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Sahitya Arpan - Sudhir Kumar
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Sudhir Kumar

'सुधीर अधीर'

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    कविता लयबद्ध कविता First
    लेख आलेख Third
    कहानी ऐतिहासिक 5th

    कवितालयबद्ध कविता

    यात्री गण अपने सामान का खुद ध्यान रखें

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 105
    • 10 Mins Read

    "यात्रीगण अपने सामान का 
    खुद ध्यान रखें      
    वरना आँसू बन बहने को
    तैयार सब अरमान रखें "

    यह अल्टीमेटम 
    किसी आम बस 
    या फिर रेल की तरह 
    इस पर नहीं लिखा है

    पर इस बचे-खुचे 
    और लुटे-पिटे से
    लोकतंत्र की
    Read More

    यात्री गण अपने सामान का खुद ध्यान रखें,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Rajjansaral

    Rajjansaral 6 months ago

    अति सुन्दर, श्री मान आपका नम्बर मिलेगा??

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 1 year ago

    सुन्दर रचना

    कवितालयबद्ध कविता

    पहला पहला कदम

    • Edited 2 years ago
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    • 99
    • 8 Mins Read

    हम जब जहाँ से
    पहला-पहला
    कदम उठा के
    आगे बढ़ते हैं

    एक नयी हिम्मत जुटा के
    खुद को पूरा आजमा के
    पग-पग डग पे
    आगे चलते हैं

    वो जगह और वो लमहा,
    दोनों ही सबसे बडे़ हैं

    पहला कदम,
    फिर दूसरा,
    दूसरा, फिर तीसरा..
    Read More

    पहला पहला कदम,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 1 year ago

    बहुत सुन्दर और भावपूर्ण..!

    कवितालयबद्ध कविता

    वक्त के इस काफिले में

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 82
    • 9 Mins Read

    कल आज और कल, 
    वक्त के इस काफिले में, 
    इनमें सिमटा हर एक पल
    जीवन के इस सिलसिले में
    कदम बढा़ता हर एक पल

    संभावनायें अनगिनत
    लाता है खुद में समेटकर
    आता-जाता हर एक पल

    हर संभावना में
    सिमटे हैं
    ना जाने
    Read More

    वक्त के इस काफिले में,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    आज मैंने एक रोते हुए बच्चे को हँसा दिया

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 103
    • 5 Mins Read

    आज मैंने रोते हुए एक 
    बच्चे को हँसा दिया
    एक चाकलेट का पैकेट देकर
    अपने दिल में कुछ खुशनुमा से 
    अहसासों का साज बजा दिया

    उसके लिए ये छोटा सा 
    एक तोहफा था
    मेरे लिए खुश रहने का
    एक खूबसूरत मौका था

    उस
    Read More

    आज मैंने एक रोते हुए बच्चे को हँसा दिया,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 1 year ago

    बहुत सुन्दर और भावपूर्ण 👌🙏

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 1 year ago

    बहुत सुन्दर और भावपूर्ण स्रजन..! 🙏

    Anil Mishra Prahari

    Anil Mishra Prahari 1 year ago

    Bahut sunder.

    कवितालयबद्ध कविता

    मैं आज हूँ

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 88
    • 11 Mins Read

    मैं आज हूँ
    मैँ आज हूँ
    वक्त की नाजुक,
    थिरकती उँगलियों पर
    लमहों का बजता हुआ
    एक साज हूँ
    मैं आज हूँ

    पिछले कल 
    और अगले कल,
    उस जकड़ते से कल
    और उस छलते से कल,
    इन दो पाटों के बीच से
    खुद को बाहर खींच के
    खुद
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    मैं आज हूँ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    अर्द्धनारीश्वर सा सच

    • Edited 2 years ago
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    • 85
    • 9 Mins Read

    गोरा रंग
    सबका चहेता गोरा रंग
    भरमाता, भटकाता सा
    आँखों को चुँधियाता सा 
    मृगतृष्णा सा गोरा रंग
    कंचन मृग बन तरसाता सा
    एक तृष्णा सा गोरा रंग

    मगर इसे कुछ और भी
    मादक बनाने को
    मोहक बनाकर 
    हर मन को
    पल-पल
    Read More

    अर्द्धनारीश्वर सा सच,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    जिदंगी, मुझको तुझसे प्यार है

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 122
    • 8 Mins Read

    ऐ जिंदगी, 
    मुझको तुझसे प्यार है
    तेरा हर एक लमहा
    खुशियों से महका त्यौहार है
    ऐ जिंदगी, 
    मुझको तुझसे प्यार है

    कुछ भारी-भरकम से सपनेजो हो सके ना मेरे अपने
    उनको रखकर गिरवी बरबस
    आस-पास ये बिखरी-बिखरी
    अहसासों
    Read More

    जिदंगी, मुझको तुझसे प्यार है,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    हर लमहे को इतिहास बनाओ

    • Edited 2 years ago
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    • 71
    • 5 Mins Read

    हर एक अमावस के सीने में
    नयी सुबह की नयी वजह सा
    खुशनुमा अहसास जगाओ
    हर पतझड़ को मधुमास बनाओ
    हर लमहे को इतिहास बनाओ

    हर अवसर के बीज में
    अंकुर बनकर छिपी 
    एक संभावना को
    मन की हर एक पंखुड़ी पे
    बूँद-बूँद
    Read More

    हर लमहे को इतिहास बनाओ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    लेखआलेख

    चुनावी मौसम बनाम चूना फ्री मौसम

    • Edited 2 years ago
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    • 115
    • 12 Mins Read

    आज के इस हाई प्रोफाइल और फ्री स्टाइल लोकतंत्र में देश और काल के अनुसार मौसम को दो श्रेणियों में बाँट सकते हैं :  
               चुनावी मौसम और चूना-फ्री मौसम. 
          चुनावी मौसम में एक आचार संहिता होती है.
    Read More

    चुनावी मौसम बनाम चूना फ्री मौसम,<span>आलेख</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    कविता की आहट

    • Edited 2 years ago
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    • 95
    • 5 Mins Read

    मन के आँगन में भावों की, सुन्दर सजी रंगोली है
    मन के द्वारे पे उतरी, कुछ अरमानों की डोली है 

    मन के घनघोर अँधेरे में, क्यूँ जली चेतना की ज्योति
    अद्भुत आभा से दमक रहा, मन की माला का हर मोती

    ना जाने ये
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    कविता की आहट,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    फागुन आया

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 101
    • 9 Mins Read

    ( होली आई और कुछ रंग छिड़ककर, जीवन में सतरंगी आभा बिखेरकर, अपने संग फागुन को भी लेकर चली गयी मगर अभी भी खुमार बाकी है और ना जाने क्यों इससे बौराये से बावरे मन को अब भी लगता है कि मानो "फागुन आया" )
    फागुन
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    फागुन आया,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    होली के ये रंग

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 67
    • 8 Mins Read

    होली के ये रंग
    हाँ, होली के ये रंग
    भरें सच्चे अर्थों में
    जीवन में नवरंग

    आयें लेकर अपने संग
    अंजुलि में समेटकर
    महकते अहसासों के 
    आँचल में लपेटकर
    जीवन को धारा बनाती
    अल्हड़, अलमस्त तरंग

    बिखेर दे
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    होली के ये रंग,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    लेखआलेख

    शिवतत्व

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 186
    • 24 Mins Read

    शिव साक्षात् परब्रह्म हैं,. वही ब्रह्म जिसे वेद समझते-समझते थककर स्वयं ही समर्पण की मुद्रा में आकर " नेति-नेति " कहकर स्वयं के ज्ञान की इतिश्री कर लेते हैं, अर्थात्, यह इति नहीं है, इसमें बहुत कुछ समझना
    Read More

    शिवतत्व,<span>आलेख</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    एक बच्चे को हँसा दिया

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 91
    • 5 Mins Read

    आज मैंने
    रोते हुए एक
    बच्चे को हँसा दिया
    एक चाकलेट का पैकेट देकर
    अपने दिल में कुछ खुशनुमा से
    अहसासों का साज बजा दिया

    उसके लिए ये छोटा सा
    एक तोहफा था
    मेरे लिए खुश रहने का
    एक खूबसूरत मौका था

    उस चेहरे
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    एक बच्चे को हँसा दिया,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    कल फिर हो ना हो

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 64
    • 11 Mins Read

    पिछला कल तो बीत गया
    अगला कल तो बस सपना है
    जियो आज के हर पल को
    बस एक यही तो अपना है

    यह अपना सा,
    यह अदना सा,
    खूबसूरत सपना सा
    हर आज में सिमटा ये अब
    और हर अब में लिपटा ये रब,
    रब जाने, ये पहचाने से
    पल फिर हों
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    कल फिर हो ना हो,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    मेरे घर आना जिंदगी

    • Edited 2 years ago
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    • 79
    • 8 Mins Read

    मेरे घर आना जिंदगी
    मेरे घर आना जिंदगी
    पल-पल में सिमटे आज को
    मन के हर अहसास को
    अंतर्मन की आवाज को 
    जीने के हर अंदाज को
    हर एक नये आगाज़ को

    बनाते जाना बंदगी
    मेरे घर आना जिंदगी
    मेरे घर आना जिंदगी

    बन ममता
    Read More

    मेरे घर आना जिंदगी,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    वक्त के इस काफिले में

    • Edited 2 years ago
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    • 71
    • 9 Mins Read

    कल आज और कल,
    वक्त के इस काफिले में,
    इनमें सिमटा हर एक पल
    जीवन के इस सिलसिले में
    कदम बढा़ता हर एक पल

    संभावनायें अनगिनत
    लाता है खुद में समेटकर
    आता-जाता हर एक पल

    हर संभावना में
    सिमटे हैं
    ना जाने कैसे,
    Read More

    वक्त के इस काफिले में,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    वक्त के इस काफिले में

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 78
    • 9 Mins Read

    कल आज और कल,
    वक्त के इस काफिले में,
    इनमें सिमटा हर एक पल
    जीवन के इस सिलसिले में
    कदम बढा़ता हर एक पल

    संभावनायें अनगिनत
    लाता है खुद में समेटकर
    आता-जाता हर एक पल

    हर संभावना में
    सिमटे हैं
    ना जाने कैसे,
    Read More

    वक्त के इस काफिले में,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    समय के हस्ताक्षर

    • Edited 2 years ago
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    • 90
    • 7 Mins Read

    जीवन के कोरे कागज पर
    पल-पल समय के हस्ताक्षर
    क्या कहे निशा के कानों में
    हर नयी सुबह यूँ आ-आकर

    हर एक उदासी को
    कह देती अलविदा
    खुश होने की एक खुशनुमा सी
    नयी वजह यूँ मुस्कुराकर

    घड़ी की सुइयों के संग घूमते
    लमहों,
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    समय के हस्ताक्षर,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    चुनावी पोस्टर

    • Edited 2 years ago
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    • 94
    • 11 Mins Read

    शहर की हर एक दीवार
    जिधर देखिये, बिखरा-
    बिखरा सा पडा़ है प्यार

    छलका-छलका, 
    ढलका-ढलका,
    उमड़ रहा है बनकर ज्वार

    हाँ, हो रही है हर दीवार
    सजकर दुल्हन सी तैयार

    सबके चेहरों के दागों को
    ढकने को, देखो, 
    चिपक गये
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    चुनावी पोस्टर,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    भूली-बिसरी कोई याद

    • Edited 2 years ago
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    • 102
    • 7 Mins Read

    हौले-हौले आकर दस्तक देती सी
    मन को बरबस हर लेती सी
    भूली बिसरी कोई याद
    करती सी मन को आबाद
    बीते कल की 
    टेढी़-मेढी़ सी गलियों में
    तितरी-बितरी, 
    बिखरी-बिखरी कोई याद
    भूली बिसरी कोई याद

    भरती हर खालीपन को
    हरती
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    भूली-बिसरी कोई याद,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    मैं लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ

    • Edited 2 years ago
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    • 235
    • 7 Mins Read

    मैं उमा, रमा, 
    मैं शारदा
    मैं विधि, हरि, 
    हर की शक्ति हूँ
    मैं लड़की हूँ, 
    लड़ सकती हूँ

    मैं मीरा की भक्ति हूँ
    मैं राधा की अनुरक्ति हूँ
    मैं अन्नपूर्णा की गरिमा, 
    मैं अनसूया की शक्ति हूँ
    मैं लड़की हूँ
    लड़
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    मैं लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    आकाश त्रिपाठी

    आकाश त्रिपाठी 1 year ago

    Waaaaaaaaaah Superb

    आकाश त्रिपाठी

    आकाश त्रिपाठी 1 year ago

    Superb ❤️❤️🙏🤗

    कवितालयबद्ध कविता

    " ओ मित्रों " बनाम " ओमिक्रोन "

    • Edited 2 years ago
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    • 92
    • 5 Mins Read

    ( दिन में रैलियों में भीड़ जुटाने की अंधाधुंध कवायद
    और फिर रात में कर्फ्यू. इस दोगलेपन पर प्रस्तुत है,
    " ओ मित्रों " बनाम " ओमिक्रोन " )

    काली अँधेरी रातों में
    अनजान और सुनसान राहों पे
    चमगादड़ का कुलदीपक
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    कवितालयबद्ध कविता

    मैं एक सोयी चेतना हूँ

    • Edited 2 years ago
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    • 123
    • 14 Mins Read

    मैं एक सोयी चेतना हूँ
    जड़ता के इस तमस में
    मानव की हर बहक में
    स्वयं का अस्तित्व खोजती
    इन काले मेघों के बीच
    कभी-कभी यूँ यहीं-कहीं
    बिजली सी बन कौंधती
    मानव की खोयी चेतना हूँ

    हाँ, मैं एक संवेदना हूँ,
    एक
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    मैं एक सोयी चेतना हूँ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कहानीव्यंग्य, प्रेरणादायक, लघुकथा

    सत्य बना यूँ शरणागत

    • Edited 2 years ago
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    • 80
    • 19 Mins Read

    ( श्रीमद्भागवत की यह कथा तो हम सबने पढी़ या सुनी ही होगी कि कलि ने परीक्षित से स्वयं के लिए पाँच स्थान माँगे और देखते ही देखते उस युग का नया स्वामी बन बैठा. अब कल्पना करें कि कलियुग अपने चरम पर है और
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    सत्य बना यूँ शरणागत,<span>व्यंग्य</span>, <span>प्रेरणादायक</span>, <span>लघुकथा</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    आ, जिंदगी, पास आ

    • Edited 2 years ago
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    • 71
    • 9 Mins Read

    आ, जिंदगी, पास आ
    तू इतनी क्यूँ उदास, आ
    क्यूँ अनबुझी हर प्यास, आ
    क्यूँ ठंडी सी हर साँस, आ
    क्यूँ बिखरी हर एक आस, आ
    आ, जिंदगी, पास आ

    आ, तुझ पे एक गजल लिख दूँ
    एक बिंदास हंँसी से तेरे
    हर तनाव का हल लिख दूँ
    इस ठहरी-ठहरी
    Read More

    आ, जिंदगी, पास आ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    मैं तो तो अकेला ही चला था

    • Edited 2 years ago
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    • 78
    • 8 Mins Read

    मैं अकेला ही चला था
    मैं तो अकेला ही चला था
    अनायास ही
    बिन प्रयास ही
    डग-मग पग-पग
    जब-तब, 
    ना जाने कब-कब
    अकस्मात यूँ संग-संग
    अहसासों के साये में ढल
    पग-पग कारवाँ सा बन
    लमहों का मेला भी चला था
    यादों का रेला
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    मैं तो तो अकेला ही चला था,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    गोरा-काला

    • Edited 2 years ago
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    • 96
    • 9 Mins Read

    गोरा रंग
    सबका चहेता गोरा रंग
    भरमाता, भटकाता सा
    आँखों को चुँधियाता सा 
    मृगतृष्णा सा गोरा रंग
    कंचन मृग बन तरसाता सा
    एक तृष्णा सा गोरा रंग

    मगर इसे कुछ और भी
    मादक बनाने को
    मोहक बनाकर 
    हर मन को
    पल-पल लुभाने
    Read More

    गोरा-काला,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    मैं व्यवस्था हूँ

    • Edited 2 years ago
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    • 65
    • 8 Mins Read

    मैं व्यवस्था हूँ
    मैं आज की व्यवस्था हूँ
    कंचनमृग से सम्मोहित इस देश के,
    मृगतृष्णा से दिग्भ्रमित,
    मन की अवस्था हूँ
    मैं आज की व्यवस्था हूँ
    मैं आज की व्यवस्था हूँ

    मैं सर्वशक्तिसंपन्न
    मैं संप्रभुतासंपन्न
    मैं
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    मैं व्यवस्था हूँ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    मैं व्यवस्था हूँ

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 76
    • 8 Mins Read

    मैं व्यवस्था हूँ
    मैं आज की व्यवस्था हूँ
    कंचनमृग से सम्मोहित इस देश के,
    मृगतृष्णा से दिग्भ्रमित,
    मन की अवस्था हूँ
    मैं आज की व्यवस्था हूँ
    मैं आज की व्यवस्था हूँ

    मैं सर्वशक्तिसंपन्न
    मैं संप्रभुतासंपन्न
    मैं
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    मैं व्यवस्था हूँ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    यात्री गण अपने सामान का खुद ध्यान रखें

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 83
    • 9 Mins Read

    "यात्रीगण
    अपने सामान का
    खुद ध्यान रखें
    वरना आँसू बन बहने को
    तैयार सब अरमान रखें "

    यह अल्टीमेटम
    किसी आम बस
    या फिर रेल की तरह
    इस पर नहीं लिखा है

    पर इस बचे-खुचे
    और लुटे-पिटे से
    लोकतंत्र की पटरियों
    Read More

    यात्री गण अपने सामान का खुद ध्यान रखें,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    जीना ही जिंदगी है

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 75
    • 8 Mins Read

    पिछला कल
    अतीत की जमी गर्द से
    लिपटा कल
    बस उसके ही दर्द में
    सिमटा कल

    बस उसके ही साये में
    जीता पल-पल
    ठहरावों की जड़ता के
    निष्ठुर धागे से
    पल-पल खुद को सीता कल
    बासी पानी को बूँद-बूँद कर
    पल-पल पीता कल

    सिर्फ
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    जीना ही जिंदगी है,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    लेखआलेख

    गंगावतरण

    • Edited 2 years ago
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    • 97
    • 21 Mins Read

    ( कार्तिक पूर्णिमा और गंगास्नान की हार्दिक शुभकामनाएं.
    आज हम सब मिलकर करते हैं एक ज्ञान-यात्रा "गंगावतरण" की और बनते हैं साक्षी इसके मूल से परमगंतव्य तक एक-एक मोड़ और हर एक उतार-चढा़व की )

    ब्रह्मा
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    गंगावतरण,<span>आलेख</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    दिये तले अँधेरे

    • Edited 2 years ago
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    • 66
    • 11 Mins Read

    किस लिए,
    किसके लिए ?
    आखिर किसके लिए?

    हमने कल जलाये थे लाखों दिये
    किसलिए, किसके लिए,
    आखिर किसके लिए ?

    राम की चरणरजकण से
    होते क्षण-क्षण पावन
    सरयू जल को स्वर्णिम
    करते से मनभावन
    आस्था पल-पल जगाते से
    अनगिन
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    दिये तले अँधेरे,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    क्या करूँ, बीच में नेहरू आ गया

    • Edited 2 years ago
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    • 76
    • 12 Mins Read

    ( मेरी यह रचना किसी व्यक्ति पर नहीं, एक मानसिकता पर कटाक्ष करती है. एक ऐसी मानसिकता पर जो अपनी विफलताओं का ठीकरा दूसरों पर फोड़ती है. ये सब भाव कुछ उदाहरण हैं. संभवतः मैंने भी ऐसा अनेक बार किया हो. यदि
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    क्या करूँ, बीच में नेहरू आ गया,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    मैं महालक्ष्मी धन की शक्ति

    • Edited 2 years ago
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    • 78
    • 8 Mins Read

    मैं महालक्ष्मी, धन की शक्ति
    पालनकर्त्ता हरि की शक्ति
    मैं ही हूँ सम्पूर्ण प्रकृति
    जल-थल, जड़-चेतन की शक्ति

    तुम खूब करो मेरी भक्ति
    भक्ति में ही सिमटी शक्ति
    बने दीपमाला जन-जन की
    भावना की अभिव्यक्ति

    प्राकट्य
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    मैं महालक्ष्मी धन की शक्ति,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    लेखआलेख

    नरक चतुर्दशी

    • Edited 2 years ago
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    • 65
    • 14 Mins Read

    ( आप सबको छोटी दीपावली या नरकचतुर्दशी की शुभकामनायें. दीपावली के शुभ नाम के साथ नरक शब्द जोड़ना कुछ अटपटा नहीं लगता आपको ? आइये आज हम सब इस विरोधाभास के मूल कारण को जानते और समझते हैं )

    इस दिन
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    नरक चतुर्दशी,<span>आलेख</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    जिंदगी कुछ इस तरह....

    • Edited 2 years ago
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    • 121
    • 7 Mins Read

    जिंदगी कुछ इस तरह
    साथ मेरे चलती रही
    हर लमहे की सीपी में
    अहसासों का मोती बन
    ढलती रही
    जिंदगी कुछ इस तरह
    साथ-साथ चलती रही

    कुछ डगर
    बन हमसफर,
    कुछ लमहों में ढल
    कुछ जज़बात
    ले, कुछ लमहों की,
    संग सौगात
    साथ-साथ
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    जिंदगी कुछ इस तरह....,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    लेखआलेख

    साडी़ बिच नारी है कि....

    • Edited 2 years ago
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    • 219
    • 27 Mins Read

    " साडी़ बिच नारी है किनारी बिच साडी़ है
        साडी़ ही की नारी है कि
    नारी ही की साडी़ है "
       द्रौपदी-चीरहरण के संदर्भ में महाकवि भूषण की ये पंक्तियाँ आज के इस भ्रष्टयुग, मतलब कष्टयुग,  मतलब कलयुग, मतलब
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    साडी़ बिच नारी है कि....,<span>आलेख</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    चाँद का टुकड़ा

    • Edited 2 years ago
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    • 116
    • 6 Mins Read

    आज है शुभ करवा चौथ
    आज रखने को प्रज्ज्वलित
    दांपत्य-प्रेम की महाजोत
    सुबह से ही भूखा है
    अपना चाँद का टुकडा़ 

    और हम मशगूल हैं
    या यह कहो, मजबूर हैं
    या फिर समझो, 
    हम बने हुए मजदूर हैं
    बेगारी के
    बेचारी से
    लाचारी
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    चाँद का टुकड़ा,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    मेरा अपना आप

    • Edited 2 years ago
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    • 75
    • 11 Mins Read

    आज मैं एक बार फिर
    भरमाते और उलझाते से
    ख्यालों और सवालों से घिर
    अनायास यूँ असमय
    और बनकर एक विस्मय,
    अपनी ही मदहोशी में
    बोलती सी खामोशी में
    गया नींद से जाग

    मेरा अपना आप उठ के
    चोरी-चोरी चुपके-चुपके
    दबे
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    मेरा अपना आप,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    मुस्कुराइये कि आप आज......

    • Edited 2 years ago
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    • 61
    • 13 Mins Read

    मुस्कुराइये कि आप आज
    सिर्फ अपने आप में हैं
    मुस्कुराइये कि आज आप
    सिर्फ अपने आज में हैं
    मुस्कुराइये कि आप बस
    खुद के ही आस-पास में हैं

    खिलखिलाइये कि आप सबसे
    खुशनुमा अंदाज में हैं

    खिलखिलाइये कि आप
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    मुस्कुराइये कि आप आज......,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    एक और रामधुन

    • Edited 2 years ago
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    • 90
    • 4 Mins Read

    हम भजन करें तो कहते "राम" ,अभिवादन में "राम-राम"
    अनहोनी कुछ हो तो सहसा, मुख से निकले "राम-राम-राम"

    संसार एक परिवार बने ,आकाश पिता धरती माता
    हे राम, कभी न टूटे जग में, "राम-राम" का ये नाता

    हो रामराज्य चहुँ
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     एक और रामधुन,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    माँ जाने क्या कहती है

    • Edited 2 years ago
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    • 113
    • 12 Mins Read

    ( शिव परमपुरुष है और माँ शैलजा जगदंबस्वरूपा प्रकृति.
    प्रकृति माँ है और हम सब उसके बच्चे. हमारा बचपन हमें केवल दूध पीने का अधिकार देता है, खून पीने का नहीं मगर हमने तो दुग्धपान के साथ-साथ रक्तपान भी
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    माँ जाने क्या कहती है,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    नारी तू नारायणी

    • Edited 2 years ago
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    • 55
    • 7 Mins Read

    ( धन्य है इस देश की नारी
    जो पूजा और उपवास भी
    दूसरों के लिए करती है

    करवाचौथ पति के लिए
    होई अष्टमी पुत्र के लिए
    भैया दूज भाई के लिए

    आइये करें नमन,
    नवरात्र की नवमी संध्या पर
    इस मातृशक्ति को )


    नारी, तू
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    नारी तू नारायणी,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    मेरे घर में माँ आयी है

    • Edited 2 years ago
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    • 103
    • 7 Mins Read

    [हम सब देवी के उपासक हैं. नवरात्र में माँ का कन्या- रूप में आवाहन करके पूजन, अर्चन और हलवा पूरी के नैवेद्य से संतृप्त करते हैं. किंतु वही माँ जब बेटी बनकर घर आती है तो उसके स्वागत में हम बुझे-बुझे से
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    मेरे घर में माँ आयी है,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    अब में ही सिमटा है

    • Edited 2 years ago
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    • 112
    • 2 Mins Read

    अब में ही सब लिपटा है
    अब में ही रब सिमटा है
    सब में ही रब लिपटा है
    रब में ही सब सिमटा है

    रब से ही सब प्रकटा है
    रब से ही सब पलता है
    सब रब में ही ढलता है
    रब से ही सब निपटा है

    देर बस टटोलने की है
    मन की आँखें
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     अब में ही सिमटा है,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    इस तरह मैं जीना सीख गया

    • Edited 2 years ago
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    • 151
    • 10 Mins Read

    जो चला गया,
    जो चला गया,
    जो आँखों को 
    छलछला गया
    जिसके हाथों 
    मन छला गया

    जो लूट गया, 
    जो छूट गया,
    मुझसे जाने क्यूँ
    रूठ गया

    मुझसे वो 
    क्या-क्या 
    लूट गया

    मन में कुछ, 
    जाने कैसे, कब, 
    क्यूँ टूट गया

    एक शीशे सा 
    मन
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    इस तरह मैं जीना सीख गया,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    परिवर्तन कहीं आस-पास है

    • Edited 2 years ago
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    • 84
    • 11 Mins Read

    गाडी़ के चलते, कुचलते पहियों से
    लिपटता इंसानी खून
    टायरों के दायरों के
    तले सिसकता,
    सिमटता, निपटता कानून
     
    कानून का खून हुआ है
    या कानून बनाने वालों
    और चलाने वालों ने
    मिलकर यह खून किया है ?

    सड़क पर खून
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    परिवर्तन कहीं आस-पास है,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    मैं जीवन हूँ

    • Edited 2 years ago
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    • 133
    • 16 Mins Read

    ( नवरात्र की दिव्य ज्योति के अलौकिक आलोक में प्रस्तुत की जीवन का एक अद्भुत, चैतन्यपूर्ण परिचय )

    दुनिया के इस मेले में
    अद्भुत से इस खेले में

    बूँद-बूँद
    घटती रहती,
    पर कदम-कदम
    बढ़ती रहती
    उम्र के इस रेले
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    मैं जीवन हूँ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    माँ अंबे, माँ जगदंबे

    • Edited 2 years ago
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    • 111
    • 11 Mins Read

    माँ अंबे,
    माँ जगदंबे,
    माँ चंद्रघंटे,
    कूष्मांडे,
    माँ शैलपुत्रि,
    कालरात्रि,
    सिद्धिदात्रि,
    माँ ब्रह्चारिणि,
    हे माता कात्यायिनि,

    जय जय माँ ,
    महागौरी, स्कंदमाता,
    भूल गई क्यों
    तू तो है सबकी ही माता

    क्यों
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    माँ अंबे, माँ जगदंबे,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    लेखआलेख

    पहला पाठ

    • Edited 2 years ago
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    • 97
    • 4 Mins Read

    बापू जन्मजात महात्मा नहीं थे. पढ़ने में एक औसत स्तर के छात्र थे. किशोरसुलभ दुर्बलताएँ भी उनमें थी. एक दिन अपने सभी अपराधों को एक कागज पर लिखकर पिता के सिरहाने रख दिया और पिता के हाथों किसी भी दंड
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    पहला पाठ,<span>आलेख</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    दो कदम तुम भी चलो

    • Edited 2 years ago
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    • 100
    • 8 Mins Read

    दो कदम तुम भी चलो,
    दो कदम हम भी चलें

    देहों के धरातल से परे,
    विदेह से होते हुए,
    अहसास के साये तले,
    दो कदम तुम भी चलो,
    दो कदम हम भी चलें

    चुपके-चुपके, दबे पाँव से
    आते-जाते हर एक मोड़,
    हर एक पडा़व पे,
    हर एक धूप
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    दो कदम तुम भी चलो,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कहानीलघुकथा

    बता, कौन सी कहानी सुनेगा

    • Edited 2 years ago
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    • 156
    • 5 Mins Read

    मेहनत- मजदूरी करके आजीविका चलाती वह मजबूर माँ  दिन भर से भूखे अपने बच्चे को सुलाने का असफल प्रयास कर रही थी. खाली पेट नींद कैसे आती ? अंत में माँ को एक उपाय सूझा. उसे याद आया कि उसके बेटे को कहानी सुनते
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    बता, कौन सी कहानी सुनेगा,<span>लघुकथा</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    कालचिंतन

    • Edited 2 years ago
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    • 56
    • 6 Mins Read

    ( पितृपक्ष में प्रकाशन हेतु विचारार्थ प्रस्तुत है, एक ही सिक्के के दो पहलू, जीवन-मृत्यु को परिभाषित करती रचना )

    मृत्यु एक संक्रमण
    एक स्थानान्तरण
    आत्मा का
    इस शरीर से उस शरीर तक
    एक सेतु जो पहुँँचाता
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    कालचिंतन,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    सामंजस्य, सह-अस्तित्व और समन्वय

    • Edited 2 years ago
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    • 340
    • 8 Mins Read

    सामंजस्य, सहअस्तित्व
    और समन्वय
    सच पूछो तो बस यही हैं
    जीवन का सच्चा परिचय

    ये इंद्रधनुष के
    सात रंग
    रहते हिल-मिल,
    करते झिलमिल,
    साथ संग
    एक छवि में
    रंग अनेक
    जब भी मिलकर
    होते एक
    बनता मिलकर
    श्वेत सत्य
    सच
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    सामंजस्य, सह-अस्तित्व और समन्वय,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कहानीप्रेरणादायक, लघुकथा

    काल की मित्रता

    • Edited 2 years ago
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    • 113
    • 14 Mins Read

    एक व्यक्ति की काल से मित्रता थी. एक दिन बातों ही बातों में उसने काल से बहुत निश्चिंत होकर कहा,

    " अब तेरे रहते तो मुझे कोई भय नहीं. तू तो मुझसे कभी धोखा नहीं करेगा ना ? "

    "मैं तेरा मतलब नहीं समझा. तू कहना
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    काल की मित्रता,<span>प्रेरणादायक</span>, <span>लघुकथा</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    जिंदगी ऐसी ही है

    • Edited 2 years ago
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    • 185
    • 7 Mins Read

    कभी शोला, कभी शबनम
    सन्नाटा कभी, कभी सरगम
    जिंदगी लमहा-लमहा,
    बूँद-बूँद तनहा-तनहा
    कभी खुशी है
    और कभी है गम

    कभी एक भीड़,
    कभी तनहाई
    कभी मिलन तो
    कभी जुदाई
    कभी हमदम
    और कभी पराई
    कभी धूप और
    कभी सिर्फ एक परछाई

    कभी
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    जिंदगी ऐसी ही है,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    बस इसी का नाम तो है जिंदगी

    • Edited 2 years ago
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    • 94
    • 6 Mins Read

    आसान होता है कितना
    ये कहना कि भूल जाओ
    यादों के झरोखे बंद कर
    विस्मृति की भूलभुलैया में
    खोकर सब कुछ भूल जाओ
    मदहोशी के झूले में
    आँख मूँदकर झूल जाओ

    मगर क्या यह सब कुछ
    इतना आसान होता है
    पल-पल मन का पीछा
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    बस इसी का नाम तो है जिंदगी,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    बप्पा, तुम जल्दी चले गये

    • Edited 2 years ago
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    • 179
    • 9 Mins Read

    बप्पा, तुम जल्दी चले गये
    करके अनाथ यूँ हम सबको
    बप्पा, तुम जल्दी चले

    शुभ मंगल का शंखनाद करता
    दस दिन का ये गणपति उत्सव
    शुभ चिंतन नवचेतना का
    लगता था एक अद्भुत उद्भव
    श्रद्धा की वंशी ने छोड़ी मधुर तरंगें
    यह
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    बप्पा, तुम जल्दी चले गये,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    यह जिंदगी है

    • Edited 2 years ago
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    • 63
    • 5 Mins Read

    हर एक गोधूलिवेला में
    सिर छुपाती सी हर साँझ
    रात की पलकों तले
    एक सपना बो जाती है

    और उसकी गोदी में
    दुबककर सो जाती है
    और सूरज के इंतजार में
    खो जाती है

    फिर प्राची से एक नयी किरण
    एक नयी आशा सी बन,
    हर नयी
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    यह जिंदगी है,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    मेरे बाबू जी

    • Edited 2 years ago
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    • 166
    • 12 Mins Read

    ( मेरे बाबू जी की पुण्यतिथि पर )

    घर में पाँव रखते ही
    आती है नजर सबसे पहले
    सामने वाली दीवार

    इस दीवार के बीचो-बीच
    लटका है एक फोटो फ्रेम
    जिसमें सिमटा है
    मेरा पूरा परिवार

    मेरा पूरा परिवार ?
    हाँ, पूरे परिवार
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    मेरे बाबू जी,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    अत्यंत सुन्दर भावपूर्ण और मर्मस्पर्शी..!!

    कवितालयबद्ध कविता

    मैंने पूछा चाँद से

    • Edited 2 years ago
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    • 501
    • 17 Mins Read

    मैंने पछा चाँद से,
    हाँ, मैंने पूछा चाँद से,

    एक सुहानी साँझ की
    खुलती जुल्फों पे ढलकी,
    छलकी बनकर चाँदनी,
    कुछ हल्की-हल्की,
    मन को बरबस आकर छलती
    एक पूनम की रात में
    मैंने पूछा चाँद से,

    " क्या तुम आज भी वही
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    मैंने पूछा चाँद से,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    मैं आज हूँ

    • Edited 2 years ago
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    • 196
    • 10 Mins Read

    मैं आज हूँ
    मैँ आज हूँ
    वक्त की नाजुक,
    थिरकती उँगलियों पर
    लमहों का बजता हुआ
    एक साज हूँ
    मैं आज हूँ

    पिछले कल 
    और अगले कल,
    उस जकड़ते से कल
    और उस छलते से कल,
    इन दो पाटों के बीच से
    खुद को बाहर खींच के
    खुद के वजू़द
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    मैं आज हूँ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    कौन जाने कब कहाँ ......

    • Edited 2 years ago
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    • 167
    • 6 Mins Read

    कर लो जीवन के 
    हर लमहे से
    मासूम सा और 
    अल्हड़ सा यूँ प्यार
    हो प्यार में ऐसा बुखार,
    इस बुखार में हो जाये 
    छाकर, आकर यूँ शुमार,

    हर गुरूर को 
    चूर-चूर करता सा,
    हर कुंठा को 
    दूर-दूर करता सा
    मन का एक ऐसा खुमार,
    उमंगों
    Read More

    कौन जाने कब कहाँ ......,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    मैं कौन हूँ

    • Edited 2 years ago
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    • 202
    • 7 Mins Read

    मैं मौन हूँ,
    जानता हूँ पर
    नहीं समझता हूँ,
    मैं कौन हूँ,
    जाने क्यूँ उलझता हूँ


    मैं कहाँ से आया हूँ
    किस लिए और
    फिर कहाँ पर
    वापस जाना है ?
    मैं जानता हूँ,
    जानकर भी मौन हूँ,
    मैं कौन हूँ

    जाना है और वापस फिर से
    बार-बार
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    मैं कौन हूँ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    सचमुच फिसलन बहुत है

    • Edited 2 years ago
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    • 83
    • 5 Mins Read

    चलो सँभलकर इन राहों पर
    सचमुच फिसलन बहुत है

    टेढ़ी-मेढ़ी सँकरी सड़कें
    पल-पल पग अटके-भटके
    है जमी जोखिमों की काई
    दोनों ओर पतन की खाई
    पाँव फिसलने को यहाँ पर
    क्षणिक प्रमादों की छोटी सी
    रपटन बहुत है
    सचमुच
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    सचमुच फिसलन बहुत है,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    हाँ, यही तो जीवन है

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 72
    • 7 Mins Read

    हाँ, यही तो जीवन है,
    हाँ, बस यही तो जीवन है,
    हर रात के काले घूँघट से झलकती 
    प्राची की पहली किरण हैं
    हाँ, यही तो जीवन है
    हाँ, बस यही तो जीवन है

    संक्रमण की पीडा़ है
    और फिर सृजन-सुख है
    विरह-वेदना का 
    लावा सा
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    हाँ, यही तो जीवन है,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    राधा की पायल बोल उठी

    • Edited 2 years ago
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    • 153
    • 3 Mins Read

    राधा की पायल बोल उठी
    मन के भेदों को खोल उठी
    आकर मोहन की मुरली में
    अद्भुत सा रस घोल उठी

    मोहन-मन के वृंदावन में
    शीतल बयार सी बह गई
    चैतन्यपुरुष की चेतना
    यूँ भौचक्की सी रह गई

    यूँ ढाई अक्षर में समेटकर
    कौन
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    राधा की पायल बोल उठी,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    एक अंधाधुंध दौड़ में

    • Edited 2 years ago
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    • 155
    • 7 Mins Read

    सब कुछ पाकर भी
    जो कुछ लगते नाकाफी से,
    ज्यादा और ज्यादा उनको
    पाने की आपाधापी में

    मृगतृष्णा की पटरियों पर,
    मन का आनंद रौंद के
    कंचनमृग की चकाचौंध से
    चममचमाती, दमदमामाती
    बुलेट ट्रेन सी एक ताबड़तोड़
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    एक अंधाधुंध दौड़ में,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    मैं तो तो अकेला ही चला था

    • Edited 2 years ago
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    • 191
    • 8 Mins Read

    मैं अकेला ही चला था
    मैं तो अकेला ही चला था
    अनायास ही
    बिन प्रयास ही
    डग-मग पग-पग
    जब-तब, ना जाने कब-कब
    अकस्मात यूँ संग-संग
    अहसासों के साये में ढल
    पग-पग कारवाँ सा बन
    लमहों का मेला भी चला था
    यादों का रेला भी
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    मैं तो तो अकेला ही चला था,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    Sunder Rachna ..!

    लेखआलेख

    भाई हो तो ऐसा

    • Edited 2 years ago
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    • 499
    • 16 Mins Read

    रक्षाबंधन की अनेकानेक शुभकामनाएं.  भ्रातृभगिनीस्नेह की अद्भुत अनुभूतियों से लिपटे इस रक्षासूत्र का स्मरण ही मन को परमानंद से रससिक्त कर देता है. इस विलक्षण परंपरा से जुडी़ कुछ कथायें आप सबके
    Read More

    भाई हो तो ऐसा,<span>आलेख</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    मौन प्रार्थना

    • Edited 2 years ago
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    • 158
    • 4 Mins Read

    मैंने कहीं पढा़ है,
    एक सुंदर विचार ने
    मेरे मन को यूँ गढा़ है,

    "जब हम प्रार्थना करते हैं
    भगवान हमको सुनता है
    मगर ध्यान में हम सबका
    मन ईश्वर को सुनता है"

    इस मौन प्रार्थना में डूबा मन
    चैतन्य के आलोक में,
    जड़ता
    Read More

    मौन प्रार्थना,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    बहुत सुन्दर रचना..!

    कवितालयबद्ध कविता

    मैं आज की व्यवस्था हूँ

    • Edited 2 years ago
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    • 171
    • 8 Mins Read

    मैं व्यवस्था हूँ
    मैं आज की व्यवस्था हूँ
    कंचनमृग से सम्मोहित इस देश के,
    मृगतृष्णा से दिग्भ्रमित,
    मन की अवस्था हूँ
    मैं आज की व्यवस्था हूँ
    मैं आज की व्यवस्था हूँ

    मैं सर्वशक्तिसंपन्न
    मैं संप्रभुतासंपन्न
    मैं
    Read More

    मैं आज की व्यवस्था हूँ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    इस मोड़ से जाते हैं

    • Edited 2 years ago
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    • 154
    • 6 Mins Read

    खडे़ हुए हैं आज हम,
    कोरोना के साये में
    एक ऐसे मोड़ पे
    मृत्यु की आहट सुनते
    जीवन के इस छोर पे

    जाते हैं इस मोड़ से
    कुछ कदम, कुछ डगर
    देखते हैं, कहाँ-कहाँ,
    कैसे-कैसे, किधर-किधर

    यदि मास्क बिना घर से निकले 
    और
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    इस मोड़ से जाते हैं,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    मेरे घर आना जिंदगी

    • Edited 2 years ago
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    • 156
    • 8 Mins Read

    मेरे घर आना जिंदगी
    मेरे घर आना जिंदगी

    पल-पल में सिमटे आज को
    मन के हर अहसास को
    अंतर्मन की आवाज को
    जीने के हर अंदाज को
    हर एक नये आगाज़ को
    बनाते जाना बंदगी
    मेरे घर आना जिंदगी
    मेरे घर आना जिंदगी

    बन ममता
    Read More

    मेरे घर आना जिंदगी,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 2 years ago

    वाह सर बहुत सुंदर

    लेखआलेख

    मुफ्तलाल, फोकटमल...

    • Edited 2 years ago
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    • 138
    • 23 Mins Read

    मुफ्तलाल, फोकटमल, उधारीचंद्र, खैरातीराम...  जी हाँ, ऐसे स्वनामधन्यों की यह सूची अनंत है. शायद द्रौपदी के चीर जितनी लंबी जिसका दूसरा छोर तो बस केशव के हाथ में ही है. इसके पीछे इनकी शक्ति बनकर खडे़ रहते
    Read More

    मुफ्तलाल, फोकटमल...,<span>आलेख</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    सड़क का दर्द

    • Edited 2 years ago
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    • 188
    • 6 Mins Read

    मानवता और चेतना पर जमती गर्दसं
    सद की अंधी और बहरी सी
    दीवारों से टकराकर,
    बेरुखी सी एक चुप्पी से घबराकर,
    अनदेखा और अनसुना सा
    रह गया सड़क का दर्द
    रिश्तों की वो गर्मजोशी होती सर्द

    सड़क से मुँह मोड़ती,
    नजरें
    Read More

    सड़क का दर्द,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    एक अंधाधुंध दौड़ में

    • Edited 2 years ago
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    • 155
    • 7 Mins Read

    सब कुछ पाकर भी
    जो कुछ लगते नाकाफी से,
    ज्यादा और ज्यादा उनको
    पाने की आपाधापी में

    मृगतृष्णा की पटरियों पर,
    मन का आनंद रौंद के
    कंचनमृग की चकाचौंध से
    चममचमाती, दमदमामाती
    बुलेट ट्रेन सी एक ताबड़तोड़
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    एक अंधाधुंध दौड़ में,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    तीन राही

    • Edited 2 years ago
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    • 191
    • 10 Mins Read

    तीन राही
    हाँ, ये तीन राही
    एक दूजे के हमराही
    एक राह पर चल रहे हैं 
    साथ--साथ ये तीन राही
    एक दूजे के हमराही

    पहला राही अजब सा है
    चलने का इसका अंदाज
    गजब सा है
    लगता यह कुछ 
    जाने क्यूँ गजब सा है
    चल रहा है आगे,
    Read More

    तीन राही,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    हाँ, हँसो कुछ इस तरह

    • Edited 2 years ago
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    • 178
    • 11 Mins Read

    हँसो कुछ इस तरह,
    हाँ, हँसो कुछ इस तरह,
    कि बिखेर दो बिंदास,
    कहीं अपने ही आस-पास,
    खुश होने की छोटी सी,
    मासूम सी कोई वजह

    और पा जाओ इस
    जिंदगी के दामन में
    हँसते-हँसते ही,
    आनन फानन में,
    खुशनुमा सी, जीने की 
    एक
    Read More

    हाँ, हँसो कुछ इस तरह,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    ख़ूबसूरत..!

    कवितालयबद्ध कविता

    धुँधलाई सी, भरमाई सी....

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 174
    • 10 Mins Read

    धुँधलाई सी, भरमाई सी
    अजीब सी एक शाम,
    पगलाई सी, शरमाई सी
    अजी़ज सी एक शाम,
    कुछ खामोश सी होती,
    पल-पल रोशनी खोती,
    यूँ होती जाती खुदबखुद
    गरीब सी एक शाम,
    जाने या फिर अनजाने,
    कुछ पहचाने, कुछ बिन पहचाने,
    होती हुई
    Read More

    धुँधलाई सी, भरमाई सी....,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    छोटे-छोटे कायनात कई

    • Edited 2 years ago
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    • 168
    • 10 Mins Read

    चोरी चोरी, चुपके-चुपके
    खुद से ही लुकते-छुपते
    कुछ गुमसुम से, 
    कुछ चुप-चुप से
    कुछ चहकते, कुछ महकते
    कुछ बहकते, कुछ दहकते,
    कुछ उमंगते, कुछ सुलगते, 
    हालातों से लुटते-लुटते
    हो धुआँ-धुआँ घुटते-घुटते 
    दबे-ढके
    Read More

    छोटे-छोटे कायनात कई,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    बहुत भावपूर्ण स्रजन..!

    कवितालयबद्ध कविता

    वो बंद आखिरी मकान

    • Edited 2 years ago
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    • 219
    • 13 Mins Read

    शहर की उस उजडी़ सी
    आखिरी बस्ती की,
    आबादी को तरसती सी 
    उस आखिरी गली का 
    वो  बंद आखिरी मकान
    जिंदगी की हर हलचल से
    रहता था बिल्कुल अनजान
    पडा़ हुआ बिल्कुल सुनसान
    कोई भी जिंदा जिंदगी
    उससे बस दूर भागती थी
    पास
    Read More

    वो बंद आखिरी मकान,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    यूँ तकरार बनी मनुहार

    • Edited 2 years ago
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    • 218
    • 8 Mins Read

    ( हँसी भी एक योग है. योगदिवस पर करिये हास्य-योग इसे पढ़कर )

    बस में खडी़ दो देवियाँ
    बनकर बिल्कुल रणचंडियाँ
    एक सीट के वास्ते
    आपस में झगड़ रही थी
    नहले पे दहला मारती
    दोनों यूँ अकड़ रही थी

    " बस को हाथ दिखाकर
    Read More

    यूँ तकरार बनी मनुहार,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    बहुत अच्छा हल निकल आया.. 😊

    कहानीसामाजिक, प्रेरणादायक, लघुकथा

    एक और नवप्रभात

    • Edited 2 years ago
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    • 214
    • 19 Mins Read

    ( श्रीमद्भागवत की यह कथा तो हम सबने पढी़ या सुनी ही होगी कि कलि ने परीक्षित से स्वयं के लिए पाँच स्थान माँगे और देखते ही देखते उस युग का नया स्वामी बन बैठा. अब कल्पना करें कि कलियुग अपने चरम पर है और
    Read More

    एक और नवप्रभात,<span>सामाजिक</span>, <span>प्रेरणादायक</span>, <span>लघुकथा</span>
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    Pratik Prabhakar

    Pratik Prabhakar 2 years ago

    सार्थक 🙏

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    वर्तमान स्थितियों का बहुत सारगर्भित विवेचन 🙏🙏

    कवितालयबद्ध कविता

    भूली-बिसरी कोई याद

    • Edited 2 years ago
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    • 185
    • 7 Mins Read

    हौले-हौले आकर दस्तक देती सी
    मन को बरबस हर लेती सी
    भूली बिसरी कोई याद
    करती सी मन को आबाद
    बीते कल की
    टेढी़-मेढी़ सी गलियों में
    तितरी-बितरी, बिखरी-बिखरी कोई याद
    भूली बिसरी कोई याद

    भरती हर खालीपन को
    हरती
    Read More

    भूली-बिसरी कोई याद,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    बहुत ही सुन्दर, भावपूर्ण स्रजन..!!

    कवितालयबद्ध कविता

    क्या यही जिंदगी है?

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 185
    • 10 Mins Read

    हालातों के कीचड़ में 
    धँसते-फँसते से, सनते से
    पाँवों के ये अमिट निशान
    बनने से पहले बिगड़ते,
    उखड़ते, उजड़ते से 
    खोते वजू़द, गुम होते से
    अपना सब कुछ खोते से
    कुछ बदनसीब जहान

    मिलने से पहले बिछुड़ते,
    दम
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    क्या यही जिंदगी है?,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    बहुत सुन्दर और यथार्थ.. विचारणीय प्रश्न..!

    कवितालयबद्ध कविता

    ये शव

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 75
    • 10 Mins Read

    ये शव
    अनाथ से यों
    तैरते से ये शव
    कल साथ थे जो,
    आज बिल्कुल
    गैर से ये शव

    एक हृदयहीन व्यवस्था के
    मन की एक
    संवेदनहीन अवस्था के
    शब्दहीन कर दी गयी
    हर संस्था के
    मरकर भी कुछ
    जीते-जागते ये सबूत
    करके हर संघर्ष,
    Read More

    ये शव,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    एक कड़वे सच के आईने में

    • Edited 2 years ago
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    • 138
    • 9 Mins Read

    एक कड़वे सच के आईने में
    देखती सी खुद को असली मायने में
    जिंदगी खडी़ है आज खुद के सामने

    बन गयी है आज
    एक उल्टी गिनती,
    सिर्फ एक आँकडा़
    बस इकाई या दहाई या सैंकडा़,
    हजार या फिर लाख पर
    आकर खडी़
    मौत की काली
    Read More

    एक कड़वे सच के आईने में,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    लेखआलेख

    पहला सुख आलसी काया

    • Edited 2 years ago
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    • 110
    • 22 Mins Read

    जी हाँ, "  पहला सुख आलसी काया ". मुझसे असहमत होने वाले शायद आलसी काया की माया से जन्मे परम आरामसुख के मूलभूत सार तत्व को नहीं समझते. आलस्य मन-प्राण के परमानंदरस में आकंठ लसलसाने की एक चरम सीमा को पार
    Read More

    पहला सुख आलसी काया,<span>आलेख</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    आपने बहुत सुन्दर और मोहक शब्दों में आराम की महत्ता का वर्णन किया..! सच है. आराम हमारा नैसर्गिक गुण है.. यदि आराम वैश्विक रूप में अपनाया जाये तो बहुत सी राष्ट्रीय, अन्तरराष्ट्रीय समस्याएं हल की जा सकती हैं..! विश्व शान्ति के लिए बहुत अच्छा टूल है..! 😊🙏🙏🙏🙏

    कवितालयबद्ध कविता

    बँटे आज हम जाने क्यूँ

    • Edited 2 years ago
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    • 89
    • 11 Mins Read

    हम सभी आज लाचार से हैं
    बँटे आज हम जाने क्यूँ
    दो अलग-अलग कतार में हैं

    जिंदा हैं, फिर भी सभी
    बेजान से हैं
    जानते हैं सब मगर
    खुद से ही अनजान से हैं

    पहली कतार, 
    घर की लक्ष्मण-रेखा में 
    होकर कैद सी
    कर रही जहाँ 
    डरावनी
    Read More

    बँटे आज हम जाने क्यूँ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    क्या धरती बस इंसान की है ?

    • Edited 2 years ago
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    • 135
    • 10 Mins Read

    एक बडे़ आग के गोले से
    टपके हौले-हौले से
    पिघले सोने की बूँद सी
    यह प्यारी धरती
    सचमुच सबसे न्यारी धरती

    माँ की गोदी सी बन
    ममता की एक मूरत
    एक दुआ सी पाक-साफ सी,
    हरी-भरी और खूबसूरत
    सबका लालन-पालन करती

    हम
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    क्या धरती बस इंसान की है ?,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    बहुत सुन्दर

    कवितालयबद्ध कविता

    हर दिन, हर सुबह

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 102
    • 5 Mins Read

    हर दिन, हर सुबह
    एक नया आगाज जिंदगी
    लेकर आती है जीने की
    वजह  एक खास जिंदगी
    देती है सबको जीने की
    जगह एक खास जिंदगी
    कभी हकीकत की धरती,
    सपनों का कभी आकाश जिंदगी
    कभी सुनहरी आस, कभी
    बनकर रह जाती है बस 
    एक "काश"
    Read More

    हर दिन, हर सुबह,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    चेहरे छुपाने पड़ रहे हैं

    • Edited 3 years ago
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    • 96
    • 7 Mins Read

    हम सबके अपराध शायद
    इतने बढ़ गये हैं
    कि मास्क की इन 
    दोहरी, तिहरी परतों में
    चेहरे छुपाने पड़ रहे हैं

    हाँ, पाप किये हैं हमने इतने
    कुदरत के खिलाफ
    इंसानियत के खिलाफ
    हम सब की इस माई की
    मासूमियत के खिलाफ
    खुदा
    Read More

    चेहरे छुपाने पड़ रहे हैं,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    आज की भयावह त्रासदी पर अच्छी रचना

    कवितालयबद्ध कविता

    घर

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 99
    • 11 Mins Read

    ( विश्व परिवार दिवस पर पढिये, और परखिये खुद ही खुद को, हम कहाँ खडे हैं और कितने खरे हैं इस कसौटी पर)


    रंग-रोगन, लोहा-लक्कड़
    सीमेंट या फिर ईंट-पत्थर
    ये सब तो बनाते हैं
    सिर्फ एक मकान
    और एक घर ?

    कैसे बनता
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    घर,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    कोई मजहब नहीं होता

    • Edited 3 years ago
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    • 99
    • 8 Mins Read

    कोई मजहब नहीं होता
    भूखे पेट की भूख का
    हर अँधियारे में खोजती
    खुद का वजू़द,
    जिंदगी की धूप का
    वक्त की पाबंद रहकर
    अनायास ही आ धमकती,
    बिन बुलाये से मेहमान सी
    मौत की इस छाँव का
    और कब्र में लटके से
    दो बूढे़
    Read More

    कोई मजहब नहीं होता,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    वाह सही कहा सर

    कवितालयबद्ध कविता

    चंद लम्हों के हवाले

    • Edited 3 years ago
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    • 128
    • 6 Mins Read

    यूँ ही बस बैठे ठाले
    करके मन को अनायास ही
    बीते कल के चंद लमहों के हवाले
    यूँ ही बस बैठे ठाले

    वो लमहे कुछ मतवाले
    बडे़ सहज से, फिर भी लगते
    जाने क्यूँ सबसे निराले
    जटिल और बोझिल से 
    बंद, घुटते से एक दायरे
    Read More

    चंद लम्हों के हवाले,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    जीवन का वो सतरंगी सा इंद्रधनुष

    • Edited 3 years ago
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    • 122
    • 8 Mins Read

    जीवन का वो
    सतरंगी सा इंद्रधनुष
    हो गया आज बदरंग,
    हाँ, जीवन के इस चित्र के
    गड्डमड्ड से हो गये हैं, सभी रंग

    अभी महीना पहले ही
    निखर रहे थे, इन हवाओं
    और फिजा़ओं में
    होली के अद्भुत रंग,
    रंग रहा था अंग-अंग
    तन-मन
    Read More

    जीवन का वो सतरंगी सा इंद्रधनुष,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत खूब

    कवितालयबद्ध कविता

    माँ का चेहरा देखा है

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 117
    • 7 Mins Read

    एक नन्ही-मुन्नी अभिलाषा
    एक कौतूहल, एक जिज्ञासा ने
    अधजगी,अधखुली आँखों से
    एक दृश्य सुनहरा देखा है
    इस दुनिया में सबसे पहले
    माँ का चेहरा देखा है

    दो नन्हे होंठों से जन्मी
    सबसे पहली तुतली सी भाषा
    ममता
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    माँ का चेहरा देखा है,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    वाह बहुत सुंदर सर

    कवितालयबद्ध कविता

    सड़कों पर बिखरी हुई यह विवशता

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 207
    • 8 Mins Read

    मन गाँव की डगर पे,
    बस साँसें ही चल रही
    अब शहर में,
    जाने क्या अब और
    देखना बाकी है,
    अनायास ही टूट पडे़
    इस कोरोना के कहर में

    रोटी, कपडा़, मकान खो गया
    इस पत्थर के नगर में,
    पाँव भाग्य की टेढी़-मेढी़ 
    पगडंडी
    Read More

    सड़कों पर बिखरी हुई यह विवशता,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    अखबार

    • Edited 3 years ago
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    • 107
    • 13 Mins Read

    धूल-धक्कड़ की मोटी सी
    एक चादर ओढ़कर
    इस बेरुखी के दौर में
    खुद के वजू़द को सिकोड़कर,
    अपने ही बस, अपने ही
    ओर यूँ मुँह मोड़कर

    अलमारी की बंद 
    कोठरी की घुटन में 
    घुटते से
    बदले हुए जमाने के 
    निर्मम हाथों
    Read More

    अखबार,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कहानीसामाजिक, लघुकथा

    दोराहे पर खडी़ जिँदगी

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 100
    • 13 Mins Read

    दोराहे पर खडी़ जिंदगो

    आज मैं एक आवश्यक कार्यवश कहीं जा रहा था. अचानक एक दृश्य देखकर मेरे कदम ठिठक गये.

    एक महिला और उसकी बेटी जो देखने में किसी विपन्न वर्ग से संबंद्ध लग रही थी, सड़क पर बिखरे
    Read More

    दोराहे पर खडी़ जिँदगी,<span>सामाजिक</span>, <span>लघुकथा</span>
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    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    विवशता इंसान को जितना मजबूर बनाती है उतनी ही ताकत भी देती है।

    लेखआलेख

    कारवाँ गुज़र गया

    • Edited 3 years ago
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    • 248
    • 21 Mins Read

    " आया है मुझे फिर याद वो जालिम,
    गुजरा जमाना बचपन का
    हाये रे अकेले छोड़ के जाना,
    और ना बचपन का "

    स्व. मुकेश का यह कालजयी गीत आज मैं, कोरोना के मनहूस साये से बाहर निकलने के लिए, सुन रहा था. इस
    Read More

    कारवाँ गुज़र गया,<span>आलेख</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    आपने सही कहा..! गुजरे जमाने का एक एक लम्हा बड़ी शिद्दत से याद आता है.

    कवितालयबद्ध कविता

    एक अहसास कोवैक्सीन भरा

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 92
    • 6 Mins Read

    (आज हम कोवैक्सीन सी दूसरी डोज लेकर आये हैं. एक लंबे इंतजार के बाद मन की चौखट पर ठिठककर दस्तक देती हुई सी इस सुखद अनुभूति को छंदों में पिरोने का एक प्रयास आप सबके साथ साझा करना चाहता हूँ,
    " एक अहसास
    Read More

    एक अहसास कोवैक्सीन भरा,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    हम भी कभी इंसान थे

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 415
    • 11 Mins Read

    मैं चल रहा था,
    मैं चल रहा था,
    खुद को ही जैसे
    छल रहा था,
    डूबती सी, ऊँघती सी
    हर फिजा़ में ढल रहा था,

    हालातों की आँच से यूँ
    तिल-तिल जल रहा था,
    जाने क्यूँ मेरा वजू़द
    बूँद-बूद सा
    पिघल रहा था

    अपनी ही धुन में खोया
    Read More

    हम भी कभी इंसान थे,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    धरती कहे पुकार के

    • Edited 3 years ago
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    • 122
    • 17 Mins Read

    यह बात तब की है जब कोरोना ने हमारे पाँवों को जंजीरों में जकड़कर घर की चारदीवारी में कैद नहीं किया था. मैं स्वास्थ्य की दृष्टि से शाम को एक-डेढ़ घंटे घूमता था. अगर बाहर कोई काम होता तो  पाँच-छः किलो
    Read More

    धरती कहे पुकार के,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    यह युद्ध जीतें

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 106
    • 8 Mins Read

    काल की आँधी प्रचंडहो रहा विश्वास 
    अब तो जीवन का
    पल छिन, 
    पल छिन 
    खंड-खंड

    मानव की अक्षय लिप्सा का,
    माँ प्रकृति के आँचल में सिमटे
    कण-कण की क्षण-क्षण हिंसा का
    मिल रहा है आज दंड

    हमने माँ को 
    सोने का अंडा
    Read More

    यह युद्ध जीतें,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Kumar Sandeep

    Kumar Sandeep 3 years ago

    उत्कृष्ट सृजन। आपकी कलम को बारम्बार नमन सर

    Kumar Sandeep

    Kumar Sandeep 3 years ago

    उत्कृष्ट सृजन। आपकी कलम को बारम्बार नमन सर

    कवितालयबद्ध कविता

    सन्नाटे में तैरता सा कोलाहल

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 125
    • 10 Mins Read

    क्या गजब ढा रहा आज यह
    सन्नाटे में तैरता सा कोलाहल
    चारों ओर धूम मचाता,
    यह चोर हरदम शोर मचाता,
    सबसे निंदनीय पेय यह अल्कोहल
    यह नाकरा, यह आवारा
    सचमुच एक धीमा हलाहल

    अनायास ही बन बैठा
    अपनी ही अकड़ मे ऐंठा
    आकर
    Read More

    सन्नाटे में तैरता सा कोलाहल,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    क्या बात है वाह

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    वाह 👌🏻

    कवितालयबद्ध कविता

    चल खुसरो घर आपने

    • Edited 3 years ago
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    • 101
    • 9 Mins Read

    हिचकियाँ अब बंद हैं
    मन के सभी झरोखे
    और यादों की 
    खिड़कियाँ सब बंद हैं

    ये खिड़कियाँ अब
    देती हैं बस झिड़कियाँ,
    और बाकी सब बंद हैं

    मन की किसी सुरंग में
    जाकर दुबके वो ख़्वाब
    वहीं पर जाकर ठहरे

    और पलकों
    Read More

    चल खुसरो घर आपने,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    वाह सुंदर

    कवितालयबद्ध कविता

    आपदा में अवसर

    • Edited 3 years ago
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    • 123
    • 10 Mins Read

    आपदा में ढूँढते रहिये अवसर
    क्योंकि आपदा ही देती है
    अवसर अक्सर

    अवसर के लिए आजकल
    आपदा होना बहुत जरूरी है
    एक आपदा को तलाशना
    हर अवसर की मजबूरी है

    वरना यह जिंदगी
    अवसर कहाँ देती है
    अवसर भी देती है तो
    आपदा
    Read More

    आपदा में अवसर,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    जिंदगी की आखिरी शाम

    • Edited 3 years ago
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    • 449
    • 6 Mins Read

    कर लो जीवन के
    हर लमहे से
    मासूम सा और
    अल्हड़ सा यूँ प्यार
    हो प्यार में ऐसा बुखार,
    इस बुखार में हो जाये
    छाकर, आकर यूँ शुमार,

    हर गुरूर को
    चूर-चूर करता सा,
    हर कुंठा को
    दूर-दूर करता सा
    मन का एक ऐसा खुमार,
    उमंगों
    Read More

    जिंदगी की आखिरी शाम,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    बहुत खूब

    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    बढ़िया

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    सुन्दर..!

    लेखआलेख

    पिछले लाॅकडाउन का एक दिन

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 124
    • 12 Mins Read

    कभी पढा़ था, " आषाढ़ का एक दिन ", मगर वह आषाढ़ सावन लेकर आता था. आज सावन की बात करूँ तो आप कहेंगे कि सावन के अंधे को सब हरा-हरा सूझता है. आज तो सब डरा-डरा ही सूझता है. सावन का अंधा होने से अच्छा है, इस अमावस
    Read More

    पिछले लाॅकडाउन का एक दिन,<span>आलेख</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    एक सुहाना सा अहसास

    • Edited 3 years ago
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    • 76
    • 5 Mins Read

    आज मैंने
    रोते हुए एक
    बच्चे को हँसा दिया
    एक चाकलेट का पैकेट देकर
    अपने दिल में कुछ खुशनुमा से
    अहसासों का साज बजा दिया

    उसके लिए ये छोटा सा
    एक तोहफा था
    मेरे लिए खुश रहने का
    एक खूबसूरत मौका था

    उस चेहरे
    Read More

    एक सुहाना सा अहसास,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत सुंदर 👌🏻

    कवितालयबद्ध कविता

    इस मोड़ से जाते हैं

    • Edited 3 years ago
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    • 66
    • 6 Mins Read

    खडे़ हुए हैं आज हम,
    कोरोना के साये में
    एक ऐसे मोड़ पे
    मृत्यु की आहट सुनते
    जीवन के इस छोर पे

    जाते हैं इस मोड़ से
    कुछ कदम, कुछ डगर
    देखते हैं, कहाँ-कहाँ,
    कैसे-कैसे, किधर-किधर

    यदि मास्क बिना घर से निकले 
    और
    Read More

    इस मोड़ से जाते हैं,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    अतिथि, तुम कब जाओगे

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 320
    • 5 Mins Read

    अतिथि, तुम कब जाओगे
    " मान ना मान, मैं तेरा मेहमान "
    बिन बुलाये, अनचाहे से
    आ धमके मेहमान,
    तुमसे हर एक मेजबान है परेशान
    चेहरा यह आपका देख-देखकर,
    जाने की बाट देख-देखकर,
    सब हथियार फेंक-फेंककर
    तन-मन-धन सब
    Read More

    अतिथि, तुम कब जाओगे,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    आई चिडि़या

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 196
    • 9 Mins Read

    आयी चिड़िया, आयी चिड़िया
    दाना चुगने आयी चिड़िया
    सबके मन को भायी चिड़िया
    सबके मन पर छायी चिड़िया

    किस्मत की झोली से
    बिखरा एक-एक दाना
    बाबुल के घर-आँगन
    चुगने आयी चिड़िया

    घर की बंद कोठरी को
    एक हरा-भरा और खुला-खुला
    एक
    Read More

    आई चिडि़या,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    बहुत सटीक

    कवितालयबद्ध कविता

    कतरा-कतरा, बूँद-बूँद

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 172
    • 9 Mins Read

    कतरा-कतरा,
    बूँद-बूँद,
    हर लमहे में
    खुद को ढूँढ-ढूँढ,
    पीकर इसको घूँट-घूँट,
    जीवन को बहने दो

    हर लमहे में सिमटकर,
    इसके हर अहसास से
    लिपटकर-लिपटकर
    इस जीवन को रहने दो

    जीवन-धारा के
    हर लमहे को,
    पलकों पर बिखरी-बिखरी,
    मोती
    Read More

    कतरा-कतरा, बूँद-बूँद,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    वाह बहुत खूब

    कवितालयबद्ध कविता

    चुनावी पोस्टर

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 113
    • 10 Mins Read

    शहर की हर एक दीवार
    जिधर देखिये, बिखरा-
    बिखरा सा पडा़ है प्यार

    छलका-छलका,
    ढलका-ढलका,
    उमड़ रहा है बनकर ज्वार

    हाँ, हो रही है हर दीवार
    सजकर दुल्हन सी तैयार

    सबके चेहरों के दागों को
    ढकने को, देखो,
    चिपक गये
    Read More

    चुनावी पोस्टर,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    लेखआलेख

    गप्प बरसें, भीगे रे बंगाली

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 376
    • 18 Mins Read

    ( बुरा मत मानो होली है )

    यश चोपड़ा की फिल्म " सिलसिला " जब आयी थी तब मेरी आयु उतनी ही थी जितनी हमारे इस कालजयी आंदोलनजीवी सत्याग्रही की तब थी जब उन्होंने इस फिल्म का मौलिक संस्करण बनाकर जनमन को मुक्तिवाहिनी
    Read More

    गप्प बरसें, भीगे रे बंगाली,<span>आलेख</span>
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    Anujeet Iqbal

    Anujeet Iqbal 3 years ago

    🙏👌👌

    कवितालयबद्ध कविता

    सड़क का दर्द

    • Edited 3 years ago
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    • 162
    • 6 Mins Read

    मानवता और चेतना पर जमती गर्द
    संसद की अंधी और बहरी सी
    दीवारों से टकराकर,
    बेरुखी सी एक चुप्पी से घबराकर,
    अनदेखा और अनसुना सा
    रह गया सड़क का दर्द
    रिश्तों की वो गर्मजोशी होती सर्द

    सड़क से मुँह मोड़ती,
    नजरें
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    सड़क का दर्द,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    धुँधलाई सी, भरमाई सी....

    • Edited 3 years ago
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    • 174
    • 10 Mins Read

    धुँधलाई सी, भरमाई सी,
    बौराई सी एक शाम,
    पगलाई सी, शरमाई सी
    अजी़ज सी एक शाम,
    कुछ खामोश सी होती,
    पल-पल रोशनी खोती,
    यूँ होती जाती खुदबखुद
    गरीब सी एक शाम,
    जाने या फिर अनजाने,
    कुछ पहचाने, कुछ बिन पहचाने,
    होती
    Read More

    धुँधलाई सी, भरमाई सी....,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    बहुत सुंदर सर

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    वाह सर बहुत खूब

    कवितालयबद्ध कविता

    निर्मला और उज्ज्वला

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 121
    • 13 Mins Read

    आज एक
    बडी़ बहन
    "निर्मला" ने
    अपनी मासूम सी बहन
    "उज्ज्वला" को
    ना जाने क्यूँ रुला दिया

    सेंटाक्लाज बनकर आये
    सबको भाये, सब पर छाये
    "नमो" फकीर काका के इस
    "रसोई-रसोई" खेलने को,
    बख़्शे एक खिलौने को
    उधार की उस
    Read More

    निर्मला और उज्ज्वला,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    यूँ हाथ थामकर हर पल का

    • Edited 3 years ago
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    • 276
    • 9 Mins Read

    वक्त की पटरी पर चलती,
    हर मोड़ के साँचे में ढलती
    रेलगाड़ी जिंदगी की
    फटफट, झटपट, सरपट चलती,
    बीते कल को पल-पल छलती,
    अगले कल में बरबस ढलती

    एक आता, फिर दूजा आता,
    पिछला जाता करके टाटा,
    लमहा-लमहा मिलता
    और बिछुड़ता
    Read More

    यूँ हाथ थामकर हर पल का,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    दिल्ली मेरी दिल्ली

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 102
    • 9 Mins Read

    ( ना जाने क्यूँ मुझे लगता है कि दिल्ली, मेरी दिल्ली ऐसी नहीं होनी चाहिए जैसी आज दिखती है. दोषी कौन है, ये या वो, या फिर थोडा़ ये और थोडा़ वो और साथ में काफी हद तक हम सब भी ? यह फैसला मैं आप सब पर छोड़ता हूँ.
    Read More

    दिल्ली मेरी दिल्ली,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    कविता

    • Edited 3 years ago
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    • 178
    • 9 Mins Read

    कविता तो एक सरिता है
    हर शब्द-छंद नित नूतन
    एक अभिनव सृजनकर्त्ता है
    जिसके बिंदु-बिंदु से मन का
    सिंधु पल-पल भरता है
    उन्मुकत भाव झरना बन
    झर-झर झरता है
    सिमटकर जीवन की
    हर एक धूप-छाँव के
    हमसफर से संग-संग
    Read More

    कविता,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    अत्यंत सुन्दर स्रजन..!! 🙏

    कवितालयबद्ध कविता

    उसकी हर सौगात को सम्मान दें

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 104
    • 9 Mins Read

    जिंदगी है कभी- कभी
    एक सफर सुहाना
    मगर कभी कुछ मुश्किलों से,
    भटकाता सा मंजिलों से,
    बन जाता है 
    *"सफर"* कराता 
    एक अजीब सा अफसाना

    कुछ पथरीली और 
    कुछ टेढी़-मेढी़ सी,
    कुछ उजली सी 
    और कुछ अँधेरी सी,
    कदम-कदम पर 
    मोड़
    Read More

    उसकी हर सौगात को सम्मान दें,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    पचपन में मन खोजे बचपन

    • Edited 3 years ago
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    • 136
    • 6 Mins Read

    दबे पाँव आ,
    दस्तक देकर,
    सतरंगी सी यादें लेकर
    चोरी-चोरी, चुपके-चुपके,
    खुद से ही जैसे छुप-छुप के,
    साया सा बन छाता कौन
    मन को यूँ रंग जाता कौन
    पचपन में मन खोजे बचपन,
    कानों में रस घोलता
    एक मुखर सा मौन
    यह आँखमिचोली,
    Read More

    पचपन में मन खोजे बचपन,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    भूले-बिसरे चंद लम्हों के हवाले

    • Edited 3 years ago
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    • 164
    • 6 Mins Read

    यूँ ही बस बैठे ठाले
    करके मन को अनायास ही
    भूले-बिसरे चंद लमहों के हवाले
    यूँ ही बस बैठे ठाले

    वो लमहे कुछ मतवाले
    बडे़ सहज से, फिर भी लगते
    जाने क्यूँ सबसे निराले
    जटिल और बोझिल से
    बंद, घुटते से एक दायरे
    Read More

    भूले-बिसरे चंद लम्हों के हवाले,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    बढ़िया

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    बहुत खूब..!

    कवितालयबद्ध कविता

    मन बन वनवासी राम सा

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 151
    • 7 Mins Read

    सब कुछ पाकर भी जो
    कुछ लगते नाकाफी से,
    ज्यादा और ज्यादा उनको
    पाने की आपाधापी में

    मृगतृष्णा की पटरियों पर,
    मन का आनंद रौंद के
    कंचनमृग की चकाचौंध से
    चममचमाती, दमदमामाती
    बुलेट ट्रेन सी एक ताबड़तोड़
    Read More

    मन बन वनवासी राम सा,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    लेखआलेख

    शिवतत्व

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 284
    • 25 Mins Read

    ( महाशिवरात्रि की शुभकामनाएं. आइये, प्रयास करते हैं, शिवतत्व को जानने और समझने का )

    शिव साक्षात् परब्रह्म हैं,. वही ब्रह्म जिसे वेद समझते-समझते थककर स्वयं ही समर्पण की मुद्रा में आकर " नेति-नेति
    Read More

    शिवतत्व,<span>आलेख</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    कारवाँ गुज़र गया

    • Edited 3 years ago
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    • 111
    • 5 Mins Read

    हर रोज नये जुमलों की
    बौछार देखते रहे
    कारवाँ गुजर गया
    गुबार देखते रहे

    नोटबंदी के नाम पर
    अर्थतंत्र की नाकेबंदी
    फिर जीएसटी से छोटे-मोटे
    धंधों की तालाबंदी
    हम खुली आँख से
    सपनों में ही
    हर साल दो करोड़
    रोजगार
    Read More

    कारवाँ गुज़र गया,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    नारी तू नारायणी

    • Edited 3 years ago
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    • 196
    • 7 Mins Read

    नार


    ( धन्य है इस देश की नारी
    जो पूजा और उपवास भी
    दूसरों के लिए करती है
    करवाचौथ पति के लिए
    होई अष्टमी पुत्र के लिए
    भैया दूज भाई के लिए
    आइये करें नमन मातृशक्ति को )


    नारी, तू नारायणी
    नारी, तू नारायणी
    इस
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    नारी तू नारायणी,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    लेखआलेख

    टीवी बनाम बीवी

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 243
    • 19 Mins Read

    जी हाँ, टीवी बनाम बीवी. क्या खूब राइमिंग है दोनों के बीच और इस खूबसूरत राइमिंग की परफैक्ट टाइमिंग और ट्यूनिंग का सूत्रधार होता है, एक हाईटेक रिमोट जो हमेशा ही हाईकमान, मतलब, बीवी के हाईटेक हाथों
    Read More

    टीवी बनाम बीवी,<span>आलेख</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    मैं और मेरे अच्छे दिन

    • Edited 3 years ago
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    • 161
    • 8 Mins Read

    मैं और मेरे अच्छे दिन
    अक्सर ये बातें करते हैं.
    तुम ना ही आते तो
    कितना अच्छा होता.
    सपनों के सौदागर बनकर
    झूठी-मूठी आशाओं का
    एक सुनहरा आँचल बनकर
    नजरों पर ना ही छाते तो
    कितना अच्छा होता
    मैं और मेरे अच्छे
    Read More

    मैं और मेरे अच्छे दिन,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    लेखआलेख

    मुफ्तलाल, फोकटचंद्र.....

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 175
    • 23 Mins Read

    मुफ्तलाल, फोकटमल, उधारीचंद्र, खैरातीराम... जी हाँ, ऐसे सवनामधन्यों की यह सूची अनंत है. शायद द्रौपदी के चीर जितनी लंबी जिसका दूसरा छोर तो बस केशव के हाथ में ही है. इसके पीछे इनकी शक्ति बनकर खडे़ रहते
    Read More

    मुफ्तलाल, फोकटचंद्र.....,<span>आलेख</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    दो कदम तुम भी चलो

    • Edited 3 years ago
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    • 145
    • 8 Mins Read

    दो कदम तुम भी चलो,
    दो कदम हम भी चलें

    देहों के धरातल से परे,
    विदेह से होते हुए,
    अहसास के साये तले,
    दो कदम तुम भी चलो,
    दो कदम हम भी चलें

    चुपके-चुपके, दबे पाँव से
    आते-जाते हर एक मोड़,
    हर एक पडा़व पे,
    हर एक धूप
    Read More

    दो कदम तुम भी चलो,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Kumar Sandeep

    Kumar Sandeep 2 years ago

    खूबसूरत कृति

    कवितालयबद्ध कविता

    माँ सरस्वती को माल्यार्पण

    • Edited 3 years ago
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    • 249
    • 6 Mins Read

    माँ सरस्वती को माल्यार्पण
    वीणावादिनी को माल्यार्पण
    इस भावपुष्पमाला से
    विद्यादायिनी को माल्यार्पण
    माँ सरस्वती को माल्यार्पण
    वीणावादिनी को माल्यार्पण

    मन की दिव्य तरंगों का
    अधरों के तट पर सहज
    Read More

    माँ सरस्वती को माल्यार्पण,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    बस बच्चा ही बना रहे

    • Edited 3 years ago
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    • 243
    • 9 Mins Read

    रोबोट बनाता यह इंसान
    खोकर खुद की ही पहचान
    धीरे-धीरे एक दिन
    खुद-ब-खुद
    एक रोबोट ना बन जाये

    बनकर भस्मासुर
    खुद के ही वजूद पर
    जानलेवा सी
    एक चोट ना कर जाये

    इसके लिए जरूरी है,
    हर इंसान में सोया हुआ
    इंसान
    Read More

    बस बच्चा ही बना रहे,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    वाह सर बहुत खूब

    लेखआलेख

    आया है मुझे फिर याद वो जालिम

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 203
    • 21 Mins Read

    " आया है मुझे फिर याद वो जालिम,
    गुजरा जमाना बचपन का
    हाये रे अकेले छोड़ के जाना,
    और ना बचपन का "

    स्व. मुकेश का यह कालजयी गीत आज मैं, कोरोना के मनहूस साये से बाहर निकलने के लिए, सुन रहा था. इस
    Read More

    आया है मुझे फिर याद वो जालिम,<span>आलेख</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत खूब

    कवितालयबद्ध कविता

    ना जाने क्यूँ आज अधूरा

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 159
    • 5 Mins Read

    इस चकाचौंध के बीच
    कहीं भरमे मन के इस
    पर्दे के बीचो-बीच,
    कुछ काली सी रेखायें खींच
    आकर जबरन खडा़ हुआ
    चुभता सा एक प्रश्न लगता है

    ना जाने क्यूँ आज अधूरा
    हर एक जश्न लगता है

    अनुत्तरित यूँ आजकल
    इंसानियत
    Read More

    ना जाने क्यूँ आज अधूरा,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    वाह सर , बिलकुल सही कहा

    कवितालयबद्ध कविता

    आओ हम माँ के तिरंगे आँचल को सँवार दें

    • Edited 3 years ago
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    • 106
    • 5 Mins Read

    आओ हम माँ के तिरंगे आँचल को सँवार दें
    रच बलिदानों की रंगोली, "काषाय" को निखार दें
    बापू के आदर्श समेटे "श्वेत" को मन में धार लें
    शस्यश्यामला के आँचल में "हरित" को नव आकार दें

    इतिहास बनाये सीमा पर अर्जुन
    Read More

    आओ हम माँ के तिरंगे आँचल को सँवार दें,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    यह तिरंगा कैनवास

    • Edited 3 years ago
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    • 88
    • 11 Mins Read

    यह तिरंगा कैनवास,
    भारत के जन गण मन की
    चेतना का यह आकाश
    वही जिसके बीचो बीच,
    इस सफेद रंग में सिमटी थी
    बूढे़ बापू की आत्मा,

    मन को हरा-भरा सा करता
    वह हरा रंग
    जिसमें लिपटा था
    किसान का पसीना,
    मेहनत का नगीना,
    माँ
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    यह तिरंगा कैनवास,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    तीन राही

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 145
    • 10 Mins Read

    तीन राही
    हाँ, ये तीन राही
    एक दूजे के हमराही
    एक राह पर चल रहे हैं
    साथ--साथ ये तीन राही
    एक दूजे के हमराही

    पहला राही अजब सा है
    चलने का इसका अंदाज
    गजब सा है
    लगता यह कुछ
    जाने क्यूँ गजब सा है
    चल रहा है आगे,
    Read More

    तीन राही,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    वाह बहुत सुंदर

    कवितालयबद्ध कविता

    आँसू, खून, पसीना

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 208
    • 15 Mins Read

    आँसू, खून, पसीना
    ये आँसू, खून, पसीना

    जीवंतता के ये प्रतिमान,
    जिंदा रहने के तीन प्रमाण,
    देह के ये तीन
    सरल, तरल और विरल पदार्थ
    रहते शरीर में साथ-साथ
    ये आँसू, खून, पसीना

    इनमें से हर एक है
    सचमुच एक नगीना
    ये
    Read More

    आँसू, खून, पसीना,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    बहुत सुंदर

    कवितालयबद्ध कविता

    मैं अक्सर खुदबखुद.....

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 123
    • 10 Mins Read

    मैं अक्सर खुदबखुद
    जिंदगी की भँवर में
    फँस सा जाता हूँ
    उसकी हर एक
    पेचीदगी की दलदल में
    बस धँस सा जाता हूँ

    अतिमहत्वाकांक्षा के मरुस्थल में,
    सुख की मृगतृष्णा के पीछे-पीछे
    सिर्फ दौड़ता-भागता हूँ
    बस
    Read More

    मैं अक्सर खुदबखुद.....,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    मौन प्रार्थना

    • Edited 3 years ago
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    • 162
    • 4 Mins Read

    मैंने कहीं पढा़ है,
    एक सुंदर विचार ने
    मेरे मन को यूँ गढा़ है,

    "जब हम प्रार्थना करते हैं
    भगवान हमको सुनता है
    मगर ध्यान में हम सबका
    मन ईश्वर को सुनता है"

    इस मौन प्रार्थना में डूबा मन
    चैतन्य के आलोक में,
    जड़ता
    Read More

    मौन प्रार्थना,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    जर्रानवाजी बनाम मेहमाननवाजी

    • Edited 3 years ago
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    • 252
    • 3 Mins Read

    हमने, बिनबुलाये,
    अपने घर आये
    मेहमान को
    आते ही एक शेर परोसा

    उन्होंने भूखी नजरों से
    हमको कुछ ताककर
    इधर उधर कुछ झाँककर
    फिर अचानक अपने
    मन में कुछ सोचा
    और देखते ही देखते
    लगा दिया मौके पर चौका,

    " वाह वाह
    Read More

    जर्रानवाजी बनाम मेहमाननवाजी,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    बहुत खूब

    कवितालयबद्ध कविता

    एक पुरानी खिड़की

    • Edited 3 years ago
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    • 160
    • 8 Mins Read

    एक पुरानी खिड़की
    जैसा ही तो होता है
    हर साल के आखिरी दिन का
    हर बेशकीमती लमहा
    जो लगता कुछ तनहा-तनहा
    बिखरता, छिटकता सा
    ठिठकता, झिझकता सा
    रुकता-चलता,
    हँसता और सिसकता सा

    मन की नाजुक पंखुडियों पर
    ढलकता
    Read More

    एक पुरानी खिड़की,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Gita Parihar

    Gita Parihar 3 years ago

    एक उत्तम श्रेणी की रचना है, बधाई

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    बहुत सुंदर सर

    कवितालयबद्ध कविता

    सब कुछ पाकर भी....

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 97
    • 7 Mins Read

    सब कुछ पाकर भी
    जो कुछ लगते नाकाफी से,
    ज्यादा और ज्यादा उनको
    पाने की आपाधापी में

    मृगतृष्णा की पटरियों पर,
    मन का आनंद रौंद के
    कंचनमृग की चकाचौंध से
    चममचमाती, दमदमामाती
    बुलेट ट्रेन सी एक ताबड़तोड़
    Read More

    सब कुछ पाकर भी....,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    जीवन का एक दिन सा भी

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 103
    • 4 Mins Read

    जीवन का एक दिन ऐसा भी
    मन में शुभ चिंतन ऐसा भी
    अद्भुत परिवर्तन ऐसा भी
    जीवन का एक दिन ऐसा भी

    इस चकाचौंध से दूर कहीं
    देखूँ कड़वी सच्चाई को
    रूठा उजियारा जिस पथ से
    केवल दुःख की परछाई हो
    सच का एक दर्पण
    Read More

    जीवन का एक दिन सा भी,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    बेहतरीन

    कवितालयबद्ध कविता

    अलविदा, दो हजार बीस

    • Edited 3 years ago
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    • 289
    • 9 Mins Read

    अलविदा, दो हजार बीस
    अलविदा, दो हजार बीस

    लेकर जाओ साथ अपने
    अपनी सारी टीस,
    अपनी सारी बंदिशें,
    मानव जति के साथ की
    तुमने जितनी भी रंजिशें
    अब तो आने दो जीवन में इक्कीस
    अलविदा, दो हजार बीस

    लाल पडौ़सी से
    Read More

    अलविदा, दो हजार बीस,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Bandana Singh

    Bandana Singh 3 years ago

    बधाई हो आदरणीय

    Anjani Tripathi

    Anjani Tripathi 3 years ago

    बेहतरीन रचना

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    बहुत सुंदर सर

    Kumar Sandeep

    Kumar Sandeep 3 years ago

    २०२० की विदाई अनुपम कृति द्वारा

    कवितालयबद्ध कविता

    आज भी पीछा करती हैं

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 198
    • 8 Mins Read

    ना जाने क्यूँ
    आज भी पीछा करती हैं
    जाने या फिर
    कुछ अनजाने ही सही
    आ भरती हैं
    मन का ये सूना आँगन
    पल-पल बूँद-बूँद रिसता सा
    मन का ये झीना दामन

    भूली-बिसरी सी कुछ यादें
    यादों की गालियों में बिखरी,
    चाही या
    Read More

    आज भी पीछा करती हैं,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    हर बार की तरह बहुत ही उम्दा

    Gita Parihar

    Gita Parihar 3 years ago

    यादें पीछा नहीं छोड़ती ंं।

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    बहुत सुंदर सर

    कवितालयबद्ध कविता

    जिंदगी ऐसे ही चलती है

    • Edited 3 years ago
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    • 73
    • 8 Mins Read

    स्वप्न होते रहते हैं ऐसे दफन
    अभिलाषा ओढ़ लेती है जैसे कफन
    किंतु मेरे अंतर्मन में बैठा कोई
    देता रहता है जाने कैसे, कहाँ से
    एक मनभावन सा अपनापन

    सूक्ष्म में सिमटा हुआ विराट बनकर
    तमस को ललकारता प्रभात
    Read More

    जिंदगी ऐसे ही चलती है,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    इन प्रश्नों की शरशय्या पर

    • Edited 3 years ago
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    • 80
    • 3 Mins Read

    हम कुछ पाना चाहते हैं
    फिर कुछ ज्यादा
    फिर उससे ज्यादा
    क्यूँ अंतहीन
    सुख की मृगतृष्णा
    शिथिल मूल्यों की मर्यादा

    क्या समृद्धि ही परम लक्ष्य
    और मापदंड है सिर्फ फायदा
    लगने लगता है बोझ हमें
    क्यूँ गलत-सही
    Read More

    इन प्रश्नों की शरशय्या पर,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    bahut sundar sir

    कवितालयबद्ध कविता

    शहर में बसा गँवार मन

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 189
    • 8 Mins Read

    ( लाकडाउन के समय एक कटु सत्य को उजागर करती एक रचना )
    मन गाँव की डगर पे,
    बस साँसें ही चल रही
    अब शहर में,
    जाने क्या अब और
    देखना बाकी है,
    अनायास ही टूट पडे़
    इस कोरोना के कहर में

    रोटी, कपडा़, मकान खो गया
    इस पत्थर
    Read More

    शहर में बसा गँवार मन,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    बहुत सुन्दर और मर्मस्पर्शी

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    बहुत बढ़िया सर

    कवितालयबद्ध कविता

    अधकचरे से ये रिश्ते

    • Edited 3 years ago
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    • 307
    • 10 Mins Read

    अधकचरे से ये रिश्ते,
    कुछ अधमरे से ये रिश्ते
    अधकचरे, अधमरे से ये रिश्ते
    हाँ अधकचरे, अधमरे ही तो
    होते जा रहे हैं रिश्ते,

    हम सब चुका रहे, जिसकी,
    एक साथ ना जाने कितनी,
    अब सब की सब,
    अनचुकी सारी किश्तें,
    अधकचरे,
    Read More

    अधकचरे से ये रिश्ते,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Madhu Andhiwal

    Madhu Andhiwal 3 years ago

    उम्दा

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    Aaj Ka Ek Katu Satya.. ! Sunder Rachna.. !

    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    बेहतरीन

    कहानीव्यंग्य, लघुकथा

    दोसा

    • Edited 3 years ago
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    • 82
    • 5 Mins Read

    यह एक मद्रासी नाश्ता है जो चावल के आटे से बनता है. इसका मूल नाम "दोसै" है.इस नाम के पीछे एक मजेदार किस्सा है
    एक उत्तर भारतीय साहब ने अपने मद्रासी रसोइये से एक नयी डिश बनाने को कहा. उसने चावल के आटे
    Read More

    दोसा,<span>व्यंग्य</span>, <span>लघुकथा</span>
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    Madhu Andhiwal

    Madhu Andhiwal 3 years ago

    अच्छा सृजन

    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    बढ़िया

    Sudhir Kumar3 years ago

    धन्यवाद

    कवितालयबद्ध कविता

    यूँ ही बस बैठे ठाले

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 102
    • 6 Mins Read

    यूँ ही बस बैठे ठाले
    करके मन को अनायास ही
    बीते कल के चंद लमहों के हवाले
    यूँ ही बस बैठे ठाले

    वो लमहे कुछ मतवाले
    बडे़ सहज से, फिर भी लगते
    जाने क्यूँ सबसे निराले
    जटिल और बोझिल से
    बंद, घुटते से एक दायरे
    Read More

    यूँ ही बस बैठे ठाले,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    लेखआलेख

    आ अब लौट चलें

    • Edited 3 years ago
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    • 350
    • 19 Mins Read

    एक व्यक्ति आम के पेड़ की छाँव में बैठकर विश्राम कर रहा था. पास के खेत में तरबूज की बेल थी. खाली दिमाग तो शैतान का घर होता ही है. एक अहंभाव मन में उपजा, " भगवान भी कभी-कभी कितने अजीबोगरीब काम करता है. इस
    Read More

    आ अब लौट चलें,<span>आलेख</span>
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    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    बहुत सुंदर

    कवितालयबद्ध कविता

    कितनी जल्दी भूल जाते हैं

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 101
    • 6 Mins Read

    कितनी जल्दी भूल जाते हैं
    आखिर क्यूँ इतनी जल्दी भूल जाते हैं
    क्यूँ मद के झूले में इतना झूल जाते हैं
    कि इतनी जल्दी भूल जाते हैं
    कितनी जल्दी भूल जाते हैं

    नेता चुनावी वादों को
    जनसेवा के इरादों को
    जनता
    Read More

    कितनी जल्दी भूल जाते हैं,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    वाह अति सुन्दर

    कहानीसामाजिक, लघुकथा

    बता, कौन सी कहानी सुनेगा

    • Edited 3 years ago
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    • 101
    • 5 Mins Read

    मेहनत-मजदूरी करके आजीविका चलाती वह मजबूर माँ दिन भर से भूखे अपने बच्चे को सुलाने का असफल प्रयास कर रही थी. खाली पेट नींद कैसे आती ? अंत में माँ को एक उपाय सूझा. उसे याद आया कि उसके बेटे को कहानी सुनते
    Read More

    बता, कौन सी कहानी सुनेगा,<span>सामाजिक</span>, <span>लघुकथा</span>
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    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    बिल्कुल

    कहानीऐतिहासिक

    गंगावतरण

    • Edited 3 years ago
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    • 219
    • 21 Mins Read

    ( कार्तिक पूर्णिमा और गंगास्नान की हार्दिक शुभकामनाएं.
    आज हम सब मिलकर करते हैं एक अद्भुत ज्ञान-यात्रा "गंगावतरण" की और बनते हैं साक्षी इसके मूल से परमगंतव्य तक एक-एक मोड़ और हर एक उतार-चढा़व की
    Read More

    गंगावतरण,<span>ऐतिहासिक</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    पाली थी अब तक जो खुशफहमियाँ

    • Edited 3 years ago
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    • 156
    • 7 Mins Read

    ( लाॅकडाउन में सड़क पर धूल फाँकता खोखले और दोगले विकास का एक कटु सत्य )

    पाल रखी थी अब तक जो 
    कुछ भी खुशफहमियाँ
    दिले नादान की जाने कितनी
    परतों के दरमियाँ

    कुछ मसीहाओं के हाथों
    मन की कटी पतंग पे
    लिखी
    Read More

    पाली थी अब तक जो खुशफहमियाँ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    बहुत सुंदर

    कवितालयबद्ध कविता

    घर

    • Edited 3 years ago
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    • 103
    • 10 Mins Read

    रंग-रोगन, लोहा-लक्कड़
    सीमेंट या फिर ईंट-पत्थर
    ये सब तो बनाते हैं
    सिर्फ एक मकान
    और एक घर ?

    कैसे बनता है,
    एक घर ?
    क्या होता है,
    सच्चे अर्थों में,
    एक संपूर्ण घर?

    एक हाई-फाई लोकेशन?
    एक कीमती इंटीरियर डेकोरेशन?
    इसकी
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    घर,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Madhu Andhiwal

    Madhu Andhiwal 3 years ago

    अब घर नहीं मकान हैं ,बहुत सुन्दर

    कवितालयबद्ध कविता

    धरती, अंबर और समंदर

    • Edited 3 years ago
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    • 162
    • 13 Mins Read

    एक धानी सी चुनरी से दबी-ढकी माँ,
    यह हरी-भरी सी धरती माँ,
    मातृत्व-संपदा से परिपूरित,
    हरीतिमा की निधि से यूँ लदी-फदी सी माँ,
    समेटकर जीवन-सृजन की अद्भुत शक्ति,
    जगदंबरूपिणी, अन्नपूर्णा, माँ प्रकृति

    इसके
    Read More

    धरती, अंबर और समंदर,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत सुंदर

    Anjani Tripathi

    Anjani Tripathi 3 years ago

    Bhut shandar rachna

    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    वाह सर हर बार की तरह काबिले तारीफ। आपका यह अन्दाज़ बहुत ही निराला है।

    कवितालयबद्ध कविता

    और ये सब तुडे़-मुडे़ से, सिकुडे़ से अखबार

    • Edited 3 years ago
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    • 117
    • 13 Mins Read

    धूल-धक्कड़ की मोटी सी
    एक चादर ओढ़कर
    इस बेरुखी के दौर में
    खुद के वजू़द को सिकोड़कर,
    अपने ही बस, अपने ही
    ओर यूँ मुँह मोड़कर

    अलमारी की बंद 
    कोठरी की घुटन में 
    घुटते से
    बदले हुए जमाने के 
    निर्मम हाथों
    Read More

    और ये सब तुडे़-मुडे़ से, सिकुडे़ से अखबार,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    मैं महालक्ष्मी धन की शक्ति

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 141
    • 8 Mins Read

    मैं महालक्ष्मी, धन की शक
    मैं महालक्ष्मी, धन की शक्ति
    पालनकर्त्ता हरि की शक्ति
    मैं ही हूँ सम्पूर्ण प्रकृति
    जल-थल, जड़-चेतन की शक्ति

    तुम खूब करो मेरी भक्ति
    भक्ति में ही सिमटी शक्ति
    बने दीपमाला जन-जन
    Read More

    मैं महालक्ष्मी धन की शक्ति,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    तारे जमीन पर

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 176
    • 12 Mins Read

    ( इस वर्ष जहाँ महाव्याधि ने मानव की खुशियों को किसी न किसी रूप में निगला हे, एक अद्भुत संयोग भी बना है कि दीपावली और बालदिवस एक साथ आये है. इन दोनों को एक साथ समेटकर मैंने अपने मनोभावों को बिखेरा है,
    Read More

    तारे जमीन पर,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    धुँधलाई सी, भरमाई सी....

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 200
    • 10 Mins Read

    धुँधलाई सी, भरमाई सी
    अजीब सी एक शाम,
    पगलाई सी, शरमाई सी
    अजी़ज सी एक शाम,
    कुछ खामोश सी होती,
    पल-पल रोशनी खोती,
    यूँ होती जाती खुदबखुद
    गरीब सी एक शाम,
    जाने या फिर अनजाने,
    कुछ पहचाने, कुछ बिन पहचाने,
    होती दिल
    Read More

    धुँधलाई सी, भरमाई सी....,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    वाह सर बहुत सुंदर

    Sudhir Kumar3 years ago

    धन्यवाद

    कवितालयबद्ध कविता

    इन सबका रंग लाल है

    • Edited 3 years ago
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    • 124
    • 8 Mins Read

    सड़कों पर यूँ पानी जैसा
    बहता दिखता खून
    उन रोटियों पर लाल रंग से
    भूख और बेकारी का
    यूँ लिखता मजमून

    बेबसी के आँसू बनकर
    आँखों से यूँ रिसता खून
    व्यवस्था की इस चक्की में
    घुन सा फँस निचुड़ता खून

    इन सबका
    Read More

    इन सबका रंग लाल है,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    बढ़िया सर

    लेखअन्य

    लाॅकडाउन का एक दिन

    • Edited 3 years ago
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    • 209
    • 13 Mins Read

    ( आइये आज पढि़ये लाॅकडाउन में लिखा एक व्यंग्य )

    कभी पढा़ था, " आषाढ़ का एक दिन ", मगर वह आषाढ़ सावन लेकर आता था. आज सावन की बात करूँ तो आप कहेंगे कि सावन के अंधे को सब हरा-हरा सूझता है. आज तो सब डरा-डरा ही
    Read More

    लाॅकडाउन का एक दिन,<span>अन्य</span>
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    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    वाह सर, बढ़िया लिखा

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    हम तो यह कहेंगे अतिथि तुम फिर कभी न आना

    लेखअन्य

    ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर

    • Edited 3 years ago
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    • 179
    • 11 Mins Read

    संस्कृत के एक नीति-श्लोक का अर्थ है,

    " दुष्ट की मित्रता और शत्रुता दोनों घातक हैं. कोयला गर्म होने से हाथ को जला देता है और ठंडा होने पर हाथ काले कर देता है. "

    अब हाथ काले करने के लिए कोयले की दलाली
    Read More

    ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर,<span>अन्य</span>
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    Swati Sourabh

    Swati Sourabh 3 years ago

    वाह बहुत बढ़िया लिखा है सर

    कवितालयबद्ध कविता

    बिखरते चंद्रबिंदु

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 110
    • 6 Mins Read

    ( हमारी लिपि के अभिन्न अंग हैं कुछ प्रतीक जैसे चंद्रबिंदु(ं), पूर्ण विराम (.), रिक्त स्थान (....) जो भाषा को परिपूर्ण बनाकर एक अर्थ देते हैं.इनके द्वारा मैने जीवन को परिभाषित करने का प्रयास किया है )

    वक्त
    Read More

    बिखरते चंद्रबिंदु,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    कविता

    • Edited 3 years ago
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    • 293
    • 9 Mins Read

    कविता तो एक सरिता है
    हर शब्द-छंद नित नूतन
    एक अभिनव सृजनकर्त्ता है
    जिसके बिंदु-बिंदु से मन का
    सिंधु पल-पल भरता है
    उन्मुकत भाव झरना बन
    झर-झर झरता है
    सिमटकर जीवन की
    हर एक धूप-छाँव के
    हमसफर से संग-संग
    Read More

    कविता,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Basudeo Agarwal

    Basudeo Agarwal "Naman" 3 years ago

    अति सुंदर

    Swati Sourabh

    Swati Sourabh 3 years ago

    बहुत सुन्दर

    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    बढ़िया

    कवितालयबद्ध कविता

    हँसो कुछ इस तरह

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 110
    • 11 Mins Read

    हँसो कुछ इस तरह,
    हाँ, हँसो कुछ इस तरह,
    कि बिखेर दो बिंदास,
    कहीं अपने ही आस-पास,
    खुश होने की छोटी सी,
    मासूम सी कोई वजह

    और पा जाओ इस
    जिंदगी के दामन में
    हँसते-हँसते ही,
    आनन फानन में,
    खुशनुमा सी, जीने की
    एक
    Read More

    हँसो कुछ इस तरह,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Swati Sourabh

    Swati Sourabh 3 years ago

    बहुत बढ़िया

    Priyanka Tripathi

    Priyanka Tripathi 3 years ago

    सुदंर सर

    Anjani Tripathi

    Anjani Tripathi 3 years ago

    बहुत सुंदर

    कवितालयबद्ध कविता

    एक और रामधुन

    • Edited 3 years ago
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    • 70
    • 4 Mins Read

    हम भजन करें तो कह्ते "राम" ,अभिवादन में "राम-राम"
    अनहोनी कुछ हो तो सहसा, मुख से निकले "राम-राम-राम"

    संसार एक परिवार बने ,आकाश पिता धरती माता
    हे राम, कभी न टूटे जग में, "राम-राम" का ये नाता

    हो रामराज्य चहुँ
    Read More

    एक और रामधुन,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    धन्यवाद

    Anjani Tripathi

    Anjani Tripathi 3 years ago

    बहुत शानदार

    कवितालयबद्ध कविता

    सचमुच फिसलन बहुत है

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 109
    • 5 Mins Read

    चलो सँभलकर इन राहों पर
    सचमुच फिसलन बहुत है

    टेढ़ी-मेढ़ी सँकरी सड़कें
    पल-पल पग अटके-भटके
    है जमी जोखिमों की काई
    दोनों ओर पतन की खाई
    पाँव फिसलने को यहाँ पर
    क्षणिक प्रमादों की छोटी सी
    रपटन बहुत है
    सचमुच
    Read More

    सचमुच फिसलन बहुत है,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    वाह सर, बिल्कुल सही कहा

    Sudhir Kumar3 years ago

    धन्यवाद

    कवितालयबद्ध कविता

    मनवा रे

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 116
    • 10 Mins Read

    मनवा रे
    तू बन जा रे
    एक अद्भुत दक्ष लेखनी
    बस आँख देखती चिड़िया की
    अर्जुन सी एक लक्ष्यभेदिनी
    मनवा रे
    तू बन जा रे
    एक अद्भुत दक्ष लेखनी

    उद्दीप्त होकर
    निर्लिप्त होकर
    चेतना की भरकर स्याही
    लिखता जा तू
    Read More

    मनवा रे,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Anjani Tripathi

    Anjani Tripathi 3 years ago

    बहुत उम्दा रचना है

    Sudhir Kumar3 years ago

    धन्यवाद

    कवितालयबद्ध कविता

    यह आदि है या अंत

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 150
    • 6 Mins Read

    यह आदि है या अंत,
    जीवन है या है मृत्यु,
    धूप है या छाँव,
    पतझड़ है या फिर वसंत,
    इस निरंतर घूमते से
    जीवन-चक्र का
    यह आदि है या फिर अंत

    हर पल है एक सूक्ष्म बिंदु
    हर बिंदु में सिमटा सिंधु
    हर बिंदु कडी़ है
    अद्भुत
    Read More

    यह आदि है या अंत,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    सुंदर

    Sudhir Kumar3 years ago

    धन्यवाद

    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    अच्छा लिखा

    कवितालयबद्ध कविता

    वो चली आ रही थी

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 94
    • 7 Mins Read

    वो चली जा रही थी
    हाँ, वो चली जा रही थी
    लमहों से लुकाछुपी सी करती 
    जिंदगी
    कभी उनको छलती
    और कभी खुद ही
    उनसे छली जा रही थी
    हाँ, वो चली जा रही थी

    हर मोड़, हर पडा़व पर,
    हर उतार पर, हर चढा़व पर,
    बारी-बारी से मिलती
    Read More

    वो चली आ रही थी,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Madhu Andhiwal

    Madhu Andhiwal 3 years ago

    Nice

    कवितालयबद्ध कविता

    बँटे आज हम जाने क्यूँ

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 120
    • 11 Mins Read

    हम सभी आज लाचार से हैं
    बँटे आज हम जाने क्यूँ
    दो अलग-अलग कतार में हैं

    जिंदा हैं, फिर भी सभी
    बेजान से हैं
    जानते हैं सब मगर
    खुद से ही अनजान से हैं

    पहली कतार,
    घर की लक्ष्मण-रेखा में
    होकर कैद सी
    कर रही जहाँ
    Read More

    बँटे आज हम जाने क्यूँ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत सुंदर

    Madhu Andhiwal

    Madhu Andhiwal 3 years ago

    उम्दा

    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    आपकी की रचनाओं की जितनी तारीफ की जाए कम है...उम्दा रचना ......आदरणीय ।।

    Swati Sourabh

    Swati Sourabh 3 years ago

    वाह बहुत ही उम्दा सृजन

    कवितालयबद्ध कविता

    एक टुकड़ा धूप

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 143
    • 14 Mins Read

    एक टुकडा़ धूप,
    यह एक टुकडा़ धूप
    जिंदगी का एक छोटा सा,
    एक उजला रूप,
    यह एक टुकडा़ धूप

    पल-पल, ना जाने कैसे
    होता हुआ सा,
    खुद का ही
    एक धुँधला रूप
    यह एक टुकडा़ धूप

    हाँ, बिखर रही जैसे मन से
    बनकर, यूँ जड़ता, धुआँ-धुआँ
    पल-पल,
    Read More

    एक टुकड़ा धूप,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कहानीप्रेरणादायक, लघुकथा

    लक्ष्मी और दरिद्रता

    • Edited 3 years ago
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    • 213
    • 13 Mins Read

    कहते हैं, सागर-मंथन से जिस प्रकार अमृत के साथ मदिरा प्रकट हुई,
    उसी प्रकार लक्ष्मी के साथ-साथ दरिद्रता भी प्रकट हुई. लक्ष्मी ने नारायण का वरण किया तो दरिद्रता भी अपने बहन-बहनोई के पीछे-पीछे उनके धाम
    Read More

    लक्ष्मी और दरिद्रता,<span>प्रेरणादायक</span>, <span>लघुकथा</span>
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    Gita Parihar

    Gita Parihar 3 years ago

    बहुत अच्छी कथा है ।

    Neelima Tigga

    Neelima Tigga 3 years ago

    बोधपूर्ण

    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    सार्थक

    रवि शंकर

    रवि शंकर 3 years ago

    बहुत ही सार्थक प्रस्तुति आदरणीय

    कवितालयबद्ध कविता

    मेरे बालों की सफेदी

    • Edited 3 years ago
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    • 175
    • 9 Mins Read

    मेरे बालों की सफेदी
    यह, मेरे बालों के सफेदी
    अनुभव की शुद्ध चाँदी जो
    मुक्तहस्त से कुदरत ने,
    बिन माँगे ही मुझको दे दी
    यह मेरे बालों की सफेदी

    हाँ, मेरी उम्र की यह भेदी
    बजा रही है चारों ओर
    मेरी उम्र का
    Read More

    मेरे बालों की सफेदी,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    माँ अंबे

    • Edited 3 years ago
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    • 90
    • 11 Mins Read

    माँ अंबे,
    माँ जगदंबे,
    माँ चंद्रघंटे,
    कूष्मांडे,
    माँ शैलपुत्रि,
    कालरात्रि,
    सिद्धिदात्रि,
    माँ ब्रह्चारिणि,
    हे माता कात्यायिनि,

    जय जय माँ ,
    महागौरी, स्कंदमाता,
    भूल गई क्यों
    तू तो है सबकी ही माता
    क्यों
    Read More

    माँ अंबे,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    ना जाने किस वेश में

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 241
    • 11 Mins Read

    ना जाने किस वेश म




    फूल जैसी छुअन भी
    लगती है अब चुभन सी
    अखरता है आज वो
    पुराना शिष्टाचार
    लगता है, गले मिलना भी
    आजकल गले पड़ना सा 
    क्या करें, हम आज तो
    हर प्यार लगे
    कोरोनाकार

    प्रेम रूप भगवान का है,
    सबसे
    Read More

    ना जाने किस वेश में,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    लुकाछुपी

    • Edited 3 years ago
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    • 170
    • 7 Mins Read

    ( उम्र के पचपन में पहुँचकर तन बुढा़पे की ओर आगे बढ़ता है और मन बचपन की ओर लौट चलता है. तन और मन एक दूजे संग " लुकाछुपी " सी खेलते जीवन को एक भूलभुलैया सा बना देते हैं. कुछ इस तरह... )

    दबे पाँव आ, 
    दस्तक देकर,
    सतरंगी
    Read More

    लुकाछुपी,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    लेखआलेख

    झूठ बोले, कौआ काटे ?

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 166
    • 16 Mins Read

    कल ही एक समाचार पढा़, " कोर्ट-परिसर में तीन कौवे मरे. हड़कंप मचा ". सुनते ही एक शंका ने मेरे मन में हड़कंप मचाया. कुछ समय पहले, " झूठ बोले तो कौआ काटता था " मगर आज झूठ की शक्ति से डरकर वह खुद मर जाता है. मुझे
    Read More

    झूठ बोले, कौआ काटे ?,<span>आलेख</span>
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    Swati Sourabh

    Swati Sourabh 3 years ago

    बहुत बढ़िया सर

    Swati Sourabh

    Swati Sourabh 3 years ago

    बिल्कुल सही लिखा है आपने

    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    अद्भुत... विलक्षण...रचना... आदरणीय!

    कवितालयबद्ध कविता

    एक अदद जिंदगी

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 144
    • 9 Mins Read

    आँखों का हर एक
    अधूरा स्वप्न
    बूँद-बूँद कर रिसता,

    हर प्रश्न, है जिसका
    इस पापी पेट से 
    एक सीधा रिश्ता

    कड़वे सच की चक्की में
    फँसा आज घुन बनकर पिसता

    हाँ, इस पापी पेट का
    हर एक सवाल 
    धधक रहा
    बनकर बवाल
    मन में
    Read More

    एक अदद जिंदगी,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    सड़क का दर्द

    • Edited 3 years ago
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    • 146
    • 6 Mins Read

    मानवता और चेतना पर जमती गर्द
    संसद की अंधी और बहरी सी
    दीवारों से टकराकर,
    बेरुखी सी एक चुप्पी से घबराकर,
    अनदेखा और अनसुना सा
    रह गया सड़क का दर्द
    रिश्तों की वो गर्मजोशी होती सर्द

    सड़क से मुँह मोड़ती,
    नजरें
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    सड़क का दर्द,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    अच्छा लिखा है

    Sudhir Kumar3 years ago

    धन्यवाद जी

    लेखआलेख

    दुनिया का आखिरी इंसान

    • Edited 3 years ago
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    • 116
    • 21 Mins Read

    यह एक कल्पना है हमारे सबसे अंतिम कल की और दुर्भाग्य देखिये यह कोई सुखद कल्पना नहीं है. सुखद तो श्रीगणेश ही होता है, अंत तो दुःखद ही लगता है. अब हमारी मानवी सृष्टि का प्रथम अध्याय भले ही मनु-शतरूपा
    Read More

    दुनिया का आखिरी इंसान,<span>आलेख</span>
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    कहानीप्रेरणादायक

    कालमित्र

    • Edited 3 years ago
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    • 144
    • 14 Mins Read

    एक व्यक्ति की काल से मित्रता थी. एक दिन बातों ही बातों में उसने काल से बहुत निश्चिंत होकर कहा,

    " अब तेरे रहते तो मुझे कोई भय नहीं. तू तो मुझसे कभी धोखा नहीं करेगा ना ? "

    "मैं तेरा मतलब नहीं समझा. तू कहना
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    कालमित्र,<span>प्रेरणादायक</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    तीन राही

    • Edited 3 years ago
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    • 104
    • 10 Mins Read

    तीन राही
    हाँ, ये तीन राही
    एक दूजे के हमराही
    एक राह पर चल रहे हैं
    साथ--साथ ये तीन राही
    एक दूजे के हमराही

    पहला राही अजब सा है
    चलने का इसका अंदाज
    गजब का है
    लगता यह कुछ
    जाने क्यूँ नासमझ सा है
    चल रहा है आगे,
    Read More

    तीन राही,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    वाह सर, masterpiece

    Sudhir Kumar3 years ago

    धन्यवाद

    Mamta Gupta

    Mamta Gupta 3 years ago

    बहुत खूब सर जी

    Sudhir Kumar3 years ago

    धन्यवाद

    कवितालयबद्ध कविता

    हम पास तो हैं पर साथ नहीं

    • Edited 3 years ago
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    • 80
    • 7 Mins Read

    हम पास तो हैं पर साथ नहीं
    हम जिस्म तो हैं, जज्बात नहीं
    हाथों में हाध तो है
    पर साझा अहसास नहीं
    पंख तो हैं, परवाज नहीं
    जिंदगी की ताक पर
    साज तो हैं,आवाज नहीं

    जिंदगी बेसुरा सा एक बाजा,
    चूँ-चूँ का बेवक्त
    Read More

    हम पास तो हैं पर साथ नहीं,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    मैं छाँव तेरे आँगन की

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 88
    • 17 Mins Read

    मैं छाँव तेरे आँगन की,
    एक ठंडी सी और घनी सी
    ठाँव तेरे आँगन की

    आती हूँ बन साँझ,
    शर्माती सी, दबे पाँव
    एक खामोश आहट सी
    मैं छाँव तेरे आँगन की

    बनकर धरती की चहेती,
    लाड़ली सी, साँवली सी,
    एक छोटी सी,
    एक खोटी सी
    Read More

    मैं छाँव तेरे आँगन की,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    मन की वे खेल खिलौने

    • Edited 3 years ago
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    • 154
    • 9 Mins Read

    मन के वे खेल-खिलौने
    जो जिंदा हैं यादों के
    एक घने से साये में,
    एक खूबसूरत सरमाये से
    भरते मन के सब कोने
    मन के वे खेल-खिलौने

    लगते से बिल्कुल अपने,
    हाँ, वे अपने, सिर्फ अपने,
    वो अनगिन अनमोल सपने,
    नन्हे-मुन्ने,
    Read More

    मन की वे खेल खिलौने,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Mamta Gupta

    Mamta Gupta 3 years ago

    बहुत सुंदर रचना

    Sudhir Kumar3 years ago

    धन्यवाद

    कवितालयबद्ध कविता

    शुक्रिया,शुक्रिया, शुक्रिया

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 97
    • 12 Mins Read

    शुक्रिया, शुक्रिया, शुक्रिया
    नवभारत के कर्णधारों, शुक्रिया
    "वंदे भारत" के नाम पर
    "वंदे इंडिया" शुरु किया
    नवभारत के कर्णधारों, शुक्रिया
    शुक्रिया, शुक्रिया, शुक्रिया

    ये भारत और वो इंडिया
    एक नहीं बल्कि
    Read More

    शुक्रिया,शुक्रिया, शुक्रिया,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत खूब ??

    Sudhir Kumar3 years ago

    धन्यवाद

    Krishna Tawakya Singh3 years ago

    धन्यवाद !

    कवितालयबद्ध कविता

    ना जाने क्यूँ

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 75
    • 5 Mins Read

    इस चकाचौंध के बीच कहीं
    भरमाये से मन के इस
    पर्दे के बीचो-बीच,
    कुछ काली सी रेखायें खींच
    आकर जबरन खडा़ हुआ
    चुभता सा एक प्रश्न लगता है

    ना जाने क्यूँ आज अधूरा
    हर एक जश्न लगता है

    अनुत्तरित यूँ आजकल
    इंसानियत
    Read More

    ना जाने क्यूँ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    वाह सुंदर आदरणीय

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत खूब

    कवितालयबद्ध कविता

    हे माधव, तेरा यह मानव

    • Edited 3 years ago
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    • 93
    • 7 Mins Read

    दिल्ली से उन्नाव तक
    उन्नाव से उधर कठुआ तक
    कठुआ से हैदराबाद
    और फिर उन्नाव तक
    दानवता ने इस बार, देखो,
    किया कलंकित हाथरस
    बहुत हो चुका, जालिमों,
    बस करो अब बस
    क्यों दोहराई जा रही है
    सिर्फ एक ही कहानी
    फूट
    Read More

    हे माधव, तेरा यह मानव,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत खूब

    Sudhir Kumar3 years ago

    धन्यवाद

    Poonam Bagadia

    Poonam Bagadia 3 years ago

    वर्तमान परिस्थिति को दर्शाती रचना..

    Sudhir Kumar3 years ago

    धन्यवाद

    लेखअन्य

    मुफ्तलाल, फोकटचंद्र.....

    • Edited 3 years ago
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    • 144
    • 23 Mins Read

    मुफ्तलाल, फोकटमल, उधारीचंद्र, खैरातीराम... जी हाँ, ऐसे सवनामधन्यों की यह सूची अनंत है. शायद द्रौपदी के चीर जितनी लंबी जिसका दूसरा छोर तो बस केशव के हाथ में ही है. इसके पीछे इनकी शक्ति बनकर खडे़ रहते
    Read More

    मुफ्तलाल, फोकटचंद्र.....,<span>अन्य</span>
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    लेखअन्य

    पहला सुख आलसी काया

    • Edited 3 years ago
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    • 135
    • 22 Mins Read

    जी हाँ, " पहला सुख आलसी काया ". मुझसे असहमत होने वाले शायद आलसी काया की माया से जन्मे परम आरामसुख के मूलभूत सार तत्व को नहीं समझते. आलस्य मन-प्राण के परमानंदरस में आकंठ लसलसाने की एक चरम सीमा को पार
    Read More

    पहला सुख आलसी काया,<span>अन्य</span>
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    लेखअन्य

    अतिथि देवो भव

    • Edited 3 years ago
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    • 202
    • 39 Mins Read

    हमारी महान संस्कृति के एक अमूल्य आभूषण, " अतिथि देवो भव " का यह विलक्षण भाव जो देश, काल और मन की दशा-दिशा के साथ नये-नये अर्थ पाता रहता है. कहते हैं कि कोई किसी के घर इन चार भावों के कारण जाता है- भाव, अभाव,
    Read More

    अतिथि देवो भव,<span>अन्य</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    मैं जिंदगो हूँ

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 153
    • 11 Mins Read

    मैं जिंदगी हूँ,
    हँस-हँस कर
    मुझको जियो
    तो दिल्लगी हूँ

    वरना खुश्क आँसुओं के
    मौन में सिमटी पीडा़ की
    मनहूस सी एक मुँहलगी हूँ

    मैं जिंदगी हूँ
    कभी फूलों की ताजगी हूँ
    ओस जैसी पाक सी हूँ
    हवा सी आजाद सी हूँ
    आकाश
    Read More

    मैं जिंदगो हूँ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    बेहतरीन.....रचना.... अदरणीय !

    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    बेहतरीन सर

    Poonam Bagadia

    Poonam Bagadia 3 years ago

    सुंदर रचना..

    कवितालयबद्ध कविता

    बेटी बनाना छोड़ दे

    • Edited 3 years ago
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    • 111
    • 6 Mins Read

    हे भगवान,
    हो सके तो
    कुछ समय के लिए सही
    अपनी इस सृष्टि को एक
    क्रांतिकारी मोड़ दे
    कुछ बरसों के लिए सही
    बेटी बनाना छोड़ दे

    तब देखना एक अजब तमाशा
    हाँ, तभी लगेगा एक तमाचा
    इस सडी़-गली सी बूढ़ी सोच पर
    जो रखती
    Read More

    बेटी बनाना छोड़ दे,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    बहुत खूब सर, लाजवाब

    कवितालयबद्ध कविता

    बोल मेरी मछली, कितना पानी

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 646
    • 12 Mins Read

    ( बचपन में हम लोग एक खेल खेलते थे, "बोल मेरी मछली, कितना पानी". पिछले कुछ सालों के जादुई वातावरण से मन इस पचपन में फिर से वही बचपन खोजता हुआ, बार-बार पूछता है,
    " बोल मेरी मछली, कितना पानी " )

    उठा बवंडर,
    जगा
    Read More

    बोल मेरी मछली, कितना पानी,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    आई चिडि़या

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 97
    • 9 Mins Read

    आयी चिड़िया, आयी चिड़िया
    दाना चुगने आयी चिड़िया
    सबके मन को भायी चिड़िया
    सबके मन पर छायी चिड़िया

    किस्मत की झोली से
    बिखरा एक-एक दाना
    बाबुल के घर-आँगन
    चुगने आयी चिड़िया

    घर की बंद कोठरी को
    एक हरा-भरा और खुला-खुला
    एक
    Read More

    आई चिडि़या,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    सब उत्तर छोटे पडे़

    • Edited 3 years ago
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    • 167
    • 7 Mins Read

    उपेक्षा से आहत होती अपेक्षाएं
    अकालमृत्यु के मुँह में जाती
    जन-जन की आकांक्षाएं
    आज आँसू बहा रही हैं
    कुछ प्रश्न लिये भीगी पलकों पर
    अपनी शब्दहीन भाषा में
    आज पूछती जा रही हैं

    उन्मादों के झंझावातों
    Read More

    सब उत्तर छोटे पडे़,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    बहुत बढ़िया सर

    Sudhir Kumar3 years ago

    धन्यवाद

    कवितालयबद्ध कविता

    सन्नाटे में तैरता सा कोलाहल

    • Edited 3 years ago
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    • 108
    • 10 Mins Read

    क्या गजब ढा रहा आज यह
    सन्नाटे में तैरता सा कोलाहल
    चारों ओर धूम मचाता,
    यह चोर हरदम शोर मचाता,
    सबसे निंदनीय पेय यह अल्कोहल
    यह नाकरा, यह आवारा
    सचमुच एक धीमा हलाहल

    अनायास ही बन बैठा
    अपनी ही अकड़ मे ऐंठा
    आकर
    Read More

    सन्नाटे में तैरता सा कोलाहल,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    अतिथि, तुम कब जाओगे

    • Edited 3 years ago
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    • 106
    • 5 Mins Read

    अतिथि, तुम कब जाओगे
    " मान ना मान, मैं तेरा मेहमान "
    बिन बुलाये, अनचाहे से
    आ धमके मेहमान,
    तुमसे हर एक मेजबान है परेशान
    चेहरा यह आपका देख-देखकर,
    जाने की बाट देख-देखकर,
    सब हथियार फेंक-फेंककर
    तन-मन-धन सब
    Read More

    अतिथि, तुम कब जाओगे,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बढ़िया अतिथि कब जाओगे मूवी याद आगयी इसे पढ़कर

    कहानीसामाजिक, प्रेरणादायक

    धरती कहे पुकार के

    • Edited 3 years ago
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    • 130
    • 16 Mins Read

    यह बात तब की है जब कोरोना ने हमारे पाँवों को जंजीरों में जकड़कर घर की चारदीवारी में कैद नहीं किया था. मैं स्वास्थ्य की दृष्टि से शाम को एक-डेढ़ घंटे घूमता था. अगर बाहर कोई काम होता तो पाँच-छः किलो
    Read More

    धरती कहे पुकार के,<span>सामाजिक</span>, <span>प्रेरणादायक</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत सुंदर रचना

    कवितालयबद्ध कविता

    इतना हँसें कि रोने का वक्त ना मिले

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 255
    • 9 Mins Read

    इतना हँसें कि
    रोने का वक्त ना मिले

    ख्वाहिशों का गला घोटती
    सख्तियाँ, पाबंदियाँ
    कर ले चाहे कितनी भी
    दिल की नजरबंदियाँ
    होंठों पर आती हँसी को
    उदासियों की सुइयों से
    यूँ ना सिलें

    इतना हँसें कि
    रोने
    Read More

    इतना हँसें कि रोने का वक्त ना मिले,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत सुंदर

    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    वाह सर आपके लिखने की शैली बहुत आकर्षक है; बधाई हो

    कवितालयबद्ध कविता

    हम भी कभी इंसान थे

    • Edited 3 years ago
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    • 140
    • 11 Mins Read

    मैं चल रहा था,
    मैं चल रहा था,
    खुद को ही जैसे
    छल रहा था,
    डूबती सी, ऊँघती सी
    हर फिजा़ में ढल रहा था,

    हालातों की आँच से यूँ
    तिल-तिल जल रहा था,
    जाने क्यूँ मेरा वजू़द
    बूँद-बूद सा
    पिघल रहा था

    अपनी ही धुन में खोया
    Read More

    हम भी कभी इंसान थे,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    सूरज का यह सुनहरा खत

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 141
    • 7 Mins Read

    हर एक जगह,
    हर एक सुबह,
    सूरज का यह सुनहरा खत
    लेकर आता है एक पैगाम,
    अपनी प्रिया धरा के नाम
    धरकर तेजस्वी विश्वरूप,
    बनकर उजली-उजली धूप,
    बनकर स्वर्णिम रश्मिरथ,
    बिछती बनकर एक अग्निपथ,
    हर एक जगह,
    हर एक सुबह,
    सूरज
    Read More

    सूरज का यह सुनहरा खत,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    वाह अद्भुत

    कवितालयबद्ध कविता

    यूँ हाथ थामकर हर पल का

    • Edited 3 years ago
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    • 82
    • 9 Mins Read

    वक्त की पटरी पर चलती,
    हर मोड़ के साँचे में ढलती
    रेलगाड़ी जिंदगी की
    फटफट, झटपट, सरपट चलती,
    बीते कल को पल-पल छलती,
    अगले कल में बरबस ढलती

    एक आता, फिर दूजा आता,
    पिछला जाता करके टाटा,
    लमहा-लमहा मिलता
    और बिछुड़ता
    Read More

    यूँ हाथ थामकर हर पल का,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    कुछ सुस्त कदम, कुछ तेज कदम

    • Edited 3 years ago
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    • 114
    • 10 Mins Read

    कुछ सुस्त कदम से सरकती,
    कुछ तेज कदम आगे बढ़ती,
    कुछ बेबसी से सिसकती,
    कुछ अट्टहास बन उमड़ती,
    कुछ तड़कती, कुछ फड़कती,
    जीवन-हृदय का स्पंदन बन धड़कती,
    पल-पल बढ़ती-चढ़ती राहें
    कुछ गर्जन-तर्जन सी करती,
    कुछ
    Read More

    कुछ सुस्त कदम, कुछ तेज कदम,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    यह जिंदगी है

    • Edited 3 years ago
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    • 194
    • 5 Mins Read

    हर एक गोधूलिवेला में
    सिर छुपाती सी हर साँझ
    रात की पलकों तले
    एक सपना बो जाती है

    और उसकी गोदी में
    दुबककर सो जाती है
    और सूरज के इंतजार में
    खो जाती है

    फिर प्राची से एक नयी किरण
    एक नयी आशा सी बन,
    हर नयी
    Read More

    यह जिंदगी है,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    मेरे बाबू जी

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 130
    • 12 Mins Read

    मेरे बाबू जी


    घर में पाँव रखते ही
    आती है नजर सबसे पहले
    सामने वाली दीवार

    इस दीवार के बीचो-बीच
    लटका है एक फोटो फ्रेम
    जिसमें सिमटा है
    मेरा पूरा परिवार

    मेरा पूरा परिवार ?
    हाँ, पूरे परिवार की
    मानो संपूर्ण
    Read More

     मेरे बाबू जी,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत सुंदर प्यारी सी रचना।

    कवितालयबद्ध कविता

    मैंने पूछा चाँद से

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 293
    • 18 Mins Read

    मैंने पूछा चाँद से
    मैंने पूछा चाँद से,
    हाँ, मैंने पूछा चाँद से,

    एक सुहानी साँझ की
    खुलती जुल्फों पे ढलकी,
    छलकी बनकर चाँदनी,
    कुछ हल्की-हल्की,
    मन को बरबस आकर छलती
    एक पूनम की रात में
    मैंने पूछा चाँद से,

    "
    Read More

    मैंने पूछा चाँद से,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Anjani Tripathi

    Anjani Tripathi 3 years ago

    बहुत खूब

    Sudhir Kumar3 years ago

    धन्यवाद

    Sudhir Kumar3 years ago

    धन्यवाद

    कवितालयबद्ध कविता

    एक सुहाना सा अहसास

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 81
    • 5 Mins Read

    आज मैंने
    रोते हुए एक
    बच्चे को हँसा दिया
    एक चाकलेट का पैकेट देकर
    अपने दिल में कुछ खुशनुमा से
    अहसासों का साज बजा दिया

    उसके लिए ये छोटा सा
    एक तोहफा था
    मेरे लिए खुश रहने का
    एक खूबसूरत मौका था

    उस चेहरे
    Read More

    एक सुहाना सा अहसास,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    चल खुसरो, घर आपने

    • Edited 3 years ago
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    • 90
    • 8 Mins Read

    हिचकियाँ अब बंद हैं
    मन के सभी झरोखे
    और यादों की
    खिड़कियाँ सब बंद हैं

    ये खिड़कियाँ अब
    देती हैं बस झिड़कियाँ,
    और बाकी सब बंद हैं

    मन की किसी सुरंग में
    जाकर दुबके वो ख़्वाब
    वहीं पर जाकर ठहरे

    और पलकों
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    चल खुसरो, घर आपने,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    इतना हँसो कि रोने का वक्त ना मिलो

    • Edited 3 years ago
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    इतना हँसें कि
    रोने का वक्त ना मिले

    ख्वाहिशों का गला घोटती
    सख्तियाँ, पाबंदियाँ
    कर ले चाहे कितनी भी
    दिल की नजरबंदियाँ
    होंठों पर आती हँसी को
    उदासियों की सुइयों से
    यूँ ना सिलें

    इतना हँसें कि
    रोने
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    इतना हँसो कि रोने का वक्त ना मिलो,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    लेखअन्य

    फेंकवीर जन पावत ताही

    • Edited 3 years ago
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    • 149
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    गोस्वामी जी की प्रसिद्ध चौपाई है,
    " सकल पदारथ हैं जग माहीं
    कर्महीन नर पावत नाहीं "

    मैंने इसकी दूसरी पंक्ति का रूपान्तरण करके व्यंग्य के साँचे में ढालने का प्रयास किया है, कुछ इस तरह,
    " सकल पदारथ
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    फेंकवीर जन पावत ताही,<span>अन्य</span>
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    Rahul Sharma

    Rahul Sharma 3 years ago

    Good one

    कवितालयबद्ध कविता

    लमहा-लमहा, बूँद-बूँद

    • Edited 3 years ago
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    • 90
    • 8 Mins Read

    लमहा-लमहा, बूँद-बूँद,
    जीवन-नदिया में ढूँढ-ढूँढ,
    इसके इस तेज बहाव में,
    जीवन-पथ के हर उतार
    और हर चढा़व में,

    करता रहा ना जाने क्यूँ,
    खुद से ही अनजाने यूँ,
    एक चमचमाते-झिलमिलाते से
    अप्राप्त सुख की तलाश

    खोती
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    लमहा-लमहा, बूँद-बूँद,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    हँसो तो कुछ इस तरह

    • Edited 3 years ago
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    • 147
    • 11 Mins Read

    हँसो कुछ इस तरह,
    हाँ, हँसो कुछ इस तरह,
    कि बिखेर दो बिंदास,
    कहीं अपने ही आस-पास,
    खुश होने की छोटी सी,
    मासूम सी कोई वजह

    और पा जाओ इस
    जिंदगी के दामन में
    हँसते-हँसते ही,
    आनन फानन में,
    खुशनुमा सी, जीने की
    एक
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    हँसो तो कुछ इस तरह,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    यह तिरंगा कैनवास

    • Edited 3 years ago
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    • 178
    • 11 Mins Read

    यह तिरंगा कैनवास,
    भारत के जन गण मन की
    चेतना का यह आकाश
    वही जिसके बीचो बीच,
    इस सफेद रंग में सिमटी थी
    बूढे़ बापू की आत्मा,

    मन को हरा-भरा सा करता
    वह हरा रंग
    जिसमें लिपटा था
    किसान का पसीना,
    मेहनत का नगीना,
    माँ
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    यह तिरंगा कैनवास,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    परंपरा और आस्था

    • Edited 3 years ago
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    • 143
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    ( भारत परंपराओं का देश है. हर सुंदर परंपरा के पीछे एक दिव्य आस्था और हर आस्था के पीछे एक अद्भुत, अलौकिक चेतना छिपी रहती है. प्रस्तुत है चेतना के धरातल पर आस्था और परंपरा का एक तुलनात्मक चित्रण )

    परंपरा
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    परंपरा और आस्था,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कविताअन्य

    हाँ, यही तो जीवन है

    • Edited 3 years ago
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    • 126
    • 7 Mins Read

    हाँ, यही तो जीवन है
    हाँ, यही तो जीवन है,
    हाँ, बस यही तो जीवन है,
    हर रात के काले घूँघट से झलकती
    प्राची की पहली किरण हैं
    हाँ, यही तो जीवन है
    हाँ, बस यही तो जीवन है

    संक्रमण की पीडा़ है
    और फिर सृजन-सुख है
    विरह-वेदना
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    हाँ, यही तो जीवन है,<span>अन्य</span>
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