मैं चंपा यादव
स्नातकोत्तर हिंदी(बी एड)
शिक्षिका,लेखिका, कवियत्री....
#Followers 36
#Posts 50
#Likes 9
#Comments 68
#Views 11627
#Competition Participated 4
#Competition Won 1
Writer Points 58565
Competition | Rank | Certificate |
---|---|---|
चित्राक्षरी | Certificate |
#Posts Read 505
#Posts Liked 1
#Comments Added 114
#Following 8
Reader Points 3670
Section | Genre | Rank |
---|---|---|
लेख | निबन्ध | |
लेख | अन्य | 4th |
London is the capital city of England.
लेखआलेख
#महाशिवरात्रि_पर्व_की_हार्दिक_शुभकामनाएँ....🙏
#शिव की महिमा...
"शिव है भक्ति! शिव है शक्ति!
शिव की महिमा है अपरंपार!"
शिवजी ने #अर्धनारीश्वर का रूप धरकर नारी की महिमा दर्शाई। शिवजी है दयालु,
Read More
कविताअतुकांत कविता
💕दुल्हन...
मर्यादओं से सजी नारी!
लगती है चाँदनी की घटा-सी।
जगमग उसके माथे की बिंदी
लगे जैसे कोई तारा टिमटिमाता
हो चाँदनी रात में....
लाल रंग की चुनरी ओढे!
यूँ लगे जैसे "तुलसी विवाह
करने चली हो
Read More
कविताअतुकांत कविता
महादेव के नज़रों से🙏
तू नारी है अपने में पूर्ण है
कर्मठता है तुझमें!
कोमल है चट्टान है
दुर्गा, काली, चंडी है
रोज नहीं रचनाएँ गढ़ती है
अपने को परखती है....
समाज के बनाए हुए
वसूलों पर....
पिसती है फिर
Read More
कविताअतुकांत कविता
"नारी उपहार है सृष्टि का"
"नारी तुझे क्या उपहार दूँ
तू तो खुद उपहार है #सृष्टि का!"
नयी रचनाएँ गढ़ती है तू!
फिर उसे सिंचती है अपने
खून-पसीने से, खुदको खो कर!
हर क्षेत्र मे लहरा चुकी है
अपना विजय पताका....
तूने
Read More
लेखआलेख
#दहेज़ रूपी दानव!
दहेज तो हमारे समाज में एक आम- सी बात है। लड़की मतलब दहेज के पैसे इकट्ठा करना शुरू.....। चाहे लड़की खुद अपने पैरों में खड़ी क्यों ना हो.....? दहेज देना तो बनता है भाई.....!
इस पर तो लड़के वालों
Read More
लेखआलेख
#संवेदना के बदलते रूप....
एक आम सी घटना हो गई। जो आए दिन या फिर कहे 24 घंटे में ना जाने कितने घटना होते ही रहती है।क्योंकि कुछ लोग से जवानी संभालती नहीं, जिसके लिए या फिर कह सकते हैं अपनी मर्दांनगी साबित
Read More
कविताअतुकांत कविता
#बचपन के पल....
वह बापू के झूले....
जिनके आगे फिंके है सब झूले।
वह माँ का हाथों से खिलाना
कहाँ पाते हैं अब....
वो पहली बार साइकिल
सीखते हुए गिरना और
भाई का सँभाल लेना....
कहाँ पाते हैं प्यार!
उनका उम्र
Read More
कविताअतुकांत कविता
#तुम षुरष हो.....
हालाँकि हक नहीं है पुरुषों को
कमजोर पड़ने का.....
बचपन से तालीम दी जाती है तुम्हें!
कभी कमजोर मत पढ़ना।
"क्योंकि तुम मर्द हो,
तुम रो नहीं सकते।
समाज हँसेंगे तुम पर...."
और वही तालीम
Read More
लेखआलेख
#राष्ट्रीय_बालिका_दिवस
लोग कहते हैं....."वो माइका था यह ससुराल है"
पर मेरा घर कहाँ है?
******************
बालिका दिवस का मक्सद तभी संपन्न होगा।जब हम बेटियों को बोझ ना समझकर, उसे अपने घर का चिराग
Read More
लेखआलेख
#अपनी_पहचान_हिंदी !
पता नहीं लोग हिंदी! को अनपढ़ों की भाषा क्यों मान लेते हैं।जिस भाषा से हमें इतने प्यारे शब्द दिए।बोलो तो, जैसे शहद टपके, किसी का भी मन मोह ले।
जैसे माँ, प्यारी माँ! इस प्यारी शब्द
Read More
कविताअतुकांत कविता
अलविदा२०२०
कह दो, अलविदा उन बुरे यादों को
जो दिए थे जख़्म, अपनों से बिछड़ने का....
माँग लो रब से, एक दुआ और कि
आने वाला साल, सबकी झोली खुशियों से भर दे....
मिटा दे उन यादों को, जो सूल की तरह चुभ रहे थे
Read More
लेखअन्य
#खौफ जीवन बचाने का....
एक अरसे से बंद थी कुछ खौफ इस कदर था।
जीवन को बचाने का। पर जान बचने की वजह,
और दर्दनाक होती जा रही थी....।
जिस तरह पौधे को जब प्रकाश ना मिले। तो वो मुरझा जाती है। ठीक उसी तरह हमारी....
Read More
कवितालयबद्ध कविता
ऐ चांँद तेरी क्या बात है....
रखकर चलनी में दीया!
देखती है, तुझे हर सुहागिन....
फिर अपने पति की लंबी
उम्र की कामना करती है सुहागिन....
सँज-सँवर कर दिनभर निर्जल
उपवास रखती है सुहागिन....
रात के अंधेरे
Read More
कवितालयबद्ध कविता
शक्ति दो माँ !
हो रही तार-तार, "तेरी बेटियाँ माँ !"
नोंच खाया गिद्धों ने
ना जाने कितनी बेटियों को.....
हैवानियत की, सारी हदें पार कर गए.....
पर हया ! कि एक शिकन
तक ना दिखीं, उनमें.....
भरी सभा हँसती है नारी
Read More
कवितालयबद्ध कविता
तू नहीं प्यार के काबिल
******************
तू ने सुनकर भी,
अनसुना कर दिया
मेरी धड़कनों की पुकार को.....
तू ने देख के भी,
अनदेखा कर दिया
मेरे अश्कों के धार को.....
तू नहीं, प्यार के काबिल
फिर भी मैंने तुझे, इश्क
Read More
कवितालयबद्ध कविता
~~~शुभ_दिपावली~~~
दिवाली आई भाई, दिवाली आई
देखो कैसे रोशन हो गए, जग सारे
जैसे तारे उतर आए हो, धरा पर
रंगोली से सज गए, आंगन सारे
महक उठा घर, पकवानों से ।
दिवाली आई भाई, दिवाली आई
जगमग हो गए, पटाखों से
Read More
कवितालयबद्ध कविता
आज फिर.....
हो गई बरसात, आँँखों से
आज फिर.....
तूने लफ्जों से, यूँँ वार किया
आज फिर.....
ठेस पहुँँचाई, दिल को तूने
आज फिर.....
घुँँट के रह गई, खुदमें !
आज फिर.....
भनक ना होने दी, दर्द को
आज फिर.....
होठों पर मुस्कान
Read More
नारी की उस विवशता को बाखूबी उकेरा है, जहां उसकी इच्छा -अनिच्छा कोई महत्व नहीं रखती।
जी...धन्यवाद।
शीर्षक -"भावनाओं के बारिश में भिगते "आज फिर" में फिर भी सूखती नारी की व्यथा" 1)"आज फिर' विधा कविता 2)रचना -चम्पा यादव 3) प्रकाशक -साहित्य अर्पण एक पहल 4) प्रकाशन की तिथि 13/10/20 नारी समर्पण के भावना से संसार चलाती है लेकिन उसका पति ही जब उसकी वेदना नहीं समझता तो हर पल उसके मन में उथल पुथल होते रहती है कि पति ही नहीं समझेगा तो मेरा कौन है? घर की स्त्री भी नहीं समझ रही उसके दुःख को ये भी पीड़ा मन में है Iयदि किसी के नजर में उसका दुःख आ भी जाए तो वह खुद को किसी के सामने निर्बल जताना नहीं चाहती, इसलिए आँसू को छिपाया पानी कहकर Iउद्वेलित मन को होठों पर हँसी लाकर जबरदस्ती खुश होने का प्रयत्न भी करती है I यद्यपि इस कविता में कवयित्री को क्या कहना है वो भी भ्रमित करता हैं I इधर सब से दुःख भी छुपा रही और उधर मेरा कोई नहीं यह भी कह रही है I अंत में खुद को खुद ही मजबूत करने का आग्रह भी है Iयदि रचनाकारा इसमें कोई भी एक बात पर टिकी रहती तो पढ़ने वालों का उत्साह ज्यादा रहता I एक ही शब्द को बार बार दोहराना भी उचित नहीं लगा I वैसे रचना अवश्य मन को कही ना कही कुछ सोचने पर भी मजबूर करती है I
शुक्रिया.... नीलीमा जी आपने बहुत अच्छी समीक्षा.. की है। पर आपने रचना के अर्थ को सही से समझ नहीं पाए...अथार्त एक नारी को ना चाह के भी मजबूरन रिश्तो को निभाना पड़ता है क्योंकि हमारा समाज अभी भी नारी के प्रति उतना विकसित सोच नहीं रख पाया है...अभी भी नारी की गलती हो चाह ना हो,पर दोषी उसे ही ठहराया जाता है।....
जी, सही कहा आपने
स्त्री के मर्म को सरल अंदाज में बहुत ही खूबसूरती से बयां किया है।। सच मे स्त्री के दर्द को कोई नही समझ पाता है।। आपकी रचना बहुत ही सुंदर है।।
जी...शुक्रिया... ममता.. जी..सही...कहा... आपने...।
स्त्री के मर्म को सरल अन्दाज मे खूबसूरती से व्यक्त किया है।उसकी सहनशक्ति को दबे पावं ब्यक़ किया है।तथा नारी पर प्रहार भी किया है कि नारी का दर्द नारी को समझना होगा।
जी...बहुत.. बहुत.. शुक्रिया... प्रियंका... जी...।
औरतों की मानवीय संवेदना और उनकी आंतरिक पीड़ा को मार्मिक पंक्तियों में रेखांकित किया है। एक औरत की पीड़ा को औरत ही समझ सकती है लेकिन वह भी नहीं समझती! यह सोच व्यथित करने वाली है। हृदय की पीड़ा को ना समझने का अवसाद बखूबी उकेरा है।। नारी ह्रदय के अंतर्द्वंद को दर्शाती संवेदना से परिपूर्ण रचना है। वर्तनी की अशुद्धि पढ़ने में व्यवधान उपस्थित करती है ,जैसे; घुट के स्थान पर घूंट, ठप्पा के स्थान पर थप्पा और दुख पी ली दुख पुलिंग है। टिप्पणी को कृपया अन्यथा ना लें।
जी..शुक्रिया... मैं... आगे से ध्यान.. रखूँगी...।
नारी के चरित्र का काफी शशक्त वर्णन किया आपने..?? बेहद शानदार रचना है..! परन्तु मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि आज फिर.. का प्रयोग कई जगह अनावश्यक किया गया है! हर एक पंक्ति के बाद ही, कम से कम दो पँक्ति के बाद आज फिर का उपयोग किया जाता तो पढ़ने के आनंद में तरोताजगी का एहसास होता..! शब्दों का चयन काफी अच्छा है..?? अच्छी रचना हेतु बहुत बहुत शुभकामनाएं...??? ऐसे ही निरन्तर लिखते रहे और आपके अपने साहित्य अर्पण परिवार से जुड़े रहें..! शुभकामनाओ सहित धन्यवाद..!??????
जी..शुक्रिया... सही.. कहा.. आपने...।
नारी ही नारी की होती है दुश्मन,ये बात है पुरानी,नारी ही नारी के दर्द को समझ सकती है ,बस समाज में लाना है कुछ बदलाव| आज भी नारी छिपा लेती है खुद के आँसू,लाल सुंदर नयन को देख पूछे कोई ,कह देती है कछरा गिर गया था कोई , वाह! रे नारी तूने क्या प्रतिभा पाई |नारी के दर्द को, उसे न मिलने वाले सम्मान से सम्बधित रचना है |?
शुक्रिया.... रानी... जी..।
समाज में नैतिकता के दोहरे मापदंड को लेकर नारी के दर्द को महसूस कराती सशक्त रचना। नारी के स्वाभिमान को जगाने का प्रयास करती और नारी के द्वारा दूसरी नारी की मदद की आवश्यकता को महसूस कराती सुंदर पंक्तियां। हां, 'आज फिर' का दोहराव कुछ कम किया जा सकता था।
जी...शुक्रिया... अमृता... जी...सही... कहा.. आपने...।
कवितालयबद्ध कविता
प्रकृति की गोद मे....
बच्चों उठो जागो, मिलो
प्रकृति से जरा....
मखमली भींगी धरती पर
अपने कदमों को रखो जरा....
भोर की ठंडी हवाओं को
महसूस करके देखो जरा....
नीले आसमान के अंदर छिपी
लाल किरणों से रूबरु
Read More
कहानीव्यंग्य, अन्य
बचपन के रूप...
( बचपन कैसा होना चाहिए?..... "बिंदास! कोई चिंता नहीं, हमेशा खेलना, कूदना और स्कूल जाना तथा पढ़ना!..... ऐसा ही होना चाहिए ना! ठीक कहा ना! मैंने.....।"
पर ऐसा नहीं होता। हर किसी के साथ। इसी से संबंधित
Read More
कविताअतुकांत कविता
नारी स्वतंत्रता...
ना बनाओ दीवार #बेड़ियों की.....
ना जकड़ो इन्हें झूठी #परंपराओं में।
ना एहसास दिलाओ कि वह है एक #नारी.....
ना करो झूठे वादे!!! नारी #स्वतंत्रता की।
ना करो उनके सपनों को #चकनाचूर.....
वह बराबर
Read More
कविताअतुकांत कविता
#मर्द या #नामर्द.....
क्यों इन्हें? लड़कियों का बोलना पसंद नहीं आता.....
क्यों इन्हें? उनका हँसना पसंद नहीं आता.....
क्यों इन्हें? उनका आजाद परिंदों की तरह घूमना पसंद नहीं आता.....
क्या इनकी? मर्दांनगी
Read More
कविताअतुकांत कविता
"कोरोना का कहर"
देख दुख इंसान का
आसमां भी रो दिया इस बार
हर तरफ तबाही का मंजर है
ना कोई है बच पा रहा
डरा-डरा सा है मानव!
खुद को बचाए कैसे, समझ ना पा रहा
अब तो हर पल मौत का साया है
सब पर मंडरा रहा.....
Read More
कवितालयबद्ध कविता
जीवन अपना है...
जीवन अपना है ढंग भी है अपना।
जीना कैसे है दिखाना है सबको।
अरमान अपने हैं मंजिल है अपनी।
पहुंचना अकेले हैं पहुंचाना है सबको।
छूट ना जाए किसी की मंजिल.....
ध्यान रखना है साथ है निभाना।
Read More
कविताअतुकांत कविता
चाय सिर्फ चाय नहीं.....
अपने भाव व्यक्त करने का जरिया है
दोस्तों, रिश्तेदारों से जुड़ने का जरिया है
चाय सिर्फ चाय नहीं.....
अपनों को करीब लाने का मौका है
अपने आपको ढूंढने का तरीका है
चाय सिर्फ चाय
Read More
लेखआलेख
#हिंदी_दिवस_प्रतियोगिता
हिंदी सिर्फ भाषा नहीं....
हिंदी सिर्फ भाषा नहीं..... हमारी पहचान है ! शान है ! बजूद है !
ममता बस्ती है इसमें । दर्द हो या खुशी हर भाव को छूती है हिंदी.....
हम अपने भाव को हिंदी में
Read More
शानदार लेख... बधाई
बहुत बहुत शुक्रिया.....सर
जी बहुत सुंदर लिखा है हिंदी भाषा के विषय में इसके बारे में जितना कहा जाए उतना कम है।
हाँ....शुक्रिया....मैम
बिल्कुल सही बात लड़कियों। को मजबूत बनना होगा तभी वो समाज का सामना कर पाएंगी
हाँ....मैम...सही कहा आपने
कवितालयबद्ध कविता
ए मेरे दिल....
ए मेरे दिल जो तुझे
अच्छा लगे करता जा।
कहीं तो कद्र होगी किसी के
दिल को तो तू छुऐगा।
ए मेरे दिल जो तुझे
अच्छा लगे बस करता जा।
तू भी तो इसी
समाज का अंग है।
तुने भी तो इस समाज
Read More
कवितालयबद्ध कविता
बूढ़ी मां....
एक दिन मैंने सड़क पर एक बूढ़ी अम्मा को देखा। जो अपना खाली पेट भरने के लिए हर दिन सड़क के किनारे हारमोनियम लेकर बैठ जाती है।बड़े स्वाभिमान के साथ किसी से कुछ नहीं मांगती......यह देख कर दिल
Read More
Jaru mam.....AAP ka lekhn mujhe bahut achha lagta hai.....jaru padangi...
सुन्दर रचना..!
Bahut bahut Shukriya....sir...
BAHOT SUNDER POST ..! ISHWAR KA SACHHA SWARUP..!!
Shukriya....sir
लेखअन्य
प्यार क्या होता है?
प्यार वह एहसास है जिसे कभी आप मिटा नहीं सकते..... जिसमें आप खुद को भूल कर अपने प्यार के लिए जीते हो। उसे मुस्कान देने के लिए। आप हजारों कोशिशें करते हो.....!
प्यार वह है जिसके बारे
Read More
लेखअन्य
किरदार जीना मुश्किल
यह युग है "दवाओं युग का दुवांँऔ का नहीं"......जहां हर एक इंसान अन्न से ज्यादा दवा खा रहा है..... क्यों? क्योंकि यह एक खोखली दुनियाँँ है, दिखाओ की दुनियांँ है ।
जहां लोग दिखाते हैं कि
Read More
दुनियाँ.... डुबोना... सही... तो..है बस दुवाँओ की जगह दुवाओं... होगा... माफ किजिएगा आपने जो दुनिया,दुआओ लिखा है वो...गलत...है.....बाकी.. समीक्षा ..के लिए... शुक्रिया... आदरणीय।
कवितालयबद्ध कविता
हूँँ मैं नारी !
नारी हूँँ और अभिमान है इसका मुझे
कहलाती हूँँ जगत जननी!
करती हूँँ सम्मान सबका
चाहती हूँँ..... सम्मान सबका!
रखती हूँ ख्याल सबका
करती हूँँ फर्ज पूरा....
सुनती हूँँ सबकी !
करती हूँँ अपने
Read More
लेखअन्य
"नन्ही जान"
एक छोटा-सा पौधा सींचा था किसी ने। हर एक की नज़र उस पर गईं, पर वो नज़र कैसी? आप ने शायद सोचा होगा-अच्छी नज़र ! पर वो तो(हैवानियत)से भरी हुई नज़र थीं,कि किस तरह उसे उसके ज़मीन से बे-दखल कर दिया जाए,
Read More
कवितालयबद्ध कविता
#जिन्दगी से जंग
जाऊँ कहाँ जिन्दगी
तुझे छोड़ के मैं।
तेरे बिना मै कुछ नहीं
मेरे बिना तु भी कुछ नहीं।
हर सुख -दुख मे मैने
तुझे साथ पाया।
हर कोई जीने की आंंस में
न जाने कितने हौंसले बाँधे हैं।
उन
Read More
लेखअन्य
#कैसी रीत ?
जहां तक मेरी समझ है "कि हमें अगर कोई चीज पसंद आती है तो हमें पैसे देने पड़ते हैं तभी हम उसे खरीद सकते हैं।"
लेकिन मुझे यह नहीं समझ आता, कि जब हम बेटियों की शादी करते हैं, तो बेटी को पसंद तो
Read More
जी आपकी बात सही है पर लोग उसको दहेज बोलते कहाँ है। वह तो परम्परा हो गयी है। जो पुरखो के जमाने से चली आ रही है। वैसे बहुत से पॉइंट छोड़ दिए हैं आपने और भी बहुत सी बातें ऐड हो सकती थी।
कवितालयबद्ध कविता
उम्र के दायरे
वो अल्हड़-सी जवानी
वो बेबाक -पन।
था जिसमें आसमां छूने की ख्वाहिशें!
ऐ दिल अभी थका नहीं तू
जीना है फिर से ।
क्या हुआ अगर उम्र बीत गई दिल तो अभी है जवां।
भला उम्र का दिल से क्या
Read More
लेखनिबन्ध
#Stage of life and #experiences
"अक्सर हम किसी न किसी के बारे में कुछ ना कुछ गलत सोच लेते हैं।"
कुछ मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ...!
मै अक्सर माँ को कहा करती थी ......"क्या माँ कोई भी चीजें यूज़ करके
Read More
लेखअन्य
#काषुरुष.....
कल मैंने एक खबर पढ़ी थी। कुछ महिलाओं ने अपने साड़ी से युवक की जान बचाई। उसे पानी में डूबने से।........ सुनकर बहुत अच्छा लगा। गर्व महसूस हुआ।
जिसके #इज्जत और #आत्मसम्मान को; कुछ कापुरुष
Read More