I love to read hindi stories
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London is the capital city of England.
कवितालयबद्ध कविता
आज मैंने रोते हुए एक
बच्चे को हँसा दिया
एक चाकलेट का पैकेट देकर
अपने दिल में कुछ खुशनुमा से
अहसासों का साज बजा दिया
उसके लिए ये छोटा सा
एक तोहफा था
मेरे लिए खुश रहने का
एक खूबसूरत मौका था
उस
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कवितालयबद्ध कविता
हम जब जहाँ से
पहला-पहला
कदम उठा के
आगे बढ़ते हैं
एक नयी हिम्मत जुटा के
खुद को पूरा आजमा के
पग-पग डग पे
आगे चलते हैं
वो जगह और वो लमहा,
दोनों ही सबसे बडे़ हैं
पहला कदम,
फिर दूसरा,
दूसरा, फिर तीसरा..
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सुन्दर.. मर्मस्पर्शी रचना..!! स्मृतिशेष.. लेखिका को सादर सविनय नमन..! ॐ शान्ति🙏🙏🙏🙏🙏🙏
शानदार लघुकथा। समाज की सोच पर करारी चोट की है
शुक्रिया
कहानीसामाजिक, लघुकथा
दोराहे पर खडी़ जिंदगो
आज मैं एक आवश्यक कार्यवश कहीं जा रहा था. अचानक एक दृश्य देखकर मेरे कदम ठिठक गये.
एक महिला और उसकी बेटी जो देखने में किसी विपन्न वर्ग से संबंद्ध लग रही थी, सड़क पर बिखरे
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कविताबाल कविता
यदि मैं होती चमक चांदनी।
पूरे अंगना में झिलमिल करती।
तारे मुझसे जलते रहते
रोशनी संग भी खेला करती।
चंदा मुझसे खूब बतियाता
तारों जैसे टिमटिम करती।
यदि मैं होती चमक चांदनी।
संसार भर में दमाका करती
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कवितालयबद्ध कविता
नार
( धन्य है इस देश की नारी
जो पूजा और उपवास भी
दूसरों के लिए करती है
करवाचौथ पति के लिए
होई अष्टमी पुत्र के लिए
भैया दूज भाई के लिए
आइये करें नमन मातृशक्ति को )
नारी, तू नारायणी
नारी, तू नारायणी
इस
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कवितालयबद्ध कविता
( ना जाने क्यूँ मुझे लगता है कि दिल्ली, मेरी दिल्ली ऐसी नहीं होनी चाहिए जैसी आज दिखती है. दोषी कौन है, ये या वो, या फिर थोडा़ ये और थोडा़ वो और साथ में काफी हद तक हम सब भी ? यह फैसला मैं आप सब पर छोड़ता हूँ.
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कवितालयबद्ध कविता
शहर की हर एक दीवार
जिधर देखिये, बिखरा-
बिखरा सा पडा़ है प्यार
छलका-छलका,
ढलका-ढलका,
उमड़ रहा है बनकर ज्वार
हाँ, हो रही है हर दीवार
सजकर दुल्हन सी तैयार
सबके चेहरों के दागों को
ढकने को, देखो,
चिपक गये
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कवितालयबद्ध कविता
मैंने कहीं पढा़ है,
एक सुंदर विचार ने
मेरे मन को यूँ गढा़ है,
"जब हम प्रार्थना करते हैं
भगवान हमको सुनता है
मगर ध्यान में हम सबका
मन ईश्वर को सुनता है"
इस मौन प्रार्थना में डूबा मन
चैतन्य के आलोक में,
जड़ता
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कवितालयबद्ध कविता
शहर की हर एक दीवार
जिधर देखिये, बिखरा-
बिखरा सा पडा़ है प्यार
छलका-छलका,
ढलका-ढलका,
उमड़ रहा है बनकर ज्वार
हाँ, हो रही है हर दीवार
सजकर दुल्हन सी तैयार
सबके चेहरों के दागों को
ढकने को, देखो,
चिपक गये
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कवितालयबद्ध कविता
आओ हम माँ के तिरंगे आँचल को सँवार दें
रच बलिदानों की रंगोली, "काषाय" को निखार दें
बापू के आदर्श समेटे "श्वेत" को मन में धार लें
शस्यश्यामला के आँचल में "हरित" को नव आकार दें
इतिहास बनाये सीमा पर अर्जुन
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कहानीसंस्मरण, लघुकथा
होली के रंग--
------------
फागुन के रंग शीर्षक देखा तो मचलने लगे रंग बिरंगे सपने आखों में जो कभी हमने भी देखे थे । 50 साल पहले की एक घटना फिर से याद आगयी । मेरी नयी नयी शादी हुई थी । अल्हड़ उम्र थी । मै शहर की
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कवितालयबद्ध कविता
वक्त की पटरी पर चलती,
हर मोड़ के साँचे में ढलती
रेलगाड़ी जिंदगी की
फटफट, झटपट, सरपट चलती,
बीते कल को पल-पल छलती,
अगले कल में बरबस ढलती
एक आता, फिर दूजा आता,
पिछला जाता करके टाटा,
लमहा-लमहा मिलता
और बिछुड़ता
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कवितालयबद्ध कविता
( ना जाने क्यूँ मुझे लगता है कि दिल्ली, मेरी दिल्ली ऐसी नहीं होनी चाहिए जैसी आज दिखती है. दोषी कौन है, ये या वो, या फिर थोडा़ ये और थोडा़ वो और साथ में काफी हद तक हम सब भी ? यह फैसला मैं आप सब पर छोड़ता हूँ.
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कवितालयबद्ध कविता
स्वप्न होते रहते हैं ऐसे दफन
अभिलाषा ओढ़ लेती है जैसे कफन
किंतु मेरे अंतर्मन में बैठा कोई
देता रहता है जाने कैसे, कहाँ से
एक मनभावन सा अपनापन
सूक्ष्म में सिमटा हुआ विराट बनकर
तमस को ललकारता प्रभात
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कवितालयबद्ध कविता
रोबोट बनाता यह इंसान
खोकर खुद की ही पहचान
धीरे-धीरे एक दिन
खुद-ब-खुद
एक रोबोट ना बन जाये
बनकर भस्मासुर
खुद के ही वजूद पर
जानलेवा सी
एक चोट ना कर जाये
इसके लिए जरूरी है,
हर इंसान में सोया हुआ
इंसान
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कवितालयबद्ध कविता
नार
( धन्य है इस देश की नारी
जो पूजा और उपवास भी
दूसरों के लिए करती है
करवाचौथ पति के लिए
होई अष्टमी पुत्र के लिए
भैया दूज भाई के लिए
आइये करें नमन मातृशक्ति को )
नारी, तू नारायणी
नारी, तू नारायणी
इस
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कवितालयबद्ध कविता
हँसो कुछ इस तरह,
हाँ, हँसो कुछ इस तरह,
कि बिखेर दो बिंदास,
कहीं अपने ही आस-पास,
खुश होने की छोटी सी,
मासूम सी कोई वजह
और पा जाओ इस
जिंदगी के दामन में
हँसते-हँसते ही,
आनन फानन में,
खुशनुमा सी, जीने की
एक
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👌👌
कवितालयबद्ध कविता
इस चकाचौंध के बीच
कहीं भरमे मन के इस
पर्दे के बीचो-बीच,
कुछ काली सी रेखायें खींच
आकर जबरन खडा़ हुआ
चुभता सा एक प्रश्न लगता है
ना जाने क्यूँ आज अधूरा
हर एक जश्न लगता है
अनुत्तरित यूँ आजकल
इंसानियत
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कवितालयबद्ध कविता
धुँधलाई सी, भरमाई सी
अजीब सी एक शाम,
पगलाई सी, शरमाई सी
अजी़ज सी एक शाम,
कुछ खामोश सी होती,
पल-पल रोशनी खोती,
यूँ होती जाती खुदबखुद
गरीब सी एक शाम,
जाने या फिर अनजाने,
कुछ पहचाने, कुछ बिन पहचाने,
होती दिल
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कवितालयबद्ध कविता
यूँ ही बस बैठे ठाले
करके मन को अनायास ही
भूले-बिसरे चंद लमहों के हवाले
यूँ ही बस बैठे ठाले
वो लमहे कुछ मतवाले
बडे़ सहज से, फिर भी लगते
जाने क्यूँ सबसे निराले
जटिल और बोझिल से
बंद, घुटते से एक दायरे
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😂😂
जिज्जी का आना तो वैसे ही भारी होता है.....खुद आईं सो आईं,पूरी पलटन भी साथ लाईं😅
जी अभी जिज्जी शुरू हुई है अभी बहुत से कारनामे होंगे 😂
स्वागत है..!। हम लोगों की फर्माइश पर.. अन्ततोगत्वा.. जिज्जी प्रकट ही हो गयीं..! 👌🙏
धन्यवाद आदरणीय
लेखअन्य
गोस्वामी जी की प्रसिद्ध चौपाई है,
" सकल पदारथ हैं जग माहीं
कर्महीन नर पावत नाहीं "
मैंने इसकी दूसरी पंक्ति का रूपान्तरण करके व्यंग्य के साँचे में ढालने का प्रयास किया है, कुछ इस तरह,
" सकल पदारथ
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👌👌
कहानीप्रेरणादायक, लघुकथा
कहते हैं, सागर-मंथन से जिस प्रकार अमृत के साथ मदिरा प्रकट हुई,
उसी प्रकार लक्ष्मी के साथ-साथ दरिद्रता भी प्रकट हुई. लक्ष्मी ने नारायण का वरण किया तो दरिद्रता भी अपने बहन-बहनोई के पीछे-पीछे उनके धाम
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👍👍👌👌
कविताअन्य
हाँ, यही तो जीवन है
हाँ, यही तो जीवन है,
हाँ, बस यही तो जीवन है,
हर रात के काले घूँघट से झलकती
प्राची की पहली किरण हैं
हाँ, यही तो जीवन है
हाँ, बस यही तो जीवन है
संक्रमण की पीडा़ है
और फिर सृजन-सुख है
विरह-वेदना
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👍 जय हिंद जय भारत 🇮🇳
कवितालयबद्ध कविता
यह तिरंगा कैनवास,
भारत के जन गण मन की
चेतना का यह आकाश
वही जिसके बीचो बीच,
इस सफेद रंग में सिमटी थी
बूढे़ बापू की आत्मा,
मन को हरा-भरा सा करता
वह हरा रंग
जिसमें लिपटा था
किसान का पसीना,
मेहनत का नगीना,
माँ
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👌👌
कवितालयबद्ध कविता
दबे पाँव आ,
दस्तक देकर,
सतरंगी सी यादें लेकर
चोरी-चोरी, चुपके-चुपके,
खुद से ही जैसे छुप-छुप के,
साया सा बन छाता कौन
मन को यूँ रंग जाता कौन
पचपन में मन खोजे बचपन,
कानों में रस घोलता
एक मुखर सा मौन
यह आँखमिचोली,
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🙏🙏
कवितालयबद्ध कविता
माँ सरस्वती को माल्यार्पण
वीणावादिनी को माल्यार्पण
इस भावपुष्पमाला से
विद्यादायिनी को माल्यार्पण
माँ सरस्वती को माल्यार्पण
वीणावादिनी को माल्यार्पण
मन की दिव्य तरंगों का
अधरों के तट पर सहज
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👌
कवितालयबद्ध कविता
पुलवामा अटैक में शहीद हुए उन सभी शहीदों को नमन जिनके जाने का जख्म आज भी उनके परिवार वालों के आंखों में दिखता है। हमें गर्व है अपने भारत देश पर जहां हमारे वीर सैनिक दिन रात हमारी ही सेवा में रहते
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