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संवेदनशीलता
संवेदना, ईश्वर प्रदत्त एक बहुत महत्वपूर्ण दैवीय गुण है.
संवेदनशीलता स्वस्थ समाज के लिए बहुत आवश्यक और महत्वपूर्ण है. दैनिक जीवन में भी संवेदनशीलता बहुत महत्वपूर्ण है. आपसी सम्बन्ध संवेदनशीलता के अभाव में अच्छे नहीं रहते. परिवार के सदस्यों में अच्छा सामंजस्य नहीं रह पाता, एक दूसरे के दुख, कष्ट लोग समझ नहीं पाते. सास-बहू, माता-पिता और सन्तानों के बीच असहमति और समस्याएं बनी रहती हैं.।
एक संवेदनशील मन ही दूसरों की दुख, तकलीफ़, मानसिक दशा ठीक प्रकार से समझ सकता है और जीवन में संतुलन बनाए रख सकता है.
पशुता और मानवीय गुणों को संवेदनशीलता ही प्रथक करती है.
समाज में व्याप्त विभिन्न जघन्य अपराधों और अन्य निर्मम क्रत्यों को जन्म भी संवेनशून्यता ही देती है. संवेदनहीन व्यक्ति को स्वयं ज्ञान नहीं होता कि वह क्या करने जा रहा है.
सौम्यता और संवेदनशीलता विकसित करने के लिए, आरम्भ से ही बच्चों को अच्छे संस्कार देना आवश्यक है ताकि स्वस्थ समाज का विकास और निर्माण हो और समाज में व्याप्त विभिन्न प्रकार के अपराधों में कमी आये.
स्वरचित
कमलेश वाजपेयी
नोएडा