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Sahitya Arpan - Anil Mishra Prahari
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Anil Mishra Prahari

Writer's Pen Name not added

Anil did his P. G in Economics. He is also an author of three Hindi Poetry books naming 1. Prahari, 2. Rahi Chal and 3. Vande Bharat. All books are being sold by various online retailers such as Amazon, Flipkart, Bookscamel and so on. Ebooks are also available.

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  • कवितालयबद्ध कविता

    मातृभूमि

    • Added 7 months ago
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    • 21
    • 5 Mins Read

    मातृभूमि

    तेरी ममता अपरम्पार।
    जो भी आया तेरे द्वारे
    विश्व विजेता या रण- हारे,
    तूने दी है छाँव कृपा की
    दिए सभी को ठौर - सहारे।
    जीने का देती आधार
    तेरी ममता अपरम्पार।

    वो अपने जो
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    मातृभूमि,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    जाग-जाग री सुप्त भाग्य की रेखा।

    • Added 1 year ago
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    • 53
    • 3 Mins Read

    जाग-जाग री सुप्त भाग्य की रेखा।



    सोयी– सी तकदीर जाग अब

    छेड़ मृदुल नवगीत- राग अब,

    हारे में भर आस और दम

    कर न उन्हें अनदेखा ।

    जाग-जाग री सुप्त भाग्य की रेखा।


    यत्न सभी करके देखा है

    बनती नहीं
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    जाग-जाग री सुप्त भाग्य की रेखा।,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    वीर  सैनिक।

    • Edited 2 years ago
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    • 118
    • 5 Mins Read

    वीर  सैनिक।
     
    वीर   तेरे   जज्बे   को   सलाम  करते   हैं। 

    तेरे  पराक्रम  से धरती - सागर हिल जाते हैं 
    सितारे  टूटकर  खाक   में   मिल जाते  हैं, 
    प्रबल  हुंकार  से  उत्तुंग   शिखर   ढ़हता   है 
    सधे कदमों
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    वीर  सैनिक।,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    हैवानियत की हार।

    • Edited 2 years ago
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    • 287
    • 7 Mins Read

    हैवानियत की हार।
    गुलामी की निठुर उन बेड़ियों से मुक्त हैं लेकिन
    निडर बढ़ती हुई हैवानियत की हार बाकी है।

    अभय होके निरंतर घूमते दिन के उजाले में
    लगा होता किरच में खून,खंजर और भाले में,
    गुनाहों
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    हैवानियत की हार।,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    जाग-जाग री ।

    • Edited 2 years ago
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    • 169
    • 4 Mins Read

    जाग-जाग री ।

    कौन तुझे अबला कहता है
    शक्त, सबल हे नारी,
    तू खुद को पहचान, जाग
    कर सिंह की पुनः सवारी।

    घूम रहे नर-व्याल गली में
    मगर नहीं अब डरना,
    कर डटकर संहार खलों का
    अश्रु नयन मत भरना।

    जाग-जाग
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    जाग-जाग री ।,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    अब तो मेघ करो बौछार।

    • Edited 2 years ago
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    • 462
    • 4 Mins Read

    अब तो मेघ करो बौछार।
    झुलस  गये तृण-पात, विकल  जन
    नदी, सरोवर ,  तप्त  निखिल   वन,
    व्यग्र  कृषक-  मन    नित्य   पुकारे
    बरस     मेघ,    हर    तम,  अंगारे।
    हरित,   
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    अब तो मेघ करो बौछार। ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

    सुन्दर

    Anil Mishra Prahari2 years ago

    Thanks.

    गजल

    वह दरिया हूँ जो तूफान लिए चलता हूँ।

    • Edited 2 years ago
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    • 154
    • 3 Mins Read

    मैं हरदम अपना गुमान लिए चलता हूँ
    खाली नहीं, जुबान लिए चलता हूँ।

    क्या पता कब आसमाँ का साया छिन जाए
    इसलिए अपना मकान लिए चलता हूँ।

    वक्त का क्या पता मिले न मिले
    हाथों में कफन, मसान
    Read More

    वह दरिया हूँ जो  तूफान  लिए  चलता   हूँ। ,<span>गजल</span>
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