Anil did his P. G in Economics. He is also an author of three Hindi Poetry books naming 1. Prahari, 2. Rahi Chal and 3. Vande Bharat. All books are being sold by various online retailers such as Amazon, Flipkart, Bookscamel and so on. Ebooks are also available.
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London is the capital city of England.
कवितालयबद्ध कविता
जाग-जाग री सुप्त भाग्य की रेखा।
सोयी– सी तकदीर जाग अब
छेड़ मृदुल नवगीत- राग अब,
हारे में भर आस और दम
कर न उन्हें अनदेखा ।
जाग-जाग री सुप्त भाग्य की रेखा।
यत्न सभी करके देखा है
बनती नहीं
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कवितालयबद्ध कविता
वीर सैनिक।
वीर तेरे जज्बे को सलाम करते हैं।
तेरे पराक्रम से धरती - सागर हिल जाते हैं
सितारे टूटकर खाक में मिल जाते हैं,
प्रबल हुंकार से उत्तुंग शिखर ढ़हता है
सधे कदमों
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कवितालयबद्ध कविता
हैवानियत की हार।
गुलामी की निठुर उन बेड़ियों से मुक्त हैं लेकिन
निडर बढ़ती हुई हैवानियत की हार बाकी है।
अभय होके निरंतर घूमते दिन के उजाले में
लगा होता किरच में खून,खंजर और भाले में,
गुनाहों
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कवितालयबद्ध कविता
जाग-जाग री ।
कौन तुझे अबला कहता है
शक्त, सबल हे नारी,
तू खुद को पहचान, जाग
कर सिंह की पुनः सवारी।
घूम रहे नर-व्याल गली में
मगर नहीं अब डरना,
कर डटकर संहार खलों का
अश्रु नयन मत भरना।
जाग-जाग
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कवितालयबद्ध कविता
अब तो मेघ करो बौछार।
झुलस गये तृण-पात, विकल जन
नदी, सरोवर , तप्त निखिल वन,
व्यग्र कृषक- मन नित्य पुकारे
बरस मेघ, हर तम, अंगारे।
हरित,
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गजल
मैं हरदम अपना गुमान लिए चलता हूँ
खाली नहीं, जुबान लिए चलता हूँ।
क्या पता कब आसमाँ का साया छिन जाए
इसलिए अपना मकान लिए चलता हूँ।
वक्त का क्या पता मिले न मिले
हाथों में कफन, मसान
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