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London is the capital city of England.
कविताअन्य
राधा लजाए अखियन मुस्काये,
तरूवर पीछे छुप-छुप जाए,
देखो मन ही मन शरमाए।
जाने राधा मींचूँगी नयना,
तुम ही तुम हो समाए।
वृंदावन की कुञ्ज गलिन में गिरिधर,
राधा-राधा शोर मचाए।
यमुना तट पर गोपियों संग
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कविताअन्य
साँप पहलू में है,तुम जानते नहीं,
मैंने झाँका है ,तुम झाँकते नहीं।
बड़े-बड़े ख़्वाबों में मशगूल हो सब,
फण विषधर का क्यूँ पहचानते नहीं।
अपने-अपने स्वार्थों में इतना मसरूफ है हम,
पन्नग की चाल देख
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कविताअन्य
एक बार सपने में देखा महारानी कैकयी को,
मैं पूछ बैठी कैकयी से
कैकयी तुम क्यों बदनाम हुई?
भरत से अधिक था तुम्हें राम पर नेह,
राम रहते थे सदा तुम्हारे गेह,
सूरज चन्दा वारती थी निशदिन तुम ,
मेरे राम
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कविताअन्य
स्वंय सिद्धा सी विमोहित मैं आज अपने जीवन का लेखा-जोखा करने बैठी तो मूढ़ मति सी विभ्रम अवस्था में जड़ रह जाती हूँ।
क्या यही सार -हीन जीवन मेरे अतीत का सार है?क्या दर्पण के उस पार इतना भयानक अंधकार
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