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Sahitya Arpan - Champa Yadav
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Champa Yadav

Writer's Pen Name not added

मैं चंपा यादव
स्नातकोत्तर हिंदी(बी एड)
शिक्षिका,लेखिका, कवियत्री....

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    लेखआलेख

    शिव की महिमा....🙏

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 156
    • 8 Mins Read

    #महाशिवरात्रि_पर्व_की_हार्दिक_शुभकामनाएँ....🙏

    #शिव की महिमा...

    "शिव है भक्ति! शिव है शक्ति!
    शिव की महिमा है अपरंपार!"

    शिवजी ने #अर्धनारीश्वर का रूप धरकर नारी की महिमा दर्शाई। शिवजी है दयालु,
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    शिव की महिमा....🙏,<span>आलेख</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    ओम नमः शिवाय

    कविताअतुकांत कविता

    💕दुल्हन...

    • Edited 3 years ago
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    • 360
    • 4 Mins Read

    💕दुल्हन...

    मर्यादओं से सजी नारी!
    लगती है चाँदनी की घटा-सी।

    जगमग उसके माथे की बिंदी
    लगे जैसे कोई तारा टिमटिमाता
    हो चाँदनी रात में....

    लाल रंग की चुनरी ओढे!
    यूँ लगे जैसे "तुलसी विवाह
    करने चली हो
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    💕दुल्हन...,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    नारी पूर्ण है

    • Edited 3 years ago
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    • 322
    • 4 Mins Read

    महादेव के नज़रों से🙏

    तू नारी है अपने में पूर्ण है
    कर्मठता है तुझमें!
    कोमल है चट्टान है
    दुर्गा, काली, चंडी है

    रोज नहीं रचनाएँ गढ़ती है
    अपने को परखती है....
    समाज के बनाए हुए
    वसूलों पर....
    पिसती है फिर
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    नारी पूर्ण है,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    "नारी तुझे क्या उपहार दूँ"

    • Edited 3 years ago
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    • 213
    • 3 Mins Read

    "नारी उपहार है सृष्टि का"

    "नारी तुझे क्या उपहार दूँ
    तू तो खुद उपहार है #सृष्टि का!"

    नयी रचनाएँ गढ़ती है तू!
    फिर उसे सिंचती है अपने
    खून-पसीने से, खुदको खो कर!

    हर क्षेत्र मे लहरा चुकी है
    अपना विजय पताका....

    तूने
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    कवितागीत

    सजदा...

    • Edited 3 years ago
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    • 385
    • 3 Mins Read

    सजदा करुँ...

    नजरों से चाहा तुझे,
    दिल से पूजा तुझे
    हो तुम मेरी पहली आरजू
    पहला पहला प्यार

    सजदा करूँ मैं तेरी,
    चाहूँ हाथों में हाथ तेरा
    जन्मो- जन्मो तक
    हो तुम मेरे कृष्ण

    ना चाहूँ कभी
    Read More

    सजदा...,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    सजदा...

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 132
    • 3 Mins Read

    अधूरी कहानी(गीत )

    नजरों से चाहा तुझे,
    दिल से पूजा तुझे
    हो तुम मेरी पहली आरजू
    पहला पहला प्यार

    सजदा करूँ मैं तेरी,
    चाहूँ हाथों में हाथ तेरा
    जन्मो- जन्मो तक
    हो तुम मेरे कृष्ण

    ना चाहूँ
    Read More

    सजदा...,<span>गीत</span>
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    लेखआलेख

    दहेज रूपी दानव

    • Edited 3 years ago
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    • 505
    • 10 Mins Read

    #दहेज़ रूपी दानव!

    दहेज तो हमारे समाज में एक आम- सी बात है। लड़की मतलब दहेज के पैसे इकट्ठा करना शुरू.....। चाहे लड़की खुद अपने पैरों में खड़ी क्यों ना हो.....? दहेज देना तो बनता है भाई.....!

    इस पर तो लड़के वालों
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    दहेज रूपी दानव,<span>आलेख</span>
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    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    बिल्कुल सही

    Champa Yadav3 years ago

    शुक्रिया.... शिवम जी

    लेखआलेख

    संवेदना के बदलते रूप

    • Edited 3 years ago
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    • 200
    • 15 Mins Read

    #संवेदना के बदलते रूप....

    एक आम सी घटना हो गई। जो आए दिन या फिर कहे 24 घंटे में ना जाने कितने घटना होते ही रहती है।क्योंकि कुछ लोग से जवानी संभालती नहीं, जिसके लिए या फिर कह सकते हैं अपनी मर्दांनगी साबित
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    संवेदना के बदलते रूप,<span>आलेख</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    #बचपन के पल...

    • Edited 3 years ago
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    • 152
    • 6 Mins Read

    #बचपन के पल....

    वह बापू के झूले....
    जिनके आगे फिंके है सब झूले।

    वह माँ का हाथों से खिलाना
    कहाँ पाते हैं अब....

    वो पहली बार साइकिल
    सीखते हुए गिरना और
    भाई का सँभाल लेना....
    कहाँ पाते हैं प्यार!
    उनका उम्र
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    #बचपन के पल...,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    #तुम पुरूष हो....

    • Edited 3 years ago
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    • 356
    • 5 Mins Read

    #तुम षुरष हो.....

    हालाँकि हक नहीं है पुरुषों को
    कमजोर पड़ने का.....

    बचपन से तालीम दी जाती है तुम्हें!
    कभी कमजोर मत पढ़ना।

    "क्योंकि तुम मर्द हो,
    तुम रो नहीं सकते।
    समाज हँसेंगे तुम पर...."

    और वही तालीम
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    #तुम पुरूष हो....,<span>अतुकांत कविता</span>
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    Vinay Kumar Gautam

    Vinay Kumar Gautam 3 years ago

    बहुत शानदार

    Champa Yadav3 years ago

    जी....शुक्रिया...आपका।

    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    जी....धन्यवाद....

    Gita Parihar

    Gita Parihar 3 years ago

    सही कहा

    लेखआलेख

    राष्ट्रीय बालिका दिवस

    • Edited 3 years ago
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    • 204
    • 6 Mins Read

    #राष्ट्रीय_बालिका_दिवस

    लोग कहते हैं....."वो माइका था यह ससुराल है"

    पर मेरा घर कहाँ है?
    ******************

    बालिका दिवस का मक्सद तभी संपन्न होगा।जब हम बेटियों को बोझ ना समझकर, उसे अपने घर का चिराग
    Read More

    राष्ट्रीय बालिका दिवस,<span>आलेख</span>
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    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    बहुत बहुत आभार आपका.... आदरणीय!

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    बहुत सुन्दर विचार

    लेखआलेख

    अपनी_पहचान_हिंदी!

    • Edited 3 years ago
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    • 150
    • 5 Mins Read

    #अपनी_पहचान_हिंदी !

    पता नहीं लोग हिंदी! को अनपढ़ों की भाषा क्यों मान लेते हैं।जिस भाषा से हमें इतने प्यारे शब्द दिए।बोलो तो, जैसे शहद टपके, किसी का भी मन मोह ले।

    जैसे माँ, प्यारी माँ! इस प्यारी शब्द
    Read More

    अपनी_पहचान_हिंदी!,<span>आलेख</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    #अलविदा २०२०

    • Edited 3 years ago
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    • 102
    • 2 Mins Read

    अलविदा२०२०

    कह दो, अलविदा उन बुरे यादों को
    जो दिए थे जख़्म, अपनों से बिछड़ने का....

    माँग लो रब से, एक दुआ और कि
    आने वाला साल, सबकी झोली खुशियों से भर दे....

    मिटा दे उन यादों को, जो सूल की तरह चुभ रहे थे
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    #अलविदा २०२०,<span>अतुकांत कविता</span>
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    लेखअन्य

    खौफ जीवन बचाने का....

    • Edited 3 years ago
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    • 127
    • 4 Mins Read

    #खौफ जीवन बचाने का....

    एक अरसे से बंद थी कुछ खौफ इस कदर था।
    जीवन को बचाने का। पर जान बचने की वजह,
    और दर्दनाक होती जा रही थी....।

    जिस तरह पौधे को जब प्रकाश ना मिले। तो वो मुरझा जाती है। ठीक उसी तरह हमारी....
    Read More

    खौफ जीवन बचाने का....,<span>अन्य</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    वाह वाह

    Champa Yadav3 years ago

    शुक्रिया... आदरणीय।

    विमल शर्मा 'विमल'

    विमल शर्मा 'विमल' 3 years ago

    वाह्ह अति सुंदर

    Champa Yadav3 years ago

    जी...धन्यवाद।

    कवितालयबद्ध कविता

    लेखनी....

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 174
    • 2 Mins Read

    लेखनी....

    लिख रही हूँ मैं तुझे
    पर लेखनी नहीं है तू मेरी....

    लिखकर अधूरा छोड़ दूँ
    यह चाहत भी नहीं है मेरी....

    कोई अपशब्द ना आए तेरी राहों में
    हरपल तुझे शब्दों से यूँ सँवारती रहूँ....

    शब्द कभी
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    लेखनी....,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    ऐ चाँद तेरी क्या बात है....

    • Edited 3 years ago
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    • 290
    • 3 Mins Read

    ऐ चांँद तेरी क्या बात है....

    रखकर चलनी में दीया!
    देखती है, तुझे हर सुहागिन....

    फिर अपने पति की लंबी
    उम्र की कामना करती है सुहागिन....

    सँज-सँवर कर दिनभर निर्जल
    उपवास रखती है सुहागिन....

    रात के अंधेरे
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    ऐ चाँद तेरी क्या बात है....,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    शक्ति दो माँ !

    • Edited 3 years ago
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    • 321
    • 3 Mins Read

    शक्ति दो माँ !

    हो रही तार-तार, "तेरी बेटियाँ माँ !"
    नोंच खाया गिद्धों ने
    ना जाने कितनी बेटियों को.....

    हैवानियत की, सारी हदें पार कर गए.....
    पर हया ! कि एक शिकन
    तक ना दिखीं, उनमें.....

    भरी सभा हँसती है नारी
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    शक्ति दो माँ !,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    तू नहीं प्यार के काबिल

    • Edited 3 years ago
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    • 228
    • 4 Mins Read

    तू नहीं प्यार के काबिल
    ******************
    तू ने सुनकर भी,
    अनसुना कर दिया
    मेरी धड़कनों की पुकार को.....

    तू ने देख के भी,
    अनदेखा कर दिया
    मेरे अश्कों के धार को.....

    तू नहीं, प्यार के काबिल
    फिर भी मैंने तुझे, इश्क
    Read More

    तू नहीं प्यार के काबिल,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    जी...शुक्रिया.... सरला जी...।

    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    बढ़िया

    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    बहुत बहुत शुक्रिया..... आदरणीय।

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    चैतन्यपूर्ण

    कवितालयबद्ध कविता

    शुभ दिपावली

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 109
    • 4 Mins Read

    ~~~शुभ_दिपावली~~~

    दिवाली आई भाई, दिवाली आई
    देखो कैसे रोशन हो गए, जग सारे
    जैसे तारे उतर आए हो, धरा पर
    रंगोली से सज गए, आंगन सारे
    महक उठा घर, पकवानों से ।

    दिवाली आई भाई, दिवाली आई
    जगमग हो गए, पटाखों से
    Read More

    शुभ दिपावली,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    जय माँ..लक्ष्मी....?

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    जय माँ लक्ष्मी

    कवितालयबद्ध कविता

    आज फिर.....

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 563
    • 4 Mins Read

    आज फिर.....

    हो गई बरसात, आँँखों से
    आज फिर.....
    तूने लफ्जों से, यूँँ वार किया
    आज फिर.....
    ठेस पहुँँचाई, दिल को तूने
    आज फिर.....

    घुँँट के रह गई, खुदमें !
    आज फिर.....
    भनक ना होने दी, दर्द को
    आज फिर.....
    होठों पर मुस्कान
    Read More

    आज फिर.....,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Gita Parihar

    Gita Parihar 3 years ago

    नारी की उस विवशता को बाखूबी उकेरा है, जहां उसकी इच्छा -अनिच्छा कोई महत्व नहीं रखती।

    Champa Yadav3 years ago

    जी...धन्यवाद।

    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    वाह

    Champa Yadav3 years ago

    जी...शुक्रिया.... आदरणीय...।

    Neelima Tigga

    Neelima Tigga 3 years ago

    शीर्षक -"भावनाओं के बारिश में भिगते "आज फिर" में फिर भी सूखती नारी की व्यथा" 1)"आज फिर' विधा कविता 2)रचना -चम्पा यादव 3) प्रकाशक -साहित्य अर्पण एक पहल 4) प्रकाशन की तिथि 13/10/20 नारी समर्पण के भावना से संसार चलाती है लेकिन उसका पति ही जब उसकी वेदना नहीं समझता तो हर पल उसके मन में उथल पुथल होते रहती है कि पति ही नहीं समझेगा तो मेरा कौन है? घर की स्त्री भी नहीं समझ रही उसके दुःख को ये भी पीड़ा मन में है Iयदि किसी के नजर में उसका दुःख आ भी जाए तो वह खुद को किसी के सामने निर्बल जताना नहीं चाहती, इसलिए आँसू को छिपाया पानी कहकर Iउद्वेलित मन को होठों पर हँसी लाकर जबरदस्ती खुश होने का प्रयत्न भी करती है I यद्यपि इस कविता में कवयित्री को क्या कहना है वो भी भ्रमित करता हैं I इधर सब से दुःख भी छुपा रही और उधर मेरा कोई नहीं यह भी कह रही है I अंत में खुद को खुद ही मजबूत करने का आग्रह भी है Iयदि रचनाकारा इसमें कोई भी एक बात पर टिकी रहती तो पढ़ने वालों का उत्साह ज्यादा रहता I एक ही शब्द को बार बार दोहराना भी उचित नहीं लगा I वैसे रचना अवश्य मन को कही ना कही कुछ सोचने पर भी मजबूर करती है I

    Champa Yadav3 years ago

    शुक्रिया.... नीलीमा जी आपने बहुत अच्छी समीक्षा.. की है। पर आपने रचना के अर्थ को सही से समझ नहीं पाए...अथार्त एक नारी को ना चाह के भी मजबूरन रिश्तो को निभाना पड़ता है क्योंकि हमारा समाज अभी भी नारी के प्रति उतना विकसित सोच नहीं रख पाया है...अभी भी नारी की गलती हो चाह ना हो,पर दोषी उसे ही ठहराया जाता है।....

    Sarla Mehta3 years ago

    जी, सही कहा आपने

    Mamta Gupta

    Mamta Gupta 3 years ago

    स्त्री के मर्म को सरल अंदाज में बहुत ही खूबसूरती से बयां किया है।। सच मे स्त्री के दर्द को कोई नही समझ पाता है।। आपकी रचना बहुत ही सुंदर है।।

    Champa Yadav3 years ago

    जी...शुक्रिया... ममता.. जी..सही...कहा... आपने...।

    Priyanka Tripathi

    Priyanka Tripathi 3 years ago

    स्त्री के मर्म को सरल अन्दाज मे खूबसूरती से व्यक्त किया है।उसकी सहनशक्ति को दबे पावं ब्यक़ किया है।तथा नारी पर प्रहार भी किया है कि नारी का दर्द नारी को समझना होगा।

    Champa Yadav3 years ago

    जी...बहुत.. बहुत.. शुक्रिया... प्रियंका... जी...।

    Gita Parihar

    Gita Parihar 3 years ago

    औरतों की मानवीय संवेदना और उनकी आंतरिक पीड़ा को मार्मिक पंक्तियों में रेखांकित किया है। एक औरत की पीड़ा को औरत ही समझ सकती है लेकिन वह भी नहीं समझती! यह सोच व्यथित करने वाली है। हृदय की पीड़ा को ना समझने का अवसाद बखूबी उकेरा है।। नारी ह्रदय के अंतर्द्वंद को दर्शाती संवेदना से परिपूर्ण रचना है। वर्तनी की अशुद्धि पढ़ने में व्यवधान उपस्थित करती है ,जैसे; घुट के स्थान पर घूंट, ठप्पा के स्थान पर थप्पा और दुख पी ली दुख पुलिंग है। टिप्पणी को कृपया अन्यथा ना लें।

    Champa Yadav3 years ago

    जी..शुक्रिया... मैं... आगे से ध्यान.. रखूँगी...।

    Poonam Bagadia

    Poonam Bagadia 3 years ago

    नारी के चरित्र का काफी शशक्त वर्णन किया आपने..?? बेहद शानदार रचना है..! परन्तु मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि आज फिर.. का प्रयोग कई जगह अनावश्यक किया गया है! हर एक पंक्ति के बाद ही, कम से कम दो पँक्ति के बाद आज फिर का उपयोग किया जाता तो पढ़ने के आनंद में तरोताजगी का एहसास होता..! शब्दों का चयन काफी अच्छा है..?? अच्छी रचना हेतु बहुत बहुत शुभकामनाएं...??? ऐसे ही निरन्तर लिखते रहे और आपके अपने साहित्य अर्पण परिवार से जुड़े रहें..! शुभकामनाओ सहित धन्यवाद..!??????

    Champa Yadav3 years ago

    जी..शुक्रिया... सही.. कहा.. आपने...।

    रानी सिंह

    रानी सिंह 3 years ago

    नारी ही नारी की होती है दुश्मन,ये बात है पुरानी,नारी ही नारी के दर्द को समझ सकती है ,बस समाज में लाना है कुछ बदलाव| आज भी नारी छिपा लेती है खुद के आँसू,लाल सुंदर नयन को देख पूछे कोई ,कह देती है कछरा गिर गया था कोई , वाह! रे नारी तूने क्या प्रतिभा पाई |नारी के दर्द को, उसे न मिलने वाले सम्मान से सम्बधित रचना है |?

    Champa Yadav3 years ago

    शुक्रिया.... रानी... जी..।

    Amrita Pandey

    Amrita Pandey 3 years ago

    समाज में नैतिकता के दोहरे मापदंड को लेकर नारी के दर्द को महसूस कराती सशक्त रचना। नारी के स्वाभिमान को जगाने का प्रयास करती और नारी के द्वारा दूसरी नारी की मदद की आवश्यकता को महसूस कराती सुंदर पंक्तियां। हां, 'आज फिर' का दोहराव कुछ कम किया जा सकता था।

    Champa Yadav3 years ago

    जी...शुक्रिया... अमृता... जी...सही... कहा.. आपने...।

    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    बहुत.. बहुत... धन्यवाद... आदरणीय।

    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    बढ़िया जी

    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    जी..धन्यवाद.. आदरणीय।

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    बहुत अच्छा लिखा आपने आज फिर

    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    शुक्रिया.... जी...साथ देने के लिये।

    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    अब फिर ऐसा नहीं

    कवितालयबद्ध कविता

    प्रकृति की गोद मे....

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 254
    • 3 Mins Read

    प्रकृति की गोद मे....

    बच्चों उठो जागो, मिलो
    प्रकृति से जरा....

    मखमली भींगी धरती पर
    अपने कदमों को रखो जरा....

    भोर की ठंडी हवाओं को
    महसूस करके देखो जरा....

    नीले आसमान के अंदर छिपी
    लाल किरणों से रूबरु
    Read More

    प्रकृति की गोद मे....,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    शुक्रिया.... आदरणीय!

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    चैतन्यपूर्ण

    कविताअतुकांत कविता

    ऐ बचपन...

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 383
    • 7 Mins Read

    ऐ बचपन...

    ऐ बचपन तू थोड़ा और लंबा हो जा
    करने दे मुझे अठखेलियाँँ
    पकड़ने दे मुझे पतंग की डोर
    मारने दे छक्के गेंद से मुझे
    मैं छुप जाऊँ और खोजे मुझे मेरे दोस्त

    ऐ बचपन तू थोड़ा और लंबा हो जा
    हो जाए लड़ाई
    Read More

    ऐ बचपन...,<span>अतुकांत कविता</span>
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    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    जी धन्यवाद.... आदरणीय!

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    विलक्षण

    कहानीव्यंग्य, अन्य

    बचपन के रूप...

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 316
    • 8 Mins Read

    बचपन के रूप...

    ( बचपन कैसा होना चाहिए?..... "बिंदास! कोई चिंता नहीं, हमेशा खेलना, कूदना और स्कूल जाना तथा पढ़ना!..... ऐसा ही होना चाहिए ना! ठीक कहा ना! मैंने.....।"

    पर ऐसा नहीं होता। हर किसी के साथ। इसी से संबंधित
    Read More

    बचपन के रूप...,<span>व्यंग्य</span>, <span>अन्य</span>
    user-image
    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    अद्भुत

    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    जी...धन्यवाद... आदरणीय!

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    चैतन्यपूर्ण

    कविताअतुकांत कविता

    नारी स्वतंत्रता...

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 106
    • 4 Mins Read

    नारी स्वतंत्रता...

    ना बनाओ दीवार #बेड़ियों की.....
    ना जकड़ो इन्हें झूठी #परंपराओं में।

    ना एहसास दिलाओ कि वह है एक #नारी.....
    ना करो झूठे वादे!!! नारी #स्वतंत्रता की।

    ना करो उनके सपनों को #चकनाचूर.....
    वह बराबर
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    नारी स्वतंत्रता...,<span>अतुकांत कविता</span>
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    लेखआलेख

    #न्याय...

    • Edited 3 years ago
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    • 114
    • 9 Mins Read

    #न्याय...

    "नारी तुम कुछ कर ही नहीं सकती
    तुम्हें तो जीने का हक ही नहीं है।
    क्योंकि ये हैवान राक्षस
    तुम्हें कुछ करने ही नहीं देगें।
    इनका वैहशी पन तुम्हें
    सर उठा
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    #न्याय...,<span>आलेख</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    #मर्द या #नामर्द.....

    • Edited 3 years ago
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    • 510
    • 4 Mins Read

    #मर्द या #नामर्द.....

    क्यों इन्हें? लड़कियों का बोलना पसंद नहीं आता.....

    क्यों इन्हें? उनका हँसना पसंद नहीं आता.....

    क्यों इन्हें? उनका आजाद परिंदों की तरह घूमना पसंद नहीं आता.....

    क्या इनकी? मर्दांनगी
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    #मर्द या #नामर्द.....,<span>अतुकांत कविता</span>
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    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    शुक्रिया... आदरणीय।

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    चैतन्यपूर्ण

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    चैतन्यपूर्ण

    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    शुक्रिया......

    Anujeet Iqbal

    Anujeet Iqbal 3 years ago

    ?

    कविताअतुकांत कविता

    "कोरोना का कहर"

    • Edited 3 years ago
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    • 103
    • 9 Mins Read

    "कोरोना का कहर"

    देख दुख इंसान का
    आसमां भी रो दिया इस बार
    हर तरफ तबाही का मंजर है
    ना कोई है बच पा रहा
    डरा-डरा सा है मानव!
    खुद को बचाए कैसे, समझ ना पा रहा
    अब तो हर पल मौत का साया है
    सब पर मंडरा रहा.....

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    कवितालयबद्ध कविता

    जीवन अपना है...

    • Edited 3 years ago
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    • 128
    • 4 Mins Read

    जीवन अपना है...

    जीवन अपना है ढंग भी है अपना।
    जीना कैसे है दिखाना है सबको।
    अरमान अपने हैं मंजिल है अपनी।
    पहुंचना अकेले हैं पहुंचाना है सबको।

    छूट ना जाए किसी की मंजिल.....

    ध्यान रखना है साथ है निभाना।
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    जीवन अपना है...,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    लेखआलेख

    डर....

    • Edited 3 years ago
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    • 129
    • 3 Mins Read

    डर...

    जो कभी जीते थे गरीबी में। अक्सर ऊंचाई पर पहुंचते ही इंसानियत भूल जाते हैं वह भी ढल जाते हैं दोहरे किरदार में। जिनके जीने के रंग अलग और दिखाने के रंग अलग।

    सिखाते हैं सबको इंसानियत का पाठ और
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    डर....,<span>आलेख</span>
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    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    शुक्रिया.. मैम...हाँ..ये बिषय से संम्बन्धित नहीं है....

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    वैसे अपना डर लिखना था लेकिन यह भी बहुत सुंदर लिखा है ?

    लेखआलेख

    दर्द...

    • Edited 3 years ago
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    • 196
    • 6 Mins Read

    दर्द...

    एक दिन दर्द ने दस्तक दी.... किसी गरीब मजदूर के घर.... उसने कहा! "अभी बहुतों के दर्द को कम करना है। अभी अपने दर्द को महसूस करने का समय नहीं.... मेरे पास।" अगर मैं बैठ गई अपने दर्द को लेकर.... तो उनका क्या
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    दर्द...,<span>आलेख</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    चाय सिर्फ चाय नहीं.....

    • Edited 3 years ago
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    • 114
    • 5 Mins Read

    चाय सिर्फ चाय नहीं.....

    अपने भाव व्यक्त करने का जरिया है
    दोस्तों, रिश्तेदारों से जुड़ने का जरिया है
    चाय सिर्फ चाय नहीं.....

    अपनों को करीब लाने का मौका है
    अपने आपको ढूंढने का तरीका है
    चाय सिर्फ चाय
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    चाय सिर्फ चाय नहीं.....,<span>अतुकांत कविता</span>
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    लेखआलेख

    हिंदी सिर्फ भाषा नहीं.....

    • Edited 3 years ago
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    • 383
    • 13 Mins Read

    #हिंदी_दिवस_प्रतियोगिता

    हिंदी सिर्फ भाषा नहीं....

    हिंदी सिर्फ भाषा नहीं..... हमारी पहचान है ! शान है ! बजूद है !

    ममता बस्ती है इसमें । दर्द हो या खुशी हर भाव को छूती है हिंदी.....

    हम अपने भाव को हिंदी में
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    हिंदी सिर्फ भाषा नहीं.....,<span>आलेख</span>
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    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    बहुत बहुत शुक्रिया....आदरणीय

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    चैतन्यपूर्ण

    Vinay Kumar Gautam

    Vinay Kumar Gautam 3 years ago

    शानदार लेख... बधाई

    Champa Yadav3 years ago

    बहुत बहुत शुक्रिया.....सर

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    जी बहुत सुंदर लिखा है हिंदी भाषा के विषय में इसके बारे में जितना कहा जाए उतना कम है।

    Champa Yadav3 years ago

    हाँ....शुक्रिया....मैम

    कविताअतुकांत कविता

    ऊँचाई....

    • Edited 3 years ago
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    • 174
    • 6 Mins Read

    ऊँँचाई...

    कहते हैं इंसान जितना
    ऊंचा उठता है जीवन में।
    उतना ही भूलता जाता है
    इंसानियत......।
    वह भूल जाता है कि
    वह भी इंसान ही है।
    भगवान नहीं......।
    करोगे पाप तो
    जाओगे कहां......।
    किस दुनिया
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    ऊँचाई....,<span>अतुकांत कविता</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    SUNDER POST..!

    Champa Yadav3 years ago

    शुक्रिया.... सर

    कविताअतुकांत कविता, अन्य

    बदलाव

    • Edited 3 years ago
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    • 169
    • 7 Mins Read

    बदलाव

    लड़कियों तुमने लड़कों के पेशाक तो पहन लिए
    पर सिर्फ पोशाक पहने से होगा क्या......

    खुद को भी तो अंदर से मजबूत बनाना होगा
    तभी तो सामना कर पाओगे
    बुरी नजर वालो का.......

    सिर्फ ऊपरी ढांचा बदलने से
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    बदलाव,<span>अतुकांत कविता</span>, <span>अन्य</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बिल्कुल सही बात लड़कियों। को मजबूत बनना होगा तभी वो समाज का सामना कर पाएंगी

    Champa Yadav3 years ago

    हाँ....मैम...सही कहा आपने

    कवितालयबद्ध कविता

    ए मेरे दिल.....

    • Edited 3 years ago
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    • 179
    • 4 Mins Read

    ए मेरे दिल....

    ए मेरे दिल जो तुझे
    अच्छा लगे करता जा।
    कहीं तो कद्र होगी किसी के
    दिल को तो तू छुऐगा।
    ए मेरे दिल जो तुझे
    अच्छा लगे बस करता जा।
    तू भी तो इसी
    समाज का अंग है।
    तुने भी तो इस समाज
    Read More

    ए मेरे दिल.....,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत खूब

    Champa Yadav3 years ago

    धन्यवाद.... मैम

    कवितालयबद्ध कविता

    बूढ़ी मां....

    • Edited 3 years ago
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    • 200
    • 7 Mins Read

    बूढ़ी मां....

    एक दिन मैंने सड़क पर एक बूढ़ी अम्मा को देखा। जो अपना खाली पेट भरने के लिए हर दिन सड़क के किनारे हारमोनियम लेकर बैठ जाती है।बड़े स्वाभिमान के साथ किसी से कुछ नहीं मांगती......यह देख कर दिल
    Read More

    बूढ़ी मां....,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Kumar Sandeep

    Kumar Sandeep 3 years ago

    हृदयस्पर्शी

    Champa Yadav3 years ago

    जी...धन्यवाद

    कवितालयबद्ध कविता

    उड़ान

    • Edited 3 years ago
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    • 357
    • 6 Mins Read

    उड़ान

    उड़ना है जरूरी...
    अगर उड़ेंगे नहीं तो
    ऊंचाई तक पहुंचोगे कैसे
    उड़ना है जरूरी.....

    जरा.... देखो ना
    इन पंछियों को कभी
    उड़ना छोड़ती ही नहीं
    पता है उन्हें भी....
    मैं भी शिकार बन
    सकती हूं किसी का
    फिर
    Read More

    उड़ान,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    Jaru mam.....AAP ka lekhn mujhe bahut achha lagta hai.....jaru padangi...

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    सुन्दर रचना..!

    Champa Yadav3 years ago

    Bahut bahut Shukriya....sir...

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत खूब पोसिटीवीटी से भरपूर कृपया मेरी भी रचनाये अवश्य पढ़ें

    लेखनिबन्ध

    मंदिर....

    • Edited 3 years ago
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    • 254
    • 8 Mins Read

    मंदिर....

    "कहते हैं लोग कुछ
    ईश्वर ! कहां है किसी ने देखा है
    मैं कहती हूं। ईश्वर! को देखा नहीं
    महसूस किया जाता है.....
    एक अदृश्य शक्ति के रूप में
    ईश्वर ! जिसको आप
    जिस रूप में मान लो....."

    कभी-कभी इंसान
    Read More

    मंदिर....,<span>निबन्ध</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    BAHOT SUNDER POST ..! ISHWAR KA SACHHA SWARUP..!!

    Champa Yadav3 years ago

    Shukriya....sir

    लेखअन्य

    प्यार क्या होता है?

    • Edited 3 years ago
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    • 165
    • 8 Mins Read

    प्यार क्या होता है?

    प्यार वह एहसास है जिसे कभी आप मिटा नहीं सकते..... जिसमें आप खुद को भूल कर अपने प्यार के लिए जीते हो। उसे मुस्कान देने के लिए। आप हजारों कोशिशें करते हो.....!

    प्यार वह है जिसके बारे
    Read More

    प्यार क्या होता है?,<span>अन्य</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    bahut khoob

    Champa Yadav3 years ago

    Thank you mam

    लेखअन्य

    किरदार जीना मुश्किल

    • Edited 3 years ago
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    • 216
    • 7 Mins Read

    किरदार जीना मुश्किल

    यह युग है "दवाओं युग का दुवांँऔ का नहीं"......जहां हर एक इंसान अन्न से ज्यादा दवा खा रहा है..... क्यों? क्योंकि यह एक खोखली दुनियाँँ है, दिखाओ की दुनियांँ है ।

    जहां लोग दिखाते हैं कि
    Read More

    किरदार जीना मुश्किल,<span>अन्य</span>
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    meera tewari

    meera tewari 2 years ago

    अच्छे भाव👌

    Gita Parihar

    Gita Parihar 3 years ago

    अच्छी रचना है

    Champa Yadav3 years ago

    शुक्रिया... गीता जी....

    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    दुनियाँ.... डुबोना... सही... तो..है बस दुवाँओ की जगह दुवाओं... होगा... माफ किजिएगा आपने जो दुनिया,दुआओ लिखा है वो...गलत...है.....बाकी.. समीक्षा ..के लिए... शुक्रिया... आदरणीय।

    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    माफ़ करना ,,,दुनिया,दुआओं,डुबोना,,,सही है है

    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    ओह

    कवितालयबद्ध कविता

    हूँँ मैं नारी

    • Edited 3 years ago
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    • 241
    • 5 Mins Read

    हूँँ मैं नारी !

    नारी हूँँ और अभिमान है इसका मुझे
    कहलाती हूँँ जगत जननी!
    करती हूँँ सम्मान सबका
    चाहती हूँँ..... सम्मान सबका!
    रखती हूँ ख्याल सबका
    करती हूँँ फर्ज पूरा....
    सुनती हूँँ सबकी !
    करती हूँँ अपने
    Read More

    हूँँ मैं नारी,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    शुक्रिया.... आदरणीय!

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    नारी तू नारायणी

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    bahut hi bdhiya

    Champa Yadav3 years ago

    शुक्रिया....

    लेखअन्य

    इंसानियत

    • Edited 3 years ago
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    • 180
    • 8 Mins Read

    #इंसानियत

    एक मासूम बच्चा ममता के लिए कब से तरस रहा है ,पर ममता तो अपनी ममता भरी संसार को छोड़कर कब आंख मूंद ली किसी को पता नहीं........!

    आखिर कर क्या रही थी इंसानियत जब एक मां तड़प रही थी। कहां गए
    Read More

    इंसानियत,<span>अन्य</span>
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    लेखअन्य

    नन्हीं जान

    • Edited 3 years ago
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    • 198
    • 6 Mins Read

    "नन्ही जान"

    एक छोटा-सा पौधा सींचा था किसी ने। हर एक की नज़र उस पर गईं, पर वो नज़र कैसी? आप ने शायद सोचा होगा-अच्छी नज़र ! पर वो तो(हैवानियत)से भरी हुई नज़र थीं,कि किस तरह उसे उसके ज़मीन से बे-दखल कर दिया जाए,
    Read More

    नन्हीं जान,<span>अन्य</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    #जिन्दगी से जंग

    • Edited 3 years ago
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    • 143
    • 4 Mins Read

    #जिन्दगी से जंग

    जाऊँ कहाँ जिन्दगी
    तुझे छोड़ के मैं।
    तेरे बिना मै कुछ नहीं
    मेरे बिना तु भी कुछ नहीं।
    हर सुख -दुख मे मैने
    तुझे साथ पाया।
    हर कोई जीने की आंंस में
    न जाने कितने हौंसले बाँधे हैं।
    उन
    Read More

    #जिन्दगी से जंग,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    लेखअन्य

    #ममता

    • Edited 3 years ago
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    • 258
    • 4 Mins Read

    #ममता

    "माँ " शब्द में ममता छिपी हुई है।जिसे समझी तो थी पर महसूस तब की जब खुद को "माँ" के रूप मे पायी। वो एहसास दुनियाँ की हर खुशियाँ, दौलत से बड़ी हैं या यूँ कहूँ जिन्दगी से भी बड़ी है। जब आप अपने गोद मे
    Read More

    #ममता,<span>अन्य</span>
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    लेखअन्य

    #कैसी रीत?

    • Edited 3 years ago
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    • 242
    • 4 Mins Read

    #कैसी रीत ?

    जहां तक मेरी समझ है "कि हमें अगर कोई चीज पसंद आती है तो हमें पैसे देने पड़ते हैं तभी हम उसे खरीद सकते हैं।"

    लेकिन मुझे यह नहीं समझ आता, कि जब हम बेटियों की शादी करते हैं, तो बेटी को पसंद तो
    Read More

    #कैसी रीत?,<span>अन्य</span>
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    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    बहुत.. बहुत... आभार.. आदरणीय।

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    चैतन्यपूर्ण

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    जी आपकी बात सही है पर लोग उसको दहेज बोलते कहाँ है। वह तो परम्परा हो गयी है। जो पुरखो के जमाने से चली आ रही है। वैसे बहुत से पॉइंट छोड़ दिए हैं आपने और भी बहुत सी बातें ऐड हो सकती थी।

    कवितालयबद्ध कविता

    उम्र के दायँरे

    • Edited 3 years ago
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    • 221
    • 5 Mins Read

    उम्र के दायरे

    वो अल्हड़-सी जवानी
    वो बेबाक -पन।
    था जिसमें आसमां छूने की ख्वाहिशें!
    ऐ दिल अभी थका नहीं तू
    जीना है फिर से ।
    क्या हुआ अगर उम्र बीत गई दिल तो अभी है जवां।

    भला उम्र का दिल से क्या
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    उम्र के दायँरे,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    लेखनिबन्ध

    #Stage of life and #experiences

    • Edited 3 years ago
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    • 140
    • 11 Mins Read

    #Stage of life and #experiences

    "अक्सर हम किसी न किसी के बारे में कुछ ना कुछ गलत सोच लेते हैं।"

    कुछ मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ...!

    मै अक्सर माँ को कहा करती थी ......"क्या माँ कोई भी चीजें यूज़ करके
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    #Stage of life and #experiences,<span>निबन्ध</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    पराया धन

    • Edited 3 years ago
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    • 375
    • 7 Mins Read

    #पराया धन

    कुछ फरियादे!
    लेकर आई हूं.......मां!

    भेज ना देना वापस
    पराया धन! कहकर....... मां!

    जिस हक से तुने
    बेटों को रखा है ...... मां!

    उसी कोख से मैं भी
    तो जन्मी हूं...... मां!

    कहेगा समाज कुछ कहकर

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    पराया धन,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    लेखअन्य

    काषुरुष...

    • Edited 3 years ago
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    • 130
    • 8 Mins Read

    #काषुरुष.....

    कल मैंने एक खबर पढ़ी थी। कुछ महिलाओं ने अपने साड़ी से युवक की जान बचाई। उसे पानी में डूबने से।........ सुनकर बहुत अच्छा लगा। गर्व महसूस हुआ।

    जिसके #इज्जत और #आत्मसम्मान को; कुछ कापुरुष
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    काषुरुष... ,<span>अन्य</span>
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