मन है कभी उस मन को ये बतलाऊँ।
    बातें करूँ खुद से घन्टो बैठकर कभी।
    उलझनों को दूर रख खुद को भी तो सुलझाऊँ।
    एक गाना जो अरसे से दिमाग में ठहरा था
    उसे खुलकर
    Read More

    मेरी आज़ादी,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कविताअन्य

    बलम (पंजाबी)

    • Edited 3 years ago
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    • 188
    • 4 Mins Read

    तुस्सी जाणदे भी नही पहचाणदे भी नही।
    मेरे कोल आके तुस्सी माणदे भी नही।

    हूण दस दिए इरादा है ये क्या
    वखरा नु वादा है ये क्या।
    गुस्ताखियों नु तू छड़ जाण दे भी नही।
    मेरे कोल आके तुस्सी माणदे भी नही।

    लड़की
    वे
    Read More

    बलम (पंजाबी),<span>अन्य</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    प्यार

    • Edited 3 years ago
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    • 232
    • 2 Mins Read

    किसी ने पूछा मुझसे पहला प्यार क्या है।
    मैंने हँसकर ज़िंदगी कह दिया।
    मौत दरवाजे पर दुल्हन सी सजी खड़ी थी।
    मैंने ज़िंदगी से की बन्दगी कह दिया।
    हौंसलों से मेरे अब डर रही थी वह भी।
    मैंने उसे मौत के भेष
    Read More

    प्यार,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    वाह जी,मौत को फिरंगी,,, बहुत अच्छा किया जी

    कवितालयबद्ध कविता

    कहाँ से लाओगे

    • Edited 3 years ago
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    • 132
    • 6 Mins Read

    बन जायेगा मंदिर भी पर राम कहाँ से लाओगे।
    पत्थर की इन मूरत को क्या फिर से जिंदा कर पाओगे।
    कहते फिरते हो हम सब एक है क्या एक तुम बन पाओगे।
    पूजोगे क्या इनको भी क्या पापों से बच पाओगे।

    मर्यादा में पले
    Read More

    कहाँ से लाओगे,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Rahul Sharma

    Rahul Sharma 3 years ago

    Good one

    कविताअतुकांत कविता

    किताब लिखना

    • Edited 3 years ago
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    • 119
    • 4 Mins Read

    एक किताब ऐसी लिखना
    कुछ बात कुछ सौगात लिखना।
    एक किताब ऐसी लिखना

    कुछ बातें छोड़ना
    कुछ चित्रों की औकात लिखना।
    कुछ मुद्दे उठाना
    कुछ गिराने की बात लिखना
    एक किताब ऐसी लिखना

    एक बचपन की याद लिखना
    एक माँ
    Read More

    किताब लिखना,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    क्यों

    • Edited 3 years ago
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    • 95
    • 4 Mins Read

    लिखते लिखते कलम रुक क्यों जाती है।
    क्यों अनायास ही उदासी मन को घेर लेती है।
    क्यों तरस जाती है। मन की धरती चाहत की बूंदों के लिए।
    क्यों बात करने से पहले होंठ सिल जाते है।
    आखिर क्यों है इतनी कशमकश
    Read More

    क्यों,<span>अतुकांत कविता</span>
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    लेखआलेख

    लक्ष्मण स्वरूप शर्मा जीवन परिचय अंतिम भाग

    • Edited 3 years ago
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    • 170
    • 14 Mins Read

    एक दिन का किस्सा है। लक्ष्मण स्वरूप शर्मा एक मरीज को देखकर दूसरे गाँव से अपने गाँव जाने के लिये एक बड़ी नदी को पार करके दूसरे किनारे पर आए। पास में ही नल था वह अपना थैला जिसमें दवाइयां एवम उनकी जांच
    Read More

    लक्ष्मण स्वरूप शर्मा जीवन परिचय अंतिम भाग,<span>आलेख</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    महान, कर्तव्यनिष्ठ व्यक्तित्व..! 🙏🙏

    Rahul Sharma

    Rahul Sharma 3 years ago

    RIP Nanaji

    लेखआलेख

    लक्ष्मण स्वरूप शर्मा जीवन परिचय (4)

    • Edited 3 years ago
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    • 271
    • 7 Mins Read

    कितना ही आँधी तूफान क्यों न आये पर वो अपने मरीजों को देखने के लिये क्षण भर की भी देरी नही किया करते थे। अपनी साइकिल लेकर निकल पड़ते थे दूर दूर गाँव में उन्हें देखने के लिये। उनकी वजह से लोगो को अब राहत
    Read More

    लक्ष्मण स्वरूप शर्मा जीवन परिचय (4),<span>आलेख</span>
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    लेखआलेख

    लक्ष्मण स्वरूप शर्मा जीवन परिचय (3)

    • Edited 3 years ago
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    • 208
    • 13 Mins Read

    न जाने प्रभु ने कौन से दुख का पहाड़ उनके घर पर गिराया था कि धीरे – धीरे इनके सभी भाई किसी न किसी कारणवश युवावस्था में ही मृत्यु का ग्रास बन गए। शीशों देवी अकेली ही इन सभी दुखो से जूझती रही। न जाने क्या
    Read More

    लक्ष्मण स्वरूप शर्मा जीवन परिचय (3),<span>आलेख</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    प्रेरक व्यक्तित्व..!

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    शत शत नमन

    लेखआलेख

    लक्ष्मण स्वरूप शर्मा जीवन परिचय (2)

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 227
    • 20 Mins Read

    रात दिन मेहनत से लग्न से कार्य करती। इतना कार्य करने के पश्चात भी उतना मेहनताना नही मिल पाता था। परन्तु शीशों देवी बिल्कुल भी नही घबराती थी। पति के जाने के बाद खेतों मे जुताई बुवाई पानी देना फसल
    Read More

    लक्ष्मण स्वरूप शर्मा जीवन परिचय (2),<span>आलेख</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    मर्मस्पर्शी..!

    लेखआलेख

    लक्ष्मण स्वरूप शर्मा जीवन परिचय (1)

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 224
    • 9 Mins Read

    (नोट : यह एक सत्य कथा है। इसमें उपस्तिथ सभी पात्र एवम घटनाएं पूर्णतया सत्य पर आधारित है।)

    आज मैं आपको बहुत ही साधारण से इंसान के बारे में बहुत कुछ जाना अनजाना सा बताने जा रही हूँ। बहुत ही अनोखी और
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    लक्ष्मण स्वरूप शर्मा जीवन परिचय (1),<span>आलेख</span>
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    कहानीव्यंग्य

    टिक्की

    • Edited 3 years ago
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    • 277
    • 15 Mins Read

    हमें टिक्की खाने का बहुत शौक है..... बस चाट टिक्की देखते ही हमारी लार टपकने लगती है। अगर हम गुस्सा हुए कभी तो टिक्की खिला दो आसानी से मान जाते है।
    तो बात तब की है...... जब हम शादी होकर दूसरे घर को चमकाने
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    टिक्की,<span>व्यंग्य</span>
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    Anujeet Iqbal

    Anujeet Iqbal 3 years ago

    यह बड़ी मजेदार थी

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    चटपटी रचना

    कवितालयबद्ध कविता

    गलतफहमी

    • Edited 3 years ago
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    • 136
    • 5 Mins Read

    जब आपको लगने लगे कि आप बेहतर है।
    खुद को दूसरो के लेवल से ऊंचा समझने लगे।
    एक बात को बार बार सभी के आगे कहने लगे।
    समझ लीजिये अहम आपमें घर करने लगा है।

    जब जज्बातों को आप खेल समझने लगे।
    किसी को कटु शब्दों
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    गलतफहमी,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    विलक्षण

    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    अच्छा लिखा

    कवितालयबद्ध कविता

    अपने सपने

    • Edited 3 years ago
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    • 159
    • 5 Mins Read

    वक्त की गहराई में
    इस आसमान की ऊंचाई में
    मैं कुछ सवाल यूँ बुनती हूँ
    औरत हूँ बस ये पूछती हूँ।
    क्यों अधिकार नही मुझे कुछ कहने का
    क्या हक नही अपने लिए जीने का।
    पति बच्चे ससुराल सम्भालो
    20 के होते ही मेहंदी
    Read More

    अपने सपने,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    चैतन्यपूर्ण

    कवितालयबद्ध कविता

    मेरी बेटी मेरी माँ हो गयी

    • Edited 3 years ago
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    • 163
    • 5 Mins Read

    मेरी बेटी मेरी माँ हो गयी।
    हाँ सच में आज वो बड़ी हो गयी।
     
    मुझे फुर्सत नही होती जब भी।
    सोचती है वह मेरे बारे में तब भी।
    मुझे अपने हाथों से खाना जो खिला गयी
    मेरी बेटी मेरी माँ हो गयी।
    हाँ सच में आज वो बड़ी
    Read More

    मेरी बेटी मेरी माँ हो गयी,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Rahul Sharma

    Rahul Sharma 3 years ago

    Good one

    नेहा शर्मा3 years ago

    thanks

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    बहुत अच्छा लगा

    कवितालयबद्ध कविता

    उदासी

    • Edited 3 years ago
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    • 176
    • 2 Mins Read

    निशा पूछती है मुझसे
    ये अँखियों में पानी क्यों रहता है
    तेरा चेहरा भी मुरझाया क्यों रहता है
    मैं बोलती हूँ मुझे जिसकी जरूरत है सबसे ज्यादा
    इन आँखों में उसी का पहरा रहता है
    सुबह होती है तो चेहरा खिल
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    उदासी,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    अद्भुत

    कविताबाल कविता, लयबद्ध कविता

    पहिया

    • Edited 3 years ago
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    • 130
    • 4 Mins Read

    चुन्नी मुन्नू खेल रहे थे।
    एक पहिये को लकड़ी से धकेल रहे थे।
    जैसे जैसे पहिया चलता
    वैसे वैसे मुन्नू गाता
    तभी पहिये से आवाज एक आयी।
    चुन्नी तो बिल्कुल डर गयी
    मुन्नू ने हकलाते पूछा
    तुमने ऐसे कैसे बोला।
    पहिया
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    पहिया,<span>बाल कविता</span>, <span>लयबद्ध कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    कवि हो जाना

    • Edited 3 years ago
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    • 392
    • 5 Mins Read

    जब लगे ज़िंदगी गजल हो गयी है।
    सुनो तुम कवि हो जाना।
    खाली बोतलों में जब भरना हो नशा
    बहकर जब हवाओं के पार जाना हो।
    जब भर गया हो मर्तबान चाहतों का
    सुनो तुम कवि हो जाना

    लोग चलने लगे अंधकार में दिया बन
    गरीबी
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    कवि हो जाना,<span>अतुकांत कविता</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    SUNDAR BHAV .. !

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    निःशब्द कर दिया

    नेहा शर्मा3 years ago

    शुक्रिया आदरणीय। यह रचना मेरडी पसन्दीदा रचनाओं में से एक है ?

    कविताभजन

    जोगन

    • Edited 3 years ago
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    • 241
    • 5 Mins Read

    बांध घुंघरू पैर में अपने मैं जोगन बन जाऊँगी।
    तू थामेगा जो हाथ मेरा मैं पागल ही हो जाउंगी।
    उठते बैठते सपने देखूं खुद पर मैं इतराउंगी।
    दुनिया का पता नही मैं खुशनसीब कहलाऊंगी।
    लगा चरण को माथे से मैं
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    जोगन,<span>भजन</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    भावपूर्ण समर्पण..!!

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    बहुत सुंदर

    कवितालयबद्ध कविता

    प्रेम

    • Edited 3 years ago
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    • 174
    • 2 Mins Read

    प्रेम की इस आशा को।
    मौन की परिभाषा को।
    तुम कैसे जानोगे
    बोलो कैसे पहचानोगे।

    शब्दो के इस बाण को।
    टूटी ही पहचान को
    बोलो कैसे जोड़ोगे
    कैसे मुँह तुम मोड़ोगे।

    नेह के इस स्नेह को
    नदियों के इन मेह को।
    कैसे
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    प्रेम,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    shubham sharma (पाठक)

    shubham sharma (पाठक) 3 years ago

    बहुत खूब नेहा जी

    नेहा शर्मा3 years ago

    shukriya

    Rahul Sharma

    Rahul Sharma 3 years ago

    Good one

    कविताअन्य

    वंदना

    • Edited 3 years ago
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    • 137
    • 5 Mins Read

    मैं क्या लिखूं इस वंदना में सोच रही हूँ।
    क्या कहूँ तुझसे ये खोज रही हूँ।
    मेरे बिन कहे तू मेरे दिल की हर बात समझ लेता है।
    मांगती तो दुनिया है तुझसे मेरा दिल तुझे खोज लेता है।

    मैं कहूँ अगर मेरी कलम
    Read More

    वंदना,<span>अन्य</span>
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    कविताबाल कविता, लयबद्ध कविता

    सूरज

    • Edited 3 years ago
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    • 131
    • 3 Mins Read

    अक्सर थककर रातों को जब सूरज सो जाता है।
    तब आसमां के पीछे से चाँद जमीं पर आता है।

    होती है हैरानी मुझको किसके आँचल में सो जाता है।
    रखकर सर तकिये पर क्या वो भी खुद को तन्हा पाता है।

    या बनती है अनेक योजनाएं
    Read More

    सूरज,<span>बाल कविता</span>, <span>लयबद्ध कविता</span>
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    कविताअन्य

    नहर

    • Edited 3 years ago
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    • 131
    • 3 Mins Read

    ये नहरें जानलेवा हैं।
    लोग कोसते हैं इनको।
    कहते हैं लोग आत्महत्या
    इसी में कूदकर करते हैं।

    पर उन्हें क्या पता
    ये नहर बोझ उठा रही है।
    उन कायरो का जो
    खुद पर भरोसा नही रखते।

    नहरें तो पावन थी है और रहेंगी।
    बस
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    नहर,<span>अन्य</span>
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    कहानीअन्य

    चूड़ीवाला

    • Edited 3 years ago
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    • 1098
    • 6 Mins Read

    "ऐ चूड़ी वाले" रमा ने चूड़ीवाले को आवाज लगाते हुए कहा।
    "जी बीवीजी"
    "कैसी दी चूड़ियां"
    "बीवीजी आप पहले देखो कितनी सुंदर सुंदर चूड़ियां है लाल गुलाबी हरी नीली सभी चूड़ियां है मेरे पास"
    पीछे छुपी नीलू बाहर
    Read More

    चूड़ीवाला,<span>अन्य</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 1 year ago

    बहुत सुन्दर और मर्मस्पर्शी.. एक कटु सत्य.. हम छोटे दूकानदारों,रोज़ कमाने खाने वालों से आदतन मोलभाव करते हैं. वही माल्स, बड़ी दुकानों, पर हम उदार हो जाते हैं

    Poonam Bagadia

    Poonam Bagadia 3 years ago

    बहुत बढ़िया... मेरी एक रचना बुढा आत्मसम्मान ..! वो भी कुछ इसी कथानक पर आधारित है पढ़ियेगा स्टोरी मिरर पर..

    नेहा शर्मा3 years ago

    जी शुक्रिया

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    चैतन्यपूर्ण

    कवितालयबद्ध कविता

    प्रेम

    • Edited 3 years ago
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    • 133
    • 3 Mins Read

    बैठे रहो बाहों में बातों में शाम कर दो।
    कुछ यूं जिंदगी अपनी तुम मेरे नाम कर दो।

    लबों का समंदर आंखों तक छलक जाए
    तुम प्यार में इम्तिहान का अंजाम कर दो।

    शुरुवात तुझसे हो एक नशे की तरह मेरी
    प्यार में
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    प्रेम,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    माँ

    • Edited 3 years ago
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    • 297
    • 2 Mins Read

    देख रहा हूँ जीवन को,
    तेरे इन दो नैनो से।
    तू हंसती तो मिलती प्रेरणा,
    उपजी नव किरणों से।
    चलता तेरी उंगली थामें,
    देख निरन्तर चरणों को।
    तूने सिखलाया है सब कुछ,
    स्वीकार कर अभिनंदनों को।
    चुका नही पाऊंगा
    Read More

    माँ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    दुल्हन बनूँ

    • Edited 3 years ago
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    • 956
    • 2 Mins Read

    बजे बंसी आगे आगे
    मैं पीछे पीछे चलूँ
    ऐ श्री कृष्णा तेरी याद में
    धुन न बजे तो भी सुनूं
    होश न रहे खाने पीने की
    ऐसे रस में तेरे रचूं
    जिधर देखूं नजारा तेरा हो
    तेरे लिए हर रोज सजूँ
    चूड़ा तेरे नाम का
    बिंदी
    Read More

    दुल्हन बनूँ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कुलदीप दहिया मरजाणा दीप

    कुलदीप दहिया मरजाणा दीप 1 year ago

    खूबसूरत अल्फ़ाज👌👌👌👌👍👍

    meera tewari

    meera tewari 2 years ago

    सुन्दर तड़प कृष्ण के लिए ।शायद पृथ्वी पर आत्मा प्रियतम कृष्ण से मिलने को तड़प रही है कान्हा जी आप पर दयालु रहे

    Ritu Garg

    Ritu Garg 3 years ago

    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति

    Madhu Andhiwal

    Madhu Andhiwal 3 years ago

    बहुत सुन्दर रचना

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    भावपूर्ण रचना..!

    Gita Parihar

    Gita Parihar 3 years ago

    मीरा सम भाव से भरी रचना

    Poonam Bagadia

    Poonam Bagadia 3 years ago

    प्रेम से परिपूर्ण रचना...!

    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    ऐसी लागी लग्न

    Anujeet Iqbal

    Anujeet Iqbal 3 years ago

    आहा

    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    Bahut badiya...mam app to hamari inspiration ho....aapke Sabad bahut achhe lagte hai.....sachhe pyaar Mai ESA hi hota.....har koi...aapne bade achhe se unkera hai us feel Ko... I'M always your fan mam....

    Sarla Mehta3 years ago

    जी , मैं भी सहमत हूँ

    नेहा शर्मा3 years ago

    Thank you so much aapke shabdo ne mera likhne ka hosla badha diya aap bhi behtrin likhti hai mai hamesha aapko pdhti hu trending list me pahle no. par hone ke liye aapko congratulations

    Vandana Bhatnagar

    Vandana Bhatnagar 3 years ago

    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति

    नेहा शर्मा3 years ago

    bahut bahut shukriya vandana ji

    Bhawna Sagar Batra

    Bhawna Sagar Batra 3 years ago

    बहुत सुंदर

    नेहा शर्मा3 years ago

    शुक्रिया

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    अद्भुत

    नेहा शर्मा3 years ago

    शुक्रिया पापा

    कुलदीप दहिया मरजाणा दीप

    कुलदीप दहिया मरजाणा दीप 3 years ago

    उम्दा रचना। बहुत बहुत शुभकामनाएं।

    नेहा शर्मा3 years ago

    शुक्रिया